Wednesday, January 25, 2012

२६ जनवरी का दिन या " राष्ट्रीय पर्व " ( गणतंत्र - दिवस ) .......>>> संजय कुमार

आप सभी ब्लोगर्स साथियों एवं देशवासियों को गणतंत्र-दिवस की बहुत बहुत बधाई एवं ढेरों शुभ-कामनाएं ! हम सब जानते हैं यह हमारा राष्ट्रिय पर्व है ! इस राष्ट्रीय पर्व को हमें पूरे जोर शोर , उत्साह के साथ मानना चाहिए ! भले ही ये पर्व एक दिन का हो , हमें एक दिन के लिए ही अपने दिलों में देशभक्ति का जज्बा भर लेना चाहिए ! विरोधी ताकतों , देश के दुश्मनों को ये अहसास दिला देना चाहिए कि , हम आज भी अपने देश के लिए मर मिटने को सदैव तैयार रहते हैं ! हम भारतीय जिस एकता - अखंडता , सभ्यता - संस्कृति के लिए पूरे विश्व में जाने जाते हैं , वो बात आज भी हमारे बीच मौजूद है ! ये बात सिर्फ एक दिन के लिए ही नहीं बल्कि हमेशा हम भरतीयों में होनी चाहिए ! देश के युवाओं से मेरा विशेष अनुरोध है कि देश पर मर मिटने का जज्बा , देश का नाम विश्वपटल पर लाने , इस देश से भ्रष्टाचार , घूसखोरी , बेईमानी को जड़ से मिटाने का दृण संकल्प आज हमें लेना होगा ! देखा जाय तो २६ जनवरी का दिन प्रत्येक व्यक्ति के लिए अलग अलग मायने रखता है ! आप सभी के लिए भी ये दिन कुछ मायने रखता होगा ! किसी के लिए सरकारी छुट्टी का दिन है तो किसी के लिए सिर्फ छुट्टी का दिन ! कुछ लोगों के लिए ये दिन एक आम दिन के जैसा ही होता है ! कुछ लोगों को देखकर ऐसा लगता है जैसे वो लोग जानते ही नहीं कि , गणतंत्र दिवस का क्या मतलब है ? खासकर मजदूर वर्ग जो दिन-रात मेहनत कर सिर्फ अपने परिवार के भरण-पोषण में लगा रहता है ! आज का भटका हुआ चकाचौंध में खोया हुआ युवा ! कुछ लोग इस दिन को छुट्टी का दिन मानकर अपने घर के काम काज निपटाते हैं तो कुछ बच्चों के साथ दिन बिताते हैं ! कुछ तो सारा दिन आराम या फिर इत्मीनान से टेलीविजन या फिल्म देखकर निकाल देते हैं ! हमारी युवा पीड़ी जो पूरी तरह से आधुनिकता या पश्चिमी सभ्यता के रंग में रंगी हुई है उनके पास राष्ट्रीय पर्व मनाने का समय ही नहीं है ! क्योंकि उन्हें तो मौज-मस्ती से ही फुर्सत नहीं मिलती ! अगर किसी को इस दिन का विशेष इन्तजार रहता है तो वो हैं इस देश के नौनिहाल जो कई दिनों तक कड़ी मेहनत कर इस दिन होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बढ चढ़कर हिस्सा लेते हैं ! उन युवाओं को जो देश के लिए कुछ करना चाहते है ! सच पूंछा जाये तो इन नौनिहालों और देश प्रेमी युवाओं की बजह से ही इस राष्ट्रिय पर्व की शोभा बढ़ती है ! ऐसे और भी हजारों लाखों लोग हैं जिन्हें इस दिन का विशेष इन्तजार रहता है ! क्योंकि उनके लिए ये दिन २६ जनवरी का दिन नहीं बल्कि राष्ट्रिय पर्व का दिन होता है !

आप लोग जरुर बताएं कि कैसे मनाया आपने अपना राष्ट्रीय पर्व " गणतंत्र दिवस " हम सभी देशवासियों के लिए ये दिन २६ जनवरी का दिन ना होकर " राष्ट्रीय पर्व " का दिन होना चाहिए !

