आज का इंसान जीवन की भागदौड़ में इतना व्यस्त हो गया है कि उसे अपने स्वास्थय तक की भी परवाह नहीं होती है उस पर उसका खान-पान , रहन -सहन , प्रदुषण इतना है कि किसी भी इंसान का स्वस्थ्य रहना बहुत मुश्किल है , और जो स्वस्थ्य है वो कहीं ना कहीं दवाओं पर निर्भर है ! आज देश के लगभग बहुत से घरों में अंग्रेजी दवाओं का उपयोग लगभग होता है ! क्योंकि आज अंग्रेजी दवाओं के बिना रहना तो इंसान कल्पना भी नहीं कर सकता ! नवजात शिशु से लेकर 90 बर्षीय बुजुर्ग तक कहीं ना कहीं इसी पर आश्रित हैं ! आज छोटी - छोटी उम्र के युवाओं को ब्लड प्रेसर जैसी बीमारियाँ हो रही है हालांकि इस बीमारी से आज तक कोई नहीं बच पाया ! जरा जरा सी बात पर जब हम जरुरत से ज्यादा उत्तेजित होने लगेंगे तो ऐसा ही होगा ! कुछ लोग अंग्रेजी दवाओं के सेवन को अच्छा मानते हैं तो कुछ लोग गलत , कुछ देशी दवा का सुझाव देते हैं तो कुछ होम्योपैथिक की सलाह देते हैं ! कुछ दवा का असर तुरंत चाहते हैं और रोग से तुरंत मुक्ति भी , कुछ लोग मध्यम इलाज चाहते हैं जो धीरे -धीरे असर करे और हमेशा के लिए बीमारी को खत्म कर दे ! " संजीवनी " बूटी का नाम ध्यान में आते ही हमें सर्वप्रथम पौराणिक कथा " रामायण " की याद आती है और ध्यान में आता है कि, किस तरह " बजरंगबली " ने युद्ध के दौरान मूर्छित " लक्ष्मण " के प्राण संजीवनी बूटी द्वारा बचाए थे ! इसलिए आज जब भी हमें किसी रोग से तुरंत राहत चाहिए होती है, तो हमें अक्सर संजीवनी बूटी का नाम ध्यान में आता है ! क्योंकि हम आज तक उस संजीवनी बूटी के महत्व को जानते हैं और उसके साथ-साथ जान पाए हमारे आयुर्वेद औषधियों के गुण ! जी हाँ मैं उस देशी नुस्खे की बात कर रहा हूँ जिन्हें हम सब लगभग भूल चुके हैं , और भूल चुके हैं उनकी तासीर को भी ! आयुर्वेद औषधियां हमारे देश में पिछले कई युगों से चली आ रहीं हैं ! हम सब आज भी इनकी महत्ता को जानते हैं , किन्तु ये सब आज हमारे द्रश्य पटल से हमारे बीच से पूरी तरह ओझल हो गयी हैं ! जैसे जैसे समय गुजरता गया धीरे धीरे अंग्रेजी दवाओं ने इंसान के बीच अपना घर बना लिया और हम भी पूरी तरह इन पर निर्भर हो गए ! पुरातन में जो लोग देशी दवाओं और जड़ी-बूटियों का उपयोग अपनी बीमारी में करते थे वह जल्द ही निरोगी और पूरी तरह स्वस्थ्य हो जाते थे और उनकी बीमारी भी जड़ से खत्म हो जाती थी जिस कारण से इंसान जीता था लम्बी और निरोगी आयु ! आज के दूषित वातावरण में इन्सान को शुद्ध ओक्सिजन तो मिलती नहीं , अगर मिलती है तो दूषित और इन्सान को बीमार करने वाली वायु , और उस पर अंग्रेजी दवाओं का ज्यादा से ज्यादा उपयोग ! इन्सान ने अपने आप को इन दवाओं का इतना आदि बना लिया है कि इन्सान कभी कभी बिना बात के भी दवा का उपयोग करता रहता है ! इन्सान को लगता है कि वह निरोगी हो रहा है किन्तु वास्तविकता कुछ और ही होती होती है ! इन्सान कुछ क्षण को तो ठीक होता है पर पूरी तरह से नहीं और इन्सान धीरे -धीरे आदि हो जाता है इन दवाओं का , या फिर ये दवाएं इन्सान को इतना मजबूर बना देती हैं या फिर इंसान