Tuesday, October 25, 2011

दीपावली की बहुत बहुत शुभ-कामनाएं ....... >>> संजय कुमार










आप सभी ब्लौगर साथियों एवं परिवार के समस्त सदस्यों को पावन पर्व दीपावली की बहुत बहुत हार्दिक शुभ-कामनाएं , यह पर्व आपके जीवन में ढेर सारी खुशियाँ लाये , आप सभी परिवार सहित हर्ष-उल्लास के साथ यह पर्व मनाएं , यह पर्व आपके अंधकारमय जीवन में प्रकाश लाये , आप स्वस्थ्य रहें , मस्त रहें , धन की देवी " माँ लक्ष्मी " आप पर सदा महरबान रहें ! देवी " माँ सरस्वती " की असीम कृपा आप पर बनी रहे ! " श्री गजानन " आपको बल बुद्धि प्रदान करें ! आपका अपने परिवार के साथ असीम प्रेम और स्नेह का भाव जीवन भर बना रहे !


दीपावली की बहुत बहुत शुभ-कामनाएं ............दीपावली की बहुत बहुत शुभ-कामनाएं


शुभ-कामनाओं सहित
संजय कुमार चौरसिया


शिवपुरी ( मध्य-प्रदेश ) 09993228299


धन्यवाद

Saturday, October 22, 2011

आज मेरे सीने में दर्द है ! क्या आपके भी ? .....>>> संजय कुमार

अरे नहीं...... नहीं...... नहीं ..... भई , मुझे ना तो हार्ट अटैक आया है और ना ही मैं कोई ब्लड प्रेसर का मरीज हूँ और ना ही मैं बीमार हूँ ! दर्द मेरे सीने में नहीं है, ये तो मैं आजकल हमारे देश के नेताओं की हालत को देखते हुए लिख रहा हूँ ! हाँ भई आजकल हमारे देश के सभी छोटे - बड़े राजनेताओं को सीने में दर्द की शिकायत है ! ( सीने में दर्द की शिकायत है , या फिर जेल में ना रहने की शिकायत है ) " २ जी " घोटालेबाज , राष्ट्रमंडल खेल आयोजन कर्ता घोटालेबाज , जमीन घोटालेबाज , संसद में वोट के बदले नोट , में शामिल घोटालेबाज , कर्णाटक में जमीन और खदान में शामिल घोटालेबाज , सोने की कुर्सियों पर बैठने वाले बंधू , सत्यम कंप्यूटर का घोटालेबाज , ऐसे हजारों घोटालेबाज हैं ! अब मैं थक गया हूँ और घोटालेबाजों का नाम लिखते लिखते , अगर मैं सभी का नाम लिखने बैठूंगा तो शायद २-३ दिन और लग जाए और लिखते - लिखते कहीं मेरे सीने में ही दर्द ना होने लगे ! क्योंकि अब तो हर दिन एक नया घोटाला हमारे सामने उजागर हो रहा है ! हाँ मैं बात कर रहा था सीने में दर्द की शिकायत का , ये देश के सभी नेताओं में पाया जाता है ! आज तक जो भी बड़ी हस्ती जेल गयी है उसे जेल जाते वक़्त या फिर जेल में पहुँचने के साथ ही ये शिकायत १०० % हुई है ! पिछले ५-१० सालों का रिकार्ड उठाकर देख लीजिये हर बड़ा राजनेता , आला अधिकारी , या फिर इस देश का सबसे बड़ा भ्रष्टाचारी जो भी हो , जब पहली बार जेल गया तो उसे सीने में दर्द अवश्य हुआ है ! देश के छोटे-मोटे गुनाहगार ( विचाराधीन कैदी ) जो जेल में बर्षों से सड़ रहे हैं , शायद ही उन्हें कोई शिकायत हुई हो या उनके सीने में भी कभी दर्द हुआ हो , किन्तु हमारे देश के भ्रष्टाचारी अरबों - खरबों का घोटाला करने वाले , गुनाह करने वाले , गुनाह करने के बाद यदि एक बार पकडे जाते हैं और उन्हें जेल जाना पड़ता है तो कुछ को तो जेल ले जाते वक़्त ही और ही और कुछ को जेल पहुंचकर , उनके सीने में दर्द होना शुरू हो ही जाता है ! जेल से बचने का ये राम बाण देश के हर बड़े नेता को मालूम है ! इसके विपरीत अगर दर्द की परिभाषा पर थोडा सा गौर कीजिए ! आज दर्द तो देश की आम जनता की सीने में है जो देश के भ्रष्टाचारियों से पीड़ित है ! आज दर्द तो गरीब जनता के सीने में है जिनका हक जिनके लिए चलाई जाने वाली सेंकडों योजनाओं का फायदा देश के छोटे - बड़े नेता और आला-अधिकारी उठा रहे हैं ! गरीबों को मिलने वाला अनाज आज देश के साहूकारों के गोदामों में भरा पड़ा है ! आज लाखों टन अनाज बिना बात के सड़ रहा है और दूसरी ओर देश में कुपोषण के शिकार मासूम दिन -प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं ! दर्द तो देश की रक्षा में शहीद जवानों की बिधवाओं के सीने में है , जो हमारे देश के नेताओं द्वारा ही दिया गया है ! ( आदर्श सोसायटी ) फिर भी एक आस लगाये बैठीं हैं ! दर्द तो देश के युवाओं के सीने में है जो गन्दी राजनीति का शिकार होकर अपने लक्ष्य से भटक कर गलत राह पर चल पड़े हैं ! दर्द तो उन ठुकराए हुए माँ-बाप के सीने में है जिन्होंने हर दुःख उठा कर अपने बच्चों का भविष्य बनाया और उन्ही बच्चों के कारण आज दर-दर की ठोकर खाने को मजबूर हैं ! इंसानी दर्द के किस्से अनेक हैं जो सच्चे हैं ! इस दर्द की दवा शायद किसी के पास नहीं है ! इस भ्रष्ट मायानगरी में , भ्रष्ट राजनीति में अभी अनेकों दर्द के किस्से सुनने को मिलेंगे ! और हम सब उस दर्द की सच्चाई से भलीभांति परिचित हैं !


