Saturday, February 26, 2011
छज्जे छज्जे का प्यार .....>>> संजय कुमार
अब नाराज ना होना ! कुछ तो भी लिखा है , हंसी मजाक में ही सही बस पढ़ लीजिये ..........
अब जल्द चढ़ेगा युवाओं पर
प्रेम का बुखार
आने बाला है , सोनी टी व्ही पर
छज्जे छज्जे का प्यार !
मंहगाई के इस दौर में
ना छत बन रही ,
ना बन रहा कोई छज्जा !
इन्टरनेट , मोबइल पर
आज चढ़ता प्रेम परवान
फिर कैसे संभव
छज्जे छज्जे का प्यार !
इस मंहगाई की मार से
पल पल पर होती
हमारी सरकार बीमार
मंहगाई का ना इलाज है ना उपचार !
आधुनिक दुनिया में
हुआ प्रेम का ये कैसा व्यापार
लैला को महिवाल से , तो कहीं
मजनू को सोहनी से प्यार
अब बताओ कैसे संभव
छज्जे छज्जे का प्यार !
जहाँ दिलों में भरी हुई है
अपनों के लिए नफरत
वो कैसे करेगा किसी और से प्यार
आप ही बताएं
क्या सफल होगा ?
छज्जे छज्जे का प्यार !
धन्यवाद
Thursday, February 24, 2011
तोड़ते हैं नियम ! शयद सभी को जल्दी है ! क्या आपको भी ? .....>>>> संजय कुमार
क्या आपको गुस्सा आता है ? जब आप लाइन में खड़े हों और आपके बाद आया हुआ आप से पहले अपना काम करके चला जाए अर्थात बिना लाइन में लगे डॉक्टर से मिल ले , बस और रेल का टिकिट ले ले , स्कूल की फीस जमा करले , बैंक से पैसा निकाल ले और जमा करदे ! गुस्सा तो बहुत आता है और उसको गालियाँ भी हम बहुत देते हैं ! कमबख्त मारा ना जाने कहाँ से आ गया हम सुबह से लाइन में लगे हुए हैं हमारा अभी तक नंबर नहीं आया और ये अभी आया और अभी ......... वैसे लाइन में खड़े होना एक नियम है ! किन्तु आज नियम मानता कौन है .... शायद सभी को जल्दी है ! क्या आपको भी ?
धन्यवाद
Tuesday, February 22, 2011
ब्लॉग लेखन को एक बर्ष पूर्ण, धन्यवाद देता हूँ समस्त ब्लोगर्स साथियों को ......>>> संजय कुमार
अब मैं अपने बारे में बताता हूँ ! मेरे पिता काम-धंधे की तलाश में आज से २५ बर्ष पूर्व " शिवपुरी " आये थे ! मेरे पिता बहुत ही मेहनती हैं और आज भी कड़ी मेहनत करने से पीछे नहीं हटते " माँ " आज भी गृहणी ही हैं ! पिता को काम - धंधा मिला और जीवन धीरे-धीरे आगे बढ़ता चला ! परिवार में सदस्यों की संख्या ज्यादा होने के कारण मुझे भी काम करना पड़ा और मैं घर के आँगन से बाहर निकला ! उस वक़्त जो बाहर निकला तो आज तक बस " जीवन की आपाधापी " में लगा हुआ हूँ, अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए ! आज भी बड़ों के आशीर्वाद से अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को सही से निर्वाह करने की कोशिश कर रहा हूँ !
