Saturday, May 29, 2010

भूंख, कभी ना शांत होने बाली.....>>>>> संजय कुमार

भूंख ! यह जरूरी नहीं की इन्सान को भूंख, सिर्फ पेट की भूंख को पूरा भरने के लिए लगती हो ! रोटी की भूंख तो इन्सान कैसे न कैसे मिटा ही लेता है ! लेकिन एक भूंख ऐसी है ! जिससे इन्सान का पेट कभी भी नहीं भरता , और वह भूंख है सफलता की भूंख ! सफलता पाने की भूंख एक ऐसी भूंख है जो कभी खत्म नहीं होती ! मैं कहता हूँ यह भूंख कभी खत्म होनी भी नहीं चाहिए ! जब तक आप सफलता न हासिल कर लें ! भूंख अच्छी है, अगर उसका उद्देश्य किसी अच्छे लक्ष्य को पाने के लिए हो ! अगर भूंख ऐसी हो जिसका लक्ष्य सफलता पाना हो, लेकिन गलत तरीके से , तो भूंख बुरी है ! इस भूंख का कोई अंत नहीं है ! और ना कभी होगा ! जैसे जैसे समय बढता जा रहा है ! जैसे जैसे आधुनिकता का चोला हम सब को अपनी गिरफ्त मैं ले रहा है , बैसे बैसे सफलता पाने का लक्ष्य भी बदलता जा रहा है ! आज का इंसान सफलता पाने के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा देता है ! और उसके बाद भी उसकी भूंख शांत नहीं होती ! भूंख यदि ऐसी हो जिसमे आपका लक्ष्य अच्छी सफलता पाना हो तो आपके लिए अच्छा है ! आपका समाज आपके चाहने बाले , आपके अपने आपके साथ होंतो बहुत अच्छा लगता है किसी भी सफल इन्सान को ! तब जाकर हम कह सकते हैं की आप एक सफल इन्सान है ! और आपने आज असली सफलता पा ली है ! आप एक श्रेष्ठ नागरिक कहलाने का हक और अधिकार रखते हैं !

आज जिसे देखो अपनी भूंख शांत करने के लिए सारी हदें पार कर रहा है ! फिर चाहे देश का युवा हो जो अपने को सफल बनाने के लिए और सफलता पाने के लिए किसी भी हद से गुजर रहा है ! हमारे देश की अभिनेत्रियाँ जो सफलता पाने के लिए कुछ भी कर गुजरने के लिए तैयार रहतीं हैं ! फिर चाहे पैसों के लिए या फिर और ज्यादा सफलता के लिए छोड़ दें सारी शर्मो-हया ! आज की अभिनेत्रियाँ जिस हद से गुजर रहीं हैं ! हमें भविष्य दिख रहा है ! की हम आगे अपने परिवार के साथ बैठकर कभी कोई फिल्म या टी व्ही सीरियल देख पायें ! क्योंकि इनकी भूंख ऐसी है जो मरते दम तक खत्म नहीं होगी ! भूंख, हमारी भटकती युवा पीड़ी की जो जल्द से जल्द सफलता पाने के लिए कोई भी घ्रणित कार्य करने से नहीं चूकती ! हमारे देश के नेताओं की कुर्सी पाने की भूंख ! इनकी भूंख ऐसी है जो शायद कभी नहीं मिटेगी ! और इनकी भूंख मैं ना जाने कितने बेक़सूर लोगों की जिंदगी उनका साथ छोड़ देंगी ! भूंख हमारे आज के साधू-संतों की जो जल्द से जल्द अपने आपको भगवान् का दर्जा दिलवाना चाहते हैं ! और इस भूंख को शांत करने के लिए ! आज देश मैं कर रहे हैं धर्म को बदनाम ! और इंसानियत को शर्मशार !

भूंख होना चाहिए ! सचिन तेदुलकर के जैसी जो आज भी भूँखा है रनों का जो देश की विजय मैं काम आयें ! भूंख होना चाहिए ऐसी सफलता पाने के लिए जो छोटी सी उम्र मैं हिमालय की चोटी पर पहुंचा दे ! अगर भूंख अपने देश की मान-मर्यादाएं बचाने के लिए हों तो अच्छा है ! भूंख, देश मैं फैले भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए हो तो अच्छा है ! हिन्दू-मुस्लिम के बीच की खाई को पाटने के लिए हो तो अच्छा है !

भूंख अगर अच्छे के लिए है तो अच्छा ............अगर गलत के लिए हो तो, बहुत बुरी ............................

धन्यवाद

Thursday, May 27, 2010

शराब और सिगरेट स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद, हमारे या सरकार के लिए....>>>> संजय कुमार

सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है ! तम्बाखू खाने से केंसर होता है ! धुम्रपान, गुटखा और शराब से शरीर खराब होता है ! यह जानलेवा हैं ! इस नशे से दूर रहिये ! इस तरह के विज्ञापन हमने हर जगह लिखे देखे होंगे ! यह विज्ञापन लिखना उन कम्पनियों को अति आवश्यक होता है ! जो कंपनी इनका उत्पादन करते हैं और इनका विक्रय करते हैं ! क्योंकि सरकार नहीं चाहती की लोग इन नशों से होने बाले परिणाम से अनभिज्ञ रहें ! और आम इन्सान इन नशे का उपयोग कम से कम करे ! लगता है सरकार को बहुत चिंता हैं ! देश के उन लोगों की जो नशा करते हैं ! शराब या गुटखा का सेवन करते हैं या फिर तम्बाखू या सिगरेट का उपयोग करते हैं ! फिर भी इस देश मैं बहुत बड़ा वर्ग ऐसा है ! जो कहीं कहीं ना कहीं किसी ना किसी नशे से जुडा हुआ है !और अब तो दिन प्रतिदिन ऐसे लोगों की संख्या मैं इजाफा हो रहा है ! इसमें से बड़ी संख्या मैं हमारे देश का भविष्य यानी हमारा युवा वर्ग होता है ! जो धीरे धीरे इन नशा करने बाली चीजों का गुलाम होता जा रहा है ! यह नशा इन युवाओं के सामने परोसा जा रहा है ! विज्ञापन के द्वारा ! तो कब तक बच पायेगा आज का युवा ! कब तक रोक पायेगा अपने आप को नशा ना करने से ! नहीं रोक सकता ! आज एक से दो, दो से चार और लगातार संख्या बढ़ रही है नशा करने बालों की ! पहले छोटा और फिर धीरे-धीरे बड़े नशे तक , फिर आदि हो जाते है ! क्या वाकई मैं सरकार चाहती है कि इस देश मैं नशीली चीजों कि बिक्री तो हो पर हमारा युवा इस और ना भटके ! और यह देश और यहाँ के लोग नशा मुक्त हों ! कहाँ तक पूरी होती है सरकार कि यह नीति ! यह तो आप सब जानते ही होंगे कि, इन विज्ञापन का क्या असर होता है ! नशा करने बालों पर ! शायद विज्ञापन नशे से दूर रहने के लिए नहीं बल्कि ज्यादा से ज्यादा नशा करने के लिए होता है ! यह विज्ञापन ! आज शायद यही कहता है वह विज्ञापन जो हमें टेलीविजन के द्वारा दिखाए जा रहे हैं !


आज से कुछ समय पहले सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया था कि ! हिंदी फिल्मों मैं अब सिगरेट हाँथ मैं लिए ना तो हीरो दिखेगा और ना विलेन ! क्योंकि इन सब से इन चीजों को बढावा मिलता है ! और इसका सीधा सीधा प्रचार होता है ! शायद सरकार अपनी यह बात भूल गयी है ! अब शायद फिल्मों मैं हीरो सिगरेट ना पीता हो ! लेकिन आज टेलीविजन पर रोज कई बार ! वियर , पान तम्बाखू और गुटखा का विज्ञापन बार बार दिखाया जारहा हैं ! क्या इन विज्ञापनों से सरकार आम जनता का भला कर रही है या बुरा ! यह तो हम नहीं जानते किन्तु हमारा युवा जरूर इन विज्ञापनों कि तरफ आकर्षित हो रहा है ! वह यह जानना चाहता है कि टी व्ही पर आने बाला वियर का विज्ञापन आखिर क्या चाहता हैं ! क्या वह इनका ज्यादा से ज्यादा उपयोग करे या इनका बहिष्कार ! असमंजस मैं है स्थिति ! दूसरी और गुटखों के विज्ञापन ये मशाला बो पान बहार , दुनिया भर के विज्ञापन आज हम सब अपने परिवार के साथ बैठकर देखते हैं ! जब परिवार का सबसे अबोध बच्चा इस विज्ञापन के बारे मैं पूंछता है तो माँ-बाप को समझ नहीं आता कि उसको क्या जबाब दें ! क्योंकि टेलीविजन पर जो विज्ञापन आते हैं उनका मकसद तो हमेशा यही होता है कि आप सबसे ज्यादा दिखाए जाने बाले विज्ञापन के उत्पाद का उपयोग करें ! तो फिर हम इसका उपयोग क्यों ना करें ! जब टेलीविजन पर एक विज्ञापन देखा जिसमे गुटखा और तम्बाखू से होने बाली बीमारियों को दिखाया जा रहा था ! जिसमे गुटखा के उपयोग के बाद हुए केंसर को दिखाया गया और दिखाया गया भयानक चेहरा , जिसे देखकर कोई भी कमजोर दिल का आदमी डर जाए ! जैसे यह विज्ञापन समाप्त होता है तभी दूसरा विज्ञापन आता हैं जिसमे एक गुटखा
कंपनी का प्रचार आता है ! और प्रचार मैं दिखाया जाता है ! आप अपने पूरे परिवार के साथ खाएं ये पान मशाला ! सरकार यह सब देख रही है या देखकर बस यूँ ही अनजान बन रही है !

सरकार नहीं चाहती इन विज्ञापनों को बंद करना ! क्योंकि यह विज्ञापन सरकार को मोटी रकम जो अदा करते हैं ! आज देश मैं सरकार को सबसे ज्यादा आमदनी इन नशीले पदार्थों के विक्रय से ही होती है ! तो फिर सरकार क्यों चाहेगी इन का विज्ञापन बंद करवाना ! इन विज्ञापनों को देखकर जितने ज्यादा युवा लड़के और लड़कियां इनकी तरफ आकर्षित होंगे , उतनी ज्यादा इनकी विक्री बढेगी ! और जितनी ज्यादा बिक्री उतना ज्यादा फायदा सरकार को या यूँ कहेंगे सरकार के आला मंत्रियों को क्योंकि इनकी कमाई का एक बड़ा हिस्सा इनको भी तो जाता है ! तो फिर आप ही बताएं शराब , सिगरेट , तम्बाखू और गुटखा हैं ना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक .... माफ़ करना हम आम जनता के स्वास्थ्य के लिए नहीं बल्कि सरकार के स्वास्थ्य लिए ..................

अगर यही आलम रहा तो सरकार एक दिन ..........हमारे सामने, हमारे लिए मौत बेचेगी और हम लोग बाज़ार से मौत खरीद कर लायेंगे.............अब वह दिन ज्यादा दूर नहीं .................

धन्यवाद

Wednesday, May 26, 2010

आज हर जगह से ठुकराया हुआ हूँ मैं, कहीं बन्दूक ना उठा लूं ....>>>> संजय कुमार

अभिशाप एक ऐसा शब्द जो किसी इन्सान के साथ अगर जुड़ जाए तो उस इन्सान की क्या स्थिति होती है हम यह सब भली-भांति जानते हैं ! फिर अभिशाप कोई भी हो ! अभिशाप चाहे गरीबी का हो या भुखमरी का ! अभिशाप आतंकवाद का, या फिर अभिशाप हो बेरोजगारी का ! यह ऐसे अभिशाप हैं जो इन्सान को घुट-घुट कर जीने को मजबूर करते हैं ! जिसमे इन्सान की जिंदगी तवाह हो सकती है ! मैं यहाँ बात कर रहा हूँ बेरोजगारी की ! आज के इन्सान के लिए या किसी युवा के लिए बेरोजगारी एक बहुत बड़ा अभिशाप है ! और इस अभिशाप के आज हम सब बहुत बुरे परिणाम भुगत रहे हैं ! इस अभिशाप को कोई इन्सान अपने ऊपर नहीं लेना चाहता ! बस इससे हमेशा दूर रहना चाहता है !

मैं यहाँ बात कर रहा हूँ ! एक लाचार और हर जगह से हारे पिटे बेरोजगार के दिल की ! जिनकी संख्या आज इस देश मैं तेजी से बढ़ रही हैं ! यहाँ तक की आज का बेरोजगार युवा बन्दूक तक उठाने को मजबूर हो गया है ! एक छोटी सी नौकरी की आस अपने दिल मैं लिए, यूँ काम की तलाश मैं दर दर भटक रहा है ! आज हिंदुस्तान का एक बहुत बड़ा युवा वर्ग, पूरी तरह से बेरोजगार है ! और मजबूर है ऐसी जिंदगी जीने को ! जो कोई भी इन्सान जीना नहीं चाहता ! एक बदनुमा दाग हमारे समाज का ! समाज मैं हमेशा घ्रणा का शिकार होने बाला बेरोजगार जिसे समाज का कोई वर्ग अपनाना नहीं चाहता ! घर का एक ऐसा बोझ जो सह रहा है अपनों की नफरत ! और पल पल पर मिलती घ्रणा और जिसे हमेशा हेय की द्रष्टि से देखा जाता है ! सब कुछ सहता है बिना कुछ बोले गुनाहगारों की तरह ! ऐसी है जिंदगी आज के बेरोजगार की ! कोई भी पड़ा लिखा या अनपढ़ इस तरह की जिंदगी नहीं जीना चाहता ! जिस तरह हिंदुस्तान मैं गरीबी और भुखमरी एक अभिशाप है ! ठीक उसी तरह बेरोजगारी एक बहुत बड़ा अभिशाप है किसी भी इन्सान के लिए जो बेरोजगार है ! किसी घर मैं एक बेरोजगार की स्थिति , पल पल पर अपनों के ही ताने सुनता ! और ऐसा व्यव्हार पल पल पर सहता जो उसके साथ नहीं होना चाहिए ! और जब इस तरह के व्यव्हार को ज्यादा सहते सहते, उसके सब्र का पैमाना टूटता है तो हमारा युवा वर्ग पकड़ता है एक गलत राह ! जो किसी भी समाज के लिए हमारे देश के लिए अच्छा नहीं है !जो उसको सबका दुश्मन बना देती है ! हमने कई बार देखा है की हमारे कई होनहार युवा इस बेरोजगारी के चलते आज गलत राह पकड़कर अपना जीबन बर्वाद कर रहे हैं ! कारण उनके पास एक अच्छी नौकरी नहीं हैं ! ऐसा नहीं हैं की नौकरी पाने के लिए ये युवा महनत नहीं करते, या उनकी लगन सच्ची नहीं हैं ! बहुत कुछ हुनर होने के वावजूद आज के रिश्वतखोरी , बेईमानी, भ्रष्टाचार के माहौल मैं उनकी योग्यता भेंट चढ़ गई दूषित लोगों के बीच ! और वहीँ कुछ अयोग्य, घूस देकर आज शान से बैठे हैं ऐसे पदों पर जिनसे उन पदों की गरिमा को धब्बा लग रहा है !

