Friday, January 28, 2011

" काश हम कुत्ते होते " ----- पार्ट ३ .....>>>> संजय कुमार

पुनः आपके समक्ष " काश हम कुत्ते होते " पार्ट ३ लेकर उपस्थित हुआ हूँ ! पहली दो पोस्ट अगर आप लोगों ने नहीं पढ़ीं हैं तो नीचे दी हुई लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते पर ! शायद आपको पसंद आये .
अगर पहला पार्ट पढ़ना हो तो ----

http://sanjaykuamr।blogspot.com/2010/06/blog-post_30.html/lcomments
दूसरा पार्ट ------ http://sanjaykuamr.blogspot.com/2010/10/blog-post_03.html/lcomments

जैसा की मेरी पिछली दोनों पोस्ट इस बिषय पर केन्द्रित थीं की इन्सान और जानवर में कौन बेस्ट है ? इन्सान तो आज जानवरों से भी वद्तर हो गया है और जानवर इन्सान से कहीं ज्यादा Best ये कलियुग का कडवा सच है ! खैर जाने देते हैं ये तो चलता ही रहेगा ! अब आते मुख्य मुद्दे पर ! मुझे लगता है अंग्रेज इंसानों से कम जानवरों से अधिक प्रेम करते है ! अंग्रेजों के जानवरों ( खासकर कुत्तों ) के प्रति असीम प्रेम को देखते हुए यह पोस्ट लिख रहा हूँ ! लगता है अंग्रेज इंसानों से कम जानवरों से ज्यादा प्यार करता है ! तभी ऐसी हरकतें करते हैं या हम भारतियों का ध्यान आकर्षित करते हैं ! या फिर हम भारतीयों को कोई सन्देश देना चाहते हैं ! वर्ना मुझे क्यों मजबूर होना पड़ता ये लिखने के लिए की " काश हम कुत्ते होते " ! लगता है अंग्रेजों को जानवरों में कुत्तों से कुछ ज्यादा ही लगाव है तभी तो उनके आराम और ख़ुशी का कितना ध्यान रखते हैं ! कभी अमेरिका के बाशिन्ग्टन में कोई अपनी ५२ करोड़ की संपत्ति कुत्तों के नाम कर देता है ! अपनी संतान से ज्यादा कुत्तों पर भरोषा ! तो कहीं कुत्तों के लिए आरामदायक भवन का निर्माण करवाता है ! ताजा समाचारों के अनुसार ब्राजील में खोला गया कुत्तों के लिए एक विशेष भोजनालय ! (Restaurent ) ऐसा भोजनालय जहाँ कुत्तों के भोजन प्रबंध का पूरा ख्याल रखा जाता है ! उनके भोजन में पोषण का पूरा ध्यान रखा जा रहा है ! उनके लिए दुनियाभर के लजीज व्यंजन चिकन , सूप , और गोस्त का बढ़िया इंतजाम किया गया है ! अब कुत्ता मालिकों को अपने कुत्तों की सेहत के लिए ज्यादा परेशान नहीं होना पड़ता है ! कुत्ता मालिक अपनी A।C। B।C। D।C। जो भी कार होती है उसमे अपने कुत्तों को अपने साथ बैठाकर सैर कराते हुए भोजन कराने ले जाते हैं ! अब कुत्तों को सिर्फ हड्डी नहीं हड्डी के साथ साथ बहुत कुछ मिलता है ! जय हो अंग्रेजों की कि कितना बड़ा दिल है उनका जो कुत्तों का इंसानों से ज्यादा ध्यान रखते हैं !

एक और जहाँ ब्राजील बाढ़ से पीड़ित है ! लोग अपने घरों से बेघर हैं ! ब्राजील में ही कुछ इलाके ऐसे हैं जहाँ लोग भुखमरी और कुपोषण का शिकार हैं ! अब ऐसे में जिसे भी मालूम चलता है वह अपने इंसान होने पर दुःख और ढेर सारी गालियाँ इन कुत्तों के लिए भोजनालय खोलने बाले लोगों को देते हैं ! और कुत्तों की अच्छी किश्मत से जलते हैं और कहते हैं ! " काश हम कुत्ते होते " अब आप ही बताएं कितनी अच्छी जिंदगी है अंग्रेज कुत्तों की ! और हमारे यहाँ के कुत्ते किस हाल में जी रहे हैं ! हमारे यहाँ के कुत्तों की कहाँ ऐसी जिंदगी , कुछ कुत्तों को छोड़ दें ( मंत्रियों के आवासों पर निवास करने बाले ) तो सबकी हालत पतली है ! एक ओर जहाँ अंग्रेजी कुत्तों के पोषण का पूरा-पूरा ध्यान रखा जा रहा है ! वहीँ हमारे यहाँ पिछले दिनों बेचारे एक कुत्ते ने जब एक " अछूत " के यहाँ रूखी-सूखी रोटी खा ली तो कितना बवाल मच गया क्या क्या ना सहना पड़ा उसको , बेचारे कुत्ते को " अछूत " का दर्जा तक मिल गया ! कितनी गलत बात है हम लोगों की ! हमें तो इन अंग्रेजों से कुछ सीखना चाहिए ! एक ओर जानवरों से अंग्रेजों का इतना लगाव वहीँ दूसरी ओर हमारे देश में इन्सान की हालत जानवरों से भी वद्तर है ! यहाँ देश के कुछ महानतम नेताजी तो जानवरों का चारा तक चर गए और आज तक डकार भी नहीं ली ! अरे ये तो बेजुबान जानवर है इनके साथ तो जानवरों से भी वद्तर व्यवहार हम लोग कर रहे हैं ! हमने तो इंसानों और जानवरों का भोजन तक नहीं छोड़ा ! हमारे मध्य-प्रदेश में ही कितने मासूम आज भी भुखमरी और कुपोषण का शिकार है ! इन मासूमों का पोषण आज के भ्रष्ट नेता चट कर गए ! आज इंसान इंसान के मुंह से निवाला छीन रहा है ! इंसानों पर जानवरों से ज्यादा वद्तर व्यवहार कर रहा है ! जानवर आज भी वफादारी में इन्सान से ऊपर ही है ! और आने बाले समय में ऊपर ही रहेगा ! एक वक़्त आएगा जब इंसान अपने को इंसान नहीं जानवर कहलवाना पसंद करेगा ! शायद कुछ तो अभी भी कहते होंगे !

