Saturday, March 23, 2013

शहीदों को नमन ...... उनके जोश और जज्बे को सलाम .......>>> संजय कुमार

आज " शहीद दिवस " पर मैं सभी शहीद क्रांतिकारियों और उनके जोशीले व्यक्तित्व को शत शत नमन करता हूँ ! आज की युवा पीढ़ी के लिए हमारे ये वीर शहीद एक मिशाल हैं ... जो जज्बा देश पर मर - मिटने के लिए इनके पास था , आज उसी जज्बे की जरुरत इस देश को आज के युवाओं से है ! किन्तु आज का युवा जोश में कम अपितु आवेश में अधिक रहता है ! जोश और आवेश में अंतर तो बहुत नहीं हैं किन्तु इनके अर्थ हमारे लिए अलग अलग हो सकते हैं ! एक जोशीला युवक अपने समाज और देश की स्थिति में बदलाव ला सकता है उनको सुधर सकता है ! किन्तु एक आवेशित युवक अपना और अपने समाज का सिर्फ अहित ही कर सकता है क्योकि आवेश का एक रूप गुस्सा भी होता है और गुस्से में किये गए काम का फल कभी सकारात्मक नहीं होता ! जोश हमें हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है ! जीवन में सफलता हांसिल करने के लिए हमारे अन्दर जोश का होना अत्यंत आवश्यक है ! जोश और आवेश हर इंसान के अन्दर होता है ! मैं यहाँ बात करना चाहता हूँ सिर्फ सिर्फ आज के युवाओं की , उनके जोश और आवेश की ! किन्तु आज के युवाओं के अन्दर का जोश और आवेश दोनों ही उनके वर्तमान और भविष्य लिए  उनके परिवार के लिए घातक सिद्ध हो रहे हैं ! उदाहरण के तौर पर आपको एक पुरानी घटना से अवगत कराता हूँ , हालांकि इस तरह की घटनाएँ आज देश के हर छोटे -बड़े शहरों में आये दिन  होती रहती हैं  ! चार जोशीले युवक तेज गति से वाहन चलाने की शर्त लगाते हैं , वो भी रात के समय  शहर के व्यस्त हाइवे पर सिर्फ जोश में या यूँ कहें आवेश में ) रेस शुरू होती है और चंद मिनटों में सब कुछ खत्म ! एक वाईक पर सवार दो युवक सामने से तेज गति से आ रहे ट्रक से टकरा जाते हैं और एक मौके पर ही दम तोड़ देता है और दूसरा बुरी तरह घायल होकर अपना जीवन बचाने के लिए हॉस्पिटल में मौत से संघर्ष करता है , वो बच जाता है किन्तु महीनों बिस्तर पर पड़े रहने के बाद , क्या ये आवेश था या जोश इसे हम जोश कहेंगे किन्तु परिणाम नकारात्मक ! एक और उदाहरण ..... चार दोस्त किसी पार्टी में आपस में झगड़ते हैं और उन्हीं में से एक दोस्त आवेश में आकर वियर की बोतल फोड़कर एक के पेट में घुसेड देता है इसे हम जोश नहीं आवेश कहेंगे यहाँ भी परिणाम नकारात्मक  ! जिस जोश को हम प्रेरणादायक कहते हैं बही जोश आज हमसे हमारी खुशियाँ छीन रहा है हमारी खुशियाँ मातम में बदल रहीं हैं ! 
आजादी के पूर्व युवाओं में जो जोश होता था और उसके जो परिणाम आते थे वो सकारात्मक होते थे ! " भगत सिंह " चंद्रशेखर आजाद " राम-प्रसाद बिस्मिल " सुभाष चन्द्र बोस " जैसे क्रांतिकारियों को हम जोशीले युवकों के रूप में जानते हैं  ! इन सभी के जोश ने भारत को आजादी दिलाई ! ये सभी जोश से भरपूर थे आवेश से नहीं ! किन्तु आज का युवा जोश में भी है और आवेश में भी ! बदलते परिवेश के साथ आज के युवाओं का जोश सकारात्मक कम नकारात्मक ज्यादा है ! आज युवाओं में जोश है तो उल्टी-सीधी शर्त लगाने का , मसलन वाईक - कार रेस , देर रात तक पार्टियाँ करने का जोश , शराब पीने का जोश , नशा करने का जोश , बिना बात लड़ने - झगड़ने का जोश , जोश में आकर सिर्फ गलत काम करने का जोश जिसके परिणाम कभी भी सकारात्मक नहीं होते ! देखा जाय तो देश में सकारात्मक जोश वाले युवाओं का अकाल है ! आज आवेशित युवा दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे हैं ! युवाओं के जोश और आवेश के नकारात्मक परिणाम का फल या सजा आज उनके परिवार को भुगतनी पड़ रही है ! जब कभी कोई किसी दुर्घटना में मारा जाता है तो हम सबसे पहले जोश और आवेश को ही दोषी मानते हैं ! आज के युवाओं में धैर्य और सब्र नाम की चीज बिलकुल भी नहीं हैं ! आज हमारे देश का युवा नकारात्मक पहलुओं की ओर ज्यादा तेजी से अग्रसर हो रहा है और  इसके कई कारण हो सकते हैं जरुरत से ज्यादा आजादी , माता-पिता द्वारा बच्चों की हर खवाहिश को बिना सोचे समझे पूरी करना , संस्कारों की कमी , नियंत्रण का अभाव , सही मार्ग-दर्शन का ना होना ! बहुत सी बातें हैं जो युवाओं के जोश का नकारात्मक पहलु हमारे सामने लाती हैं ! युवा इस देश का भविष्य हैं ! इस देश को जोशीले युवकों की आवश्यकता है , वो जोश जो देश की तस्वीर बदल दे , ना कि उनकी तस्वीर पर फूलों की माला ! 
युवाओं अभी भी समय है अपने जोश को सकारात्मक बनाओ ! हमारे देश के वीर शहीदों को अपना आदर्श बनायें ना की किन्हीं फ़िल्मी हस्तियों को ......
शहीदों को नमन ...... उनके जोश और जज्बे को सलाम 