अब यह अक्सर देखने को मिल जाता है की हमारे युवा अच्छी नौकरी ना मिलने के कारण किस और अपने कदम बड़ा रहे हैं ! अपराध की दुनिया ! जी हाँ यह बिलकुल सहीं है यहाँ पर इन्हें किसी भी योग्यता की जरूरत नहीं है ! बहुत जल्दी पैसा कमाने के चक्कर मैं सब कुछ करने को तैयार हो जाते हैं ! आज कितने ही युवा अपराध मैं BA... MA.. कर चुके हैं ! कारण उनके पास नहीं था कोई काम ! हिंदुस्तान के ह्रदय कश्मीर को तो आप जानते ही होंगे ! कई बेरोजगारों के हाँथ मैं हमारे दुश्मनों ने बंदूकें थमा दी हैं ! और आज यही युवा अपने ही भाइयों का खून बहा रहे हैं ! काश सरकार ने इन बेरोजगारों को रोजगार मुहैया कराया होता तो आज ऐसा ना होता हमारा देश ! क्योंकि इन बेरोजगार युवाओं को रोजगार के लिए मिलने बाली राशि, कैसे पूरी तरह से बेईमानी के सागर मैं समां जाती है ! और बेरोजगार रह जाता है बेरोजगार ! अगर जल्द इन बेरोजगारों को रोजगार नहीं मिला तो वह दिन दूर नहीं जब यह युवा अपने हाँथ मैं कलम की जगह बन्दूक उठाये घूमेंगा .........................और हर जगह, पल पल पर मचेगा कत्लेआम ..................

धन्यवाद

Tuesday, May 25, 2010

आइये मिलते हैं दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकवादी से.....>>>> संजय कुमार

अमेरिका ने अभी हाल ही मैं विश्व के सबसे खूंखार आतंकवादियों की सूची जारी की है ! जिसमे सबसे पहला नाम आया ओसामा बिन लादेन का ! अरे भई आना भी था , क्योंकि लादेन ने अमेरिका वासियों का जीना जो मुस्किल कर रखा है ! आये दिन कोई ना कोई वहां धमाकों से सम्बंधित वारदातों मैं जो पकड़ा जा रहा है ! आतंकवाद एक ऐसा अभिशाप जो इस विश्व मैं दिन दूनी रात चौगनी तरक्की कर रहा है ! और हम कुछ भी नहीं कर पा रहे हैं ! आज तक हजारों लाखों बेक़सूर इंसानों को निगल चुका है यह आतंकवाद ! और आगे ना जाने कितनों को निगलेगा ! दिन बा दिन आतंकवाद का शिकार होते मासूम लोग ! और हम सब निभाते मूक दर्शक की भूमिका ! आतंकवाद ना तो कोई जाति धर्म देखता है और ना ही छोटे बड़े का भेद ! और ना ही हिन्दू -मुस्लिम, सब को निगल लेता है ! यह आतंकवाद लगता है अब कभी खत्म नहीं होगा ! हम सब फिर भी लड़ेंगे जब तक इस शरीर मैं जान हैं ! इनकी लड़ाई इंसानियत से हैं ! और बिना किसी मुद्दे के आतंकवाद फैला रहे हैं !.....................

आज मैं जिस आतंकवादी की बात आपसे कह रहा हूँ ! हम सब उस आतंकवादी से भली-भांति परिचित हैं ! बो है हमारा अपना जाना पहचाना या यूँ भी कह सकते हैं हम लोगों द्वारा पैदा किया हुआ आतंकवादी ! जो धीरे -धीरे अपनी पकड़ को मजबूत बना लेता है ! और हो जाते हैं, हम उसका शिकार ! हम इस आतंकवादी का भी कुछ नहीं बिगाड़ सकते ! यह आतंकवादी हमारा पारंपरिक आतंकवादी है !और यह परम्परा पर आज भी टिका हुआ है ! यह आपको हर जगह मिलेगा ! या यूँ कहेंगे हम की, हिंदुस्तान के हर घर मैं आपको यह आतंकवादी मिलेगा ! चारों और इस आतंकवादी को आप कभी देख सकते हैं ! इस आतंकवादी की कोई जात नहीं हैं ! यह भी किसी को नहीं छोड़ता ! बच्चे बूढ़े हों या जवान ! हर किसी को अपना शिकार बना लेता हैं ! और कभी भी पहुंचा देता हैं मौत के द्वार ! यह झुण्ड मैं हमला करता है ! और कई इंसानों पर एक साथ यह अपने समस्त कुटुंब के साथ नर मांदा एवं बच्चे सब मिलकर हमला करते हैं ! आज भी यह हमारे घर मैं मौजूद हैं! और आगे भी रहेगा ! हम सब नित नए नए हथकंडे अपनाते हैं इसे खत्म करने के! फिर भी इन्सान तो हार जाता है और कहता है इसे खत्म करना हमारे बस का नहीं हैं ! आप इससे कितना भी बचने की कोशिश करें जीवन मैं एक ना एक बार आप इसका शिकार जरूर हुए होंगे ! यह बात मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूँ ! यह है हम सब का रक्त पिपाशु ! इनके हथियार हैं इनके धारदार एवं नुकीले डंक जो एक बार बस चुभा दें! फिर क्या इन्सान के साथ होता है यह भी हम जानते हैं ! इससे तो कोई भी नहीं बच पाता नेता अभिनेता, साधू या शैतान , दोस्त या दुश्मन किसी को भी नहीं छोड़ता ! इसके लिए होते सब इन्सान एक समान ! अमेरिका की लिस्ट मैं जो आतंकवादी हैं उन्होंने तो सिर्फ आज तक बेक़सूर लोगों को ही मारा है ! पर इसने किसी को भी नहीं छोड़ा ! क्योंकि यह भ्रष्ट नहीं हैं और ना ही देश का गद्दार है ! इसने हम सभी को कई तरह से मारा है कई प्रकार से पीड़ित किया है ! फिर चाहे सर्दी हो या गर्मी या फिर बरसात ! हर मौसम मैं इसके मारे मिल जायेंगे ! इसने हम सबको कितनी बीमारियाँ दी हैं ! मलेरिया , डेंगू , टायफाइड, और दुनियाभर की बीमारी ! और आगे भी देता रहेगा !अब तक आप सब समझ गए होंगे मैं किस खतरनाक आतंकवादी की बात कर रहा हूँ ! अब मैं इस आतंकवादी का नाम आपको बता ही देता हूँ ! और उसका नाम है मच्छर बिलकुल सही कह रहा हूँ मैं ! अजी हम सबके प्यारे "मच्छर महाराज " जो कई वर्षों से हम सब का खून चूस रहे हैं ! और आगे भी चूसते रहेंगे ! इस आतंकवादी का तो सरकार भी कुछ नहीं कर सकती ! सिर्फ खत्म करने का उपाय ही ढूँढती रहती हैं ! और यह अपनी मस्ती मैं मस्त होकर अपना आतंकवाद फैलाता रहता है ! इससे सबे ज्यादा पीड़ित निचले तबके के लोग होते हैं ! जिनके पास इस आतंकवादी से लड़ने का कोई हथियार नहीं होता ! बैसे हथियार तो बहुत हैं लेकिन वह भी सब के सब फ़ैल हैं ! All-out, Mortin, और मच्छर भगाओ अगरबत्ती ! पर इसके आगे सब कुछ बौना साबित होता हैं !

सरकार इस आतंकवादी को एक बार जड़ से समाप्त करके बताये ! तब हम मान सकते हैं की सरकार हर आतंकवादी का सफाया कर सकती है ! अरे इसके खौफ से तो सरकार के आला अफसर तक डरे रहते हैं !
तो अब आप बताएं ! है ना यह दुनिया का सबसे बड़ा आतंकवादी ........और निरंतर चलता रहेगा इसका आतंकवाद

धन्यवाद

Sunday, May 23, 2010

क्या भगवान् भी भूँखा है,...सोना-चांदी, रूपए-पैसे का.....>>>> संजय कुमार

दो दिन पहले खबर सुनी कि कर्नाटक की एक दंपत्ति ने शिर्डी के सांईबाबा मंदिर पर १०० किलो चांदी दान मैं दे दी ! क्योंकि उस दंपत्ति की आस्था साईंबाबा मैं थी ! क्या आस्था का भी कोई मोल होता है ! क्या यही है सच्ची आस्था ! तिरुपति बालाजी पर चढ़ गया ५ करोड़ का सोना और करोड़ों रूपए ! आज कल जो जितना ज्यादा चढ़ावा चढ़ाएंगे उनकी आस्था उतनी सच्ची होगी ! अब यह भगवान् और ट्रस्ट दिन बा दिन अमीर होते जा रहे हैं ! दुनिया मैं सबसे अमीर मदिर ट्रस्ट, भगवान तिरुपति बालाजी ! इस मंदिर मैं साल भर मैं इतना चढ़ावा आता है जितना किसी छोटे मोटे उद्योग की आमदनी ! भई बहुत खूब आज भगवान दिन बा दिन अमीर होता जा रहा है ! और बेचारी जनता दिन बा दिन गरीब और भूंखी ! इसी तरह और भी मंदिर हैं जहाँ लाखों करोड़ों का चढ़ावा आता है ! माँ-वैष्णों देवी जैसे और भी बहुत मंदिर हैं जो दिन दूनी रात चौगनी तरक्की कर रहे हैं ! जहाँ आस्था और भक्ति के नाम पर लाखों करोड़ों चढ़ाए जा रहे हैं ! अरे भई चढ़ाएं भी क्यों नहीं ! जनता की महनत की कमाई जो है ! हमारे कई जाने माने मंत्री अपने दोनों हांथो से जो लुटाते हैं ! माफ़ कीजिये दान करते हैं ! मत्री जी का नाम हो गया और भगवान का मान और महत्व पहले से ज्यादा बढ गया ! जो लोग नहीं जानते थे वह भी जान गए मंदिर के महत्व और उसकी शक्ति को ! जब एक भूँखा और गरीब इस तरह की खबर सुनता है !तो क्या कहता है , वाह रे भगवान क्या यही है हम लोगों के साथ तेरा न्याय ! हम भूख और गरीबी से मर रहे हैं , और तेरे कोठर सोना-चांदी से भरे पड़े है ! क्या तू भी इन्सान हो गया ! क्या तू भी भूँखा है इस दौलत का ! जब तेरे मंदिर मैं कोई लाखो करोड़ों चढ़ाएगा तभी वह और सच्चा भक्त कहलायेगा ! अगर हम बड़ा दान नहीं करेंगे .... तो क्या तू हमारी फरियाद नहीं सुनेगा .....................

कहते हैं सोना चांदी, रूपए पैसे की भूंख और लालच , सिर्फ इन्सान को होती है भगवान् को नहीं ! बात भी सही है! आज इंसान अपनी इंसानियत तक भूल चुका है इस धन-दौलत के लालच मैं ! आज इन्सान इस पैसे के लिए क्या नहीं कर रहा है ! वह सारे काम जिन्हें देखकर एक बार भगवान भी शर्मशार हो जाये पर यह इन्सान नहीं होता ! इतनी ताक़त है इस आज के या यूँ कहें कलियुग के भगवान मैं ! लेकिन आज सबसे ज्यादा भगवान इसी बात से दुखी है ! की मेरा महत्व आज पैसे से आँका जा रहा है ! मैं तो सिर्फ अपने भक्तों की भक्ति और निश्छल प्रेम का भूँखा हूँ ! तो फिर क्यों मुझे आज का इन्सान पैसों मैं तौल रहा है ! क्यों मेरी बोली लगा रहा है ! कौन सबसे बड़ा भक्त है मेरा ! कौन सबसे ज्यादा चढ़ावा चढ़ाता है ! बात भी सही है ! भगवान कभी भी पैसों का भूँखा नहीं होता ! होता हैं तो सिर्फ प्रेम का भूँखा ! भगवान् को एक सच्चा इन्सान चाहिए ..............ना की दौलत से तौलने बाला ..........

आज जितना पैसा इन मंदिरों पर चढ़ाया जा रहा है ! अगर उस पैसे को किसी निर्धन की निर्धनता दूर करने मैं लगाया जाये तो ईश्वर भी खुश होगा ! और यह बात भी सार्थक हो जाएगी की निर्धन का भगवान् होता है ! अगर यह पैसा बेरोजगारों को रोजगार दिलाने मैं उपयोग किया जाए तो कितना अच्छा हो ! अगर यह पैसा उन बुजुर्गों की देखभाल पर उपयोग किया जाए जो अपने ही बच्चों द्वारा ठुकराए हुए हैं ! और आज दर दर की ठोकर खाने को मजबूर हैं ! इस पैसे का उपयोग उन विधवाओं के पुनर्वास पर होना चाहिए , जिनके पति देश की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए ! क्योंकि सरकार तो इनके लिए कुछ करेगी नहीं ! काश भगवान् के द्वारा ही इनका उत्थान हो जाये ! इस धनं का उपयोग उन छोटे छोटे मासूम बच्चों पर हो ! जिनके सर पर ना माँ-बाप का साया हैं और ना ही उनके सर पर कोई छत ! जिससे यह देश का भविष्य भटकने से बच जाए ! इस धन का उपयोग उन किसानो के लिए हो जो इस देश को बहुत कुछ दे रहे हैं ! फिर भी ऐसी जिंदगी जीने को मजबूर हैं जो नरक से भी बदतर हैं ! अगर इस धन का उपयोग इन सब के लिए हो तो भगवान् पर चढ़ने बाले इस धन का महत्व और बढ़ जायेगा ! और भगवान् भी यही चाहता है ! मुझ पर चढ़ने बाला धन किसी की तकलीफ दूर करने के लिए हो ! ......................लेकिन आज का इन्सान भगवान् की सुनता कहाँ हैं ............आज भगवान् की चलती किसके सामने .............भगवान् भी आज की यह स्थिति देखकर बहुत दुखी

भगवान् नहीं है भूँखा सोना-चांदी, और रूपए पैसे का ...............भूँखा है तो इन्सान और ऐसा भूँखा जिसकी भूंख कभी नहीं मिटेगी .................भगवान् को चाहिए निश्छल प्रेम और सच्ची आस्था ............

