Saturday, June 25, 2011

और ... " बाबाजी " बाल-बाल बच गए .... ( लेकिन ) ...>>> संजय कुमार

अभी कुछ दिनों पहले टेलीविजन पर एक ब्रेकिंग न्यूज़ बार - बार आ रही थी ! जिसके अनुसार, भ्रष्टाचार के खिलाफ , भ्रष्टाचारी नेताओं के खिलाफ ...." बाबाजी " की आम सभा ( चुनावी आम सभा कह सकते हैं ) में पुलिस ने बिस्फोट कर दिया है ! अरे भई ....... " आंसू गैस के गोलों के धमाके " पुलिस वालों की आवाजें " पकड़ो - मारो -पीटो - छोड़ना मत- डंडे बरसाओ, इस तरह की आवाजें ......... अचानक जैसे सभा में दो- चार बम फट गए हों ! चारों तरफ अफरा-तफरी का माहौल था ! हर तरफ से चीखने-चिल्लाने की आवाजें सुनाई दे रही थी ! लोगों को समझ में नहीं आ रहा था की ये सब अचानक क्या और कैसे हो गया ? सभा में भाषण के दौरान " बाबाजी " तो कह रहे थे की देश से आतंकवाद को हम मिटा देंगे जब हम सरकार में आयेंगे ! आम जनता की रक्षा करने का वादा जो सरकार ने हमसे किया है ! यहाँ बाबाजी सरकार का वादा याद कर रहे थे और अचानक सभा में बिस्फोट सा माहौल उत्पन्न हो गया और भगदड़, चारों तरफ से आम जनता की चीख-पुकार , कोई बचाओ - बचाओ तो कोई भागो -भागो कह रहा था , तो कहीं से आवाज आ रही थी "अरे बाबाजी कहाँ गए उन्हें तो कुछ नहीं हुआ " दूसरी ओर से आवाज आई " अरे घबड़ाने की जरुरत नहीं है बाबाजी तो अपनी बेशभूषा बदल कर अपने सिर पर अपनी खडाऊं रख अपनी बुलेट प्रूफ कार में बैठकर सकुशल अपने घर पहुँच गए हैं ! सभा की जगह कितने लोग घायल हुए ? कितने लोग मारे गए ? अभी तक यह पता नहीं चल पाया ! किन्तु एक अच्छी खबर है इस देश की जनता के लिए , वो ये है कि , इस लाठीचार्ज में हमारे माननीय, आदरणीय, पूज्यनीय बाबाजी बाल-बाल बच गए ! पुलिस उनके बहुत करीब आ गयी थी , उसके बावजूद उनको खरोंच तक नहीं आई ! बाबाजी ने अपनी सूझबूझ से अपनी जान बचा ली ! यह तो बही बात हो गयी " जाको राखे साईयाँ - मार सके ना कोय " शायद यही कहावत चरितार्थ होती है ऐसी स्थिति में ! खैर ये तो होना ही था बाबाजी को तो बचना ही था भला बाबाजी को कौन मार सकता है ? क्योंकि आज के बाबा - साधू - संत , नेता जैसी महान आत्माएं तो लगता है अमृत पीकर पैदा हुई हैं ! अगर बाबाजी मारे जाते या उनके साथ कुछ गलत होता तो भई आज देश की राजनीति और देश में तो जैसे भूचाल ही आ जाता ! क्योंकि बाबाजी तो महान आत्मा हैं ! अगर वो नहीं रहते तो क्या होता इस देश का ? फिर कौन करता बड़े-बड़े घोटाले और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई ? कौन जनता का हक इतने अच्छे तरीके से मांग पाता ? बाबाजी के बच जाने से कईयों ने चैन की सांस ली और कई लोगों की हालत बहुत खराब हो गयी ! पता नहीं बाबाजी का कौन दुश्मन था जो इस तरह का " लाठी काण्ड " हो गया ? खैर बाबाजी को कुछ नहीं हुआ बस यही एक अच्छी खबर है !