अब बात करते हैं मेरे लेखन की, मैं तो लेखन जानता ही नहीं था ! क्या होती हैं कवितायेँ ? क्या होता है व्यंग्य ? क्या लघु कथा ? इत्यादि , क्योंकि कभी इतना समय ही नहीं मिला या मेरी पारिवारिक प्रष्ट-भूमि ऐसी नहीं थी जहाँ किसी को साहित्य या अन्य कोई किताब पढ़ने का शौक हो , सो कभी लिखने के बारे मे सोचा नहीं , लेकिन छोटी सी उम्र में जीवन में बहुत कुछ देख चुका था सो बहुत सी बातें मन मे थीं सो मन की मन में ही रह गयी थीं ! एक दिन " दीपक मशाल " जी का फ़ोन आया की आपको आना है मेरे काव्य संग्रह " अनुभूतियाँ " के विमोचन पर ! इस तरह के किसी भी कार्यक्रम में ये मेरा पहला निमंत्रण था ! मुझे जाना तो था ही आखिर " सारी खुदाई एक तरफ और ............ तो पहुँच गए विमोचन पर ! उस वक़्त मैंने जाना की लेखन क्या होता है ? समझा " दीपक मशाल " को की, ये तो भई बहुत ही छुपे रुस्तम निकले मैं तो इन्हें कुछ और रूप में जानता था ! ये तो लेखन में अच्छा खासा मुकाम हांसिल कर चुके हैं ! वहां मालूम चला की ब्लॉग क्या होता है ? किसे कहते हैं ? हालांकि ब्लॉग के बारे मे सुन रखा था ! घर लौटते वक़्त मन में बहुत से विचार , बहुत से प्रश्न और उमंग लिए बापस आया ! जब मैंने पहली बार " दीपक मशाल " के ब्लॉग को खोला और पढ़ा मुझे बहुत अच्छा लगा ! सबसे पहले मैंने उनके लेखन पर टिपण्णी देना शुरू किया और टिप्पणियों का सिलसिला लगभग एक महीने तक चलता रहा ! एक दिन दीपकजी ने मुझसे कहा की आप भी क्यों लिखना शुरू नहीं करते ! आप अपने " शेयर मार्केट " पर ही कुछ लिख दीजिये , मैंने बहुत सोचा विचार किया और अपने ब्लॉग का निर्माण किया ! और एक पोस्ट लिखी वो भी बहुत सोच विचार कर " मैं इंसान किस काम का " सबसे पहले पत्नि को पढ़कर सुनाई उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ की ये मैंने लिखा है ! सही है भई मैंने अपने जीवन में कभी कोई साहित्य पढ़ा ही नहीं तो वो कैसे विश्वास करतीं , फिर भी मैंने उन्हें विश्वास दिलाया , और पोस्ट प्रकाशित कर दीपकजी को बताया उन्होंने मेरी होंसला अफजाई की मुझे ब्लॉग जगत में सबसे मिलवाया , कई बरिष्ठ लोगों ने मेरी तारीफ़ की , आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया , मुझे अच्छा लगा ! और फिर मैं धीरे धीरे पोस्ट लिखने लगा ! अपने आस-पास के माहौल , गतिविधियों , हालात को देखते हुए लिखना शुरू किया ! जब मुझे समस्त ब्लोगर्स का मार्ग-दर्शन ,स्नेह एवं प्यार मिला तो मेरा होंसला बढ़ता ही चला गया ! और आज भी आप सभी के मार्ग-दर्शन से कुछ अच्छा लिखने की कोशिश करता रहता हूँ !
आज मेरे ब्लॉग लेखन को १ बर्ष पूर्ण हो गया है ! सोचा क्यों ना आप सभी का धन्यवाद किया जाए ! मैं उन सभी को बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहता हूँ जिन्होंने मेरे लेखन की तारीफ़ की उसको सराहा , उन सभी को धन्यवाद करता हूँ जिन्होंने मेरे लेखन को नहीं सराहा , उन सभी को धन्यवाद देना चाहता हूँ जो मेरे ब्लॉग पर एक बार भी आये ! मैं सभी बरिष्ठ जनों से आशीर्वाद और मार्गदर्शन चाहता हूँ जिससे मैं आगे और भी बहुत कुछ सीख सकूँ ! आप सभी के प्रेम और स्नेह के बशीभूत होकर के ही मैं आज लिख पाता हूँ !
मैं सर्वप्रथम धन्यवाद करना चाहता हूँ " दीपक मशाल " का एवं मेरे सभी ब्लोगर्स साथियों का , सभी बरिष्ठजनों का
बहुत बहुत
धन्यवाद
Friday, February 18, 2011
खेलें हम जी जान से ... World-Cup --- 2011 ( दीजिये शुभ-कामनायें ) .... >>> संजय कुमार
गुजारिश है भारतीय टीम से ...........
