Sunday, May 29, 2011

आज गरीबी , निगल रही है पूरा परिवार ......>>> संजय कुमार



वैसे तो हिंदुस्तान " अमीर लोगों का गरीब देश " है ! इस देश के चंद अमीर ही इस देश को और देश की आम जनता को चला रहे हैं ! अगर आप चारों तरफ नजरें दौड़ाकर देखते है तो हालात कई जगह वद से वद्तर हैं ! इस देश में आज सबसे ज्यादा दुखी और त्रस्त कौन है ? गरीब , मजबूर, लाचार , बेरोजगार वैसे ये सब गरीब की ही श्रेणी में आते हैं ! सच कहा जाए तो गरीब का ना तो कोई अपना होता है और ना ही उसका भगवान होता है , वो तो पैदा होता है सिर्फ जीवन भर तिल - तिल मरने के लिए , एक अभिशप्त की जिंदगी जीने के लिए ! आज मैं आपको एक ऐसी घटना बता रहा हूँ जो कि, गरीबी से पीड़ित परिवार की है ! घटना मेरे शहर " शिवपुरी " की है ! कल एक विधवा औरत ने गरीबी से तंग आकर आत्महत्या कर ली , और अपने पीछे छोड़ गयी छ : मासूम बच्चे और छ : मासूम बच्चों में दो बच्चे बिकलांग ( कोड़ में खाज वाली कहावत ) आज ये सभी बच्चे अनाथ हो गए ! अब क्या होगा इन बच्चों का ? कौन इन बच्चों का पालन - पोषण करेगा ? कौन उनको रोटी देगा ? यह एक ऐसा सवाल है जिसका जबाब शायद ही किसी के पास हो ! जवान होती बेटी की शादी की चिंता , छोटे बच्चों का भरण-पोषण करने में नाकाम इस महिला ने गरीबी से अति त्रस्त होकर मजबूरी में यह कदम उठाया था ! हम लोग हमेशा कहते हैं आत्महत्या करना पाप है ! आत्महत्या कायर और कमजोर लोग करते हैं ! किन्तु यहाँ जिस तरह की स्थिती थी उस हालात में कोई क्या कर सकता था ! अगर देखा जाए तो गरीब कमजोर और कायर ही होता है क्योंकि उसको ऐसा हमारा सभ्य समाज ही बनाता है ! गरीब की मदद करने वाले कम और गरीब का उसकी गरीबी का मजाक उड़ाने वाले और कोई नहीं उसके अपने और हमारा सभ्य समाज ही होता है ! ये इस देश की कोई अकेली घटना नहीं है ! इस घटना में तो सिर्फ एक जान गयी है जबकि कई घटनाओं ने तो पूरा का पूरा परिवार ही नष्ट कर दिया ! कुछ दिनों पहले एक ऐसी घटना को पढ़ा जिसे पढकर दिल सिहर गया ! दिल को एक धक्का सा लगा, इस तरह की ख़बरें सुनकर , ये क्या हो गया आज के इन्सान को ? आज का कलियुगी इंसान कहें या गरीबी का शिकार , जो अपनों के खून से अपनी प्यास बुझा रहा है ! खबर यह थी कि एक पिता ने अपनी पांच मासूम बेटियों की कुल्हाड़ी से काटकर निर्मम हत्या कर दी ! घटना मध्य-प्रदेश के सीहोर की थी ! घटना का मुख्य कारण उसकी गरीबी और गरीबी में उसका पागल हो जाना , दिमाग काम न करना बताया गया था ! क्या ऐसा भी कहीं हो सकता है ? एक पिता एक साथ अपनी पांच-पांच मासूम बेटियों की हत्या कर सकता है ! उसने जिन्हें जन्म दिया ! वही पिता एक दिन उनका कातिल बन जाएगा ! क्या आज गरीबी इतनी अभिशापित हो गयी जो इस तरह के हादसे अब आये दिन होने लगे हैं ! यह भी कोई अकेली घटना नहीं थी ! इस तरह के और तथा इससे भी ज्यादा दिल को दहला देने वाली घटनाएं अब रोज-रोज सुनने को मिल जाती हैं ! आज गरीबी उस अजगर के समान हो गयी हैं जो अपने शिकार को एक ही बार में पूरा का पूरा निगल लेता है और जब तक उसके शिकार के प्राण नहीं निकल जाते तब तक नहीं छोड़ता ! आज यह गरीबी पूरा का पूरा परिवार निगल रही हैं ! जब तक गरीब इस गरीबी से तंग आकर सब कुछ खत्म नहीं कर देता तब तक वह चैन से नहीं बैठता ! आज गरीबी सब कुछ तबाह कर रही है और ले रही है कई मासूम और निर्दोष इंसानों की जान ! आज इन दिन- प्रतिदिन होने वाली मौतों का कौन जिम्मेदार है ? गरीबी, सरकार , सहकारी संस्थाएं , नेता या फिर बड़े-बड़े अधिकारी ! क्या इनमे से कोई भी इसकी जिम्मेदारी अपने ऊपर लेगा ! किन्तु इन सब के पीछे यही सब लोग जिम्मेदार हैं ! हम जिम्मेदार जिम्मेदार ठहराते हैं गरीबी को ! इस गरीबी का असली कारण तो यही लोग हैं ! सरकार ने गरीबों के लिए हज़ार तरह की लाभ योजनायें चला रक्खी हैं ! जिससे यह गरीबी दूर हो जाए ! मसलन उनको बराबर काम मिले , उनके काम की सही कीमत , छोटे-छोटे लघु उद्योग , कुटीर उद्योग ! लेकिन गरीबी दूर होना तो दूर की बात है यहाँ तो गरीब को तो पता ही नहीं चलता की सरकार ने हम गरीबों के लिए कोई योजना भी बनायी है ! आज हर कोई गरीब का हक खाने को बैठा है ! आज के नेता नहीं चाहते की इस देश से गरीबी दूर हो क्योंकि , उनकी उनकी कुर्सी बनाने में इन गरीबों का बहुत बड़ा योगदान जो होता है ! सरकारी संस्थाओं की जो जिम्मेदारी होती है किन्तु वह ठीक ढंग से अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह नहीं करते और गरीबों को उनके हक और अधिकारों के बारे में सही सही और पूर्ण जानकरी नहीं देते ! बड़े बड़े अधिकारियों के पास इन गरीबों की समस्याएं सुनने के लिए समय ही नहीं होता ! ( आज हर अधिकारी कहीं ना कहीं भ्रष्टाचार में लिप्त है ) तो कहाँ से और कैसे जान पायेगा गरीब अपने हक और अधिकार ! इन सब से तंग आकर वह उठाता है इस तरह के दिल दहला देने वाले कदम ! आज इस गरीबी ने ना जाने कितने घरों को बर्बाद कर दिया है ! ना जाने कितने घरों को आगे बर्बाद करेगी ! इस गरीबी से निबटने का कोई रास्ता अब समझ नहीं आता ! कब बंद होगा यूँ परिवारों का बिखरना ?