धन्यवाद

Friday, May 21, 2010

कहीं नेताजी की नजर ,इन पर ना पड़ जाये... नहीं तो ( व्यंग्य ) ...... >>> संजय कुमार

हिंदुस्तान के नेताजी और उनके कार्यों का क्या कहना ! एक पहुंचे हुए या विख्यात पुरुष के रूप में जाने जाते हैं ! या यूँ कह सकते हैं वह व्यक्ति जिसके पास होती है पारखी नजर और पहुंचे हुए लोगों की खोज करने बाला ! अरे नहीं समझे भई ..... अपनी पार्टी के लिए बिख्यात लोगो को ढूढने बाला खोजी नेताजी ! जिन्होंने अपनी ही पार्टियों के लिए ढूढे ऐसे लोग जो पहले से ही बहुत पहुंचे हुए थे ! अरे भई हम सबके प्यारे बाहुबली सांसद और नेता ! आज ऐसे ही लोगों की तलाश में रहते हैं हमारे खादीधारी खोजी नेता ! फिर इनकी खोज की चाहे कोई भी कीमत हमारी प्यारी जनता को चुकानी पड़े ! क्या आप भूल गए डाकू फूलनदेवी को जो कभी दस्यु सुन्दरी हुआ करती थी ! जब उन्होंने खून-खरावा छोड़ दिया तो हमारे नेताओं की खोजी नजर उन पर पड़ ही गयी ! और देखते देखते हम सब के बीच हमारी प्रिये नेता बन गयी ! फिर शहाबुद्दीन हों या राजा भैया , पप्पू यादव हों या अन्य कोई सांसद हमारे नेताओं की खोज ही हैं , यह सब कहाँ थे पहले जब इनके ऊपर हमारे नेताओं का रहमों करम हुआ ! और आज हम सब के बीच में यह लोग आराम की (ऐश ) जिंदगी बिना किसी झंझट के मजे से सरकारी खर्चे पर जी रहे हैं ! सब हमारे नेताओं की बजह से ही तो संभव हुआ है ! जय हो देश के महान पुरुषों ............कुछ दिनों पहले खबर लगी की कुख्यात सरगना अबू-सलेम भी अब चुनाव मैदान में कून्दने बाला हैं ! तब तो और मजा आ जायेगा ! हमारे खोजी नेताजी इनसे भी बड़ा बाला कोई कुख्यात, कहीं से भी किसी भी हालत में ढूंढकर ले आयेंगे और इसके विपक्ष में खड़ा कर देंगे ! और फिर यह लोग इस देश को कुख्यात लोगों की ऐशगाह बना देंगे !

हमारी सरकार तो सिर्फ इतना सा आदेश दे दे की , प्यारे नेताओं आप को खुली छूट दी जाती है , आप हिंदुस्तान की किसी भी जेल से कोई भी छोटा बड़ा आतंकवादी, छोटा बड़ा गंगस्टर , सबसे बड़ा हत्यारा जिसके सर १०० -१५० खून हों या कोई नरपिशाच , बलात्कारी और इस तरह की सारी खूबियों बाले इन्सान को अपनी पार्टी के लिए चुन सकते हैं ! तो देखिये क्या होता है फिर ? अरे भई पार्टिया और आज के यह दल कम पड़ जायेंगे ! या फिर कोई नेता अपनी असली पार्टी को छोड़कर इन लोगों के साथ एक नयी पार्टी का गठन कर लेंगे ! काश कुख्यात सरगना "डी कम्पनी " भी भारत में होता तो हमारे नेताजी उनको भी अपनी पार्टी में लेने के लिए सब कुछ करने को तैयार हो जाते ! पर बो तो कहीं दूर बैठा है जिसको हमारे नेताजी नहीं खोज पा रहे हैं ! अभी तक फांसी की सजा काट रहे अफजल गुरु पर भी नेताओं की नजर नहीं पड़ी ! नहीं तो संसद पर हमले में शामिल यह महाशय आज वहीँ संसद में बैठा होता ! सब नेताजी की कृपा है !

अगर यह इजाजत मिल जाये की ! आप लोग कहीं से भी अपनी पार्टी के लिए उम्मीदवार चुन सकते हो , देश या विदेश कहीं से भी , तो नेताजी सबसे पहले पाकिस्तान भागेंगे क्योंकि हमारे यहाँ से ज्यादा तो वहां पर अनेकों खूबियों बाले एक से बढ़कर एक मिल जायेंगे ! मैं कहता हूँ नेताजी को वहां जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी ! हमारे यहाँ की जेलों में कई कुख्यात आतंकवादी बंद हैं ! जिनकी देखभाल हम किसी अतिथि से कम नहीं करते ! अरे उन्हीं में से कोई एक आध अच्छा ढूंढ लेंगे ! अरे मैं तो भूल ही गया ताजा ताजा आतंकवादी तो हम सब जानते ही हैं ! अरे भई मुंबई हमलों का दोषी "मियां कसाब" अब तो उसे फांसी की सजा भी हो गयी है , उसके पास तो सब कुछ हैं ! क्योंकि उसे फांसी की सजा तो हो गयी , लेकिन उसे फांसी मिलती कब है, यह कोई नहीं जानता ! अगर नहीं मिली तो वह जरूर इन नेताओं की पकड़ में एक दिन अवश्य आ जायेगा ! और फिर ..........

क्योंकि आज हम सब के प्रिये "राजीव गाँधी" की हत्या करने बाली महिला नलिनी की फांसी की सजा भी माफ़ हो गयी है ! और वह अब बाहर आने बाली है ! उस पर भी इन नेताओं की नजर पड़ेगी ! और फिर क्या होगा यह बात हम सब अच्छी तरह से जानते हैं ! वह भी एक स्टार बनकर हम सब के सामने होगी !

अब तो हम सबको डर लगने लगा है , की ऐसे लोगों पर ...........कहीं नेताजी की नजर ना पड़ जाये , कहीं पड़ गयी तो फिर क्या ?

धन्यवाद

Thursday, May 20, 2010

मैं अन्धविश्वास बेचने आया हूँ, क्या आप खरीदोगे....>>>> संजय कुमार

क्या आप परेशान हैं ! क्या आपको बार-बार नजर लग जाती है ! क्या आपके व्यवसाय मैं घाटा हो रहा है ! या आपका बच्चा पढ़ाई मैं कमजोर है , या आप माँ नहीं बन पा रहीं है ! या फिर आपकी बेटी की शादी नहीं हो रही है , या बार-बार सगाई होकर सम्बन्ध टूट रहा है ! नई गाडी का अक्सिडेंटहो गया ! या आपका पति आप से ज्यादा किसी और को चाहता है ! क्या हैं, आपके पास इस तरह की कोई समस्याएं ! तो फिर आप देर क्यों कर रहे है ! अब हम करेंगे आपकी हर समस्या को दूर ! हमे फोन कीजिये और जीवन की हर समस्या के मुक्ति पाइए ! आप सही जगह आ गए हैं ! यहाँ आपको मिलेगा आपकी हर समस्या का समाधान ! अब देर मत कीजिये और आज ही फोन कीजिये और मंगवाइये ! नजर सुरक्षा कवच ! या फिर हनुमानजी कवच या फिर शिव मंत्रित एक मुखी रुद्राक्ष ! आपको मिल रहा है सिर्फ हमारे पास सबसे सस्ता ! और आज ही फोन करने पर आपको यह फ्री मिलेगा और बो फ्री मिलेगा ! आज आप कोई भी टी व्ही चैनल उठाकर देख लीजिये सुबह हो शाम , दिन हो या रात हर वक़्त कोई ना कोई कुछ ना कुछ बेचता हुआ मिलेगा ! लेकिन इन्सान को आज अन्धविश्वास भी बेचा जा रहा है ! जो लोग जरा से भी अन्धविश्वासी होते हैं !या इन सब बातों मैं यकीं रखते हैं , वह फंस जाते हैं ! ऐसे उत्पादों को बेचने बालों के चक्कर मैं ! और सच समझ लेता है यह अन्धविश्वास !

आज जिसे देखो अन्धविश्वास की दूकान खोलकर बैठ गया ! और हम सब को पूरी तरह अन्धविश्वासी बनाने को ! क्या वाकई मैं ऐसा कोई कवच है , जो इन्सान की सारी समस्याएं दूर कर सकता है ! और इन्सान को एक ऊंची बुलंदी पर पहुंचा सकता है ! यदि ऐसी कोई चीज होती तो इंसान आज गरीब क्यों होता ! क्यों बेरोजगार होता ! और क्यों आज इतना दुखी होता ! हर कोई छोटी मोटी रकम देकर अपनी सारी समस्याएं दूर कर लेता !आज इन्सान अपनी गलतियों को नहीं देखना चाहता और सच बात को नकार कर अन्धविश्वास को बढ़ावा दे रहा है !
हिंदुस्तान मैं संवेदनशील लोगों की कमी नहीं हैं ! इसके पीछे हमारा नम्र स्वाभाव होता है ! जो हम सभी की एक विशेष पहचान होती है ! ऐसा स्वाभाव जिसमे सब कुछ सच होता है ! किसी भी तरह का दिखावा या झूंठ नहीं होता ! इसलिए हम सब सहसा किसी भी बात पर बिना सोचे समझे विश्वास कर लेते हैं ! यह हमारी कमजोरी भी है ,और हमारी पहचान और ताक़त जो हमें पूरे विश्व मैं एक अलग पहचान देती है ! ठीक उसी तरह हिंदुस्तान मैं रस्सी को सांप समझने बालों की भी कमी नहीं है ! और ऐसे लोगों को हम अन्धविश्वासी कहते हैं! जो सच से कहीं परे होता है !और टिका होता है कहीं ना कहीं एक झूंठ पर ! जिनका इन्सान के जीवन से कहीं दूर दूर तक लेना नहीं होता ! और इस तरह के उत्पाद बेचने बाले ! हमारे भोलेपन का फायदा उठाते हैं ! और धीरे धीरे हमें जकड़ता जा रहा है ! अन्धविश्वास मैं ! और इस अन्धविश्वास मैं हम खो रहे हैं अपने असली सुख को !

कहते हैं अन्धविश्वास भोलेभाले गाँव बालों मैं होता है ! जो अनपढ़ होते हैं बो अन्धविश्वास पर जल्दी यकीं कर लेते हैं ! किन्तु आज हमारा पढ़ा लिखा और जाग्रत समाज भी कहीं ना कहीं अन्धविश्वास के जाल मैं पूरी तरह फंसा हुआ है ! ज्यादा और जल्दी बुलंदी पाने के लिए वह इन पर अन्धविश्वास की दुकानों को चलाने मैं अपना पूरा पूरा योगदान दे रहे हैं ! आज ऐसे इन्सान अपने कर्म से ज्यादा अपनी किस्मत को ज्यादा मानते हैं ! और एक अन्धविश्वास उनके साथ हमेशा से उनके साथ रहता है ! हमने देखा हैं इस अन्धविश्वास का परिणाम ! की किस तरह इन्सान भटक जाता है ! सही मार्ग पर चलने से ! अगर हम इसी तरह इनके जाल मैं फंसते रहे! तो एक दिन
इस हिंदुस्तान मैं सिर्फ अन्धविश्वास होगा ! और इन अन्धविश्वास की दूकान .......दिन दूनी और रात चौगनी ... तरक्की करेगी ........ तो फिर मैं भी एक दूकान खोलूँगा ................क्या आप मुझसे अन्धविश्वास खरीदेंगे ......
क्या हम अन्धविश्वासी हैं या हमें बनाया जा रहा है .................................................

धन्यवाद

Wednesday, May 19, 2010

किसने पाया सुकून, दुनिया मैं.....>>>> संजय कुमार

सुकून इन्सान के जीवन का वह पल ! जिसके के लिए इन्सान अपनी पूरी जिंदगी निकाल देता है ! फिर भी इन्सान पूरी उम्र तरसता रहता हैं ! उस एक पल के सुकून के लिए ! सुकून जो होता है सिर्फ क्षणिक भर का और कुछ पलों का ! और यह पल इन्सान के जीवन मैं कब आते हैं ! और कब यह पल निकल जाते हैं ! इसका अंदाजा तो इन्सान कभी लगा ही नहीं पाता ! और फिर तैयार हो जाता है! वह सब कुछ करने के लिए जो उसे एक पल का ही सही पर सुकून दे सके ! इन्सान को सुकून कब मिलता है ! क्या कोई इन्सान है जिसने पाया हो सुकून इस दुनिया मैं ! मैं जब ढूँढने निकला तो मुझे एक भी नहीं मिला ! आज हम अपने जीवन मैं कितना भी कर लें , कुछ भी कर लें पर सुकून तो जैसे हमसे इतनी दूर है ! कि लगता है हमारा पूरा जीवन ही निकल जायेगा ! इस एक पल के सुकून को पाने मैं !

जीवन की आपाधापी मैं इन्सान आज इतना उलझा हुआ हैं ! दिन बा दिन बढ़ती समस्याएं और दिन बा दिन प्रदूषित होता हमारे आस-पास का वातावरण सब कुछ इतना बड गया कि इन्सान उलझ के रह गया आज के माहौल मैं ! या यूँ भी कह सकते हैं कि इन्सान ने अपने आप को इतना व्यस्त कर लिया है ! कि वह सुकून और ख़ुशी महसूस ही नहीं कर पाता ! और वह दूर होता जाता है , अपनों से, अपने समाज से, नहीं रहता किसी का भी ध्यान ,और लग जाता कभी ना खत्म होने बाले जीवन के कार्यों मैं ! आज इन्सान लगा हुआ है मशीनों कि तरह काम करने ! बस कभी ना रुकने बाले घोड़ों कि तरह ! और नहीं है दीन-दुनिया कि खबर ! आज इन्सान ने अपने जरूरतें इतनी पैदा कर ली हैं! जिन्हें पूरा करते करते इन्सान पर बुढ़ापा तक आ जाता है फिर भी ! जरूरतें कभी पूरी नहीं होती !अपितु जरूरतें समय के साथ साथ बढ़ती जाती हैं ! एक समय था जब इन्सान अपने जीवन मैं सुख और सुकून का अनुभव करता था ! तब इन्सान आज की तरह आधुनिक नहीं था ! और ना ही उसकी जरूरतें ज्यादा थी ! उस वक़्त उसे चाहिए था ! रोटी -कपडा -मकान ! इन्सान के पास होता था उसका सबसे बड़ा हथियार सब्र ! जो उसे हमेशा सुकून का अनुभव कराता था ! फिर वह पल भर का ही क्यों ना हो ! तभी तो आज के कई बुजुर्ग यह कहते हैं ! कि समय तो हमारा था ! जिसमें इन्सान के पास सब कुछ था ! और रहते थे सुकून से ! जितनी चादर उतना ही पैर फैलाता था ! और उठाता था जीवन मैं सुकून का आनंद ! लेकिन आज के माहौल मैं उसे यह सब कुछ देखने को नहीं मिलता !

अगर जीवन मैं पाना है सुकून और सुख की अनुभूति ! तो जुड़े रहिये अपने परिवार के साथ, जुड़े रहिये अपने समाज के साथ ! ना दौड़ें आधुनिकता की तरफ अंधों की तरह ! आज इन्सान के शौक इतने हो गए हैं ! की वह जीवन भर उन्हें पूरा नहीं कर सकता ! इक्षाएं तो अन्नंत हैं ..........जिनका कोई अंत नहीं ............ और सुकून होता है पल भर का ........तो उस पल को महसूस करें.............जीवन का आनंद उठायें ..............

