ऐसा नहीं है कि मेरे होने से ये देश चल रहा हो , ऐसा भी नहीं है कि मेरे ना होने से ये देश नहीं चलेगा ! हमारी गिनती तो उन लोगों में होती है जो गरीबी , मंहगाई , भ्रष्टाचार , घोटाले आदि को लेकर चिल्ल पों मचाते रहते हैं , हम तो उन लोगों में से हैं जिन्होंने सरकार की नाक में दम कर रखा है ! भले ही सरकार की नजर में हम कीड़े-मकौड़े हों फिर भी .................... मुझे एक फेमस फ़िल्मी डायलॉग याद आता है ! " हमसे है ज़माना , जमाने से हम नहीं " .......... क्योंकि हम हैं भारत के " अनमोल रत्न ", हम नहीं होंगे तो कुछ भी नहीं होगा ! हम हैं मजबूर , लाचार , हर जगह से ठुकराए हुए इस देश के " गरीब " मैं यहाँ बात कर रहा हूँ हमारे देश के सबसे बड़े गहने का यानि देश के वीर, गरीबों की , ये वो गरीब हैं जो इस देश की शान हैं और जिनके बिना इस देश में कुछ भी संभव नहीं है ! अगर हम हमारे देश का भगवान इन गरीबों को कहें तो गलत नहीं होगा ! ( भ्रष्टाचारियों के भगवान, नेताओं के भगवान ) ! हमारे देश में जिंतनी संख्या गरीबों की हैं उतनी जनसँख्या तो किसी छोटे मोटे राष्ट्र की भी नहीं होगी ! इस देश में सब कुछ इन गरीबों की बजह से ही तो हो रहा है ! देश के बड़े बेईमान और भ्रष्टाचारी नेता आज इन गरीबों का खून चूसकर ही तो देश में राज कर रहे हैं ! देश में जो भ्रष्टाचार चारों तरफ फैला हुआ है वो सब इन गरीबों की वजह से ही तो है ! अरे नहीं भई , इन गरीबों ने कोई भ्रष्टाचार नहीं फैलाया बल्कि इन गरीबों को मिलने वाली आर्थिक सहायता को जब ऊंचे पदों पर बैठे अधिकारी और मंत्री निगल गए तब से शुरू हो गया भ्रष्टाचार वर्ना भ्रष्टाचार , घूसखोरी आखिर किस चिड़िया का नाम था हम तो नहीं जानते थे ! सच तो ये है कि , हमारे देश के गरीब वाकई में किसी " वीर योद्धा " से कम नहीं हैं जो हर हाल में जी लेते हैं , चाहे कोई कितना भी जुल्म करे इन पर , फिर भी उफ़ तक नहीं करते और जीवन भर गरीब ही रहते हैं ! इन गरीबों का नाम लेकर आज देश में ना जाने कितनी संस्थाएं काम कर रहीं हैं..... क्यों ? गरीबों का उत्थान करने के लिए , फिर भले ही ये संस्थाएं गरीबों के लिए कुछ ना करें पर अपना उत्थान ( उल्लू सीधा ) जरूर कर रहीं हैं ! आज देश में जितने भी नेता ऐशोआराम की जिंदगी जी रहे है , और शान से देश की कमान संभाल रहे है वो भी सिर्फ इन गरीबों की बदौलत ही संभव हुआ है ! ( देश का सबसे बड़ा वोट बैंक ) आज तक देश में जितने भी घोटाले हुए हैं वो सब इन गरीबों का हक मारकर ही तो हुए हैं , बेचारा गरीब तो अपनी गरीबी में ही अपना पूरा जीवन गुजार देता है और उस गरीब के नाम से इस देश में अरबों-खरबों का लेनदेन बस यूँ ही हो जाता है ! अगर हमारे देश में गरीब और गरीबी ना हो तो ना जाने कितने लोगों को तो भूखों मरने तक की नौबत आ जाए ! आज देश, नेताओं की बजह से नहीं बेचारे गरीबों की बजह से चल रहा है !( हमारा देश तो वश राम भरोसे चल रहा है ) कितने ही घर परिवार आज इन गरीबों की बजह से चल रहे हैं ! देश में जो मंहगाई है वो हमारे लिए है क्योंकि मंहगाई से फर्क हम लोगों को पड़ता है किसी नेता और घूसखोर को नहीं ....... हमारे नाम पर तो हमारी सरकार " विश्व बैंक " से करोड़ों रूपए ले आती है और दूसरी जगह हमारे मंत्रियों के करोड़ों के बिल बिना किसी पूंछ परख माफ़ हो जाते हैं ! अगर हम ना हों तो क्या होगा इस देश का ? क्या ये वाकई में सच है कि " हमसे है जमाना - जमाने से हम नहीं " तो फिर आज हम हैं कहाँ ......??????
धन्यवाद
धन्यवाद