Thursday, October 28, 2010

ये राष्ट्रगीत क्या होता है ? क्या आप गा सकते हैं ? .... संजय कुमार

भारत देश का मान-सम्मान इस देश का राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान " जन-गण-मन " एवं " वन्दे-मातरम् -वन्दे-मातरम् " जो हर हिन्दुस्तानी को आना चाहिए ! जब भी कोई आपसे पूंछे की आपको राष्ट्रगीत एवं राष्ट्रगान आता है तो हर हिन्दुस्तानी को बड़े फक्र से यह बोलना चाहिए की यह तो हमारी रग-रग में बसा है ! एक हिन्दुस्तानी होने के नाते सर्व-प्रथम हम इसको याद करते हैं ! अगर हमें यह नहीं आता और इसके बारे में हम नहीं जानते तो हमारा हिन्दुस्तानी होना, ना होने के बराबर हैं ! आज देश की लगभग आधी आबादी ऐसी है जिसे ना तो राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान पूरा आता है या इसका महत्व को जानते हैं ! देश का आधुनिक युवा तो पाश्चात्य संगीत का ऐसा दीवाना है ! जिन्हें नहीं मालूम की इनका महत्व क्या है ? इनका अर्थ क्या है ? इन्हें कैसे गाते हैं ! सिर्फ इतना जानते है , की जन-गण-मन , या वन्दे-मातरम् , जैसे गीत हैं जो शायद १५ अगस्त , या २६ जनवरी को ही विशेष रूप से गाया जाता है ! शायद ही कोई इनके रचियता के बारे में जानता हो ! शायद नहीं ! क्योंकि इन गीतों को हम भी सिर्फ इन्हीं मौकों पर गाते हैं या याद करते हैं ! इस देश के मंत्री-संत्री , आला-अधिकारी , जिन्हें सिर्फ घूस लेना आता है , भ्रष्टाचार फैलाना जानते हैं , घोटाले करना और उनसे साफ-साफ बचना जानते हैं , उन्हें भी शायद ये गीत नहीं आता होगा ! हिंदुस्तान में ऐसे बहुत से परिवार हैं जिनमे एक-दो सदस्यों को छोड़ दें या किन्ही किन्ही परिवार के सभी सदस्यों को तक यह गीत नहीं आता होगा ! आज वातावरण इतनी तेजी से बदला है की हम अपनी पहचान अपनी धरोहर अपना मान-सम्मान अपने हाँथ से खो रहे हैं ! कारण हम ही हैं , इस देश में एक ट्रेंड चल पड़ा है या चल रहा है ! "जो दिखता है सो बिकता है " यूँ भी कह सकते हैं की "भेड़ चाल " में हम नंबर १ पर हैं ! इसका ताजा उदाहरण हम सब के सामने है ! फिल्म " दबंग " का यह गीत " मुन्नी बदनाम हुई , डार्लिंग तेरे लिए " आज देश में हर जगह सुना जा रहा है और पसंद किया जा रहा है, क्यों ? इस गाने में आखिर ऐसा क्या है ? इस गाने ने मुन्नी को बदनाम नहीं उसका अच्छा खासा नाम कर दिया है ! मुन्नी को इतना बदनाम या नाम कर दिया है की , वह अपना नाम तक भूल गयी ! शहर से लेकर गाँव-गाँव तक , गली-गली , हर नुक्कड़ , मोहल्ले हर चौराहों पर , उसकी बदनामी रेडियो, मोबाइल , टीव्ही पर सुनी जा सकती है ! आज हर कोई मुन्नी को बदनाम कर रहा है ! बच्चे , बूढ़े और जवान जिसे देखो मुन्नी के पीछे हाँथ धोकर पीछे पड़ गया है ! आलम यह है की अभी पिछले दिनों हमारे शहर में श्रीगनपति विसर्जन एवं शारदीय नवरात्र में , किसी के जन्म-दिन पर , किसी की शादी पर , रात-रात भर मुन्नी को बदनाम किया गया है ! जब हमारे दिल-दिमांग में मुन्नी होगी तो हमारी जुबान पर राम नाम कैसे होगा ! जब आज के बच्चे भद्दे गीतों को ही अपना पसंदीदा बना लेंगे तो " श्लोक " कैसे सीखेंगे ! यह बात सिर्फ इस गीत के लिए ही नहीं है वरन ऐसे कई गीत हैं जो अपनी छाप लम्बे समय तक छोड़ गए ! भले ही उन गीतों का ना तो कोई अर्थ था और न ही महत्व ! आज फूहड़ता पैसा कमाने का अच्छा साधन हैं ! क्या आप भी फूहड़ता पसंद करते हैं ?

इस देश का यह कडवा सच है , या यूँ भी कह सकते हैं इस देश का ऐसा दुर्भाग्य जिसे अब कोई बदल नहीं सकता ! जब फूहड़ गानों की बात आती है तो बच्चा - बच्चा उनका ऐसा दीवाना हो जाता जैसे पता नहीं किसी लेखक ने कोई राष्ट्रगीत लिख दिया हो ! जिसे गाने से हमारा मान-सम्मान बढता हो ! आज से ७०-८० वर्ष पूर्व भी गीत बनते थे और लोग उनको गुनगुनाया भी करते थे ! किन्तु उस वक़्त राष्ट्रगीत एक पहचान थी हम हिन्दुस्तानियों की ! बच्चा बच्चा वन्दे-मातरम् का महत्त्व जानता था ! किन्तु अब ऐसा नहीं है ! अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई में ये देशी गीत क्या मायने रखते हैं ? कोई POP-ROCK , PARTY गीत हो तो मजा आ जाए ! हम सब , हमारी वर्तमान पीढ़ी और भविष्य अब पूरी तरह खो चुके हैं चकाचौंध और आधुनिक दुनिया के आधुनिक गीतों में !

क्या आपको राष्ट्रगीत , राष्ट्रगान आता है ? यह आप अपने दिल पर हाँथ रख कर बोलें , यदि नहीं आता तो इसे पहले कंठस्थ कीजिये ! कहीं किसी दिन आपके बच्चे ने आपसे पूंछ लिया की ये राष्ट्रगीत, राष्ट्रगान क्या होता है ? और कैसे गाते हैं ? उस वक़्त कहीं आपको शर्मिंदा ना होना पड़े !