धन्यवाद

Tuesday, May 18, 2010

पचपन और बचपन को जरूरत है, हमारे प्यार और सहारे की.....>>>> संजय कुमार

इन्सान के जीवन मैं दो ऐसे पड़ाव होते हैं ! जहाँ पर इन्सान को सबसे ज्यादा जरूरत होती है अपनों के प्यार, हमदर्दी और सहारे की ! अगर यह सब इन्सान को, इन दोनों उम्र के पड़ाव मैं ना मिले तो इन्सान का जीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो जायेगा ! और इन्सान पूरी तरह टूट जाएगा या फिर चल देगा किसी गलत राह पर ! और ऐसे ही दो पड़ाव हैं! इन्सान का बचपन और इन्सान की वह उम्र जो पचपन की होती है ! जिसे हम बुढ़ापा कहते हैं ! जब इन्सान का जन्म होता है तो एक नवजात मासूम बच्चे के रूप मैं ! और उस समय उस नवजात को सबसे ज्यादा जरूरत होती है अपनी माँ की, जो उसकी जीवन रक्षक होती है ! और तब तक वह माँ उस बच्चे की रक्षा करती है जब तक वह बच्चा अपने पैरों पर पूरी तरह से खड़ा नहीं हो जाता ! जब तक बच्चा बड़ा नहीं होता, तब तक उसे पल पल पर अपने माँ-बाप के सहारे की जरूरत होती है ! और वह बिना सहारे की इस दुनिया मैं कुछ भी नहीं कर सकता ! जब तक बच्चा बड़ा होता है ! तब तक वह जीवन मैं आगे बड़ने के सारे गुण अपने माँ-बाप से ही सीखता है ! सारे संस्कार अच्छे आचरण , अच्छे बुरे की तमीज, दुनियादारी की समझ इन सब की पूर्ती बच्चे को अपने माँ-बाप के द्वारा ही मिलती है ! और बच्चा अपने जीवन मैं आगे बढता है ! वह भी सिर्फ और सिर्फ अपनों के प्यार,हमदर्दी और सहारे के साथ !

अगर हम अपने बच्चो का सहारा नहीं बनेंगे, जब तक की वह अपने पैरों पर ठीक ढंग से खड़े नहीं हो जाते ! तब तक हमारी जिम्मेदारी बनती हैं उन्हें वह सब कुछ देने की जो उनके लिए आवश्यक है ! अगर हम सब यह नहीं करेंगे तो हमारे बच्चे किस और जायेंगे ! क्या होगा उनका भविष्य ! यह हम सब जानते हैं ! उन्हें भटकने मैं ज्यादा वक़्त नहीं लगेगा ! और यह देश का भविष्य कभी भी गलत राह पर चला जाएगा ! इसलिए इन्सान के जीवन की उम्र का यह पड़ाव हैं ! जहाँ पल पल पर अपनों की हमदर्दी , प्यार और सहारे की जरूरत इन्सान को होती है !

इन्सान जब बच्चे से युवा और युवा से प्रौढ़ अवस्था तक जाता है ! तब तक इन्सान पूरी तरह से अपने जीवन के हर सुख-दुःख को महसूस कर सकने लायक होता है ! इस उम्र तक वह खुद अपने बच्चों का माता-पिता बन जाता है ! और धीरे धीरे अपने दायित्वों से मुक्त होने लगता है ! जब उसके बच्चे अपनी अपनी जगह स्थापित हो जाते हैं ! और एक मुकाम बना लेते हैं ! जहाँ उन्हें शायद माँ-बाप के सहारे की जरूरत नहीं होती ! और धीरे धीरे कट से जाते हैं अपने माँ-बाप के प्रति ! और इन्सान धीरे धीरे अपनी उस उम्र की और बढ़ने लगता है जिसे हम बुढापा कहते हैं ! और इस उम्र मैं इन्सान अपनी सारी जिम्मेदारियों से मुक्त हो जाता है ! इन्सान की यही एक उम्र होती है , जिसमे इन्सान अपने आप को सबसे ज्यादा अकेला, लाचार और मजबूर समझता है ! अगर उनके बच्चे अच्छे हैं तो सब कुछ ठीक ! अगर अच्छे नहीं हैं, तो इन्सान इस उम्र मैं ज्यादा जीने की चाहत नहीं रखता ! जब उसे यह लगने लगता है की वह अपने बच्चों के माता-पिता नहीं बल्कि उनकी जिंदगी पर एक बोझ हैं ! तब इस उम्र मैं आकर इन्सान पूरी तरह टूट जाता है ! और इस उम्र मैं इन्सान को सबसे ज्यादा जरूरत होती हैं अपनों के प्यार , हमदर्दी और सहारे की ! क्योंकि वह इस उम्र मैं पूरी तरह से निर्भर होते हैं अपने बच्चों पर !
जिस तरह बच्चों को जरूरत होती हैं अपने माँ-बाप की ठीक उसी तरह बुजुर्ग माँ-बाप को जरूरत होती हैं अपने बच्चों की और उनके सहारे की ! क्योंकि इन्सान के जीवन मैं यही दो पड़ाव हैं जहाँ पर सबसे ज्यादा जरूरत प्यार और सहारे की होती हैं ! बैसे तो इन्सान को जन्म से लेकर मृत्यु तक, पल पल पर प्यार, हमदर्दी और सहारे की जरूरत होती है ! क्योंकि इन सब के बिना इन्सान का जीवन आगे कभी बढ़ ही नहीं सकता ! और इनका हक होता है हम सबके ऊपर ! जो हमें कभी नहीं भूलना चाहिए !


माँ-बाप ने अपना कर्तव्य हमेशा निभाया फिर चाहे उनको कितनी भी तकलीफ या कितने भी दुःख अपने जीवन मैं उठाने पड़े हो, उनहोंने अपने बच्चो के लिए वह सब कुछ किया जो उनका कर्तव्य और फर्ज था ! और जिन्होंने नहीं किया उनके बच्चे आज किस मुकाम पर हैं, यह बात उन माँ-बाप को जरूर मालूम होगी ! जो चूक गए अच्छे संस्कार अच्छे आचरण देने से, आज वह क्या हैं, और क्या हैं उनकी इस समाज मैं स्थिति, यह भी वह अच्छे से जानते होंगे ! फिर भी माँ-बाप तो माँ-बाप होते हैं जिन्होंने हमे जन्म दिया यही उनका सबसे बड़ा ऋण होता हैं हमारे ऊपर ! किन्तु आज कितने ही माँ-बाप उपेक्षित हैं अपने बच्चों के द्वारा ! और खा रहे हैं दर -दर की ठोकरें, और जी रहे हैं एक अभिशप्त जीवन
यह एक सवाल है हम सभी के लिए ! आज का माहौल देखते हुए , आज के दूषित वातावरण को देखते हुए, आज भूलती अपनत्व की भावना को देखते हुए, आज बनते बिगड़ते रिश्तों को देखते हुए , और भटके हुए आज के युवा वर्ग को देखते हुए ! क्या आप अंदाजा लगा सकते हैं की आज के हमारे बच्चे हमारी उम्र के उस पड़ाव मैं हमारा सहारा बनेंगे जिसे हम बुढ़ापा कहते हैं !


आज जरूरत हैं पचपन और बचपन को हमारी ..........(जरा सोचिये ) .......(एक छोटी सी बात )

धन्यवाद

Monday, May 17, 2010

किस काम के हैं, आज के ये संगठन....>>>> संजय कुमार

संगठन एक ऐसा शब्द जिसमे झलकती है एकता और शक्ति ! वह एकता और शक्ति ! जो देश मैं हो रहे गलत कामों का विरोध करने के लिए होती है ! ना की स्वयं कुछ गलत करें ! इस देश मैं आज दुनिया भर के संगठन है ! कुछ धर्म के नाम पर कुछ हिंदुत्व के नाम पर! जो कभी भी किसी सही बात का समर्थन नहीं करते !भूल गए अपना सही काम ! पर आज के कई संगठन अब सिर्फ गलत का साथ दे रहे हैं और कर रहे हैं आम इन्सान के साथ गलत ! आज संगठन सिर्फ नाम के हो गए हैं ! उन्हें ना तो अब इस देश से कोई मतलब है और ना ही इस देश की जनता से ! बस अपना उल्लू किसी तरह सीधा करना है ! फिर चाहे इसके लिए कुछ भी करना पड़े ! चाहे इस देश की संपत्ति को नुकसान पहुँचाना हो, या करना हो इंसानियत को शर्मशार यह सब कुछ करेंगे ! पर देश के लिए कुछ नहीं करेंगे ! ऐसे हैं ये आज के संगठन ! क्या आप यह बता सकते हैं कि, इन संगठनो ने आज तक ऐसा कोई काम किया है ! जिससे देश का नाम विश्व पटल पर आया हो ! क्या कोई ऐसा कार्य किया है जिसका फायदा किसी आम इन्सान को हुआ हो ! सिर्फ धर्म के नाम पर अपनी रोटियां सेंक रहे हैं, आज के बहुत से संगठन ! और फायदा उठा रहे हैं हम मासूम जनता का ! क्योंकि संगठन आम जनता के हित के लिए ही बनाया जाता है ! बनाया जाता है जनता कि आवाज को सरकार तक पहुँचाने के लिए ! बनाया जाता है उन मुद्दों को उठाने के लिए जो देश और अवाम के हित मैं हों ! लेकिन अब यह कुछ भी नहीं होता ! आज सबसे ज्यादा दुखी यही आम जनता है , इन संगठनों से और उनके क्रियाकलापों से ! और उनके द्वारा जो अफरा-तफरी का माहौल है! जो आये दिन इस देश मैं होता रहता है उससे !

अब हम आजादी के पूर्व चलते हैं ! कि क्या होता था संगठन का मतलब ! तब होते थे असली संगठन जो लड़ते थे इस देश के लिए ! जो लड़ते थे अपनी आम जनता के हित के लिए ! उस समय के संगठन कार्यकर्ता कभी निजी स्वार्थों के बारे मैं नहीं सोचते थे ! सोचते थे तो सिर्फ देश के लिए ,और कुछ नहीं ! आज उन्ही संगठनों कि बजह से हम सब आज खुले वातावरण मैं आज़ादी कि साँस ले रहे हैं ! आज देश का हर व्यक्ति कृतज्ञ हैं उन संगठनों का जिन्होंने अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया अपने देश कि आन-वान-शान के लिए ! हम सब नमन करते हैं उन सभी संगठन और उनके कार्यों को !

आज के संगठन बिक चुके हैं आज की गन्दी राजनीति मैं ! आज के संगठन बन चुके हैं, आज के नेताओं की हाँथ की कठपुतलियां जो सिर्फ इनके इशारे पर कार्य करती हैं ! फिर चाहे देश मैं छोटे-मोटे मुद्दे उठाकर , जातिवाद का नाम लेकर अपने ही भाइयों को आपस मैं लडवाना हो ! फिर चाहे पूरे देश मैं हड़ताल करानी हो तब भी इन्ही संगठनो का पूरा पूरा उपयोग किया जाता है ! और कभी दंगे कराने हो तो भी यही लोग करते हैं ! और कुछ लोग इन दंगों का पूरा पूरा फायदा उठाते हैं ! और करते हैं देश मैं तोड़-फोड़ और गैरकानूनी काम ! और लूटते हैं निर्दोष जनता को ! और वहाते हैं आम जनता का खून ! हम सब तो आज की गन्दी राजनीति को जानते हैं की , किसतरह यह राजनितिक पार्टिया इन संगठनो का उपयोग अपना उल्लू सीधा करने के लिए इस्तेमाल करतीं हैं ! और यह संगठन भी तैयार रहते हैं इन के हाँथ बिकने को ! और भूल जाते हैं वह इस बात को की क्या मतलब होता है संगठन का और किस लिए बनाया ! आपने यह संगठन ! सारी मान-मर्यादाएं भूलकर कार्य कर रहे हैं ! और तोड़ रहे हैं आम जनता का विश्वास ! आज के यह संगठन सिर्फ अपने फायदे के लिए बनते हैं, ना की आम जनता की आवाज को सरकार तक पहुँचाने के लिए ! और ना सरकार के किसी गलत कार्य का विरोध करने के लिए !
आज इस देश को जरूरत है ऐसे संगठनों की जो आम जनता के लिए काम करें ! जो लड़ सकें देश के बेरोजगारों को रोजगार दिलाने के लिए ! जो लड़ सकें समाज मैं फैले अंधकार को दूर करने के लिए ! जिनका काम हो हिन्दू-मुस्लिमों के बीच की दूरी को और नफरत की खाई को ख़त्म करना ! गरीबों के उत्थान के लिए ! रोते किसान को उसका हक दिलवाने के लिए ! युवाओं को भटकने से रोकने के लिए ! एक अच्छा प्रजातंत्र स्थापित करने के लिए ! तभी कहलायेगा असली संगठन ! तभी आम जनता समझ सकेगी इन संगठनों की एकता और शक्ति ..............

संगठन इस देश की ताक़त बन सकते हैं , यदि वह, सिर्फ इतना समझलें, की क्या होता है संगठन का मतलब

धन्यवाद

Sunday, May 16, 2010

नहीं बनना हमें, दूल्हा-दुल्हन.....(अक्षय-तृतीया )>>>> संजय कुमार

आज है विष्णु के छठवें अवतार भगवान् परशुराम की जयंती! जयंती पर आप सभी को हार्दिक बधाई एवं
शुभ-कामनाएं
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आज है अक्षय-तृतीया , हिंदुस्तान मैं शादी-विवाह का एक सबसे बड़ा मुहूर्त बाला दिन ! कहते हैं आज के दिन होने बाली शादी को किसी भी मुहूर्त की जरूरत नहीं हैं ! कोई भी मुहूर्त आज के दिन से बड़ा नहीं होता ! आज पूरे हिन्दुस्तान मैं लाखों शादियाँ होंगी ! लाखों युवा आज परिणय सूत्र मैं बंधेंगे , और बंधेंगे ऐसे अबोध बच्चे -बच्चियां जिनकी उम्र महज दस से पंद्रह वर्ष के बीच होगी ! आज चढ़ जायेंगी इन सभी की, वेदी पर वलि और कुचल जायेंगे हजारों लाखों सपने और बचपन जो अभी तक इन्होने पूरी तरह से देखा भी नहीं ! और हम सब सिर्फ देखते रह जायेंगे ! जब सरकार कुछ नहीं कर पाती और सब कुछ होता है ! सरकार की नाँक के नीचे, फिर भला आम इन्सान की क्या चलती ! जब बच्चों के दुश्मन उनके अपने माँ-बाप ही हों ! तो कोई क्या कर सकता हैं

आज कितने ही अरमान, कितने सपने जो इन नन्ही आँखों ने देखे थे सब कुछ वलि चढ़ जाएगा ! झूंठी परम्पराओं के नाम पर ! कुछ चढ़ जाएगा गरीबी के नाम पर ! कुछ लालच के कारण और कुछ सरकार की अनदेखी के कारण ! आज हमारी सरकार कितने बड़े बड़े वादे करती है ! कहती है की हमारा देश आगे बड रहा है और हम इक्किसंवी सदी मैं जी रहे हैं ! हम कितने आधुनिक हो गए हैं ! आज हमारे देश ने कितनी तरक्की कर ली है ! आज हमारा देश विश्व पटल पर अपनी एक अच्छी छवि रखता है ! और इसके उदाहरण भी हम और हमारी सरकार देती रहती है ! और आज के दिन ही कितने बाल-विवाह इस देश मैं हो जाते हैं ! सरकार को यह सब कभी नहीं दिखाई देता !
सरकार को अब चेत जाना चाहिए इन बाल-विवाहों को रोकने के लिए ! और बर्वाद होते बचपन को !
आज बल-विवाह से उपजे ऐसे कई सवाल हैं, कई समस्याएं हमारे सामने हैं ! जिनका जबाव हमारी सरकार के पास नहीं हैं और ना कभी सरकार इन को रोक पायेगी ! जिस उम्र मैं बच्चे पड़ते-लिखते हैं ! उस उम्र मैं उन्हें धकेल दिया जाता हैं ! नरक सी जिंदगी जीने को ! पर ये मासूम क्या कर सकते हैं ! जब इनके माँ-बाप ही इनके दुश्मन हैं ! जो अपने कर्तव्यों और दायित्वों को सिर्फ बोझ समझतें है ! तो लो बोझ उतार दिया ! और चढ़ा दी वलि
अपने ही बच्चों की ! और समय से पहले ही ऐसे बच्चे घुट-घुट कर अपना जीवन समाप्त कर लेंगे !