मजबूर हो जाता है यह दवा लेने के लिए ! थोड़ी सी सर्दी हुई तो दवा , थोड़ी सी गर्मी हुई तो दवा , थोडा सा सर दर्द , थोड़ी कमजोरी , थोडा बुखार , हर बात में अपने घर पर रखा हुआ बीमारियों भरा दवा का डिब्बा उठाया और मिल गया आराम ! आज के भागदौड भरे जीवन में व्यक्ति की शारीरिक रूप से लड़ने की क्षमताएं इतनी कम हो गयी हैं कि , उसे आराम करने के लिए भी अंग्रेजी दवाओं का उपयोग करना पड़ता है ! आजकल तो स्थिति इतनी ख़राब हो गई है कि , इन्सान जरूरत से ज्यादा थकने के बावजूद भी आज नींद की गोलियां खा रहा है , और आदि हो रहा है इस जहर का जो इन्सान को अन्दर ही अंदर खोखला कर रहा है ! अब इस जहर की लत हमारी युवा पीड़ी को भी लग चुकी है ! शरीर को स्वस्थ्य रखने के सारे देशी नियम तो वो कब के भूल गए हैं ! माफ़ करना देशी नियम हम लोगों ने कभी अपनाए ही नहीं तो ध्यान कहाँ से रखेंगे ! अगर हम रोज रोज होने वाली छोटी मोटी बीमारियों में अंग्रेजी दवाओं का उपयोग बंद कर अगर अपने देशी नुस्खे और आयुर्वेद औषधियों का प्रयोग करें तो हम यूँ बार बार बीमार नहीं पड़ेंगे और हमारे अंदर वह ताक़त आएगी जो इन बीमारियों से लड़ने में हमारी मदद करेगी ! हिंदुस्तान में हजारों लाखों प्रकार की जड़ी बूटियाँ हैं जिनमे ताक़त है हर बीमारी से लड़ने की और जिनके उपयोग से इंसान लम्बी आयु तक निरोगी जीवन व्यतीत करता है ! आज अंग्रेजी दवाओं से हम सब इतना घिर गए हैं कि, छोटी मोटी बीमारियों को सही करने के लिए हम दुनिया भर में विचरण करते रहते हैं और उसका पक्का इलाज हमारे अपने आस पास ही होता है और वो है हमारा अपना आयुर्वेद ! आज जिस आयुर्वेद को जानने और उसका पूरा लाभ लेने के लिए विदेशों से लोग आते हैं ! और हम सब आज उन्ही से पीछा छुड़ा कर भाग रहे हैं ! सच हैं आज अंग्रेजी दवाओं के बीच में हम अपने आयुर्वेद को भूल चुके हैं , भूल चुके हैं अपनी संजीवनी बूटी को !
धन्यवाद
ayurvedic medicine ka dheere-dheere asar hota hai aur agreji dava jaldi se asar kar jaati hai, yadapi ham uske side effect se hamesha pareshan rahte hai phir bhi sach mein yah ham logon ki hi agyanta hai ki ham ayurvedic dawayeon ko tarjeeh nahi de paa rahe hai...
ReplyDeletesundar ramyan ke prasang ko lekar bahut badiya jagruktabhari prastuti hetu aabhar
सही लिखा है आपने हमलोग आज -कल अपनी संजीवनी बूटी से कोसों दूर हैं और अंग्रेजी दावा ही हमें आकर्षित करती है
ReplyDeleteआपने सही मुद्दा उठाया है ,अभी भी वक्त है हमलोग संभल जाएँ तो हमारे लिए ही अच्छा रहेगा
सही समय याद आयी संजीवनी...... :)
ReplyDeleteहालात ही ऐसे हैं.
सतत स्वस्थ जीवन आयुर्वेद ही दे सकता है।
ReplyDeleteआयुर्वेद में भविष्य तलाशने की सलाह बहुत जरूरी है.
ReplyDeleteसुंदर सामायिक ज्ञानवर्धक आलेख. बधाई.
sarthak lekh...
ReplyDeleteबेहतरीन आवश्यक आलेख. ....
ReplyDeleteशुभकामनायें आपको !
ज्ञानवर्धक आलेख.
ReplyDeleteकुछ दिनों से बाहर होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका