Saturday, February 26, 2011

छज्जे छज्जे का प्यार .....>>> संजय कुमार

ब्लोगर साथियों आज मैंने क्या लिखा क्या नहीं ? मुझे खुद नहीं पता , बस फ़ालतू था यूँ ही लिख दिया
अब नाराज ना होना ! कुछ तो भी लिखा है , हंसी मजाक में ही सही बस पढ़ लीजिये ..........

अब जल्द चढ़ेगा युवाओं पर
प्रेम का बुखार
आने बाला है , सोनी टी व्ही पर
छज्जे छज्जे का प्यार !
मंहगाई के इस दौर में
ना छत बन रही ,
ना बन रहा कोई छज्जा !
इन्टरनेट , मोबइल पर
आज चढ़ता प्रेम परवान
फिर कैसे संभव
छज्जे छज्जे का प्यार !
इस मंहगाई की मार से
पल पल पर होती
हमारी सरकार बीमार
मंहगाई का ना इलाज है ना उपचार !
आधुनिक दुनिया में
हुआ प्रेम का ये कैसा व्यापार
लैला को महिवाल से , तो कहीं
मजनू को सोहनी से प्यार
अब बताओ कैसे संभव
छज्जे छज्जे का प्यार !
जहाँ दिलों में भरी हुई है
अपनों के लिए नफरत
वो कैसे करेगा किसी और से प्यार
आप ही बताएं
क्या सफल होगा ?
छज्जे छज्जे का प्यार !

धन्यवाद

Thursday, February 24, 2011

तोड़ते हैं नियम ! शयद सभी को जल्दी है ! क्या आपको भी ? .....>>>> संजय कुमार

भारत में जिस हिसाब से जनसंख्या है और लगातार बढ़ रही है उसका असर आज हम सब अपने जीवन में बराबर देख रहे हैं ! जहाँ देखो वहां भीड़ ही भीड़ , लम्बी - लम्बी लाइनें , चारों तरफ शोरगुल हर तरफ भागमभाग ! आज हर इंसान को जल्दी है , और इतनी जल्दी कि सारे नियम ताक में भी रखना पड़े तो उसे, उस बात का कोई मलाल नहीं ! आज मैं बात कर रहा हूँ इंसान के जीवन से जुड़ी लम्बी - लम्बी लाइनों की , आज जहाँ देखो वहां हमें लम्बी - लम्बी लाइनों में इंसानी भीड़ दिखाई देती है ! घंटों भीड़ में लगा हुआ इंसान कभी कभी इतना पाक जाता है ! और उसे एक वक़्त ऐसा लगता है जैसे उसकी जिंदगी ठहर सी गयी हो , और लगता है जैसे जिंदगी यूँ ही खड़े - खड़े निकल जायेगी ! आज यह स्थिती लगभग हर उस इंसान की है जो घंटों लाइन में लगा रहता है ! इन्तजार रहता है बस लाइन खत्म होने का ! और जब उसका नंबर आता है तो उसे लगता है जैसे उसने जग जीत लिया हो ! और जब पीछे देखता है तो लगता है जैसे ये लाइन शायद कभी खत्म नहीं होगी ! आज जहाँ देखों वहां हर कोई कतार में है ! कुछ नियम से लगे रहते हैं तो कुछ नियम तोड़कर पहले पहुंचना चाहते हैं ! कहीं किसान खाद और बीज खरीदने के लिए लाइन में खड़ा है , तो कहीं अपनी फसल को बेचने के लिए लम्बी - लम्बी लाइन बनाकर खड़ा है ! शायद लाइन खत्म हो और उसको उसका असली हक उसे मिल जाए ! डॉक्टर ( भगवान ) का इन्तजार करते मरीजों की लम्बी लाइन है ! कुछ तो लाइन में ही दम तोड़ देते हैं ! तो कहीं दवा खरीदने के लिए मरीज लाइन में खड़ा हुआ है ! कहीं बिजली के बिल को जमा करने की लाइन है ! तो कहीं बच्चों की स्कूल फीस जमा करने की लाइन है ! कहीं गैस सिलेंडर पाने की लाइन है ! ( अगर गैस मिल गयी तो आज खाना आसानी से मिल जाएगा ) तो कहीं गैस नम्बर हासिल करने की लाइन है ! कहीं बैंक में पैसा जमा करने की लाइन है तो कहीं अपना ही जमा किया हुआ पैसा बापस लेने के लिए भी इंसान को लाइन में घंटों खड़े होना पड़ता है ! रेल का टिकिट लेना हो या बस का या फिर चाहे प्लेन का टिकिट ही क्यों ना लेना हो आपको लाइन में लगना ही पड़ेगा ! कहीं कोई पुलिस और फ़ौज में भर्ती के लिए बेरोजगार युवा कतारबद्ध है तो कोई स्कूल में होने बाली प्रार्थना के लिए ! आज आपको भगवान् के दर्शन भी करना हो तो आपको लाइन में खड़े होना ही पड़ेगा , भले ही आपको २४ घंटे ही क्यों ना खड़ा होना पड़े , भगवान् के दर्शन आपको बिना लाइन में लगे नहीं होंगे ! कहा जाता है की मौत का कोई भरोसा नहीं होता कब किसकी आ जाए पता नहीं , इंसान अंदाजा भी नहीं लगा पाता और ................ फिर जब हम जानबूझकर ही मौत खरीदने के लिए लाइन में लगते हों तो फिर किसको दोष दें ....... अरे भाई ........ आजकल शराब की दुकानों पर भी तो लम्बी लाइन लगने लगी हैं ! अब यहाँ भी लम्बी - लम्बी लाइनों में लगकर हम मौत खरीदते हैं ! एक बार बच्चे की स्कूल की फीस भले ही एक दिन बाद जमा कर पायें लेकिन एक शराबी घंटों यहाँ लाइन में लग सकता है ! फिर भले ही वो कितने नशे में क्यों ना हो ! इस लाइन में वह बिना बहके सीधा कतारबद्ध हो सकता है ! इस तरह की लाइनों में सिर्फ गरीब तबका , मध्यम वर्गीय , और छात्रों को , या फिर जिन लोगों को कहीं जाने की जल्दी होती है या कोई मजबूरी हो तो ही उन्हें लाइन में लगना होता है ! वर्ना आज कोई लाइन में नहीं लगना चाहता , कारण आज हर किसी को जल्दी है ! लेकिन पैसा एक ऐसी चीज है जो आपको लाइन में लगने से बचा सकती है ! क्योंकि आज पैसे ने भगवान् की जगह जो ले रखी है ! ये झूंठ नहीं है बिलकुल सच है ! आप लोगों ने भी पैसे के बलबूते कभी लाइन में बिना लगे अपना काम निकाला होगा ! एक बार मैंने भी ऐसा किया था जब में " श्री महाकालेश्वर " उज्जैन में दर्शन करने के लिए गया था ! मेरे पास समय कम था हमें बापस भी आना था और मेरे साथ ऑफिस स्टाफ भी था ! जब वहां गए और देखा कि बहुत लम्बी लाइन लगी हुई है ! उस वक़्त ऐसा लग रहा था जैसे १०-१२ घंटे तक हमारा नंबर ही नहीं आएगा ! अब क्या करें ? इतनी दूर से गए थे सो दर्शन तो करना ही था ! अन्दर जाने के उपाय ढूँढने लगे , फिर चाहे पैसे ही क्यों ना खर्च करने पड़ें ? बस आप एक बार पैसा खर्च करने का सोच लें , इस देश में आप एक बार गलत बात के लिए अपने दिमाग में विचार भी लायें तो उपाय अपने आप आपके पास चला आएगा ! और उपाय मिल गया , मंदिर के एक " पंडा " ने हमें उपाय बताया , अगर आप इस लाइन में लगोगे तो कल सुबह तक आपका नंबर आएगा पक्का नहीं है ! आप अगर १५० रूपए प्रति व्यक्ति मुझे दें तो में आपको VIP दर्शन करवा सकता हूँ बह भी आधा घंटे में ! फिर क्या था हम सबने उसको ७०० रूपए दिए और हम पांच लोगों ने VIP दर्शन कर लिए ! महसूस किया अगर लाइन में लगे होते तो जीवन निकल जाता ! ये बात बिलकुल सच है आप पैसा खर्च करें तो सब कुछ हो सकता है ! फिर चाहे लाइन में लगा हुआ आदमी घंटों से खडा हुआ क्यों ना हो !

