Friday, July 23, 2010

असफलता क्या सिद्ध करती है ?

किसी भी इन्सान के जीवन में दो बातों का विशेष महत्व होता है ! सफलता और असफलता ! सफल इन्सान अपने आप को बहुत भाग्यशाली समझता है जब वह अपने कड़े परिश्रम से सफलता अर्जित करता है ! असफल इन्सान अपने आपको दुनिया का सबसे कमजोर व्यक्ति मानता है, उसे लगता है कि हम ठीक ढंग से मेहनत नहीं कर पाए, शायद हमारे अन्दर ही कहीं कोई कमी है जो हम असफल हुए ! कहते हैं जो इन्सान अपने जीवन में कड़ा परिश्रम, सच्ची लगन और अपने लक्ष्य को निर्धारित कर मेहनत करता है, वह इन्सान अपने जीवन में हमेशा सफतला प्राप्त करता हैं ! सफल होने का यही है सच्चा मंत्र ! कहते हैं जो इन्सान अपने लक्ष्य को हांसिल करने में असफल होता है उसने लक्ष्य को पाने के लिए कड़ा परिश्रम नहीं किया, सच्ची लगन के साथ मेहनत नहीं की , कही कोई कसर रह गयी ! इन्सान कि असफलता के पीछे सिर्फ इन्सान ही जिम्मेदार है !

आज के आधुनिक और कलयुग में असफलता से क्या यही सिद्ध होता है कि सफलता पाने के लिए की गयी मेहनत में कहीं कोई कमी हमसे रह गयी ! जहाँ आज देश में बेईमानी, भ्रष्टाचार, घूसखोरी, और रिश्वतखोरी अपने चरम पर है ! क्या इस तरह के वातावरण में हम अपनी सफलता की उम्मीद कर सकते हैं ? क्या हमारी मेहनत के आधार पर हम सफल हो सकते हैं ! आज बहुत कम ही क्षेत्र ऐसे बचे हैं जहाँ पर ईमानदारी और कड़ी मेहनत को सर्वप्रथम महत्व दिया जाता हैं ! बाकि देश का ऐसा कोई बिभाग नहीं हैं जहाँ बिना रिश्वत के कोई सफलता हांसिल कर पाता है ! अगर आज इन्सान असफल हो रहा है तो उसके पीछे वह नहीं हैं ! उसका कारण आज का सिस्टम है ! आज के युग में इन्सान का कोई मूल्य नहीं हैं ! आज इन्सान रूपए पैसे के आगे बहुत छोटा हो गया है ! आज व्यक्ति के पास ढेर सारा रुपया घूस देने के लिए होना अत्यंत आवश्यक है तभी वह किसी भी क्षेत्र में सफलता हांसिल कर सकता है ! अगर इन्सान को सफलता हांसिल करनी है तो उसे बड़े अधिकारियों की चापलूसी करना आना चाहिए ! ढेर सारा रूपया-पैसा घूसखोरों और रिश्वतखोरों को देने कि लिए होना चाहिए ! हर तरह से दूसरों को खुश करने का तरीका आपको आना चाहिए ! अगर यह सब गुण आपके अन्दर हैं तो आप भी सफलता हांसिल कर सकते हैं ! यदि आपके अन्दर यह सब गुण नहीं हैं तो आज के माहौल में आप कभी भी सफलता हांसिल नहीं कर सकते ! असफलता केवल यही सिद्ध करती हैं कि आज का सीधा-साधा इन्सान जो सिर्फ मेहनत पर निर्भर रहता हैं और उसे दुनियादारी के उलटे-सीधे दांव-पेंच नहीं आते वह जीवन भर एडियाँ घिसता रह जाएगा और आज के वातावरण में पूरी तरह ढला हुआ इन्सान जल्दी सफलता का स्वाद चख लेता है !

आज यही अंतर हैं सफलता और असफलता के बीच .............

