आज यहाँ मैं एक ऐसे वायरस (कीटाणु) की बात कर रहा हूँ ,जिसने इन्सान की इंसानियत को उससे छीन लिया और उसे बना दिया नाम का इन्सान और वह वायरस (कीटाणु) है .... स्वार्थ ॥।स्वार्थ । नाम का ये कीटाणु लगभग हर इन्सान के अन्दर पाया जाता है ! जिस इन्सान के अन्दर यह कीटाणु नहीं है, वह इन्सान इस दुनिया में रहने के लायक नहीं है ! क्योंकि स्वार्थ के बिना तो आज के इंसान का कोई वजूद ही नहीं हैं ! अगर हम अपने अंतर्मन में झांककर देखें तो हम भी कभी न कभी , कहीं ना कहीं किसी चीज को लेकर स्वार्थी जरूर हुए होंगे ! अपनों के सुख के लिए या अपने सुख के लिए ! कभी दूसरों को तकलीफ पहुँचाने के लिए, तो कभी खुद को तकलीफ से बचाने के लिए -- मन में स्वार्थ जरूर आया होगा ! यह बात किसी को भी बुरी लग सकती है ! लेकिन यह भी प्रकृति का बनाया एक नियम हैं ! कुछ लोग कुछ चीजों को स्वार्थ का नाम देते हैं , उसके जबाब में कुछ लोग उसे अपनी मजबूरी का नाम देते हैं ! आज स्वार्थ नाम का कीटाणु इन्सान के अन्दर इस तरह घर कर गया हैं , जैसे वह कोई पराया नहीं, खून का रिश्ता बन गया है उससे ! आज इस कीटाणु ने इन्सान के अन्दर अपनी मजबूत जगह बना ली है ,और दीमक की तरह इन्सान को और उसकी इंसानियत को अन्दर ही अन्दर खोखला कर रहा है, और इन्सान बन कर रह गया सिर्फ हाड़-मांस का पुतला !
आज हर जगह इस कीटाणु को देखा जा सकता है -- --माँ-बाप अपने स्वार्थ के लिए बच्चों के साथ
गलत कर रहे हैं , बच्चे अपने स्वार्थ के लिए अपने माँ-बाप के साथ गलत कर रहे हैं ! आज कई परिवारों में इस स्वार्थ नाम के कीटाणु का बोलबाला हैं ! आज कई घर इसके कारण बरबाद हो रहे हैं ! आजकल सच्ची दोस्ती मे भी स्वार्थ नाम का कीटाणु घुस गया है ! हम सभी के मुंह से यह बात कई बार जरूर निकली होगी की वह कितना स्वार्थी हो गया हैं , पहले तो ऐसा नहीं था ! सब कुछ बरबाद हो रहा है ! स्वार्थ के नाम ..........
देश को चलाने बाले बड़े बड़े नेता, मंत्रीगण और आला अधिकारी अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए देश के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं ! जिसका परिणाम आज इस देश की आम जनता को भुगतना पड़ रहा है ! फिर चाहे नक्सलवाद हो या आतंकवाद ----सब कुछ , कुछ स्वार्थी लोगों के कारण ! पुलिस अपने स्वार्थ के कारण बेगुनाह को ही मुजरिम बना रही है ! " पुलिस पकड़ कर ले गयी उसी को साथ , आग बुझाने में जले, जिसके दोनों हाँथ " आज इस तरह का आलम हर जगह देखने को मिल जाएगा ! सब कुछ अपने स्वार्थ को पूरा करने के लिए ! आज देश के कई महान साधु -संत, मौलवी -फ़कीर अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए देश में अधर्म की आग फैला कर अराजकता का माहौल पैदा कर अपने ही भाइयों को आपस में लडवाकर, अपनी रोटीयाँ सेंक रहे हैं ! आज इस कीटाणु ने किसी को भी नहीं छोड़ा !
अरे भाई जब इस कीटाणु से हमारे ग्रन्थ और पुराण , हमारा इतिहास तक नहीं बच पाया तो फिर हम जैसे आम इन्सान का क्या अस्तित्व हैं !माता केकई के स्वार्थ के कारण प्रभु श्रीराम को बनवास तक जाना पड़ा ! इतिहास में ऐसे कई गद्दार थे जिनके स्वार्थ के कारण देश के कई वीर योद्धाओं को अपने प्राण तक गंवाने पड़े ! सब कुछ स्वार्थ के कारण !
स्वार्थ अगर देश की एकता और अखंडता को बचाने के लिए हो तो अच्छा है ! किसी भूखे की भूख मिटाने के लिए हो--- तो अच्छा है ! रोते हुओं के आंसू पोंछने के लिए हो ----तो अच्छा है ! आपके स्वार्थ से किसी का भला हो---- तो अच्छा है ! इन सब के लिए इन्सान का स्वार्थी होना अच्छा है !
क्या आपके स्वार्थ से किसी को फायदा या नुक्सान हुआ ... सोचिये
धन्यवाद
जी हाँ यदि यह वायरस समाप्त हो जाये तो शायद कोई और वायरस जन्म ही न ले
ReplyDeleteसुन्दर आलेख
इस वाइरस को खत्म करने की दवाई का आविष्कार अभी नही हुआ है क्योकि इंसान ही नही चाहता कि इस का आविष्कार हो!! जब होगा तब दुनिया का यह स्वरुप नही होगा !!!
ReplyDeleteतुलसी स्वारथ मीत सब.. परमारथ रघुनाथ..
ReplyDeleteबढिया लेख!
ReplyDeleteबढिया लेख!
ReplyDeleteदेश को चलाने बाले बड़े बड़े नेता, मंत्रीगण और आला अधिकारी अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए देश के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं ! जिसका परिणाम आज इस देश की आम जनता को भुगतना पड़ रहा है
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