Friday, July 29, 2011

स्वार्थ की पैंजनियां ....... >>>> संजय कुमार

व्याकुलता है , बेचैनी है
और अकुलाहट , मन वे आधार है
स्वार्थ तख़्त पर पैर पसारे
लेटा हर मानव आज है
स्थूल आत्मा कितनों की ही है
ऐसा लगता मुझको आज है
वर्ना गीता के उपदेशों के कागज़ पर
नहीं बेचता कोई चांट आज है
राम नाम का जोक बनाता
नैतिकता बेकार बताता
कमजोरों पर रौब जमाता ,
जहाँ ना गलती दिखती दाल
कुत्तों सी वहां दूम हिलाता
प्यार बेचता , ईमान बेचता
दया और चतुराई बेचता
इज्जत की बह खाल उधेड़ता
अपने स्वार्थ - तन को ढकने को
वस्त्रहीन हो बह आज नाचता
स्वार्थ की पैंजनिया बाँध

( प्रिये पत्नि गार्गी की कलम से )

धन्यवाद

Tuesday, July 26, 2011

इसे चेतावनी नहीं सच समझें ..... ( जरा संभल जाईये ) .......>>> संजय कुमार

चेतावनी.... वैसे होती तो है हम लोगों को सतर्क और सावधान रहने के लिए , दुर्घटना होने से बचाने के लिए , हमारी जान-माल की रक्षा के लिए ......... किन्तु होता क्या है ? क्या हम कहीं भी लिखी हुई चेतावनी , सन्देश , नियम का पालन करते हैं ? जबाब हमेशा ना में ही होगा ! बरसात का मौसम आते ही हमारे देश में पिकनिक , पार्टियाँ , सैर - सपाटा , युवाओं का टोलियों में घूमना - फिरना लगभग हर राज्य हर शहर और गांवों में बड़ी संख्या में देखा जा सकता है ! खासकर बहते पानी , उफनते नदी ,तालाब के आसपास जैसे बड़ी-बड़ी नदियाँ , कुण्ड, ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों से गिरते हुए झरने , बाँध आदि स्थानों पर इस मौसम में जरुरत से ज्यादा ही भीड़-भाड़ देखी जाती है ! हम लोग भी ऐसे मौसम का लुत्फ़ उठाने के लिए अपने यार- दोस्तों , परिवार , पत्नि , और बच्चों के साथ अच्छे दिन की कामना और मन में सुहाने पलों को सजाते हुए निकल पड़ते हैं अपने आस-पास के " पिकनिक स्पौट " पर ! हमारे देश में सेंकड़ों ऐसी जगह हैं जो प्रकृति का बेजोड़ नमूना हैं और अपने आप में बेमिसाल हैं ! " कश्मीर से कन्याकुमारी " तक सेंकड़ों प्रकृति के नज़ारे हैं ! किन्तु कभी - कभी हम लोग " सैर - सपाटे " और मनोरंजन में इतना व्यस्त और लापरवाह हो जाते हैं कि , अकस्मात आये हुए खतरों और मुसीबतों से अपने आपको ना तो संभाल पाते हैं और ना अपने आपको बचा पाते हैं ! और इसका कारण होता है हमारी लापरवाही और किसी भी चेतावनी को हल्के में लेने के कारण ! अभी कुछ दिनों पहले " इंदौर " के " पातालपानी " में हुई ह्रदय विदारक घटना जिसमे एक हँसता खेलता परिवार कुछ सेकेंडों में बिखर गया ! क्यों ............? सिर्फ हमारी लापरवाही के कारण ...... लिखी हुई चेतावनी को नजरअंदाज कर , ऐसा हमेशा होता है , कहीं भी लिखी हुई किसी भी चेतावनी को हम एक साधारण बात समझकर अपनी मस्ती में मस्त हो जाते हैं और एक मौत की लहर जब सब कुछ खत्म कर आगे निकल जाती है तो हमारे पास रह जाता है पछतावा सिर्फ पछतावा जीवन भर , अपनी गलतियों का ! अक्सर हम लोगों ने कई बार सड़क पर चलते हुए , ट्रकों और बसों पर लिखा देखा है ! वाहन गति ४०/ किलोमीटर , जगह मिलने पर साईड दी जाएगी , आदि ..... क्या मायने रखते हैं इस तरह की चेतावनी या लिखी हुई कोई बात ! मत भूलिए इस तरह की चेतावनी या सन्देश हमारे जीवन को बचाने के लिए होते हैं पर हम उन पर बिलकुल भी ध्यान नहीं देते और सड़कों पर अपने वाहन इस तरह दौडाते हैं जैसे कोई रेश प्रतियोगिता हो रही हो और हम भूल जाते हैं वह सब कुछ जो हम दिनरात देखते और पढ़ते रहते हैं ! हम बार - बार गलतियाँ करते हैं और उसका खामियाजा हम लोगों को कभी - कभी अपनी या अपनों की जान देकर चुकाना पड़ता है !