इस तरह की ब्रेकिंग न्यूज़ पता नहीं हम सब कितने दशकों से सुनते आ रहे हैं और शायद भविष्य में भी सुनते रहेंगे की कहीं लाठी चार्ज हुआ और बहुत सारे मासूम और बेक़सूर जनता को जानवरों की तरह मारा गया ! बाबाजी बच जाते है और पिटाई के लिए सिर्फ आम जनता रह जाती है ! लगता है आम जनता तो मरने के लिए ही पैदा हुई है जो अपने विवेक से कम और आकाओं के बहकावे में ज्यादा काम करती है ! नेताओं और बाबाओं की करनी की कीमत आज आम जनता को अपनी जान देकर तो कभी अपने हाथ -पैर तुडवा कर चुकाना पड़ रही है ! इतिहास गवाह है किसी भी राजा की जान बचाने उसका राजपाठ बचाने के लिए उस राज्य की जनता ने हँसते हँसते अपने प्राणों की बलि तक दी है तब जाकर कहीं उस देश का राजा बर्षों तक राज कर पाया वह भी अपनी प्रजा की वजह से ! और राजा ने भी अपनी प्रजा का पूरा ख्याल रखा ! किन्तु आज स्थिति पलट गयी है ! आज राजा अपना राजपाठ बचाने के लिए आम जनता की बलि चढ़ा रहा है ! जनता ( बाबाजी के चेले ) आज भी अपने " आका " के लिए मरने मारने तक तैयार रहती है , किन्तु " आका " नहीं ! आज तक देश में जितने भी बम ब्लास्ट हुए हैं या बड़े स्तर पर गोली चालन या लाठी चार्ज हुआ है , उनमें आज तक सिर्फ और सिर्फ मासूम और आम जनता को ही अपने प्राण गंवाने पड़े हैं ! आज तक किसी राजा ( नेता- बाबा ) ने अपने प्राणों की आहुति नहीं दी है और ना ही कभी देगा ! अगर देश के किसी भी नेता या बाबा की मौत किसी बम ब्लास्ट में या लाठी चार्ज में हुई हो तो वो एक अपवाद है ! वर्ना आज तक आम जनता के अलावा कौन मारा गया ? यह भी एक कटु सत्य है ! हालांकि लाठी चार्ज और आतंकवाद का कोई धर्म , मजहब नहीं होता ! आज का लाठी चार्ज और आतंकवाद ना मासूम देखता है ना बूढ़ा , गरीब - अमीर , ना हिन्दू ना मुस्लिम ! सवाल सिर्फ इतना है की कब तक आम जनता, नेताओं और बाबाओं की करनी का फल भुगतेगी , क्या कोई दिन ऐसा आएगा जब आकाओं की करनी का फल उनको मिलेगा ?

संसद पर जब आतंकवादियों का हमला हुआ था उस वक़्त सारे देश की निगाहें संसद पर थीं ! दुखी और व्यथित आम जनता तो कह रही थी काश आतंकवादी अन्दर पहुँच जाते तो इस देश से एक बार तो भ्रष्टों का सफाया हो जाता ! किन्तु ऐसा नहीं हुआ , हुआ बही जो आज तक होता आया एक बार फिर फर्ज की खातिर अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए , देश की आन-वान-शान बचाने के लिए, देश के दुश्मनों को उनकी असली औकात दिखाते हुए मंदिर में बैठे हुए भगवानों ( नेता-मंत्री ) की रक्षा करते हुए सच्चे सिपाहियों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी ! किन्तु आज भी कहीं ना कहीं उन्ही भगवानों के कारण उन सिपाहियों के परिवार आहात और दुखी हैं ! उनको उनका हक और कर्तव्य निष्ठां का फल आज तक नहीं मिल पाया ! ( आदर्श सोसायटी घोटाला ) देश के मंत्रीगण भले ही १३ दिसंबर को या " कारगिल दिवस " पर उनको तिलांजलि या श्रद्धंजलि देकर इतिश्री कर ले किन्तु भविष्य में ऐसी कई घटनाएं अभी और होंगी जब बेकसूर और आम जनता मारी जायेगी !