धन्यवाद

Thursday, May 26, 2011

इस बार फिर टूटे , कई सपने कई उम्मीदें .....>>> संजय कुमार

हर इंसान सपने देखता है ! हमारे देश में ऐसे हजारों - लाखों लोग हैं जिनके कई सपने , कई उम्मीदें दिन - प्रतिदिन टूटती हैं ! जिनके सपने टूटते हैं , जिनकी उम्मीदें टूटती हैं , उनमें ज्यादातर गरीब , मजबूर , लाचार और बेरोजगार ही होते हैं ! क्योंकि इस देश में आज इन लोगों की सुनने वाला कोई नहीं है ! किन्तु आज मैं यहाँ जिनकी बात कर रहा हूँ वो हैं हमारा आने वाला कल यानी इस देश का भविष्य , इस देश के नौनिहाल , वो बच्चे जो ग्रामीण परिवेश में जन्म लेते हैं ! जिनकी जिंदगी गाँव में शुरू होती हैं और गाँव में ही खत्म हो जाती है ! मैं बात कर रहा हूँ ग्रामीण बच्चों की होने वाली शादियों की जिसे हम सब " बाल -विवाह " के नाम से जानते हैं ! भारत में प्रतिबर्ष एक दिन ऐसा होता है जिस दिन एक - दो - सौ नहीं बल्कि लाखों शादियाँ होती हैं ! अक्षय-तृतीया, भारत में शादी-विवाह का एक सबसे बड़ा मुहूर्त वाला दिन , ऐसा दिन जिस दिन बिना मुहूर्त के भी शादी हो जाती है ! कहा जाता हैं इस दिन होने वाली शादी को किसी भी मुहूर्त की जरूरत नहीं पड़ती , कोई भी मुहूर्त इस दिन से बड़ा नहीं होता ! लाखों युवा इस दिन परिणय सूत्र में बंधते हैं ! लाखों युवा अपना मन - पसंद साथी चुनते हैं और अपने सपनो को पूरा करते हैं और सुनहरे भविष्य की उम्मीद के साथ जीवनपथ पर आगे बढ़ते हैं ! चारों तरफ खुशियाँ , नाच - गाना और खुशनुमा माहौल होता है ! किन्तु इन शादियों में कई शादियाँ ऐसी होती हैं जहाँ कईयों के सपने टूटते हैं कईयों की उम्मीदें टूटती हैं ! इन शादियों में कई परिणय सम्बन्ध ऐसे होते हैं जहाँ दूल्हा -दुल्हन ऐसे अबोध और मासूम बच्चे -बच्चियां होते हैं जिनकी उम्र महज दस से पंद्रह बर्ष के बीच होती है ! " बाल-विवाह " की वेदी पर वलि चढ़ा दी जाती हैं ! ऐसे " बाल-विवाह " के साथ कुचल दिए जाते हैं हजारों लाखों सपने और उमीदें और बचपन ऐसा बचपन जो अभी तक इन्होने पूरी तरह से देखा भी नहीं था ! आज कितने ही अरमान, कितने ही सपने जो इन नन्ही आँखों ने देखे थे सब कुछ वलि चढ़ा दिया जाता है ! कभी झूंठी परम्पराओं के नाम पर तो कभी गरीबी के नाम पर ! कुछ बच्चियां इंसान के लालच के कारण बलि चढ़ा दी जाती हैं तो कुछ सरकार की अनदेखी के कारण ! शायद ही आज तक कोई आम आदमी किसी भी " बाल-विवाह " को होने से रोक पाया हो ! जब सरकार ही कुछ नहीं कर पाती और सब कुछ हो जाता है वो भी सरकार की नाँक के नीचे , फिर भला आम आदमी की क्या चलती ! जब बच्चों के दुश्मन उनके अपने माँ-बाप ही हों तो कोई क्या कर सकता हैं ! जब इनके माँ-बाप ही अपने कर्तव्यों और दायित्वों को बोझ समझते हों तो फिर कोई क्या कर सकता है ! बोझ उतारने के लिए चढ़ा दी वलि अपने ही बच्चों की ! समय से पहले ही ऐसे बच्चों को घुट-घुट कर मरने के लिए और अपना जीवन समाप्त समाप्त करने के लिए मजबूर कर देते हैं उनके माँ-बाप ! " बाल-विवाह " करवाने वाले माँ-बाप ! आज हमारी सरकार कितने भी बड़े बड़े वादे करती हो किन्तु आज भी इस देश में " बाल-विवाह " जैसे अपराध हो रहे हैं ! हमारी सरकार भले ही कहती रहे की हमारा देश तरक्की कर रहा है आगे बढ़ रहा है हम इक्किसंवी सदी में विकसित देशों की श्रेणी में आ रहे हैं ! हमारे यहाँ सभी को स्वंतंत्रता है ! हम भी अन्य देशों की तरह आधुनिक हो गए हैं ! आज हमारा देश विश्व पटल पर अपनी एक अच्छी छवि रखता है ! इसके उदाहरण भी हम और हमारी सरकार देती रहती है ! किन्तु कितने ही " बाल-विवाह " इस देश में एक दिन में हो जाते हैं ! किन्तु सरकार को यह सब कभी नहीं दिखाई देता ! सरकार कभी भी समय पर नहीं जागती , जब जागती है तब तक बहुत कुछ हो चुका होता है ! किन्तु अब सरकार को चेत जाना चाहिए इन " बाल-विवाहों " को रोकने के लिए और बर्बाद होते बचपन को बचाने के लिए !
आज "बाल -विवाह " से उपजे ऐसे कई सवाल हैं , कई समस्याएं हमारे सामने हैं , जिनका जबाब हमारी सरकार के साथ - साथ हमारे पास भी नहीं हैं ! क्या कभी सरकार और हम ऐसे अपराधों को रोक पायेंगे ? बच्चे जिस उम्र में पढ़ते - लिखते हैं , हजारों सपने सुनहरे भविष्य के देखते हैं , उन्हें उस उम्र में धकेल दिया जाता हैं नरक सी जिंदगी जीने को , पर ये मासूम क्या कर सकते हैं ? करना हम सबको है ! करना हमारी सरकार को है !
यदि कहीं से " बाल-विवाह " की सूचना आपको मिले तो उसकी जानकारी आप प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारीयों तक अवश्य पहुंचाएं ! और ना टूटने दें कई सपने कई उम्मीदें !