सोचना होगा हम इंसानों को की आज हम क्या हैं ? कौन हैं ? क्यों इंसान आज इंसान की अपेक्षा जानवरों के साथ मित्रता करना चाहता है ? क्यों इंसानों से ज्यादा जानवरों से प्यार करता है उन पर भरोसा करता है ? क्यों उनका भला करना चाहता है ? यह एक प्रश्न है हम इंसानों के लिए जिसका जबाब हम इंसान नहीं दे सकते क्योंकि उत्तर हम जानते हैं ! कारण हम इंसान ही हैं ! और ये भी जानते हैं की तराजू के एक पलड़े में जानवर और एक पलड़े में इंसान को रखा जाए तो आज जानवर का ही पलड़ा भारी होगा ? आज जितने पोषण की जरुरत जानवरों को है उससे कहीं जायद इंसान को ! इसलिए कहता हूँ " काश हम कुत्ते होते "

धन्यवाद

Monday, January 24, 2011

गणतन्त्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ( कैसे मनाएंगे आप गणतंत्र दिवस ) .... >>>> संजय कुमार

आप समस्त ब्लोगर्स एवं देशवासियों को गणतंत्र-दिवस की बहुत बहुत बधाई एवं ढेरों शुभ-कामनाएं ! हमारा यह राष्ट्रिय पर्व प्रत्येक व्यक्तियों के लिए अलग अलग मायने रखता है ! आप के लिए भी कुछ मायने रखता होगा ! किसी के लिए सरकारी छुट्टी का दिन ! किसी के लिए सिर्फ छुट्टी का दिन ! कुछ लोगों को यह दिन एक आम दिन के जैसा होता है ! जैसे वो लोग जो जानते ही नहीं गणतंत्र दिवस का मतलब ! खासकर मजदूर वर्ग जो दिन-रात सिर्फ अपने परिवार के भरण-पोषण में लगा रहता है तब जाकर दो वक़्त के भोजन की पूर्ती करता है ! या रोज कुआँ खोदकर पानी पीने बाले जिन्हें तो सिर्फ दिन से मतलब होता है , उनके लिए वह दिन बहुत अच्छा होता है जब अन्य दिनों की अपेक्षा उस दिन अच्छी खासी कमाई होती है ! तो कुछ लोगों को विशेष महत्त्व होता है ! कुछ इस दिन का बड़ी बेसब्री से इन्तजार करते हैं ! कुछ इस दिन अपने घर के काम काज निपटाते हैं तो कुछ बच्चों के साथ दिन बिताते हैं ! कुछ तो सारा दिन आराम या फिर इत्मीनान से टेलीविजन या फिल्म देखकर निकाल देते हैं ! हमारी युवा पीड़ी जो पूरी तरह से आधुनिकता या पश्चिमी सभ्यता के रंग में रंगी हुई है उन्हें कैसा लगता है ये दिन शायद जबाब ना दे पायें क्योंकि उन्हें तो मौज-मस्ती से ही फुर्सत नहीं मिलती है ! अगर किसी को इस दिन का विशेष इन्तजार होता है तो वो हैं इस देश के नौनिहाल जो कई दिनों की कड़ी मेहनत कर इस दिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बढ चढ़कर हिस्सा लेते हैं ! और उन युवाओं को जो देश के लिए कुछ करना चाहते है ! सच पूंछा जाये तो इन नौनिहालों और देश प्रेमी युवाओं की बजह से ही इस राष्ट्रिय पर्व की शोभा बढ़ती है ! और भी लम्बी फेहरिस्त हैं उन लोगों की जिन्हें इन्तजार रहता है इस राष्ट्रिय पर्व का ! आप जरुर बताएं कैसे मनाया आपने गणतंत्र दिवस !

देश के समस्त नागरिकों को गणतंत्र - दिवस की बहुत बहुत शुभ-कामनाएं

" जय-हिंद " " जय-हिंद " " जय-हिंद "

धन्यवाद

Friday, January 21, 2011

अनजाने पाप की सजा है .......... >>>> संजय कुमार

इतना आसान नहीं किसी को भुला पाना
इतना आसान नहीं किसी के दिल से निकल पाना
भले ही वो प्यार करे न करे हमें
पर इतना आसान नहीं हमारा
उसकी तरफ से यूँ मुंख मोड़ पाना
ये क्या है रब कुछ समझ नहीं आता
शिकायत है उसे की ,
जिंदगी उसने,
मेरी वीरान बर्बाद की
पर फिर भी जिंदगी को उसकी
आदत सी हो गयी है !
वह हर बार मुंह मोड़ता है
और मेरा दिल रौंधता है
वह तो अपने सपने जी चुका है
पहले ही किसी और के संग
और मुझसे जिन्दगी की गाँठ जोड़ी थी उसने
झूंठ के ही साथ
क्रोध तो इस बात का है की
मैंने अपना सब कुछ अर्पित किया उसे जाकर
जो अपना सब कुछ
पहले ही किसी और को अर्पित कर चुका है
अब पहुंची जो उसकी जिंदगी में तो
लग रहा है की
मुझको शायद काटनी
किसी अनजाने पाप की सजा है !