और हर बार की तरह ....... नेताजी और बाबाजी बाल-बाल बच जायेंगे ... ( लेकिन आम जनता )

धन्यवाद

Tuesday, June 21, 2011

और ... चल पड़े मौत के सफ़र पर .... आदतें सुधारें ... करें नियमों का पालन ......>>> संजय कुमार

हर इंसान के अंदर कुछ ना कुछ आदतें अवश्य होती हैं ! आदतें अच्छीं और बुरी दोनों तरह की होती हैं ! आदतें तो आदतें होती है बुरी हों या अच्छी और इनका अच्छा और बुरा प्रभाव भी इंसान के ऊपर ही पड़ता हैं !आदतें अगर अच्छी हैं तो सब कुछ अच्छा होता है और आदतें अगर गलत हों तो सब कुछ गलत ! गलत आदतों से होते हैं भयावह परिणाम जो इंसान को जीवन भर भुगतने पड़ सकते हैं या भुगतने पड़ते हैं ! और एक की गलतियों की सजा भुगतना पड़ती है उसके पूरे परिवार को ! हमारे देश में तो आज अच्छी आदत वालों का तो अकाल सा पड़ गया है और बुरी आदत वालों से यह संसार भरा पड़ा है ! आज कितनी ही बुरी आदतें हमारे अपने अंदर हैं , शायद इस बात का अहसास और जानकारी हमें पूरी तरह से है किन्तु हम उनमें सुधार कभी नहीं करते या शायद हम सुधार करना नहीं चाहते ! और हम करते हैं बार - बार ऐसी गलतियाँ जिनका परिणाम कभी हमें अपनी जान देकर चुकाना पड़ता है या जीवन भर की व्याधि ! किन्तु अब हमें सुधार लाना होगा अपनी गलत आदतों में ! क्योंकि हम अकेले नहीं हैं इस दुनिया में , आज हमसे कई लोग जुड़े हुए हैं जो हमारी छोटी सी तकलीफ भी बर्दाश्त नहीं कर पाते, हमारे माता -पिता , भाई -बहन , पत्नि , बच्चे , हमारे जीवन में हमारे लिए क्या मायने रखते हैं इसका अंदाजा हम सबको अच्छी तरह से हैं ! तो अपनी गलत आदतों का परिणाम हम उन्हें क्यों भुगतने दें ! आज हर इंसान को जल्दी है , कभी ऑफिस पहुँचने की तो कभी घर पहुँचने की , कभी अपनी मंजिल पर पहुँचने की तो कभी महबूबा से मिलने की जल्दबाजी , कभी एक दुसरे से आगे निकलने जल्दबाजी , और जल्दबाजी हम कहाँ दिखाते हैं सड़कों पर जी हाँ सड़कों पर जहाँ इंसान की एक गलती उसकी या किसी अन्य की जान पलक झपकते ले लेती है और वो भी सिर्फ जल्दबाजी और हमारी गलत आदतों की वजह से ! मैं यहाँ आज इंसान की उन आदतों की बात कर रहा हूँ जो हम कभी नहीं सुधारते और हर बार ऐसी गलतियाँ करते हैं जो इन्सान शायद कभी नहीं भूल पाता ! मैं यहाँ बात कर रहा हूँ हमारे यातायात के नियमों की वो नियम जो हमारे जीवन को बचाने के लिए हमारी सुरक्षा के लिए बनाये गए हैं ! जिनका अनुशरण करने से हमें जिंदगी मिलती हैं और उनकी अनदेखी और अवहेलना करने पर मिलती हैं मौत ! जब से इस देश में इंसानी जनसँख्या की तरह वाहनों की संख्या बड़ी है तब से लेकर आज तक लाखों लोग सड़क हादसों में काल का ग्रास बन चुके हैं ! इन रोज रोज होने