क्या आपको गुस्सा आता है ? जब आप लाइन में खड़े हों और आपके बाद आया हुआ आप से पहले अपना काम करके चला जाए अर्थात बिना लाइन में लगे डॉक्टर से मिल ले , बस और रेल का टिकिट ले ले , स्कूल की फीस जमा करले , बैंक से पैसा निकाल ले और जमा करदे ! गुस्सा तो बहुत आता है और उसको गालियाँ भी हम बहुत देते हैं ! कमबख्त मारा ना जाने कहाँ से आ गया हम सुबह से लाइन में लगे हुए हैं हमारा अभी तक नंबर नहीं आया और ये अभी आया और अभी ......... वैसे लाइन में खड़े होना एक नियम है ! किन्तु आज नियम मानता कौन है .... शायद सभी को जल्दी है ! क्या आपको भी ?


धन्यवाद

Tuesday, February 22, 2011

ब्लॉग लेखन को एक बर्ष पूर्ण, धन्यवाद देता हूँ समस्त ब्लोगर्स साथियों को ......>>> संजय कुमार

आज २२ फरवरी है ! आज मेरे ब्लॉग लेखन को १ बर्ष पूर्ण हो गया है ! आज मैं अपने जीवन के बारे में , अपने लेखन के बारे में कुछ बातें आपके साथ बांटना चाहता हूँ ! आप अपना स्नेह मुझ पर बनाये रखें ! मैं संजय कुमार चौरसिया उम्र ३१ साल , पेशा " शेयर मार्केट" में जॉब , पिछले १४ बर्षों से मैं इस मार्केट से जुड़ा हुआ हूँ ! इन १४ बर्षों में मैंने इस मार्केट में बहुत उतार चढ़ाव देखे है ! ठीक उसी प्रकार अपने जीवन में भी ! हालांकि इस पेशे में आने से पहले भी अपने जीवन में, मैं बहुत कुछ कर चुका हूँ ! वक़्त ने कई बार मेरी कठिन परीक्षा ली और उसी वक़्त के हांथों में हर बार परीक्षा में पास हुआ ! काफी संघर्ष करने के बाद एक स्थायित्व मेरे जीवन में आया जब मैं इस पेशे में आया ! ठीक ४ बर्ष पूर्व मेरा विवाह मेरे गृह नगर , मेरे ननिहाल " कोंच " जिला जालौन उत्तर-प्रदेश में हुआ ! मेरा जन्म भी " कोंच "में ही हुआ है ! मेरी पत्नि गार्गी और मेरे दो पुत्र प्रथम " देव " एवं द्वितीय " कुणाल " हैं ! मेरी पत्नि गार्गी की पारिवारिक प्रष्ट भूमि साहित्यिक है ! और उनके परिवार में लगभग सभी लोग इस विधा में कुशल हैं ! उदाहरण के तौर पर मै आपको एक नाम बता रहा हूँ जो आज ब्लॉग जगत में एक जाना पहचाना नाम है ! और वो ही मुझे इस ब्लॉग जगत में लाये ! मेरी नजर में लेखन में वह बहुत ही कुशल एवं निपुण है ! आप उन्हें जानते हैं और वो हैं श्री दीपक चौरसिया जो " दीपक मशाल " के नाम से अपने लेखन क्षेत्र में जाने जाते हैं ! लेखन की अच्छी समझ मेरी पत्नि गार्गी को भी है , जिसका प्रमाण उन्होंने कई बार मेरे ब्लॉग पर आकर अपनी कविताओं के रूप में दिया !
अब मैं अपने बारे में बताता हूँ ! मेरे पिता काम-धंधे की तलाश में आज से २५ बर्ष पूर्व " शिवपुरी " आये थे ! मेरे पिता बहुत ही मेहनती हैं और आज भी कड़ी मेहनत करने से पीछे नहीं हटते " माँ " आज भी गृहणी ही हैं ! पिता को काम - धंधा मिला और जीवन धीरे-धीरे आगे बढ़ता चला ! परिवार में सदस्यों की संख्या ज्यादा होने के कारण मुझे भी काम करना पड़ा और मैं घर के आँगन से बाहर निकला ! उस वक़्त जो बाहर निकला तो आज तक बस " जीवन की आपाधापी " में लगा हुआ हूँ, अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए ! आज भी बड़ों के आशीर्वाद से अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को सही से निर्वाह करने की कोशिश कर रहा हूँ !
अब बात करते हैं मेरे लेखन की, मैं तो लेखन जानता ही नहीं था ! क्या होती हैं कवितायेँ ? क्या होता है व्यंग्य ? क्या लघु कथा ? इत्यादि , क्योंकि कभी इतना समय ही नहीं मिला या मेरी पारिवारिक प्रष्ट-भूमि ऐसी नहीं थी जहाँ किसी को साहित्य या अन्य कोई किताब पढ़ने का शौक हो , सो कभी लिखने के बारे मे सोचा नहीं , लेकिन छोटी सी उम्र में जीवन में बहुत कुछ देख चुका था सो बहुत सी बातें मन मे थीं सो मन की मन में ही रह गयी थीं ! एक दिन " दीपक मशाल " जी का फ़ोन आया की आपको आना है मेरे काव्य संग्रह " अनुभूतियाँ " के विमोचन पर ! इस तरह के किसी भी कार्यक्रम में ये मेरा पहला निमंत्रण था ! मुझे जाना तो था ही आखिर " सारी खुदाई एक तरफ और ............ तो पहुँच गए विमोचन पर ! उस वक़्त मैंने जाना की लेखन क्या होता है ? समझा " दीपक मशाल " को की, ये तो भई बहुत ही छुपे रुस्तम निकले मैं तो इन्हें कुछ और रूप में जानता था ! ये तो लेखन में अच्छा खासा मुकाम हांसिल कर चुके हैं ! वहां मालूम चला की ब्लॉग क्या होता है ? किसे कहते हैं ? हालांकि ब्लॉग के बारे मे सुन रखा था ! घर लौटते वक़्त मन में बहुत से विचार , बहुत से प्रश्न और उमंग लिए बापस आया ! जब मैंने पहली बार " दीपक मशाल " के ब्लॉग को खोला और पढ़ा मुझे बहुत अच्छा लगा ! सबसे पहले मैंने उनके लेखन पर टिपण्णी देना शुरू किया और टिप्पणियों का सिलसिला लगभग एक महीने तक चलता रहा ! एक दिन दीपकजी ने मुझसे कहा की आप भी क्यों लिखना शुरू नहीं करते ! आप अपने " शेयर मार्केट " पर ही कुछ लिख दीजिये , मैंने बहुत सोचा विचार किया और अपने ब्लॉग का निर्माण किया ! और एक पोस्ट लिखी वो भी बहुत सोच विचार कर " मैं इंसान किस काम का " सबसे पहले पत्नि को पढ़कर सुनाई उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ की ये मैंने लिखा है ! सही है भई मैंने अपने जीवन में कभी कोई साहित्य पढ़ा ही नहीं तो वो कैसे विश्वास करतीं , फिर भी मैंने उन्हें विश्वास दिलाया , और पोस्ट प्रकाशित कर दीपकजी को बताया उन्होंने मेरी होंसला अफजाई की मुझे ब्लॉग जगत में सबसे मिलवाया , कई बरिष्ठ लोगों ने मेरी तारीफ़ की , आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया , मुझे अच्छा लगा ! और फिर मैं धीरे धीरे पोस्ट लिखने लगा ! अपने आस-पास के माहौल , गतिविधियों , हालात को देखते हुए लिखना शुरू किया ! जब मुझे समस्त ब्लोगर्स का मार्ग-दर्शन ,स्नेह एवं प्यार मिला तो मेरा होंसला बढ़ता ही चला गया ! और आज भी आप सभी के मार्ग-दर्शन से कुछ अच्छा लिखने की कोशिश करता रहता हूँ !
आज मेरे ब्लॉग लेखन को १ बर्ष पूर्ण हो गया है ! सोचा क्यों ना आप सभी का धन्यवाद किया जाए ! मैं उन सभी को बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहता हूँ जिन्होंने मेरे लेखन की तारीफ़ की उसको सराहा , उन सभी को धन्यवाद करता हूँ जिन्होंने मेरे लेखन को नहीं सराहा , उन सभी को धन्यवाद देना चाहता हूँ जो मेरे ब्लॉग पर एक बार भी आये ! मैं सभी बरिष्ठ जनों से आशीर्वाद और मार्गदर्शन चाहता हूँ जिससे मैं आगे और भी बहुत कुछ सीख सकूँ ! आप सभी के प्रेम और स्नेह के बशीभूत होकर के ही मैं आज लिख पाता हूँ !

मैं सर्वप्रथम धन्यवाद करना चाहता हूँ " दीपक मशाल " का एवं मेरे सभी ब्लोगर्स साथियों का , सभी बरिष्ठजनों का
बहुत बहुत
धन्यवाद

Friday, February 18, 2011

खेलें हम जी जान से ... World-Cup --- 2011 ( दीजिये शुभ-कामनायें ) .... >>> संजय कुमार

कुछ दिनों पहले " आशुतोष गोवारीकर " की एक फिल्म आई थी जिसका नाम था " खेलें हम जी जान से " अभिषेक बच्चन , दीपिका पादुकोण अभिनीत ! यह फिल्म कब आई कब चली गयी किसी को पता तक ही नहीं चला ! फिल्म आधारित थी क्रांतिकारी प्रष्ट-भूमि पर ! भले ही इस फिल्म के क्रांतिकारी ना चले हों , किन्तु इस फिल्म के टाइटल से मुझे अपनी भारतीय क्रिकेट टीम का अचानक ध्यान आ गया ! अगर हमारी टीम वाकई जी जान से खेल गयी तो इस बार वर्ल्ड-कप भारत की झोली में आने से कोई रोक नहीं सकता ! इस बार फिर उम्मीदें जागी हैं , इस बार फिर तैयार है हम टेलीविजन से चिपकने के लिए ! पूरे देश की निगाहें इस बार भारतीय टीम पर हैं ! एक भारतीय होने पर हम गर्व करते हैं ! गर्व करते हैं अपनी टीम पर ! इस बार ऐसा " दे घुमाके " छूट जाएँ विरोधी टीमों के छक्के " सब खेलो " जी जान से "

