किसी भी इन्सान के जीवन में दो बातों का विशेष महत्व होता है ! सफलता और असफलता ! सफल इन्सान अपने आप को बहुत भाग्यशाली समझता है जब वह अपने कड़े परिश्रम से सफलता अर्जित करता है ! असफल इन्सान अपने आपको दुनिया का सबसे कमजोर व्यक्ति मानता है, उसे लगता है कि हम ठीक ढंग से मेहनत नहीं कर पाए, शायद हमारे अन्दर ही कहीं कोई कमी है जो हम असफल हुए ! कहते हैं जो इन्सान अपने जीवन में कड़ा परिश्रम, सच्ची लगन और अपने लक्ष्य को निर्धारित कर मेहनत करता है, वह इन्सान अपने जीवन में हमेशा सफतला प्राप्त करता हैं ! सफल होने का यही है सच्चा मंत्र ! कहते हैं जो इन्सान अपने लक्ष्य को हांसिल करने में असफल होता है उसने लक्ष्य को पाने के लिए कड़ा परिश्रम नहीं किया, सच्ची लगन के साथ मेहनत नहीं की , कही कोई कसर रह गयी ! इन्सान कि असफलता के पीछे सिर्फ इन्सान ही जिम्मेदार है !
आज के आधुनिक और कलयुग में असफलता से क्या यही सिद्ध होता है कि सफलता पाने के लिए की गयी मेहनत में कहीं कोई कमी हमसे रह गयी ! जहाँ आज देश में बेईमानी, भ्रष्टाचार, घूसखोरी, और रिश्वतखोरी अपने चरम पर है ! क्या इस तरह के वातावरण में हम अपनी सफलता की उम्मीद कर सकते हैं ? क्या हमारी मेहनत के आधार पर हम सफल हो सकते हैं ! आज बहुत कम ही क्षेत्र ऐसे बचे हैं जहाँ पर ईमानदारी और कड़ी मेहनत को सर्वप्रथम महत्व दिया जाता हैं ! बाकि देश का ऐसा कोई बिभाग नहीं हैं जहाँ बिना रिश्वत के कोई सफलता हांसिल कर पाता है ! अगर आज इन्सान असफल हो रहा है तो उसके पीछे वह नहीं हैं ! उसका कारण आज का सिस्टम है ! आज के युग में इन्सान का कोई मूल्य नहीं हैं ! आज इन्सान रूपए पैसे के आगे बहुत छोटा हो गया है ! आज व्यक्ति के पास ढेर सारा रुपया घूस देने के लिए होना अत्यंत आवश्यक है तभी वह किसी भी क्षेत्र में सफलता हांसिल कर सकता है ! अगर इन्सान को सफलता हांसिल करनी है तो उसे बड़े अधिकारियों की चापलूसी करना आना चाहिए ! ढेर सारा रूपया-पैसा घूसखोरों और रिश्वतखोरों को देने कि लिए होना चाहिए ! हर तरह से दूसरों को खुश करने का तरीका आपको आना चाहिए ! अगर यह सब गुण आपके अन्दर हैं तो आप भी सफलता हांसिल कर सकते हैं ! यदि आपके अन्दर यह सब गुण नहीं हैं तो आज के माहौल में आप कभी भी सफलता हांसिल नहीं कर सकते ! असफलता केवल यही सिद्ध करती हैं कि आज का सीधा-साधा इन्सान जो सिर्फ मेहनत पर निर्भर रहता हैं और उसे दुनियादारी के उलटे-सीधे दांव-पेंच नहीं आते वह जीवन भर एडियाँ घिसता रह जाएगा और आज के वातावरण में पूरी तरह ढला हुआ इन्सान जल्दी सफलता का स्वाद चख लेता है !
आज यही अंतर हैं सफलता और असफलता के बीच .............
धन्यवाद
बहुत ही साथक प्रस्तुती ,आज ईमानदारी ,मेहनत की जगह तिकरम और मक्कारी ने ले ली है ,जो जितना तिकरमी और मक्कार है वो उतना सफल है |
ReplyDeleteसाहस और मेहनत से बहुत कुछ हासिल किया जा सकता है पर आगे तो झा जी से सहमत
ReplyDeleteबहुत ही साथक प्रस्तुती
ReplyDeleteबहुत पसन्द आया
ReplyDeleteहमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद
बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..
bilkul sahee|
ReplyDeleteसटीक पोस्ट.. आभार सरकार
ReplyDelete"अगर इन्सान को सफलता हांसिल करनी है तो उसे बड़े अधिकारियों की चापलूसी करना आना चाहिए ! ढेर सारा रूपया-पैसा घूसखोरों और रिश्वतखोरों को देने कि लिए होना चाहिए !"-----
ReplyDeleteमै इस तरह से सफ़ल हुए लोगो को ---सफ़ल लोगों की श्रेणी में नहीं रखती.....
इन्सान कि असफलता के पीछे सिर्फ इन्सान ही जिम्मेदार है !
ReplyDelete...बहुत ही साथक प्रस्तुती