देश के समस्त नागरिकों को गणतंत्र - दिवस राष्ट्रीय पर्व की बहुत बहुत शुभ-कामनाएं

" जय-हिंद " " जय-हिंद " " जय-हिंद "

धन्यवाद

Friday, January 20, 2012

रुपया एक .............. प्रश्न अनेक .....>>> संजय कुमार

कल जब मैं बस से जा रही थी कौलेज
तब बस पर आया , तोंदू बच्चा एक
बिलकुल मटके जैसा था , उसका पेट
दिखाकर जिसको , उसने माँगा रुपया एक
मैंने कहा " दर्द और व्यंग्य " से
तुम्हें दिया यह किसने , काम नेक
गिड़गिडाकर बोला " माई "
बाप नहीं घर में , मेहताई है भूखे पेट !
लगा जैसे वह , किसी शिकारी का रट्टू तोता हो एक !
दांत थे उसके गुटखे से सने हुए ,
देख जिन्हें मैंने कहा
गुटखा खाते हो !
नहीं दूँगी तुम्हें , रुपया एक
पर गिड़ गिड़ाहट से अपनी
उसने जगाया , ह्रदय में तीव्र करुण भाव
और
जाने -अनजाने में
मैंने दिए उसे, रूपए दो ,
और जाते-जाते वह मुझे
दे गया प्रश्न अनेक !

( प्रिये पत्नि गार्गी की कलम से )