सरकार ने ऐसे सभी पर्यटन स्थलों पर चेतावनियाँ लिखवा रखी हैं जहाँ जान ( मरने ) जाने की सम्भावना अधिक है या किसी भी तरह का खतरा ज्यादा है ! सरकार तो हमारे जीवन के प्रति सचेत है या नहीं ये तो हम सब अच्छे से जानते हैं ! हमारा जीवन तो अमूल्य है ! किसी भी लिखी हुई चेतावनी , सन्देश , या नियम - कानून को आप सिर्फ लिखा हुआ ना समझें ! क्योंकि हर लिखी हुई बात का कुछ ना कुछ मतलब जरुर होता है और जो जीवन से जुडी हुई हो उन पर जरा ज्यादा ही गौर कीजिए ! कहीं ऐसा न हो हमारे जीवन को हमारी ही बुरी नजर लग जाये !


धन्यवाद

Friday, July 22, 2011

दौर ..........>>>>> संजय कुमार

एक ऐसा दौर आया
कि अपनों की वह
पुरानी छाप मिट गयी
एक भयानक तस्बीर खिंच गयी ,
वह सुखद हालात ,
वह चैन ,
जो कुछ था सब मिट गया
अब तो गर्म रेत रह गयी
लोग ना बदले ,
रिश्ते ना बदले ,
पर छाप बदल गयी ,
और फिर सोच बदलनी पड़ी !

( प्रिये पत्नि गार्गी की कलम से )

धन्यवाद

Wednesday, July 20, 2011

तेरी गोद में .....>>>> संजय कुमार

अब कैसे कहूँ , मेरा देश महान ,
भारत " माँ " आप तो हैं महान ,
तेरी मिटटी को अनगिनत प्रणाम ,
पर तेरी गोद में
अब जो खेल रही संतान ,
कर रही तुझको वदनाम ,
राम-कृष्ण को अपना आदर्श माने ,
पर ये क्या ? खुद अन्दर रावण धारे ,
रावण को सिर्फ दशानन कहते ,
पर अबकी संतान के तो अनगिनत चेहरे


( प्रिये पत्नि गार्गी की कलम से )

धन्यवाद

Sunday, July 17, 2011

जीवन की भागमभाग से फुर्सत मिले तो .... अपनी कुछ यादें ताजा कर लीजिये .........>>>> संजय कुमार

आज इंसान के पास समय बिलकुल भी नहीं है ! सुबह जागने से लेकर रात सोने तक सिर्फ भागमभाग में लगा रहता है ! घर तो वह सिर्फ मुसाफिरों की तरह रात गुजरने आता है ! रात गुजरी सुबह हुई और चल दिए बही रोजमर्रा के काम काज करने के लिए ! ना बच्चों के लिए समय ना पत्नि के लिए और ना ही माँ-बाप के लिए ! मैं आज इंसान को उसकी पुरानी यादें ताजा कराने की कोशिश कर रहा हूँ ! घर, इंसान का सबसे बड़ा साथी , वह साथी जो जीवन भर उसके साथ रहता है ! यदि इंसान के पास एक घर नहीं है तो घर के बिना इन्सान का जीवन अस्तित्वहीन है ! इन्सान के हर सुख-दुःख का साक्षी होता है घर ! इन्सान की बहुत सी यादें एक घर से जुडी होती है ! फिर चाहे वहां उसका जन्म हुआ हो या मृत्यु , उसका बचपन बीता हो, या जवान हुआ हो , फिर चाहे शादी हुई हो या हो माँ-बाप बनने का प्रथम सुख ! सब कुछ अपने घर से जुड़ा होता है ! आइये आपको घर की कुछ मुख्य जगहों और घर के कुछ महत्वपूर्ण चीजों से रूबरू कराते हैं ! घर की सभी जगह सभी चीजें किसी ना किसी तरह अपना काम करती है , और हमारी सफलता में अपना महत्वपूर्ण योगदान देती हैं ! एक अच्छे घर का सपना हर कोई देखता हैं और जिनके पास एक अच्छा घर - परिवार है वो आज खुशकिस्मत है !