वाले सड़क हादसों में ना जाने कितने ऐसे लोगों को यह सड़कें अपना ग्रास बना चुकी हैं जिन्होंने सड़क पर चलते हुए उन नियमों को दरकिनार किया जो उसकी जान बचा सकते थे ! आज इन्सान को इतनी जल्दी होती है कि वह भूल जाता है वो सारे नियम कानून जो उसकी सुरक्षा के लिए बनाये गए हैं ! आज की युवा पीढ़ी तो सड़कों पर रेस लगाती है वो भी पहले मौत पाने की ! आज हमारी गलतियों कि सजा हमारे परिवार को भुगतनी पड़ती है वह भी जीवन भर ! इन हादसों ने कभी ना कभी हमें एक सन्देश दिया है और आगाह जरूर किया होगा तो फिर क्यों नहीं सुधारते हम अपनी गलतियाँ ! हम क्यों भाग रहे हैं मौत के पीछे ? आज रोज रोज होती गलतियों से कितने मासूम अनाथ हो गए ? कितने बूढ़े माँ-बाप आज जी रहे हैं अपने जवान बच्चों की मौत के गम में ! आज कितनी दुल्हने ऐसी हैं जो सिर्फ एक दिन की दुल्हन बन कर रह गयी और लुट गयी उनकी खुशियाँ सिर्फ इन सड़क हादसों में ! आज का युवा तो इतना जोश में होता है जिसे किसी की परवाह ही नहीं होती है ! कोई नियम कानून की उसे परवाह नहीं करता और इन सडकों को बना लेता है रेश का मैदान और अंधों की तरह भागता है इन सड़कों पर मौत की बाजी लगाने को ! युवाओं ना दौड़ें अपनी ही मौत की तरफ ! हो सकता है आपको जाना हो दूर .... ना की जिंदगी से दूर .................
हिंदुस्तान में तो कोई भी नियम कानून का पालन नहीं करता ! उस पर हिंदुस्तान की सड़कें जिन पर पैदल चलना तक मुस्किल है फिर वहां पर वाहन किस तरह चलते होंगे , इसका अंदाजा आप सभी को अवश्य होगा खासकर बरसात का मौसम बीत जाने के बाद ! आज हमारे यहाँ वाहनों में जिस तरह यात्रियों को भरा जाता है उससे हमें सिर्फ उन जानवरों की याद आती है जिन्हें कटने मरने के लिए ट्रकों में भरकर बूचडखाने ले जाया जाता है ! ठीक यही हालत है आज हिंदुस्तान की बसों और डग्गामार वाहनों की ! सरकार तो इनका आज तक कुछ बिगाड़ नहीं पाई और ना कभी कुछ बिगाड़ पायेगी क्योंकि आप तो जानतें हैं हमारी यातायात पुलिस को १० या २० रुपये दो तो वह इन वाहनों को ( मौत वाहिका ) कभी नहीं रोकेगी फिर चाहे ५० यात्रियों वाली बस में २०० व्यक्ति क्यों ना हों ! पुलिस को तो २० रूपए मिल गए फिर चाहे २०० यात्री जाएँ मौत के मुंह में , क्या फर्क पड़ता है ? क्या हैं आज के इन्सान के जीवन का मूल्य इस भ्रष्ट दुनिया में ? सिर्फ हम ही कर सकते हैं अपनी सुरक्षा !
" अगर हम नहीं दौड़ेंगे उस पथ पर ऐसे .......... जिस पथ पर पल पल पर मौत है .......
क्योंकि हमें जाना हैं दूर ........... ना की जिंदगी से दूर .....................
करें यातायात नियमों का पालन ........... धीरे चलिए ..........सुरक्षित चलिए ................

