Friday, January 6, 2012

भगवान हो रहा अमीर पे अमीर .....>>> संजय कुमार

अभी दो दिन पहले ही खबर सुनी थी कि, १० दिनों में देश के अमीर मंदिर ट्रस्ट शिर्डी के साईं बाबा पर १४ करोड़ से ज्यादा का चढ़ावा , चढ़ावा गया ! हमारे देश में भले ही गरीबों की संख्या बड़ रही हो किन्तु भगवान हफ्ते दर हफ्ते अमीर और अमीर होता जा रहा है ! इससे पहले भी कर्नाटक की एक दंपत्ति ने शिर्डी के सांईबाबा मंदिर पर १०० किलो चांदी दान में दी थी ! क्योंकि उस दंपत्ति की आस्था साईंबाबा में थी ! क्या आस्था का भी कोई मोल होता है ? क्या यही है सच्ची आस्था ? इस बर्ष तिरुपति बालाजी भगवान पर भी अरबों रुपये दान स्वरुप चढ़ाए गए ! कोई ५ करोड़ का सोना तो कोई करोड़ों रूपए का चैक चढ़ा गया ! यहाँ तो मनुष्यों द्वारा तर्पण किये गए बालों की बिक्री भी करोड़ों में होती है ! आज कल आप जितना ज्यादा चढ़ावा चढ़ाएंगे आपकी आस्था उतनी बड़ी और सच्ची होगी ! हमारे देश के मंदिर दुनिया में सबसे अमीर मदिर ट्रस्ट के रूप में जाने जाते हैं ! हमारे देश के मंदिरों में साल भर में इतना चढ़ावा आता है जितना किसी छोटे मोटे उद्योग की आमदनी होती होगी ! पिछले दिनों तो एक मंदिर अपने तहखानों में मिली अपार संपत्ति के कारण सुर्ख़ियों में रहा ! उस मंदिर में जितना धन मिला है उतना तो आज " अबानी भाइयों " पर भी नहीं है ! भई बहुत खूब आज तो भगवान दिन-प्रतिदिन अमीर होता जा रहा है , और बेचारी जनता दिन-प्रतिदिन गरीब और भूंखी ! देश में और भी मंदिर हैं जहाँ लाखों करोड़ों का चढ़ावा आता है ! आज देश के मदिर ट्रस्ट दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रहे हैं ! देश में आस्था और भक्ति के नाम पर लाखों करोड़ों चढ़ाए जा रहे हैं और दूसरी ओर एक किसान कर्ज के बोझ तले आत्महत्या कर रहा है ! अरे भई करोड़ों का चढ़ावा चढ़ाने वाले आखिर क्यों ना चढ़ाएं , वो पैसा आम जनता की मेहनत और उसके हक का पैसा जो है ! हमारे देश के कई जाने माने मंत्री अपने दोनों हांथो से गरीब का हक धर्म और आस्था के नाम पर लुटाते हैं ! माफ़ कीजिये दान करते हैं ! दान करने में मत्री जी का नाम हो गया और भगवान का मान और महत्व पहले से कहीं ज्यादा बढ गया ! सिर्फ एक बात अच्छी है कि , इन लोगों द्वारा भ्रष्टाचार और घोटाले कर जो संपत्ति अर्जित की गई है उसका कुछ हिसा धर्म के नाम पर बाहर आ जाता है ! दान और चढ़ावे की खबर जब किसी भूखे और गरीब को मालूम चलती है तो इस तरह की खबर सुनकर वो क्या कहता है ! वाह रे भगवान क्या यही है हम लोगों के साथ तेरा न्याय ! " हम भूख और गरीबी से मर रहे हैं , और तेरे कोठर सोना-चांदी से भरे पड़े है " क्या तू भी इंसान हो गया है ? क्या तू भी भूखा है इस दौलत का ? जब तेरे मंदिर में कोई लाखो करोड़ों चढ़ाएगा क्या तभी वह सच्चा भक्त कहलायेगा ? अगर हम बड़ा दान नहीं करेंगे .... तो क्या तू हमारी फरियाद नहीं सुनेगा ?.....................
अक्सर यही सुना हैं कि , सोना-चांदी, रूपए पैसे की भूख और लालच , सिर्फ इंसान को होती है भगवान को नहीं ये बात भी १००% सही है ! इस धन-दौलत के लालच में इंसान अपनी इंसानियत तक भूल चुका है ! आज इंसान इस पैसे के लिए क्या -क्या नहीं कर रहा है ? वो सभी काम जिन्हें देखकर एक बार भगवान भी शर्मसार हो जाये पर आज का इंसान नहीं ! सच कहूँ तो कलियुग के भगवान के रूप में आज सिर्फ पैसा है ! आज भगवान भी इस बात से दुखी है कि , उसका महत्व आज पैसे से आँका जा रहा है ! " भगवान तो सिर्फ अपने भक्तों की सच्ची भक्ति और निश्छल प्रेम का भूखा है " तो फिर क्यों हम आज भगवान को पैसों में तौल रहे है ? क्यों हम भगवान की बोली लगा रहे है ? सच तो ये है भगवान कभी भी रूपए -पैसों का भूखा नहीं होता ! भगवान को एक सच्चा इंसान चाहिए .............. ना की दौलत में तौलने वाला ..........
आज जितना पैसा इन मंदिरों पर चढ़ाया जा रहा है अगर उस पैसे को किसी निर्धन की निर्धनता दूर करने में लगाया जाये तो शायद ईश्वर भी खुश होगा और यह बात भी सार्थक हो जाएगी की निर्धन का सिर्फ भगवान होता है ! अगर यह पैसा बेरोजगारों को रोजगार दिलाने में उपयोग किया जाए तो कितना अच्छा हो ! अगर यह पैसा उन बुजुर्गों की देखभाल पर उपयोग किया जाए जो अपने ही बच्चों द्वारा ठुकराए हुए हैं और आज दर दर की ठोकर खाने को मजबूर हैं ! इस पैसे का उपयोग उन विधवाओं के पुनर्वास पर होना चाहिए , जिनके पति देश की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए हैं ! क्योंकि सरकार तो इनके लिए कभी कुछ करेगी नहीं ! काश भगवान के द्वारा ही ऐसे लोगों का उत्थान हो जाये ! इस धनं का उपयोग उन छोटे छोटे मासूम बच्चों के लिए हो जिनके सिर पर ना माँ-बाप का साया हैं और ना ही उनके सिर पर कोई छत , अगर ऐसा होता है यह देश का भविष्य भटकने से बच जायेगा ! इस धन का उपयोग उन किसानो के लिए हो जो इस देश को बहुत कुछ दे रहे हैं किन्तु फिर भी ऐसी जिंदगी जीने को मजबूर हैं जो नरक से भी बदतर हैं , अगर इस धन का उपयोग इन सब के लिए हो तो भगवान पर चढ़ने वाले इस धन का महत्व और भी बड़ जायेगा ! भगवान भी शायद यही चाहता है कि, उस पर चढ़ने वाला धन किसी की तकलीफ दूर करने के लिए हो ! ......................