धन्यवाद

Wednesday, January 19, 2011

और ....... नेताजी बाल-बाल बच गए .....>>>> संजय कुमार

अभी अभी एक ब्रेकिंग न्यूज़ आई है जिसके अनुसार, किसी भ्रष्टाचारी नेता की चुनावी आम सभा में बम बिस्फोट हो गया है ! चारों तरफ अफरा-तफरी का माहौल है ! हर तरफ से चीखने-चिल्लाने की आवाजें सुनाई दे रही है ! लोगों को समझ में नहीं आ रहा है की ये सब अचानक क्या और कैसे हो गया ? भाषण के दौरान नेताजी तो कह रहे थे की देश से आतंकवाद को हम मिटा देंगे, हम आम जनता की रक्षा करने का वादा करते हैं ! यहाँ नेताजी वादा कर रहे थे और अचानक बिस्फोट और भगदड़, चारों तरफ से आम जनता की चीख-पुकार , कोई बचाओ - बचाओ तो कोई भागो -भागो कह रहा , तो कहीं से आवाज आती है "अरे नेताजी कहाँ गए उन्हें तो कुछ नहीं हुआ " दूसरी ओरसे आवाज आई " अरे घबड़ाने की जरुरत नहीं है नेताजी तो अपनी बुलेट प्रूफ कार में सकुशल है और अपने घर पहुँच गए हैं ! बिस्फोट की जगह कितने लोग घायल हुए ? कितने लोग मारे गए ? अभी तक यह पता नहीं चल पाया ! किन्तु एक अच्छी खबर है इस देश की जनता के लिए ! इस बम धमाके में हमारे माननीय नेताजी बाल-बाल बच गए ! बम उनके बहुत करीब फटा था , उसके बावजूद उनको खरोंच तक नहीं आई ! यह तो बही बात हो गयी " जाको राखे साईयाँ - मार सके ना कोय " शायद यही कहावत चरितार्थ होती होगी ! खैर ये तो होना ही था नेताजी को तो बचना ही था नेताजी को कौन मार सकता है ! क्योंकि आज के नेता तो लगता है अमृत पीकर पैदा हुए हैं ! अगर नेताजी मारे जाते तो भई आज की राजनीति में तो भूचाल जो आ जाता ! क्योंकि नेताजी तो महान आत्मा हैं ! अगर वो नहीं रहते तो क्या होता इस देश का ? फिर कौन करता बड़े-बड़े घोटाले और भ्रष्टाचार ? कौन जनता का हक अच्छे तरीके से खा पाता ? नेताजी के बच जाने से कईयों ने चैन की सांस ली ! पता नहीं नेताजी का कौन दुश्मन है ? खैर नेताजी बच गए बस यही अच्छी खबर है !
इस तरह की ब्रेकिंग न्यूज़ पता नहीं हम सब कितने दशकों से सुनते आ रहे हैं और शायद भविष्य में भी सुनते रहेंगे की कहीं ब्लास्ट हुआ और बहुत सारे मासूम और बेक़सूर जनता मारी गयी और हमारे नेताजी बाल -बाल बच गए ! लगता है आम जनता तो मरने के लिए ही पैदा हुई है ! नेताओं की करनी की कीमत आज आम जनता को अपनी जान देकर चुकाना पड़ रही है ! इतिहास गवाह है किसी भी राजा की जान बचाने उसका राजपाठ बचाने उस राज्य की जनता ने हँसते हँसते अपने प्राणों की बलि तक दी है तब जाकर कहीं उस देश का राजा बर्षों तक राज कर पाया वह भी अपनी प्रजा की वजह से ! और राजा ने भी अपनी प्रजा का पूरा ख्याल रखा ! किन्तु आज स्थिति पलट गयी है ! आज राजा अपना राजपाठ बचाने के लिए आम जनता की बलि चढ़ा रहा है ! जनता ( नेताजी के चापलूस ) आज भी अपने नेता के लिए मरने मारने तक तैयार रहती है , किन्तु नेता नहीं ! आज तक देश में जितने भी बम ब्लास्ट हुए हैं उनमें आज तक सिर्फ मासूम और आम जनता को ही अपने प्राण गंवाने पड़े हैं ! आज तक किसी राजा ( नेता ) ने अपने प्राणों की आहुति नहीं दी है और ना ही कभी देगा ! अगर देश के किसी भी नेता की मौत किसी बम ब्लास्ट में हुई हो तो वो एक अपवाद है ! वर्ना आज तक आम जनता के अलावा कौन मारा गया ? यह भी एक कटु सत्य है ! हालांकि आतंकवाद का कोई धर्म , मजहब नहीं होता ! आतंकवाद ना मासूम देखता है ना गरीब - अमीर , ना हिन्दू ना मुस्लिम ! सवाल सिर्फ इतना है की कब तक आम जनता, नेताओं की करनी का फल भुगतेगी , क्या कोई दिन ऐसा आएगा जब नेताओं की करनी का फल उनको मिलेगा ? संसद पर जब आतंकवादियों का हमला हुआ था उस वक़्त सारे देश की निगाहें संसद पर थीं ! दुखी और व्यथित आम जनता तो कह रही थी काश आतंकवादी अन्दर पहुँच जाते तो इस देश से एक बार तो भ्रष्टों का सफाया हो जाता ! किन्तु ऐसा नहीं हुआ , हुआ बही जो आज तक होता आया एक बार फिर फर्ज की खातिर अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए , देश की आन-वान-शान बचाने के लिए, देश के दुश्मनों को उनकी असली औकात दिखाते हुए ! मंदिर में बैठे हुए भगवानों ( नेता-मंत्री ) की रक्षा करते हुए सच्चे सिपाहियों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी ! किन्तु आज भी कहीं ना कहीं उन्ही भगवानों के कारण उन सिपाहियों के परिवार आहात और दुखी हैं ! उनको उनका हक और कर्तव्य निष्ठां का फल आज तक नहीं मिल पाया ! देश के मंत्रीगण १३ दिसंबर को उनको तिलांजलि या श्रद्धंजलि देकर इतिश्री कर लेते हैं ! भविष्य में ऐसी कई घटनाएं होंगी जब बेकसूर और आम जनता मारी जायेगी !