धन्यवाद

Monday, May 23, 2011

टूट गया सब्र , बिखर गए परिवार .....>>>> संजय कुमार

आज क्यों हमारे हाँथ अपनों के खून से रंग रहे हैं ? क्यों आज हम अपनों का खून बहा रहे हैं ? क्यों अपनी खुशियों को मातम में बदल रहे हैं ? क्यों हँसते खेलते परिवार को उजाड़ रहे हैं ? इस तरह के कई सवाल आज हमारे सामने खड़े हैं , जिनका जबाब होते हुए भी हम शायद जबाब ना दे पा रहे हैं ! आज हमारे देश में जहाँ देखो वहां बस यही ख़बरें देखने और सुनने को मिल रही हैं कि , पति - पत्नि ने गुस्से में आकर एक-दुसरे के साथ मारपीट कर डाली , अपने छोटे - छोटे बच्चों सहित खुदखुशी कर ली , तो कहीं " माँ " ने बच्चे के साथ बिल्डिंग से कूंदकर आत्महत्या करली , कहीं पति ने पत्नि को तो कहीं पत्नि ने पति की हत्या कर दी या हत्या की साजिश रच दी ! आज कल पति -पत्नि के बीच झगड़ा आम बात हो गयी है ! बात -बात पर एक - दुसरे को ताना मारना तो अब रोज की बात है ! एक पुत्र ने गुस्से में आकर अपने ही माँ-बाप को मार डाला , प्रेमी ने प्रेमिका की हत्या कर दी , किसी छात्र - छात्रा ने छत से कुन्दकर अपनी जान दे दी ! इस तरह की ख़बरें आज आम हो गयी हैं ! शायद ही कोई ऐसा परिवार हो जहाँ पारिवारिक झगडे ना हुए हों , वर्ना ........... क्यों हो रहा है यह सब ? क्या कारण है इन सब घटनाओं के पीछे ? क्यों आज इन्सान जल्दी अपनी सुध-बुध खो देता है और बन जाता है अपनों के खून का प्यासा ! और बन जाता है एक अच्छे हँसते - खेलते परिवार का दुश्मन ! इन सबका कारण हैं आज के इन्सान के पास सब्र का ना होना और है तो सब्र का बात - बात पर टूट जाना और इससे उत्पन्न होती हैं इस तरह की घटनाएँ !
कहा जाता है जब किसी इंसान का सब्र टूटता है तो कुछ अच्छा होता है या फिर बहुत बुरा , आज कल अच्छा तो नहीं लेकिन बुरा जरुर हो रहा है ! इसका कारण इंसान स्वयं है कारण है आज के इन्सान के अन्दर सब्र का ना होना , अगर है तो वो भी बहुत कम होना ! आज बहुत जल्दी लोगों का सब्र टूट जाता है , और इस जल्दबाजी में इंसान के हाँथ से बहुत कुछ निकल जाता है ! और फिर बाद में रह जाता है सिर्फ पछतावा और पश्चाताप जिसका मलाल जीवन भर रहता है ! हम सब के जीवन में भी कभी ना कभी ऐसा दिन जरुर आया होगा जब हमारे सब्र का बाँध टूटा होगा और हमने गुस्से में आकर कोई गलत निर्णय लिया होगा या गलत किया होगा ! जिससे हमारे सामने उपजे होंगे कई और कुछ गलत परिणाम और सवाल जिसका पछतावा आज कहीं ना कहीं हमारे मन में जरुर होगा ! और यह सब कुछ सब्र टूटने का परिणाम है ! आज क्यों टूटता जा रहा है इन्सान का सब्र ! इन सबके पीछे यह इन्सान ही है , इन्सान ने आज के इस दौर में अपने आपको इतना व्यस्त कर लिया है की वह अपनी किसी भी परेशानी या दुख में किसी बाहर वाले की दखलंदाजी नहीं चाहता ! जब हमारे घरों में होने वाली छोटी-छोटी बातें को हम जब अपने दिल में घर करने देते हैं तो यह छोटी-छोटी बातें एक दिन बड़ी घटनाओं का रूप ले लेती हैं ! आज जिस तरह का माहौल हमारे समाज में है वहां पर हम एक दुसरे से कहीं ना कहीं बड़े बनना चाहते हैं ! और कहीं ना कहीं इसमें हम लोग दिखावा ही करते हैं ! किसी भी बात पर झुकना नहीं चाहते ! जब हमारे अंदर ही इस तरह के भाव नहीं होंगे तो कहाँ पर टिकेंगे आज के पारिवारिक रिश्ते ! कहीं ना कहीं हमें इस और ध्यान देना होगा ! अपनी दुख तकलीफ को अपनों के साथ बांटें और बचें ऐसी किसी घटना के होने से , क्योंकि आज के समय में आपका परिवार ही आपकी ताक़त बन सकता है ! अब ना टूटने दें अपने सब्र को और ना बिखरने दें अपने परिवार को ! विश्वाश करें अपनों पर

धन्यवाद

Thursday, May 19, 2011

मेरी दुकान पर आयें और अपने सम्पूर्ण कष्टों को दूर भगाएं .......>>> संजय कुमार

क्या आप परेशान हैं ? ( इस देश में सुखी कौन है ) क्या आपको बार-बार किसी की बुरी नजर लग जाती है ? ( भले ही ऐश्वर्या राय को आज तक नजर ना लगी हो ) क्या आपको आपके व्यवसाय में घाटा हो रहा है ? ( लगता है राजनीति का धंधा नहीं करता ) क्या आप गरीब है ? ( भ्रष्टाचारियों को छोड़ इस देश में सब गरीब हैं ) क्या आपका बच्चा पढ़ाई में कमजोर है ? क्या आप माँ नहीं बन सकती ? क्या आपकी बेटी की शादी नहीं हो रही है ? या बार-बार सगाई होकर सम्बन्ध टूट रहा है ! नई गाड़ी का एक्सिडेंट हो गया है ! क्या आपका पति आप से ज्यादा किसी और को चाहता है ? क्या आपके पास हैं इस तरह की कोई समस्या ? तो फिर आप देर क्यों कर रहे है ! अब हम करेंगे आपकी हर समस्या को दूर ! हमारे पास है आपकी सभी परेशानियों का समाधान , उचित उपाय, हमे फोन कीजिये और जीवन की हर समस्या के मुक्ति पाइए ! आप सही जगह आ गए हैं ! यहाँ आपको मिलेगा आपकी हर समस्या का समाधान ! अब देर मत कीजिये और आज ही फोन कीजिये और आज ही मंगवाइये नजर सुरक्षा कवच या फिर " हनुमानजी कवच " या फिर " शिव मंत्रित एक मुखी रुद्राक्ष " अपनी गरीबी को दूर करने के लिए आज ही हमसे संपर्क कीजिये और विश्वाश कीजिये आप जल्द ही धनवान बन जायेंगे और आपके सभी कष्ट छूमंतर हो जायेंगे ! क्योंकि आपको मिल रहा है सिर्फ हमारे पास सबसे सस्ता " लक्ष्मी यंत्र " और चरण पादुकाएं ! आज ही फोन करने पर आपको यह फ्री मिलेगा और वो फ्री मिलेगा ! आज आप कोई भी टीव्ही चैनल उठाकर देख लीजिये सुबह हो शाम , दिन हो या रात हर वक़्त कोई ना कोई कुछ ना कुछ बेचता हुआ अवश्य मिलेगा ! जब एक गरीब , और दिन रात मेहनत कर एक-एक पैसा कमाने वाला इस तरह के विज्ञापन जब टेलीविजन पर देखता है तो वो क्या सोचता है इन विज्ञापनों के बारे में ? क्या २०००-३००० रूपए खर्च करने पर हम अपनी गरीबी दूर कर सकेंगे ? क्या दहेज़ के लालची इंसानों के बीच हम अपनी बेटी की शादी बिना दहेज़ के कर सकेंगे ? क्या हमारी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाएँगी ? हमारे सभ्य और पढ़े-लिखे समाज में आज अन्धविश्वास बेचा जा रहा है ! और हम सब बढ़ चढ़कर अन्धविश्वाश खरीद रहे हैं ! जो लोग जरा से भी अन्धविश्वासी होते हैं या इन सब बातों में जरा भी यकीं रखते हैं ! वो लोग ऐसे झूंठे आश्वासनों में तुरंत फंस जाते हैं ! ऐसे उत्पादों को बेचने वालों के निशाने पर ऐसे ही अन्धविश्वाशी लोग होते हैं जो जरा सी बात पर तंत्र-मन्त्र का सहारा लेते हैं और इनके चक्कर में अपना समय और पैसा बर्बाद करते हैं ! आज जिसे देखो अन्धविश्वास की दूकान खोलकर बैठ गया है ! और हम सब को पूरी तरह अन्धविश्वासी बना रहा है ! क्या वाकई में ऐसा कोई कवच है ? जो इन्सान की सभी समस्याएं दूर कर सकता हो ! और इंसान को एक ऊंची बुलंदी पर पहुंचा सकता हो ! यदि ऐसी कोई चीज होती तो इंसान आज गरीब क्यों होता ? क्यों बेरोजगार होता ? क्यों आज इतना दुखी होता ? हर कोई छोटी मोटी रकम देकर अपनी सभी समस्याएं दूर कर लेता ! आज का इन्सान पहले बिना सोचे समझे गलत कदम उठाता है फिर बाद में अपनी गलतियों पर पछतावा मनाता है ! वो अपनी गलतियों से सबक नहीं लेता और सच बात को नकार कर अन्धविश्वाश को बढ़ावा देता है ! हिंदुस्तान में संवेदनशील लोगों की कमी नहीं हैं " रस्सी को सांप " समझने वालों की भी कमी नहीं है ! इसके पीछे कहीं ना कहीं हमारी रूढ़ी वादी परम्पराएँ और धर्म के नाम पर ठगने के लिए फैलाई गयी अनेकों भ्रांतियां है ! कहीं ना कहीं हमारा नम्र स्वभाव भी इसका एक कारण होता है ! नम्र स्वभाव हम सभी की एक विशेष पहचान होती है ! ऐसा स्वभाव जिसमे सब कुछ सच होता है किसी भी तरह का दिखावा या झूंठ नहीं होता ! इसलिए हम सब सहसा किसी भी बात पर बिना सोचे समझे विश्वास कर लेते हैं ! यह हमारी कमजोरी भी है , और हमारी पहचान और ताक़त भी जो हमें पूरे विश्व में एक अलग पहचान देती है ! ठीक उसी तरह हिंदुस्तान में अन्धविश्वाश को मानने वालों की भी कमी नहीं है ! अन्धविश्वाश जिसका अस्तित्व सच से कहीं परे होता है और जो टिका होता है कहीं ना कहीं सिर्फ एक झूंठ पर , जिनका इन्सान के जीवन से कहीं दूर- दूर तक कोई लेना-देना नहीं होता ! इस तरह के उत्पाद बेचने बाले हमारे भोलेपन का फायदा उठाते हैं और धीरे धीरे हमें अपनी जकड में ले लेते है ! आज इस अन्धविश्वाश के चक्कर में हम अपना असली सुख खो रहे हैं ! कहा जाता हैं अन्धविश्वाश भोलेभाले गाँव वालों में ज्यादा देखने को मिलता है ! जो अनपढ़ होते हैं वो अन्धविश्वाश पर जल्दी यकीं कर लेते हैं ! किन्तु आज हमारा पढ़ा लिखा और जाग्रत समाज भी कहीं ना कहीं अन्धविश्वाश के जाल में पूरी तरह फंसा हुआ है ! ज्यादा और जल्दी बुलंदी पाने के लिए वह आज अन्धविश्वाश की दुकानों को चलाने में अपना पूरा-पूरा योगदान दे रहा है ! आज ऐसे इन्सान अपने कर्म से ज्यादा अपनी किस्मत को ज्यादा मानते हैं ! और एक अन्धविश्वाश उनके साथ हमेशा रहता है ! हमने देखा हैं इस अन्धविश्वास का परिणाम ! किस तरह इंसान भटक जाता है सही मार्ग पर चलने से ! अगर हम इसी तरह इनके जाल में फंसते रहे तो एक दिन इस हिंदुस्तान में सिर्फ अन्धविश्वाश होगा ! और इस तरह की दुकानें दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करेंगी और हमारी आम जनता जीवन भर इस अन्धविश्वाश से बाहर नहीं निकल पाएगी !