धन्यवाद

Friday, June 17, 2011

देश के सपूतों से आव्हान .........>>>> संजय कुमार

ऐ आव्हान है देश के सच्चे सपूतों से कि , आप अपने देश की रक्षा करें उन समस्त बुरी ताक़तों से जो देश की एकता को खत्म करना चाहती हैं ! जन्म-भूमि , हमारा देश, वह देश जिस देश में हम पैदा हुए ! भारत देश जिसे हम भारत माता भी कहते हैं ! किन्तु आज इस कलियुग में हमारी भारत माता की हालत बहुत खराब है वह बेड़ियों में जकड़ी हुई है ! भारत माता के हाँथ में एक तिरंगा है जो अपनी पहचान खोता जा रहा है ! उसकी हालत अब पहले के जैसी नहीं रही ! भूंखी , बेबस , और लाचार हमारी भारत माता को आज आतंकवाद , नक्सलवाद , सम्प्रदायवाद , भ्रष्टाचार , घूसखोरी , बेरोजगारी , भुखमरी , कुपोषण जैसे राक्षसों और बुरी ताक़तों ने इस तरह घेर लिया है , जिससे हमारी भारत माता का दम घुट रहा है वह तड़प रही है , कि कोई तो आये, जो उसे इन सब बुरी आत्माओं से मुक्ति दिलाये ! कोई तो आये जो देश के इन दुश्मनों से उसकी रक्षा करे , उनका नामोनिशान मिटा दे ! उसकी करुण पुकार कोई तो सुनने वाला हो ! आज जन्म-भूमि अपने सपूतों से आव्हान कर रही है , उसे उसका असली रूप वापस दिलाने के लिए ! वह रूप जो किसी स्वर्ग से कम नहीं ! भारत -माता कह रही है ! जन्म देने बाली माँ और जन्म-भूमि इस दुनिया में सर्व-प्रथम हैं ! इनका मान सम्मान हमारे लिए सबसे बड़ा है ! तो देश के सपूतों आगे आओ और मुझे बचाओ

जन्म-भूमि के सपूत बोलते चले
जय हे जय हे जय हे जय हे !
आज सारी बेड़ियों को खोलते चले
जय हे जय हे जय हे जय हे !
इस जमीं पे दुश्मनों के पैर हैं जमे
एक-एक पैर को उठाने चल दिए
पैर तो क्या पैरों के निशाँ भी न रहें
दुश्मनों का हर निशाँ मिटाने चल दिए
होंटों पे ये नारा लेके डोलते चले
जय हे जय हे जय हे जय हे !
एक-एक बात का हिसाब मांगने
चल पड़े सवालों के जबाब मांगने
राह आती मुश्किलों से खेलते चले
पर्वतों को भी परे धकेलते चले
शब्द शब्द बो जुबान खोलते चले
जय हे जय हे जय हे जय हे !
जन्म-भूमि स्वर्ग से कहीं हसीन हैं !
इसकी एक-एक बात बेहतरीन है !
खो गया है मान जो, दिलाने चल दिए
इसकी वोही शान, फिर बनाने चल दिए
साँस में बंधी हवा को, खोलते चले
जय हे जय हे जय हे जय हे !

(जननी जन्म-भूमिश्चय , स्वर्गादपि -गरीयसी )

(यह पंक्तियाँ एक फिल्म गीत से ली गयीं हैं )