आज मेरे सीने में दर्द है ! क्या आपके भी ?


धन्यवाद

Sunday, October 16, 2011

क्या आप दबंग हैं ? क्या आप दबंग बनना चाहते हैं ? ....>>> संजय कुमार

जब हम दबंग नाम सुनते हैं तो हमारे दिमाग में किसी हट्टे-कट्टे , चौड़ी छाती वाले रौबदार इन्सान का चेहरा याद आता है ! दबंग नाम सुनते ही हमें किसी रसूखदार या किसी उच्च जाति या किसी गुंडे - मवाली , तेज- तर्रार व्यक्ति का ध्यान आता है ! क्योंकि आज तक हमने ऐसे ही दबंगों के बारे में सुना है , जो किसी निम्न जाति को अपना रुतबा दिखाते हैं या किसी अबला को सरे राह बेइज्जत करते हैं ! किसी कमजोर पर अपनी ताक़त आजमाते हैं ! क्योंकि कई बार मैंने इसी तरह की दबंगियाई अखबारों में पढ़ी है ! क्या ऐसे लोगों को दबंग कहेंगे ! देखा जाय तो ये सब तो नाम के दबंग हैं ! दबंगियाई, किसी निर्धन की निर्धनता का मजाक उड़ाना नहीं होता और ना ही किसी निम्न जाति के इन्सान पर अपना बिना बात का रौब झाड़ना ! बिना बात किसी को परेशान करना भी दबंगता की निशानी नहीं है ! असली दबंग तो वो होता है जो अपना और अपने घर-परिवार , समाज और देश का नाम रौशन करता हैं ! आज मैं जिन दबंगों की बात कर रहा हूँ , ये वो दबंग हैं जिनकी दबंगियाई का लोहा आज पूरे देश ने माना है ! देश के ऐसे दबंग जिन्होंने देश का नाम विश्व स्तर पर ऊंचा किया हैं ! राष्ट्रमंडल खेलों में हुए अरबों रूपए के भ्रष्टाचार के बावजूद देश के सभी खिलाडियों ने अपनी असली दबंगता पूरे विश्व को अपने खेलों में दिखाई , उन्होंने यह साबित कर दिया की हम अगर अपनी पर आ जाएँ तो हम से बड़ा कोई दबंग नहीं है ! २०११ विश्व कप क्रिकेट में भारतीय खिलाडियों ने अपनी दबंगता का लोहा मनवा लिया भारतीय क्रिकेट खिलाडियों की दबंगता आज पूरे विश्व ने देख ली है ! जिस ऑस्ट्रेलिया को अपने आप पर इतना गुरुर था उस गुरुर को हमारे खिलाडियों ने अपनी दबंगता से चकनाचूर कर दिया ! आज इनकी दबंगता ने देश का नाम रौशन किया है ! ऐसे दबंगों को देश का सलाम ................... ऐसा नहीं है कि सिर्फ खेल में ही हमारे देश ने, और देश के खिलाडियों ने अपना परचम लहराया है ! बल्कि और भी लम्बी सूची है , उन लोगों की जो आज देश में असली दबंग होने का माद्दा रखते हैं ! समस्त जवान जो देश की सुरक्षा में दुश्मनों के दांत खट्टे करते हैं ! समस्त ईमानदार पुलिस अधिकारी जो आज समाज को असामाजिक तत्वों और बुरी ताक़तों से हमें बचाते हमारी रक्षा करते हैं और अपनी जान की परवाह नहीं करते ! देश के समस्त डॉक्टर , जो नयी नयी तकनीक का ईजाद कर आम इन्सान की जान बचाते हैं फिर चाहे वह अपना पडौसी मुल्क पाकिस्तान हो या किसी अन्य देश का ! समस्त इंजिनियर जो देश का नाम रौशन कर रहे हैं और जो देश की जनता को सेंकडों आधुनिक साधन उपलब्ध करवा रहे हैं ! " अन्ना हजारे " जी को हम सबसे बड़ा दबंग कहें तो कोई अतिश्योक्ति नहीं है , भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी लड़ाई ने ये साबित कर दिया है ! अमिताभ बच्चन , लता मंगेशकर , रतन टाटा , अजीम प्रेमजी , अब्दुल कलाम आजाद , ये सभी लोग अपने आप में असली दबंग हैं , जो इस उम्र में भी , जब इन्सान आराम करना चाहता हैं , ये लोग आज भी अपने अपने क्षेत्रों में सक्रीय है , और देश का नाम कहीं ना कहीं रौशन कर रहे हैं ! जिनका लोहा आज पूरा देश मानता है ! दबंगता का असली अर्थ दूसरों की मदद करना ! बेसहारा को सहारा देना ! राष्ट्रहित की बात करना , कर्म के प्रति ईमानदार होना ! अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना ना की अन्याय करना ! अपने आपको श्रेष्ठ नागरिक बनाना भी दबंगता की सच्ची निशानी है !
क्या आप असली दबंग हैं ? क्या आप भी दबंग बनना चाहते हैं ?