धन्यवाद

Monday, October 25, 2010

नशा ये प्यार का नशा है , नशे में है हमारा भविष्य .....>>> संजय कुमार

कहा जाता है की नशा, अगर किसी को किसी चीज का हो जाये तो नशा करने बाले की जिंदगी तबाह हो सकती है ! नशा करने के बाद नशा करने बाला कहीं का नहीं रहता ! नशा इन्सान को कहीं का नहीं छोड़ता ! तन से कमजोर , मन से कमजोर , समाज में घ्रणा का पात्र ! परिवार में कलह का कारण ! तबाही और बर्बादी का राश्ता , आज नशे की गिरफ्त में पूरा संसार है ! आज इस देश में हर कोई नशे में है , किसी को दौलत का नशा, तो किसी को शोहरत का नशा , किसी को प्रेम की दीवानगी का नशा , तो किसी को सत्ता का नशा , किसी को गुरुर का नशा , किसी पर आधुनिकता का नशा , किसी को पढ़ने-लिखने का नशा , किसी को शेयर बाजार का नशा ! हर किसी को किसी ना किसी चीज का नशा जरुर है ! क्योंकि आज इन्सान की जिंदगी इन्हीं सब चीजों के आस-पास घुमती है , या इन्हीं पर केन्द्रित है !

आज हम उस नशे की बात कर रहे हैं जो हमारे देश के युवाओं की नशों में खून बनकर दौड़ रहा है ! शराब , सिगरेट, ड्रग्स और नया नशा जिश्म का जो हमारे युवाओं में आज का फैशन बन गया है ! और जिसकी पकड़ अब इतनी मजबूत बन गयी है , या नशे का जाल इतना फ़ैल गया है जिससे बाहर आना आज के युवा का, मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है ! ताजा रिपोर्ट के अनुसार आज हमारे देश के चार बड़े महानगरों में स्थिती बहुत ही चिंतनीय है ! १५ से २० साल के बच्चों में या अभी-अभी जवानी की दहलीज पर कदम रखने बाले युवाओं में नशे की लत इतनी तेजी से अपने पैर फैला रही है , या उन्हें अपनी गिरफ्त में पूरी तरह से ले चुकी है ! किसी भी माँ-बाप के लिए बड़ा ही चिंतनीय एवं होश उड़ाने बाला सबाल है ! जब बच्चे घर से बाहर निकलते हैं उस वक़्त माँ-बाप बच्चों पर विश्वास कर उनको पूरी आजादी दे देते हैं ! और ये बच्चे उनके विश्वास के साथ विश्वासघात कर रहे हैं ! जन्म-दिन की पार्टी हो , कोई त्यौहार हो , या कोई गम भी हो तो भी इन्हें सिर्फ नशा चाहिए ! आधुनिकता की चकाचौंध में ये युवा इतने पागल से हो गए हैं की अपना अच्छा बुरा भी नहीं समझते ! एक होड़ सी लग जाती है अपने आप को आधुनिक बनाने की ! आज लड़कियां भी अपने आप को लड़कों से पीछे नहीं हैं , मानने बाली पद्धति को अपनाकर नशे के तालाब में तैर रहीं हैं ! कुछ अपने शौक को पूरा करने के लिए , कुछ एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए नशे का इस्तेमाल करती हैं ! लेकिन नशा करने बाले ये युवा यह नहीं जानते की इनके नशा करने से ये किस दलदल में फंस रहे हैं ! जब इनका कोई फायदा उठाता है तो हमारे सामने ऐसे परिणाम आते हैं जो इन युवाओं के लिए और इनके परिवारों के लिए ऐसे जख्म या नासूर बन जाते हैं जिनकी पीड़ा जीवन भर नहीं मिटती ! यह स्थिती सिर्फ महानगरों की नहीं है , यह स्थिती अब पूरे देश में , बड़े - बड़े शहरों से निकलकर यह नशा अब हमारे छोटे-छोटे शहरों , कस्बों और गांवों में तेजी से फ़ैल रहा है ! स्थिती ये है की शहरों में कूड़ा -करकट बीनने बाले १० से १५ साल के बच्चे तक, आज नशा कर रहे हैं ! बीडी -सिगरेट तो उनके लिए आम बात हैं , अब वह इससे भी बड़ा नशा करने लगे हैं ! या नशा करने के नए नए तरीके ढूँढने लगे हैं ! ऐसे बच्चों का तो मान सकते है की बह समझदार नहीं हैं या पढ़े-लिखे नहीं हैं , उनके सिर पर ना किसी का हाँथ है और ना छत ! किन्तु आज बड़ी-बड़ी डिग्रियां हांसिल करने बाले युवा सब कुछ जानते हुए भी नशे के इस दलदल में घुस रहे हैं ! यह देख बड़ा आश्चर्य होता है ! जिन माँ-बाप के बच्चे उनसे दूर महानगरों में पढ़-लिख रहे हैं ! उन माँ-बाप को अब इस ओर ध्यान देना होगा की कहीं उनके बच्चे उनके द्वारा दी गयी आजादी का गलत फायदा तो नहीं उठा रहे हैं या नशे के दलदल में तो नहीं फंस रहे हैं !

अगर देश का हर युवा नशे में डूबा रहेगा तो क्या होगा उनके भविष्य का या इस देश के भविष्य का ?
देश के युवाओं जरा सोचिये ............ जरूर सोचिये ................