धन्यवाद

Sunday, July 11, 2010

स्वार्थ, अब सब पर भारी .....>>> संजय कुमार

आज यहाँ मैं एक ऐसे वायरस (कीटाणु) की बात कर रहा हूँ ,जिसने इन्सान की इंसानियत को उससे छीन लिया और उसे बना दिया नाम का इन्सान और वह वायरस (कीटाणु) है .... स्वार्थ ॥।स्वार्थ । नाम का ये कीटाणु लगभग हर इन्सान के अन्दर पाया जाता है ! जिस इन्सान के अन्दर यह कीटाणु नहीं है, वह इन्सान इस दुनिया में रहने के लायक नहीं है ! क्योंकि स्वार्थ के बिना तो आज के इंसान का कोई वजूद ही नहीं हैं ! अगर हम अपने अंतर्मन में झांककर देखें तो हम भी कभी न कभी , कहीं ना कहीं किसी चीज को लेकर स्वार्थी जरूर हुए होंगे ! अपनों के सुख के लिए या अपने सुख के लिए ! कभी दूसरों को तकलीफ पहुँचाने के लिए, तो कभी खुद को तकलीफ से बचाने के लिए -- मन में स्वार्थ जरूर आया होगा ! यह बात किसी को भी बुरी लग सकती है ! लेकिन यह भी प्रकृति का बनाया एक नियम हैं ! कुछ लोग कुछ चीजों को स्वार्थ का नाम देते हैं , उसके जबाब में कुछ लोग उसे अपनी मजबूरी का नाम देते हैं ! आज स्वार्थ नाम का कीटाणु इन्सान के अन्दर इस तरह घर कर गया हैं , जैसे वह कोई पराया नहीं, खून का रिश्ता बन गया है उससे ! आज इस कीटाणु ने इन्सान के अन्दर अपनी मजबूत जगह बना ली है ,और दीमक की तरह इन्सान को और उसकी इंसानियत को अन्दर ही अन्दर खोखला कर रहा है, और इन्सान बन कर रह गया सिर्फ हाड़-मांस का पुतला !

आज हर जगह इस कीटाणु को देखा जा सकता है -- --माँ-बाप अपने स्वार्थ के लिए बच्चों के साथ
गलत कर रहे हैं , बच्चे अपने स्वार्थ के लिए अपने माँ-बाप के साथ गलत कर रहे हैं ! आज कई परिवारों में इस स्वार्थ नाम के कीटाणु का बोलबाला हैं ! आज कई घर इसके कारण बरबाद हो रहे हैं ! आजकल सच्ची दोस्ती मे भी स्वार्थ नाम का कीटाणु घुस गया है ! हम सभी के मुंह से यह बात कई बार जरूर निकली होगी की वह कितना स्वार्थी हो गया हैं , पहले तो ऐसा नहीं था ! सब कुछ बरबाद हो रहा है ! स्वार्थ के नाम ..........

देश को चलाने बाले बड़े बड़े नेता, मंत्रीगण और आला अधिकारी अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए देश के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं ! जिसका परिणाम आज इस देश की आम जनता को भुगतना पड़ रहा है ! फिर चाहे नक्सलवाद हो या आतंकवाद ----सब कुछ , कुछ स्वार्थी लोगों के कारण ! पुलिस अपने स्वार्थ के कारण बेगुनाह को ही मुजरिम बना रही है ! " पुलिस पकड़ कर ले गयी उसी को साथ , आग बुझाने में जले, जिसके दोनों हाँथ " आज इस तरह का आलम हर जगह देखने को मिल जाएगा ! सब कुछ अपने स्वार्थ को पूरा करने के लिए ! आज देश के कई महान साधु -संत, मौलवी -फ़कीर अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए देश में अधर्म की आग फैला कर अराजकता का माहौल पैदा कर अपने ही भाइयों को आपस में लडवाकर, अपनी रोटीयाँ सेंक रहे हैं ! आज इस कीटाणु ने किसी को भी नहीं छोड़ा !

अरे भाई जब इस कीटाणु से हमारे ग्रन्थ और पुराण , हमारा इतिहास तक नहीं बच पाया तो फिर हम जैसे आम इन्सान का क्या अस्तित्व हैं !माता केकई के स्वार्थ के कारण प्रभु श्रीराम को बनवास तक जाना पड़ा ! इतिहास में ऐसे कई गद्दार थे जिनके स्वार्थ के कारण देश के कई वीर योद्धाओं को अपने प्राण तक गंवाने पड़े ! सब कुछ स्वार्थ के कारण !