आज मैं भी एक दूकान खोल रहा हूँ ! क्या आप मेरी दूकान पर आकर मुझसे अन्धविश्वाश खरीदेंगे ! आप मेरी दुकान पर आयें और अपने कष्टों को दूर भगाएं .....


क्या हम अन्धविश्वाशी हैं ? या हमें बनाया जा रहा है !


धन्यवाद

Saturday, May 14, 2011

" जल ही जीवन हैं " इसे बचा लीजिये ..... >>> संजय कुमार



इंसान को जीने के लिए क्या चाहिए ? रोटी -कपड़ा- मकान या और कुछ , रोटी खाने से इंसान जिन्दा रहता है ! कपड़े इंसान का तन ढंकते है ! और मकान इंसान को रहने के लिए ! आज तक हम सिर्फ इन तीनों चीजों के लिए जीते आये हैं , और आज भी इसी के लिए जी रहे हैं और भविष्य में भी इन्हीं चीजों के लिए काम करते रहेंगे ! अगर जीने के लिए सिर्फ यही हैं तो फिर ओक्सिजन किस काम आती है ? जल का क्या महत्त्व है ? हम लोगों ने तो पेड़ लगाना कब का छोड़ दिया , जंगलों को धीरे-धीरे हम अपने हांथों से नष्ट करते जा रहे हैं ! जब जंगल नहीं रहेंगे तो ओक्सिजन कैसे मिलेगी ! ओक्सिजन जब तक मिलती रहेगी तब तक इंसान का जीवन चलता रहेगा ! ऑक्सीजन के अलावा जल इंसान के लिए दूसरा सबसे महत्वपूर्ण साधन है ! आज पीने योग्य जल कितना बचा है ? आज पीने योग्य जल के कितने भण्डार है ? आज धरती का सीना चीरकर हमने सारा जल निकाल लिया है और स्थिती अब ये है कि, जैसे ही फरवरी - मार्च का महीना आता है , देश के बहुत से राज्यों में जल की एक- एक बूँद के लिए त्राहि-त्राहि करते हुए लोगों को देखा जा सकता है ! एक - एक बूँद के लिए आम जनता को संघर्ष करते देखा जा सकता है ! एक-एक बूँद के लिए भाइयों को आपस में लड़ते देखा जा सकता है ! पानी के लिए आज पडोसी दुश्मन तक बन जाते हैं ! आज भले ही सरकार पानी के नाम पर करोड़ों रूपए खर्च करने का दावा करती हो किन्तु आज भी आम जनता के कंठ सूखे हुए हैं ! हम तो बर्षों से यही सुनते आये थे , पढ़ते आये थे कि, " जल ही जीवन है " अगर जल ही जीवन है तो फिर आज कहाँ है हमारा जीवन ? आप अपना जीवन बचालो यूँ बर्बाद ना करो ये आपका जीवन है और अपने जीवन को व्यर्थ में बर्बाद ना करें ! ये जल हम सबका जीवन है ! आज हम लोग जल का उपयोग कम और दुरूपयोग ज्यादा कर रहे हैं ! आज कई जगह जल सड़कों पर यूँ ही बहता रहता है ! कई बार हम स्वयं जल का अपव्यय करते हैं ! आप सोचिये अगर जल ना रहा तो क्या होगा ? क्या आप जल के बिना रहने की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं ! जल की अहमियत को समझो ! जल का महत्व आप आज भले ही ना समझ रहे हों ! पूँछिये उन सूखे खेत- खलिहानों से जो आज एक - एक बूँद के प्यासे हैं ! पूँछिये उन घने वन जंगलों से जो सिर्फ आज जल के ही कारण जीवित हैं ! जल का महत्व तो इतना है कि , लोग जल की पूजा करते हैं ! आप भी समझें जल की अहमियत! आज जिस तरह दिन - प्रतिदिन इंसान का स्तर गिर रहा है ठीक उसी तरह जल का भी स्तर कई वर्षों से लगातार गिर रहा है ! इसके पीछे हम सब जिम्मेदार हैं ! अगर जल ना रहा तो मिट जायेंगे वो पावन नाम जिन्हें आप गंगा, जमुना, सरस्वती आदि के नाम से जानते हैं ! जल नहीं रहा तो कैसे इंसान अपने तन की गंदगी दूर करेगा ! आज इंसान जल के लिए इंसान के खून का प्यासा तक हो जाता है ! सड़कों पर अपना और अपनों का खून तक बहा देता है ! जल का महत्त्व इतना है कि , जल प्रतिदिन इश्वर के चरणों से लेकर मृत देह तक में उपयोग होता है ! आप जल को बर्बाद होते देख रहे हैं फिर भी कुछ नहीं कर रहे हैं ! जल को बचाने का वादा तो सब करते हैं ! किन्तु वादा करके भूल जाते हैं ! जल की एक -एक बूँद अमृत के सामान हैं ! अपने अमृत को यूँ बर्बाद न करो अपने जीवन को यूँ बर्बाद ना करो !

मैं आप सभी आमजन से गुजारिश करता हूँ ! आप सभी आमजन से मैं ये वादा चाहता हूँ ! आप सब मिलकर आगे आयें और जल को बर्बाद होने से बचाएं ! क्योंकि " जल ही जीवन हैं "

धन्यवाद

Tuesday, May 10, 2011

आज मैं भी बिकने को तैयार हूँ ! क्या है कोई खरीदार ? ....... >>> संजय कुमार

वैसे तो इस संसार में सब कुछ बिकाऊ है ! आज चारों तरफ खरीद - बिक्री का धंधा जोरों पर है ! इस देश में आज सब कुछ बिक रहा है ! कहीं इंसान बिक रहे हैं तो कहीं जानवर बिक रहे हैं ! कहीं ईमान बिक रहा है तो कहीं न्याय बिका रहा है ! करोड़ों में खिलाड़ी बिक रहे हैं तो कोई खेलों के नाम पर देश का मान - सम्मान बेच रहा है ! कहीं नेता बिक रहे हैं तो कहीं पार्टियाँ बिक रही हैं ! खरीद-बिक्री के इस धंधे में कई लोग ऐशोआराम की जिन्दगी जी रहे हैं ! दुखी है तो " आम आदमी " उसके पास पैसा नहीं है ! जब देखा कि इस देश में सब कुछ बिक रहा है तो सोचा चलो आज अपने आप को भी इस बाजार में बेचकर देखें शायद कोई खरीदार मिल जाए ! देखें कि आज हमारी क्या औकात है ? आज हमारा क्या वजूद है ? क्या हमारी भी कोई कीमत है ? क्या हम भी करोड़ों में बिक सकते हैं ? मैं इस देश का एक " आम आदमी " हूँ ! वो आम आदमी जो आज हर तरफ से निराश और परेशान है ! एक - एक पैसे को मोहताज है ! खुशियाँ क्या होती हैं ? सुख क्या होता है ? जिसकी चाहत में अपना पूरा जीवन घुट-घुट कर और अपने मन की इक्षाएं मारते हुए अपना जीवन व्यतीत कर रहा है ! इस उम्मीद पर की कभी तो वो दिन आएगा जब उसके मन की मुरादें पूरी होंगी ! क्योंकि आज इंसान की सभी मनोकामनाएं सिर्फ पैसा ही पूरी कर सकता है ! क्योंकि आज पैसे से सब कुछ खरीदा जा सकता है खुशियाँ भी ! ( आज का भगवान सिर्फ पैसा है ) सब कुछ पाने के लिए पैसा चाहिए और पैसा सुबह से शाम तक मजदूरी कर तो नहीं कमाया जा सकता या फिर इतनी आमदनी नहीं होती की अपनी खुशियों को हासिल कर सकें ! इंसान सुख और खुशियाँ पाने के लिए और अपनों को सुख देने के लिए कुछ भी कर सकता है ! यहाँ तक की अपने आपको बेच भी सकता है ! ऐसा वो इसलिए कर सकता है क्योंकि आज ऐसी - ऐसी चीजें बिक रहीं हैं वो भी करोड़ों और अरबों रूपए में जिन्हें देख " आम आदमी " यह कहने और करने पर मजबूर हो जाता है ! आज एक आम आदमी क्यों अपने आपको बेचने तक को तैयार हो गया है उसके पीछे भी वजह है ! हमारे देश में एक से बढकर एक साहूकार और अरबपति है जिन्होंने आम जनता का मेहनत पैसा अपनी तिजोरियों में बंद कर रखा है ! हमारे देश में या इस विश्व में जीवित चीजों से ज्यादा निर्जीव चीजों की बहुत अहमियत है ! तभी तो कोई भी निर्जीव बस्तु दो पांच हजार की नहीं बल्कि लाखों और करोड़ों में खरीद लेते हैं ! आखिर अमीरों के शौक हैं पैसा पानी की तरह बहाना , यह भी एक शौक है ! जैसे उनके जीवन में पैसे का तो कोई मूल्य ही नहीं हैं ! पर गरीब का क्या उसके जीवन में तो पैसा ही सब कुछ मायने रखता है ! कभी " किंगफिशर माल्या " " टीपू सुलतान " की तलवार करोड़ों में खरीद लेते हैं तो कभी " शराब " की दो बोतलें करोड़ों में , कहते हैं " शराब " जितनी पुरानी नशा उतना अच्छा ! कभी कोई " गांधीजी " के चश्मे और टोपी की बोली करोड़ों में लगाता है ! और भी कई ख़बरें ऐसी होती हैं जिन्हें सुन आम आदमी तो यही कहता है की कोई मुझे भी करोड़ों में खरीद ले , तो शायद मेरा और मेरे परिवार का जीवन सुधर जाए ! इंसानों से ज्यादा खरीद -फरोख्त तो आज विदेशों में हो रही है ! ये ख़बरें भी " आम आदमी " को हताश और निराश करती हैं ! अभी कुछ दिनों पहले विदेश में एक बुजुर्ग महिला ने अपनी करोड़ों की संपत्ति अपने " कुत्तों " के नाम कर दी थी ! इस खबर पर भी मैंने कई लोगों को यह कहते हुए सुना " काश हम कुत्ते होते " अभी चाइना में एक अरबपति ने एक कुत्ते को अपने शौक के लिए मात्र ६-७ करोड़ में खरीद लिया ! 6-7 करोड़ किसी के लिए मात्र होते हैं तो किसी के लिए उसकी सात पुश्तों को बदलने के लिए काफी हैं ! लन्दन में कुछ दिनों पहले एक महिला ने अपनी " कुतिया " का सिर्फ मन रखने और खुश करने के लिए उसका " स्वयंवर " रचाया और उस पर लाखों रूपए खर्च कर डाले ! अब " कुतिया " का भी " स्वयंवर " होने लगा है ! हमारे देश में आज भी यहाँ ऐसे लाखों परिवार हैं जिनके पास पैसा ना होने की बजह से उनके परिवारों की कुंवारी बेटियों की उम्र ३०-से ३५ पार कर चुकी है ! कई लड़कियों ने तो पैसे के अभाव में शादी तक नहीं की , ऐसी स्थिती में बेचारे " माँ-बाप " अपने आप को बेचने तक को तैयार हो जाते हैं ! ऐसा नहीं है की आज तक इस देश में इंसानों की खरीद-बिक्री ना हुई हो , खरीद -बिक्री तो हुई है ! इस देश में " इंसान के लालच ने मजबूरी को खरीद लिया " तभी तो गरीबी में मजबूर होकर अपना और अपने परिवार का पेट भरने के लिए कई लड़कियां अपने शरीर का सौदा कर अपने आप को बेच देती हैं ! इंसान, लालच में आकर अपने ईमान का सौदा कर, अपने आपको बेईमानों के हांथों बेच देता हैं ! देश में होने वाली आतंकवादी घटनाओं में जिन युवाओं का इस्तेमाल किया जाता है वो भी कहीं ना कहीं अपने आपको बेचकर अपने घर-परिवार को खुशियाँ देने के लिए अपना सौदा देश के दुश्मनों से करते हैं और हथियार उठा लेते हैं ! आज का भटका हुआ बेरोजगार युवा मतलब परस्त और धर्म परस्त राजनीति के हांथों बिक जाता है ! आज मैं देश का " आम आदमी " अपने आपको बेचने के लिए इस खरीद -फरोख्त के बाजार में लेकर आया हूँ ! अपनों को खुशियाँ देने के लिए !

क्या है कोई जो मुझे खरीद सके ?

धन्यवाद

Sunday, May 8, 2011

" माँ " का कोई एक दिन नहीं होता ! ( Mother's Day ) ......>>>> संजय कुमार




" माँ " शब्द बस एक अक्षर का छोटा सा नाम है ! किन्तु इस नाम में श्रष्टि की सम्पूर्ण रचनायें और सब कुछ विद्यमान है ! " माँ " का स्थान हर यौनी में इन्सान, पशु-पक्षी, प्रथ्वी-आकाश ,पाताल इन सभी सर्वोच्य है ! जब तक प्रथ्वी पर जिंदगी है , जब तक इन्सान इस धरा पर है ! " माँ " प्रथम पूज्यनीय है ! " माँ " नाम की ताक़त का अंदाजा आप सिर्फ इस बात से ही लगा सकते हैं कि, आज तक इस धरती पर जो भी इंसान पैदा हुआ उसके मुँह से सर्वप्रथम " माँ " शब्द ही निकला , ना पापा और ना पिता , निकला तो सिर्फ " माँ " का नाम ! जीवन का हर सुख - दुःख सहते हुए " माँ " अपने कर्तव्य पथ से कभी नहीं हटती ! सब कुछ सहते हुए अपने कर्तव्यों का पालन करती है ! जब एक बच्चा अपनी " माँ " की कोख में आता है , ठीक उसी दिन से एक " माँ " की जिम्मेदारियां शुरू हो जाती हैं ! जब तक बच्चा जन्म नहीं लेता और अपने पैरों पर चलना नहीं सीख लेता और ठीक तरह से खड़ा नहीं हो जाता ! बच्चों को जीवन में आगे बढ़ने के लिए सभी संस्कार अपनी " माँ " से ही मिलते हैं ! या यूँ भी कह सकते हैं कि , " माँ संस्कारों की जननी है " क्योंकि एक बच्चा सबसे ज्यादा करीब और अपना ज्यादा से ज्यादा समय अपनी " माँ " के साथ बिताता है ! " माँ " जीवन के हर पथ पर उसको आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है ! जीवन जीने की कला उसे अपनी " माँ " से ही सीखने मिलती है ! इस जग में " माँ " की ममता का कोई मोल नहीं है ! " माँ " की ममता के लिए तो ईश्वर ने कई बार इस धरती पर इंसान के रूप में जन्म लिया ! " मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम " " भगवान् श्रीकृष्ण " इसका प्रमुख उदहारण हैं ! कितना प्रेम था कौशल्या के राम और यशोदा के श्याम में ! सब कुछ माँ कि ममता को पाने के लिए ! अगर इंसान जीवन भर " माँ " के चरणों को धोकर भी पियेगा तब भी हम उसकी ममता , प्यार , और आशीर्वाद का कर्ज नहीं चुका सकते ! " माँ " हमेशा से ही सभी के लिए वन्दनीय रही है ! " माँ " का कोई दिन नहीं होता ! उसका ध्यान तो हमें हर वक़्त रखना चाहिए ! शायद हम उसको एक पल के लिए भूल भी जाएँ पर " माँ " कभी अपनी संतान को नहीं भूलती ! फिर संतान अच्छी हो या बुरी वह हर हाल में उसे याद रखती है , भले ही उसकी संतान ने उससे नाता तोड़ दिया हो ! " माँ " के मुँह हर वक़्त बस एक ही बात निकलती है ! " जीते रहो मेरे बेटे " ......... " सदा खुश रहो " जैसे जैसे समय गुजर रहा है ! पाश्चात्य संस्कृति हमारे ऊपर हाबी होती जा रही है ! जैसे - जैसे हम आधुनिकता की चकाचौंध में खोते जा रहे है ! वैसे - वैसे आज हम अपनों का मान-सम्मान करने का भाव खोते जा रहे हैं ! आज हम भूलते जा रहे हैं रिश्तों की असली परिभाषा , फिर रिश्ता चाहे माँ-बेटे का हो या माँ-बेटी का ! आज सब कुछ धीरे धीरे बदल रहा है या बदल चुका है ! इस बदलाव को हम सब ने पूरी तरह से महसूस किया है ! और महसूस कर रही है आज की " माँ " ! " माँ " तो पहले भी बच्चों को प्रेम और स्नेह देती थी और आज भी उतना ही करती है , और जो नहीं करती उनके अंदर शायद " माँ " की ममता नहीं है ! क्योंकि आजकल कई घटनाएं हमारे सामने ऐसी आती हैं और कई घटनाएँ घट चुकी है जो कहीं ना कहीं हमें " माँ " और उसके महत्त्व से दूर कर देती हैं ! किन्तु इस तरह की घटनाएँ तो अपवाद हैं जो होते रहते हैं कभी कभी ! एक सत्य ये भी है कि , आज सिर्फ पढ़ा लिखा और जाग्रत युवा ही जानता है कि , Mother's-Day क्या होता है ? यह दिन क्यों और किसको समर्पित होता है ? शायद एक वर्ग पढ़ा लिखा और अनपढ़ वर्ग ऐसा भी है जिसे तो यह भी नहीं मालूम की यह दिन कब आता है ? क्या होता है इस दिन ? "माँ " को याद करलो " माँ " में सम्मान में दो - चार बड़ी - बड़ी और अच्छी - अच्छी बातें करके , बस हो गया Mother's-Day ! हिंदुस्तान में एक बहुत बड़ा तबका ऐसा हैं जिसे अपनी "माँ " का जन्मदिन तक याद नहीं ! लेकिन इसके आलावा उसे सारे दिन याद हैं ! मसलन आप सभी जानते होंगे ......... आज का इंसान , इंसान को पूरी तरह भूल चुका है तो क्या मायने रखता है उसके लिए कोई भी दिन ! आज एक प्रश्न है हम सबके लिए आज " माँ " को जो सम्मान मिलना चाहिए क्या वो उसे आज मिल रहा है ? क्या हमें Mother's Day पर ही अपनी " माँ " को याद करना चाहिए ? क्या आज की अतिआधुनिक्तावादी और पाश्चत्य संस्कृति में डूबी हमारी युवा पीड़ी भी समझती है Mother's Day का मतलब ! कभी वह अपनी " माँ " के सम्मान में भी कुछ करती हैं ! " माँ " तो सिर्फ इतना चाहती हैं कि उसके बच्चे उसे कभी ना भूलें जब तक वह जीवित है ! बस थोडा सा सम्मान जो उसे मिलना चाहिए और जो उसका हक है ! इसके अलावा वह कभी भी कुछ नहीं चाहती और ना कभी चाहेगी ! लेकिन हम सभी को Mother's Day पर ही नहीं अपितु जीवन भर उसका मान - सम्मान करना चाहिए वो अच्छी हो या बुरी पर " माँ " तो " माँ " होती है ! क्योंकि उसका एक ऐसा कर्ज होता है हम सब के ऊपर जो हम मरकर भी नहीं उतार सकते ! क्योंकि वो हमारी " जन्म-दात्री " है , जिसके कारण हम यह संसार देख पाए , और देख पाए दुनिया भर की नेमतें जो उसने हजारों कष्ट सहकर हम सब को दी !