धन्यवाद

Monday, January 16, 2012

बेटी की विदाई में , अब आंसू नहीं बहते .....>>>> संजय कुमार

विदाई , किसी भी लड़की के एवं उसके माता-पिता के जीवन की सबसे मुश्किल घड़ी, वो घड़ी जिसके लिये लड़की के माता -पिता जीवन भर एक-एक पैसा इकठ्ठा कर , लड़की के लिए एक अच्छे वर और घर की कामना करते हैं ! एक ओर लड़की के लिए वर-घर मिलने की ख़ुशी तो दूसरी ओर अपनी लाड़ली से दूर होने और बिछुड़ने का दुःख ! वहीँ दूसरी ओर लड़की का दुखी होना ! माता-पिता के घर नाजों से पली- बढ़ी , जीवन के हर दुःख से दूर , एक पल में अपने लोगों और अपना घर का छूट जाना ! विदाई के वक़्त माता-पिता और लड़की दोनों के अंतर्मन में यही भाव हिलोरें मारते है और यही भाव आंसू बनकर दोनों की आखों से छलकते हैं ! सच कहूँ तो विदाई के बाद भी लड़की और लड़के के माता-पिता रोते रहते हैं ! आज ये स्थिती बहुत से घरों में है ! खैर ये तो चलता रहेगा ! आज हम लोग जिस माहौल एवं परिवेश में जी रहे हैं उस युग को आधुनिक युग कहा जाता है ! ये वो आधुनिक युग है जिसमे हम अपनी सभ्यता, संस्कृति , संस्कार , सहयोग , समर्पण , अपनेपन का भाव जैसी चीजें लगभग भूल चुके हैं या भूलने के कगार पर हैं ! इस मशीनीकरण , आधुनिकीकरण ने हमसे बहुत कुछ छीन लिया है ! किन्तु इस आधुनिकरण का एक सच ये भी है कि , इसने हमें बहुत कुछ अच्छा भी दिया है ! आधुनिकीकरण ने इंसान की सोच और विचार दोनों बदले हैं !
जब हमारे दादा-दादी या माता-पिता की शादी हुई होगी तब शायद ही उन्होंने शादी के पहले एक-दुसरे को कभी देखा हो या फिर कभी बात भी की हो , तब ऐसा संभव नहीं था ! किन्तु आज सब कुछ बदल गया है ! आज लड़का - लड़की दोनों को ही ये पहले से मालूम होता है कि , उनके सबंध की बात कहीं चल रही है क्योंकि आज लड़के -लड़की की विना अनुमति ये बिलकुल संभव नहीं है ! सगाई-मंगनी और बात पक्की होने से लेकर शादी के सात फेरों तक के बीच का समय आज लड़का-लड़की दोनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण समय माना जाता है ! इसी समय के दौरान दोनों एक-दुसरे को जानने समझने की कोशिश करते हैं , एक दुसरे के आचार-विचार समझने की कोशिश करते हैं ! ( सच कहूं तो एक -दुसरे के बीच प्रेम का बीजारोपण इन्हीं दिनों में होता है ) आज हमारे पास इतने आधुनिक साधन उपलब्ध हैं जिन्होंने हमारे बीच के प्रेम को कहीं ज्यादा बढ़ाया है एवं हमारे बीच की दूरियों को लगभग खत्म कर दिया है ! ( मोबाईल , इन्टरनेट ) एक ही शहर में रहने वालों के मन में तो एक-दुसरे से दूर होने का भाव तक नहीं होता ! इस स्थिती में लड़की कभी भी अपने आप को अपने माता -पिता से दूर नहीं समझती है ! आजकल तो दूर-दराज के छोटे-छोटे गावों - कस्बों तक में ये आधुनिक साधन उपलब्ध हैं ! फिर गाँव की लड़की हो या शहर की , अमीर की लड़की हो या गरीब की , दोनों की स्थिती लगभग एक जैसी होती है ! आजकल लगभग सभी शादियाँ " लव मैरिज " होती हैं ! क्योंकि लड़का-लड़की दोनों के बीच प्रेम शादी पूर्व ही शुरू हो जाता है ! यही स्थिती माता-पिता की भी होती है ! माता-पिता भी अपने आप को अपनी बेटी से दूर नहीं समझते हैं इसलिए एक-दुसरे के दिलों में दूर होने का भाव और अहसास तो होता है किन्तु बिछुड़ने का दुःख नहीं ! मन के भाव हमेशा पल दो पल , क्षण भर के होते हैं स्थायी नहीं इसलिए रोना भी क्षणिक होता है ! विदाई के वक़्त लड़की के हाँथ से जब कुछ छूटता है तो बहुत कुछ नया भी मिलता है जो उसे " सम्पूर्ण नारी " बनाता है ! हमारे दिलों में तकलीफ तब होती है जब हमारी बहन -बेटियां दहेज़ लोभियों के लालच का शिकार होती हैं ! रोना तो कमजोरों की निशानी माना जाता है ! आज की नारी रोने-धोने में विश्वास नहीं रखती है ! वो अच्छा और सिर्फ अच्छा करने में विश्वास रखती है ! आजकल विदाई में रोने-धोने का फैशन बहुत पुराना हो गया है ! बैंड -बाजों , ढोल-नगाड़ों की थाप पर नाचते लोग , लुप्त होती शहनाई की आवाज ! डीजे की तेज ध्वनि में मद्धम पड़ते मन्त्र एवं वेदोपचार ! आज की आधुनिकता में सब कुछ विलुप्त होता जा रहा है ! इसी प्रकार विदाई के वक़्त लड़की के आंसू भी !
हमें आधुनिक साधनों का बहुत बहुत धन्यवाद करना चाहिए जो बर्षों पुरानी ये रोने की परम्परा का अंत कर रही है ! इस देश से अगर दहेज़ प्रथा पूरी तरह खत्म हो जाए दहेज़ लोभी बेटी और बहु में कोई अंतर ना समझें तो में ये बात पूरे दावे के साथ कह सकता हूँ कि , इस देश में बेटियां कभी भी अपने मायके और ससुराल में अंतर नहीं करेंगी और उन्हें कभी भी अपनी विदाई में रोना नहीं पड़ेगा ! कभी भी बेटियां या उनके माता-पिता विदाई के वक़्त में कभी भी आंसू नहीं बहायेंगे !



