Tuesday, December 31, 2013

नव-बर्ष हम सभी के लिए शुभ-मंगलमय हो ( Happy New Year 2014 ) …… >>> संजय कुमार

सर्व-प्रथम सभी  साथियों को एवं परिवार के सभी सदस्यों को नवबर्ष 2014 की हार्दिक बधाई , ढेरों अनेकों शुभ-कामनाएं ! आने वाला बर्ष आप सभी के जीवन में नयी उमंग-तरंग और ढेर सारी खुशियाँ लेकर आये ! आप सभी परिवार सहित स्वस्थ्य रहें, मस्त रहें , एवं सफलता के सबसे ऊंचे पायदान पर पहुंचे ! गुजरे साल के अच्छे और  खुशनुमा पलों को याद कर , बुरे वक़्त को भुलाकर , आने वाले नवबर्ष २०१४ का स्वागत करें  ! अच्छे पलों को याद करते हुए आगे बढ़ें जो हमें उत्साहित करते हैं और जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं ! हमें अपनी पिछली गलतियों से सबक लेना होगा , अपनी भूलों को सुधारना होगा , अपने अनुभवों और ज्ञान को बांटना होगा , आने वाले बर्ष में सफलता अर्जित करने के लिए तत्पर रहना होगा , आदर्श स्थापित करना होंगे कदम - कदम पर चुनौतियाँ हमारा रास्ता रोकेंगी और हमें उनका सामना और समाधान बड़ी ही सूझ-बूझ और कड़े परिश्रम से करना  होगा ! हमें अपने आपको पूर्ण बनाने के लिए , व्यक्तित्व में निखार लाने के लिए हमें अपने जीवन में अपने कुछ सिद्धांत बनाने होंगे और उन पर सिद्धांतों का पालन करने के लिए पूर्ण  ईमानदारी के साथ द्रण रहना होगा ! आज हमारे देश में जो हालात हैं , हम जिस वातावरण में अपना जीवन-यापन कर रहे हैं वहां पर अब हमें ज्यादा सतर्क , सचेत और होशियार रहना होगा तभी हम सब सलामत और सुरक्षित हैं ! 


आप सभी परिवार सहित इस नव-बर्ष २०१४  का स्वागत कीजिये , 

एक बार फिर से आप सभी को नवबर्ष की ढेरों -अनेकों शुभ-कामनाएं 

धन्यवाद 

संजय कुमार & गार्गी चौरसिया 
देव & कुणाल  

Friday, November 15, 2013

हाँ ..हाँ ...हाँ मैं लवगुरु " अ धर्मात्मा " हूँ कोई शक ………( व्यंग्य ) ....... >>> संजय कुमार

अभी २  महीने पहले की ही बात है ! एक टीव्ही न्यूज चैनल  साउथ के किसी बाबा मतलब आज के आधुनिक संत की धोती फाड़ने में लगा हुआ था ! अब धोती तो फटनी ही थी क्योंकि उसमें आम जनता की मेहनत की कमाई का करोड़ों अरबों का माल जो छुपा रखा था और अब जो " बाबा " की धोती फटी तो अब रुकने का नाम ही नहीं ले रही है ! क्या करें ये तो इस देश का  दुर्भाग्य ही है जो इस  देश की जनता को हर किसी ने जी भरकर लूटा , चाहे फिर वो  सोनाधारी , भगवाधारी हो या कोई  सफेदपोश ,सब की यही कहानी ! आज देश के सभी साधू संतों को बड़ी ही घृणित द्रष्टि से देखा जा रहा है ! कुछ " बाबा " तो बहुत बुरी तरह डर गए हैं और कह रहे हैं ! आज जहाँ देखो , जिसे देखो हमारे  पीछे हाँथ धोकर नहीं बल्कि नहा -धोकर पीछे पड़ गए  है ! कहीं मेरे खिलाफ जुलुस निकाले जा रहे हैं तो कहीं मुर्दाबाद और हाय- हाय के नारे लगाये जा रहे हैं ! कोई मेरे खिलाफ " फाँसी "  की मांग कर रहा है तो कोई अन्य तरीकों से मुझे घेरने की हर तरफ से बदनाम करने की नाकाम कोशिश में लगा हुआ है ! आखिर कब तक हम जैसे " अ धर्मात्मा " लोगों को परेशान किया जाता रहेगा  ? आखिर हमारा कसूर क्या है ? आखिर हम भी इंसान है ( कामवासी  ) हमें भी खुली हवा में सांस लेने का अधिकार है ! आज पूरा देश हमें नफरत भरी निगाहों से देख रहा है क्यों ? इसलिए की हम सच को स्वीकार नहीं कर रहे हैं ! मैं आज इस देश की अवाम से एक बात खुलकर कहना चाहता हूँ कि , आप लोग हमें घ्रणा की द्रष्टि से ना देखें .... हम  अब रोज रोज की बातों और सबूतों को सुन-सुनकर तंग आ चुके हैं , इसलिए  मैं आज सब कुछ स्वीकार करने को तैयार हूँ ! हाँ ... मैं कोई साधू संत नहीं हूँ मैं तो वो हूँ जो धर्म के नाम पर आपको बेबकूफ बनाता रहा,  सच कहूं तो इस देश की जनता है ही बेबकूफ  और भोली जो सदा लुटने को तैयार रहती है , अगर मैंने लूट लिया तो क्या गलत किया ! आज  कलियुग  के  " राम " से तो यही " आशा " की जा सकती है ! आज कोई " नारायण " बनकर तो कोई " साईं " बनकर लूट रहा है ! आखिर इस देश के नेता भी तो अपने पूरे कुटुंब के साथ इस देश को लूट रहे हैं फिर मेरे ही पीछे ही क्यों सभी हाँथ धोकर पीछे पड़ गए ! मैं कोई पहला और आखरी तो नहीं हूँ जिसने ऐसा किया हो , पहले भी कई पकडे गए हैं और जो नहीं पकडे गए वो भी कभी ना कभी पकड़ में आ ही जायेंगे ! ये तो मेरे बुरे दिन थे जो इस उम्र में आकर ये सब देखना पड़ा  ! अब अगर पकड़ा भी गया तो क्या हुआ कम से कम मेरी उम्र का तो लिहाज करो , मेरे द्वारा दिए गये धर्म उपदेशों को तो याद करो ! अगर मेरे उपासक ऐसे ही मेरे खिलाफ झूँठे प्रमाण देते रहे तो मुझे मजबूरी बस सब कुछ स्वीकार करना होगा और ये बात स्वीकार करते हुए मेरे मन में किसी भी प्रकार की कोई आत्मग्लानि नहीं होगी और यही 100%  सत्य है जो आप सबके सामने आ रहा है ! आज मेरी मदद को कोई भी नहीं आ रहा है ! जो बड़ी - बड़ी हस्तियां कभी मेरे पैरों पड़ी रहती थीं वो भी सब मुझे भूल गए हैं ! अब समझ में आया कि , ये खादीधारी नेता किसी के नहीं होते , वर्ना किसी की मजाल थी जो मुझे कोई हाँथ भी लगा पाता ! सब कुछ चल रहा था ना अब तक !  
कल ही " बाबाजी " के एक खास ने मुझे ये  सारी बातें और कई रहस्यों से पर्दा उठाया और ये राज की बातें सुनाते वक़्त वह बहुत ही उदास था और  उसकी उदासी और पीड़ा को देखते हुए मुझे ऐसा लगा कि , मुझे इस दुखी " बाबा " की बात आप तक अवश्य पहुंचानी चाहिए ! ये बात वो भी आप लोगों तक पंहुचा सकता था किन्तु उसने मुझसे कहा  " शायद मेरी इस बात को आप लोग राजनीति का कोई नया पैंतरा ना समझें " इसलिए उसने ये बात मेरे समक्ष रखी ! आजकल हमारे देश में चारों तरफ जहाँ देखो वहां सिर्फ भ्रष्टाचार और घोटाले ही छाये हुए हैं ! सुबह सुबह जब अखबार खोलकर देखो तो एक नया घोटाला , टेलीविजन पर न्यूज़ में हर वक्त घोटाला और भ्रष्टाचार इसके अलावा इस देश में अब कुछ नहीं चलता ! किन्तु अब भ्रष्टाचार की बात कोई नहीं कर रहा है ! क्योंकि हमाम में तो सब नंगे होते हैं ! आजकल तो चारों ओर " बाबा " राहुल बाबा " भगवान का रिटायरमेंट ( सचिन ) बस यही छाया हुआ है ! आजकल जितना कुछ " बाबाओं " को सहना और सुनना पड़ रहा है शायद ही किसी और को इतना सहना और सुनना पड़ रहा हो ! आज हर जगह उनको बुरी नज़र से देखा जा रहा है ! कोई भी कभी भी उनसे कुछ भी पूंछने लगता है , सवालों की बौछार कर दी जाती है ! जब देखो तब उनको बिना बात के परेशान किया जाता है ! बाबा  थक गए हैं जबाब देते देते ! आज बाबाओं  की हालत देखकर मेरा मन भी दुखी हो जाता है ! जब मैं उनकी दुःख तकलीफ को देखता हूँ तो मुझे बहुत बुरा लगता है मुझसे रहा नहीं जाता ! क्यों उनके साथ ऐसा बुरा व्यव्हार हो रहा है ? जब मैंने एक और बाबा से उसके धंधे मतलब  " बाबागिरी " के बारे में  पूंछा तो उसने मुझे बताया ...... " अगर मैंने कुछ  गुनाह कर भी दिया तो वो मेरी " मजबूरी " थी क्योंकि मैं इस कलियुग का लवगुरु  मतलब धर्मगुरु हूँ , सच्चे और असली धर्मगुरु तो पुराणों में हुआ करते थे !.और यदि मैंने कोई गलती कर भी दी  है तो उसे जाने भी  दो , ऐसा किसने कह दिया कि आप हमें इंसान ही ना समझें !
मैं देश के सभी " बाबाओं " से आग्रह करूंगा कि , आपको अब किसी से कुछ छुपाने की या डरने की कोई जरुरत नहीं है सच को स्वीकार कर लो ! कहावत तो सुनी होगी " इश्क़ और मुश्क " छुपाये नहीं छुपते एक दिन बाहर आ ही जाते हैं ! इसलिए धर्म की आड़ लेकर धर्म और सच्चे " गुरुओं "  को बदनाम ना करो , पाप का घड़ा जब भरता है तो फूटता ही है ! कहावत भले ही कितनी पुरानी  हो पर १००% सच्ची है !