" माँ " तेरा सम्मान कभी इस दिल से कम ना होगा भले ही तू अपने बच्चों पर विश्वाश करे ना करे , तू हमेशा से मेरे लिए पूज्यनीय रही है , और जब तक जीवित हूँ तब तक रहेगी , मेरी सारी गलतियों को माफ़ कर ! तू क्षमा कर अपने नादाँ बच्चों को और बनाये रख अपना आशीर्वाद हम बच्चों पर !

विश्व की समस्त " माँ " को मेरा चरण वंदन प्रणाम और सादर नमस्कार

धन्यवाद






Thursday, May 5, 2011

अब ना कहना की थोड़ा रुक जाते तो .... ...>>> संजय कुमार

काश अगर हम थोड़ा रुक जाते तो यह टेलीविजन और सस्ती मिल जाती, थोड़ा और रुक जाते तो शायद शादी के लिए लड़की और अच्छी मिल जाती ! अक्सर हम लोग इस तरह की बात अपने जीवन में कई बार अपनी रोज की दिनचर्या में कई बार अपनों के साथ अपने दोस्तों के बीच करते रहते हैं ! कभी कभी लगता है की हम शायद सही कह रहे हैं ! हमने शायद जल्दबाजी में आकर कोई चीज खरीद्ली या फिर किसी को खरीदते देख या फिर भेड़ चाल में शामिल होकर कोई निर्णय ले लिया हो और बाद में हम अपने किये पर पछता रहे हों ! किन्तु हम लोगों ने कभी इस बात पर गहराई से नहीं सोचा और बिना सोचे विचारे बोल देते हैं कि , थोड़ा रुक जाते तो ये हो जाता वो हो जाता ! बात ये सही है किन्तु उन लोगों के लिए जो किसी भी चीज या समय का महत्व नहीं जानते ! क्योंकि समय पर किया गया कोई भी कार्य कभी गलत नहीं होता ! क्योंकि हमारे द्वारा लिए गए किसी भी निर्णय के लिए सिर्फ और सिर्फ हम जिम्मेदार होते हैं ! हर निर्णय को हम सोच समझकर लेते है और सोच समझकर लिए गए निर्णय पर कभी पछताना नहीं चाहिए ! क्योंकि निर्णय वक़्त की मांग पर निर्भर करता है ! जीवन में हर चीज के दो पहलू होते हैं ! पर थोडा सोचना होगा ! अगर हम सब वक़्त की मांग पर निर्णय लेने में थोडा रुक जाएँ , तो क्या होगा ? और क्या हो सकता था ? इसका अंदाजा भी हम नहीं लगा सकते ! अगर हम अपने जीवन में थोडा रुक जाते तो कभी भी मंजिल हांसिल नहीं कर पाते ! थोडा रुक जाते तो शायद हम आज भी अंग्रेंजों के गुलाम होते ! थोडा रुक जाते तो कैसे करते एक सुनहरे भविष्य का निर्माण ! थोडा और रुक जाते तो कैसे देश का नाम हम विश्व में रोशन कर पाते ! नहीं कुछ भी नहीं होता अगर हम सब थोडा और रुक जाते ! थोड़ा रुक जाते तो कभी ना बनते इतिहास और ना बनते भविष्य ! हम जहाँ थे वहीँ रहते ! गुमनाम और दुनिया जहाँ से अनजान ! ना हमारी कोई पहचान होती और न हमारा कोई नाम ! अगर हम थोडा रुक जाएँ तो क्या होगा ? शायद हम इसका अंदाजा भी नहीं लगा सकते ! आज अगर हम थोडा रुक गए तो यह देश बिकने में जरा भी वक्त नहीं लगेगा , देश के गद्दार इस देश को बेच देंगे और हम बुत बने देखते रह जायेंगे ! थोडा रुक गए तो धर्म और मजहब के नाम पर हम लोगों को आपस में लड़ाने वाले जीत जायेंगे अगर रुक गए तो धर्म - मजहब की खाई और गहरी हो जाएगी ! इंसान , इंसानियत भूल जायेगा और हम खड़े होकर देखते रहेंगे अपनों की बर्बादी अपने संस्कारों का पतन ! थोडा रुक गए तो पूरी तरह ख़त्म हो जायेंगे बचे कुचे इंसानी रिश्ते जो पाश्चात्य संस्कृति की चकाचौंध में गम होते जा रहे हैं ! थोडा रुक गए तो कभी हासिल नहीं कर सकेंगे वो बुलंदी जिसकी चाह में आज हम सब जी रहे हैं ! थोड़ा रुक गए तो भ्रष्टाचारी , घोटालेबाज , बेईमान एक दिन हमारा सौदा कर जायेंगे और हम कुछ ना कर पायेंगे !


जी नहीं अब वक्त नहीं थोडा और रुकने का ! अब वक्त आ गया है हिम्मत से आगे बढ़ने का और अपनी मंजिल हांसिल करने का ! अब वक़्त आगया है जागने का ना की थोड़ा रुकने का ! तो अब जाग जाओ और आगे बढ़कर इस देश को बचाओ !


अब ना कहना की थोड़ा रुक जाते तो ............. क्योंकि हमने अपना सारा जीवन निकाल दिया थोड़ा और थोड़ा और के चक्कर में ! ( रुक जाना नहीं तू कहीं हार के ) ( एक छोटी सी बात )


धन्यवाद

Sunday, May 1, 2011

दीजिये मजदूर को मान-सम्मान , तभी कहलायेगा सच्चा " मजदूर-दिवस " ....>>> संजय कुमार