३. महेंद्र सिंह धोनी ( जो कपिल ने १९८३ में किया , अब वो तुम्हें करना है " माही " )
४. गौतम गंभीर ( अब है असली परीक्षा , अब देश के लिए हो जाओ " गंभीर " )
५. युवराज सिंह ( छक्कों के सिकंदर , माफ़ करना क्रिकेट में, अपनी शक्ति को याद करो हे" युवराज " )
६. विराट कोहली ( अभी तक जो किया वो कुछ नहीं था ! अब अपना विराट रूप दिखाना होगा )
७. सुरेश रैना ( अगर नहीं चले तो टीम में नहीं " रैना " )
8. युशुफ पठान ( तुम्हारा जो रौद्र रूप कुछ दिनों पहले देखा , अब बार - बार दिखाना होगा )
9. हरभजन सिंह ( हे भज्जी अब इस्तेमाल करना होगा अपने " दूसरा " का वर्ना अगली बार तुम्हारी जगह कोई दूसरा )
10. ज़हीर खान ( अपनी गेंदबाजी में लाओ हवा का बबंडर , ना रहे कोई टिका तुम्हारे सामने )
11. आशीष नेहरा ( जो वर्ल्ड- कप २००३ में किया , अब बही इस बार करना होगा , वर्ना समझ लो )
12. एस. श्रीसंथ ( बिल्ली के भाग से छींका टूटा , अब इस कहावत को चरितार्थ करो , जगह मिली प्रवीण की )
13. पियूष चावला ( अगर मौका मिला तो बता देना , " हम किसी से कम नहीं " )
१४. मुनफ पटेल ( कुछ ऐसा करो कि तुम्हें भी लोग जानने लगें )
१५. आर. अश्विन ( दुआ करो तुम्हें भी मौका मिले )
" गुजारिश " करो प्रार्थना , करो दुआ , दीजिये शुभ-कामनायें , अब सपना पूरा हो हम भरतीयों का , दिखादें अपने शेर अपनी बहादुरी क्रिकेट के मैदान में ......... आइये मिलकर दे शुभ-कामनायें अपनी क्रिकेट टीम को
धन्यवाद
Tuesday, February 15, 2011
क्या आपके पास वक़्त है ? क्या आपके पास खुशियाँ हैं ? ( सोचिये ) ..... >>>> संजय कुमार
Saturday, February 12, 2011
ये है तीन का तड़का ......>>>> संजय कुमार
ये सब सच है ! कैसा लगा आपको ये तीन का तड़का , जरुर बताएं
धन्यवाद
Wednesday, February 9, 2011
क्या आपको कभी कोई पछतावा हुआ ? क्रोध एवं आवेश में उठाये गए कदम का .....>>>> संजय कुमार
यह एक सच है जिसे हम जानते हैं पर मानते नहीं कि , क्रोध इंसान को चाट जाता है अन्दर तक खोखला कर जाता है ! आज इंसानों को होने बाली बड़ी-बड़ी बीमारी का कारण कहीं ना कहीं क्रोध और गुस्सा है ! आज के युग में स्वार्थ भी क्रोध का एक बड़ा कारण है ! एक बार गुस्सा होने पर एवं क्रोध दिखाकर हमारा मन बहुत समय तक अशांत एवं व्यथित रहता है !
आज इंसान, इंसान ना होकर एक मशीन बन गया है जिस तरह मशीन के दिल और भावनाएं नहीं होती ठीक उसी प्रकार आज का इंसान भी अन्दर से खोखला और बेजान हो गया ! सब्र का दूर - दूर तक नामोनिशान नहीं ! अपनत्व कि कमी भाईचारा क्या होता है ? कब का भूल गए ," जीवन कि आपाधापी " में ऐसे लगे हैं, चौबीस घंटे काम और सिर्फ काम अब ना दिन की खबर ना रात का पता ! एक तो परिवार के लिए समय नहीं उस पर काम का बोझ , ऑफिस का तनाव फिर क्रोध और गुस्सा , आखिर इंसान करे तो क्या करे .........सिर्फ गुस्सा ही कर सकता है !
क्या आपने भी कभी अपने जीवन में क्रोध एवं गुस्सा किया है , या कभी कोई ऐसा काम किया जिस पर आपको कोई पछतावा हुआ हो ........ यदि है तो बताएं ...... यदि नहीं , तो अपने जीवन में पूरी कोशिश करें या अपने आप से वादा करें कि , कभी भी क्रोध एवं गुस्से में आकर कोई गलत कदम नहीं उठाएंगे .........