आज ऐसे छोटे छोटे बच्चों के मुंह से सिर्फ एक ही बात निकलती हैं ! की माँ-बापू हमें नहीं बनना दूल्हा -दुल्हन हमें अभी अपना बचपन तो देख लेने दो.......... मैं आपकी बेटी हूँ .........कोई बोझ नहीं .................

धन्यवाद

Saturday, May 15, 2010

जाना है दूर....ना की जिंदगी से.......( रोज रोज होते सड़क हादसों से, लें सबक )...>>> संजय कुमार

हर इन्सान के अंदर कुछ ना कुछ आदतें होती हैं ! चाहे वह अच्छीं हों या बुरी ! आदतें तो आदते होती है ! और इनका अच्छा और बुरा प्रभाव भी इन्सान के ऊपर ही पड़ता हैं ! अगर आदतें अच्छी हैं, तो सब कुछ अच्छा होता है ! और अगर गलत हैं तो सब कुछ गलत ! और उसके होते हैं भयावह परिणाम जो इन्सान को जीवन भर भुगतने पड़ते हैं ! और भुगतना पड़ता है उसके पूरे परिवार को ! आज अच्छी आदत बालों का तो अकाल है इस देश मैं ! और बुरी आदत बालों से यह संसार भरा पड़ा है ! आज कितनी ही बुरी आदतें हमारे अपने अंदर हैं शायद इस बात का अहसास हमें पूरी तरह से है किन्तु उनमें सुधार शायद हम करना नहीं चाहते ! और करते हैं बार बार ऐसी गलतियाँ जिनका परिणाम कभी हमें अपनी जान देकर चुकाना पड़ता है ! लेकिन अब हमें सुधार लाना होगा अपनी गलत आदतों मैं ! क्योंकि हम अकेले नहीं हैं इस दुनिया मैं ! हमसे जुड़े हुए हैं कई लोग जो हमारी छोटी सी तकलीफ भी बर्दाश्त नहीं कर पाते, तो अपनी गलत आदतों का परिणाम हम उन्हें क्यों भुगतने दें !

मैं यहाँ आज उन आदतों की बात कर रहा हूँ ! जो हम नहीं सुधारते और कर बैठते है ऐसी गलतियाँ जो इन्सान शायद कभी नहीं भूल पाता ! मैं यहाँ बात कर रहा हूँ हमारे यातायात नियमों की जो हमारे जीवन को बचाने के लिए बनाये गए हैं ! जिनका अनुशरण करने से मिलती है हमें जिंदगी ! और उनकी अवहेलना करने पर मिलती हैं मौत ! जब से इस देश मैं इंसानी जनसँख्या की तरह वाहनों की संख्या बड़ी है तब से लेकर आज तक लाखों लोग काल का ग्रास बन चुके हैं! इन रोज रोज होने बाले सड़क हादसों मैं ! ना जाने कितने ऐसे लोगों को यह सड़कें अपना ग्रास बना चुकी हैं ! जिन्होंने सड़क पर चलते हुए उन नियमों को दरकिनार किया जो उसकी जान बचा सकते थे ! आज इन्सान को इतनी जल्दी होती है कि वह भूल जाता है वो सारे नियम कानून जो उसकी सुरक्षा के लिए बनाये गए हैं ! और सड़कों पर रेस लगाता है! पहले मौत पाने कि ! आज हमारी गलतियों कि सजा हमारे परिवार को भुगतनी पड़ती है वह भी जीवन भर ! इन हादसों ने कभी ना कभी हमें एक सदेश दिया है और आगाह जरूर किया होगा ! तो फिर क्यों नहीं सुधारते हम अपनी गलतियाँ ! ...... क्यों भाग रहे हैं मौत के पीछे ...............
आज रोज रोज होती गलतियों से कितने मासूम अनाथ हो गए, कितने बूढ़े माँ-बाप आज जी रहे हैं अपने बच्चों के गम मैं ! कितनी दुल्हने जो सिर्फ एक दिन कि दुल्हन बन कर रह गयी ! और लुट गयी उनकी खुशियाँ सिर्फ इन सड़क हादसों मैं ! आज का युवा इतना जोश मैं होता है, नहीं करता कोई परवाह और इन सडकों को बना लेता है रेश का मैदान और अंधों की तरह भागता है इन सड़कों पर मौत की बाजी लगाने ! ना दौड़ें अपनी मौत की तरफ ! हो सकता है आपको जाना हो दूर .............ना की जिंदगी से दूर .................

हिंदुस्तान मैं कोई भी नियम कानून का पालन नहीं करता ! और फिर हिंदुस्तान की सड़कें जिन पर पैदल चलना तक मुस्किल है फिर वहां पर वाहन किस तरह चलते होंगे , इसका अंदाजा आप सभी को है ! आज बसों मैं जिस तरह यात्रियों को भरा जाता है उससे हमें सिर्फ उन जानवरों की याद आती है जिन्हें कटने मरने के लिए ट्रकों मैं भरकर बूचडखाने ले जाया जाता है ! ठीक यही हालत है आज हिंदुस्तान की बसों की ! सरकार तो इनका आज तक कुछ बिगाड़ नहीं पाई और ना कभी कुछ बिगाड़ पायेगी! क्योंकि आप तो जानतें हैं हमारी यातायात पुलिस को १० या २० रुपये दो तो वह बस को नहीं रोकेगी फिर चाहे ५० यात्रियों बाली बस मैं २०० व्यक्ति क्यों ना हों ! पुलिस को तो २० रूपए मिल गए फिर चाहे २०० यात्री जाएँ मौत के मुंह मैं , क्या फर्क पड़ता है ....... कहाँ हैं आज इन्सान का मूल्य आज इस भ्रष्ट दुनिया मैं ..............

सिर्फ हम कर सकते हैं अपनी सुरक्षा ! हम नहीं दौड़ेंगे इस पथ पर ऐसे .......... जिस पथ पर पल पल पर मौत है....

क्योंकि हमें जाना हैं दूर ...........ना की जिंदगी से ..................... करें यातायात नियमों का पालन ........... धीरे चलिए ..........सुरक्षित चलिए ................

धन्यवाद

Friday, May 14, 2010

पानी मंहगा सस्ता खून ......>>>>> संजय कुमार


पानी, इन्सान की वह जरूरत है जो इन्सान को उसके जीवन मैं पल पल मैं आवश्यक होता है ! क्योंकि जल ही इन्सान का जीवन जीवन है !' जल बिन सब सून ' ! अगर इस धरा से पानी ख़त्म तो समझो इस पृथ्वी से सब कुछ ख़त्म ! इस पृथ्वी पर जीवन समाप्त हो जायेगा और यह पृथ्वी हो जाएगी वीरान ! ठीक इसी प्रकार इन्सान को जीवित रहने के लिए जिस तरह ओक्सिजन की जरूरत होती ,और जरूरत होती है खून की ! जब तक इन्सान के शरीर मैं खून की एक बूँद है, तब तक इन्सान की सांसें चलती रहेंगी ! तब तक इन्सान लड़ सकता है किसी से भी ! इंसानी जीवन मैं पानी मिलने के तो इन्सान को कई साधन मिल जायेंगे ! लेकिन इन्सान को खून मिलने का कोई साधन नहीं है ! और ना कभी होगा ! इसलिए हम पानी को सस्ता और सुलभ मानते हैं ! और कभी भी हमने उसका मूल्य समझा ही नहीं ! और खून की कीमत इन्सान को मालूम है ! क्योंकि इन्सान जानता है कि खून की एक बूँद किसी भी मरते इन्सान को जीवन दान दे सकती है ! लेकिन आज इस देश मैं उलटी गंगा वह रही है !

आज के परिवेश मैं पानी की कीमत तो इन्सान समझ गया है ! क्योंकि आज पानी इन्सान को आसानी से नहीं मिल रहा ! क्योंकि आज दिन बा दिन पानी का स्तर इतना गिरता जा रहा है की हर जगह सिर्फ सूखा और सूखा ! वहीँ आज देश मैं जिस तरह जल स्तर गिरता जा रहा है ठीक उसी तरह इन्सान का स्तर कहीं उससे ज्यादा गिरता जा रहा ! जब से कलियुग की शुरुआत हुई इन्सान , इन्सान नहीं हाड़मांस का पुतला बन गया है! और एक ऐसा पुतला जिसके अंदर ना तो कोई संवेदना है ! और ना ही है इंसानियत ! हर तरफ अंधेरगर्दी का राज है ! ना कहीं कोई कानून ना जीने के तौर तरीके सब कुछ अस्त -व्यस्त ! इन्सान भूल गया इन्सान की जान की कीमत ! और वहा देता है इन्सान का खून पानी की तरह !आज देश मैं हर जगह अफरा-तफरी का माहौल है ! इस देश मैं अपराध अपनी चरम सीमा पर हैं ! हत्या, लूट, बलात्कार यह सब तो अब रोज की घटनाएं है ! जिनके बीच रहने की अब हम लोगों की आदत बन चुकी है ! आज इन्सान की जान की कीमत कुछ नहीं ! इन्सान का खून तो आज पानी की तरह हो गया है ! जिसे देखो जब देखो वहा देता है ! आज इन्सान पानी के लिए इन्सान का खून पानी की तरह वहा देता है !
अब नहीं रहा इन्सान का मूल्य और उसकी जान की कीमत ............आज चरों तरफ अंधेर मचा है .........पानी मंहगा और सस्ता खून

धन्यवाद

Wednesday, May 12, 2010

अँधा प्यार.... और लुटती इज्जत...>>> संजय कुमार

कहते हैं प्यार तो अँधा होता है ! और यह बात जिसने भी लिखी १०० टका सही लिखी है ! क्योंकि आप तो जानते हैं ! प्यार मैं अँधा आदमी ना तो रिश्ते नाते देखता है ! और ना देखता ऊँच-नीच का का अंतर, प्यार ना समझे किसी भी प्रकार का जाति बंधन ! प्यार ना समझे हिन्दू-मुस्लिम, और ना समझे सिख -ईसाई ! अब तो प्यार करने बाले यह भी कहने लगे हैं , की प्यार मैं उम्र भी नहीं देखना चाहिए ! अब प्रेम पर नहीं रहा उम्र का बंधन ! आपने इस तरह के कई प्रेमी जोड़े देखे होंगे ! सभी धर्म, प्रेम करने बालों के लिए छोटे होते हैं ! तभी तो लैला-मंजनू , सोहनी-महिवाल, हीर-राँझा, रोमियो-जूलियट इन सभी ने सिर्फ प्रेम किया वह भी सच्चा ! इसीलिए तो आज जब भी सच्चे प्रेम की बात होती है तो सबसे पहले इन लोगों का नाम जुबान पर आता हैं ! और ना जाने ऐसे कितने प्रेमी हुए जो गुमनाम हुए ! प्रेम हमेशा अमर था और अमर ही रहेगा ! हम भी तो कहीं ना कहीं किसी ना किसी को प्रेम करते हैं ! जैसे जैसे समय ने अंगड़ाई ली ! वक़्त बदला और बदल गया प्रेम का रूप ! आज सच्चे प्रेम की कहानियां देखने को नहीं मिलती ! अगर मिलती हैं तो वह आज अपवाद है ! या तो प्रेम टूट जाता हैं ! नहीं तो उन प्रेमियों को मिलती है झूंठी परम्पराओं की मौत ! लेकिन आज प्रेम ने अपना एक रूप और बना लिया है ! और वह रूप है झूंठ, धोखा , फरेब , और सेक्स ! आज यह सब कुछ हो रहा है ! प्यार की आड़ मैं बर्वाद हो रहा आज का हमारा युवा ! इनमे सबसे ज्यादा संख्या है युवा लड़कियों की ! जो बिन सोचे समझे कर बैठती है ऐसी गलतियाँ जहाँ खोनी पड़ती हैं उनको अपनी इज्जत और अपना मान सम्मान ! पर फिर भी भाग रहीं हैं अंधे प्यार की तरफ ! सब कुछ दांव पर लगाकर !

इन्सान जैसे-जैसे आधुनिक होता गया इन्सान के सामने नित नए नए, लोगों को धोखा देने और उनको भ्रमित करने के तरीके मिल गए ! आज इन्सान के ऊपर ना तो परिवार की किसी समझाइश का कोई असर होता है और ना उनके अनुभवों को कबूल करते हैं ! अगर कुछ जानते हैं तो बस आज अपने को पूरा आधुनिक बनाना ! मैं यहाँ बात कर रहा हूँ युवा लड़कियों की जो सिर्फ आज दिखावा ही पसंद करतीं हैं ! और डूबना चाहती हैं अंधे प्रेम मैं ! और इनके इस दिखावे का कुछ लोग पूरी तरह फायदा उठाते हैं ! फिर चाहे ऐसी लड़कियां भीमानंद, और नित्यानंद जैसे ढोंगी महात्माओं के चक्कर मैं फंसकर अपनी इज्जत तक गवां देती है ! और बन जाती हैं हमारे समाज का वो बदनुमा धब्बा जो शायद इनके जीवन से कभी नहीं मिटेगा ! आज कल इस देश मैं हमारी युवा लड़कियों को प्यार के जाल मैं फांसकर उनको धकेला जा रहा है सेक्स के धंधे मैं ! इस तरह के अपराध आज आम हो रहे हैं !