धन्यवाद 



Friday, March 8, 2013

महिला दिवस अब प्रतिदिन मनाना चाहिए ( Women's Day ) .....>>> संजय कुमार

सच कहूँ तो अब प्रतिदिन हमारे देश में महिला दिवस मनाया जाता है ! फर्क सिर्फ इतना है कि, महिलाओं का सम्मान हम सिर्फ प्रचलित " महिला दिवस " पर ही करते हैं ! अब तो प्रतिदिन हमें महिला दिवस मनाना चाहिए ! क्योंकि आज देश में जो स्थिति महिलाओं की है उसे देखते हुए यह बात अब निर्विरोध बिलकुल सच है !आज प्रतिदिन की चर्चा में सिर्फ " नारी " और सिर्फ नारी ही रह गयी है ! छेड़खानी , बलात्कार , सामूहिक बलात्कार की शिकार होती नारी , इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली घटनाओं से प्रतिदिन होता नारी का शोषण उसकी मर्यादाओं का हनन , पुलिस द्वारा सरे आम सड़कों पर जानवरों के जैसा पीटा जाना , घर की चाहर दिवारी में प्रतिदिन होती घरेलु हिंसा , पारिवारिक सदस्यों द्वारा यौन शोषण की शिकार होती नारी , स्कूल, कॉलेज , ऑफिस में अपने सहकर्मियों द्वारा शोषण का शिकार नारी , ग्रामीण क्षेत्रों में दबंगों का शिकार नारी , आधुनिक भारत में " डायन " के नाम से जिन्दा जलाई जाने वाली नारी , शहरी क्षेत्रों में " जिस्मफरोशी " के दलदल में फँसती नारी , चकाचौंध भरी दुनिया में बढ़ता नारी देह प्रदर्शन , .... टेलीविजन , विज्ञापन , फिल्मों में खुलकर नारी देह का प्रदर्शन , ( जब तक नारी देह नहीं दिखाएगी ना विज्ञापन चलेगा और ना फ़िल्में ) .. ... एक पूरे बर्ष में कोई एक दिन बताएं जिस दिन नारी चर्चा का बिषय ना रही हो ! चर्चाओं में आना अच्छी बात है पर इस तरह नहीं , क्योंकि ये नारी जाति का अपमान है ....... ये इंसानियत और मानव धर्म का अपमान है !
       