1. घर , जहाँ हमने सबसे पहले अपनी आँखें खोली , जहाँ हमारा जन्म हुआ ! जन्म भूमि से हर किसी को प्रेम होता है ! किन्तु आज लगभग इन्सान का जन्म अपने घर की जगह किसी सरकारी अस्पताल या किसी नर्सिंग होम में होता है ! और इन्सान इन जगहों पर बार बार जाना नहीं चाहता !

2. हमारे घर का आँगन जहाँ हम अपने पैरों पर पहली बार खड़े हुए , और जहाँ हम अपने भाई-बहनों के साथ दौड़ लगाया करते थे ! किन्तु आज इन्सान के बीच इतना मतभेद हो गया , और हमारे घरों से यह आँगन कब कोठरियों में बदल गए नहीं मालूम ! आज-कल बड़े शहरों में तो सिर्फ फ़्लैट होते हैं , वहां पलने बाले बच्चे नहीं जानते आँगन का मतलब ! और भविष्य में जब हमारे बच्चे हम से पूंछेंगे की ये आंगन क्या होता है ? शायद हम जबाब ना दे पायें !

3. घर के वह कमरे जहाँ हमने बैठकर , जागकर , सोकर , उधम मचाकर अपनी पढाई की , और अपने भविष्य के सपने बुने ! जहाँ इस बात को लेकर हम कई बार अपने भाई-बहनों से लड़ाई करते थे कि , यह जगह मेरी है और बो जगह तेरी हैं ! शायद आज भी कई घरों में यह स्थिति होती होगी ! बचपन के सबसे प्यारे क्षण जो हमेशा याद रहते हैं और जहाँ पर तैयार होता है भाई-बहनों के सच्चे प्रेम का निर्माण , जो जीवन पर्यंत चलता है ! ( किन्तु आज का युवा अपने आप में ही मस्त है, उसे शायद अपनों की चिंता ही नहीं है )

4. घर का वह कमरा जिसे हम शयनकक्ष कहते हैं जहाँ हम जीवन भर अपने जीवनसाथी के साथ रहते हैं ! जहाँ पर जुडी होती हैं कई यादें, और अपने भविष्य को बनाने की योजना, और बहुत कुछ ! सब कुछ इसी कक्ष में , लेकिन यह कमरा आपको तभी मिलेगा जब आप शादी कर लेंगे और उस कक्ष में आपके जीवन साथी का स्वामित्व हो जाएगा तभी इस कक्ष का महत्त्व है ! इस कक्ष में इन्सान एक लम्बे समय तक रहता है ! यह कमरा हर किसी के पास होता है , फिर चाहे शहर का फ़्लैट हो या गाँव की झोपड़ी !

5. घर का बरामदा जहाँ पर हमने उधम मचाते हुए कई बार अपने माता-पिता, दादा-दादी के द्वारा डांट खायी और कई बार सजा के हक़दार बने , किन्तु अब इन बरामदों में आपको हमारे माता-पिता या दादा-दादी कम ही देखने को मिलेंगे क्योंकि आज का इन्सान अब अलग और अकेला रहना चाहता है , और अब धीरे-धीरे संयुक्त परिवार वाली परम्परा समाप्त हो रही है ! और आज के बहुत से बच्चे अपने दादा-दादी की डांट नहीं सुन पाते जो हर किसी के जीवन में बहुत उपयोगी होती हैं क्योंकि इनके पास होता है , जीवन का सच्चा अनुभव !

6. घर की छत जहाँ हमने आसमान में उड़ने वाले पक्षियों को देखकर आसमान में उड़ने और आसमानी बुलंदी को पाने की सच्ची कोशिश सीखी ! और नीला आकाश, चंद्रमा की शीतलता , सूर्य का तेज और टिमटिमाते तारे , उमड़ते-घुमड़ते बादल सब कुछ यही से देखा ! बड़े - बड़े फ़्लैट में रहने बालों को छत नसीब नहीं होती !