आज की युवा लड़कियां प्यार मैं इस कदर अंधी हो गई हैं ! की ऐसे झूंठे प्यार के लिए अपना सब कुछ बिना किसी हिचक के बिना किसी डर के सौंप रही हैं ! कुछ दिनों पहले इस तरह का एक मामला सामने आया एक लड़की अपने परिवार से वगावत कर अपना सब कुछ छोड़कर ! छोड़कर अपने परिवार का और अपना मान सम्मान ! पहुँच गयी अपने प्रेमी के पास ! फिर क्या हुआ इसका आप अंदाजा नहीं लगा सकते ! उस प्रेमी ने पहले उसे अपनी हवस का शिकार बनाया और बाद मैं बेच दिया उस लड़की को ५०००० रुपये मैं ! और होता रहा उस मासूम का बलात्कार कई दिनों तक ! जैसे तैसे अपनी जान बचाकर भागी उस युवती ने आपबीती जब पुलिस और परिवार को बताया तो एक बहुत बड़ा धक्का लगा उस परिवार को ! सिर्फ बेटी के अंधे प्यार की बजह से ! और आज यह युवती लड़ रही है अपने आप से अपने समाज की नज़रों से ! यह कोई एक अकेला मामला नहीं है ! इस तरह के मामले रोज हो रहे हैं इस देश मैं ! फिर भी हमारी युवा लड़कियां भटक रही हैं अपने अंधे प्रेम के साथ !

मैं नहीं कहता की प्रेम नहीं करना चाहिए ! प्रेम इन्सान की जरूरत हैं ! पर प्रेम सच्चा हो ! मन का सम्बन्ध होता है प्रेम से ना की शरीर से ! पर आज बहुत कम लोग ऐसे हैं जो मन से प्रेम करते हैं ! प्रेम करने के साथ साथ इन्सान को सब कुछ ध्यान रखना चाहिए ! बस अंधों की तरह प्रेम ना करे ! अपनी आँखे खोलें और सब कुछ परख लीजिये ! आज की युवा पीड़ी तो पड़ी लिखी है ! फिर क्यों हम अंधी दौड़ मैं भाग रहे हैं ...................
कहीं ऐसा ना हो आप करें अँधा प्यार ....... और गंवानी पढ़ जाये आपको ............... आपकी इज्जत ...........

धन्यवाद

Monday, May 10, 2010

इस देश मैं एक गद्दार ढूँढने निकलो , कई मिल जायेंगे.....>>>> संजय कुमार


गद्दार एक ऐसा व्यक्ति एक ऐसा नाम जो किसी भी विकसित राष्ट्र को एक ही क्षण मैं तवाह करवा सकता है ! किसी भी राष्ट्र की नींव को अन्दर तक खोखला करने की क्षमता रखता है ! इतनी ताक़त होती है एक गद्दार मैं ! यह हमारे साथ रहकर हमारी जड़ें खोखली करता रहता है ! और हमे तब पता चलता है जब इसका बुरा परिणाम हमारे सामने आता हैं ! यह कब हमें मौत के मूंह मैं पहुंचा दे, कोई कुछ नहीं कह सकता ! यह हमारे लिए कब्र तैयार करता रहता है ! और हम विश्वास मैं अपनी जान इसके हवाले कर देते हैं ! और फिर यही आपका अपना आपकी पीठ मैं ऐसा खंजर घोंपता है ! जहाँ इन्सान को मिलती है सिर्फ मौत ! आप सभी ने एक पौराणिक कहावत तो जरूर सुनी होगी ! " घर का भेदी लंका ढाये " जहाँ विभीषण ने अपने घर के सारे राज खोलकर अपनी पूरी राक्षस जाति का सर्वनाश करवा दिया था ! पर उसने धर्म के लिए ऐसा किया था इसलिए हम विभीषण को गलत नहीं मानते !

लेकिन जैसे जैसे समय बदला इन गद्दारों ने सत्ता के मोह , पैसों के लालच मैं आकर अपने को दुश्मनों को बेच दिया और खोल दिए अपने सारे राज दुश्मनों पर ! अंग्रेजो ने जो हम पर इतने सालों तक राज किया उसमे देश के गद्दारों का पूरा पूरा योगदान था ! इन की गद्दारी ने इस देश को कितने गहरे जख्म दिए है ! जिन्हें हम आज भी याद करते हैं ! फिर चाहे गद्दारी के कारण टीपू-सुल्तान, झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई , भगत सिंह , या चंद्रशेखर आजाद, या तात्या टोपे इन सभी सूरमाओं को अपनों की गद्दारी की कीमत मैं अपनी जान से हाँथ धोना पड़ा ! वर्ना इन्हें कोई यूँ ही नहीं मार सकता था ! यह वह वीर थे जो इतिहास बदलने की क्षमता रखते थे !

आज देश मैं इतना भ्रष्टाचार बड गया हैं , सत्ता की लालच ! पैसों के लिए बिकता इन्सान आज देश से गद्दारी करने से भी नहीं चूकता ! लोगों ने अपनी जरूरतें इतनी बड़ा ली हैं ! की उन को पूरा करने केलिए देश के सर्वोच्य पदों पर बैठकर हमारे देश से ही गद्दारी कर रहे हैं ! और आज हमारे देश को गद्दारों की करनी का फल भुगतना पड़ रहा हैं ! हम हिन्दुस्तानी हमेशा से विश्वास करने बाले होते हैं ! और किसी पर सहसा विश्वास कर लेते हैं ! और हमारी इसी भावना को दुश्मन अपना हथियार बना लेते हैं ! ताजा उदहारण माधुरी गुप्ता जैसे लोग हैं ! जो इस देश के सर्वोच्य पदों पर बैठ कर अपने ही देश से गद्दारी कर रहे हैं ! गद्दारों की गद्दारी का परिणाम इस देश की अवाम को भुगतना पड़ रह हैं ! फिर चाहे मुंबई धमाके हो या संसद पर हमला , फिर चाहे नक्सलियों को हथियार मुहैया कराने बाले जिनके कारण कितने ही जवानों को इसकी कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी !

आज किसी छोटे मोटे चोर को पकड़ कर पुलिस का सजा देने का अंदाज तो हम सभी ने कई बार देखा ! जब उनको बेरहमी से सजा दी जाती है ! या उनको इतना प्रताड़ित किया जाता है ! की वो अपना दम तक तोड़ देते हैं ! इनकी मजबूरी हो सकती है ! गरीबी , भूख, बेरोजगारी जिस कारण से ये लोग इस तरह के काम करते हैं ! इनको हम जीवन भर हेय की द्रष्टि से देखते हैं ! पर देश के सर्वोच्य पदों पर बैठे इन लोगों की क्या मजबूरी है जो अपने इमान के साथ साथ इस देश को भी बेच रहे हैं ! पर ऐसे लोगों के साथ हम या हमारी क्या कर रही है ! आज तक सरकार ने कितने गद्दारों को उनकी करनी की सजा दी है ! सरकार सिर्फ इन लोगों से अपने देश की जेलें भर सकती है और कुछ नहीं ! क्यों नहीं है देश के साथ गद्दारी की सजा मौत , जो पहले कभी हुआ करती थी ! एक गद्दर को सजा मिली तो दूसरा देश के साथ गद्दारी करने से पहले कई बार सोचे ! पर ऐसा नहीं होगा ! क्योंकि आज एक बड़ा वर्ग इस देश मैं हैं जो राजनीती मैं हैं ! एक बड़ा वर्ग इस देश के आला अधिकारीयों का है , जो पूरी तरह से भ्रष्टाचार मैं लिप्त है ! तो फिर कैसे पता चलेगा की कौन देश के साथ उसके हित की सोच रहा है और कौन गद्दारी कर रहा है !

एक दिन आएगा जब यह देश दुश्मनों के हाँथ मैं होगा और हम सब उनके इशारों पर नाचने बाले ! कारण देश के गद्दार जो पता नहीं कब इस देश को बेच दे ! आज इस देश मैं हम अगर एक गद्दार ढूँढने निकलेंगे तो हमें कई मिल जायेंगे ! अगर गद्दार नहीं हैं तो क्यों बढ़ रहीं हैं इस देश मैं यह दिन प्रतिदिन होती घटनाएं ! ......................

धन्यवाद

Sunday, May 9, 2010

माँ तेरा कर्ज हैं मुझ पर....(Mother's-Day).....>>>> संजय कुमार

माँ शब्द एक अक्षर का बस छोटा सा नाम है ! पर इस नाम मैं है पूरा संसार और सब कुछ विद्यमान ! हर यौनी मैं, इन्सान, पशु-पक्षी इन सभी मैं माँ का स्थान सर्वोच्य है ! और तह जिंदगी जब तक इन्सान इस धरा पर है , सर्वोच्य और सबसे ऊंचा रहेगा ! माँ नाम की ताक़त का अंदाजा आप सिर्फ इस बात से लगा सकते हैं ! कि पूरे विश्व मैं आज तक जो भी इन्सान पैदा हुआ , उसके मुंह से सबसे पहले माँ शब्द ही निकला ! ना पापा और न पिता, निकला तो सिर्फ माँ ! जीवन के हर सुख -दुःख सहते हुए माँ अपने कर्तव्य पथ से कभी नहीं हटती ! सब कुछ सहते हुए अपने कर्तव्यों का पालन करती है ! बच्चे को अपनी कोख मैं नौ माह रखने के साथ ही उसकी जिम्मेदारियां शुरू हो जाती हैं ! जब तक बच्चा अपने परों पर सही तरह से खड़ा नहीं हो जाता ! बच्चों को सारे संस्कार अपनी माँ से ही मिलते हैं , क्योंकि एक बच्चा सबसे ज्यादा समय अपनी माँ के साथ गुजारता है ! जीवन के हर पथ पर उसको आगे बढ़ने कि प्रेरणा उसे अपनी माँ से ही मिलती है ! माँ कि ममता का कोई मोल नहीं है ! माँ कि ममता के लिए तो ईश्वर ने कई बार इस धरती पर इन्सान रूप मैं जन्म लिया ! मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम , भगवान् श्रीकृष्ण इसका उदहारण हैं ! कि कितना प्रेम था कौशल्या के राम और यशोदा के श्याम मैं ! सब कुछ माँ कि ममता के लिए ! अगर इन्सान जीवन भर माँ के चरणों को धोकर भी पिएगा तब भी हम उसकी ममता और प्यार , आशीर्वाद का कर्ज नहीं चुका सकते ! माँ हमेशा से वन्दनीय रही है ! माँ का कोई दिन नहीं होता ! उसका ध्यान तो हमें हर वक़्त रखना चाहिए ! शायद हम उसको एक पल के लिए भूल भी जाएँ पर माँ कभी अपनी संतान को नहीं भूलती ! फिर संतान अच्छी हो या बुरी वह हर हाल मैं उसे याद करती है , और उसके मुंह से बस एक ही बात निकलती है , जीते रहो मेरे बेटे ...........सदा खुश रहो .......

जैसे जैसे समय गुजर रहा है , पाश्चात्य संस्कृति हमारे ऊपर हाबी होती जा रही है ! जैसे जैसे हम आधुनिकता को अपनाते जा रहे है ! बैसे बैसे आज हम खोते जा रहे हैं अपनों का मान-सम्मान करने का भाव ! भूलते जा रहे हैं रिश्तों कि परिभाषा , फिर चाहे वो माँ-बेटे का रिश्ता हो या माँ-बेटी का सब कुछ धीरे धीरे बदल रहा है ! और इस बदलाव को हम सब ने पूरी तरह से महसूस किया है ! और महसूस कर रही है आज कि माँ ! माँ तो पहले भी बच्चों को प्रेम और स्नेह देती थी और आज भी उतना ही करती है ! और जो नहीं करती उनके अंदर शायद माँ कि ममता नहीं है ! क्योंकि कई घटनाएं आज हमारे सामने ऐसी आती हैं जो कहीं ना कहीं हमें माँ शब्द से दूर कर देती हैं ! पर यह तो अपवाद हैं जो होते रहते हैं कभी कभी ! आज सिर्फ पड़ा लिखा जाग्रत युवा ही जानता है कि Mother's-Day क्या होता है ! और यह दिन क्यों और किसको समर्पित होता है ! शायद एक वर्ग पड़ा लिखा और अनपढ़ वर्ग ऐसा भी है जिसे तो यह भी नहीं मालूम कि यह दिन आता कब है और क्या होता है इस दिन ! माँ को याद करलो और हो गया यह दिन पूरा ! हिंदुस्तान मैं एक बहुत बड़ा तबका ऐसा हैं जिसे अपनी माँ का जन्मदिन तक याद नहीं ! लेकिन इसके आलावा उसे सारे दिन याद हैं ! यह है अत्यधिक आधुनिकता का परिणाम ! जो इन्सान , इन्सान को भूलता जा रहा है ..................

आज माँ को जो सम्मान मिलना चाहिए क्या वो उसे आज मिल रहा है ! क्या हमें Mother's Day पर ही अपनी माँ को याद करना चाहिए ! क्या आज कि अतिआधुनिकता वादी युवा पीड़ी भी समझती है Mother's Day का मतलब! या कभी वह अपनी माँ के सम्मान मैं भी कुछ करती हैं ! माँ तो सिर्फ इतना चाहती हैं कि उसके बच्चे उसे कभी भूलें ना जब तक वह जीवित है ! बस थोडा सा सम्मान जो उसे मिलना चाहिए और जो उसका हक है ! इसके अलावा वह कभी भी कुछ नहीं चाहती ! और ना कभी चाहेगी ! लेकिन हम सभी को Mother's Day पर ही नहीं अपितु जीवन भर उसका सम्मान करना चाहिए वो अच्छी हो या बुरी पर माँ तो माँ होती है ! क्योंकि उसका एक ऐसा कर्ज है हम सब के उपर जो हम मरकर भी नहीं उतार सकते ! और वो है कि वह है हमारी जन्म दाता , जिसके कारण हम यह संसार देख पाए ! और देख पाए दुनिया भर की नेमतें जो उसने हजारों कष्ट सहकर हम सब को दी !

माँ तेरा सम्मान कभी इस दिल से कम नहीं होगा ...... तू हमेशा से मेरे लिए पूज्यनीय रही है , और जब तक जीवित हूँ तब रहेगी , मेरी सारी गलतियों को तू क्षमा कर ........... और बनाये रख अपना आशीर्वाद हम बच्चों पर ......