धन्यवाद 

Friday, November 8, 2013

वो मेरा गाँव ……>>>> गार्गी की कलम से

अब लगता है वो स्वर्ग था 
शायद वह सुख अब 
नामुमकिन हो गया 
ना अब बैलों के गले में बंधी 
घंटियाँ सुनाई देती हैं 
ना बैलगाड़ियों कि चरमराहट 
ना सुबह 
माँ  की चकिया  की आवाज 
ना  वो शाम को 
गाय बकरियों की आवाज 
ना वो टिकटिकी की आवाज 
A C के तंग रूम में 
वो बात कहाँ 
जो  सितारों से भरे 
आसमान के नीचे 
खुले आँगन या 
छत पर हुआ करती थी
उस समय खौफ और फ़िक्र से 
घिरे ना थे हम 
बेख़ौफ़ सोते थे हम 
बेफिक्र उठते थे 
एक कटोरे गेंहूं से 
मनचाही चीज 
खरीदा करते थे 
 तब हमको पैसों का 
मोल पता ना था 
अब मिटटी से बचते हैं 
तब सुगंधित मिटटी में 
खेला करते थे 
वो खेत , वो नहर
घर के सामने 
वो पीपल , बरगद का पेड़ 
सब धीरे धीरे मिटते गए 
और अब  सिर्फ 
मेरी यादों में  गए !
जिसे गाँव की तरक्की कहते हैं
वो मेरे गाँव का खो  जाना है 

धन्यवाद 
      

Saturday, November 2, 2013

दीपावली की हार्दिक शुभ-कामनाएं ..........>>> संजय कुमार

आप सभी साथियों को ,


परिवार के सभी सदस्यों को पावन पर्व दीपावली की हार्दिक शुभ-कामनाएं ! यह पर्व आपके जीवन में ढेर सारी खुशियाँ लाये ! आप सभी , परिवार सहित हर्ष-उल्लास के साथ यह पर्व मनाएं ! यह पर्व आपके जीवन में प्रकाश लाये , आप सपरिवार सहित स्वस्थ्य रहें , मस्त रहें ! धन की देवी " माँ लक्ष्मी " आप पर सदा मेहरबान रहें ! देवी " माँ सरस्वती " की असीम कृपा आप पर बनी रहे ! " श्री गजानन " आपको बल बुद्धि प्रदान करें ! आपका अपने परिवार के साथ असीम प्रेम और स्नेह का भाव जीवन पर्यंत बना रहे !


सजे घर आँगन,
करे श्रृंगार हर कोना
हो गृहप्रवेश, खुशियों का
दमके गली कूचा हो जैसे सोना


दीपावली की बहुत बहुत हार्दिक शुभ-कामनाएं




Happy - Diwali ..................... Happy - Diwali ........................ Happy - Diwali


शुभ-कामनाओं सहित
संजय कुमार चौरसिया 

Monday, October 21, 2013

करवा चौथ ……………………. >>>> गार्गी की कलम से

व्रत तो एक बहाना है 
सच तो ये है 
कि ,
मुझे तुम्हारे दिल में 
और अन्दर तक समाना है !
यूँ तो तुमने मुझे 
अपना सब कुछ दे दिया 
पर हर जन्म में
तुम मेरे और 
मैं तुम्हारी ही रहूँ 
इसके लिए इश्वर को 
मनाना   है !

( प्रिये पत्नी गार्गी की कलम से )

धन्यवाद  

Wednesday, August 14, 2013

आजादी का जश्न मनाने से पहले , चलो मन से आजाद हो लें ( स्वतंत्रता दिवस ) ……>>>> संजय कुमार

हमारा देश अपनी आजादी के ६६ साल पूरे कर रहा है ! लेकिन आज़ादी के ६६  साल बाद भी हम आज़ाद होते  हुए भी कहीं ना कहीं गुलामी की मानसिकता में जकड़े हुए हैं ! आज भी ढेर सारी रूढ़ीवादी परमपराओं से हमारा देश उबर नहीं पाया है !  आज भी आज़ादी को लेकर हमारे मन में प्रश्न उठता है कि .... क्या हम आज़ाद हैं .....? जबाब हाँ भी है और ना  भी जो लोग हाँ में जबाब देते हैं उनका कहना है .... हमारे देश को आजाद हुए ६६  बर्ष पूरे हो चुके हैं  इन ६६  बर्षों में हम भारतवासियों  ने सही मायने में  आजादी का मतलब समझा और जाना है ! एक आजाद इंसान वो सब कुछ कर सकता है जो एक आम आदमी गुलाम होकर नहीं कर सकता हमारे देश ने  इन ६६  बर्षों में  बहुत तरक्की की है और आज भी विकास की ओर अग्रसर है ! आज भारत का नाम विश्व स्तर पर छाया हुआ है जिसे देख कर आज हर भारतीय अपने आप पर गर्व महसूस करता है ! पहले हमारी गिनती गुलाम और पिछड़े हुए देशों में आती थी किन्तु आज़ादी के बाद आज ऐसा नहीं है ! आज हमारा वर्चस्व हर क्षेत्र में है ! आज हमारा लोहा विश्व के कई देशों ने माना है ! हम हर क्षेत्र में उपलब्धियां हांसिल कर रहे हैं  ! विज्ञानं , खेल , तकनीकी , शिक्षा आदि में भारतियों ने सफलता के झंडे गाड़े हैं !
सच कहूँ तो हम कहने को तो आजाद हैं , किन्तु मन से आजाद नहीं हैं ! कहीं ना कहीं हम आज भी गुलाम हैं ! कुछ हालात से मजबूर , कुछ गरीबी से , कुछ पुरानी रूढ़िवादी प्रथाओं की जंजीरों में जकड़े हुए हैं ! आज देश के जो हालात हैं यहाँ जीवन यापन करने वाले लाखों - करोड़ों लोगों की जो हालत है उन्हें देखकर ऐसा लगता है कि, ये लोग  तो आज तक आजाद ही नहीं हुए हैं और  इनकी हालत तो आज  गुलामों से भी बदतर है ! इससे तो ऐसे लोग अंग्रेजों की गुलामी में ज्यादा अच्छे थे , कम से कम एक बात तो अच्छी थी कि।  हमारे पैरों में गुलामी की बेड़ियाँ किसी दुश्मन ने डाल रखीं थीं , हम आशांवित थे कि , इस गुलामी से कभी ना कभी आजादी तो मिलेगी , किन्तु आज दुश्मन से ज्यादा बुरा सुलूक तो हमारे अपने हम से कर रहे हैं ! किन्तु हमें इन अपनों से  आजादी कौन दिलाएगा ! आज भारत में आजादी के इतने बर्षों बाद भी लाखों मजदूर गुलामों से भी बदतर ( बंधुआ मजदूर ) सा जीवन व्यतीत कर रहे हैं ! साहूकारी , खाप - पंचायत , ऊँच -नीच का भाव , जातिवाद , दहेज़ , विकृत मानसिकता जैसी कुरीतियाँ जिनसे  हम अभी तक आजाद नहीं हो पाए हैं ! आखिर हमें इनसे  कब मिलेगी आजादी ? हम कुछ जरुरत से ज्यादा आजाद हो गए और आजाद होकर हमने आजादी का गलत फायदा उठाया , फिर  चाहे वो हमारी बिगड़ी हुई लापरवाह और  लक्ष्य से भटकी हुई , अपने घटिया कारनामों से माँ - बाप का और इंसानियत का सिर शर्म से झुकाने वाली युवा पीढ़ी हो , फिर  चाहे देश के नामी- गिरामी राजनीतिज्ञ हों , आला अधिकारी हों , साधू -संत हों जिन्होंने आजाद देश को पूरी आज़ादी के साथ दुश्मनों की तरह लूटा ! सिर्फ अंग्रेजों की गुलामी से आजाद होना ही असली आज़ादी नहीं हैं ! आज देश के बुरे हालातों से हम सब बुरी तरह घिरे हुए हैं आखिर उनसे आज़ादी कब  मिलेगी ? दिन -  प्रतिदिन बढ़ती हुई महंगाई से कब मिलेगी आज़ादी ?  दिन-प्रतिदिन बढ़ते पाप-अत्याचार , जुल्मों-सितम से कब मिलेगी आज़ादी ? पूरा देश बेईमानों , घूसखोरों , घोटालेबाजों , भ्रष्टाचारियों के चंगुल में फंसा हुआ है .. कब मिलेगी इनसे आज़ादी ? अजन्मी बच्चियों , निर्दोष मासूमों , दहेज़ के लिए जलाई गयी बेटियों के कातिलों से कब मिलेगी आज़ादी  ?  मासूम बच्चों को मिड डे -मील जैसे हादसों से कब मिलेगी आजादी ? ये ऐसे प्रश्न हैं जिनका जबाब शायद हम सभी के पास है और जबाब शायद ना में है ! फिर भी हम पूरी तरह से आजाद हैं अपनी बात रखने के लिए ! अपने हक की लड़ाई लड़ने के लिए ! अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने के लिए ! आजादी का सही मतलब क्या है ? ये हमें जानना होगा ! एक दिन का जश्न मनाने से कुछ नहीं होगा ! हमें अपने मन से भी आजाद होना होगा ! जो इंसानियत , भाईचारे , प्रेम - एकता से भरा हुआ हो ! 