और .................. नेताजी बाल-बाल बच जायेंगे

धन्यवाद

Sunday, January 16, 2011

कब तक अर्थी में ? .... >>> संजय कुमार

डोली में बैठ , जाने बाली

कब तक अर्थी में निकलेंगी

माँ तेरे दिए संस्कारों को हम

कब तक गले का फंदा बन पहनेंगी !

इन्सान कम , सामान अधिक

समझे जाते हैं , हम यहाँ

शालीनता हमारी बेवकूफी

हक मांगे तो बद्तमीजी

चुप रहें तो गलत कहलाते हैं

कुछ कहें तो उद्दंड बतलाये जाते हैं !

छोड़कर अपना सब कुछ

हम आये यहाँ

फिर भी पराये माने जाते हैं !

मायका कहता , घर ससुराल तुम्हारा है !

ससुराल कहे , मायका घर तुम्हारा है !

देकर रिश्ते , वारिस

और करके त्याग हम

उम्र भर

एक घर भी नहीं जुटा पाते हम !



( प्रिये पत्नी की कलम से )


धन्यवाद

Thursday, January 13, 2011

कोमल है कमजोर नहीं तू , शक्ति का नाम ही नारी है .... >>> संजय कुमार

आज हम इक्कीसवीं सदी में जी रहे हैं ! जिस युग को आधुनिकता का युग कहते हैं ! घोर कलियुग भी कह सकते हैं ! ऐसा आधुनिक युग जहाँ हम अपनी बात स्वतंत्र रूप से कह सकते हैं ! इस युग में स्त्री - पुरुषों को समान अधिकार हैं ! स्त्रियाँ किसी भी मामले में आज पुरुषों से पीछे नहीं हैं ! इस बात को आज बड़े बड़े विद्वान भी मानते हैं और बहुत अच्छे से जानते भी हैं ! आज कई क्षेत्रों में नारी ने पुरुषों को पछाड़ दिया है ! आज की नारी और उसकी शक्ति और महत्व को कम आंकना गलत होगा ! ये तो नारी प्रगति का एक सुन्दर और जागरूक पहलु है ! इक्कीसवीं सदी का एक कड़वा सच जो नारी स्थिती को दर्शाता है या भी देखिये ! इस देश में कई जगह नारी आज भी अबला है ! आज भी देश में नारी को सती करने बाली घटनाएं हो रही हैं ! आज भी नारी को दहेज़ के नाम पर जिन्दा जलाया जा रहा है ! आज भी नारी को डायन का नाम देकर जिन्दा मार दिया जाता है ! आज भी रुड़ीवादी परम्पराओं के नाम पर बलि चढ़ाई जा रही है ! आज भी नारी का व्यापार हमारा सभ्य समाज कर रहा है ! आज भी नारी कई जगह पुरुषों के हाँथ की कठपुतली है !
फिर भी नारी तो नारी है ! जिसने नारी की शक्ति को नहीं पहचाना या नहीं पहचान रहे हैं , वो बस थोडा वक़्त रुक जाइए , पूरा विश्व नारी शक्ति से भलीभांति परिचित हो जाएगा ! भले ही पुरुष नारी का महत्व समाज के सामने स्वीकार ना करे ! किन्तु वह यह बात जानता है कि, अगर नारी नहीं तो पुरुष भी नहीं ......... क्योंकि दोनों एक ही सिक्के के दो पहलु हैं .... एक गाड़ी के दो पहिये ..... जिनसे जीवन चलता है ... हे नारी..... पुरुष तुझे हमेशा सलाम करता है , भले ही व्यक्त ना करे .... तू शक्ति है , सर्वशक्तिमान है ........

जिन नारियों का आत्मविश्वास डगमगा रहा है , जो अपने आप को कमजोर समझ रहीं हैं , वह इस गीत को पढ़कर एक जोश अपने में भर लें ......................

कोमल है कमजोर नहीं तू ,
शक्ति का नाम ही नारी है !
जग को जीवन देने बाली ,
मौत भी तुझसे हारी है !
सतियों के नाम पे तुझे जलाया ,
मीरा के नाम पे जहर पिलाया
सीता जैसी अग्नि परीक्षा ,
आज भी जग में जारी है !
कोमल है कमजोर नहीं तू , शक्ति का नाम ही नारी है
इल्म , हुनर में, दिल दिमाग में ,
किसी बात में कम तो नहीं
पुरुषों बाले सारे ही,
अधिकारों की अधिकारी है !
बहुत हो चुका अब मत सहना ,
तुझे इतिहास बदलना है !
नारी को कोई कह ना पाए ,
अबला है बेचारी है !
कोमल है कमजोर नहीं तू , शक्ति का नाम ही नारी है

( यह पंक्तियाँ एक फिल्म के गीत से ली गयीं हैं )

