Friday, April 30, 2010

अगर है आप मैं हिम्मत, तो अपने घर से बाहर निकालकर बताओ .....>>>> संजय कुमार

कहते हैं जब कोई बात इन्सान के दिल मैं घर कर जाती है , तो उस बात को उस इन्सान के अंदर से बड़ी मुस्किल से दूर कर पाते हैं ! और अगर वह बात उसके अंदर से बाहर नहीं निकलती ,तो उसका परिणाम कभी कभी बहुत घातक होता है! और वह कहीं ना कहीं उस इन्सान का अहित ही करती है ! ठीक उसी तरह हम अपने घर मैं किसी भी गलत बात को जिस तरह घर नहीं करने देते , और जल्द से जल्द उसे बाहर करना चाहते हैं ! यह तथ्य बिकुल सही है ! और हम सब इस बात से सहमत है! अगर कोई नहीं है , तो बताओ .....................

लेकिन आज स्थिति बदल गयी है ! आज एक ऐसी चीज हमारे घर मैं अपनी पकड़ दिन बा दिन इतनी मजबूत करती जा रही है , जिसके घातक या बुरे परिणाम हम लोगों को भविष्य मैं , देखने को मिलेंगे ! शायद अभी तक आप समझे नहीं ! मैं बात कर रहा हूँ , आज हमारे घरों मैं घर करती अंग्रेजी की , और अपना मूल्य खोती हमारी अपनी हिंदी की ! आज जिस तरह के परिवेश मैं हम सब जी रहे हैं ! उस परिवेश को आधुनिकता का युग कहते हैं ! और जब से इन्सान ने अपने आप को इस आधुनिकता की दौड़ मैं अपने आपको सबसे आगे करने का ढोंग किया , वहीँ इन्सान ऐसी चीजों को अपनाने लगा जो कभी उसकी थी ही नहीं ! और भूल गया अपनी असली चीजें ! जहाँ आज के युग मैं हम सभी ने अंग्रेजी को एक स्टेट सिम्बल के रूप मैं ग्रहण कर लिया है ! तो उसने भी धीरे धीरे हमारे घरों मैं घर कर लिया ! और ख़त्म कर रही है हमारी अपनी हिंदी भाषा ! आज कई लोग भले ही हिंदी स्पष्ट ना बोल पायें , इस बात का उन्हें जरा भी गम नहीं होता , लेकिन अगर कहीं अंग्रेजी बोलने मैं कहीं कोई गलती हो जाये तो , अपने आपको शर्मिंदा सा महसूस करते हैं ! आज का युवा तो बस अंग्रेजी ही बोलना चाहता है इसके आलावा कुछ नहीं ! आज हम अपने बच्चों को सिर्फ और सिर्फ अंग्रेजी ही सिखाना चाहते हैं, उसको नहीं देते हिंदी का पूर्ण ज्ञान ! जो उसको सर्वप्रथम जरूरी है ! आज आप गौर करें तो, आज कल आपको आपके पास, जो ज्यादा पड़े लिखे या अनपढ़ परिवार हैं ! उन घरों मैं भी आपको अंग्रेजी के कई शब्द सुनने को मिल जायेंगे !
आज हम सब भाग रहे हैं अंग्रेजी के पीछे , छोड़ अपनी हिंदी , जिसे विश्व मैं हर कोई सीखना चाहता है !और दूर दूर से लोग आज भारत मैं आ रहे हैं सिर्फ और सिर्फ हमारी अपनी हिंदी भाषा को सीखने और समझने !हिंदी भाषा मैं जो अपनत्व का भाव है वो आपको कहीं किसी भी भाषा मैं सुनने नहीं मिलेगा ! जिस हिंदी भाषा के बड़े बड़े विद्यालय हमारे हिंदुस्तान मैं हैं ,और जिन मैं बड़े बड़े विद्वान सिर्फ हिंदी को बचाने मैं लगे हैं ! वहीँ आज हम लोग अपनी ही मात्र भाषा को भूलकर , अंग्रेजी के पीछे भाग रहे हैं बिना कुछ सोचे समझे !

अगर आप को हिंदी का पूर्ण ज्ञान हैं , आप अगर हैं हिंदी के ज्ञाता, तो आप फक्र कर सकते हैं अपने उपर , और यदि आपको नहीं हैं हिंदी का पूर्ण ज्ञान , तो पहले हिंदी सीखो , फिर सीखो अंग्रेजी ............. और ना करने दो अंग्रेजी को अपने घर मैं घर .........................

धन्यवाद

3 comments:

  1. bahut sahi kaha....par aaj kuch aisa mahaul hai ki angrezi ke bina aap adhoore hain...:(

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  2. English ko logon ne kabhi ek bhasha ki tarah liya hi nahin, bas ek shreshthta ke paimane ki tarah liya.

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  3. हिन्दी को पूर्ण स्थापित होने के लिए उसे रोजगार की भाषा होना होगा.

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