धन्यवाद

Wednesday, October 20, 2010

मैं महाभारत का नहीं , कलियुग का " संजय " हूँ ( कलियुग का कडवा सच ) .....>>> संजय कुमार

महाभारत , शायद ही कोई भारतीय हो जो महाभारत और उसके किरदारों के बारे में ना जानता हो , यह तो पूरे विश्व में प्रसिद्द महापुराण या पौराणिक कथा है ! जब - जब महाभारत की बात चलती हैं तो उसके अनेक किरदार हमारे जहन में आते हैं ! महाभारत कई चीजों के लिए जानी जाती है ! भगवान् श्रीकृष्ण के लिए, उनके द्वारा दिए गए " गीता उपदेश " के लिए , अधर्म पर धर्म की जीत के लिए , पुत्र में मोह में अंधे पिता ध्रतराष्ट्र के लिए, स्त्री मान-अपमान के लिए , और भी हजारों किरदार हैं जो हमारे मष्तिष्क में दौड़ते हैं ! इन किरदारों में एक किरदार ऐसा भी हैं , जिसे हम भूल नहीं सकते और वह किरदार है " संजय " का ! जी हाँ वही " संजय " जो अंधे ध्रतराष्ट्र को युद्ध भूमि " कुरुक्षेत्र " का आँखों देखा हाल सुनाता था ! और युद्ध की एक-एक बात से ध्रतराष्ट्र को अवगत कराता था ! ठीक उसी प्रकार आज कलियुग में, मैं भी कई लोगों को आँखों देखा हाल बताता हूँ ! ( किसी युद्ध का नहीं ) क्योंकि आज मेरा जो कर्मक्षेत्र है वह ठीक महाभारत के " संजय " के समान है ! और मेरा कर्मक्षेत्र है " शेयर बाजार " का आँखों देखा हाल सुनाने का ! मैं कलियुग का "संजय " आपको आज कलियुग का हाल जो मेरी नजरें देख रही हैं , सुन रहीं हैं , सुना रहा हूँ ! शायद आपको पसंद आये ! तो लीजिये आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ , कलियुग का कडवा सच !

सबसे पहले बात करते हैं , विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर यानि हमारे " संविधान " "संसद भवन " की , वह मंदिर या वह स्थान जहाँ पर बैठकर आज के भगवान् ( मंत्रीगण ) हम बेचारी जनता पर राज कर रहे हैं ! और इस मंदिर में बैठे कई राजा-महाराजा , रानियाँ -महारानियाँ आपस में द्वन्द की भावना रखते हैं और मंदिर में ऐसा युद्ध करते हैं जहाँ ना तो कोई नियम हैं और ना ही कोई अनुशासन ! आज इनके द्वारा हमारा सिर शर्म से झुक रहा है , अपना महत्त्व खोता यह मंदिर ! बुत बने बैठे ये राजे-महाराजे एक-दूसरे पर जूते -चप्पल की बरसात तक करते हैं ! कभी -कभी नोटों की गड्डियाँ भी दिखाते हैं ! यहाँ बैठा राजा चुपचाप सिर्फ सुनता है, और बेचारा कुछ कर नहीं पाता , आज के इस राजा का उस मंदिर में कोई मूल्य नहीं हैं ! जिस तरह बेचारा ध्रतराष्ट्र .........

आज कलियुग में भी " समुद्र मंथन " हो रहा है ! आज इस समुद्र मंथन के पानी को मैं कीचड के रूप में देख रहा हूँ , जहाँ से संजीवनी बूटी नहीं मौत का सामान निकल रहा है , ( ड्रग्स नशीली बस्तुएं ) हीरे-मोती नहीं, मंथन से वो भ्रष्ट अधिकारी बाहर निकल रहे हैं जिनके घर आम जनता की गाढ़ी कमाई से खरीदे गए सोने-चांदी के भंडार मिल रहे हैं ! समुद्र मंथन से धर्म नहीं अधर्म और भ्रष्टाचार निकल रहा हैं ! समुद्र मंथन से " कामधेनु" गाय माता नहीं , इस देश की गरीबी , भुखमरी , और कुपोषण बहार निकल रहा है ! समुद्र मंथन से देवता नहीं कलियुग के दानव निकल रहे हैं जो इस देश को खा जाना चाहते हैं ! समुद्र मंथन के दौनों ओर भ्रष्टाचारी खड़े हुए हैं, एक ओर नेता तो दूसरी ओर आज के भ्रष्ट अधिकारी ! यही भ्रष्ट लोग आज कलियुग का समुद्र मंथन कर रहे हैं ! समुद्र मंथन से अमृत के रूप में "राष्ट्रमंडल खेल" निकल रहे हैं , जिसे पीने के लिए देश में मारामारी हो रही है ! क्योंकि इस तरह का अमृत कई सदियों में निकलता है ! और यह अमृत इस बार कलियुगी राक्षसों के हाँथ लग गया और अमृत का प्याला राक्षसों ने पी भी लिया और अमर हो गए ! आज कलियुग में ना तो कोई विष्णु है जो मोहिनी रूप धर कर इनसे यह प्याला छीन ले और बचाले इस देश को ! इसकी प्रतिष्ठा और मान-सम्मान ..............

आज कलियुग में , मैं देख रहा हूँ की, हमारे ५००० वर्षों के संस्कार अब पूरी तरह धूमिल हो रहे हैं ! ना माँ-बाप का सम्मान और ना ही उनके प्रति भक्ति ! इन्सान आज इतना गिर गया है, कि उसे इन्सान कहते हुए भी घिन आ जाती है ! कारण इन्सान स्वयं है , वह आज ऐसे ऐसे काम कर रहा है जिसके बारे में तो भगवान् भी नहीं सोच सकते ! इन्सान द्वारा इंसानों का व्यापार , धर्म का व्यापार, धर्म के बड़े ठेकेदारों द्वारा नारी व्यापार ( जिश्म्फरोशी ) , गुरु -शिष्य की छवि का कलंकित होना , संस्कारों का व्यापार , मान-सम्मान का व्यापार , शासन और साम्राज्य का व्यापार , झूंठ-फरेब -धोखा ! छीन रहे भूखों का निवाला , गरीबों का दमन ! कलियुग के आधुनिक साधन जिन पर इन्सान पूरी तरह निर्भर हैं , इन्सान के लिए उपयोगी कम अनुपयोगी ज्यादा साबित हो रहे हैं !