स्वार्थ अगर देश की एकता और अखंडता को बचाने के लिए हो तो अच्छा है ! किसी भूखे की भूख मिटाने के लिए हो--- तो अच्छा है ! रोते हुओं के आंसू पोंछने के लिए हो ----तो अच्छा है ! आपके स्वार्थ से किसी का भला हो---- तो अच्छा है ! इन सब के लिए इन्सान का स्वार्थी होना अच्छा है !
क्या आपके स्वार्थ से किसी को फायदा या नुक्सान हुआ ... सोचिये

धन्यवाद

Friday, July 9, 2010

जलता है दिल मेरा ....>>> संजय कुमार

मैं कोई मंजनू नहीं और ना ही कोई प्रेमी और ना बात हो रही है दिल-विल प्यार-व्यार की ! मैं एक आम इन्सान हूँ ! आप भी मेरी तरह अपने आस-पास होने बाली घटनाओं से चिंतित होंगे ! यहाँ बात कर रहे हैं देश के हालातों पर, सरकारी नीतियों पर ! आँख होते हुए भी अंधों की तरह सब कुछ देखने के बारे मैं ! बात कर रहे हैं निर्धन, गरीब, भूखों की, कुपोषण के शिकार मासूम बच्चों की ! एक-एक पैसे के लिए भटकते, अपनों से ठुकराए बुजुर्गों की, दर दर की ठोकर खाते कई किसानों की ! मौज करते सरकारी अधिकारीयों की , देश को लूटते भ्रष्ट मंत्रियों की ! आज देश मैं आम जनता त्राहि-त्राहि कर रही हैं और हमारी सरकार घोड़े बेचकर सो रही है ! कोई भूंख से मर रहा है तो कोई पानी के लिए एक-दूसरे की जान का दुश्मन बन गया हैं ! कोई नौकरी के लिए दर-दर भटक रहा है ! कोई न्याय पाने के लिए अपनी एड़ियां घिस रहा है ! स्थिती जस की तस !

आम आदमी सुबह से शाम तक मेहनत करता है तब जाकर वह अपने और अपने परिवार के लिए भोजन की व्यवस्था कर पाता हैं ! पूरा जीवन रोटी कपड़ा और मकान के चक्कर में निकाल देता है ! वहीँ सरकार की बेहद लापरवाही के कारण आज कई जगह हजारों लाखों टन अनाज सड़ रहा है और बर्बाद हो रहा है ! यह सब देखकर एक आम आदमी का दिल जलता है ! एक भिखारी सुबह से लेकर शाम तक भीख मांगकर दो मुट्ठी अनाज की दरकार में पूरा जीवन यूँ ही निकाल देता हैं ! देश में हर साल हजारों मौतें सिर्फ भूंख के कारण होती हैं ! कई राज्यों में आज भी, पोषित भोजन ना मिल पाने के कारण कई मासूम कुपोषण का शिकार हो रहे हैं ! इन सब पर हमारे सरकारी विभाग चैन से सो रहे हैं ! वहीँ देश की सरकार के झूठे वादे कि देश में सब कुछ ठीक हैं ! यह सब देख ..... जलता हैं दिल मेरा ... जहाँ देश में करोड़ों परिवार ऐसे हैं जो एक एक रूपए इकठ्ठा करने में पूरा जीवन निकाल देते हैं ! सरकार उन पर टैक्स लगाकर सरकार का खजाना भारती हैं ! बाद में वही खजाना सरकार की तिजोरियों से बाहर निकलकर देश से बाहर स्विस बैंकों में पहुँचता हैं ! देश में मंहगाई बढ़ती हैं ! आम जनता का जीना मुश्किल हो रहा हैं ! अरबों-खरबों का काला धन देश के बाहर पड़ा है ! आम जनता की जेब कट रही है ! यह सब देख ..... जलता है दिल मेरा .........

सरकार इक्कीसवीं सदी में जीने की बात कर रही है , देश में ऐसे कार्य ऐसी घटनाएं हो रही हैं जो हमें सेकड़ों साल पीछे ले जा रहे हैं ! इन्सान अपनों की जान ले रहा हैं ! भाई-भाई से लड़ रहा है ! ऊंचे पदों पर बैठे अधिकारी और मंत्री देश का बंटाधार कर रहे हैं ! सच्चाई , न्याय , अपनापन , इंसानियत लोगों से बहुत दूर है ! बेईमानी, झूंठ, धोखा, भ्रष्टाचार , आतंकवाद अपनी चरम सीमा पर है ! यह सब देख .............. जलता है दिल मेरा

क्या आप सरकार की नीतियों और उनके कार्यों से खुश हैं ? यदि नहीं तो अपना विरोध दर्ज कराएं .........