आप सभी साथियों एवं समस्त देशवासियों को " स्वतंत्रता दिवस " की ढेर सारी बधाइयाँ और शुभ-कामनाएं देता हूँ ! 
आइये हम सब अपने मन में उठने वाले नकारात्मक विचारों से आजाद होकर इस पर्व को ख़ुशी- ख़ुशी  मनाएं !

जय हिन्द …… वन्दे मातरम् ……… ……  इन्कलाब जिन्दाबाद …… जय हिन्द 

धन्यवाद   


Wednesday, July 3, 2013

क्षति ............. >>>>> गार्गी की कलम से

पेड़ पर चली कुल्हाड़ी 
पैरों पर पड़ गई 
खुशियाँ मातम में 
वदल गई 
गलती तो हुई 
और उसकी 
सजा भी मिली 
जो भावात्मक " क्षति " हुई 
उसकी पूर्ती क्या 
संभव है .....?
नहीं !
अगर हम 
अब भी ना चेते 
तो शायद 
संभलने का 
दूसरा मौका ना मिले ......

( गार्गी की कलम से )

धन्यवाद  

Wednesday, May 15, 2013

टूटी हुई माला को अब जोड़ना होगा .....( परिवार -दिवस ) .......>>>> संजय कुमार

एक - एक मोती चुनकर , एक ही धागे में कई मोतियों को पिरोकर बनाई जाती है माला ! माला फूलों की होती है ! हीरे - जवाहरात , नग , सोने - चाँदी और भी कई प्रकार की होती है ! जब माला किसी के गले में पहनाई जाती है तो पहनने वाले का महत्त्व और भी ज्यादा बड़ जाता है ! सच तो ये है कि , माला उन्हीं के गले में डाली जाती है जो उसके असली हक़दार होते हैं ! खैर ये तो मालाओं की व्याख्या है ! किन्तु  मैं जिस माला की बात कर रहा हूँ उसका तात्पर्य हम सभी से है और वो मोतियों की माला हमारा संयुक्त परिवार है ! एक माला जिस तरह अपने में सभी मोतियों को पिरोकर रखती है ठीक उसी प्रकार एक संयुक्त परिवार अपने परिवार के सभी सदस्यों को एक माला के रूप में  बाँध कर रखता है ! एक मजबूत माला वही होती है जिसका धागा मजबूत होता है अर्थात माला रुपी परिवार के सभी सदस्य जिनके अन्दर संस्कार , अपनापन , एक-दुसरे के प्रति प्रेम का भाव आदि होते हैं , और ये सब कुछ एक संयुक्त परिवार में ही हो सकता है ! क्योंकि हम एक संयुक्त परिवार में रहकर ही नियंत्रित होते हैं ! एकल परिवार प्रणाली में हमारे ऊपर नियंत्रण का आभाव होता है जिससे कई समस्याएं हमारे सामने उत्पन्न होती रहती हैं ! सभी सदस्यों का आपस में एक - दुसरे के प्रति मान- सम्मान , आदर , संस्कार , एक -दुसरे के प्रति प्रेम का भाव और अपनापन जहाँ ये सभी चीजें एक साथ उपस्थित होती हैं, तो उस जगह को हम एक परिवार कहते हैं , हँसता -खेलता परिवार ! आज के दूषित माहौल में समाज का सर्वश्रेष्ठ परिवार ! सच तो ये है हमारी एकता में जो शक्ति है वो शायद किसी अकेले इंसान में नहीं है ! अकेला इंसान आज के समय में कुछ भी नहीं है और  यह बात बिलकुल सही है ! क्योंकि हम जानते हैं  एकता और संगठन की शक्ति को ! जब हम संगठन की ताकत से भली-भांति परिचित हैं तो फिर क्यों हमारा पारिवारिक संगठन टूट रहा है ! आज के आधुनिक युग ने हमें भले ही बहुत कुछ दिया हो फिर भी हमने आधुनिक बनने की होड़ में बहुत कुछ खोया है ! आप भी इस बात से सहमत होंगे ......

एक समय था जब हम किसी के घर जाते थे तो वहां पर हमारी मुलाकात परिवार के सभी सदस्यों से होती थी तो मन को एक अनूठी सी ख़ुशी मिलती थी मन प्रसन्न हो जाता था ! घर में दादाजी -दादीजी, माता -पिता , चाचा-चाची, भैया-भाभी, और भी कई रिश्ते जिनसे एक घर सम्पूर्ण परिवार बनता है ! ( आज मुमकिन नहीं लगता आज हमारे पास घर हैं किन्तु परिवार नहीं ) पर जैसे जैसे समय बीत रहा है ! जब से इन्सान अपने आप से मतलब रखने लगा है  सिर्फ अपने बारे में सोचने लगा है जबसे उसने परिवार के बारे में सोचना छोड़ दिया है तब ऐसी स्थिति में परिवार के सदस्यों का एक - दुसरे के प्रति अपनेपन का भाव खत्म होने लगता है और शुरुआत हो जाती है एक संयुक्त परिवार रुपी माला के टूटने की ! जब अपनापन खत्म होता है तो पारिवारिक एकता में  विघटन और वदलाव होने लगता है ! कारण एक -दो नहीं कई हैं और सबसे बड़ा कारण हमारा अपने ऊपर नियंत्रण का ना होना , सब्र की कमी , बात - बात पर अपना आपा खो देना जिस कारण से आये दिन घर- परिवार में लड़ाई - झगडे की स्थिति बनी रहती है ! आये दिन होने वाले इन्हीं झगड़ों के कारण अपनों से अपने परिवार से दूर हो रहा है ! इन्हीं बातों को लेकर परिवारों के बीच दीवार खींच जाती है ! ऐसी स्थिति में एक बड़ा सा परिवार बदल जाता है चिड़ियों के घोंसलों जैसा और  जब एक बार अपनों के बीच दीवार खिंच जाती है तो फिर हमारा परिवार , परिवार नहीं कहलाता  ईंटों की चार दीवारी से बना घर कहलाता है और बन जाता है ईंट पत्थर से निर्मित एक मकान ! आज इस विघटन और वदलाव से हमारा कितना अहित हो रहा है , शायद हम ये बात बहुत अच्छे से जानते है  लेकिन जानकर भी अनजान हैं ! इसका असर आज हम देख रहे हैं सुन रहे हैं ! अपने बच्चों से दूर होते संस्कार के रूप में , दूर होती रिश्तों की महक , खत्म होती अपनत्व की भावना और प्रेम , एक-दुसरे का मान-सम्मान करने का भाव और  ये सब कुछ हो रहा है परिवार के बंटने से ! जब से हम वदले तब से वदल गयी हमारे घर- परिवार की कहानी  और ये कहानी आज की है ! आज ये कहानी " घर - घर की कहानी " है !
हम सभी को ईंट - पत्थर से बने मकानों से निकलकर अपने घर - परिवार में वापस आना होगा या फिर हमें फिर से अपने परिवार जो जोड़कर एक सम्पूर्ण परिवार बनाना होगा ! यदि हमारे अन्दर परिवार के किसी सदस्य के प्रति मन में नाराजगी है तो आपस में बैठकर उसे दूर करना होगी अन्यथा ये परिवार विघटन रुपी खाई और गहरी ...... गहरी होती जाएगी ........ क्या हम इस पर विचार कर सकते हैं ......? क्या हम आगे बढ़कर टूटे हुए परिवार को जोड़ सकते हैं ! अब हमें पुनः माला  में मोती पिरोकर  टूटी हुई माला को जोड़ना होगा 

धन्यवाद

Sunday, May 12, 2013

तलाश जारी है ...( मदर्स - डे Mother's Day ) ........>>> गार्गी की कलम से

आपकी हर वेदना
मेरी संवेदना हो गई 
आपकी जिंदगी 
मेरे लिए सबक हो गई 
कौन कहता है कि ,
" खुशियाँ "
आती जाती रहती हैं 
आपके करीब थे जब तक 
सुकून ना खोया था 
दूर होकर आपसे 
खुशियाँ भी बिना  सुकून हो गई ,
पा कर भी जिंदगी का 
हर एक सुख 
लगता है कभी - कभी 
जैसे सब कुछ खो दिया है !
मेरे जीवन में 
निःस्वार्थ प्रेम और 
विश्वास की परिभाषा 
आप हो मेरे लिए 
आपको हर किसी में 
खोजती हूँ 
तलाश जारी है अभी , ............ " माँ "