धन्यवाद

Tuesday, January 11, 2011

क्या आपके पास है ? सबसे बड़ी पूँजी ... >>> संजय कुमार

कहा जाता है , बिना आत्मविश्वास के तो मानव दो कदम भी नहीं बढ़ सकता ! आप जब घोर विपत्तियों में घिर जाते हैं , चारों ओरअन्धकार, निराशाएं ही होती हैं , जब आपके अपने सगे - सम्बन्धी और मित्र तक साथ छोड़ देते हैं , जब आप महसूस करते हैं कि कहीं भी कोई आपका अपना नहीं रहा है , सब स्वार्थों से भरे हैं , ना धन रहा और न संपत्ति है , परिवार कि जीवन नैय्या अभावों में घिरी है , आपके सामने सब रास्ते बंद हो गए हैं , आप हर तरफ से निराश हैं , जीवन आपको नीरस लगने लगता है ! तब एक ही चीज है जो हमारे जीवन में प्रकाश करती है , बंद रास्तों को खोलती है , हमें सहारा देती है , आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है , शक्ति और सहस को बढ़ाती है , बह प्रबल शक्ति है इन्सान के अन्दर का आत्मविश्वास ! अगर आपके पास आत्मविश्वास है तो यह इन्सान को कभी धोखा नहीं देगा , जब तक आप चाहेंगे यह आपका साथ देगा ! आप स्वयं ही इसका साथ छोड़ देंगे , किन्तु यह कभी आपका साथ नहीं छोड़ता , जब इन्सान के अन्दर का आत्मविश्वास मर जाता है इसमें वेचारे आत्मविश्वास का क्या दोष ?

जो किसी भी परिस्थिति में आत्मविश्वास का साथ नहीं छोड़ते , वास्तव में वही असली सम्मान के पात्र होते हैं या पात्र बनते हैं !संसार उन्हीं को पूजता है जो स्वयं के मिटने तक अपने आत्मविश्वास पर द्रढ़ रहते हैं ! इन्सान के पास अगर आत्मविश्वास है तो वह अकेला ही अनेक कठिनाइयों का सामना करने को सदैव तत्पर रहता है ! यदि व्यक्ति गरीब भी है और उसके पास आत्मविश्वास है तो वह आत्मविश्वास उसकी पूँजी हैं ! इस आत्मविश्वास रुपी पूँजी से सब कुछ पैदा कर सकता है , अपने गरीबी के अभिशाप से भी मुक्त हो सकता है ! बशर्ते वह अपने आत्मविश्वास पर अडिग रहे ! एक आत्मविश्वासी गरीब ऐसे अनेक कार्य कर सकता है जिसे बड़े-बड़े धनवान नहीं कर पाते या करने में असमर्थ होते हैं ! द्रढ़ता और आत्मविश्वास के साथ , सफलता आप अवश्य हासिल करेंगे ! पर आत्मविश्वास में सच होना चाहिए ! क्योंकि इन्सान असमर्थ नहीं है ! इन्सान के पास आत्मविश्वास कि ऐसी पूँजी हैं जो कभी खत्म नहीं होती ! यह पूँजी इन्सान के जीवन में सबसे उपयोगी होती है , इससे बढ़कर दूसरा कोई नहीं !

क्या आपके पास है , सबसे बड़ी पूँजी ? ( आत्मविश्वास )

धन्यवाद

Saturday, January 8, 2011

गरीब जनता का सबसे बड़ा दुश्मन कौन ? भ्रष्टाचार , आतंकवाद या फिर मंहगाई .... >>> संजय कुमार

माना हमने की हम भ्रष्टाचार में अव्वल नंबर पर हैं ! माना हमने की हमारा देश घोटाले करने में अब माहिर हो गया है ! माफ़ करना देश नहीं, देश में उच्च पदों पर बैठे भ्रष्टाचारी नेता और अधिकारी ! माना देश में आतंकवादी घटनाएँ बढ गयी हैं ! दिन प्रतिदिन हम देश को शर्मशार करने बाली घटनाएं देख और सुन रहे हैं ! आज कभी प्रकृति इन्सान से बदला ले रही है तो कहीं इन्सान इन्सान को मारकर एक दुसरे से बदला ले रहा हैं ! इस कलियुग ने इन्सान को बहुत कुछ दिया पर ऐसा कुछ नहीं दिया जिस पर आज इन्सान फक्र कर सके ! खैर ये सब तो चलता रहेगा .... इस मंहगाई ने तो सबको रुला दिया ॥हम बात कर रहे हैं भारत की जनता की सबसे बड़ी दुश्मन की, ये दुश्मन कोई इन्सान नहीं और ना ही प्रक्रति है ! आज इस देश की जनता का सबसे बड़ा दुश्मन मंहगाई है , जी हाँ मंहगाई ही सबसे बड़ी दुश्मन है जिससे आज का आम इन्सान नहीं लड़ पा रहा है ! इस मंहगाई ने सबके छक्के छुड़ा दिए कोई कितना भी बलवान हो इससे नहीं जीत पाया ! अगर कोई जीत पाया तो वो है इस देश को दीमक की तरह खाने बाले भ्रष्टाचारी और बेईमान ! इस मंहगाई ने पता नहीं क्या क्या करवाया आम जनता से और आगे क्या क्या करवाएगी ! इस मंहगाई ने तो सरकारे बदल दी , बड़े बड़े मंत्री - नेताओं को " नाकों चने चबवा दिए " फिर कहीं प्याज की महंगाई के कारण " अटल बिहारी बाजपेयी " को अपनी सरकार से हाँथ धोना पड़ा हो , और अब "मनमोहन सरकार " पर भी इस मंहगाई की मार पड़ रही है ! देश की सरकार आतंकवाद से निपटने की बात कर रही हो या उससे निपट सकती हो, ये तो वक़्त बताएगा ? फिर चाहे देश में होने बाले किसी भी अपराध से निबटने की बात कर रही हो ! हो सकता है भ्रष्टाचार पर सरकार कुछ लगाम लगा पाए , ऐसा नहीं लगता ! हो सकता है घोटाले कुछ दिनों के लिए रुक जाएँ , अब तो लगता है एक दिन में कई घोटाले होंगे ! सरकार आतंकवाद का सफाया भी कर दे , लेकिन ऐसा नहीं लगता जब तक देश के दुश्मन और देश द्रोही इस देश में हैं तब तक ऐसा संभव नहीं है ! इन सबसे बड़ा आतंकवादी अगर हम आज मंहगाई को कहें तो कोई अतिश्योक्ति नहीं ! आज सरकार अगर नहीं निपट सकती तो इस डायन " मंहगाई डायन " से ! आज इस मंहगाई ने आम जनता की कमर तोड़ कर रख दी है , गरीबों के लिए तो यह " कोढ़ में खाज " बाली कहावत हो गयी है ! एक तो पहले से ही बह अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण नहीं कर पा रहे थे उस पर हाय ...... ये मंहगाई ........ हालांकि ये कटु सत्य है इस मंहगाई का मुख्य कारण भ्रष्टाचार ही है अगर भ्रष्टाचार ना हो तो देश में मंहगाई कब की खत्म हो जाए ! पर ऐसा होगा नहीं ना भ्रष्टाचार खत्म होगा ना मंहगाई अगर भविष्य में कुछ खत्म होगा तो गरीब जनता !