धन्यवाद

Wednesday, January 11, 2012

( युवा दिवस ) आज का युवा : .... जिस्मफरोशी और नशा ......>>> संजय कुमार

आज हमारे टेलीविजन सीरियल और विज्ञापनों ने आज की नारी को एकदम बिकाऊ बना दिया है ! आज के लगभग सभी विज्ञापनों में नारी नुमाइश जबरदस्त तरीके से की जा रही है ! तेल , साबुन, क्रीम , बिस्कुट , सीमेंट ..... यहाँ तक की शराब , वियर , सोडा तक के विज्ञापनों में नारी का इस्तेमाल किया जा रहा है ! गौर करने वाली बात ये है कि , आज नारी को नशे की दुनिया में भी सबसे ज्यादा दिखाया जा रहा है ! आप कोई भी डेली सोप सीरियल उठा कर देख लीजिये नारी के हाँथ में शराब का गिलास अवश्य होगा ! बड़ी- बड़ी पार्टियों में , डिस्को-थेक में , क्लबों में , नशे की गिरफ्त में , नशे के बाजार में आज नारी को दिखाया जा रहा है ! शायद ये शहरी चकाचौंध का ही नतीजा है ! ये तो सिर्फ डेली सोप सीरियल हैं किन्तु वास्तविकता इनसे कहीं ज्यादा ख़राब और चिंतित करने वाली है ! आज मैं जिस नशे की बात कर रहा हूँ वो नशा हमारे देश के युवाओं की नशों में खून बनकर दौड़ रहा है ! शराब , बीडी -सिगरेट, ड्रग्स, तम्बाखू और सभी तरह के मादक पदार्थ ये सभी चीजें अब आम बात हो गयी है ! ये सभी चीजें आज के युवाओं में रोजमर्रा की चीजें हो गयी हैं ! आज कल के युवाओं को अब एक नए नशे की लत लगती जा रही है और वो नया नशा है जिस्म का नशा ! जिसे हम जिस्मफरोशी के नाम से जानते हैं ( पोर्न फिल्मों का बढता क्रेज ) जो हमारे युवाओं में आज का फैशन बनता जा रहा है ! लड़का हो या लड़की इस नशे के जाल में दिन - प्रतिदिन फंसते जा रहे हैं ! इसका उदाहरण आजकल रूपसज्जा पार्लर और वियर बार की आड़ में जिस्मफरोशी में पकडे गए युवा- युवतियों को देखकर आप इस बात का अंदाज़ लगा सकते हैं कि , आज इस नशे के बाजार की पकड़ कितनी मजबूत है ! इस नशे का जाल अब इतना फ़ैल गया है कि , जिससे बाहर आना आज के भटके हुए युवा का मुश्किल ही नहीं नामुमकिन सा लगता है ! एक रिपोर्ट के अनुसार आज हमारे देश के चार बड़े महानगरों में स्थिती बहुत ही चिंतनीय एवं विचारणीय है ! १५ से २० साल के बच्चों में या अभी-अभी जवानी की दहलीज पर कदम रखने वाले युवाओं में नशे की लत इतनी तेजी से अपने पैर फैला रही है या उन्हें पूरी तरह से अपनी गिरफ्त में ले चुकी है ! किसी भी माँ-बाप के लिए ये बड़ा ही चिंतनीय एवं होश उड़ाने वाला बिषय है ! जब बच्चे बाहर की दुनिया में जाकर अपना नाम कमाने के लिए अपने घर की चारदीवारी से बाहर निकलते हैं तो उस वक़्त माँ-बाप बच्चों पर विश्वास कर ही उनको पूरी आजादी देते हैं ! क्योंकि हर माँ-बाप अपने बच्चों पर विश्वास रखते हैं ! किन्तु आज के ये बच्चे उनके विश्वास के साथ विश्वासघात करने से भी नहीं चूकते ! महानगरीय युवा हो या छोटे शहरों का