धन्यवाद

Saturday, May 8, 2010

मेरे लिए हो रहे हैं, आज ये कत्लेआम.....>>>>> संजय कुमार

चाहे त्रेतायुग हो या सतयुग , द्वापरयुग हो या कलियुग , हर युग मैं इन्सान ने इस पृथ्वी पर मेरे लिए दूसरों को कष्ट दिए हैं ! और जब तक मैं रहूंगी आम इन्सान कभी भी सुखी नहीं रह पायेगा ! मुझ पर बैठने बाला एक साधारण इन्सान भी कुछ समय बाद पूरी तरह बदल जाता है ! और भूल जाता है ,इन्सान होने का दर्जा ! एक बार कोई मुझे पाले तो वह भगवान् को तो भूल ही जाता है ! और बन जाता है कलियुग का भगवान् ! वह भगवान जो लोगों की मदद नहीं करता और ना ही लोगों के कष्ट हरता है ! वह भगवान् होता है जो देश मैं भुखमरी , बेरोजगारी , और ना जाने कितनी समस्याएं पैदा करता है ! जिसे सारा देश भुगतता है ! मेरी भूंख और मेरा लालच इन्सान को इतनी है कि इन्सान भूल जाता है इंसानियत ! और अपनी सारी मान-मर्यादाएं , सारे रिश्ते नाते , अपनों का प्यार, और करता है ऐसे ऐसे काम जिससे इस देश को उठानी पड़ती है कई बार शर्मिंदगी ! मेरे लिए तो लोगों ने अपनों तक को नहीं छोड़ा ! आज तक कितनों की बलि दी गयी है मेरे लिए ! पल पल पर होता भ्रष्ट ईमान सिर्फ मेरे लिए ! मेरी चाह मैं तो मेरे प्रभु श्रीराम को चौदह वर्ष का वनवास तक भोगना पड़ा ! सब कुछ मेरी लालसा और चाहत के लिए होता है ! अब आप मुझे पहचान गए होंगे ! अरे मैं हूँ आज के इन्सान के लिए कलियुग का भगवान् ! और ना जाने कितने रूपों मैं हूँ मैं ! किसी राजा का सिंघासन , किसी शाशक की राजगद्दी, और आज कलयुग के भगवान यानी आज के नेता की कुर्सी हूँ मैं ! आज हर इन्सान जानता है मेरी ताक़त !

पुरातन काल से लेकर आज तक मेरा ही बोलबाला रहा है ! पूरे विश्व मैं पूरे ब्रहमांड मैं ! आज जो विश्व मैं भ्रष्टाचार , बेईमानी , लूट-खसोट , हत्या और ना जाने कितने अपराध हो रहे हैं उन सबका जिम्मेदार मैं ही हूँ ! मेरे लिए लोगों ने इन्सान को इन्सान से बाँट दिया और उनके बीच मैं खींच दी जातिधर्म और उंच नीच की दीवारें ! मेरे लिए आज देश मैं हिन्दू -मुस्लिम को लेकर दंगे कराये जाते हैं ! और किया जाता है अपनों का कत्लेआम ! मेरे लिए इन्सान आज वह सब कुछ करने को तैयार हो जाता है ! जो एक इन्सान होने के नाते उसे नहीं करना चाहिए !

एक समय था जब इन्सान सिर्फ लोगों के साथ न्याय करने के लिए , और देश को एकजुटता में बाँधने केलिए , जातिवाद और इंसानों के बीच फैली नफरत की खाई को भरने के लिए , तब हिन्दू-मुस्लिम के नाम पर यों अपने ही भाइयों का खून नहीं बहाया जाता था ! और इन्सान, इन्सान की भलाई ले लिए ! मेरे लिए लड़ता था ! तब मेरे ऊपर बैठने बाले इन्सान को मैं भगवान् का दर्जा देता था ! क्योंकि वह एक धर्माधिकारी की भूमिका निभाता था ! और उस कुर्सी का सही मान रखा जाता था ! तब होते थे सच्चे राजनेता और कुर्सी का सही मतलब समझने बाले ! तब सभी लोग मेरा मान-सम्मान करते थे ! और मैं मन ही मन प्रसन्न रहता था !

आप सभी से निवेदन हैं ....... मेरा मान बनाये रखने के लिए आप अच्छे इंसानों को चुनकर मेरे पास भेजिए ! जो सिर्फ अपने देश के लिए काम करें ना की अपने लिए ! क्योंकि आप सब मैं वो ताक़त है जो कभी भी कुछ भी कर सकती है ! क्या ऐसा हो सकता है ...... मुझे नहीं लगता की ऐसा होगा .......... फिर भी मैं इन्तजार करूंगी की कोई ऐसा आये जो सिर्फ सच को जानता हो , और जानता हो मेरा मान .....................

धन्यवाद

Friday, May 7, 2010

मैं भी हूँ आपके काम का......समझें मेरा महत्त्व ....>>> संजय कुमार


मैं कहीं भी आ सकता हूँ , मैं कभी भी आ सकता हूँ , नहीं देखता सुबह, नहीं देखता शाम ! नहीं देखता ख़ुशी और ना ही गम ! ना दिन और ना रात ! ना मैं हिन्दू हूँ और ना ही मुस्लमान , ये जातिधर्म क्या होते हैं ! नहीं बाँध सकता मुझे कोई इन बन्धनों मैं ! अपनों के पास भी जाता हूँ और अपने दुश्मनों के पास भी ! मैं एक जगह से विश्व मैं कहीं भी जा सकता हूँ ! मैं हूँ आज सबके काम का ! आज मेरे बिना नहीं चल पाता कोई ! कोई मुझे पसंद करता है, तो कोई नापसंद ! प्रेमी प्रेमिकाओं मैं आज मेरी बहुत इज्जत है ! वो एक दुसरे से ज्यादा मुझे प्यार करते हैं ! तो हूँ ना मैं सबसे प्यारा ! अरे भई पहचाना या नहीं! कोई बात नहीं चलो मैं ही बता देता हूँ अपने बारे मैं ! मैं हूँ आपका प्यारा सन्देश वाहक आपके मोबाइल का एक छोटा सा सन्देश जिसे आप सब आधुनिक भाषा मैं Mobile Message के नाम से जानते हैं !अब बताओ , हूँ ना मैं आप सबके काम का !

आप लोग थोडा सा पीछे आइये या यूँ कहें अपने भूत काल मैं ! जब कोई मुझे कहीं भेजता था तो पहले बहुत समय लगता था ! मुझे भेजने के तरीके भी अलग थे जैसे घोड़ों पर बैठकर संदेशवाहक मुझे ले जाता था ! कहीं कहीं कबूतर का उपयोग किया जाता था ! जैसे जैसे समय बदला मेरी भी पहचान बदल गई ! पोस्टकार्ड , अंतर्देशीय और तुरंत सन्देश पहुँचाने के लिए " तार " का उपयोग ! पर इन सब मैं समय बहुत लगता था ! पता चला जिस बात के लिए मुझे भेजा जा रहा है ! बो बात तो मेरे पहुँचने से पहले ही हो गयी ! फिर मैं किस काम का ! पर अब मैं पूरी तरह से बदल गया हूँ ! जब से यह आधुनिक समय का छोटा सा पिटारा आया है ! मैं बहुत खुश हूँ ! अब मैं हर जगह समय पर पहुँच जाता हूँ और लोगों का काम आसान कर देता हूँ ! चाहे किसी को जन्मदिन की बधाई देनी हो या शादी की सालगिरह की ! काम की बातें हो या लैला मंजनूं की शायरी सब कुछ चंद सेकंडों मैं ! आज मैं हर इन्सान के लिए उपयोगी हूँ ! आज मैं बहुत खुश होता हूँ जब मेरा उपयोग करने से आम लोग खुश होते हैं !

जैसे जैसे मेरा उपयोग बड़ा मेरा महत्त्व बड़ा , तब से मेरा उपयोग करने से कुछ लोग दुखी हो गए हैं ! कारण हैं यह आज की ये कम्पनियां मुझे जब देखो जहाँ देखो बेवक्त भेज देती हैं ! जिससे आमजन अब त्रस्त हो गए हैं !और पड़ने लगती मैं मुझे बिन बात गालियाँ ! मैं क्या करूँ अब समझ मैं नहीं आता ! अब मेरा उपयोग सिर्फ लोगों को अपने जाल मैं फंसाने के लिए किया जाता हैं ! (कंपनी द्वारा बार बार बिन बात के जो मैसेज आते हैं ) मैं तो बार जाकर जब इतना थक जाता हूँ तो इन्सान का क्या हाल होता होगा जो दिन भर मुझे झेलता है ......................

धन्यवाद

Thursday, May 6, 2010

आज मंदिरों मैं, चल रहे जूते चप्पल ......>>> संजय कुमार

मुझे माफ़ करना इस तरह की बात लिखकर मैं किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुँचाना चाहता ! बस एक छोटी सी बात है जो मैं आप लोगों से कहना चाह रहा हूँ ! हमारे देश मैं मंदिरों का एक अलग ही महत्व है ! हम अपने मंदिरों को एक उच्च स्थान के रूप मैं जानते हैं ! यह सही भी है क्योंकि मंदिर मैं भगवान होता जिसके सामने हम अपनी परेशानी और अपनी समस्याएं रखते हैं ! उनका हल होता है या नहीं ये तो नहीं मालूम पर फिर भी मंदिर तो मंदिर होता है ! पर यहाँ मैं भगवान के मंदिर की बात नहीं कर रहा हूँ ! मैं बात कर रहा हूँ अपनी कर्मस्थली जिस जगह हम और आप अपनी सच्ची भावना के साथ कार्य करते हैं ! जैसे हम सभी अपने घर को मंदिर कहते और अपनी कर्मस्थली को भी ! ठीक उसी तरह एक जगह और है जिसका दर्जा किसी मंदिर से कम नहीं है ! वहां भगवान् ना सही पर मंदिर का बहुत महत्व है ! इसका अपमान पूरे देश का अपमान माना जाता है ! जिसके पीछे होती है हमारी सरकार की सारी ताक़त सारा प्रशाशन ! जिसके आगे किसी इन्सान का कोई मूल्य नहीं है ! जी हाँ मैं बात कर रहा हूँ अपना संसद भवन , और विधानसभा भवन ! वह मंदिर जहाँ बैठकर हम लोग इतिहास बना चुके , भारत का संविधान लिख चुके ! देश की अर्थव्यवस्था का निर्माण करते है ! नए नए फरमान अपने देशवाशियों को देते हैं ! नए नए विधेयक चाहे महिला आरक्षण हो या देश का कोई भी बड़ा विधेयक ! आज देश का ऐसा कोई कार्य नहीं जिसकी रूपरेखा यहाँ बैठकर ना बनायी गयी हो ! बड़ी बड़ी योजनाओं को यहीं एक नया आकार प्रदान किया जाता है ! इसलिए इस जगह का महत्व हम सभी के लिए किसी मंदिर से कम नहीं है !

लेकिन जैसे जैसे समय गुजर रहा है , हमारे इन मंदिरों का महत्व दिन प्रतिदिन कम होता जा रहा है ! उसके पीछे कारण है वहां बैठने बाले देश के सर्वोच्य पद पर बैठे हुए लोग ! जिस तरह आज हर जगह का वातावरण पूरी तरह दूषित हो गया है ठीक उसी तरह हमारे इन मंदिरों का वातावरण भी ! आप ने देश को शर्मसार करने बाली कई घटनाएँ सुनी होंगी ! चाहे वह उत्तर-प्रदेश की घटना हो , जिससे सारा देश शर्मसार हो गया ! चाहे जम्मू-कश्मीर हो, या हो विहार विधानसभा दिन प्रतिदिन इनकी मर्यादा गिरती जारही है ! चाहे विपक्ष हो या पक्ष सब इन मंदिरों का अपमान कर रहे हैं ! कुछ दिन पहले हमारे संसद भवन मैं तो नोटों की गद्दीयाँ तक पहुँच गयी ! और पता नहीं क्या क्या हो रहा हैं आज कल हमारे इन मंदिरों मैं ! पर कार्य के नाम पर सदन को सिर्फ स्थगित करना और कुछ नहीं आता ...................

आज देश का कोई भी विधानसभा भवन हो हर जगह आज होने बाली ओछी राजनीती का असर आप प्रतिदिन देख सकते हैं ! कुछ भ्रष्ट नेता, और विपक्ष जो कभी सरकार मैं था आज अपना और अपनी पार्टी का उल्लू सीधा करने के लिए कितनी ओछी हरकतें इन मंदिरों मैं करते हैं यह किसी से छुपा नहीं ! आज सारी मान-मर्यादाओं को परे रखकर कार्य कर रहे हैं ! एक दूसरे पर घटिया आरोप -प्रत्यारोप कर, कर रहे हैं शर्मशार इस मंदिर को !

एक दिन आएगा जब इस मंदिर मैं बैठने बाले कुछ भ्रष्ट, और देश के साथ धोखा करने बाले नेता इस मंदिर को भी बेच खायेंगे और हम और हमारा देश देखता रह जायेंगा ! इन मंदिरों की आज हालत देख रोना आता है ! और बस लगता है ...............आज मंदिरों मैं , चल रहे जूते चप्पल हैं .................................

धन्यवाद

Wednesday, May 5, 2010

कहाँ है, बो संजीवनी बूटी ......>>> संजय कुमार

संजीवनी बूटी का नाम ध्यान मैं आते ही हमें रामायण की याद आती है ! और ध्यान मैं आता है की, किसतरह बजरंगबली ने युद्ध के दौरान मूर्छित लक्ष्मण के प्राण संजीवनी बूटी द्वारा बचाए थे ! और आज तक हम उस संजीवनी बूटी के महत्व को जानते हैं ! और जान गए आयुर्वेद के गुण ! जी हाँ मैं उस देशी नुस्खे की बात कर रहा हूँ जो हम सब भूल चुके हैं , और भूल चुके हैं उनकी तासीर !

आयुर्वेद औषधियां हमारे देश मैं पिछले कई युगों से चली आरहीं हैं ! हम सब आज भी इनकी महत्ता को जानते हैं , पर यह सब आज हमारे द्रश्य पटल से पूरी तरह ओझल हो गयी हैं ! जैसे जैसे समय गुजरता गया धीरे धीरे अंग्रेजी दवाओं ने अपना घर बना लिया ! और पूरी तरह हो गए इन पर निर्भर ! पूर्व मैं जो लोग देशी दवाओं और जड़ी बूटी का उपयोग अपनी बीमारी मैं करते थे वह जल्द ही निरोगी और पूरी तरह स्वस्थ्य हो जाते थे ! और बीमारी जड़ से तक खत्म हो जाती थी ! और इन्सान जीता था लम्बी आयु ! आज के दूषित वातावरण मैं इन्सान को शुद्ध ओक्सिजन तो मिलती नहीं , मिलती है तो दूषित और इन्सान को बीमार करने बाली वायु! और उस पर अंग्रेजी दवाओं का उपयोग ! इन्सान ने अपने आप को इन दवाओं का इतना आदि बना लिया है कि इन्सान कभी कभी बिना बात के भी दवा खाता रहता है ! इन्सान को लगता है कि वह निरोगी होरहा है ! पर वास्तविकता यह होती है , कि इन्सान कुछ क्षण को ठीक होता है पर पूरी तरह से नहीं ! और इन्सान आदि हो जाता है इन दवाओं का ! या इन्सान अपने आपको इतना मजबूर बना देता है यह दवा लेने के लिए ! थोड़ी सी सर्दी तो दवा , थोड़ी सी गर्मी तो दवा , थोडा सर दर्द , थोड़ी कमजोरी , थोडा बुखार , हर बात मैं अपने घर मैं रखा हुआ बीमारियों भरा दवा का डिब्बा उठाया और मिल गया आराम ! आज के भागदौड भरे जीवन मैं व्यक्ति कि शारीरिक रूप से लड़ने कि क्षमताएं इतनी कम हो गयी हैं ! कि उसे आराम करने तक को अंग्रेजी दवाओं का प्रयोग करना पड़ता है ! और अब तो स्थिति इतनी ख़राब हो गई है ! कि इन्सान जरूरत से ज्यादा थकने के बाबजूद आज नींद कि गोलियां खा रहा है ! और आदि हो रहा है इस जहर का जो इन्सान को अन्दर ही अंदर खोखला कर रहा है ! और अब इस जहर कि लत हमारी युवा पीड़ी को लग चुकी है ! शरीर को स्वस्थ्य रखने के सारे देशी नियम भूल गए हैं ! माफ़ करना देशी नियम कभी अपनाए ही नहीं तो ध्यान कहाँ रखेंगे !
अगर हम रोज रोज होने बाली छोटी मोटी बीमारियों मैं अंग्रेजी दवाओं का उपयोग बंद कर अगर अपने देशी नुस्खे और आयुर्वेद औषधियों का प्रयोग करें तो हम जल्द जल्द यों बीमार नहीं पड़ेंगे और हमारे अंदर वह ताक़त आएगी जो इन बीमारियों से लड़ने मैं हमारी मदद करेगी ! हिंदुस्तान मैं हजारों लाखों प्रकार कि जड़ी बूटियाँ हैं जिनमे ताक़त है हर बीमारी से लड़ने कि ! जिनके उपयोग से इन्सान लम्बी आयु तक निरोगी जीवन व्यतीत करता है !