" महिला दिवस " पर हम निसंकोच महिलाओं के मान-सम्मान की बात करते हैं ! शायद इसी दिन हम उन्हें याद करते हैं मतलब उनके मान-सम्मान के लिए ! वर्ना कुछ महिलाओं का तो पूरा जीवन निकल जाता है , यह जानने के लिए की महिला - दिवस आखिर होता क्या है ? क्या होता है इस दिन ? क्या कोई अवार्ड दिया जाता है ? या बड़ी - बड़ी बातें कर यूँ ही दिन निकाल देते हैं ! सिर्फ इसी दिन हम  महिलाओं के मान-सम्मान के बारे में क्यों सोचते हैं  बाकी दिनों में क्यों नहीं ? लेकिन जो मान - सम्मान की असली हक़दार है उनका मान-सम्मान हम कब करेंगे क्या वो दिन आएगा ? अब उनका सम्मान आवश्यक हो गया है ! आज महिलायें पुरुषों से किसी भी मामले में कम नहीं हैं बल्कि शोषण में तो सर्वोपरि हैं ! फिर भी नारी तो महान है क्योंकि उसके जितने कष्ट सहने की क्षमता किसी में भी नहीं है ! आज महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर चल रही हैं ! आज महिलाएं प्रगतिशील है ! आज की नारी आज़ाद है अपनी बात सबके समक्ष रखने के लिए , अपने विचार व्यक्त करने के लिए ! आज महिलाएं चूल्हा - चौका छोड़ देश की तरक्की में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं ! आज महिलाओं ने देश को विश्व स्तर पर काफी ऊंचा उठाया है ! आज महिलाओं ने हर क्षेत्र में अपनी उपलब्धि दर्ज कराई है ! आज देश की राजनीति में महिलाओं का क्या रुतबा है , हम सब इस बात को भली-भांति जानते हैं ! खेल क्षेत्र हो , ज्ञान - विज्ञानं , टेलीविजन , मीडिया , शिक्षा, लेखन आदि अनेक क्षेत्रों में अपना दबदबा दिखाया है ! कई क्षेत्रों में दिए गए शानदार योगदान पर आज हम नारी का गुणगान करने से नहीं थकते ! नारी तो हमेशा पुरुषों का आधार रही है ! सब कुछ कहीं ना कहीं नारी पर आकर ही टिकता है या यूँ भी कह सकते हैं की नारी नहीं तो पुरुष भी नहीं ! कभी पुरुषों की सफलता के पीछे नारी ! संस्कारों की जननी नारी ! खानदान , वंश की परंपरा, रीति-रिवाजों को मरते दम तक संभाल कर रखती है नारी ! इसलिए हमारे देश में नारी को " देवी " का दर्जा प्राप्त है ! ये तो प्रक्रति का नियम है एक पहलु अच्छा तो एक बुरा ! हम कहते हैं कि , आज की नारी आजाद है अपने विचारों को प्रगट करने के लिए , आजाद पुरुषों के साथ -साथ चलने के लिए है ! शायद ऐसा कहने में हमें अच्छा लगता है ! क्या हम सब इस बात का दिखाबा करते हैं , या हम दिखाबा पसंद लोग हैं ? आज तक हम लोग उन्हीं पहुंची हुई हस्तियों को ही महिला दिवस पर याद करते हैं या हम उन्ही हस्तियों का गुणगान करते हैं , सम्मान में कसीदे पढ़े जाते हैं जिनके बारे में हम जानते हैं देखते हैं या हमें बताया जाता है ! इस चकाचौंध में हम कहीं ना कहीं अपनों को अनदेखा करते हैं ! हम कभी भी अपने घर की महिलाओं की तरफ ध्यान नहीं देते, कहावत तो आपने सुनी होगी " घर की मुर्गी दाल बराबर " शायद हम उन महिलाओं को भूल जाते हैं , जो वाकई में कहीं ना कहीं महिला दिवस की असली हकदार हैं ! भले ही उन्होंने जग में अपना नाम ना किया हो, फिर भी उनका जज्बा , हालातों से लड़ने की हिम्मत , सहनशीलता ऐसी हजारों खूबियों से भरी होती है " भारतीय सम्पूर्ण नारी " जो सम्मान के लायक है !जिसने मेहनत की पर मुकाम हासिल ना किया हो तो, तो क्या हम उसको भूल जायेंगे ? मेरा सोचना है हमें उन महिलाओं को भी याद करना चाहिए जो अपने आस-पास हैं और कहीं ना कहीं महिला दिवस पर सम्मान पाने की हक़दार हैं ! जन्म देने वाली " माँ " पत्नि , बेटी , बहन ये सभी हकदार हैं सम्मान की ! एक मजदूर औरत जो एक एक ईंट के साथ मेहनत करके सुंदर भवनों को बनाने में अपना योगदान देती है और तब जाकर कहीं हम अपने ऊंचे महलों में ऐशोआराम से रहते हैं शायद ही कभी किसी ने आज तक उसका सम्मान किया हो , शायद हम उसका सम्मान कभी कर भी ना सकेंगे ! जीवन भर कड़ी मेहनत कर हम लोगों के भोजन की व्यवस्था करने वाला किसान और उसकी कड़ी मेहनत में बड़ी भूमिका निभाने वाली उसकी पत्नि की लेकिन आज तक उसकी भूमिका सिर्फ भूमिका बनकर ही रह गयी है , ये भी हक़दार हैं सम्मान की ! बहुत सी महिलाएं ऐशी हैं जो आज भी बड़ी ईमानदारी के साथ अपना काम कर रही हैं किन्तु उनके मान-सम्मान की किसी को भी चिंता नहीं हैं ,जीवन में एक बार उन्हें उनका सम्मान मिलना चाहिए ! आज हमें उन सभी नारियों का सम्मान करना होगा जो लडती है अपने मान-सम्मान के लिए , अपने अधिकार के लिए ! सम्मान करना होगा उन सभी का जिन्होंने हर बुरी परिस्थिति में पुरुषों का साथ दिया और कंधे से कन्धा मिलाकर कठिन पथ पर साथ - साथ चलीं , सम्मान करना होगा हर उस नारी  का जो हम सब से कहीं अधिक मेहनत करती है !