गुजारिश है भारतीय टीम से ...........
१. सचिन तेंदुलकर ( जो सपना १० बर्ष की उम्र में देखा था , अब तो उस सपने को पूरा कर लो )
२. वीरेंदर सहवाग ( आतंकवादी विस्फोटों से जिस तरह भारत दहल गया , उसी तरह दहला दो विरोधियों को ये " मुल्तान के सुलतान " )
३. महेंद्र सिंह धोनी ( जो कपिल ने १९८३ में किया , अब वो तुम्हें करना है " माही " )
४. गौतम गंभीर ( अब है असली परीक्षा , अब देश के लिए हो जाओ " गंभीर " )
५. युवराज सिंह ( छक्कों के सिकंदर , माफ़ करना क्रिकेट में, अपनी शक्ति को याद करो हे" युवराज " )
६. विराट कोहली ( अभी तक जो किया वो कुछ नहीं था ! अब अपना विराट रूप दिखाना होगा )
७. सुरेश रैना ( अगर नहीं चले तो टीम में नहीं " रैना " )
8. युशुफ पठान ( तुम्हारा जो रौद्र रूप कुछ दिनों पहले देखा , अब बार - बार दिखाना होगा )
9. हरभजन सिंह ( हे भज्जी अब इस्तेमाल करना होगा अपने " दूसरा " का वर्ना अगली बार तुम्हारी जगह कोई दूसरा )
10. ज़हीर खान ( अपनी गेंदबाजी में लाओ हवा का बबंडर , ना रहे कोई टिका तुम्हारे सामने )
11. आशीष नेहरा ( जो वर्ल्ड- कप २००३ में किया , अब बही इस बार करना होगा , वर्ना समझ लो )
12. एस. श्रीसंथ ( बिल्ली के भाग से छींका टूटा , अब इस कहावत को चरितार्थ करो , जगह मिली प्रवीण की )
13. पियूष चावला ( अगर मौका मिला तो बता देना , " हम किसी से कम नहीं " )
१४. मुनफ पटेल ( कुछ ऐसा करो कि तुम्हें भी लोग जानने लगें )
१५. आर. अश्विन ( दुआ करो तुम्हें भी मौका मिले )

" गुजारिश " करो प्रार्थना , करो दुआ , दीजिये शुभ-कामनायें , अब सपना पूरा हो हम भरतीयों का , दिखादें अपने शेर अपनी बहादुरी क्रिकेट के मैदान में ......... आइये मिलकर दे शुभ-कामनायें अपनी क्रिकेट टीम को

धन्यवाद

Tuesday, February 15, 2011

क्या आपके पास वक़्त है ? क्या आपके पास खुशियाँ हैं ? ( सोचिये ) ..... >>>> संजय कुमार

आज हम सब जिस युग में जी रहे हैं उस युग को आधुनिक युग कहते हैं ! भागमभाग भरी जिंदगी , चारों और शोरगुल , चौबीसों घंटे जागने बाला इंसान , अपनों से दूर , अपनेपन से दूर , ना परिवार का साथ ना बच्चों के सिर पर हाँथ ! अगर कुछ है तो काम का बोझ , अशांत मन और सब कुछ अस्त-व्यस्त ! आज हम सब वक़्त के साथ - साथ चल रहे हैं या साथ चलना चाहते हैं ! अच्छी बात है क्योंकि वक़्त गया सो सब गया ! जो वक़्त के साथ नहीं चल रहे हैं उनकी दुनिया आम इंसानों से थोडा अलग - थलग होती है ! अगर इन लोगों ने वक़्त के साथ चलना नहीं सीखा तो वक़्त की मार सब कुछ अपने आप सिखा देगी ! वक़्त के साथ साथ चलते -चलते आज हम इतना आगे निकल आये हैं , कि ठहर कर लगता है जैसे सब कुछ पीछे छुट गया हो ! जब हम सब आधुनिक हो गए हैं, तो आधुनिकता का अच्छा और बुरा परिणाम भी हम लोगों को भुगतना होगा ! इस आधुनिकता के जितने फायदे हैं उतने ही नुक्सान ! आधुनिकता से देश एवं समाज जितना प्रगति कर रहा है ! विश्व पटल पर हमारा देश अपनी तरक्की का परचम लहरा रहा है ! चारों तरफ खुशनुमा माहौल ! सब कुछ इंसान के कड़े परिश्रम का फल ! इस तरक्की में इंसान अपना असली जीवन जीना भूल गया , और वो जीवन है चैन और सुकून , खुशियों भरे पल का ! सुकून इंसान के जीवन का वह पल है जिसके के लिए इंसान अपनी पूरी जिंदगी निकाल देता है ! फिर भी इन्सान पूरी उम्र तरसता रहता हैं बस उस एक पल के सुकून के लिए जो सुकून होता है सिर्फ क्षणिक भर का और कुछ पलों का ! और यह पल इंसान के जीवन में कब आते हैं और कब यह पल निकल जाते हैं इसका अंदाजा तो इंसान कभी लगा ही नहीं पाता ! जब इंसान हर तरफ से निराश और हताश जो जाता है तब फिर तैयार हो जाता है वह सब कुछ करने के लिए जो उसे एक पल का ही सही पर सुकून अवश्य दे ! इंसान को सुकून कब मिलता है ? क्या कोई है जिसने इस दुनिया में सुकून पाया हो ! मैं जब ढूँढने निकला तो मुझे एक भी नहीं मिला ! आज की भागदौड़ में हम अपने जीवन में कितना भी कर लें , कुछ भी कर लें पर सुकून तो जैसे हमसे इतनी दूर है कि लगता है हमारा पूरा जीवन ही निकल जायेगा ! इस एक पल के सुकून को हांसिल करने में !