महाभारत में जहाँ भगवान् द्रोपदी की लाज बचाने आते हैं , वहीँ आज कई द्रोपदी रोज दुशाशन के हांथों कुचली जा रहीं हैं ! क्या इस कलियुग में भी कोई कृष्ण आएगा जो इस कलियुग के शत्रुओं और अधर्म का नाश करे ? क्या कोई भीम-अर्जुन आयेंगे जो नारी अपमान का बदला लेंगे ? ना जाने और क्या-क्या देखना पड़ेगा कलियुग के इस " संजय " को

( कुछ नया लिखने का एक छोटा सा प्रयास )

धन्यवाद

Sunday, October 17, 2010

जन्म-भूमि के सपूत बोलते चले , जय हे जय हे जय हे जय हे ! ........>>> संजय कुमार

विजयदशमी की बहुत बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभ कामनाएं
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जन्म-भूमि , हमारा अपना वतन , हमारा देश, जिस देश में हम पैदा हुए ! भारत देश , भारत माता हमारा , मान हमारा सम्मान ! आज कलियुग में हमारी भारत माता बेड़ियों में जकड़ी हुई है ! भारत माता के हाँथ में एक तिरंगा है जो अपनी पहचान खो रहा है , उसकी हालत अब पहले जैसी नहीं रही ! भूंखी , बेबस , और लाचार , हमारी भारत माता को आज आतंकवाद , नक्सलवाद , सम्प्रदायवाद , भ्रष्टाचार , घूसखोरी , बेरोजगारी , भुखमरी , कुपोषण जैसे राक्षसों और बुरी ताक़तों ने इस कदर घेर लिया है , जिससे हमारी भारत माता का दम घुट रहा है ! वह तड़प रही है , कि कोई तो आये, जो उसे इन सब बुरी आत्माओं से मुक्ति दिलाये ! कोई तो आये जो देश के इन दुश्मनों से उसकी रक्षा करे , उनका नामोनिशान मिटा दे ! उसकी करुण पुकार कोई तो सुन ले ! आज जन्म-भूमि अपने सपूतों से आव्हान कर रही है , उसे उसका असली रूप वापस दिलाने के लिए ! वह रूप जो किसी स्वर्ग से कम नहीं ! कह रही है , जन्म देने बाली माँ और जन्म-भूमि इस दुनिया में सर्व-प्रथम हैं ! इनका मान सम्मान सबसे बड़ा है !

जन्म-भूमि के सपूत बोलते चले
जय हे जय हे जय हे जय हे !
आज सारी बेड़ियों को खोलते चले
जय हे जय हे जय हे जय हे !


इस जमीं पे दुश्मनों के पैर हैं जमे
एक-एक पैर को उठाने चल दिए
पैर तो क्या पैरों के निशाँ भी न रहें
दुश्मनों का हर निशाँ मिटाने चल दिए
होंटों पे ये नारा लेके डोलते चले
जय हे जय हे जय हे जय हे !


एक-एक बात का हिसाब मांगने
चल पड़े सवालों के जबाब मांगने
राह आती मुश्किलों से खेलते चले
पर्वतों को भी परे धकेलते चले
शब्द शब्द बो जुबान खोलते चले
जय हे जय हे जय हे जय हे !


जन्म-भूमि स्वर्ग से कहीं हसीन हैं !
इसकी एक-एक बात बेहतरीन है !
खो गया है मान जो दिलाने चल दिए
इसकी वोही शान फिर बनाने चल दिए
साँस में बंधी हवा को खोलते चले
जय हे जय हे जय हे जय हे !


जननी जन्म-भूमिश्चय , स्वर्गादपि -गरीयसी
(यह पंक्तियाँ एक गीत से ली गयीं हैं )

धन्यवाद

Friday, October 15, 2010

भारत के असली दबंग ...>>> संजय कुमार

दबंग, नाम सुनते ही हमारे दिमाग में किसी हट्टे-कट्टे , चौड़ी छाती , रौबदार इन्सान का चेहरा आता है ! दबंग नाम सुनते ही किसी रसूखदार या किसी उच्च जाति के व्यक्ति का ध्यान आता है ! क्योंकि आज तक हमने ऐसे ही दबंगों के बारे में सुना है , जो किसी निम्न जाति को अपना रुतबा दिखाते हैं ! किसी अबला को बेइज्जत करते हैं ! किसी कमजोर पर अपनी ताक़त आजमाते हैं ! यह सब तो नाम के दबंग होते हैं ! दबंगियाई, किसी निर्धन की निर्धनता का मजाक उड़ाना नहीं होता और ना ही किसी निम्न जाति के इन्सान पर अपना बिना बात का रौब झाड़ना ! असली दबंग तो वो होता है जो अपने घर-परिवार , समाज और देश का नाम रौशन करता हैं ! आज मैं जिन दबंगों की बात कर रहा हूँ , ये बो दबंग हैं जिनकी दबंगियाई का लोहा आज पूरे देश ने माना है ! देश के ऐसे दबंग जो देश का नाम विश्व स्तर पर ऊंचा कर रहे हैं ! आज राष्ट्रमंडल खेलों में हुए भ्रष्टाचार के बावजूद देश के सभी खिलाडियों ने अपनी दबंगता खेलों में दिखाई , उन्होंने यह साबित कर दिया की हम अगर अपनी पर आ जाएँ तो हम से बड़ा कोई दबंग नहीं है ! खिलाडियों की दबंगता आज पूरे विश्व ने देख ली ! दुसरे स्थान पर पहुँच कर और अंग्रेजों को पीछे धकेलकर अपनी दबंगता का जलवा बिखेरा ! ये हैं इस देश के असली दबंग ! दबंगता आज भारत की क्रिकेट टीम ने दिखाई है , उन्होंने यह साबित कर दिया कि दबंगता किसे कहते हैं ! जिस ऑस्ट्रेलिया को अपने आप पर इतना गुरुर था आज वो हमारे खिलाडियों ने अपनी दबंगता से चकनाचूर कर दिया ! आज देश के असली दबंग , सचिन , लक्ष्मण और टीम इंडिया के सभी खिलाड़ी हैं ! आज इनकी दबंगता ने देश का नाम रौशन किया है ! ऐसे दबंगों को देश का सलाम ...................