( प्रिये पत्नी गार्गी की कलम से ) 

धन्यवाद   

Friday, April 26, 2013

गरीबी का जहर और बाल श्रम .......>>> गार्गी की कलम से

मैंने अपने बेटे को देखा 
प्लेटफ़ॉर्म पर हाँथ फैलाते हुए 
ढावों पर चाय - पानी देते हुए 
गलियों में कचरा बीनते हुए 
खाने - पीने की चीजें चोरी करने पर 
पब्लिक से मार खाते हुए ........
यूँ तो मेरा  बेटा 
अच्छे स्कूल में पढ़ता  है 
अच्छा खाता है 
पहनता है 
खेलता है !
उसे वो सब मिलता है 
जो उसे मिलना चाहिए 
वो उसका हक है !
पर जब भी मैं , किसी 
बेबस , लाचार 
बच्चे को देखती हूँ 
तो उसमें मुझे 
अपने बेटे का 
चेहरा नज़र आता है !
" बाल श्रम " अपराध है 
ऐसा कह देने से,
कानून बन जाने से 
अपराध रुका नहीं 
क्योंकि समाज और देश का 
सिस्टम नहीं बदला 
जब तक सिस्टम नहीं बदलेगा 
गरीबी का जहर 
इस देश इस समाज  में 
फैला ही रहेगा , और 
बचपन 
दम तोड़ता ही रहेगा 

( प्रिये पत्नी गार्गी की कलम से )

धन्यवाद 

Wednesday, April 3, 2013

होनहार बच्चे और उनके माता - पिता जरा ध्यान दीजिये . ... आपकी खुशियों का सवाल है ....>>> संजय कुमार

अभी पिछले दो हफ्ते पहले की बात है , हमारे शहर ग्वालियर में एक नौंवी कक्षा की होनहार स्कूल छात्रा ने अपने ही पिता की बन्दूक से अपने आप को गोली मारकर आत्महत्या कर ली , इस दिल दहला देने वाली घटना को जिसने सुना दंग रह गया , आखिर क्यों उसने ऐसा किया ?  जब कारण मालूम चला तो लोगों के होश उड़ गए .. कारण था उस छात्रा का परीक्षा में गणित का पेपर बिगड़ना .. क्या इतनी छोटी सी बात पर आत्महत्या कर लेना सही था ...?  मैं तो कहता हूँ कि , किसी भी बात पर आत्महत्या कर लेना सबसे बड़ी बुजदिली की निशानी है ! आत्महत्या किसी भी समस्या का समाधान नहीं है अपितु इससे अनेकों प्रश्न हमारे सामने उत्पन्न होते हैं ! फिर भी इस तरह के मामले हम हर साल सुनते और देखते हैं ! इस तरह के अनेकों मामले हमारे सामने कई बार आये हैं ! जब किसी छात्र -छात्रा ने परीक्षा में फ़ैल होने पर अपने गले में फाँसी का फंदा डालकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली ?  जरा जरा सी बात पर बच्चों का इतनी जल्दी आप खो देना अपनी जान लेने की कोशिश करना .? आखिर क्यों .? क्या गुजरती होगी ऐसे माता - पिता के दिल पर जब वो अपने ही बच्चों की लाश अपने कन्धों पर ढोते होंगे , जिन कन्धों पर बैठाकर उनको उज्जवल भविष्य के सपने दिखाए ? क्या इसी दिन के लिए माता-पिता अपना पेट काटकर अपने बच्चों के सुनहरे भविष्य का सपना देखते हैं ! अब इस तरह के मामलों में हम किसको दोष दें  ?  कौन है इसके लिए जिम्मेदार ? शायद हम सभी जिम्मेदार हैं इस तरह के हादसों के लिए ! एक कारण ... माता - पिता द्वारा बच्चों पर अधिक प्रेशर का डालना कि,  हर हाल में , किसी भी कीमत पर अच्छे नंबरों से पास होना ही पड़ेगा, फिर चाहे इसके लिए तुम्हें २४  घंटे ही क्यों ना पढ़ना पड़े ? हमें तुमसे बहुत उम्मीदें हैं इत्यादि ! स्कूल का प्रेशर हमेशा होनहार बच्चों पर रहता है,  क्योंकि स्कूल की रेपुटेशन का सवाल होता है जहाँ टीचर्स बच्चों पर कुछ ज्यादा ही दबाब बनाते हैं ! या फिर बच्चे स्वयं इसके लिए जिम्मेदार है जो जरा जरा सी बातों पर अपनी सुध-बुध खो देते हैं ! एक दुसरे से आगे निकलने की होड़ जिसके लिए कुछ भी कर गुजरें ! सच कहूँ तो जिम्मेदार हम सभी हैं और हम सभी को इसकी जिम्मेदारी लेनी भी होगी ! क्योंकि किसी की एक गलती हमसे हमारी खुशियाँ छीन सकती हैं ! फिर भी सच तो ये है कि बच्चे तो बच्चे होते हैं उनमें बचपना भी बहुत होता है और लम्बे समय तक ये उनके साथ भी रहता है ! बच्चों में ज्ञान की कमी होती है , उन्हें सही गलत का अनुमान नहीं होता , कौन सी बात उनके मन में कब घर कर जाये इसका अनुमान हम लोग नहीं लगा सकते ! फिर भी बच्चों की उम्र के इस पड़ाव में उन्हें माता-पिता के साथ की आवश्यकता हमेशा होती है ! इस उम्र में बच्चों की सोच उनके हाव-भाव , व्यवहार में तेजी से परिवर्तन होता है ! कुछ बच्चे वक़्त के साथ ढल जाते हैं और सही गलत का अनुमान लगा लेते हैं फिर भी सभी बच्चों को उचित मार्ग-दर्शन की आवश्यकता होती है ! जब से हमने अपने आप को जरूरत से ज्यादा व्यस्त कर लिया है तब से हम लोगों का ध्यान अपने बच्चों से और उनकी दिनचर्या , क्रिया-कलाप , व्यवहार से पूरी तरह हट गया है और आज अधिकांश परिवारों में  यही स्थिति है ! बच्चों के लिए माता-पिता का प्यार , स्नेह , मार्ग-दर्शन , उनके लिए समय निकालना किसी संजीवनी बूटी से कम नहीं है ! अगर बच्चों के लिए माता-पिता के पास समय नहीं है तो इस तरह की  स्थिति उनके साथ भी निर्मित हो सकती है ! खास तौर पर होनहार बच्चे इस तरह की वारदात को ज्यादा अंजाम देते हैं ! क्योंकि वो इस बात को बहुत गहराई से सोचते हैं और असफल होने पर उन्हें शर्मिंदगी महसूस होगी ! बस यहीं वो गलती कर जाते हैं  ! माता-पिता जब बच्चों को ज्यादा होशियार समझने लगते हैं तो उनका भी ध्यान बच्चों से उनकी दिनचर्या से हट जाता है और वो बड़ी बेफिक्री महसूस करते हैं ! यदि आप ऐसा कर रहे हैं तो आप अलर्ट हो जाइये !
मैं सभी होनहार बच्चों से गुजारिश करूंगा कि , हमारा जीवन बहुत ही अनमोल है और ये जीवन हमें एक बार ही मिलता है ! हमें कभी भी छोटी - छोटी असफलताओं से निराश नहीं होना चाहिए और छोटी - छोटी सफलता पर किसी भी तरह का घमंड नहीं करना चाहिए ! क्योंकि ये दोनों स्थिति हमारे लिए हितकर नहीं हैं ! क्योंकि जान है तो जहान है और हम जिन्दा रह कर ही इतिहास बना सकते हैं ! सभी माता - पिता से गुजारिश है , कृपया अपने बच्चों को अपना समय दीजिये और जीवन उपयोगी बातों से उन्हें अवगत करायें ! 
विशेष ......>> जिन घरों में नन्हें - मुन्हें बच्चें हैं उन घरों में कृपया अपनों की ही मौत का सामान ना रखें जिन्हें हम हथियार कहतें हैं क्योंकि जब गोली चलती है तो वो ये नहीं देखती की कौन अपना है कौन पराया वो सिर्फ खुशियाँ छीनती है ..... इसलिए कहता हूँ कि , ... ये सवाल आपकी अपनी खुशियों का है !  