आज अंग्रेजी दवाओं से इतना घिर गए हैं हम सब , कि छोटी मोटी बीमारियों को सही करने के लिए हम दुनिया भर मैं विचरण करते रहते हैं ! और उसका पक्का इलाज हमारे अपने पास होता है ! और बो है हमारा आयुर्वेद ! आज जिस आयुर्वेद को जानने और उसका पूरा लाभ लेने विदेशों से लोग आते हैं ! और हम भाग रहे हैं उन्ही से !
सच हैं आज आज अंग्रेजी दवाओं के बीच मैं हम बस यही सोचते हैं कि ...................कहाँ है बो संजीवनी बूटी ...........

धन्यवाद

Tuesday, May 4, 2010

मेरे पास नहीं है, साहित्यिक भाषा, फिर भी........ >>>>

यह मेरी ५० बीं पोस्ट हैं ! और इस पर मैं आप सभी ब्लॉग बंधुओं का धन्यवाद करता हूँ , की आप सभी ने मेरे विचार और सन्देश पड़े और उन पर अपनी प्रतिक्रिया दी ! आप सभी ने मेरे लेखन को सराहा इसके लिए मैं आप सभी का आभारी हूँ !
मैंने आज तक कोई साहित्यिक किताब नहीं पड़ी है , और ना ही कोई उपन्यास ! इस लिए मेरे लेखन मैं आप सभी को साहित्यिक शब्दों की कमी मिलेगी ! पर आप सभी ब्लोगर बंधुओं के प्रेम और विशिस्ट जनों के आशीर्वाद से मैं आज तक इतना लिख पाया ! और आगे भी लिख पाऊंगा ! मुझे बहुत ख़ुशी होती है , जब आप लोग मेरी पोस्ट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हैं ! उस प्रतिक्रिया से मैं और आगे लिखने के लिए प्रेरित होता हूँ ! मैं जो महसूस करता हूँ , जो भाषा मेरे मन को आती हैं वह मैं अपने लेखन मैं उपयोग करता हूँ ! आगे भी मैं लेखन करता रहूँगा क्योंकि अब यह मेरे जीवन का एक हिस्सा बन गया हैं !
मैं सभी का धन्यवाद करता हूँ जिसने एक बार भी मेरा ब्लॉग पड़ा है ! और उन सभी का जिनकी प्रतिक्रिया मिली और जिंनकी प्रतिक्रिया नहीं भी मिली ! एक बार फिर से आप सभी ब्लोगर बंधुओंका धन्यवाद करता हूँ !

धन्यवाद

Sunday, May 2, 2010

नंगा, भूँखा, गरीब देश और मर्सिडीज कार.....>>>> संजय कुमार


विश्व की सबसे अधिक आवादी बाला दूसरा देश जिसे हम अपना देश भारत, इंडिया , और हिंदुस्तान के नाम से जानते हैं ! जो हिंदुस्तान अपनी एकता मैं अनेकता , अनेक तरह की भाषाएँ , हजारों बोलियाँ , अनेक कलाओं के लिए पूरे विश्व मैं अपनी विशालता के लिए जाना जाता है ! जब हिंदुस्तान का नाम विश्व पटल पर लिया जाता है तो हर एक सच्चा हिन्दुस्तानी अपने आपको गौरवान्वित महसूस करता है ! लेकिन इसका एक पहलू और भी है जो हम जानतें हैं पर उसकी चर्चा स्वयं कभी नहीं करना चाहते ! क्यों की सच कडवा होता है ! कुछ पश्चिमी देश भारत को एक अलग द्रष्टि से देखते हैं ! बो भारत को गरीब, नंगा और भूखा देश के रूप मैं जानते हैं ! और उनका ऐसा मानना गलत नहीं है ! जहाँ गरीवों की संख्या किसी देश की आबादी के बराबर है ! ऐसे लाखों लोग जिनके पास अपना तन ढंकने को एक मीटर कपडा तक नसीब नहीं है ! ऐसे लाखो लोग जिन्हें दो वक़्त का खाना तक नसीब नहीं है ! भारत मैं प्रतिवर्ष एक लाख लोग मरते हैं सिर्फ दूषित पानी पीने से ! लाखों निरक्षर बच्चे ! यह सब कुछ हम जानते हैं , और जानती हैं हमारे देश की सरकार ! पर यह सारी बातें हमारी सरकार कभी कबूल नहीं करती ! और देती है अपने देश को आधुनिक देश का दर्जा ! लेकिन यह सब सच है ! आज हिंदुस्तान मैं इतनी शर्मशार घटनाएँ हो रही हैं , जो हिन्दुस्तान को सेकड़ों साल पीछे ले जाती हैं ! यह सारी बातें पश्चिमी देशों को मौका देती हैं हमारे देश को नंगा , गरीब और भूँखा कहने का ! और शायद इन्ही सब का फायदा उठा कर उन्होंने कई वर्षों तक हम लोगों पर राज किया !
आज देश मैं कई लोग इस बात को स्वीकार बड़ी आसानी से कर लेते हैं की हमारा देश गरीब है ! और गरीबी ही दिखती है हर जगह ! लेकिन एक पहलू आप सब लोग यह भी देखिये की विश्व के सबसे अरबपति-खरबपतियों मैं भारत के कई लोग तीसरे चौथे पायदान पर हैं ! (मुकेश अम्बानी रिलायंस ग्रुप ) और भी कई है जो विश्व के अमीरों की सूचि मैं आते हैं ! तो फिर कहाँ है हमारा देश भूँखा , नंगा और गरीब !

भारत की महानगरी मुंबई और महाराष्ट्र राज्य ! अब आप इसे ही देख लीजिये महाराष्ट्र का एक गाँव या क़स्बा , जहाँ पर ना तो बिजली है और ना है पानी की व्यवस्था , ना है स्वास्थय सुबिधायें, अगर है तो चारों और भुखमरी, गरीबी और सूखा ! जहाँ इन्सान लड़ रहा है अपने आप को जीवित रखने के लिए ! दूसरा पहलु इसी राज्य का एक शहर औरन्गावाद जहाँ एक ही दिन मैं ११५ मर्सिडीज कारों की बुकिंग होती है ! वह कार जिसकी कीमत २५ लाख से शुरू होकर ९९ लाख तक जाती है ! क्या कोई कह सकेगा हमारे देश को एक गरीब देश ! कार बनाने बाली कम्पनी इतने आश्चर्य मैं है की , इतनी कारों की बुकिंग एक साथ ! वह भी अचम्भे मैं है की यह सब कैसे हो गया ! जिस देश को हम गरीब और भूँखा समझ रहे हैं , वह तो हमारी सोच से बिलकुल परे हैं ! (यह जानकारी एक निजी अखबार के द्वारा प्राप्त है ) अब आप ही बताएं क्या हमारा देश नंगा , भूँखा या गरीब हो सकता है ! पर यह एक दुखद सत्य है, की देश मैं आज बहुत जगह भुखमरी है , लाखों बच्चे कुपोषण का शिकार होकर दे रहे हैं अपनी जान ! सरकार ने शिक्षा का नया संबिधान बना दिया ! अब हर बच्चे का कानूनी हक है शिक्षा पाना ! उसी सरकार की नाक के नीचे सेकड़ों बच्चे जो बेघर हैं और दर दर की ठोकर खा रहे हैं ! बह अपना पूरा जीवन निरक्षर होकर ही निकाल देंगे ! एक और उत्तर प्रदेश मैं जहाँ किसान सूखा , भुखमरी, गरीबी से तंग आकर खुदखुशी तक करने को मजबूर हैं , वहीँ उत्तर प्रदेश मुखिया उसी जनता के सामने करोड़ों रूपए की मालाएं पहन रही है ! और उढ़ा रही है , गरीबों का मजाक ! एक राज्य मध्य प्रदेश जहाँ मजदूरों की योजना , रोजगार गारंटी योजना जिसमे मजदूरों को उनकी महनत का सही मूल्य भी नहीं मिल पाटा ओर उसी योजना मैं हो जाता है कई हज़ार करोड़ का घोटाला ! बेचारे मजदूर बस काट देते हैं अपना पूरा जीवन ! गरीबी और भुखमरी मैं !

अब आप लोग बताएं की क्या हैं हमारा देश , नंगा, भूँखा, और गरीब या फिर आधुनिक ..............................

धन्यवाद


Saturday, May 1, 2010

क्या होता है मजदूर दिवस.......>>>> संजय कुमार


आज है मजदूर दिवस, महारास्ट्र डे या मई दिवस , जिसे आज हिंदुस्तान मैं मनाया जा रहा है ! पर कौन है जो मजदूर दिवस मना रहा है ! क्या मजदूर , जी नहीं, यह दिवस तो मना रहे हैं हमारे देश के महान खादीधारी नेता ! वह भी वातानुकूलित कमरों मैं बैठकर ! और मजदूर लगा हुआ है , दो जून की रोटी कमाने मैं ! जिससे उसका परिवार दो वक़्त का खाना खा सके !भीषण गर्मी हो या सर्दी या बरसात निरंतर परिश्रम करने बाला यह इन्सान जिसे हम मजदूर के नाम से जानते हैं ! यह बात आप सभी जानते हैं कि इन दिवस पर क्या होता है , क्या होरहा है और आगे भी क्या होगा ! नेताजी सुबह सुबह एक भाषण देंगे कि आज का मजदूर जिन्दावाद , हम हमेशा से अपने मजदूर भाइयों के साथ हूँ ! बगैरह बगैरह ................ और भोला भाला मजदूर खुश कि जिस नेता कि जयजयकार हम जिंदगी भर करते हैं , आज हमारी कर रहा जयजयकार ........................
आज हिंदुस्तान के ९०% से ज्यादा मजदूरों को तो यह तक नहीं मालूम, कि ये मजदूर दिवस होता क्या है ! और इस दिन होता क्या है ! मजदूर ये कहता है कि, आज तो हम होली, दिवाली और ईद भी ठीक ढंग से नहीं मना पाते तो ये मजदूर दिवस कैसे मनाते हैं! हमारा जन्म तो गरीवी मैं हुआ है , और एक दिन मजदूरी करते करते दम तोड़ देंगे !
जैसा कि हम सबको यह मालूम हैं , कि कठोर परिश्रम के लिए जैसे हम जानवरों मैं बैल को जानते हैं ! ठीक बैसे ही इंसानों मैं सच्चे कठोर परिश्रम के लिए इन मजदूरों को जानते और मानते हैं ! लेकिन आज का मजदूर जीवन भर कठोर परिश्रम करके अपने परिवार को सिर्फ रोटी के अलावा और कुछ नहीं दे पाता !अगर आज हिंदुस्तान मैं किसी मजदूर का बेटा या बेटी कलेक्टर या कोई बड़ा अधिकारी है तो वह आज एक अपवाद हैं ! आज हमारे देश मैं मजदूरों कि स्थिति किसी से छुपी नहीं हैं , मजदूर किस तरह अपने को बेचकर किसी कारखाने मैं अपनी पूरी जिंदगी निकाल देता है ! किस वदहाली मैं आज का मजदूर जी रहा है ! यह सब जानते हुए भी हम कुछ नहीं कर सकते ! सरकार ने तो आज तक सिर्फ मजदूरों के नाम पर सेकड़ों योजनायें चलायी हैं ! जो सिर्फ कागजों पर सिमट कर रह गयीं हैं ! सारी योजनायें सिर्फ अधिकारीयों की जेबें भरने के लिए बनायीं जाती हैं ! क्या हैं मजदूरी के नियम कायदे, क्या हैं उनका हक, क्या हैं उनके अधिकार , जब एक आम पड़े लिखे इन्सान को अपने हक और अधिकारों कि जानकारी नहीं है तो फिर अनपढ़ और भोले भले मजदूरों को कहाँ मालूम उसके अधिकार ! वह सिर्फ बैलों कि तरह काम करना जानता है ! आज जिसे देखो इन मजदूरों का ही दोहन कर रहा है ! मजदूर कि शिक्षा, घर, दवा, और ना जाने कितनी योजनाओं का पैसा मजदूर को मिलना चाहिए लेकिन वह पैसा उन योजनाओं मैं शामिल अधिकारी नेता और ठेकेदार अपने घर, अपने बच्चों कि अच्छी शिक्षा और अपने ऐशोआराम पर खर्च कर रहे हैं ! और मजदूर रह जाता है जन्म से लेकर म्रत्यु तक सिर्फ मजदूर ! पूरे जीवन मैं मजदूर ना तो अपना कभी मनोरंजन कर पाता है ना अपने बच्चों के सपने पूरे ! क्योंकि उनको आज तक उनकी महनत का कभी पूरा पैसा मिलता ही नहीं ! जहाँ एक एक ईंट के साथ महनत करके ऊंचे ऊंचे महल बनाता है , वहीँ अपनी पूरी जिंदगी निकाल देता है , टूटे फूटे झोंपड़ों मैं ! जहाँ पल पल पर उसके योगदान कि जरूरत पड़ती हैं ! वहीँ पल पल पर तिल तिल मरते वह अपनी जिंदगी निकाल देता हैं ! बिना दवा और बिना किसी की मदद के ! क्या कभी कोई ऐसा दिन इन मजदूरों की जिंदगी मैं आएगा जब यह अपने आपको एक खुशहाल मजदूर कहेंगे और फक्र महसूस करेंगे ! इंतजार है ऐसे सच्चे मजदूर दिवस का जो सिर्फ और मजदूर के लिए हो !

कठोर परिश्रम करने बाले मजदूर की हम लोगों को जयजयकार करनी चाहिए ना की उनका हक खाने बाले खादीधारी नेताओं की ........... दीजिये उनको मजदूर दिवस पर उनका मान सम्मान , तभी कहलायेगा सच्चा मजदूर दिवस !

धन्यवाद