" जीवन की आपाधापी " में इंसान आज इतना उलझा हुआ हैं जहाँ दिन प्रतिदिन बढ़ती समस्याएं , उस पर मंहगाई की मार पारिवारिक वातावरण में अपनेपन का अभाव ! आस -पास का प्रदूषित माहौल सब कुछ इंसान से उसकी खुशियाँ छीन रहा है ! जीवन में ढेर सारी उलझनें जिनसे निकलना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन सा लगता है ! आज इंसान ने अपने आप को इतना व्यस्त कर लिया है कि, वह सुकून और ख़ुशी को महसूस ही नहीं कर पाता और जब महसूस करने का वक़्त आता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है ! जब इंसान अच्छे पलों को फायदा नहीं उठाता उन्हें खुशनुमा नहीं बनाता तब तक उसकी खुशियाँ उससे बहुत दूर हैं ! जब इंसान अपनी और परिवार की खुशियों में शामिल नहीं होता तब बह वह धीरे - धीरे दूर होता जाता है , अपनों से, अपने समाज से ! जब बह अपना ध्यान तक नहीं रखता फिर किसी और का का ध्यान कैसे रखेगा ! इंसान आज लगा हुआ है मशीनों कि तरह काम करने के लिए बह भी कभी ना रुकने बाले घोड़ों कि तरह !जब इंसान कभी ना खत्म होने बाले जीवन के कार्यों में जुट जाता है तो खुशियाँ और सुकून उससे कोसों दूर हो जाते हैं ! आज इन्सान ने अपनी जरूरतें इतनी पैदा कर ली हैं जिन्हें पूरा करते करते इंसान पर बुढ़ापा तक आ जाता है फिर भी जरूरतें कभी पूरी नहीं होती अपितु जरूरतें समय के साथ- साथ और बढ़ती जाती हैं ! एक समय था जब इंसान अपने जीवन में सुख और सुकून का अनुभव करता था ! तब इंसान आज की तरह आधुनिक नहीं था और ना ही उसकी जरूरतें ज्यादा थी ! उस वक़्त इंसान को चाहिए था रोटी -कपडा -मकान जो उसके पास होता भी था ! क्योंकि उस वक़्त इंसान थोड़े में ही सब्र कर लेता था ! उसका सबसे बड़ा हथियार सब्र था जो उसे हमेशा सुकून और सुख का अनुभव कराता था फिर वह पल, पल भर का ही क्यों ना हो ! तभी तो आज के कई बुजुर्ग यह कहते हैं कि, समय तो हमारा था जिसमें इंसान के पास सब कुछ था जो हमें चैन और सुकून देता था ! जितनी चादर उतना ही पैर फैलाता था और उठाता था जीवन में सुख और सुकून का आनंद ! लेकिन आज के चकाचौंध और भागमभाग माहौल में उसे यह सब कुछ देखने को नहीं मिलता !अगर जीवन में पाना है सुकून और सुख की अनुभूति ! तो जुड़े रहिये अपने परिवार के साथ, जुड़े रहिये अपने समाज के साथ अपने मित्रों के साथ समझें उन्हें और उनके महत्व को ! ना दौड़ें अंधों की तरह आधुनिकता और सब कुछ पाने के लिए ! आज इन्सान के शौक इतने हो गए हैं की जीवन भर वह उन्हें पूरा नहीं कर सकता !

इंसानी इक्षाएं तो अन्नंत हैं ..........जिनका कोई अंत नहीं ............ और सुकून होता है पल भर का ........तो उस पल को महसूस करें.............जीवन का आनंद उठायें ..............

धन्यवाद

Saturday, February 12, 2011

ये है तीन का तड़का ......>>>> संजय कुमार

जब हम छोटे थे तो स्कूल में या अपने यार दोस्तों के बीच एक शब्द कई बार सुनते थे कि, " तीन तिगाड़ा ,काम बिगाड़ा " इसका मतलब हुआ कि आप अपना  कोई भी काम औने -पौने में ना करें ! बड़े हुए तो देखा घर में " माँ " कभी भी थाली में तीन रोटियां नहीं रखती थी , रखती थीं दो या चार ! आज भी शायद यही स्थिती है हम सब  के घरों में ! ये कोई शगुन है या अपशगुन आज तक समझ नहीं आया !  मेरी नजर में चाहे एक हो या दो या हों तीन या चार सबका अपना -अपना अलग महत्त्व होता है ! आप जानते हैं  भगवान् शिव को " त्रिनेत्र  " कहा जाता है ! इंसान के जीवन में तीन का भी बहुत महत्त्व है ! महत्व तो बहुत सी चीजों का होता है बस फर्क सिर्फ इतना है कि हम उन्हें कितना महत्त्व देते हैं !  इंसान के जीवन से जुड़े " तीन " को हमें कभी नहीं भूलना चाहिए !  इंसान के जीवन से जुडी कुछ चीजें यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ ! ( कुछ अंश एक एस  एम्  एस से लिए गए हैं )

इंसान के जीवन तीन चीजें ऐसी हैं जो उसे सिर्फ एक बार मिलती हैं 
१. माता-पिता  ( इंसान की उत्पत्ति इन्हीं से होती है , ईश्वर से बढकर है ये )
२. जवानी        (  इंसान के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण समय , जीत सको तो जग जीत लो )
३. हुस्न           ( जवानी के साथ हुस्न भी अनमोल है , हुस्न गया सब गया, हुस्न के लाखों रंग - कौनसा रंग देखोगे  )