(एक छोटी से बात )

धन्यवाद 

Monday, April 1, 2013

अलविदा .... दोस्तों ..........>>> संजय कुमार

आज आप सभी को अलविदा कहते हुए मुझे बड़ा ही दुःख हो रहा है ! डरिये मत मैं जीवन को अलविदा नहीं कह रहा हूँ बल्कि ब्लॉग लेखन को अलविदा कह रहा हूँ क्योंकि अब ये मेरी मजबूरी है जैसे देश में घोटाले करना सरकार की मजबूरी है ठीक वैसे ही मेरी भी है पिछले तीन सालों से मैं  अपने ब्लॉग पर अपनी ढेर सारी पोस्टें आपको जबरदस्ती पढ़वाता रहा ,यहाँ भी मेरी मजबूरी थी ! सोचा आप सभी का मनोरंजन होगा ! मनोरंजन हुआ या नहीं मेरी तो समझ में  ही नहीं आया .... मैं क्या करता  मैं तो छोटा -मोटा ब्लॉगर हूँ कोई राईटर तो हूँ नहीं जो सबकी पसंद का लिख सकूँ , और ऐसा लिख सकूँ जो आप सभी को पसंद भी आये ! फिर भी मुझे तो जो आता गाया सो सो मैं लिखता गया ! आप सभी ने मेरी ३१०  पोस्टों को झेला ये मेरे लिए फक्र की बात है ! आप सभी ने भी बड़ी ही वीरता दिखाई और दिलेरी से मेरी पोस्टों को पढ़ा और  अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देकर मेरा उत्साहवर्धन किया  जिसका मैं सदा आभारी रहूँगा ! सोचता हूँ मेरे लिखने का आखिर मुझे क्या फायदा हुआ , ना तो मैंने आज तक कोई अवार्ड जीता है और ना ही कोई पुरुष्कार , ले -दे कर दो चार पत्रिकाओं में कुछ पोस्टें छप गयी और कुछ समाचार पत्रों में .... इससे आखिर होता क्या है ....?  सच तो ये हैं कि अब लिखने का मन नहीं होता , कारण तो बहुत हैं फिर भी सबसे बड़ा कारण तो समय है जो मेरे पास अब बिलकुल भी नहीं हैं ! अपने कार्यक्षेत्र में बढती जिम्मेदारियों के कारण लेखन के लिए समय का ना निकाल पाना ! जब आप किसी काम के लिए समय नहीं निकाल पाते तो उससे जुड़े होने का कोई मतलब नहीं है ! मेरा ऐसा मानना है कि , हमें ऐसे काम से अलविदा ही कह देना चाहिए ! अब मैं जब भी सिस्टम पर बैठता हूँ तो मेरा मन ब्लॉग खोलने और उस पर कुछ लिखने का बिलकुल भी नहीं करता  बल्कि मैं जब " फेसबुक " खोलता हूँ तो उससे दूर जाने का मन नहीं करता ....अब जिससे दूर रहा ना जाय तो उसके बारे में सोचना तो पड़ेगा ही ! एक बात सच बोलूं  मुझे ऐसा लगता है कि , अब ब्लॉग पढ़ने वालों की संख्या बहुत कम हो गयी है ! जब से " फेसबुक " आया है तब से ब्लॉग तो " दूरदर्शन " के जैसा हो गया है ......... फेसबुक , ट्विटर, की दुनिया बड़ी ही रंग - रंगीली है और ब्लॉग की दुनिया वही .... शेरो - शायरी , साहित्यिक रचनायें , कवितायेँ , गीत ग़ज़ल और क्या ....... इसके विपरीत फेसबुक पर ...... रंग-बिरंगी तस्वीरें , वाद- विवाद भरी बातें , अपनी सोती-जागती तस्वीरों पर हर किसी की वाह - वाही लूटना , एक दुसरे से चैट पर बातें करना ....... इत्यादि 
अब भई चमक - दमक की दुनिया तो हर किसी को भाति है ...... आज मुझे भी भा रही है ! 
आखिर क्या रखा  है ब्लॉग में ...... अब मैं भी औरों की तरह  फेसबुक पर हाँथ आजमाना चाहता हूँ ! इसलिए तो अब ब्लॉग को अलविदा और ..... फेसबुक ,ट्विटर का तहे दिल से स्वागत कर रहा हूँ ! 
हालांकि ब्लॉग ने मुझे तीन सालों में ढेर सारे अच्छे मित्र भी दिए हैं .. लेकिन फेसबुक पर तो मैं २-४ हज़ार मित्र तो बना ही लूँगा ! अब नए मित्रों की तलाश में .... ब्लॉग को अलविदा ......

















अरे भई मैं ये क्या मुर्खता कर गया ....... जिस ब्लॉग ने मेरी पहचान बनाई है मैंने उसे ही अलविदा कह दिया ! क्या करूँ अपनी तो आदत है ! अब एक बार जो मैंने कमेटमेंट  कर दिया तो फिर मैं अपने आप की भी नहीं सुनता ......... फिर चाहे वो फर्स्ट मार्च  हो या फर्स्ट अप्रैल फूल ! अलविदा तो अलविदा 


धन्यवाद 
( मुर्खता दिवस की शुभकामनयें ) 

Saturday, March 23, 2013

शहीदों को नमन ...... उनके जोश और जज्बे को सलाम .......>>> संजय कुमार

आज " शहीद दिवस " पर मैं सभी शहीद क्रांतिकारियों और उनके जोशीले व्यक्तित्व को शत शत नमन करता हूँ ! आज की युवा पीढ़ी के लिए हमारे ये वीर शहीद एक मिशाल हैं ... जो जज्बा देश पर मर - मिटने के लिए इनके पास था , आज उसी जज्बे की जरुरत इस देश को आज के युवाओं से है ! किन्तु आज का युवा जोश में कम अपितु आवेश में अधिक रहता है ! जोश और आवेश में अंतर तो बहुत नहीं हैं किन्तु इनके अर्थ हमारे लिए अलग अलग हो सकते हैं ! एक जोशीला युवक अपने समाज और देश की स्थिति में बदलाव ला सकता है उनको सुधर सकता है ! किन्तु एक आवेशित युवक अपना और अपने समाज का सिर्फ अहित ही कर सकता है क्योकि आवेश का एक रूप गुस्सा भी होता है और गुस्से में किये गए काम का फल कभी सकारात्मक नहीं होता ! जोश हमें हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है ! जीवन में सफलता हांसिल करने के लिए हमारे अन्दर जोश का होना अत्यंत आवश्यक है ! जोश और आवेश हर इंसान के अन्दर होता है ! मैं यहाँ बात करना चाहता हूँ सिर्फ सिर्फ आज के युवाओं की , उनके जोश और आवेश की ! किन्तु आज के युवाओं के अन्दर का जोश और आवेश दोनों ही उनके वर्तमान और भविष्य लिए  उनके परिवार के लिए घातक सिद्ध हो रहे हैं ! उदाहरण के तौर पर आपको एक पुरानी घटना से अवगत कराता हूँ , हालांकि इस तरह की घटनाएँ आज देश के हर छोटे -बड़े शहरों में आये दिन  होती रहती हैं  ! चार जोशीले युवक तेज गति से वाहन चलाने की शर्त लगाते हैं , वो भी रात के समय  शहर के व्यस्त हाइवे पर सिर्फ जोश में या यूँ कहें आवेश में ) रेस शुरू होती है और चंद मिनटों में सब कुछ खत्म ! एक वाईक पर सवार दो युवक सामने से तेज गति से आ रहे ट्रक से टकरा जाते हैं और एक मौके पर ही दम तोड़ देता है और दूसरा बुरी तरह घायल होकर अपना जीवन बचाने के लिए हॉस्पिटल में मौत से संघर्ष करता है , वो बच जाता है किन्तु महीनों बिस्तर पर पड़े रहने के बाद , क्या ये आवेश था या जोश इसे हम जोश कहेंगे किन्तु परिणाम नकारात्मक ! एक और उदाहरण ..... चार दोस्त किसी पार्टी में आपस में झगड़ते हैं और उन्हीं में से एक दोस्त आवेश में आकर वियर की बोतल फोड़कर एक के पेट में घुसेड देता है इसे हम जोश नहीं आवेश कहेंगे यहाँ भी परिणाम नकारात्मक  ! जिस जोश को हम प्रेरणादायक कहते हैं बही जोश आज हमसे हमारी खुशियाँ छीन रहा है हमारी खुशियाँ मातम में बदल रहीं हैं ! 
आजादी के पूर्व युवाओं में जो जोश होता था और उसके जो परिणाम आते थे वो सकारात्मक होते थे ! " भगत सिंह " चंद्रशेखर आजाद " राम-प्रसाद बिस्मिल " सुभाष चन्द्र बोस " जैसे क्रांतिकारियों को हम जोशीले युवकों के रूप में जानते हैं  ! इन सभी के जोश ने भारत को आजादी दिलाई ! ये सभी जोश से भरपूर थे आवेश से नहीं ! किन्तु आज का युवा जोश में भी है और आवेश में भी ! बदलते परिवेश के साथ आज के युवाओं का जोश सकारात्मक कम नकारात्मक ज्यादा है ! आज युवाओं में जोश है तो उल्टी-सीधी शर्त लगाने का , मसलन वाईक - कार रेस , देर रात तक पार्टियाँ करने का जोश , शराब पीने का जोश , नशा करने का जोश , बिना बात लड़ने - झगड़ने का जोश , जोश में आकर सिर्फ गलत काम करने का जोश जिसके परिणाम कभी भी सकारात्मक नहीं होते ! देखा जाय तो देश में सकारात्मक जोश वाले युवाओं का अकाल है ! आज आवेशित युवा दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे हैं ! युवाओं के जोश और आवेश के नकारात्मक परिणाम का फल या सजा आज उनके परिवार को भुगतनी पड़ रही है ! जब कभी कोई किसी दुर्घटना में मारा जाता है तो हम सबसे पहले जोश और आवेश को ही दोषी मानते हैं ! आज के युवाओं में धैर्य और सब्र नाम की चीज बिलकुल भी नहीं हैं ! आज हमारे देश का युवा नकारात्मक पहलुओं की ओर ज्यादा तेजी से अग्रसर हो रहा है और  इसके कई कारण हो सकते हैं जरुरत से ज्यादा आजादी , माता-पिता द्वारा बच्चों की हर खवाहिश को बिना सोचे समझे पूरी करना , संस्कारों की कमी , नियंत्रण का अभाव , सही मार्ग-दर्शन का ना होना ! बहुत सी बातें हैं जो युवाओं के जोश का नकारात्मक पहलु हमारे सामने लाती हैं ! युवा इस देश का भविष्य हैं ! इस देश को जोशीले युवकों की आवश्यकता है , वो जोश जो देश की तस्वीर बदल दे , ना कि उनकी तस्वीर पर फूलों की माला ! 
युवाओं अभी भी समय है अपने जोश को सकारात्मक बनाओ ! हमारे देश के वीर शहीदों को अपना आदर्श बनायें ना की किन्हीं फ़िल्मी हस्तियों को ......
शहीदों को नमन ...... उनके जोश और जज्बे को सलाम 