तो सोचिये ........ और कीजिये

धन्यवाद

Thursday, October 13, 2011

बस बहुत हुआ .............>>> संजय कुमार

बस बहुत हुआ
अब तो कुछ करना होगा
अभी नहीं तो कभी नहीं
अब तो हर दुसरे इंसान की
रगों में
दौड़ रहा है , खून की तरह ही
आपको नहीं लगता
ये भी तो बाधक है
हमारे स्वस्थ्य जीवन की राह में
और वो
क्या दिशा निर्देशन करेगा ?
अपने बच्चों का
जो खुद भ्रष्ट है
इसके लिए तो ,
अनिवार्य विषय की तरह
ज्ञान देना चाहिए
स्कूल में ,
पता है मुझे कि ,
एकदम से कुछ नहीं हो सकता
पर धैर्य के साथ
स्वस्थ्य सोच के
बीजारोपण का
प्रयास करना चाहिए
तभी कर पायेगा
हर आने वाला व्यक्ति
पूर्णता स्वस्थ्य
दाम्पत्य जीवन का निर्माण
तभी होगा
" पूर्ण "
खुशहाल जीवन
खुशहाल परिवार
और एक
यौन अपराध मुक्त समाज

( प्रिये पत्नि गार्गी की कलम से )

धन्यवाद

Saturday, October 8, 2011

हम भूल चुके हैं संजीवनी को , अगर समय मिले तो याद कर लीजिये ..... >>>> संजय कुमार

आज का इंसान जीवन की भागदौड़ में इतना व्यस्त हो गया है कि उसे अपने स्वास्थय तक की भी परवाह नहीं होती है उस पर उसका खान-पान , रहन -सहन , प्रदुषण इतना है कि किसी भी इंसान का स्वस्थ्य रहना बहुत मुश्किल है , और जो स्वस्थ्य है वो कहीं ना कहीं दवाओं पर निर्भर है ! आज देश के लगभग बहुत से घरों में अंग्रेजी दवाओं का उपयोग लगभग होता है ! क्योंकि आज अंग्रेजी दवाओं के बिना रहना तो इंसान कल्पना भी नहीं कर सकता ! नवजात शिशु से लेकर 90 बर्षीय बुजुर्ग तक कहीं ना कहीं इसी पर आश्रित हैं ! आज छोटी - छोटी उम्र के युवाओं को ब्लड प्रेसर जैसी बीमारियाँ हो रही है हालांकि इस बीमारी से आज तक कोई नहीं बच पाया ! जरा जरा सी बात पर जब हम जरुरत से ज्यादा उत्तेजित होने लगेंगे तो ऐसा ही होगा ! कुछ लोग अंग्रेजी दवाओं के सेवन को अच्छा मानते हैं तो कुछ लोग गलत , कुछ देशी दवा का सुझाव देते हैं तो कुछ होम्योपैथिक की सलाह देते हैं ! कुछ दवा का असर तुरंत चाहते हैं और रोग से तुरंत मुक्ति भी , कुछ लोग मध्यम इलाज चाहते हैं जो धीरे -धीरे असर करे और हमेशा के लिए बीमारी को खत्म कर दे ! " संजीवनी " बूटी का नाम ध्यान में आते ही हमें सर्वप्रथम पौराणिक कथा " रामायण " की याद आती है और ध्यान में आता है कि, किस तरह " बजरंगबली " ने युद्ध के दौरान मूर्छित " लक्ष्मण " के प्राण संजीवनी बूटी द्वारा बचाए थे ! इसलिए आज जब भी हमें किसी रोग से तुरंत राहत चाहिए होती है, तो हमें अक्सर संजीवनी बूटी का नाम ध्यान में आता है ! क्योंकि हम आज तक उस संजीवनी बूटी के महत्व को जानते हैं और उसके साथ-साथ जान पाए हमारे आयुर्वेद औषधियों के गुण ! जी हाँ मैं उस देशी नुस्खे की बात कर रहा हूँ जिन्हें हम सब लगभग भूल चुके हैं , और भूल चुके हैं उनकी तासीर को भी ! आयुर्वेद औषधियां हमारे देश में पिछले कई युगों से चली आ रहीं हैं ! हम सब आज भी इनकी महत्ता को जानते हैं , किन्तु ये सब आज हमारे द्रश्य पटल से हमारे बीच से पूरी तरह ओझल हो