ऐसा नहीं है कि सिर्फ खेल में ही हमारे देश ने, और देश के खिलाडियों ने अपना परचम लहराया है ! बल्कि और भी लम्बी सूची है , उन लोगों की जो आज देश में दबंग होने का माद्दा रखते हैं ! समस्त जवान जो देश की सुरक्षा में दुश्मनों के दांत खट्टे करते हैं ! समस्त ईमानदार पुलिस अधिकारी जो आज समाज को असामाजिक तत्वों और बुरी ताक़तों से हमें बचाते हैं और अपनी जान की परवाह नहीं करते ! देश के समस्त डॉक्टर , जो नयी नयी तकनीक से आम इन्सान की जान बचाते हैं फिर चाहे वह पाकिस्तानी हो या किसी अन्य देश का ! समस्त इंजिनियर जो देश का नाम रौशन कर रहे हैं जो देश की जनता को सेंकडों आधुनिक साधन उपलब्ध करवा रहे हैं ! सोनिया गाँधी , मनमोहन सिंह , अमिताभ बच्चन , लता मंगेशकर , रतन टाटा , अजीम प्रेमजी , अब्दुल कलाम आजाद , ये सभी अपने आप में असली दबंग हैं, जो इस उम्र में भी , जब इन्सान आराम करना चाहता हैं , ये लोग आज भी अपने अपने क्षेत्रों में सक्रीय है, और देश का नाम कहीं ना कहीं रौशन कर रहे हैं जिनका लोहा आज पूरा देश मानता है !

दबंगता का असली अर्थ दूसरों की मदद करना ! बेसहारा को सहारा देना ! राष्ट्रहित की बात करना , कर्म के प्रति ईमानदार होना ! अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना ना की अन्याय करना ! अपने आपको श्रेष्ठ नागरिक बनाना !

क्या आप असली दबंग हैं ? क्या आप भी दबंग बनना चाहते हैं ? तो सोचिये ........ तो कीजिये

धन्यवाद 

Tuesday, October 12, 2010

झूंठा है तेरा वादा , झूंठी है तेरी कसमें ....>>> संजय कुमार

आपने राजेश खन्ना पर फिल्माया यह गीत जरूर सुना होगा जो फिल्म " दुश्मन " का है ! " झूंठा है तेरा वादा , वादा तेरा वादा , वादे पे तेरे मारा गया बंदा मैं सीधा-साधा , " झूंठा है तेरा वादा " इस गीत में हीरो अपनी महबूबा को उसका वादा याद दिलाता है ! जो शायद वह भूल गयी हो , खैर जाने देते हैं , ये तो फ़िल्मी वादे हैं , इनका क्या ! यहाँ ना तो किसी ने मुझसे कोई वादा किया है , और ना ही तोड़ा है , और ना यहाँ कोई लैला-मंजनू , सोहनी-महिवाल , हीर-राँझा की बात हो रही है ! यह तो बो लोग हैं जिन्होंने एक-दूसरे को किये वादे को पूरा किया , चाहे फिर एक साथ अपनी जान देने का वादा ही क्यों ना हो ! वादा तो प्रभु श्रीराम ने किया था अपने पिता दशरथ से जो उन्होंने पूरा किया ! वादा तो राजा हरिशचंद्र ने भी किया था , जिसके लिए उन्होंने अपना सब कुछ ऋषि विश्वामित्र को सौंप दिया ! और वादे के लिए खुद को बेच दिया ! खैर ये सब तो हमारा इतिहास है ! जहाँ " प्राण जाय , पर वचन ना जाय " जैसे वादे किये जाते थे और पूरे भी होते थे ! यह तो कलियुग है और आज तो कोई कहावत ही नहीं है ! आज तो सिर्फ झूंठ, धोखा, फरेब, वादाखिलाफी जैसे शब्द सुनाई देते हैं !

हम बात करते हैं आज की , आज के इन्सान की , या यूँ कह सकते हैं , कलियुग के इन्सान की , हम सब अपने जीवन में एक-दो नहीं हजारों वादे करते हैं , देश से, देश की जनता से , अपनों से, अपने आप से , दूसरों से , अपने कर्म के प्रति ईमानदार होने का , अपने फर्ज को पूरा करने के लिए , वादा करते हैं हर हाल में कर्तव्य को पूरा करने का ! किन्तु वादा पूरा नहीं कर पाते ! आज तक हम अपने द्वारा किये हुए एक भी वादे पर कितना खरा उतरे हैं , हम सब यह बात जानते हैं ! जब हम वादा पूरा नहीं कर पाते तो हम उसे पूरा ना कर पाने का सिर्फ बहाना ही ढूँढ़ते हैं ! वादा पूरा करने की कोशिश भी नहीं करते ! आज इन्सान स्वयं के प्रति ईमानदार नहीं है , और जो अपने प्रति , कर्म के प्रति , धर्म के प्रति ईमानदार नहीं है , वह अपना वादा कभी पूरा नहीं कर सकता ! आज बच्चे अपने माँ-बाप से वादा तो करते हैं कि उन्हें भविष्य में उन्हें कभी अकेला नहीं छोड़ेंगे अपने कर्तव्य को पूरी तरह निभाएंगे ! आज कितने बच्चे माँ-बाप से किया वादा पूरा कर रहे हैं ? नेता भूल गया जनता से किया हुआ वादा , साधू-संत भूल गए वह वादा जो उन्होंने इश्वर के समक्ष इन्सान को सही मार्ग पर ले जाने के लिए किया था ! और स्वयं अपने पथ से भटक गए ! आज जिसे देखो अपना किया वादा अपने द्वारा ही तोड़ रहा है ! देश के सभी नेता , मंत्री-संत्री , अधिकारी , डॉक्टर , पुलिस सभी अपना वादा भूल गए ! जो वादा उन्होंने आम जनता के साथ आम जनता कि भलाई के लिए किया था ! ऐसी कसमें खायीं ऐसे ऐसे वादे किये कि , हर हाल में हम आम जनता का भला करेंगे ! अपने फर्ज के साथ कभी धोखा या बेईमानी नहीं करेंगे ! आज तक यह अपने वादे को कभी पूरा नहीं कर पाए ! गांधी जयंती पर हम सबने वादा किया , कि हम अहिंसा का मार्ग अपनाएंगे , सदा सत्य बोलेंगे , चोरी नहीं करेंगे , और भी बहुत कुछ , किन्तु यह सिर्फ वादा है , एक मामूली सी बात , कह दिया और बस खत्म ! और अगले ही दिन हम सब अपने वादे से ऐसे मुकर जाते हैं ! जैसे हमने कभी कोई वादा किया ही नहीं ! और लग जाते बही भ्रष्टाचार फ़ैलाने जो वर्षों से करते आये ! शिक्षक दिवस पर शिक्षक यह वादा करता है कि , वह अपने फर्ज को पूरी ईमानदारी के साथ निभाएगा , जैसे ही यह दिन निकलता है , शिक्षक भूल जाता है अपना किया हुआ वादा ! और उसका परिणाम हमारे सामने हैं ! देश में कितने ही बच्चे आज शिक्षा से महरूम हैं ! अगर शिक्षक अपना किया वादा पूरा करें तो इस देश का भविष्य सुधर सकता है ! इस देश का हर नागरिक बड़े बड़े वादे तो करता है ! किन्तु उन पर कभी भी अमल नहीं करता ! देश कि आन- बान -शान और राष्ट्र के प्रति ईमानदार और राष्ट्र के हित का वादा हम लोग करते तो हैं , लेकिन उसे शायद ही कोई पूरा करता हो ! जो इन्सान हमेशा अपने वादे पर खरा उतरता हैं उसे ही " देश का सर्वोच्य नागरिक " का खिताब देना चाहिए ! मुझे नहीं लगता कि आज देश में एक भी ऐसा इन्सान है जो अपने हर वादे पर खरा उतरा हो ! वैसे तो आज इन्सान , इन्सान ही नहीं रहा , इन्सान आज जितना मतलबी और स्वार्थी हो गया है , जिसे देखकर सुनकर यही लगता है !