धन्यवाद 



Friday, March 8, 2013

महिला दिवस अब प्रतिदिन मनाना चाहिए ( Women's Day ) .....>>> संजय कुमार

सच कहूँ तो अब प्रतिदिन हमारे देश में महिला दिवस मनाया जाता है ! फर्क सिर्फ इतना है कि, महिलाओं का सम्मान हम सिर्फ प्रचलित " महिला दिवस " पर ही करते हैं ! अब तो प्रतिदिन हमें महिला दिवस मनाना चाहिए ! क्योंकि आज देश में जो स्थिति महिलाओं की है उसे देखते हुए यह बात अब निर्विरोध बिलकुल सच है !आज प्रतिदिन की चर्चा में सिर्फ " नारी " और सिर्फ नारी ही रह गयी है ! छेड़खानी , बलात्कार , सामूहिक बलात्कार की शिकार होती नारी , इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली घटनाओं से प्रतिदिन होता नारी का शोषण उसकी मर्यादाओं का हनन , पुलिस द्वारा सरे आम सड़कों पर जानवरों के जैसा पीटा जाना , घर की चाहर दिवारी में प्रतिदिन होती घरेलु हिंसा , पारिवारिक सदस्यों द्वारा यौन शोषण की शिकार होती नारी , स्कूल, कॉलेज , ऑफिस में अपने सहकर्मियों द्वारा शोषण का शिकार नारी , ग्रामीण क्षेत्रों में दबंगों का शिकार नारी , आधुनिक भारत में " डायन " के नाम से जिन्दा जलाई जाने वाली नारी , शहरी क्षेत्रों में " जिस्मफरोशी " के दलदल में फँसती नारी , चकाचौंध भरी दुनिया में बढ़ता नारी देह प्रदर्शन , .... टेलीविजन , विज्ञापन , फिल्मों में खुलकर नारी देह का प्रदर्शन , ( जब तक नारी देह नहीं दिखाएगी ना विज्ञापन चलेगा और ना फ़िल्में ) .. ... एक पूरे बर्ष में कोई एक दिन बताएं जिस दिन नारी चर्चा का बिषय ना रही हो ! चर्चाओं में आना अच्छी बात है पर इस तरह नहीं , क्योंकि ये नारी जाति का अपमान है ....... ये इंसानियत और मानव धर्म का अपमान है !
       
" महिला दिवस " पर हम निसंकोच महिलाओं के मान-सम्मान की बात करते हैं ! शायद इसी दिन हम उन्हें याद करते हैं मतलब उनके मान-सम्मान के लिए ! वर्ना कुछ महिलाओं का तो पूरा जीवन निकल जाता है , यह जानने के लिए की महिला - दिवस आखिर होता क्या है ? क्या होता है इस दिन ? क्या कोई अवार्ड दिया जाता है ? या बड़ी - बड़ी बातें कर यूँ ही दिन निकाल देते हैं ! सिर्फ इसी दिन हम  महिलाओं के मान-सम्मान के बारे में क्यों सोचते हैं  बाकी दिनों में क्यों नहीं ? लेकिन जो मान - सम्मान की असली हक़दार है उनका मान-सम्मान हम कब करेंगे क्या वो दिन आएगा ? अब उनका सम्मान आवश्यक हो गया है ! आज महिलायें पुरुषों से किसी भी मामले में कम नहीं हैं बल्कि शोषण में तो सर्वोपरि हैं ! फिर भी नारी तो महान है क्योंकि उसके जितने कष्ट सहने की क्षमता किसी में भी नहीं है ! आज महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर चल रही हैं ! आज महिलाएं प्रगतिशील है ! आज की नारी आज़ाद है अपनी बात सबके समक्ष रखने के लिए , अपने विचार व्यक्त करने के लिए ! आज महिलाएं चूल्हा - चौका छोड़ देश की तरक्की में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं ! आज महिलाओं ने देश को विश्व स्तर पर काफी ऊंचा उठाया है ! आज महिलाओं ने हर क्षेत्र में अपनी उपलब्धि दर्ज कराई है ! आज देश की राजनीति में महिलाओं का क्या रुतबा है , हम सब इस बात को भली-भांति जानते हैं ! खेल क्षेत्र हो , ज्ञान - विज्ञानं , टेलीविजन , मीडिया , शिक्षा, लेखन आदि अनेक क्षेत्रों में अपना दबदबा दिखाया है ! कई क्षेत्रों में दिए गए शानदार योगदान पर आज हम नारी का गुणगान करने से नहीं थकते ! नारी तो हमेशा पुरुषों का आधार रही है ! सब कुछ कहीं ना कहीं नारी पर आकर ही टिकता है या यूँ भी कह सकते हैं की नारी नहीं तो पुरुष भी नहीं ! कभी पुरुषों की सफलता के पीछे नारी ! संस्कारों की जननी नारी ! खानदान , वंश की परंपरा, रीति-रिवाजों को मरते दम तक संभाल कर रखती है नारी ! इसलिए हमारे देश में नारी को " देवी " का दर्जा प्राप्त है ! ये तो प्रक्रति का नियम है एक पहलु अच्छा तो एक बुरा ! हम कहते हैं कि , आज की नारी आजाद है अपने विचारों को प्रगट करने के लिए , आजाद पुरुषों के साथ -साथ चलने के लिए है ! शायद ऐसा कहने में हमें अच्छा लगता है ! क्या हम सब इस बात का दिखाबा करते हैं , या हम दिखाबा पसंद लोग हैं ? आज तक हम लोग उन्हीं पहुंची हुई हस्तियों को ही महिला दिवस पर याद करते हैं या हम उन्ही हस्तियों का गुणगान करते हैं , सम्मान में कसीदे पढ़े जाते हैं जिनके बारे में हम जानते हैं देखते हैं या हमें बताया जाता है ! इस चकाचौंध में हम कहीं ना कहीं अपनों को अनदेखा करते हैं ! हम कभी भी अपने घर की महिलाओं की तरफ ध्यान नहीं देते, कहावत तो आपने सुनी होगी " घर की मुर्गी दाल बराबर " शायद हम उन महिलाओं को भूल जाते हैं , जो वाकई में कहीं ना कहीं महिला दिवस की असली हकदार हैं ! भले ही उन्होंने जग में अपना नाम ना किया हो, फिर भी उनका जज्बा , हालातों से लड़ने की हिम्मत , सहनशीलता ऐसी हजारों खूबियों से भरी होती है " भारतीय सम्पूर्ण नारी " जो सम्मान के लायक है !जिसने मेहनत की पर मुकाम हासिल ना किया हो तो, तो क्या हम उसको भूल जायेंगे ? मेरा सोचना है हमें उन महिलाओं को भी याद करना चाहिए जो अपने आस-पास हैं और कहीं ना कहीं महिला दिवस पर सम्मान पाने की हक़दार हैं ! जन्म देने वाली " माँ " पत्नि , बेटी , बहन ये सभी हकदार हैं सम्मान की ! एक मजदूर औरत जो एक एक ईंट के साथ मेहनत करके सुंदर भवनों को बनाने में अपना योगदान देती है और तब जाकर कहीं हम अपने ऊंचे महलों में ऐशोआराम से रहते हैं शायद ही कभी किसी ने आज तक उसका सम्मान किया हो , शायद हम उसका सम्मान कभी कर भी ना सकेंगे ! जीवन भर कड़ी मेहनत कर हम लोगों के भोजन की व्यवस्था करने वाला किसान और उसकी कड़ी मेहनत में बड़ी भूमिका निभाने वाली उसकी पत्नि की लेकिन आज तक उसकी भूमिका सिर्फ भूमिका बनकर ही रह गयी है , ये भी हक़दार हैं सम्मान की ! बहुत सी महिलाएं ऐशी हैं जो आज भी बड़ी ईमानदारी के साथ अपना काम कर रही हैं किन्तु उनके मान-सम्मान की किसी को भी चिंता नहीं हैं ,जीवन में एक बार उन्हें उनका सम्मान मिलना चाहिए ! आज हमें उन सभी नारियों का सम्मान करना होगा जो लडती है अपने मान-सम्मान के लिए , अपने अधिकार के लिए ! सम्मान करना होगा उन सभी का जिन्होंने हर बुरी परिस्थिति में पुरुषों का साथ दिया और कंधे से कन्धा मिलाकर कठिन पथ पर साथ - साथ चलीं , सम्मान करना होगा हर उस नारी  का जो हम सब से कहीं अधिक मेहनत करती है !