गयी हैं ! जैसे जैसे समय गुजरता गया धीरे धीरे अंग्रेजी दवाओं ने इंसान के बीच अपना घर बना लिया और हम भी पूरी तरह इन पर निर्भर हो गए ! पुरातन में जो लोग देशी दवाओं और जड़ी-बूटियों का उपयोग अपनी बीमारी में करते थे वह जल्द ही निरोगी और पूरी तरह स्वस्थ्य हो जाते थे और उनकी बीमारी भी जड़ से खत्म हो जाती थी जिस कारण से इंसान जीता था लम्बी और निरोगी आयु ! आज के दूषित वातावरण में इन्सान को शुद्ध ओक्सिजन तो मिलती नहीं , अगर मिलती है तो दूषित और इन्सान को बीमार करने वाली वायु , और उस पर अंग्रेजी दवाओं का ज्यादा से ज्यादा उपयोग ! इन्सान ने अपने आप को इन दवाओं का इतना आदि बना लिया है कि इन्सान कभी कभी बिना बात के भी दवा का उपयोग करता रहता है ! इन्सान को लगता है कि वह निरोगी हो रहा है किन्तु वास्तविकता कुछ और ही होती होती है ! इन्सान कुछ क्षण को तो ठीक होता है पर पूरी तरह से नहीं और इन्सान धीरे -धीरे आदि हो जाता है इन दवाओं का , या फिर ये दवाएं इन्सान को इतना मजबूर बना देती हैं या फिर इंसान मजबूर हो जाता है यह दवा लेने के लिए ! थोड़ी सी सर्दी हुई तो दवा , थोड़ी सी गर्मी हुई तो दवा , थोडा सा सर दर्द , थोड़ी कमजोरी , थोडा बुखार , हर बात में अपने घर पर रखा हुआ बीमारियों भरा दवा का डिब्बा उठाया और मिल गया आराम ! आज के भागदौड भरे जीवन में व्यक्ति की शारीरिक रूप से लड़ने की क्षमताएं इतनी कम हो गयी हैं कि , उसे आराम करने के लिए भी अंग्रेजी दवाओं का उपयोग करना पड़ता है ! आजकल तो स्थिति इतनी ख़राब हो गई है कि , इन्सान जरूरत से ज्यादा थकने के बावजूद भी आज नींद की गोलियां खा रहा है , और आदि हो रहा है इस जहर का जो इन्सान को अन्दर ही अंदर खोखला कर रहा है ! अब इस जहर की लत हमारी युवा पीड़ी को भी लग चुकी है ! शरीर को स्वस्थ्य रखने के सारे देशी नियम तो वो कब के भूल गए हैं ! माफ़ करना देशी नियम हम लोगों ने कभी अपनाए ही नहीं तो ध्यान कहाँ से रखेंगे ! अगर हम रोज रोज होने वाली छोटी मोटी बीमारियों में अंग्रेजी दवाओं का उपयोग बंद कर अगर अपने देशी नुस्खे और आयुर्वेद औषधियों का प्रयोग करें तो हम यूँ बार बार बीमार नहीं पड़ेंगे और हमारे अंदर वह ताक़त आएगी जो इन बीमारियों से लड़ने में हमारी मदद करेगी ! हिंदुस्तान में हजारों लाखों प्रकार की जड़ी बूटियाँ हैं जिनमे ताक़त है हर बीमारी से लड़ने की और जिनके उपयोग से इंसान लम्बी आयु तक निरोगी जीवन व्यतीत करता है ! आज अंग्रेजी दवाओं से हम सब इतना घिर गए हैं कि, छोटी मोटी बीमारियों को सही करने के लिए हम दुनिया भर में विचरण करते रहते हैं और उसका पक्का इलाज हमारे अपने आस पास ही होता है और वो है हमारा अपना आयुर्वेद ! आज जिस आयुर्वेद को जानने और उसका पूरा लाभ लेने के लिए विदेशों से लोग आते हैं ! और हम सब आज उन्ही से पीछा छुड़ा कर भाग रहे हैं ! सच हैं आज अंग्रेजी दवाओं के बीच में हम अपने आयुर्वेद को भूल चुके हैं , भूल चुके हैं अपनी संजीवनी बूटी को !