धन्यवाद
Sunday, February 6, 2011
प्रभु का होना ....>>>> संजय कुमार
पवित्र रहना सजा हो गया
जो तुमने सिखलाया था " माँ " मुझको
वो चरित्र भीड़ को गवारा ना हुआ
क्योंकि है, यह ज़माना कलियुग का
सतयुग कब का चला गया !
" अंत भला सो सब भला "
यह मुहावरा " अपवाद " हो चला
क्षणिक सुख की समझदारी --
जिसने यह समझ लिया
बही जमाने को भला लगा !
पर मेरा धीर अब टूट रहा
क्यों ? तुमने " माँ " मुझमें ये रमा दिया
कि,
" इंसान बही भाये जिसे सिर्फ प्रभु का होना "
( प्रिये पत्नी गार्गी चौरसिया की कलम से )
धन्यवाद
Thursday, February 3, 2011
" मुंगेरीलाल " का हसीन सपना ..... ( व्यंग्य ) ....>>> संजय कुमार
आज बहुत दिनों बाद हमारे प्यारे " मुंगेरीलाल जी " ने एक सपना देखा है ! हालांकि सपने तो वो रोज देखते हैं ! किन्तु इस इस बार " मुंगेरीलाल " ने एक हसीन सपना देखा है ! वो भी दिन में , अक्सर कहा जाता है दिन में देखे गये सपने अधिकतर सच होते हैं ! उन्होंने अपने सपने में देखा, उनके चारों ओर पैसा ही पैसा है अब वह गरीब नहीं है !( ये सपना तो हर कोई देख रहा है ) उनके साथ -साथ अब कोई गरीब नहीं है ! महगाई भी अब (-) में आ गई है ! जिस तरह दिन-प्रतिदिन " संवेदी-सूचकांक " नीचे आ रहा है ! अब लोगों को १ किलो आलू खरीदने के साथ ५ किलो प्याज मुफ्त मिल रही है ! ( अच्छा ख़ासा मजाक है ) पट्रोल भी अब बहुत सस्ता हो गया है ! पेट्रोल अब पानी की तरह मिल रहा है वह भी बाल्टी भर-भर कर , इतना सस्ता की गरीब पानी की जगह पेट्रोल मांग रहा है ! फिर भले ही इस देश में " पानी मंहगा सस्ता खून " हो ! आज का युवा अब बेरोजगार नहीं है ! उसके पास ढेर सारा काम है ! आज का युवा नशे से कोसों दूर और संस्कारों से सरावोर है ! अब राजनीति और नेता भ्रष्ट नहीं है !अब राजनीति में जातिवाद और भाई-भतीजावाद नहीं है सभी को समान द्रष्टि से देखा जा रहा है ! अब ना ही आरक्षण है और ना ही आरक्षण का मुद्दा ! अब गरीब को दर-दर की ठोकर नहीं खाना पड़ती और ना ही ठण्ड में अपने प्राण गंवाने पड़ते हैं ! अब सबके सिर पर छत है ! अब देश में चारों ओर हरियाली और खुशहाली का वातावरण है ! अब देश में सोने की चिड़िया फिर से चहचहाने लगीं है ! आतंकवाद का तो दूर-दूर तक नाम नहीं हैं ! हिदू-मुस्लिम-सिख -ईसाई , सब भाई-भाई , अब यह सिर्फ एक जुमला नहीं बल्कि सच है ! " मुंगेरीलाल " एक ऐसी दुनिया में जा चुका था जहाँ सिर्फ अच्छा ही अच्छा था ! हर कोई अपनी मस्ती में चूर , गम का दूर दूर तक कोई नामोनिशान ना था ! अब कहीं लफड़े -झगडे नहीं , चोरी -चकारी , लूट खसोट नहीं ! अब प्रेमी-प्रेमिकाओं का प्रेम परवान चढ़ रहा है ! अब लैला - मंजनू , हीर -रांझा जुदा नहीं होते ! आज ना रावण है और ना कंस हर तरफ राम और श्याम हैं !