युवा , जन्म-दिन की पार्टी हो , कोई त्यौहार हो , कोई ख़ुशी हो, या गम भी हो तो भी इन्हें सिर्फ नशा चाहिए ! शहरी आधुनिकता की चकाचौंध में ये युवा इतने पागल से हो गए हैं कि , इन्हें अपना अच्छा बुरा भी समझ नहीं आता ! मानो नशे की दुनिया ही इनके लिए सब कुछ है ! इन युवाओं में एक होड़ सी लगी है अपने आप को अति आधुनिक बनाने की ! एक कडवा सच ये भी है कि " आज लड़कियां भी इन लड़कों से इन मामलों में किसी भी बात में पीछे नहीं हैं " आज लड़कियां भी इस पद्धति को अपनाकर नशे के तालाब रुपी दलदल में धंस रहीं हैं और पुरुष के साथ कंधे से कन्धा मिलकर चल रही हैं ! कुछ अपने शौक को पूरा करने के लिए , तो कुछ एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए नशे का इस्तेमाल करती हैं ! लेकिन नशा करने वाले ये युवा यह नहीं जानते की इनके नशा करने से ये किस और जा रहे हैं ! जब इन भटके हुए युवाओं का कोई फायदा उठाता है तो हमारे सामने ऐसे परिणाम आते हैं जो इन युवाओं के लिए और इनके परिवारों के लिए ऐसे जख्म या नासूर बन जाते हैं जिनकी पीड़ा इनके दिलों दिमाग से जीवन भर नहीं मिटती ! पूर्व में भी धर्म की आड़ में जिस्मफरोशी करते हुए कई युवतियां पकड़ी गयीं ! धर्म की आड़ में इन युवतियों का खुलकर इस्तेमाल किया गया , कुछ मर्जी से तो कुछ मजबूरी बश ! हमारे देश में नशा और जिस्मफरोशी का कारोबार बहुत बड़ा है ! यह स्थिती सिर्फ हमारे महानगरों की ही नहीं है बल्कि यह स्थिती और हालात अब पूरे देश में धीरे -धीरे बड़ रहे हैं या अपने पैर पूरी तरह फैला चुके हैं ! बड़े - बड़े शहरों से निकलकर यह नशा अब हमारे छोटे-छोटे शहरों , कस्बों और गांवों में तेजी से फ़ैल रहा है ! स्थिती ये है की शहरों में कूड़ा -करकट बीनने वाले १० से १५ साल के बच्चे तक, आज नशा कर रहे हैं ! बीडी -सिगरेट तो उनके लिए आम बात हैं ! अब वह इससे भी बड़ा नशा करने लगे हैं ! नशा करने के नए नए तरीके ढूँढने लगे हैं ! ऐसे बच्चों का तो मान सकते है की बह समझदार नहीं हैं या पढ़े-लिखे नहीं हैं ! उनके सिर पर ना किसी का हाँथ है और ना छत ! किन्तु आज बड़ी-बड़ी डिग्रियां हांसिल करने वाले युवा नामी-गिरामी महाविद्यालयों में पढ़ने वाले युवा भी सब कुछ जानते हुए भी नशे के इस बाजार में अपनी आमद दर्ज करा रहे हैं ! यह देखकर बड़ा आश्चर्य होता है !
जिन माँ-बाप के बच्चे उनसे दूर रहकर महानगरों में पढ़-लिख रहे हैं ! उन माँ-बाप को अब इस ओर ध्यान देना होगा की कहीं उनके बच्चे उनके द्वारा दी गयी आजादी का कहीं गलत फायदा तो नहीं उठा रहे हैं ! अगर देश का युवा जो इस देश का भविष्य भी है , इसी तरह नशे में डूबा रहेगा तो क्या होगा उनके भविष्य का या इस देश के भविष्य का ?
देश के युवाओं जरा सोचिये ............ जरूर सोचिये ................