भगवान भूखा नहीं है सोना-चांदी, रूपए पैसे का ............... भूखा तो इंसान है और ऐसा भूखा , जिसकी भूख कभी भी नहीं मिटेगी .................भगवान को चाहिए निश्छल प्रेम और सच्ची आस्था !

धन्यवाद

8 comments:

  1. शिरडी के साईं बाबा ईश्वर कब से हो गए भाई ?
    उन्होंने कब कहा था कि उन पर सोना चढ़ाओ ?

    ग़लती ख़ुद करो और फिर दोष ईश्वर को देते हो ?
    ईश्वर का मंदिर मस्जिद है और वहां कोई अन्न-फल चलता नहीं। धन-बल भी कोई चलता नहीं और सोना चांदी भी वहां कोई चढ़ता नहीं लेकिन आप जैसे शिकायती लोग भी वहां आते नहीं।
    सही जगह आओगे तो कोई शिकायत बाक़ी न बचेगी।
    इस लिंक पर यह लेख देखें-
    http://za.samwaad.com/2012/01/blog-post.html

    धन्यवाद !

    ReplyDelete
  2. सार्थक और सामायिक पोस्ट, आभार.
    पधारें मेरे ब्लॉग meri kavitayen पर भी, मुझे आपके स्नेहाशीष की प्रतीक्षा है.

    ReplyDelete
  3. बहुत ही सही मुद्दा उठाया है ..काश जहाँ पर धन की जरुरत है ,वहां तक पहुच पाता ...

    ReplyDelete
  4. सब सम्यक दिशा में लगाया जाये।

    ReplyDelete
  5. आज भगवान के प्रति आस्था के मोल भाव को लेकर आपने अपने शब्दों में जो लेख दिया हें बह सोचने समझने योग्य हें ,क्योंकि इस संसार में सभी यही समझते हें कि पेसे से ही सब काम हो जाते हें और लोग उसको ही देना चाहते हें जो पहले से धनवान (भगवान) हें और उसी तरह भगवान को भी पेसे देकर पहले अपना काम कराना चाहते हें लेकिन लोग यह नहीं समझते कि पेसे से बिस्तर खरीद सकते हें पर नींद नहीं ,और इसके लिए हमें सच्ची आस्था कि जरुरत पड़ सकती हें और इस पेसे को देश एबम देश के लोगो कि मदत के लिए उपयोग करने का प्रयाश करे
    ( प्रेषक -शंकर )

    ReplyDelete
  6. आम के पेड़ पर मोजर बहुत लगते है , पर सभी में फल नहीं ! क्यों ? भक्त भगवान को नहीं देते , उसके ट्रस्ट को देते है और हर ट्रस्ट के कुछ कायदे और कानून होते है , जिसके माध्यम से उस पैसे की उचित उपयोग होती है ! अगर ट्रस्ट उस पर अमल नहीं करता , तो भगवान को दोष देना कहा तक उचित है ? दोष हम और आप में है ! दिल शुद्ध करें सब कुछ साफ नजर आएगा !जिसके पास लोभ नहीं , उसके लिए दुनिया की कोई चीज कोई मायने नहीं रखती ! दीन दुखियो को सरकार देख रही है , जो जिन्दा है ! वह भी भगवान है बहुतो के लिए ! जीवन में अनुशाशन जरुरी है !पैसे बाँट कार देंखे -आलसी ज्यादा मिलेंगे कर्मठ कम !

    ReplyDelete
  7. " क्या तू भी इंसान हो गया है ? क्या तू भी भूखा है इस दौलत का?
    तू तो मूरत पत्थर की, भोजन और न ही गहना है ये दौलत तेरी.. फिर बता ये खुदा क्यों तू दौलत से ढका है और में भूखा?

    ReplyDelete