जब "मुंगेरीलाल " ने मुझे अपने इस सपने के बारे में बताया तो मुझे समझ नहीं आया की मैं उसे क्या जबाब दूं इस तरह का सपना सुनकर मैं दंग रह गया ! कुछ सोचविचार कर मैंने कहा " अरे मुंगेरीलाल तुम किस दुनिया में खोये हुए हो जागो जागो अब ज़माना बदल गया है ! अब इस तरह के सपने देखना छोड़ दो ! क्या कभी किसी के सपने पूरे हुए हैं आज तक जो तुम्हारा सपना पूरा होगा ! " अरे भाई सपने तो सपने होते हैं फिर सपने चाहे दिन में देखो या रात में वो पूरे नहीं होते ! अगर सपने पूरे होते तो आज "आडवानीजी " देश के प्रधानमंत्री होते ! आज बिहार में लालू की लालटेन भी जल गयी होती ! "सौरभ दादा " IPL में चुने गए होते ! कश्मीर पाकिस्तान का हो गया होता ! आज सलमान और विवेक की " ऐश " होती ! अरे कहाँ इन ख्यालों में खोये हुए हो ! इस तरह के सपने देखना अब आम जनता के लिए दंडनीय अपराध घोषित कर दिए जायेंगे ! तुम तो जानते हो हम आम इंसानों को पहले बड़े-बड़े सपने दिखाए जाते हैं, और फिर प्यार से उन्हें तोड़ दिया जाता है, या फिर उनके पूरे होने के कोई चांस नहीं होते ! जहाँ सरकार और मंत्री , चुनाव के पहले आम जनता से बड़े-बड़े वादे करते हैं सुनहरे सपने दिखाते हैं और फिर बही हमारे सपनों को तोड़कर चकनाचूर कर देते हैं ! माना कुछ लोग अपने सपने पूरे कर लेते हैं " रतन टाटा " ने नैनो के रूप में अपना सपना साकार किया लेकिन सरकार ने पेट्रोल के दाम बढ़ाकर गरीब का सपना तोड़ दिया ! अब गरीब कार तो क्या मोटर सायकल भी नहीं चला पा रहा ! माना सचिन ने २०० का सपना देखा और पूरा कर लिया , अरे भाई " " WORLD-CUP " तो अभी सपना ही है ! ( काश इस बार ये सपना सच हो जाए , सचिन के साथ पूरा देश इस सपने को देख रहा है ) अब सपने कहाँ पूरे होते हैं ! खासकर आम जनता जिसमें गरीब ,बेरोजगार , मजदूर को तो आज सपना देखने का भी हक नहीं है !
सपने भी कई तरह के होते हैं ! जो सपने देखते हैं उनके पूरे नहीं होते जो नहीं देखते उनके पूरे भी हो जाते हैं ! उदाहरण तो कई है , जिन्होंने सपने में भी नहीं सोचा होगा उनको सब कुछ बिना सपना देखे मिल गया ! " प्रधानमंत्री " की कुर्सी , बिन मांगे " ऐश " सोएब को सानिया " ओबामा को व्हाइट हॉउस और भी लम्बी फेहरिस्त है !
अगर आपका भी कोई सपना पूरा हुआ हो तो अवश्य बताएं ..........
धन्यवाद
Tuesday, February 1, 2011
सूत्र ........( जीवन के ) .......>>> संजय कुमार
माना हमने भी कि हाँ लड़ना है बुरी बात
पर ? जीना है अगर , तो है यही अच्छी बात
जूझने की अगर तुममें हो अधिक से अधिक क्षमता
तो है यही सबसे अच्छी बात
जिंदगी आसान नहीं इतनी अब
जितनी हुआ करती थी कभी
अब वो वक़्त नहीं
सूत्र भी वदल गए हैं ! वक़्त और हालात के साथ
बुरा था कल जो ,
आज बही अच्छा है ,
अपने थे कल सब यहाँ ,
खुद ही खुद के नहीं आज हम यहाँ ,
जूझ नहीं पाते अगर हम , तो खुद को मिटा लेते
रहते हैं अगर हम शांत
तो , लोग हमें रौन्धते हुए कुचल कर चले जाते हैं
दिए थे कुरुक्षेत्र में अर्जुन को , जो उपदेश श्रीकृष्ण ने
अपनाना पढ़ते हैं अब उन्हें जिंदगी के कुरुक्षेत्र में !
लागू होता अगर एक ही सूत्र
हर वक़्त हर जगह , तो --
अवतरित ना होते राम सतयुग के
द्वापर युग में कृष्ण रूप में
इसलिए खुद के आचरण पर
है अगर आंतरिक संतुष्टि तुम्हें
तो इस बात को जाने देना
कि लोग हैं क्या कहते !
( प्रिये पत्नी की कलम से )
धन्यवाद