धन्यवाद

Friday, January 6, 2012

भगवान हो रहा अमीर पे अमीर .....>>> संजय कुमार

अभी दो दिन पहले ही खबर सुनी थी कि, १० दिनों में देश के अमीर मंदिर ट्रस्ट शिर्डी के साईं बाबा पर १४ करोड़ से ज्यादा का चढ़ावा , चढ़ावा गया ! हमारे देश में भले ही गरीबों की संख्या बड़ रही हो किन्तु भगवान हफ्ते दर हफ्ते अमीर और अमीर होता जा रहा है ! इससे पहले भी कर्नाटक की एक दंपत्ति ने शिर्डी के सांईबाबा मंदिर पर १०० किलो चांदी दान में दी थी ! क्योंकि उस दंपत्ति की आस्था साईंबाबा में थी ! क्या आस्था का भी कोई मोल होता है ? क्या यही है सच्ची आस्था ? इस बर्ष तिरुपति बालाजी भगवान पर भी अरबों रुपये दान स्वरुप चढ़ाए गए ! कोई ५ करोड़ का सोना तो कोई करोड़ों रूपए का चैक चढ़ा गया ! यहाँ तो मनुष्यों द्वारा तर्पण किये गए बालों की बिक्री भी करोड़ों में होती है ! आज कल आप जितना ज्यादा चढ़ावा चढ़ाएंगे आपकी आस्था उतनी बड़ी और सच्ची होगी ! हमारे देश के मंदिर दुनिया में सबसे अमीर मदिर ट्रस्ट के रूप में जाने जाते हैं ! हमारे देश के मंदिरों में साल भर में इतना चढ़ावा आता है जितना किसी छोटे मोटे उद्योग की आमदनी होती होगी ! पिछले दिनों तो एक मंदिर अपने तहखानों में मिली अपार संपत्ति के कारण सुर्ख़ियों में रहा ! उस मंदिर में जितना धन मिला है उतना तो आज " अबानी भाइयों " पर भी नहीं है ! भई बहुत खूब आज तो भगवान दिन-प्रतिदिन अमीर होता जा रहा है , और बेचारी जनता दिन-प्रतिदिन गरीब और भूंखी ! देश में और भी मंदिर हैं जहाँ लाखों करोड़ों का चढ़ावा आता है ! आज देश के मदिर ट्रस्ट दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रहे हैं ! देश में आस्था और भक्ति के नाम पर लाखों करोड़ों चढ़ाए जा रहे हैं और दूसरी ओर एक किसान कर्ज के बोझ तले आत्महत्या कर रहा है ! अरे भई करोड़ों का चढ़ावा चढ़ाने वाले आखिर क्यों ना चढ़ाएं , वो पैसा आम जनता की मेहनत और उसके हक का पैसा जो है ! हमारे देश के कई जाने माने मंत्री अपने दोनों हांथो से गरीब का हक धर्म और आस्था के नाम पर लुटाते हैं ! माफ़ कीजिये दान करते हैं ! दान करने में मत्री जी का नाम हो गया और भगवान का मान और महत्व पहले से कहीं ज्यादा बढ गया ! सिर्फ एक बात अच्छी है कि , इन लोगों द्वारा भ्रष्टाचार और घोटाले कर जो संपत्ति अर्जित की गई है उसका कुछ हिसा धर्म के नाम पर बाहर आ जाता है ! दान और चढ़ावे की खबर जब किसी भूखे और गरीब को मालूम चलती है तो इस तरह की खबर सुनकर वो क्या कहता है ! वाह रे भगवान क्या यही है हम लोगों के साथ तेरा न्याय ! " हम भूख और गरीबी से मर रहे हैं , और तेरे कोठर सोना-चांदी से भरे पड़े है " क्या तू भी इंसान हो गया है ? क्या तू भी भूखा है इस दौलत का ? जब तेरे मंदिर में कोई लाखो करोड़ों चढ़ाएगा क्या तभी वह सच्चा भक्त कहलायेगा ? अगर हम बड़ा दान नहीं करेंगे .... तो क्या तू हमारी फरियाद नहीं सुनेगा ?.....................