" झूंठा है तेरा वादा " " वादा तेरा वादा "

धन्यवाद

Sunday, October 10, 2010

मंजनुओं का अड्डा , ( मंदिर और कॉलेज ) ...>>> संजय कुमार

मंजनू , नाम सुनते ही किसी सड़क छाप आशिक का नाम हमारे ध्यान में आता है ! वह युवा (लड़का ) जो आपको सड़कों पर आवारागर्दी करते नजर आयेंगे , इन्ही में से ज्यादा संख्या में सड़क छाप मंजनू होते हैं ! हिन्दुस्तान में हजारों किस्से कहानियां भरे पड़े हैं , इन मजनुओं और इनकी प्रेम कहानी से ! जैसे लैला-मंजनू , सोहनी-महिवाल , हीर-राँझा और भी बहुत हुए हैं , लेकिन हिंदुस्तान में तो यही Famous हैं , इन्ही को लेकर आज के कई युवाओं को ये मंजनू नाम दिया गया है यहाँ के प्रेमी-प्रेमिकाओं को ! ये मंजनू आपको हर देश में मिलेंगे , किन्तु भारत में इनकी संख्या लाखो-करोड़ों में है ! ये आपको कहीं भी देखने को मिल जायेंगे , स्कूल, कॉलेज , पिकनिक स्थल , शादी-पार्टी , मेले , पार्क, ट्यूशन के अन्दर कोचिंग के बाहर, लगभग सभी जगह ! कई जगह तो इन मंजनुओं के कारण ही देश में प्रसिद्ध हैं ! लेकिन एक जगह और है जहाँ आजकल इनकी संख्या आम जगह से कुछ ज्यादा ही देखने को मिल रही है , और वो जगह है " मंदिर " जी हाँ यह बात बिलकुल सही है , आज कल हमारे देश में " नवरात्री " का त्यौहार पूरे जोर-शोर से मनाया जा रहा है ! और इन्ही मंदिरों कि आड़ में आज इन मंजनुओं का प्रेम , परवान चढ़ रहा है ! क्योंकि यह तो वह जगह है , जहाँ किसी के भी आने-जाने पर कोई पावंदी और रोक-टोक नहीं होती ! यहाँ जो भी ( मंजनू- टाइप ) आता है , हमें लगता है , माता की भक्ति के लिए आया है , किन्तु आप अगर गौर से देखें तो आप महसूस करेंगे , की इनकी नजरें किसी ना किसी लैला की तलाश में होती हैं ! " काश यहाँ तो कोई हमें लाइन दे दे और हमारी भी फिल्मों के जैसे "लव-स्टोरी " बन जाये ! क्योंकि इन दिनों ऐसे ऐसे युवा इन मंदिरों पर आते -जाते हैं , जिनको ना तो ईश्वर भक्ति और मंदिरों से दूर दूर तक कोई लेना देना होता है ! कुछ ऐसे भी इन मंदिरों पर देखने को मिल जायेंगे जो शायद कहीं और मंजनू गिरी करने और अपनी प्रेमी-प्रेमिकाओं से मिलने से घबराते हैं , किन्तु यहाँ पर बड़ी आसानी से मिल लेते हैं ! वह भी बिना रोक-टोक और बिना किसी के शक किये हुए ! सभी मंजनुओं के लिए ये नौ दिन नवरात्र के बहुत मायने रखते हैं ! जितना इन्तजार इनको अपनी परीक्षाओं का नहीं रहता उससे कहीं ज्यादा इन्तजार इनको इन दिनों का रहता है ! ( विशेष शारदीय नवरात्र का )

कुछ भी हो कम से कम हमारा आज का युवा , किसी बहाने मंदिर तो जाता है , भगवान् के सामने शीश झुकाता है ! वर्ना आज का युवा तो अपनी मस्ती में ही मस्त है ! वह पूरी तरह अपने आस-पास के माहौल और समाज की गतिविधियों से दूर हैं ! आज के युवा एक ऐसे दुनिया में जीते है ! जहाँ ना तो प्रेम - स्नेह, संस्कार और अपनेपन का कोई महत्त्व है ! इन युवाओं ने ना तो अपने जीवन में कोई सिद्धांत बनाये हैं और ना ही कोई लक्ष्य ! बस चकाचौंध भरी दुनिया को ही अपना भविष्य समझ रहे हैं ! इस चकाचौंध भरी दुनिया में कई युवा अपना भविष्य बिगाड़ रहे हैं ! सिगरेट , शराब , शबाब इनके मुख्य शौक के रूप में हमारे सामने आ रहे हैं ! यह बात अब छोटे छोटे गाँव , कस्बों , शहरों और महानगर में किसी संक्रामक बीमारी के जैसे फ़ैल रही है , या फ़ैल चुकी है !