धन्यवाद

Tuesday, July 6, 2010

भिखारी नहीं हैं हम, हम तो ...>>> संजय कुमार

आजकल हमारे शहरों में भिखारियों की संख्या में दिन प्रतिदिन इजाफा हो रहा है ! समझ नहीं आता इनकी संख्या इतनी क्यों बड़ रही है ! एक समय था जब हमारे घर एक निश्चित दिन कोई फ़कीर या जोशी या कोई ब्रह्मण आता था ! हम उसे अपने घर से आटा या रोटी दिया करते थे ! अब यह लोग तो कम नजर आते हैं , इनकी जगह अब भिखारियों ने ले ली है ! जो आटा या रोटी नहीं मांगते हैं, मांगते हैं तो पैसा ! जिनका ना तो कोई दिन होता है और ना कोई समय , यह कभी भी कहीं भी आ पहुंचते हैं ! इनकी संख्या कभी कभी किसी जगह इतनी हो जाती है , कि समझ नहीं आता, कि यह आम इंसानों का देश है या भिखारियों का ! हमारे देश में इतने भिखारी कैसे और कहाँ से आ गए ! क्या कारण हैं जो इनकी आबादी इतनी तेजी से बड़ती जा रही है ! भिखारी, इंसानी दुनिया का सबसे तिरष्कृत इन्सान होता है , जो हर जगह से ठुकराया जाता है ! वह इन्सान जिसकी ना तो कोई जात होती और ना ही कोई धर्म ! फिर भी हमने अक्सर यह देखा है कि यह भिखारी ज्यादातर धर्म के नाम पर ही भीख मांगते हैं ! चाहे मंदिर हो या मस्जिद , गुरुद्वारा या चर्च, हर जगह इनकी पहुँच होती है ! यूँ कह सकते हैं, इनका कार्य-क्षेत्र या इनकी कर्म-भूमि यही जगह होती हैं ! लेकिन हमारे देश में अब भिखारियों कि संख्या में दिन-प्रतिदिन इजाफा होता जा रहा हैं ! कुछ जन्म से तो कुछ कर्म से , मजबूरीवश तो कोई जानबूझकर भीख मांगने का काम करता रहता हैं ! अब हर जगह ये लोग देखे जा सकते हैं , कोई भी रूप लेकर आपके सामने आ सकते हैं ! एक बच्चे के रूप में, एक बूढ़ी और बेसहारा माँ के रूप में ! कभी अपनी जिंदगी का बोझ ढोती हुई किसी बुजुर्ग के रूप में ! असहाय और ठुकराए हुए !

क्या वाकई में यह लोग भीख मांगकर अपना पेट भरना चाहते हैं ! या उनकी मजबूरी उनसे यह सब करवा रही है ! कुछ लोगों के साथ यह बात हो सकती है ! वह लोग जिनके सर पर ना तो कोई छत है और ना ही उनकी देख-रेख करने बाला कोई ! कुछ अपने बच्चों द्वारा ठुकराए हुए होते हैं और कुछ बच्चों को उनकी माँ (बिन-व्याही) समाज के डर से किसी कचरे के ढेर पर यूँ ही फेंक जाती है ! अगर वह कुत्तों और सूअर का निबाला नहीं बने तो उनका भविष्य क्या होगा अंधकारमय या बन जाते हैं भिखारी ! आज कुछ लोगों का यह धंधा बन गया हैं ! हमारे महानगरों में तो यह एक व्यवसाय के रूप में प्रचलित हैं ! घरों से भागे बच्चों का !इस धंधे में शामिल लोग पूरी तरह इस्तेमाल करते हैं ! कभी उन्हें अपंग बना कर तो कभी उनको डरा धमकाकर इस धंधे में जबरन घुसेड़ दिया जाता है ! कुछ लोग इस धंधे को छोड़ना नहीं चाहते ! उन्हें लगता है कि जब आराम से मिल रहा है तो ज्यादा महनत क्यों कि जाए ! आजकल बहुत से ऐसे बच्चे हैं , जो स्कूल तो जाते हैं लेकिन एक निश्चित दिन कभी शनिदेव के नाम पर तो किसी और भगवान् के नाम पर हर हफ्ते यहीं काम करते हैं ! जब एक जवान आदमी भीख मांगता है तो बड़ा अजीव सा लगता है ! और उस पर गुस्सा भी बहुत आता है ! जब छोटे-छोटे बच्चे दिन-दिनभर कचरा बीन कर अपना पेट भर सकते हैं तो यह क्यों नहीं महनत करना चाहता ! वह सभी भिखारी जो किसी मजबूरी के चलते भीख मांगने का काम करते हैं और उनके पास और कोई चारा नहीं तो उनका भीख मांगना कुछ हद तक ठीक है ! क्योंकि आज एक आम इन्सान अपनी मदद तो स्वयं कर नहीं पाता तो फिर किसी और कि मदद कैसे करेगा ! हम सिर्फ उनसे सहानुभूति रख सकते हैं ! कोई भी इनकी मदद को आगे नहीं आता है, सरकार या कोई समाजसेवी संस्था सब अपनी रोटियां सेंक रहे हैं ! भिखारी अपना पूरा जीवन भीख मांगकर ही निकाल देता हैं ! और बस यही कहता रहता है !