मेरी तरफ से विश्व की सभी महिलाओं को इस महिला दिवस पर नमन ! जो मेरी याद में हैं और जो गुमनाम हैं ...... में नमन करता हूँ समस्त नारी ब्लोगर्स को ..... नमन करता हूँ उन सभी को जो देश का नाम रौशन कर रही है !
 

धन्यवाद 

Tuesday, March 5, 2013

तीन - तिगाड़ा ----- काम बिगाड़ा ........>>> संजय कुमार

" तीन तिगाड़ा - काम बिगाड़ा " इसका मतलब हुआ कि आप अपना  कोई भी काम औने -पौने में ना करें !  ये कोई शगुन है या अपशगुन आज तक समझ नहीं आया ! मेरी नजर में चाहे एक हो या दो या हों तीन या चार सबका अपना -अपना अलग महत्त्व होता है ! हम जानते हैं  भगवान् शिव को " त्रिनेत्र " क्यों कहा  जाता है ! इंसान के जीवन में तीन का भी बहुत महत्त्व है ! महत्व तो बहुत सी चीजों का होता है बस फर्क सिर्फ इतना है कि हम उन्हें कितना महत्त्व देते हैं ! बदलते वक़्त के साथ बहुत कुछ बदला है ! इंसान बदला , उसकी सोच बदली साथ -साथ महत्व भी बदल गया ! ये पोस्ट मैंने आज से दो साल पहले लिखी थी  जिसमें इंसान से जुड़ी कुछ चीजें का उल्लेख किया था और उन पर मैंने अपनी राय दी थी , पिछले दो सालों में बहुत कुछ बदल गया ! इस बदलते वक़्त के साथ मेरी राय भी बदल गयी ! तो थोडा सा गौर फरमाइये !


इंसान के जीवन तीन चीजें ऐसी हैं जो उसे सिर्फ एक बार मिलती हैं 
१. माता-पिता  ( इंसान की उत्पत्ति इन्हीं से होती है , ईश्वर से बढकर है ये ) ----> 
                   ( बदलते वक्त ने इस  ईश्वर को भी ठोकरें खाने को मजबूर कर दिया है )
२. जवानी       (  इंसान के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण समय , जीत सको तो जग जीत लो )
                   ( बदला वक़्त और जवानी चल पड़ी नशा, जिस्मफरोशी के बाजार में )    
३. हुस्न          ( जवानी के साथ हुस्न भी अनमोल है , हुस्न गया सब गया, हुस्न के लाखों रंग - कौनसा रंग देखोगे  )    
                  ( बदला वक़्त .... आज हुस्न को हवस भरी निगाहों से घिरा पाओगे )

तीन चीजें इंसान को बहुत सोच समझकर उठानी चाहिए !
१. कदम         ( आपका उठाया गया एक गलत कदम आपका जीवन नष्ट एवं बर्वाद कर सकता है )
                   ( देश का माहौल ख़राब है .... घर से कदम निकालने में भी डर लगता है ) 
२. कसम        ( वादा करो तो ऐसा की " प्राण जाए पर वचन ना जाये " )   
                   ( बदलते वक़्त के साथ झूंठी कसमें -झूंठे वादे " वचन जाए पर ना जाएँ प्राण " 
३. कलम        ( कलम की ताकत को हम सब अच्छी तरह से जानते हैं , उठाओ सच्चाई के लिए ना की झूंठ के लिए ) 
                   ( बदलते वक़्त के साथ कलम भी बिक गयी )

तीन चीजें इंसान को बहुत सोच समझ का करना चाहिए , एक गलती जीवन भर भुगतान 
१. मोहब्बत    ( आज-कल मोहब्बत अंधी होती है , अब इसके बारे में क्या कहूं ? )
                  ( मुहब्बत के हो रहे सौदे  लुट रही इज्जत ..... सावधान  )
२. बात          ( अब बात कम बतंगड़ ज्यादा होता है वो भी गाली-गलौच और अशिष्ट )
                  ( अब भ्रष्ट नेताओं की बात निकलेगी तो दूर तलक जाएगी _
३. फैंसला      ( आजकल सब्र पूरी तरह खत्म हो चुका है , फैंसला " ON THE SPOT "  )
                  ( फैंसला होते होते सब कुछ खत्म हो जाता है ) 

इंसान के जीवन में तीन चीजें कभी इन्तजार नहीं करती  
१. मौत           ( रोज -रोज होते सड़क हादसों से लें सबक )
                    ( मौत से किसकी यारी है ... कभी भी इसके आगोस में जा सकते हैं ( हम इन्सान नहीं कीड़े-मकौड़े हैं ) 
२. वक़्त         (  लोहा जब गर्म हो तो हतौड़ा मार देना चाहिए , वर्ना " पछतावे होत का जब चिड़िया चुग गयीं खेत " )
                 ( आज वक़्त हमारे साथ नहीं ....... वर्ना ... खैर जो गुजरा वो वापस नहीं आएगा )
३. उम्र         ( उम्र कभी किसी का इन्तजार नहीं करती , जाग वन्दे अब ना जागेगा तो कब जागेगा )
                (  बदलते वक़्त के साथ ... अब तो उम्र का पता ही नहीं चलता ) 

इंसान को इन तीन चीजों को कभी छोटा नहीं समझना चाहिए 
१. कर्ज       ( किसान का पूरा जीवन कर्ज में ही निकल जाता है )
                ( हम तो कर्ज में पैदा हुए है और मर जायेगे , पूरा देश कर्ज में है )
२. फर्ज      ( फर्ज पर कुर्बान देश भक्तों को सलाम )
               ( अब हम सभी को अपना फर्ज निभाने की जिम्मेदारी लेनी होगी )
३. मर्ज़      ( एक चींटी हांथी पर भारी पड़ जाती है ) 
               ( कब सरकार जनता का मर्ज समझेगी )

इंसान को दर्द होता है इन तीन चीजों से 
१. धोखा    ( आज पल -पल पर धोखा खाता इंसान , धोखा अब इंसानी फितरत बन गया है )
              ( हम सब धोखा खाते हैं ... हम सब धोखा देते हैं ... क्यों सच कहा ना ? )
२. बेबसी  ( उफ्फफ्फ्फ़ ये बेबसी कब दूर होगी )
             ( मरते दम तक नहीं दूर होगी )
३. बेवफा  ( तेरी बेवफाई में ऐ सनम दिल दिया दर्द लिया )
             ( अब तो अपने ही बेवफाई पर उतर आये हैं ...... कौन बचाएगा ? )

तीन लोग इंसान को हमेशा खुश रखेंगे 
१. भगवान्  ( आज भी हम हर मुश्किल वक़्त में इन्हीं को  याद करते है )
               ( बदलते वक़्त के साथ वेचारा भगवान भी लाचार हो गया है वो  क्या - क्या करेगा )
२. दोस्त     ( सच्चे दोस्त पर सब कुछ कुर्बान )
               ( अब तो दोस्त बनकर लूटना , अपने दोस्त की जान लेना चलन बन गया है )
३. मेरा ब्लॉग  (  जो नए नए व्यंग्य , सन्देश और विचारों से भरा होगा )
                ( अब लोगों को ब्लॉग कम फेसबुक ज्यादा पसंद आता है ( चमचमाते चेहरे जो मिलते हैं ) 

कैसा लगा आपको ये तीन का तड़का , सच कहा या झूंठ ...... जरुर बताएं 

धन्यवाद

Wednesday, February 27, 2013

भटकाव ...........>>> गार्गी की कलम से

प्रकृति की गोद में अठखेलियाँ करना
हमारी हर इक ख़ुशी पर
वो भी मुस्कुरा जाये
हमारा हर इक गम-दर्द ,
उसका खुदका हो जैसे ,
उस पर हक यूँ हो
जैसे खुद पर हुआ करता है
ये सब देकर भी
कौन होगा जो खुद
ये सब पाना ना चाहेगा
इन्तजार की हद तक ............
इसके बाद
दो आत्मा एक जिस्म
और फिर
उसके भी बाद
दो आत्मा दो जिस्म
और फिर
उसके भी बाद
मर चुकी होती है
रिश्तों की आत्मा
रह जाते हैं सिर्फ
" जिस्म "
जो रिश्तों का मोहताज रहना नहीं चाहता
सिर्फ
कहीं से भी
किसी से भी
सहानुभूति चाहता है
कहने का अर्थ
सिर्फ इतना है कि
भटके हुए से एक होने की
उम्मीद लगाना
यानि
खुद भटकना है !