बेचारी जनता का दुश्मन ना तो भ्रष्टाचार है और ना आतंकवाद , ना हैं नेता और ना अफसर उनका सबसे बड़ा दुश्मन तो मंहगाई है ! जिसके आगे उन्होंने कबके हथियार डाल दिए ! आज उसके आगे सब लाचार और बेबस हैं ! आज से ठीक ३७ साल पहले मनोज कुमार ने एक फिल्म बनाई थी " रोटी कपडा और मकान " उस फिल्म में एग गीत था " बाकी कुछ बचा तो मंहगाई मार गई " ऐसा लगता है आज के हालातों को देखकर और आज की कमर तोड़ मंहगाई का अंदाजा लगाकर लिखा गया ! अब आप ही बताएं गरीब जनता का सबसे बड़ा दुश्मन कौन है ? भ्रष्टाचार , आतंकवाद या फिर ये मंहगाई ...................
आप ये गीत जरुर सुनियेगा ................

http://www.bollydb.in/playvideo-xjXn_GbpSWs.html

धन्यवाद

Wednesday, January 5, 2011

क्या आपको हिंदी आती है ? यदि नहीं तो ..... >>>> संजय कुमार

क्या आपको हिंदी आती है ? क्या आपको है हिंदी का पूर्ण ज्ञान ? यदि नहीं , तो सबसे पहले हिंदी सीखें ! अगर आप हैं हिंदी के ज्ञाता, तो आप फक्र कर सकते हैं अपने आप पर , और यदि आपको नहीं हैं हिंदी का पूर्ण ज्ञान , तो पहले हिंदी सीखो , फिर सीखो अंग्रेजी, क्योंकि हिंदी आपकी मात्रभाषा - राष्ट्रभाषा है ! माना अंग्रेजी भाषा आज हमारी जरुरत है ! माना आज अंग्रेजी भाषा के बिना हम अधूरे से लगते हैं ! भले ही आज अंग्रेजी भाषा को एक स्टेट सिम्बल के रूप में मान्यता मिली हो या हमने ही उसे ये मान्यता बिन मांगे दे दी हो फिर चाहे हिंदी को ना दे पाए हों ! चलो.... हिंदी राष्ट्र में किसी भाषा ( विदेशी ) को तो घोषित अथवा अघोषित मान्यता हम आधुनिक लोगों ने प्रदान की ! किन्तु यह अवश्य भूल गए कि हिंदी हमारी पहचान है ! आज हम लोग विश्व में कहीं ना कहीं हिंदी भाषा के कारण जाने जाते हैं ! हिंदी भाषा अपने आप में बहुत महान है ! हिंदी की महानता का पता इस बात से चलता है ! कि , आज हम सब जिस अंग्रेजी के पीछे भाग रहे हैं, वह भी अपनी हिंदी को छोड़ कर ! जिस हिंदी को विश्व में हर कोई सीखना चाहता है ! आज दूर दूर से लोग भारत में आ रहे हैं सिर्फ और सिर्फ हमारी अपनी हिंदी भाषा को सीखने और समझने ! हिंदी भाषा में जो अपनत्व और सम्मान का भाव है वो आपको कहीं किसी और भाषा में सुनने को नहीं मिलेगा ! जिस हिंदी भाषा के बड़े बड़े विद्यालय हमारे हिंदुस्तान में हैं ! बड़े बड़े विद्वान आज सिर्फ हिंदी को बचाने में लगे हुए हैं ! वहीँ हम लोग आज अपनी ही मात्र भाषा को भूलकर अंग्रेजी भाषा के पीछे भाग रहे हैं वह भी बिना कुछ सोचे समझे ! क्योंकि हम अपनी मात्र भाषा हिंदी के बढ़ावे के लिए भले ही कुछ ना कर रहे हों किन्तु अंग्रेजी सीखने के लिए अपनी युवा पीढ़ी और बच्चों को जरुर आगे कर रहे हैं !