अक्सर यही सुना हैं कि , सोना-चांदी, रूपए पैसे की भूख और लालच , सिर्फ इंसान को होती है भगवान को नहीं ये बात भी १००% सही है ! इस धन-दौलत के लालच में इंसान अपनी इंसानियत तक भूल चुका है ! आज इंसान इस पैसे के लिए क्या -क्या नहीं कर रहा है ? वो सभी काम जिन्हें देखकर एक बार भगवान भी शर्मसार हो जाये पर आज का इंसान नहीं ! सच कहूँ तो कलियुग के भगवान के रूप में आज सिर्फ पैसा है ! आज भगवान भी इस बात से दुखी है कि , उसका महत्व आज पैसे से आँका जा रहा है ! " भगवान तो सिर्फ अपने भक्तों की सच्ची भक्ति और निश्छल प्रेम का भूखा है " तो फिर क्यों हम आज भगवान को पैसों में तौल रहे है ? क्यों हम भगवान की बोली लगा रहे है ? सच तो ये है भगवान कभी भी रूपए -पैसों का भूखा नहीं होता ! भगवान को एक सच्चा इंसान चाहिए .............. ना की दौलत में तौलने वाला ..........
आज जितना पैसा इन मंदिरों पर चढ़ाया जा रहा है अगर उस पैसे को किसी निर्धन की निर्धनता दूर करने में लगाया जाये तो शायद ईश्वर भी खुश होगा और यह बात भी सार्थक हो जाएगी की निर्धन का सिर्फ भगवान होता है ! अगर यह पैसा बेरोजगारों को रोजगार दिलाने में उपयोग किया जाए तो कितना अच्छा हो ! अगर यह पैसा उन बुजुर्गों की देखभाल पर उपयोग किया जाए जो अपने ही बच्चों द्वारा ठुकराए हुए हैं और आज दर दर की ठोकर खाने को मजबूर हैं ! इस पैसे का उपयोग उन विधवाओं के पुनर्वास पर होना चाहिए , जिनके पति देश की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए हैं ! क्योंकि सरकार तो इनके लिए कभी कुछ करेगी नहीं ! काश भगवान के द्वारा ही ऐसे लोगों का उत्थान हो जाये ! इस धनं का उपयोग उन छोटे छोटे मासूम बच्चों के लिए हो जिनके सिर पर ना माँ-बाप का साया हैं और ना ही उनके सिर पर कोई छत , अगर ऐसा होता है यह देश का भविष्य भटकने से बच जायेगा ! इस धन का उपयोग उन किसानो के लिए हो जो इस देश को बहुत कुछ दे रहे हैं किन्तु फिर भी ऐसी जिंदगी जीने को मजबूर हैं जो नरक से भी बदतर हैं , अगर इस धन का उपयोग इन सब के लिए हो तो भगवान पर चढ़ने वाले इस धन का महत्व और भी बड़ जायेगा ! भगवान भी शायद यही चाहता है कि, उस पर चढ़ने वाला धन किसी की तकलीफ दूर करने के लिए हो ! ......................