धन्यवाद

Thursday, October 6, 2011

रावण , दशानन का दहन करने से पहले , अंत कीजिये .....>>> संजय कुमार

सभी ब्लौगर साथियों को विजयदशमी, दशहरा पर्व की हार्दिक शुभ-कामनाएं !
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विजयदशमी पर्व को हम सब आज असत्य पर सत्य की जीत , अधर्म पर धर्म की जीत, बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाते हैं ! क्या रावण का अंत करने के साथ ही बुराई और असत्य का अंत हो गया ? आज भी हमारे आस-पास सौ सिरों वाले अनेकों रावण उपस्थित है ! आज भी बुराई , अधर्म , झूंठ - फरेब अपने चरम पर हैं ! रावण में शायद उतनी बुराइयाँ नहीं थीं जितनी कि आज के रावणों में है ! दशानन लंकेश तो अपनी शक्ति के मद में चूर था , उसे सच का ज्ञान था उसे पता था कि राम के हांथों ही मेरा अंत होना है फिर भी उसने बुराई और अधर्म का सम्पूर्ण नाश करवाने के लिए ऐसा किया ! आज अगर हमें सही मायने में विजयदशमी का पर्व और उसकी उपयोगिता को समझना है तो हमें अपने आसपास व्याप्त झूंठ-फरेब , बुराई , असत्य , पाप-दुरचार, को मिटाना होगा ! हमें अपने आस-पास का माहौल अच्छा बनाने के लिए , अपनों की ख़ुशी के लिए , अपना जीवन सुखमय बिताने के लिए अपने अन्दर से अहम् , काम , क्रोध , लालच , मोह को पूरी तरह त्यागना होगा ! क्योंकि ये भी दशानन , रावण का ही एक रूप है ! जिस तरह प्रभु श्री राम ने रावण का अंत कर इस दुनिया से असत्य , अधर्म और बुराई का अंत किया था ठीक उसी प्रकार अब हम सबको राम बनना होगा और इस समस्त बुराइयों का अंत करना होगा ! तभी कहलायेगा सही विजयदशमी , दशहरा पर्व !
क्या आप रावण का दहन करने से पहले अपने अन्दर के रावण का दहन करेंगे ! यदि करेंगे तो सच में आप कहलायेंगे विश्वविजेता ! इसलिए कहता हूँ रावण दहन से पहले अंत कीजिये ..........
विजयदशमी की हार्दिक बधाइयाँ एवं ढेरों शुभ-कामनाएं
जय श्रीराम ------ जय श्रीराम ----------- जय श्रीराम