मेरी तरफ से विश्व की सभी महिलाओं को इस महिला दिवस पर नमन ! जो मेरी याद में हैं और जो गुमनाम हैं ...... में नमन करता हूँ समस्त नारी ब्लोगर्स को ..... नमन करता हूँ उन सभी को जो देश का नाम रौशन कर रही है !
 

धन्यवाद 

Tuesday, March 5, 2013

तीन - तिगाड़ा ----- काम बिगाड़ा ........>>> संजय कुमार

" तीन तिगाड़ा - काम बिगाड़ा " इसका मतलब हुआ कि आप अपना  कोई भी काम औने -पौने में ना करें !  ये कोई शगुन है या अपशगुन आज तक समझ नहीं आया ! मेरी नजर में चाहे एक हो या दो या हों तीन या चार सबका अपना -अपना अलग महत्त्व होता है ! हम जानते हैं  भगवान् शिव को " त्रिनेत्र " क्यों कहा  जाता है ! इंसान के जीवन में तीन का भी बहुत महत्त्व है ! महत्व तो बहुत सी चीजों का होता है बस फर्क सिर्फ इतना है कि हम उन्हें कितना महत्त्व देते हैं ! बदलते वक़्त के साथ बहुत कुछ बदला है ! इंसान बदला , उसकी सोच बदली साथ -साथ महत्व भी बदल गया ! ये पोस्ट मैंने आज से दो साल पहले लिखी थी  जिसमें इंसान से जुड़ी कुछ चीजें का उल्लेख किया था और उन पर मैंने अपनी राय दी थी , पिछले दो सालों में बहुत कुछ बदल गया ! इस बदलते वक़्त के साथ मेरी राय भी बदल गयी ! तो थोडा सा गौर फरमाइये !


इंसान के जीवन तीन चीजें ऐसी हैं जो उसे सिर्फ एक बार मिलती हैं 
१. माता-पिता  ( इंसान की उत्पत्ति इन्हीं से होती है , ईश्वर से बढकर है ये ) ----> 
                   ( बदलते वक्त ने इस  ईश्वर को भी ठोकरें खाने को मजबूर कर दिया है )
२. जवानी       (  इंसान के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण समय , जीत सको तो जग जीत लो )
                   ( बदला वक़्त और जवानी चल पड़ी नशा, जिस्मफरोशी के बाजार में )    
३. हुस्न          ( जवानी के साथ हुस्न भी अनमोल है , हुस्न गया सब गया, हुस्न के लाखों रंग - कौनसा रंग देखोगे  )    
                  ( बदला वक़्त .... आज हुस्न को हवस भरी निगाहों से घिरा पाओगे )