भगवान भूखा नहीं है सोना-चांदी, रूपए पैसे का ............... भूखा तो इंसान है और ऐसा भूखा , जिसकी भूख कभी भी नहीं मिटेगी .................भगवान को चाहिए निश्छल प्रेम और सच्ची आस्था !

धन्यवाद

Tuesday, January 3, 2012

क्या आप अपने देश के लिए संघर्ष करेंगे ? ......>>> संजय कुमार

कहने को तो संघर्ष एक छोटा सा शब्द है , किन्तु इस छोटे से शब्द पर सफलता हांसिल करने में इंसान का पूरा जीवन निकल जाता है ! फिर भी यह संघर्ष निरंतर चलता रहता है ! कुछ संघर्ष कर सफलता का स्वाद चख लेते हैं और कुछ कभी भी हांसिल नहीं कर पाते और मृत्यु और उसके बाद भी कभी ना खत्म होने वाला संघर्ष चलता रहता है ! संघर्ष एक बहने बाली नदी के समान होता है जिसे सिर्फ बहना आता है ! ठीक उसी तरह संघर्ष भी इंसान के जीवन में कभी नहीं रुकता ! इंसान छोटा हो या बड़ा , अमीर हो या गरीब , हिन्दू हो या मुस्लिम जीवन में संघर्ष सभी को करना पड़ता है , बिना संघर्ष किये हुए इंसान का कोई अस्तित्व नहीं होता वह सफलता हांसिल नहीं कर सकता ! जीवन में यदि कुछ पाना है तो संघर्ष तो करना ही पड़ेगा ! एक इंसान जन्म से लेकर मृत्यु तक पल पल पर संघर्ष ही करता है ! इंसान का संघर्ष जन्म से शुरू होता है , माफ़ कीजिये जन्म से पहले भी संघर्ष होता है , आप सोच रहे होंगे कि जन्म से पहले इंसान कैसे संघर्ष कर सकता है ! अरे भई बात तो बहुत सीधी कर रहा हूँ , मैं उस अजन्मी बेटी की बात कर रहा हूँ जो इस दुनिया में आने के लिए वंशवाद तो कभी रुढीवादी सोच वाले लोगों से संघर्ष करती है ! आज के इस युग में जहाँ कन्या भ्रूण हत्याएं अपने चरम पर हैं ! अगर इंसान गरीब हो तो उस इंसान का पूरा जीवन इस संघर्ष में ही गुजर जाता है वह भी इस सोच के साथ कि एक दिन वो बड़ा आदमी बनेगा और इसी सोच के साथ संघर्ष करते करते उसकी कई पीढ़ियाँ निकल जाती हैं ! आज का बेरोजगार युवा बस एक छोटी सी नौकरी पाने के लिए कितना संघर्ष करता है ये बात किसी से छुपी नहीं है उस पर आज देश में चारों ओर फैला भ्रष्टाचार , बेईमानी , लूट-खसोट युवाओं के संघर्ष को कई गुना बड़ा देती है ! अपने घर से, अपनों से उपेक्षित माँ-बाप अपने ही घर में अपनों से सम्मान पाने के लिए कितना संघर्ष करते हैं ! भूँखा भिखारी भी अपनी भूख मिटाने के लिए जीवन पर्यंत संघर्ष करता है ! जब तक इंसान का जीवन है , तब तक इंसान सिर्फ संघर्ष ही करता है ! सच है संघर्ष बिना इंसान सफलता हांसिल नहीं कर सकता ! आज के इंसान को इस संघर्ष ने मशीनी मानव बना दिया है ! और हम जानते हैं मशीनें कभी नहीं रूकती ! हम हमेशा अपने लिए संघर्ष करते हैं , किन्तु अपने देश के लिए शायद कभी नहीं या फिर बहुत कम ......
हमारे देश को आज ऐसे लोगों की आवश्यकता है जो अपने समाज और देश के लिए संघर्ष करें क्योंकि आज हमारा देश संघर्ष कर रहा है ऐसे लोगों से अपने आप को बचाने का जो देश के दुश्मन हैं , जो पल पल पर इस देश को बेचने का काम कर रहे हैं ! हमारा देश आज संघर्ष कर रहा एकता , अखंडता और भाईचारे को बचाने का , वो सम्मान बचाने को जो पल पल पर हाँथ से यूँ फिसल रहा है जैसे फिसलती हाँथ से रेत ! आज देश संघर्ष कर रहा अपने ही भाइयों को अपनों का खून बहाने से रोकने के लिए , दिन-प्रतिदिन हिन्दू -मुस्लिम के बीच बढ़ती खाई को खत्म करने के लिए ! हमारी जीवनदायनी प्रकृति भी आज अपना असली रूप बचाने के लिए संघर्षरत है ! गंगा-जमुना-सरस्वती भी अपना बचा कुचा अस्तित्व बचाने के लिए संघर्ष कर रही है ! आज अधर्मियों के हांथों में धर्म को चलाने की कमान है उनसे अपनी धार्मिकता बचाने के लिए धर्म भी संघर्ष कर रहा है ! इंसान को संघर्ष करना पड़ रहा है अपनी बची-कुची इंसानियत को बचाने के लिए ! देखना है इंसान के साथ-साथ पूरी कायनात जो संघर्ष कर रही है क्या उसका संघर्ष कभी पूरा होगा ? क्या इंसान का संघर्ष मरते दम तक पूरा होगा ? संघर्ष के बाद मिलने वाली सफलता का जो मजा आता है वो हजार खुशियों के मिलने पर भी नहीं आता ! क्या आप अपने साथ -साथ और अपने देश के लिए संघर्ष करेंगे ?
संघर्ष के रास्ते हजार मुश्किलें आएँगी , किन्तु आप उनसे डरें नहीं बल्कि आप अपने मजबूत होंसलों , सिद्धांतों पर द्रण रहकर , पूर्णतया ईमानदारी के साथ बढ़ते चलें !

धन्यवाद