7. घर की रसोई जहाँ से हमने पहली बार किसी स्वाद को चखा , और आज इन्सान के सारे काम यहीं से शुरू होते है सुबह सुबह चाय नाश्ता हमको यहीं से मिलता है तभी हम अपने घर से अपने कार्य क्षेत्र को जाते हैं ! जहाँ माँ कामधेनु निवास करती हैं !

8. घर में भगवान का छोटा सा कमरा या छोटी सी अलमारी जहाँ विश्व की सबसे बड़ी शक्ति विराजमान होती है ! जहाँ से हम अपने सुख समृद्धि की कामना करते हैं , और जहाँ से हम अपने धर्म और ईश्वर के प्रति श्रधा का भाव सीखते हैं ! और सीखते हैं , आदर , अपनापन और जानते हैं ईश्वरीय शक्ति के बारे में ! किन्तु आज इश्वर में ध्यान कितने लोग लगाते हैं , यह कहना बहुत मुश्किल हैं ! आज इन्सान के पास अपने परिवार को देने के लिए समय नहीं है तो फिर भगवान् को पूंछता कौन है ! भगवान् को सिर्फ बुरे और विपत्ति समय में ही याद किया जाता है ! आज भगवान् भी तरसता हैं ऐसे इंसानों के लिए जो वाकई उसमे विश्वास रखता हो और सच्ची भक्ति रखता हो ! आज के आदर्श सलमान , कटरीना , सचिन , आमिर हैं !

9. घर का बाथरूम जहाँ पर हम यूँ ही गुनगुनाते हुए बाथरूम सिंगर से एक अच्छा कलाकार बन गए और अच्छा नाम कमा लिया !घर का आईना जिसे देखकर हमने कई बार अपने आपको निहार कर जीवन में कभी मूक अभिनय कर बहुत कुछ सीखा , और एक कलाकार बन गए ! क्योंकि आईना कभी झूंठ नहीं बोलता !

इंसान के जीवन में अगर अपने घर का सुख नहीं हैं तो उसके पास कुछ भी नहीं हैं ! किसी भी इंसान का अस्तित्व एक घर से जुड़ा हुआ होता है ! अगर घर हैं तो इन्सान हैं अगर घर नहीं तो कुछ भी नहीं है ! इनके अलावा भी एक घर में बहुत सी चीजें होती हैं , बहुत सी जगह होती हैं जिनसे इन्सान का लगाव बहुत होता है ! क्या आपके पास है ऐसा घर ? क्या आपके पास हैं घर से जुडी हुई कुछ यादें ? अवश्य बताएं !

क्योंकि हर घर बहुत नहीं बहुत बहुत कुछ कहता है !

धन्यवाद

Thursday, July 14, 2011

हमारे देश के दुश्मन बहुत भाग्यशाली हैं .... >>> संजय कुमार

हमारे देश के दुश्मन बहुत भाग्यशाली हैं उन्हें हमसे लड़ने के लिए अपने ना तो आदमी भेजने पड़ते हैं और ना ही हथियार क्योंकि इनके बिना भी बह अपना काम निकाल लेते हैं ! और अपने मंसूबों में हर बार सफल हो जाते हैं ! देश का दुश्मन अब दूसरों के कन्धों पर अपनी बन्दूक रख कर चला रहा है ! ये बात अलग है कि २६/११ आतंकवादी हमले का एक मुख्य जिन्दा आरोपी " अजमल कसाब " पाकिस्तान का है जो आजकल हमारे यहाँ मेहमानों की तरह रह रहा है ! वर्ना आतंकवादी घटनाएँ तो बहुत हुई हैं किन्तु कितने पकडे गए हैं ये अलग बात है ! अगर हमारा दुश्मन कायर और डरपोंक है तो हमें उससे चार गुना और उससे कहीं ज्यादा चौकन्ना रहना चाहिए क्योंकि ऐसा दुश्मन धोखेबाज होता है , और वो सामने से कभी भी वार नहीं करता बल्कि पीठ पीछे वार करता है ! क्योंकि उसे मालूम है कि कहीं आमना - सामना हो गया तो उसका हश्र बहुत बुरा होगा ! अगर पीठ पीछे वार नहीं करेगा तो फिर हमारी कमजोरियों को अपनी ताक़त बनाएगा और हमारे खिलाफ हमारे सामने खड़ा कर देगा और कमजोरियां तो हर जगह होती हैं ! अगर ना होती तो १३.०७.२०११ जैसे हादसे ना होते ! संसद पर हमला ना होता, जितनी आतंकवादी घटनाएँ हुई हैं ना होती ! हमारे देश में देश के साथ गद्दारी और दगाबाजी करने वालों की कमी नहीं है ! ऐसे कई लोग आज भी इस देश में रह रहे हैं जो देश में रहकर अपनी रोजी रोटी चला रहे हैं अपने बच्चों का पेट भर रहे हैं तालीम हांसिल कर रहे हैं किन्तु अपना ईमान दुश्मन देश के हांथों बेच चुके हैं इसका जीता जागता उदाहरण " इन्डियन मुजाहिदीन " हैं ! इस देश में रहकर अपने ही लोगों को , निर्दोष लोगों को मार रहे हैं और ऐसा करने में उन्हें जरा भी संकोच नहीं होता ! दुश्मन तो हमारा बुरा चाहता ही है और वो हर संभव कोशिश करेगा हमें मिटाने की , कभी धर्म के नाम पर तो कभी " कश्मीर " के ना पर हमारा इस्तेमाल कर हमारे अपनों को हमारे हांथों ही मरवायेगा ! बेरोजगार युवाओं को बरगला कर , पैसे का लालच देकर जाति, धर्म का वास्ता देकर हमारे खिलाफ तैयार करेगा और एक दिन यही लोग इस देश में इसी तरह मासूम और निर्दोषों की हत्या करते रहेंगे ! हमारे देश का दुश्मन बहुत भाग्यशाली है जो कुटिल रणनीति से हर बार जीत रहा है और हम हर बार उसके वार ( आतंकवाद ) से आहात होते हैं ! ये उनकी खुशनसीबी है या हमारी बदकिस्मती !

धन्यवाद

Saturday, July 9, 2011

नियति से ना लड़ .....>>>> संजय कुमार

कब तक रोये रे मानव ,
तू नियति से ना लड़ पायेगा ,
जब जो होना है सो होना है
उसे कौन टाल पायेगा ,
की जो कोशिश --
तो धुंए में लाठी चलाते खुद को पायेगा ,
इसलिए तू ना कर चिंता ,
बस चिंतन कर
और मुस्कुराये जा
दिल रोता है तो रोने दे ,
कुछ पल मत सुन उसकी
तू ठहाका मार हंस , बस यूँ ही ( वे मतलब )
दर्द से जब निकले गीत
तो बस गुनगुनाए जा ,


( प्रिये पत्नि गार्गी की कलम से )