( प्रिये पत्नी गार्गी की कलम से  )

धन्यवाद

Friday, February 22, 2013

" जीवन की आपाधापी " लेखन को हुए तीन साल .....>>> संजय कुमार

वैसे तो जीवन के ३० से ज्यादा साल " जीवन की आपाधापी " में ही कैसे गुजर गए पता ही नहीं चला और अब  देखते ही देखते आज मेरे ब्लॉग लेखन को भी तीन बर्ष पूर्ण हो गए हैं ! ये मेरे लिए ख़ुशी का मौका है की मैं तीन सालों में ३०६ लेख लिख पाया जिसमें मेरी पत्नि " गार्गी " की ढेर सारी कवितायेँ और रचनाएँ भी शामिल हैं  और जिसके लिए मैं आप सभी का तहेदिल से शुक्रगुजार हूँ ! मैं आप सभी का तहेदिल से धन्यवाद करता हूँ की आप सभी ने अपना कीमती वक़्त देकर मेरे ब्लॉग लेखन को पढ़ा उसकी सराहना की और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियों से आज तक मेरा मार्ग-दर्शन करते आये , मेरा उत्साहवर्धन किया और आगे लिखने की प्रेरणा दी और यही चीज मुझे आगे लिखने के लिए प्रेरित करती रही ! पिछले महीने १२ जनवरी " युवा दिवस " पर जब मैंने अपनी ३०० बी पोस्ट लिखी वो  मेरे लिए एक बड़ी उपलब्धि थी क्योंकि मैं ना तो कोई लेखक हूँ और ना ही कवि और साहित्यकार इसलिए मुझे अपने आप पर विश्वास नहीं हुआ कि मैं इतनी सारी पोस्टें कैसे लिख गया ! तीन साल पहले  मैंने ना तो कभी लेखन के बारे में सोचा था और ना ही दूर-दूर तक इससे मेरा कोई सम्बन्ध था ! ना तो मुझे पढ़ने -लिखने का कोई शौक था और ना ही किसी साहित्य की कोई जानकारी क्योंकि मैंने अपने जीवन में कभी भी किसी भी प्रकार का कोई साहित्य पढ़ा ही नहीं और ना ही मुझे इसका कोई ज्ञान था और  आज भी यही स्थिति है ! आप मेरे लेखन में यह अनुभव कर सकते हैं कि , मैं जिन शब्दों का प्रयोग करता हूँ वो बहुत आम हैं क्योंकि  मेरे पास कोई साहित्यिक भाषा नहीं है ! एक आम आदमी के जीवन को देखते हुए उसकी दिनचर्या को देखते हुए उसके जीवन में घटने वाली घटनाओं , परिशानियों , समस्याओं , सुख-दुःख आदि से प्रभावित  होकर ही मैंने अपने ब्लॉग का नाम " जीवन की आपाधापी " रखा और ये मेरे ब्लॉग पर आज तक लिखे गए सभी लेखों से मेल भी खाता है ! मंहगाई ,भ्रष्टाचार , बेईमानी , बेरोजगारी , आतंकवाद , नक्सलवाद , संस्कारों का पतन , पारिवारिक विघटन से पीड़ित आज का आम आदमी ! संस्कारों से पूर्ण  , पारिवारिक बंधनों में बंधा आज का आम आदमी ! एक - एक रूपए के लिए जी तोड़ मेहनत करने वाला आम आदमी ! अपने हक के लिए लड़ने वाला , पारिवारिक विघटन  को रोकने वाला , बच्चों में खोते हुए संस्कारों को  हर संभव जीवित रखने के लिए प्रयासरत एक आम आदमी ! भ्रष्ट राजनीति का शिकार , धर्म-मजहब के नाम पर ठगा जाने वाला , दूसरों के फायदे के लिए मोहरा बनता आज का आम इंसान ! ऐसी विकट परिस्थितियों में भी एक आम आदमी अपने आप को हर मुसीबत से बचाते  हुए अपना और अपने परिवार के भरण-पोषण और जीवन-यापन में लगा हुआ है ! और एक आम इंसान के लिए यही " जीवन की आपाधापी " है ! 
मैं एक आम इंसान होकर जो देखता हूँ , सुनता हूँ और महसूस करता हूँ , अपने आस-पास होने वाली घटनाओं से जब भी प्रभावित होता हूँ तो वो सारे अनुभव आप सभी को अपने ब्लॉग के माध्यम से बताता हूँ ! मेरी कोशिश हमेशा से रही है कि मैं आप सभी के लिए कुछ अच्छा लिखूं  ! आगे जीवन में मुझे बहुत कुछ करना है आगे बढ़ना है ! जीवन में आने वाली सभी कठिनाइयों और परेशनियों से लड़ने के लिए अपने आपको तैयार करना है ! अब थोडा सा समय कम मिलता है फिर भी मैं यूँ ही लिखता रहूँगा क्योंकि लिखना अब अच्छा लगता है ! जब तक मुझे आप सभी साथियों  का मार्ग-दर्शन ,स्नेह एवं प्यार मिलता रहेगा , तो मेरा होंसला भी लिखने के लिए बढ़ता रहेगा और आगे भी कुछ अच्छा लिखने की कोशिश करता रहूँगा !

एक बार फिर से अपने ब्लॉग के तीन बर्ष पूर्ण होने पर मैं आप सभी का धन्यवाद करता हूँ !

धन्यवाद 

Thursday, February 14, 2013

प्रेम का इजहार जरुरी है ..... ( वेलेनटाईन डे ) .....>>> संजय कुमार


सभी युवा साथियों को "  वेलेनटाईन डे " की ढेरों-अनेकों शुभ -कामनाएं ! १४ फरवरी का दिन हमारे सभी युवा साथियों के लिए प्रेम का दिन है ...... अंग्रेज चले गए और ये दिन हमारे लिए छोड़ गए ... क्या वाकई में हमें ऐसे किसी दिन की जरुरत है जब हम अपनों से अपने प्रेम का इजहार करें !  वैसे दिन तो सभी प्रेम के होते हैं , क्योंकि हम प्रतिदिन किसी ना किसी का प्रेम , अपनापन और स्नेह पाते हैं और प्रेम भी करते हैं ! लेकिन इस दिन को हम लोग सिर्फ युवाओं का दिन ही मानते हैं ! कोई लुक-छिपकर तो कोई खुलकर इस दिन प्रेम का इजहार करने की कोशिश करता है या इजहार करता है ! सच कहा जाय तो ये दिन हमारे देश के " कुंवारे "  युवाओं का ही है ! आज देश के सभी गिफ्ट सेंटर , माल्स , रेस्टोरेंट युवाओं के लिए दुल्हन की तरह सज चुके हैं ! दूसरी ओर कुछ संगठन युवाओं पर पैनी नजर रखे हुए हैं , उन्हें प्रेमालाप करते हुए रंगे हांथों पकड़ पर उनका मुंह काला करने के लिए अपनी रणनीति तैयार कर रहे हैं , फिर भले ही उनमें से कई इजहारे मुहब्बत कर मैदान में विरोध करने आये हों ! खैर मुहब्बत के दुश्मन तो सदियों  से रहे हैं ,आज भी हैं और आगे भी रहेंगे ! क्योंकि हमारे देश में यदि प्रेम-कहानी का अंत शादी हुई तो अच्छा वर्ना हमारे यहाँ प्रेम को पाप समझा जाता है ! आज भी मुहब्बत को ऊँच - नीच का दर्जा दिया जाता है ! आज भी " ऑनर किलिंग " के मामले हमें , हमारे समाज का कड़वा सच दिखाते हैं ! आज की इस मतलबी और स्वार्थी दुनिया में , अगर प्रेम जिन्दा है तो उसका अहसास हमें होना जरुरी है वर्ना हम इंसान नहीं मात्र हाड़-मांस के चलते फिरते पुतले हैं ! एक यही भावना हमें एक-दुसरे से जोड़ कर रखती है ! मैं अपने देश के सभी युवाओं को शुभकामनाएं देता हूँ की उनको उनका सच्चा प्रेम अवश्य मिले ! किन्तु मैं एक गुजारिश अपने सभी युवा साथियों से और करना चाहता हूँ कि , आज जितना  जोश आप अपने प्रेम का इजहार करने के लिए दिखा रहे हैं उतना ही जोश आप अपने परिवार,समाज और अपने देश के लिए भी दिखाएँ ! आज प्रकृति भी आपसे प्रेम का इजहार चाहती है और वो भी चाहती है की आप थोडा सा प्रेम उससे भी करलें , आप थोडा सा प्रेम उससे करेंगे वो आपको उससे कहीं ज्यादा उस प्रेम का प्रतिफल देगी ! आज  आपका समाज आपसे अपने लिए प्रेम का इजहार मांग रहा है ! समाज चाहता है आप समाज मैं फैली हुई बुराइयों को दूर करने में  समाज का सहयोग करें ! दहेज़ प्रथा , रूडी वादी परम्पराएँ जिस तरह आज भी हमारे बीच विद्यमान है उन्हें खत्म करने में आप अपना योगदान दें ! इस देश को भी आपसे बहुत उम्मीदें हैं आज जो देश की स्थिति है वो बहुत ही ख़राब  है ! अगर इस देश का युवा जाग्रत होता तो देश का नाम बड़े-बड़े घोटाले , भ्रष्टाचार , मानवता को शर्मसार करने वाले कार्य ना होते , हमारी सभ्यता और संस्कृति का पतन ना होता ! युवा इस देश का भविष्य हैं ! ये देश और समाज आपका है ! आप ही इस देश का वर्तमान हो और आप ही भविष्य ! आप अपने प्रेम का इजहार अपने परिवार से भी कीजिये , क्योंकि आपका परिवार भी आपको बहुत प्रेम करता है ! माता-पिता , भाई-बहन , दोस्त यार ! 

युवाओं आपसे गुजारिश है आप परिवार के सभी सदस्यों को  "  वेलेनटाईन डे " पर शुभकामनाएं दीजिये ! ये प्रेम के इजहार का दिन है ! तो इजहार अवश्य कीजिये ...............

धन्यवाद