भिखारी नहीं हैं हम ....... हम तो ..........


धन्यवाद

Friday, July 2, 2010

अब इज्जत की खातिर ...>>> संजय कुमार

इज्जत, जिसे बचाने के लिए इन्सान अपनी जान तक न्योछावर कर देता है ! इज्जत जिसके लिए बहुत कुछ करता है ! कभी अपनी इज्जत बचाने के लिए दूसरों को बेइज्जत करता है तो , कभी अपनी इज्जत बचाते बचाते सब कुछ दांव पर लगा देता हैं ! हमने कई बार देखा, सुना और पढ़ा की उसने अपनी इज्जत की खातिर ये कर दिया उसने वो कर दिया ! लेकिन अब देश मैं एक चीज बहुत तेजी से बढ रही है ! और बो है "ऑनर किलिंग " जिसे कई लोग अपनी झूंठी इज्जत के नाम से जोड़ रहे हैं ! आज देश मैं कितने ही मामले दिन बा दिन हमारे सामने आ रहे हैं ! चाहे पंजाब मे खाप पंचायत का फैंसला , चाहे बिहार में, परिवार द्वारा अपनी ही बेटी का क़त्ल या ताजा मामला दिल्ली का जहाँ भाइयों ने मिलकर अपनी ही बहन और बहनोई की बेरहमी से हत्या कर दी ! सिर्फ अपनी इज्जत बचाने के लिए ! बस निरपराध लोगों की जान ले रहे हैं ! सिर्फ अपनी झूंठी इज्जत बचाने के लिए ! क्या वाकई मैं अपनों की जान लेकर हम अपनी इज्जत बचा रहे हैं ! जरा सोचिये ..............

आज कोई अपनी बेटी को जान से मार रहा है ! तो कोई अपने दामाद को जान से मार रहा है !कोई बहन को तो बहनोई को ! अपने परिवार को ही समाप्त कर रहा हैं ! सिर्फ इज्जत की खातिर ! क्या आज इंसानियत पर इस तरह की झूंठी इज्जत भारी पड़ रही है ! जो अपने परिवार के ही लोगों को मौत के घाट उतारना पड़ रहा हैं ! क्या किसी अपने की हत्या कर हम लोग अपनी इज्जत मे चार चाँद लगा लेते है ? क्या अपने ही परिवार के बच्चों का खून बहाकर पूरे देश मे हमारा नाम हो जाता है ! क्या हमें कोई मेडल मिल जाता है ! सिर्फ झूंठी शान और झूंठी इज्जत के लिए यूँ अपनों का खून बहाना , हमारी इज्जत को नहीं बचाता बल्कि, हम इंसानियत के नाम पर धब्बा लगाता हैं !

अब आप ही बताएं, जब अपनों का क़त्ल करने के बाद यह लोग पुलिस से बचते छुपते फिरते हैं तो क्या इज्जत बढ़ जाती है ! क्या हो गया आज के पढ़े-लिखे युवा वर्ग को जो आँख बंद कर इस तरह के घ्रणित कार्य को अपनी इज्जत का नाम देकर कर रहे हैं ! इस तरह की घटना कोई पहली बार नहीं हो रही है ! प्यार के दुश्मन तो पहले भी थे और आज भी हैं ! हम मान सकते हैं पहले शिक्षितों की संख्या कम थी , पहले इस तरह की घटनाएं सामने नहीं आती थी ! किन्तु आज जहाँ देश एक और प्रगति और तरक्की की और अग्रसर है वहीँ इस तरह की घटनाएं हम सबको कहाँ ले जा रहीं हैं ! सोचने बाली बात है जहाँ हमारे यहाँ अब, जब ( लड़का-लड़की ) एक साथ रहने बाला क़ानून भी आ गया तब भी इस तरह की घटनाएँ ! इन सबसे इंसानियत तो शर्मसार होती है ! और देश का नाम भी बदनाम होता है !

नहीं मालूम की, अब इन्सान किस-किस चीज के लिए यूँ अपनों का खून बहायेगा ...............

धन्यवाद