धन्यवाद

Monday, July 4, 2011

इनसे बड़ा कोई राजा नहीं, फिर भी ये हैं ........ >>> संजय कुमार

अरे भई मैं वो राजा नहीं हूँ जो आजकल जेल में कैदियों की तरह अपना जीवन गुजार रहा है ! और ना ही मैं वो राजा हूँ जो किसी राज्य पर राज कर रहा हूँ ! मैं अपनी आदतों और कर्मों से आपने आपको राजा मानता हूँ ! मैं हमेशा अपने मन की करता हूँ , मैं कभी किसी की नहीं सुनता और ना ही कोई मेरा कुछ बिगाड़ सकता है ! चोंकिये मत मैं जिस राजा की बात कर रहा हूँ वो है सबसे बड़ा राजा " भिखारी राजा " आज मैं इनके राजपाठ के बारे में कुछ कहना चाहता हूँ ! आजकल हमारे शहरों में भिखारियों की संख्या में दिन प्रतिदिन इजाफा हो रहा है ! समझ नहीं आता इनकी संख्या इतनी तेजी क्यों बड़ रही है ? क्या भारत भिखारियों का देश के नाम से भी जाना जायेगा ! क्योंकि आजकल भ्रष्टाचार और घोटालों के कारण हमारा देश बहुत चर्चा में है ! एक समय था जब हमारे घर एक निश्चित दिन , महीना कोई फ़कीर या जोशी या कोई ब्रह्मण भिक्षा लेने आता था ! हम उसे अपने घर से आटा या रोटी दिया करते थे और वो प्रेम पूर्वक हमें आशीर्वाद देकर चला जाता था ! अब इस तरह के भिक्षुक लोग तो कम ही नजर आते हैं किन्तु इनकी जगह अब भिखारियों ने ले ली है ! वो भिखारी जो आटा या रोटी नहीं मांगते हैं, मांगते हैं तो पैसा ! जिनका ना तो कोई दिन होता है और ना कोई समय , यह कभी भी कहीं भी आ पहुंचते हैं ! इनकी संख्या कभी कभी किसी जगह इतनी अधिक हो जाती है , कि समझ नहीं आता कि, यह आम इंसानों का देश है या भिखारियों का ! हमारे देश में इतने भिखारी कैसे और कहाँ से आ गए ? क्या कारण हैं जो इनकी आबादी इतनी तेजी से बड़ती जा रही है ? हमारे यहाँ हर शनिवार को ८-१० साल के बहुत सारे बच्चे पूरे शहर में अपने हांथों में छोटी सी बाल्टी लेकर " शनि देव " के नाम पर मांगने आते हैं , ऐसा लगता है जैसे इन बच्चों से मांगने का धंधा करवाया जा रहा हो या जानबूझकर ये सब करतेk हों ! भिखारी, इंसानी दुनिया का सबसे तिरष्कृत इन्सान होता है , जो हर जगह से ठुकराया जाता है ! वह इन्सान जिसकी ना तो कोई जात होती और ना ही कोई धर्म ! फिर भी हमने अक्सर यह देखा है कि यह भिखारी ज्यादातर धर्म के नाम पर ही भीख मांगते हैं ! चाहे मंदिर हो या मस्जिद , गुरुद्वारा या चर्च, हर जगह इनकी पहुँच होती है ! यूँ कह सकते हैं, इनका कार्य-क्षेत्र या इनकी कर्म-भूमि यही जगह होती हैं ! इसके अलावा बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन हर जगह बड़ी तादाद में मिलेंगे ! लेकिन हमारे देश में अब भिखारियों की संख्या में दिन-प्रतिदिन इजाफा होता जा रहा हैं ! कुछ जन्म से तो कुछ कर्म से कुछ मजबूरीवश तो कोई जानबूझकर भीख मांगने का काम कर रहा हैं ! अब हर जगह ये लोग देखे जा सकते हैं , कोई भी रूप लेकर आपके सामने आ सकते हैं ! एक बच्चे के रूप में, एक बूढ़ी और बेसहारा माँ के रूप में तो कभी अपनी जिंदगी का बोझ ढोती हुई किसी बुजुर्ग के रूप में , दयनीय हालत असहाय और ठुकराए हुए ! ये तो भिखारियों का एक पहलु है जो दयनीय एवं दुखद है किन्तु एक दूसरा भी पहलु है जो बहुत लोग जानते ही नहीं वो है इनका अड़ियल रवैया , आप इनको कितना भी समझाएं की भीख माँगना अच्छी बात नहीं है , आप इसे छोड़ दीजिये , इस तरह के मशविरे को ये लोग सिर्फ भाषण देना समझते हैं ! आप इन लोगों की मदद करने के लिए भले ही दिन रात एक कर दें किन्तु ऐसे लोग मेहनत कर कहीं काम नहीं करना चाहते , एक - दो दिन काम करने के बाद पुनः भीख मांगने का काम करने लगते हैं ! कुछ भिखारी बुरी आदतों के आदि होते हैं जैसे , जुआ खेलना , शराब पीना , पीकर गन्दी - गन्दी गालियाँ देना , राह चलते मुसाफिरों को परेशान करना , बीच सड़क पर लेटकर आवागमन अवरुद्ध करना आदि ! कुछ भिखारी भीख मांगकर इतना कम चुके हैं कि , गाड़ियों मकानों तक के मालिक बन चुके हैं फिर भी समाज में बड़े फक्र से भीख मांगते हैं ! कुछ भिखारियों के पास तो अच्छा बैंक बैलेंस है और ब्याज पर पैसा देते हैं और एक - एक रूपए की भीख मांगते हैं ! आम जनता की नजर में दया का पात्र बनना चाहते हैं ! आम जनता की आँखों में धुल झोंकते हैं ! क्या वाकई में यह लोग भीख मांगकर अपना पेट भरना चाहते हैं ? या उनकी मजबूरी उनसे यह सब करवा रही है ! कुछ लोगों के साथ यह बात हो सकती है जिनका कोई नहीं है ( आजकल अपनों के अपने नहीं होते ) वो लोग जिनके सर पर ना तो कोई छत है और ना ही उनकी देख-रेख करने बाला कोई होता है ! कुछ बूढ़े माँ-बाप अपने बच्चों द्वारा ठुकराए हुए होते हैं तो कुछ बच्चों को उनकी माँ (बिन-व्याही) समाज के डर से किसी कचरे के ढेर पर यूँ ही फेंक जाती है अगर वह कुत्तों और सूअरों के मुंह का निबाला नहीं बना तो क्या होगा उनका भविष्य ? उनका भविष्य होगा अंधकारमय , दर-दर की ठोकर खाने को मजबूर या फिर बन जाते हैं भिखारी ! आज कुछ लोगों का यह धंधा बन गया हैं , हमारे महानगरों में तो यह एक व्यवसाय के रूप में प्रचलित हैं ! ( लगभग २०० करोड़ का धंधा ) घरों से भागे हुए बच्चों का, अपहरण किये हुए बच्चों का इस धंधे में शामिल लोग पूरी तरह इस्तेमाल करते हैं ! कभी उन्हें अपंग बना कर तो कभी उनको डरा धमकाकर इस धंधे में जबरन घुसेड़ दिया जाता है ! कुछ लोग इस धंधे को छोड़ना नहीं चाहते उन्हें लगता है कि जब आराम से सब मिल रहा है तो ज्यादा मेहनत क्यों की जाए ! आजकल बहुत से ऐसे बच्चे देखने को मिल जाते हैं , जो स्कूल तो जाते हैं लेकिन एक निश्चित दिन कभी "शनिदेव" के नाम पर तो किसी और भगवान् के नाम पर हर हफ्ते यहीं काम करते हैं ! जब एक जवान आदमी भीख मांगता है तो बड़ा अजीव सा लगता है और उस पर गुस्सा भी बहुत आता है ! जब छोटे-छोटे बच्चे दिन-दिनभर कचरा बीन कर अपना पेट भर सकते हैं तो जवान आदमी यह क्यों नहीं करना चाहता ! वो सभी भिखारी जो किसी मजबूरी के चलते भीख मांगने का काम करते हैं और उनके पास और कोई चारा नहीं है तो उनका भीख मांगना कुछ हद तक ठीक भी लगता है ! क्योंकि आज एक आम इन्सान अपनी मदद तो स्वयं कर नहीं पाता तो फिर किसी और की मदद कैसे करेगा ! हम सिर्फ उनसे सहानुभूति रख सकते हैं ! कोई भी इनकी मदद को आगे नहीं आता है, सरकार या कोई समाजसेवी संस्था सब की सब अपनी रोटियां सेंकने में लगे हुए हैं !