ऐसा नहीं की मुझे अंग्रेजी नहीं आती इसलिए मैं अंग्रेजी को कोई गलत भाषा कह रहा हूँ , आज मुझे भी अपने कार्य क्षेत्र में अंग्रेजी की जरुरत महसूस होती है ! अगर नहीं भी आती तब भी मैं अपना काम अच्छे से चला लेता हूँ ! आज सबसे ज्यादा बुरा उस वक़्त लगता है जब आज के बच्चे जिन्हें बचपन से ही अंग्रेज बनाया जा रहा है , जब उनके द्वारा कहा जाता है की मुझे हिंदी नहीं आती ! ये सच है अगर नहीं तो बड़े-बड़े प्रोद्योगिक विद्यालयों में पढ़ने बाले युवाओं से पूंछ लीजिये की उनको हिंदी का कितना ज्ञान है अगर है तो हमारे लिए फक्र की बात है ! आज हम सभी अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम स्कूल में पढ़ाना चाहते हैं या बच्चे पढ़ते भी हैं , कभी आप उनसे हिंदी के बारे में पूँछिये , आपको इस बात का आभाष हो जाएगा की आपके बच्चे को सिर्फ अंग्रेजी आती है ,हिंदी नहीं और जब आप उसके प्रश्नों का जबाब नहीं दे पाते तो उस वक़्त आप यह महसूस करते हैं या अपने आप को दोष देते हैं की आपने अंग्रेजी क्यों नहीं सीखी, काश हमने भी अंग्रेजी सीखी होती ! उस वक़्त आप कभी नहीं सोचते की हम अपने बच्चे को हिंदी का भी पूर्ण अध्यन करा देवें ! आज जिस तरह के परिवेश में हम अपने बच्चों का भविष्य देख रहे हैं उस परिवेश में शायद हिंदी का कोई स्थान नहीं है ! और यदि ये बात सच है तो हमारा युवा या देश का भविष्य सिर्फ अंग्रेजी में ही पारंगत होगा हन्दी में नहीं !

क्योंकि हम आज अंग्रेजी बोलना अपनी शान समझते हैं ! यदि आपको अंग्रेजी नहीं आती तो आप शर्म और झिझक महसूस करते हैं ! ऐसा क्यों ? यदि नहीं आती तो कोई बात नहीं हम अपनी मात्र भाषा को तो अच्छे से जानते हैं ! हमें उस पर गर्व करना चाहिए ! लेकिन आज की युवा पीढ़ी के साथ ऐसा नहीं है ! उन्हें सिर्फ अंग्रेजी ही आती है और वो अंग्रेजी ही सीखना और जानना चाहते हैं ! उनके लिए हिंदी सिर्फ कचरा भाषा लगती हैं ! शायद उसमे उनका स्टेटस नीचे आ जाता है ! आज तेजी से हिंदी शब्द हम सबसे दूर हो रहे हैं और अंग्रेजी दिल में बस रही है , इसका अंदाजा आप अपने आस-पास के वातावरण को देखकर लगा सकते हैं ! की अंग्रेजी का कितना बोलबाला है !लेकिन आज स्थिति बदल गयी है ! आज अंग्रेजी हमारे घरों में अपनी पकड़ दिन प्रति -दिन इतनी मजबूत करती जा रही है , जिसके घातक या बुरे परिणाम हम लोगों को भविष्य में देखने को मिलेंगे ! आज जिस तरह के परिवेश में हम सब जी रहे हैं ! उस परिवेश को आधुनिकता का युग कहते हैं ! और जब से इन्सान ने अपने आप को इस आधुनिकता की दौड़ में अपने आपको सबसे आगे करने का ढोंग किया , इन्सान ऐसी चीजों को अपनाने लगा जो कभी उसकी थी ही नहीं ! आज कई लोग भले ही हिंदी स्पष्ट ना बोल पायें इस बात का उन्हें जरा भी गम नहीं होता , लेकिन उनसे कहीं अंग्रेजी बोलने में कहीं कोई गलती हो जाये तो वह अपने आपको शर्मिंदा सा महसूस करते हैं ! ऐसा नहीं होना चाहिए !

इसलिए मैं जानना चाहता हूँ उन लोगों से जो अंग्रेजी को ही सब कुछ समझते हैं , अंग्रेजी ही उनके लिए सब कुछ है ! क्या आपको हिंदी आती है ? यदि नहीं तो सबसे पहले लें हिंदी का ज्ञान फिर सीखें अंग्रेजी .............

धन्यवाद

Saturday, January 1, 2011

देश का नया नारा ! जय नेता -- जय अभिनेता .....>>> संजय कुमार

हमारे इतिहास पुरुषों ने हमें ऐसे कई नारे दिए हैं , जिन्हें सुनकर रग - रग में खून का संचार होने लगता था ! देश पर, मर मिटने का जज्बा भर देते थे दिलों में , "वन्दे-मातरम् " इन्कलाब जिंदाबाद " जय -हिंद " ये वो नारे थे जिन पर हमारे देश का हर नागरिक अपनी जान न्योछावर तक करने से पीछे नहीं हटता था ! वन्दे मातरम , जय हिंद , इन्कलाब जिंदाबाद , आज से १०० वर्ष पहले जब इस तरह के नारे लगते थे तो सारा भारतवर्ष अपने आप को गोरवान्वित महसूस करता था ! कई क्रांतिकारी इन्ही बोलियों से जाने जाते थे ! आज हम रहें या ना रहें ये वो नारे हैं जो सदा अमर रहेंगे ... कित्नु ये सब नारे आज इतिहास बनकर रह गए हैं, वो इतिहास जिनका अस्तित्व इस आधुनिक दुनिया की चकाचौंध में लगभग समाप्ति की ओर है !