धन्यवाद

Monday, June 6, 2011

सब ने चूसा जनता का खून .......>>> संजय कुमार

आज का भगवान पैसा है ! आज का ईमान पैसा है ! आज पैसे से सब कुछ खरीदा जा सकता है ! आज पैसों के लिए प्रेम- मोहब्बत , ममता सब कुछ खरीदा जा सकता है यानी पैसे के लिए आज ये भी बिक जाती है ! ईमान , धर्म - मजहब , सच्चाई और न्याय आज इन सबका ईमान सिर्फ पैसा है ! पैसे में आज कितनी ताक़त है इसका अंदाजा हम सभी को अच्छी तरह से है ! पैसा सच को झूंठ , सफ़ेद को काला , सही को गलत , औरत को मर्द और मर्द को औरत बना सकता है ! आजकल ये सब हो रहा है ! आगे भविष्य में इससे भी बढ़कर बहुत कुछ होगा ! पैसे की ताक़त को इस देश में आज बच्चा बच्चा जानता है ! अगर ऐ बात गलत है तो आप किसी भी बच्चे से पूंछ लीजिये , खासकर मध्यमवर्ग से ! पैसे की असली अहमियत तो यही लोग अच्छे से बता सकते हैं ! एक छोटे से ७-८ साल के बच्चे को भी यह बात मालूम होती है , जब उसके स्कूल में उसके मास्टरजी उससे कहते हैं, " जाओ बेटा अपने पिताजी से कहो की स्कूल की फीस जमा कर देवें वर्ना तुम परीक्षा में नहीं बैठ पाओगे " बच्चा समझ जाता है पैसे की अहमियत कितनी है ! तभी तो मास्टरजी पैसे की बात बच्चे को बार - बार याद दिलाते हैं ! पैसे की अहमियत क्या है ? यह बात मैं इसलिए लिख रहा हूँ कि, ऐसा इस देश के कई स्कूलों में होता है और आज हो रहा है ! यह हमारे साथ भी ऐसा ही होता था जब हम एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ते थे ! खासकर प्राइवेट स्कूलों में जहाँ ज्यादातर मध्यमवर्गीय परिवारों के बच्चे पढ़ते हैं ! वो परिवार जो सिर्फ दो वक़्त की रोटी बड़ी मुश्किल से जुटा पाते है ! आज देश में सबसे बुरी स्थिती अगर किसी की है तो वो है मध्यमवर्ग की ! जहाँ वह अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए दिन रात मेहनत करता है , तब जाकर कहीं वह अपना और अपने परिवार का पेट बड़ी मुश्किल से भर पाता है और ऐसे ही लोगों का सामना प्रतिदिन ऐसे लोगों से होता है , जिनकी नज़र में पैसा ही सब कुछ है या मानवता उनके लिये कोई मायने नहीं रखती ! मैंने अक्सर देखा है कि , एक सरकारी डॉक्टर जो बहुत अच्छी वेतन पाता है , लेकिन जब वह अपने घर पर मरीज देखता है तो वह फीस में एक रुपया भी नहीं छोड़ता खासकर गरीब , मजबूर और असहाय लोगों से जिन्हें दवा और इलाज की कहीं ज्यादा आवश्यकता होती है ! क्योंकि यही गरीब और बेबस लोग ही इसके पैसों के लालच को बढ़ावा देते हैं ऐसा करना उनकी मजबूरी होती है क्योंकि हमारे सरकारी अस्पतालों के कामकाज की कार्यप्रणाली किसी से भी छुपी नहीं है ! यहाँ अमीरों को भी लूटा जाता है और यहीं नहीं ऐसा कई जगह होता कोर्ट , पुलिस थाना , तहसील , सरकारी दफ्तर सभी जगह जहाँ पैसों का खेल चलता है मतलब अपना काम अगर जल्दी करवाना हो तो पैसा खिलाओ और अपना काम निकलवाओ , पैसे वाला तो अपनी पहुँच और पहचान का फायदा उठाकर अपना काम निकाल लेता है मगर गरीब का क्या , " गरीब मरता क्या ना करता "! ये वो जगह हैं जहाँ सबसे ज्यादा मध्यमवर्ग और गरीब को लूटा जाता है ! एक मध्यमवर्गीय परिवार अपना पूरा जीवन लगभग सपनों से सहारे ही गुजार देता है ! मेरे पास अपना घर होगा , मेरे पास अपनी गाड़ी होगी , थोडा बैंक बैलेंस होगा , मेरे बच्चे बड़े होकर सरकारी नौकरी करेंगे , नहीं तो डॉक्टर या इंजीनियर ही बन जाएँ वगैरह - वगैरह , और अपना पूरा जीवन इन्हीं सपनों को पूरा करने में निकाल देता है ! बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो सफलता के सबसे ऊंचे पायदान पर पहुँचते है ! एक मध्यमवर्ग परिवार सभ्य समाज में रहते हुए , बहुत कुछ सहते , सुनते हुए अपना जीवन व्यतीत करता हैं ! इस देश में सबसे ज्यादा शोषण , दमन यदि किसी का होता है तो वो होता है आम जनता का ! देश में बड़े-बड़े पदों पर बैठे नेता , सरकारी अधिकारी ,संत्री ,डॉक्टर सभी आम जनता का खून चूसने में कोई कसर नहीं छोड़ते , बस एक बार कोई फस जाए !