तीन चीजें इंसान को बहुत सोच समझकर उठानी चाहिए !
१. कदम         ( आपका उठाया गया एक गलत कदम आपका जीवन नष्ट एवं बर्वाद कर सकता है )
२. कसम        ( वादा करो तो ऐसा की " प्राण जाए पर वचन ना जाये " )   
३. कलम        ( कलम की ताकत को हम सब अच्छी तरह से जानते हैं , उठाओ सच्चाई के लिए ना की झूंठ के लिए ) 
तीन चीजें इंसान को बहुत सोच समझ का करना चाहिए , एक गलती जीवन भर भुगतान 
१. मोहब्बत    ( आज-कल मोहब्बत अंधी होती है , अब इसके बारे में क्या कहूं ? )
२. बात           ( अब बात कम बतंगड़ ज्यादा होता है वो भी गाली-गलौच और अशिष्ट )
३. फैंसला       ( आजकल सब्र पूरी तरह खत्म हो चुका है , फैंसला " ON THE SPOT "  )

इंसान के जीवन में तीन चीजें कभी इन्तजार नहीं करती  
१. मौत           ( रोज -रोज होते सड़क हादसों से लें सबक )
२. वक़्त         (  लोहा जब गर्म हो तो हतौड़ा मार देना चाहिए , वर्ना " पछतावे होत का जब चिड़िया चुग गयीं खेत " )
३. उम्र          ( उम्र कभी किसी का इन्तजार नहीं करती , जाग वन्दे अब ना जागेगा तो कब जागेगा )

इंसान को इन तीन चीजों को कभी छोटा नहीं समझना चाहिए 
१. कर्ज       ( किसान का पूरा जीवन कर्ज में ही निकल जाता है )
२. फर्ज      ( फर्ज पर कुर्बान देश भक्तों को सलाम )
३. मर्ज़      ( एक चींटी हांथी पर भारी पड़ जाती है ) 

इंसान को दर्द होता है इन तीन चीजों से 
१. धोखा    ( आज पल -पल पर धोखा खाता इंसान , धोखा अब इंसानी फितरत बन गया है )
२. बेबसी  ( उफ्फफ्फ्फ़ ये बेबसी कब दूर होगी )
३. बेवफा  ( तेरी बेवफाई में ऐ सनम दिल दिया दर्द लिया )

तीन लोग इंसान को हमेशा खुश रखेंगी 
१. भगवान्  ( आज भी हम हर मुश्किल वक़्त में इन्हीं को  याद करते है )
२. दोस्त     ( सच्चे दोस्त पर सब कुछ कुर्बान )
३. मेरा ब्लॉग  (  जो नए नए व्यंग्य , सन्देश और विचारों से भरा होगा ) 

ये सब सच है ! कैसा लगा आपको ये तीन का तड़का , जरुर बताएं

धन्यवाद

Wednesday, February 9, 2011

क्या आपको कभी कोई पछतावा हुआ ? क्रोध एवं आवेश में उठाये गए कदम का .....>>>> संजय कुमार

कहा जाता है क्षण भर का आवेश और  क्रोध इंसान के जीवन-भर को कड़वाहट और दुखों से भर देता है ! शायद ही इस प्रथ्वी पर कोई हो जिसे कभी गुस्सा या क्रोध ना आया हो , इंसान तो क्या भगवान् भी इससे नहीं बच पाए !  क्या  कभी आपने सोचा है  आपका जरा सा क्रोध किसी की जान भी ले सकता है ! आप अपने क्रोध पर काबू ना पाकर , कई लोगों की जिंदगी में जहर घोल देते हैं ! इतना ही नहीं इस जहर से आप स्वयं भी नहीं बच पाते ! इसीलिए कहा जाता है इंसान के जीवन में सब्र एक महत्वपूर्ण गुण होता है ! जिन लोगों में सब्र की कमी है, जिन्हें जरा - जरा सी बात पर गुस्सा आ जाता है वे कभी  अपनी ऊंची मनोकामनाओं को पूरा नहीं कर सकते ! एक प्रतिभाशाली व्यक्ति भी अपने  गुस्से के कारण  कभी -कभी अपने उद्देश्य से पिछड़ जाता है ! हम लोग आये दिन ऐसी घटनाएं सुनते रहते है या अब ऐसी घटनाएं सुनने की आदत सी हो गयी है ! कहीं कोई किसी की हत्या कर देता है , कोई चोरी कर लेता है , तो कोई किसी को घायल कर देता है ! या फिर पूरा का पूरा परिवार ही खत्म कर देता है ! सिर्फ और सिर्फ आवेश या क्रोध में आकर ! इसका पछतावा इंसान को जब होता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है ! जब एक साधारण इंसान सिर्फ अपने गुस्से के कारण अपराधी बनता है या ऐसा कोई अपराध करता है जिसकी सजा उसे पूरी जिंदगी कैद में रहकर गुजारनी पड़ती है तब जाकर उसे अपनी गलती का अहसास होता है ! किन्तु उसे अपने क्रोध की सजा के रूप में अपनी आजादी , अपना सुख -आनंद एवं शांति तक खोनी पड़ती है ! बहुत से लोग आज अपने क्रोध की सजा काट रहे हैं ! क्रोध में आकर पति, पत्नि पर  हाँथ उठा देता है और पत्नि , पति पर हाँथ उठा देती है ! पति-पत्नि  में इस तरह कि नौबत पूरे जीवन भर नहीं आणि चाहिए अगर इस तरह कि घटना कहीं हुई है तो उसे भूल जाना ही बेहतर होगा , वर्ना इस बात का गुस्सा या क्रोध जीवन भर एक दोसरे को अन्दर ही अन्दर दीमक कि तरह खता रहेगा ! कभी कभी इन दोनों के क्रोध की सजा बच्चों को भुगतनी पड़ती है ! कई घटनाएँ ऐसी देखि और सुनी कि , पति-पत्नि के झगडे में बच्चों को अपनी जान  से हाँथ धोना पड़ा , वो भी सिर्फ क्षणिक गुस्से के कारण !   क्रोध एवं आवेश का  सीधा असर आज वैवाहिक जीवन पर पड़ रहा है !  कभी - कभी बात इतनी बड़  जाती है की नौबत तलाक तक आ जाती है ! ऐसे  कई मामले हमने देखे हैं जहाँ छोटी सी बात पर सब कुछ तबाह हो गया ! आज हम लोग व्यर्थ का गुस्सा कर अपना जीवन तबाह कर रहे हैं ! हम लोग क्रोध में आकर  अपनों को अपमानित करने से भी नहीं चूकते , क्या ये सही है ? ऐसा नहीं है की  गुस्सा सिर्फ अनपढ़ और नासमझ को ही आता है बल्कि पढ़ा -लिखा और समझदार इंसान भी अपने  गुस्से  और क्रोध पर नियंत्रण नहीं रख पाता ! आज कल बड़े बड़े ऑफिस - कार्यालयों में काम करने बाले ऊंचे पदों पर वैठे अधिकारी और कर्मचारी भी गलतियाँ करते हैं ! कई बार एक बड़े अधिकारी को अपने गुस्से के कारण अपना पद तक छोड़ना पड़ा ! कई बार बड़े बड़े दूकानदार भी अपने विचार औरों पर थोपने के कारण अपना धंधा तक चौपट कर बैठते हैं ! कभी- कभी बात इतनी बड़  जाती है की गालियाँ और मारपीट तक हो जाती है ! उसके बाद क्या होता है ? यह बात हम सब अच्छी तरह जानते हैं और यह बात जानता है क्रोध करने बाला भी,  फिर भी क्रोध करता है ! कभी - कभी  ईर्ष्या , द्वेष  एवं प्रतिशोध की भावनाएं भी क्रोध का एक बहुत बड़ा कारण होती हैं ! आज तक बड़ी-बड़ी लड़ाईयां , झगडे , दुर्घटनाओं का कारण इंसान का क्रोध ही रहा है ! 
यह एक सच है जिसे हम जानते हैं पर मानते नहीं कि , क्रोध इंसान को चाट जाता है अन्दर तक खोखला कर जाता है ! आज इंसानों को होने बाली बड़ी-बड़ी बीमारी का कारण कहीं ना कहीं क्रोध और गुस्सा है ! आज के युग में स्वार्थ भी क्रोध का एक बड़ा कारण है !  एक बार गुस्सा होने पर एवं क्रोध दिखाकर हमारा मन बहुत समय तक अशांत एवं व्यथित रहता है ! 
आज इंसान, इंसान ना होकर एक मशीन बन गया है जिस तरह मशीन के दिल और भावनाएं नहीं होती ठीक उसी प्रकार आज का  इंसान भी अन्दर से खोखला और बेजान हो गया ! सब्र का दूर - दूर तक नामोनिशान नहीं ! अपनत्व कि कमी भाईचारा क्या होता है ? कब का भूल गए ," जीवन कि आपाधापी " में  ऐसे लगे हैं,  चौबीस घंटे काम और सिर्फ काम अब  ना दिन की खबर ना  रात का पता ! एक तो परिवार के लिए समय नहीं उस पर काम का बोझ , ऑफिस का तनाव फिर क्रोध और गुस्सा , आखिर इंसान करे तो क्या करे .........सिर्फ गुस्सा ही कर सकता है ! 
क्या  आपने भी कभी अपने जीवन में क्रोध एवं गुस्सा किया है , या कभी कोई ऐसा काम किया जिस पर आपको कोई पछतावा हुआ हो ........ यदि है तो बताएं ...... यदि नहीं , तो  अपने जीवन में पूरी कोशिश करें या अपने आप से वादा करें कि , कभी भी क्रोध एवं गुस्से में आकर कोई गलत कदम नहीं उठाएंगे .........