एक भिखारी अपना पूरा जीवन भीख मांगकर ही निकाल देता हैं फिर भी एक अच्छा जीवन उसे कभी भी भीख में नहीं मिलता


धन्यवाद

Friday, July 1, 2011

मैंने खुद से पूंछा ......>>>> संजय कुमार

मैंने खुद से पूंछा
मेरी रचनाओं में
क्यों है शोक व्याप्त ?
तो बुद्धि ने कहा --
जैसा मन होगा
वैसा ही तो होगा काव्य
फिर पूंछा मैंने
तो क्यों है मेरा ऐसा मन ?
तो कहा उसने
जैसा समीप होगा तेरे जन जीवन
वैसा ही तो होगा तेरा मन
फिर पूंछा मैंने
तो क्यों है ऐसा जन जीवन
तो बोली वह
वर्तमान में जीवन ही होता यथार्थ है
फिर तो हर किसी के लिए
जीना विवशता है ,
और फिर जीने की विवशता
और कठोर यथार्थ के बीच
वह पिसता है !
जीने के लिए उसे बनना पड़ता योद्धा है ,
जीवन भर वह जीवन से लड़ता है ,
और कुंठित होता चला जाता है
बस , यही सब देख तेरा मन
शोक से भर जाता है ,
क्योंकि मन तो सुन्दर कोमल कल्पनाओं सा जीवन चाहता है ,
विपरीत पा परिस्थितियां , वह शोक से भर जाता है !
मैंने खुद से पूंछा ..........................

( प्रिये पत्नि गार्गी की कलम से )

धन्यवाद