धन्यवाद

Saturday, October 1, 2011

अब कहना भूल जायेंगे .... ये जी , ओ जी , सुनो जी ......>>> संजय कुमार

अक्सर हमारे माता-पिता , बड़े बुजुर्ग हम सबको एक ही सीख देते और बर्षों से देते आये हैं जिसे हम आज भी मानते हैं कि , हमें हमेशा अपने से बड़ों का आदर करना चाहिए , हमेशा उनके नाम के साथ " जी " शब्द अवश्य जोड़ना चाहिए क्योंकि ये " जी " शब्द बड़ा ही आदरसूचक शब्द है और यदि हम इसका इस्तेमाल करते हैं तो इस समाज में हमें सभ्य और संस्कारी समझा जाता है ! जैसे माताजी - पिताजी , चाचाजी-चाचीजी , दादाजी-दादीजी , नेताजी, मंत्रीजी , महात्माजी , और आजकल प्रतिदिन की चर्चा में हमारा सबका प्यारा " २ जी " ! इस देश में हिंदी बोलने वाले लगभग सभी घरों में ये शब्द " जी " हमने कई बार या हमेशा सुना है जैसे पत्नियाँ अपने पति को , ये जी सुनते हो , ओ जी सुनते हो , बगैरह - बगैरह कह कर पुकारती हैं ! इस " जी " में एक अपनापन और अपनों के लिए कहीं ना कहीं प्रेम छुपा हुआ होता है जो प्रतिदिन की बोलचाल की भाषा में उपयोग होता है ! किन्तु अब इस आदरसूचक " जी " के बारे में इस देश का बच्चा - बच्चा जानता है ! जी हाँ मैं बात कर रहा हूँ उस " जी " की जिसने आज हमारे देश की सरकार का और सरकार के सहयोगियों के कारण सरकार चलाना मुश्किल कर दिया है ! इस " जी " ने इस देश के बड़े बड़े राजाओं , महाराजाओं , मंत्री - संत्री , आला-अफसर , बड़े बड़े उद्योगपतियों को जेल की सलाखों तक पहुंचा दिया है ! इस देश में अब " जी " का नाम लेते ही अच्छे - अच्छों के छक्के छुट जाते हैं , अगर किसी के नाम के साथ ये " जी " लगा दिया जाय तो फिर ऐसा लगता है जैसे पैरों तले जमीन खिसक गयी हो ! इस देश में कोई सरकार , कोई भी पार्टी , कोई भी उद्योगपति अब ये नहीं चाहता कि कोई भी उसके सामने और उसके नाम के साथ " जी " का नाम भी ले , अब यदि कोई इस " जी " का नाम लेता भी है तो वो उसका सबसे बड़ा दुश्मन होता है ! अब आप बताएं कि , भविष्य में क्या होगा ? जब इस " जी " नाम की इस बला का इतना खौफ आज अच्छे - अच्छों की नींद उड़ा रहा है ! इस " जी " ने तो हमारे प्रधानमंत्री " श्री मनमोहन सिंह जी " का तो बुरा हाल कर रखा है अब उन्हें भी डर लगने लगा है कि कोई उन्हें " प्रधानमंत्रीजी " तो नहीं कह रहा है ! पी चिदम्वरम , प्रणव मुखर्जी भी आजकल " जी " के मारे इधर-उधर घूम रहे हैं पता नहीं कि, कहीं ये " जी " उनको भी औरों की तरह जेल की सलाखों के पीछे ना पहुंचा दे , वैसे भी आज सरकार की स्थति हमारे देश की क्रिकेट टीम के जैसी ही है " तू चल मैं तेरे पीछे पीछे आया " ! अब क्या होगा ? क्या हमारे बड़े बुजुर्ग अब हमें " जी " का संबोधन करने से मना करेंगे ? क्या हम अपने बच्चों को इस तरह के संस्कार देंगे जहाँ आदरसूचक " जी " को जिसे आज पूरा देश नफरत और बुरी द्रष्टि से देख रहा है ! क्या पति - पत्नि के आपस का प्रेम इस " जी " की बजह से खत्म हो जायेगा ? आप इस बात से अंदाजा लगा सकते है कि जब इस " २ जी " ने इस देश में इतनी उथल -पुथल मचा रखी है तो आगे क्या होगा ? क्योंकि आजकल तो हमारे दिलो दिमाग पर जल्द ही " ३ जी " छाने वाला है !
क्या हम " २ जी " और " ३ जी " के इस मायाजाल से बाहर निकल पाएंगे ..........


धन्यवाद