" सब ने चूसा जनता खून - कौन गड़रिया छोड़ता किसी भेड़ पर ऊन "


धन्यवाद

Thursday, June 2, 2011

आज भी जीवित है दुनिया का सबसे खूंखार आतंकवादी ! जरा ध्यान दीजिये .....>>> संजय कुमार

अमेरिका ने अभी हाल ही में विश्व के सबसे खूंखार आतंकवादी " ओसामा बिन लादेन " को मार गिराया ! वो ओसामा जिसने अमेरिका और उसकी अवाम की नींद हराम कर रखी थी ! आतंकवाद एक ऐसा अभिशाप है जो इस विश्व में आज दिन दूनी रात चौगनी तरक्की कर रहा है ! आतंकवाद के खिलाफ ना तो हम कुछ कर सकते हैं और हमारी सरकार से भी हमें कोई उम्मीद नहीं हैं ! आज तक हजारों लाखों बेक़सूर इंसानों को निगल चुका है यह आतंकवाद और ना जाने आगे कितने मासूमों को निगलेगा ! दिन प्रतिदिन आतंकवाद का शिकार होते मासूम लोग और हम सब मूक दर्शक की भूमिका निभाते हुए ! आतंकवाद ना तो कोई जाति, धर्म देखता है और ना ही छोटे बड़े का भेद और ना ही हिन्दू -मुस्लिम सब को निगल लेता है ! लगता है यह आतंकवाद अब कभी खत्म नहीं होगा ! किन्तु हम सब फिर भी लड़ेंगे जब तक इस शरीर में जान हैं ! ऐसे आतंकवादियों की लड़ाई इंसानियत से हैं और बिना किसी मुद्दे के इस विश्व में आतंकवाद फैला रहे हैं ! ये तो बात हुई " ओसामा " और उसके जैसे खतरनाक आतंकवादियों की जिनका मकसद सिर्फ दहशत फैलाना मासूमों की हत्या करना और अर्थव्यवस्था को चौपट करना ! किन्तु आज मैं जिस आतंकवादी की बात आपसे कह रहा हूँ हम सब उस आतंकवादी से भली-भांति परिचित हैं और वो आतंकवादी " ओसामा बिन लादेन " से भी ज्यादा खतरनाक है ! हमारा अपना जाना पहचाना या यूँ भी कह सकते हैं हम लोगों द्वारा पैदा किया हुआ आतंकवादी जो धीरे -धीरे हम मानव जाति के बीच तेजी से अपनी पकड़ मजबूत और स्थायी बना रहा है ! उसकी पकड़ इतनी मजबूत है कि , हम उसका शिकार कभी भी हो जाते हैं और हम इस आतंकवादी का भी कुछ नहीं बिगाड़ पाते ! यह आतंकवादी हमारा पारंपरिक आतंकवादी है और यह अपनी परम्परा पर आज भी टिका हुआ है ! यह आपको हर जगह मिलेगा या यूँ भी कह सकते हैं कि , हिंदुस्तान के हर घर में आपको यह आतंकवादी मिल जायेगा ! घरों में आपके चारों ओर आप इस आतंकवादी को कभी भी देख सकते हैं ! सर्दी -गर्मी - बरसात हर मौसम में दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करता हैं ! इस आतंकवादी की कोई जात नहीं हैं ! हाँ एक बात और यह किसी को भी नहीं छोड़ता बच्चे हों बूढ़े हों या जवान , महिला - पुरुष , किन्नर हर किसी को अपना शिकार बना लेता हैं और इंसान को कभी भी पहुंचा देता हैं मौत के द्वार ! यह अकेला ही खतरनाक है , यह झुण्ड में भी हमला करता है और कई इंसानों पर एक साथ यह अपने समस्त कुटुंब