धन्यवाद 

Sunday, February 6, 2011

प्रभु का होना ....>>>> संजय कुमार

जो व्रत धरा वो व्यर्थ गया

पवित्र रहना सजा हो गया

जो तुमने सिखलाया था " माँ " मुझको

वो चरित्र भीड़ को गवारा ना हुआ

क्योंकि है, यह ज़माना कलियुग का

सतयुग कब का चला गया !

" अंत भला सो सब भला "

यह मुहावरा " अपवाद " हो चला

क्षणिक सुख की समझदारी --

जिसने यह समझ लिया

बही जमाने को भला लगा !

पर मेरा धीर अब टूट रहा

क्यों ? तुमने " माँ " मुझमें ये रमा दिया

कि,

" इंसान बही भाये जिसे सिर्फ  प्रभु का होना "




( प्रिये पत्नी गार्गी चौरसिया की कलम से )

धन्यवाद

Thursday, February 3, 2011

" मुंगेरीलाल " का हसीन सपना ..... ( व्यंग्य ) ....>>> संजय कुमार

आज बहुत दिनों बाद हमारे प्यारे " मुंगेरीलाल जी " ने एक सपना देखा है ! हालांकि सपने तो वो रोज देखते हैं ! किन्तु इस इस बार " मुंगेरीलाल " ने एक हसीन सपना देखा है ! वो भी दिन में , अक्सर कहा जाता है दिन में देखे गये सपने अधिकतर सच होते हैं ! उन्होंने अपने सपने में देखा, उनके चारों ओर पैसा ही पैसा है अब वह गरीब नहीं है !( ये सपना तो हर कोई देख रहा है ) उनके साथ -साथ अब कोई गरीब नहीं है ! महगाई भी अब (-) में आ गई है ! जिस तरह दिन-प्रतिदिन " संवेदी-सूचकांक " नीचे आ रहा है ! अब लोगों को १ किलो आलू खरीदने के साथ ५ किलो प्याज मुफ्त मिल रही है ! ( अच्छा ख़ासा मजाक है ) पट्रोल भी अब बहुत सस्ता हो गया है ! पेट्रोल अब पानी की तरह मिल रहा है वह भी बाल्टी भर-भर कर , इतना सस्ता की गरीब पानी की जगह पेट्रोल मांग रहा है ! फिर भले ही इस देश में " पानी मंहगा सस्ता खून " हो ! आज का युवा अब बेरोजगार नहीं है ! उसके पास ढेर सारा काम है ! आज का युवा नशे से कोसों दूर और संस्कारों से सरावोर है ! अब राजनीति और नेता भ्रष्ट नहीं है !अब राजनीति में जातिवाद और भाई-भतीजावाद नहीं है सभी को समान द्रष्टि से देखा जा रहा है ! अब ना ही आरक्षण है और ना ही आरक्षण का मुद्दा ! अब गरीब को दर-दर की ठोकर नहीं खाना पड़ती और ना ही ठण्ड में अपने प्राण गंवाने पड़ते हैं ! अब सबके सिर पर छत है ! अब देश में चारों ओर हरियाली और खुशहाली का वातावरण है ! अब देश में सोने की चिड़िया फिर से चहचहाने लगीं है ! आतंकवाद का तो दूर-दूर तक नाम नहीं हैं ! हिदू-मुस्लिम-सिख -ईसाई , सब भाई-भाई , अब यह सिर्फ एक जुमला नहीं बल्कि सच है ! " मुंगेरीलाल " एक ऐसी दुनिया में जा चुका था जहाँ सिर्फ अच्छा ही अच्छा था ! हर कोई अपनी मस्ती में चूर , गम का दूर दूर तक कोई नामोनिशान ना था ! अब कहीं लफड़े -झगडे नहीं , चोरी -चकारी , लूट खसोट नहीं ! अब प्रेमी-प्रेमिकाओं का प्रेम परवान चढ़ रहा है ! अब लैला - मंजनू , हीर -रांझा जुदा नहीं होते ! आज ना रावण है और ना कंस हर तरफ राम और श्याम हैं !