तीन चीजें इंसान को बहुत सोच समझकर उठानी चाहिए !
१. कदम         ( आपका उठाया गया एक गलत कदम आपका जीवन नष्ट एवं बर्वाद कर सकता है )
                   ( देश का माहौल ख़राब है .... घर से कदम निकालने में भी डर लगता है ) 
२. कसम        ( वादा करो तो ऐसा की " प्राण जाए पर वचन ना जाये " )   
                   ( बदलते वक़्त के साथ झूंठी कसमें -झूंठे वादे " वचन जाए पर ना जाएँ प्राण " 
३. कलम        ( कलम की ताकत को हम सब अच्छी तरह से जानते हैं , उठाओ सच्चाई के लिए ना की झूंठ के लिए ) 
                   ( बदलते वक़्त के साथ कलम भी बिक गयी )

तीन चीजें इंसान को बहुत सोच समझ का करना चाहिए , एक गलती जीवन भर भुगतान 
१. मोहब्बत    ( आज-कल मोहब्बत अंधी होती है , अब इसके बारे में क्या कहूं ? )
                  ( मुहब्बत के हो रहे सौदे  लुट रही इज्जत ..... सावधान  )
२. बात          ( अब बात कम बतंगड़ ज्यादा होता है वो भी गाली-गलौच और अशिष्ट )
                  ( अब भ्रष्ट नेताओं की बात निकलेगी तो दूर तलक जाएगी _
३. फैंसला      ( आजकल सब्र पूरी तरह खत्म हो चुका है , फैंसला " ON THE SPOT "  )
                  ( फैंसला होते होते सब कुछ खत्म हो जाता है ) 

इंसान के जीवन में तीन चीजें कभी इन्तजार नहीं करती  
१. मौत           ( रोज -रोज होते सड़क हादसों से लें सबक )
                    ( मौत से किसकी यारी है ... कभी भी इसके आगोस में जा सकते हैं ( हम इन्सान नहीं कीड़े-मकौड़े हैं ) 
२. वक़्त         (  लोहा जब गर्म हो तो हतौड़ा मार देना चाहिए , वर्ना " पछतावे होत का जब चिड़िया चुग गयीं खेत " )
                 ( आज वक़्त हमारे साथ नहीं ....... वर्ना ... खैर जो गुजरा वो वापस नहीं आएगा )
३. उम्र         ( उम्र कभी किसी का इन्तजार नहीं करती , जाग वन्दे अब ना जागेगा तो कब जागेगा )
                (  बदलते वक़्त के साथ ... अब तो उम्र का पता ही नहीं चलता ) 

इंसान को इन तीन चीजों को कभी छोटा नहीं समझना चाहिए 
१. कर्ज       ( किसान का पूरा जीवन कर्ज में ही निकल जाता है )
                ( हम तो कर्ज में पैदा हुए है और मर जायेगे , पूरा देश कर्ज में है )
२. फर्ज      ( फर्ज पर कुर्बान देश भक्तों को सलाम )
               ( अब हम सभी को अपना फर्ज निभाने की जिम्मेदारी लेनी होगी )
३. मर्ज़      ( एक चींटी हांथी पर भारी पड़ जाती है ) 
               ( कब सरकार जनता का मर्ज समझेगी )

इंसान को दर्द होता है इन तीन चीजों से 
१. धोखा    ( आज पल -पल पर धोखा खाता इंसान , धोखा अब इंसानी फितरत बन गया है )
              ( हम सब धोखा खाते हैं ... हम सब धोखा देते हैं ... क्यों सच कहा ना ? )
२. बेबसी  ( उफ्फफ्फ्फ़ ये बेबसी कब दूर होगी )
             ( मरते दम तक नहीं दूर होगी )
३. बेवफा  ( तेरी बेवफाई में ऐ सनम दिल दिया दर्द लिया )
             ( अब तो अपने ही बेवफाई पर उतर आये हैं ...... कौन बचाएगा ? )

तीन लोग इंसान को हमेशा खुश रखेंगे 
१. भगवान्  ( आज भी हम हर मुश्किल वक़्त में इन्हीं को  याद करते है )
               ( बदलते वक़्त के साथ वेचारा भगवान भी लाचार हो गया है वो  क्या - क्या करेगा )
२. दोस्त     ( सच्चे दोस्त पर सब कुछ कुर्बान )
               ( अब तो दोस्त बनकर लूटना , अपने दोस्त की जान लेना चलन बन गया है )
३. मेरा ब्लॉग  (  जो नए नए व्यंग्य , सन्देश और विचारों से भरा होगा )
                ( अब लोगों को ब्लॉग कम फेसबुक ज्यादा पसंद आता है ( चमचमाते चेहरे जो मिलते हैं ) 

कैसा लगा आपको ये तीन का तड़का , सच कहा या झूंठ ...... जरुर बताएं 

धन्यवाद