देश आजाद हुआ और फिर नए नए नारे ईजाद किये गए जैसे लाल बहादुर शाश्त्री जी ने " जय जवान- जय किसान " का नारा दिया था ! उस वक़्त देश में इस नारे का बहुत महत्त्व था ! बहुत सोच-विचारकर इस नारे की रचना " शास्त्रीजी" ने की होगी ! जब इस नारे की रचना की गयी थी तब सब कुछ इन्हीं दोनों पर केन्द्रित था ! एक समय था जब किसानों को और जवानों को देश का सबसे बड़ा रक्षक माना जाता था ! हम सब इन दोनों को देश की धुरी कहते थे ! हमारी सरकार आज इन्हें भूल गयी होगी पर हम आज भी नहीं भूले " जय जवान - जय किसान " को ! फिर चाहे आज हमारी सरकार इन्हीं पर अपनी राजनितिक रोटियां सेंककर अपनी सरकार चला रही हो ! देश के ईमानदार लोग आज भी इनकी असलियत और हिम्मत को जानते और पहचानते हैं ! खैर हम अपने मुद्दे पर आते हैं आज देश में तीन लोगों का डंका बज रहा है ! नेता - अभिनेता और साधू-संत , इनमें से साधू -संतों को हटा देते हैं ! क्योंकि आज कुछ भ्रष्टाचारी और कलंकित साधुओं की बजह से कईयों की हालत पतली है ! अब आते हैं नेता और अभिनेता पर, जो आज देश को चला रहे हैं ! आज हर जगह देश में चाहे , अखबार , टेलीविजन , समाचार, पत्र-पत्रिकाओं में बस यही दोनों छाये हुए हैं ! नेता तो इस कदर छाये हुए हैं जिसका अंदाजा लगाना कोई कठिन काम नहीं है ! क्योंकि अब तो हर दिन कोई ना कोई बड़ा घोटाला हमारे सामने आ जाता है , किसी ना किसी बड़े नेता का नाम आज भ्रष्टाचार में ऐसे लिया जाता है जैसे मंदिर में " राधे-श्याम " और " सीता-राम " का नाम ! पिछले ३ दशकों में हमारे जेहन में नेता, राजनीति , घोटाले , भ्रष्टाचार ऐसे घर कर गए हैं जो शायद ही कभी हमारे दिलो -दिमाग से हट पाए ! यूँ भी कह सकते हैं जैसे आज अंग्रेजी हमारे घरों में घर कर गयी है ! अंग्रेजी को जैसे आधुनिक दुनिया की जरूरत बना दी गयी है वैसे ही नेता आज की जरूरत या मजबूरी बन गए हैं ! इन्सान के जीते जी तो राजनीति होती ही है , यहाँ तो मरने के बाद भी बर्षों तक उस मरने बाले के नाम पर नेताजी राजनीति कर लेते हैं ! जय हो आज के भगवान् नेता की, सुनलो अरज हमार भी , तुम्हीं ने देश को तारा ( बेच डाला ) अब हमें भी तारो हे तारणहार ..........

जैसे नेता हमारे दिलों में बस गए है वैसे अभिनेता भी आज घर घर में राज कर रहे हैं ! अब हर दिन हमारे घरों में भगवान् की प्रार्थना की जगह " मुन्नी बदनाम " होती है तो "शीला की जवानी " भी देख लेते हैं ! कभी "BIG-BOSS" की डौली बिंद्रा की फूहड़ आवाज तो कभी उसके द्वारा दी जाने बाली गलियों को याद करते हैं ! कभी सास-बहु सीरियल के कारण सास -बहु के बीच झगडे , कभी " राखी का स्वयंवर " तो कभी " राखी का इंसाफ " के कारण आम लोगों के साथ नाइंसाफी ! कभी KBC के लिए पागलपन का जूनून तो कभी " सलमान-कटरीना " के प्यार के किस्से , अब आम जन की चर्चा का विषय बने हुए हैं ! आज हमारी युवा पीढ़ी की रग-रग में अभिनय और अभिनेता, खून की तरह दौड़ रहे हैं ! आज युवा अपनी प्रेम कहानी और झगड़ों से ज्यादा अभिनेता-अभिनेत्री की प्रेम कहानी में दिल्चस्बी रखते हैं ! अब तो नेताओं की तरह अभिनेता भी चुनाव-प्रचार माफ़ कीजिये फिल्म प्रचार करने में लगे रहते हैं ! कुछ अभिनेताओं का तो वश नहीं चलता वर्ना लोगों को पकड़-पकड़कर अपनी घटिया फ़िल्में दिखाएँ, वह भी बिलकुल मुफ्त में ! लेकिन आज के मतदाता और दर्शक इन दोनों से ज्यादा सयाने और चतुर हो गए हैं ! यह १००% सत्य है , आज का नेता वास्तव में अभिनेता ही होता है ! क्योंकि आज के नेताओं की कार्य शैली में सिर्फ अभिनय रह गया है , जिसे सारा देश बखूबी जानता है !

आज , जब देश के बच्चे- बच्चे की जुबान पर नेता और अभिनेता है , और जो आने बाली सेंकडों पीढ़ियों तक रहेगी , तो फिर आज हमारी सरकार को जल्द अब इस नए नारे की विधिवत घोषणा या एलान कर देना चाहिए ....... देश का नया नारा !

जय नेता -- जय अभिनेता ...... जय नेता - जय अभिनेता
धन्यवाद