के साथ जैसे नर- मांदा एवं बच्चे सब मिलकर हमला करते हैं ! आज भी यह हमारे घरों में मौजूद हैं और आगे भी रहेगा ! हम सब नित नए नए हथकंडे अपनाते हैं इसे खत्म करने के फिर भी इंसान तो हार ही जाता है और कहता है इसे खत्म करना हमारे वश का नहीं हैं ! क्योंकि यह कभी - कभी नहीं बल्कि प्रतिदिन हमला करता है एक बार नहीं कई बार करता है ! आप इससे कितना भी बचने की कोशिश करें जीवन में एक ना एक बार आप भी इसका शिकार अवश्य हुए होंगे ! और यह बात मैं पूरे विश्वास और यकीन के साथ कह सकता हूँ ! क्या आप जानते हैं इस आतंकवादी का नाम ? यह है हम सब का रक्त पिपाशु , इसके हथियार हैं इनके धारदार एवं नुकीले " डंक " जो एक बार बस इंसान के शरीर में चुभा दें फिर क्या इन्सान के साथ होता है यह भी हम जानते हैं ! इस आतंकवादी से तो आज तक कोई भी नहीं बच पाया नेता, अभिनेता, साधू या शैतान , दोस्त या दुश्मन यह किसी को भी नहीं छोड़ता ! इसके लिए पूरी मानव जाति एक समान है ! अमेरिका और भारत की लिस्ट में जो आतंकवादी हैं उन्होंने तो आज तक सिर्फ बेक़सूर लोगों को ही मारा है ! पर इसने किसी को भी नहीं छोड़ा , क्योंकि यह भ्रष्ट नहीं हैं और ना ही देश का गद्दार है ! इसने हम सभी को कई तरह से मारा है कई प्रकार से पीड़ित किया है हर मौसम में इसके मारे मिल जायेंगे ! इसने हम सबको कितनी खतरनाक बीमारियाँ दी हैं ! मलेरिया , डेंगू , टायफाइड और ना जाने दुनियाभर की कौन - कौन सी बीमारी आगे भी देता रहेगा ! अब तक आप सब समझ गए होंगे कि , मैं किस खतरनाक आतंकवादी की बात कर रहा हूँ ! अब मैं इस आतंकवादी का नाम आपको बता ही देता हूँ ! और उसका नाम है " मच्छर " जी हाँ बिलकुल सही कह रहा हूँ मैं ! अजी हम सबके प्यारे " मच्छर महाराज " जो कई वर्षों से हम सब का खून चूस रहे हैं और आगे भी चूसते रहेंगे ! इस आतंकवादी का तो सरकार भी कुछ नहीं बिगाड़ सकती सिर्फ खत्म करने के उपाय ही ढूँढती रहती हैं और यह अपनी मस्ती में मस्त होकर अपना आतंकवाद फैलाता रहता है ! इससे सबसे ज्यादा पीड़ित निचले तबके के लोग होते हैं जिनके पास इस आतंकवादी से लड़ने का कोई हथियार नहीं होता ! बैसे हथियार तो बहुत हैं लेकिन वह भी सब के सब फ़ैल हैं ! All-out, Mortin, और " मच्छर भगाओ अगरबत्ती " पर इसके आगे सब कुछ बौना सा साबित होता हैं ! सरकार इस आतंकवादी को एक बार जड़ से समाप्त करके बताये तब हम मान सकते हैं की हमारी सरकार हर आतंकवादी का सफाया कर सकती है ! अरे इसके खौफ से तो सरकार के आला अफसर तक डरे रहते हैं !


अब आप ही बताएं है ना यह दुनिया का सबसे बड़ा और खूंखार आतंकवादी !


निरंतर चलता रहेगा इसका आतंकवाद


धन्यवाद