आज देश के अखबार किन चीजों से भरे पड़े रहते हैं ? " अन्ना का लोकपाल विधेयक " " श्री सत्य साईं ने ली समाधी " " कलमाड़ी गिरफ्तार " सोना-चांदी आसमान पर " शेयर बाजार लुढ़का " सचिन को भारत रत्न " सब कि सब बही ख़बरें, भरष्टाचार , घूस , घोटाले , आम जनता के साथ धोखा , गन्दी राजनीति, इसके आलावा आज कुछ भी नहीं बचा जो इस देश में नहीं हो रहा हो ! हम लोंग हर दिन कोई ना कोई दिन किसी ना किसी दिवस के रूप में अवश्य मनाते हैं ! जन्म-दिवस पर फल मिठाईयाँ , फल वितरण मान-सम्मान में दो शब्द ! पुन्य-तिथि पर शौर्य गाथा ! आज भी एक दिवस है और जिन लोगों के लिए ये दिवस मनाया जाता है उनमें से ९० से ९५ % तक को ये बात मालूम ही नहीं होती ! आज है मजदूर दिवस, महाराष्ट्र डे, मई दिवस जिसे आज हिंदुस्तान में मनाया जा रहा है ! पर कौन है वो जो आज मजदूर दिवस मना रहा है ? चार पहिया ठेला चलाने वाला मजदूर , बड़ी - बड़ी इमारतों में ईंट-पत्थर ढ़ोने वाला मजदूर , बड़ी-बड़ी मीलों और फेक्टरियों में बंधुआ मजदूर के जैसे काम करने वाला , एक-एक रूपए के लिए अपना खून-पसीना बहाने वाला , सुबह -सुबह उठकर काम-धंधे कि तलाश में निकला मजदूर ! आखिर मजदूर दिवस है किसके लिए ? क्या मजदूर के लिए ? जी नहीं, मजदूर दिवस तो मना रहे हैं हमारे देश के महान खादीधारी नेता ! वह भी वातानुकूलित कमरों में बैठकर चाय की चुस्कियों के साथ और कर रहे हैं मजदूर को मिलने वाली योजनाओं की राशि का बंदरबांट कि , किस तरह मजदूरों के हक पर अपना कब्ज़ा करें ! और दूसरी ओर मजदूर लगा हुआ है बही दो जून की रोटी कमाने में वो रोटी जिससे उसका परिवार दो वक़्त का खाना खा सके ! भीषण गर्मी हो या सर्दी या फिर बरसात निरंतर परिश्रम करने वाला यह इन्सान जिसे हम मजदूर के नाम से जानते हैं ! यह बात हम सभी बहुत अच्छे से जानते हैं कि, मजदूर दिवस पर क्या होता है ? क्या हो रहा है ? और आगे भी क्या होगा ? नेताजी सुबह सुबह अपनी वातानुकूलित कार से उतरेंगे , तुरंत उनका माल्यार्पण होगा , उनके लिए ठन्डे जलपान की व्यवस्था की जायेगी ! सभा में चिलचिलाती धूप में बैठा मजदूर नेताजी के नाम के नारे लगाएगा उसकी पार्टी का गुणगान करेगा ! नेताजी एक भाषण देंगे कि, आज का मजदूर जिन्दावाद , हम हमेशा से अपने मजदूर भाइयों के साथ हूँ ! मजदूर हमारा भगवान् होता है , मजदूर ना हो तो इस देश में कोई काम नहीं चलेगा , मजदूरों ने इस देश को बहुत कुछ दिया , वगैरह वगैरह ..... और भोला भाला मजदूर अपनी तारीफ़ सुनकर ख़ुशी से फूला नहीं समाता ! मजदूर इस बात से खुश हो जाता है कि , जिस नेता कि जय जयकार हम जिंदगी भर करते हैं , आज वह हमारी जय जयकार कर रहा है ! ज्यादातर मजदूरों को तो यह तक मालूम नहीं होता कि, ये मजदूर दिवस होता क्या है ? क्यों मनाया जाता है ? आज का मजदूर तो होली, दिवाली और ईद भी ठीक ढंग से नहीं मना पाता तो ये मजदूर दिवस कैसे मनायेगा ! मजदूर का जन्म तो गरीबी में होता है और एक दिन मजदूरी करते करते दम तोड़ देता है ! कठोर परिश्रम के लिए जैसे हम जानवरों में बैल को जानते हैं ठीक वैसे ही इंसानों में सच्चे कठोर परिश्रम के लिए इन मजदूरों को जानते और मानते हैं ! लेकिन आज का मजदूर जीवन भर कठोर परिश्रम करके अपने परिवार को सिर्फ रोटी के अलावा और कुछ नहीं दे पाता ! अगर आज हिंदुस्तान में किसी मजदूर का बेटा या बेटी कलेक्टर या कोई बड़ा अधिकारी है तो वह आज एक अपवाद हैं ! आज हमारे देश में मजदूरों की स्थिति किसी से छुपी नहीं हैं ! मजदूर किस तरह अपने आप को बेचकर किसी कारखाने में अपनी पूरी जिंदगी निकाल देता है ! किस वदहाली में आज का मजदूर जी रहा है ! यह सब जानते हुए भी हम कुछ नहीं कर सकते ! सरकार ने तो आज तक सिर्फ मजदूरों के नाम पर सेकड़ों योजनायें चलायी हैं ! जो सिर्फ कागजों पर सिमट कर रह गयीं हैं ! सारी योजनायें सिर्फ अधिकारीयों की जेबें भरने के लिए बनायीं जाती हैं ! क्या हैं मजदूरी के नियम कायदे ? क्या हैं उनका हक क्या हैं उनके अधिकार ? जब एक आम पढ़े लिखे इन्सान को अपने हक और अधिकारों की जानकारी नहीं है तो फिर अनपढ़ और भोले- भाले मजदूरों को कहाँ मालूम होंगे उनके अधिकार ! वह सिर्फ बैलों की तरह काम करना जानता है ! आज जिसे देखो इन मजदूरों के हक का ही दोहन कर रहा है ! मजदूर के बच्चों की शिक्षा, घर, दवा और ना जाने कितनी योजनाओं का पैसा मजदूर को मिलना चाहिए लेकिन वह पैसा उन योजनाओं में शामिल अधिकारी नेता और ठेकेदार अपने घर, अपने बच्चों की अच्छी शिक्षा और अपने ऐशोआराम पर खर्च कर रहे हैं ! और मजदूर रह जाता है जन्म से लेकर मृत्यु तक सिर्फ मजदूर ! मजदूर अपने पूरे जीवनकाल में अपना ना तो कभी मनोरंजन कर पाता है ना अपने बच्चों के सपने पूरे ! क्योंकि उनको आज तक उनकी महनत का कभी पूरा पैसा मिलता ही नहीं ! जहाँ एक एक ईंट के साथ महनत करके ऊंचे ऊंचे महल बनाता है , वहीँ अपनी पूरी जिंदगी निकाल देता है , टूटे फूटे झोंपड़ों में ! जहाँ पल पल पर उसके योगदान की जरूरत पड़ती हैं , वहीँ पल पल पर तिल-तिल मरते हुए वह अपनी जिंदगी निकाल देता हैं ! बिना दवा और बिना किसी की मदद के ! एक ओर इस देश में लाखों टन अनाज खुले आसमान के नीचे सड़ रहा है ! हमारे यहाँ के मंदिर ट्रस्टों के पास हजारों करोड़ों कि संपत्ति है ! विदेशों में अरबों-खरबों रुपया बेकार पड़ा हुआ है ! इस देश के हालात और यहाँ के आम आदमी की हालत किसी से छुपी नहीं है ! क्या कभी कोई ऐसा दिन इन मजदूरों की जिंदगी में आएगा जब आज का मजदूर अपने आपको एक खुशहाल मजदूर कह सकेगा और जिस पर वह फक्र महसूस कर सकेगा !

इंतजार है ऐसे सच्चे मजदूर दिवस का जो सिर्फ और मजदूर के लिए हो ! कठोर परिश्रम करने वाले मजदूर की हम लोगों को जय - जयकार करनी चाहिए ना की उनका हक खाने वाले खादीधारी नेताओं की ! दीजिये उनको मजदूर दिवस पर उनका मान सम्मान , तभी कहलायेगा सच्चा मजदूर दिवस !

धन्यवाद