हमें आज ध्यान देना होगा अपने बच्चों पर की आज वह क्या कर रहे हैं ? किस हालात में जी रहे हैं ? उन्हें क्या चाहिए ? और उन्हें हम क्या दे रहे हैं ? या उन्हें क्या मिल रहा है ? आज हम ऐसे युग में जी रहे हैं जहाँ सच्चा प्रेम कम ही देखने को मिलता है ! यदि आपके बच्चे किसी से सच्चा प्रेम करते हैं और यदि आपको लगता है कि , आपके बच्चों का भविष्य सुरक्षित हांथों में है ! तो अंतिम निर्णय आपका होगा !

मेरी इस बात से कई सड़क छाप मंजनू मुझे गलियां भी देना चाह रहे होंगे , किन्तु में खुश हूँ , कि कभी हम भी उनकी तरह मदिरों पर किसी लैला की तलाश में गए थे ! वहां लैला तो नहीं मिली , परन्तु ईश्वर का आशीर्वाद जरूर मिला !
जय माता दी ............ जय माता दी .............जय माता दी ..........जय माता दी

धन्यवाद

Tuesday, October 5, 2010

आप कौन से भारतीय है ? पहले , दुसरे या तीसरे

जब से एक सर्वे में यह रिपोर्ट हमारे सामने निकलकर आई है , कि भारत का हर तीसरा व्यक्ति भ्रष्ट है ! और भ्रष्ट देशों की सूची में भारत ८४ बे नम्बर पर है ! जब से हम भारतीयों को इस सर्वे की रिपोर्ट का मालूम हुआ ! हम भारतियों के पैरों तले से जमीन खिसक गयी ! दिलो-दिमाग में एक खलबली सी मच गयी है ! कोई भी भारतीय इस रिपोर्ट पर विश्वास नहीं कर पा रहा है ! हर कोई यह कह रहा है, कि यह रिपोर्ट पूरी तरह गलत है, सवा अरब की आबादी बाला देश जहाँ चारों ओर भुखमरी , गरीबी और बेरोजगारी है , लोगों के पास ना तन ढंकने को कपडा , ना सिर पर छत है , लाखों भारतीय तो यह भी नहीं जानते कि , भ्रष्टाचार होता क्या है ? उस देश का हर तीसरा आदमी कैसे भ्रष्ट हो सकता है ! कुछ लोगों ने तो यह तक कह दिया कि, जिसने यह रिपोर्ट बनायीं है, रिपोर्ट बनाने बाला ही हमें भ्रष्ट लग रहा है ! लगता है भारत को बदनाम करने के लिए पडोसी देश की कोई चाल है ! जब से यह रिपोर्ट आई है आम नागरिक अब एक-दुसरे को शक की द्रष्टि से देखने लगा है ! और मन ही मन यह अनुमान लगा रहा है की , कहीं यह तीसरा भारतीय तो नहीं है ! लेकिन अनुमान लगाना इतना आसान नहीं हैं , क्योंकि इस देश में रहने बाला कोई भी भारतीय अपने आप कभी नहीं कहेगा की मैं तीसरा भारतीय हूँ ! वह तो सिर्फ इतना कहेगा की मैं तो सिर्फ भारतीय हूँ ! ना पहला, दूसरा और ना तीसरा ! उसकी यह बात सुनकर अच्छा भी लगा , क्योंकि हमारे देश में कुछ लोग ऐसे हैं जो रहते यहाँ हैं , खाते- पीते यहाँ हैं , जीवन यापन इस देश में करते हैं और जब राष्ट्र भक्ति की बात आती है तो बजाते किसी और की ................ खैर जाने दें .... वर्ना कहीं देश के कुछ गद्दार भड़क ना जाएँ !

अब सवाल यह उठता है की, वह तीसरा आदमी कौन है ? जो इस सर्वे की रिपोर्ट में पकड़ में आया हैं ! क्योंकि आज तक हम लोग चंद मुट्ठी भर लोगों को ही इस देश में भ्रष्ट मानकर चले आ रहे हैं ! देश के नेता , मंत्री -संत्री , साधू-सन्यासी , आला-अफसर , पुलिस , डॉक्टर , वकील , गुंडे-मवाली , और देश की बागडोर चलाने बालों के चमचे , चेले-चपाटे और भी बहुत से लोग हैं जो देश में तीसरे भारतीय हैं ! किन्तु इनकी संख्या बहुत कम है ! हम अगर चारों ओर नजर उठाकर इस देश के भारतीयों पर डालें तो हम महसूस करेंगे की , इस देश में रहने बाले करोड़ों भारतीय तो धर्म -कर्म , पूजा -पाठ , पाप-पुन्य पर ही अपना सबसे ज्यादा समय बर्बाद करते हैं ! सुबह-सुबह मछलियों को आटे की गोली , कबूतरों को दाना , भिखारियों को खाना , देश के हजारों मंदिर श्रद्धालुओं से भरे पड़े रहते हैं , रोज रोज के व्रत और बहुत कुछ ! दुनिया भर के मानवता के काम सब कुछ इस देश में रहने बाला भारतीय ही करता है ! उस पर लाखों लोग जो यह भी नहीं जानते पैसा क्या है ? भ्रष्टाचार क्या और कैसे होता है ? बेईमानी क्या है ? अगर रिपोर्ट आई है तो कुछ ना कुछ तो सही होगा , लेकिन कैसे , अब तो हम सिर्फ अनुमान ही लगा सकते हैं ! की हम कौन से भारतीय है ? पहले , दुसरे या तीसरे , हम तो उस तीसरे भरतीय को खोज रहे हैं ! जो हमारे देश का नाम ख़राब कर रहा है ! अगर वह तीसरा भारतीय कहीं मिल जाए तो आप लोग जरूर बताइए !