जब "मुंगेरीलाल " ने मुझे अपने इस सपने के बारे में बताया तो मुझे समझ नहीं आया की मैं उसे क्या जबाब दूं इस तरह का सपना सुनकर मैं दंग रह गया ! कुछ सोचविचार कर मैंने कहा " अरे मुंगेरीलाल तुम किस दुनिया में खोये हुए हो जागो जागो अब ज़माना बदल गया है ! अब इस तरह के सपने देखना छोड़ दो ! क्या कभी किसी के सपने पूरे हुए हैं आज तक जो तुम्हारा सपना पूरा होगा ! " अरे भाई सपने तो सपने होते हैं फिर सपने चाहे दिन में देखो या रात में वो पूरे नहीं होते ! अगर सपने पूरे होते तो आज "आडवानीजी " देश के प्रधानमंत्री होते ! आज बिहार में लालू की लालटेन भी जल गयी होती ! "सौरभ दादा " IPL में चुने गए होते ! कश्मीर पाकिस्तान का हो गया होता ! आज सलमान और विवेक की " ऐश " होती ! अरे कहाँ इन ख्यालों में खोये हुए हो ! इस तरह के सपने देखना अब आम जनता के लिए दंडनीय अपराध घोषित कर दिए जायेंगे ! तुम तो जानते हो हम आम इंसानों को पहले बड़े-बड़े सपने दिखाए जाते हैं, और फिर प्यार से उन्हें तोड़ दिया जाता है, या फिर उनके पूरे होने के कोई चांस नहीं होते ! जहाँ सरकार और मंत्री , चुनाव के पहले आम जनता से बड़े-बड़े वादे करते हैं सुनहरे सपने दिखाते हैं और फिर बही हमारे सपनों को तोड़कर चकनाचूर कर देते हैं ! माना कुछ लोग अपने सपने पूरे कर लेते हैं " रतन टाटा " ने नैनो के रूप में अपना सपना साकार किया लेकिन सरकार ने पेट्रोल के दाम बढ़ाकर गरीब का सपना तोड़ दिया ! अब गरीब कार तो क्या मोटर सायकल भी नहीं चला पा रहा ! माना सचिन ने २०० का सपना देखा और पूरा कर लिया , अरे भाई " " WORLD-CUP " तो अभी सपना ही है ! ( काश इस बार ये सपना सच हो जाए , सचिन के साथ पूरा देश इस सपने को देख रहा है ) अब सपने कहाँ पूरे होते हैं ! खासकर आम जनता जिसमें गरीब ,बेरोजगार , मजदूर को तो आज सपना देखने का भी हक नहीं है !

सपने भी कई तरह के होते हैं ! जो सपने देखते हैं उनके पूरे नहीं होते जो नहीं देखते उनके पूरे भी हो जाते हैं ! उदाहरण तो कई है , जिन्होंने सपने में भी नहीं सोचा होगा उनको सब कुछ बिना सपना देखे मिल गया ! " प्रधानमंत्री " की कुर्सी , बिन मांगे " ऐश " सोएब को सानिया " ओबामा को व्हाइट हॉउस और भी लम्बी फेहरिस्त है !

अगर आपका भी कोई सपना पूरा हुआ हो तो अवश्य बताएं ..........

धन्यवाद


Tuesday, February 1, 2011

सूत्र ........( जीवन के ) .......>>> संजय कुमार

सिखलाया गया था हमें , कि लड़ना है बुरी बात ,
माना हमने भी कि हाँ लड़ना है बुरी बात
पर ? जीना है अगर , तो है यही अच्छी बात
जूझने की अगर तुममें हो अधिक से अधिक क्षमता
तो है यही सबसे अच्छी बात
जिंदगी आसान नहीं इतनी अब
जितनी हुआ करती थी कभी
अब वो वक़्त नहीं
सूत्र भी वदल गए हैं ! वक़्त और हालात के साथ
बुरा था कल जो ,
आज बही अच्छा है ,
अपने थे कल सब यहाँ ,
खुद ही खुद के नहीं आज हम यहाँ ,
जूझ नहीं पाते अगर हम , तो खुद को मिटा लेते
रहते हैं अगर हम शांत
तो , लोग हमें रौन्धते हुए कुचल कर चले जाते हैं
दिए थे कुरुक्षेत्र में अर्जुन को , जो उपदेश श्रीकृष्ण ने
अपनाना पढ़ते हैं अब उन्हें जिंदगी के कुरुक्षेत्र में !
लागू होता अगर एक ही सूत्र
हर वक़्त हर जगह , तो --
अवतरित ना होते राम सतयुग के
द्वापर युग में कृष्ण रूप में
इसलिए खुद के आचरण पर
है अगर आंतरिक संतुष्टि तुम्हें
तो इस बात को जाने देना
कि लोग हैं क्या कहते !

( प्रिये पत्नी की कलम से )

धन्यवाद