मैं तो सिर्फ भारतीय हूँ ! आप कौन से भारतीय है ? पहले , दुसरे या तीसरे

धन्यवाद

Sunday, October 3, 2010

" काश हम कुत्ते होते " पार्ट २ ( अछूत नहीं महान हूँ ) ... >>> संजय कुमार

जैसा की आप लोगों को मालूम है , आजकल पार्ट फिल्मों का दौर चल रहा है ! एक फिल्म हिट होते ही उसका पार्ट २-३ बाजार में आ जाता है ! इसी तर्ज पर मैंने भी सोचा , क्यों ना मैं भी अपनी ही एक पोस्ट का पार्ट २ बनाऊं , तो लीजिये पहली बार पार्ट २ आपके सामने प्रस्तुत करने की कोशिश कर रहा हूँ ! शायद आप लोगों को पसंद आये ! भले ही मेरी पहली पोस्ट सुपर-डुपर हिट ना हो फिर भी मैं कोशिश तो कर ही सकता हूँ ! क्या करूँ बिषय एक ही है ! अब जिन लोगों ने मेरी पुरानी पोस्ट नहीं पढ़ी वह यह लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं !

http://sanjaykuamr.blogspot.com/2010/06/blog-post_30.html लीजिये प्रस्तुत है ...................... " काश हम कुत्ते होते " पार्ट २

जैसा की आप लोगों को मालूम होगा कि, हमारे मध्य-प्रदेश के मुरैना में अभी कुछ दिनों पहले एक कुत्ते को हम इंसानों ने " अछूत " की उपाधि से बिभुषित किया है ! इस बात पर देश के सभी कुत्ते इंसानों से नाराज हो गए ! और इंसानों को जी भर कर गलियां दे रहे हैं ! और कह रहे हैं कि , इन्सान आज कितना गिर गया है , हम कुत्तो को अछूत कहने बाले ही छुआछूत जैसी बीमारी इस देश में फैला रहे हैं ! हम तो किसी भी जात -पात को नहीं मानते , हम कुत्तों में जो सर्व धर्म कि भावना है , वह इन इंसानों में नहीं है ! हमारे लिए तो किसी भी इन्सान की कोई जाति नहीं होती ! हमारी नजर में सब एक हैं ! अब आप ही बताएं जब मैंने एक इन्सान के यहाँ रोटी खाई तो मुझे अछूत कहकर इतना बवाल क्यों मचाया जा रहा है ! क्या आप यह सब नहीं जानते ? आजकल हमारे देश में क्या हो रहा हैं ? देश में ऊंचे पदों पर बैठे देश के मंत्री और नेतागण इन अछूतों के बलबूते ही देश में राज कर रहे हैं ! जब यह लोग इन अछूतों के यहाँ खाना खाते और पानी पीते हैं , उनके यहाँ रात बिताते हैं , तब क्यों इतना बबाल नहीं मचता ! बल्कि ऐसा करने पर , आप इन्सान उनको "महान" की उपाधि दे देते हो ! उसको अछूत क्यों नहीं कहते ? मैंने एक रोटी क्या खा ली, मेरे साथ इतना बुरा सुलूक , अछूत ही कह दिया ! कांग्रेस की युवा ब्रिगेड कहलाने बाले " राहुल गाँधी " ने भी कई बार इन अछूतों के यहाँ रोटी खाई और पानी पिया , तो उस वक़्त सभी ने " राहुल गाँधी " को रातों रात स्टार बना दिया ! अब मैं आप लोगों से कह रहा हूँ की, मैं अछूत नहीं महान हूँ !

जब से कुत्ता संगठन ने इस बात का प्रचार-प्रसार पूरे देश में किया हैं , तब से लेकर अब तक , हर कोई उस अछूत या महान कुत्ते को ढूँढ रहा है ! जब से उस कुत्ते की जानकारी देश के नामी -गिरामी, बड़े-बड़े और पहुंचे हुए लोगों को मालूम चली है , तब से उस कुत्ते को पूरे देश में बड़े जोर-शोर से खोजा जा रहा है ! देश की बड़ी बड़ी कंपनिया उस कुत्ते को अपना ब्रांड- अम्बेसडर बनाना चाहती हैं ! देश के कई बड़े फिल्म प्रोडूसर , डायरेक्टर उसे अपनी फिल्मों में मुख्य हीरो के रूप में लॉंच करना चाह रहे हैं ! क्योंकि उसके पूर्वज पहले भी कई फिल्मो में यह भूमिका निभा चुके हैं ! और वह फिल्म अगर चली, तो इन्ही के दम पर ! कहना है आजकल ऐसी सेलिब्रिटी मिलती कहाँ है जिसे पूरा देश पहले से ही जानता है ! कई मंत्री- संत्री भी उस कुत्ते को खोज रहे हैं , उनका कहना है , कम से कम कुत्ते वफादार तो होते हैं , धोखा तो नहीं देंगे , वर्ना आजकल जिसे देखो पार्टी बदल लेता है ! उसके आने से पार्टी को कुछ तो सहारा मिलेगा ! जब उसे चुनावी आमसभा में देखने लाखों की भीड़ उमड़ेगी तो पार्टी का कुछ तो भला होगा ! बस एक बार मिल जाए !

जब से यह बात आम जनमानस को मालूम चली है ! तब से कुछ लोग , अब अछूतों को ढूँढ रहे हैं , और उनके घर जाकर खाना खा रहे हैं ! उनका कहना है , जब एक कुत्ता रातों रात स्टार बन सकता है , और पूरे देश में उसकी डिमांड है , तो फिर हम क्यों नहीं ! हर कोई उस कुत्ते की तरह प्रसिद्ध और महान बनना चाहता है ! " काश हम कुत्ते होते "

इस देश की बिडंवना देखिये , हम इंसानों ने आज जानवरों तक को नहीं छोड़ा हम सब ने पहले ही इन्सान को इतने भागों में बाँट दिया है , तो यह जानवर क्या चीज हैं ? अपना मतलब सिद्ध करने के लिए कोई उनके (अछूत ) घर खाना खाता है , कोई उनको अपने साथ रखता है ! आज देश की सरकार इनकी बजह से ही चल रही है ! इन लोगों को मुद्दा बनाकर कई मंत्री देश की बागडोर को संभाले हुए हैं ! और यही लोग इंसानों के बीच छुआछूत, और अछूत जैसे दकियानूसी शब्दों का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं ! आज भारत इक्कीसवी सदी की बात कर रहा है ! और देश में आज भी अछूत जैसी प्रथाएं चल रही है !

सोचना होगा हम इंसानों को , की आज हम क्या हैं ? कौन हैं ? हम से तो भले ये कुत्ते हैं जो अपनी वफादारी के लिए आज भी जाने जाते हैं , और इन्सान सिर्फ बदनाम ॥
यह सब देखकर सुनकर ,यही लगता है " काश हम कुत्ते होते " ( एक छोटी सी कोशिश )

धन्यवाद