सच कहूँ तो अब प्रतिदिन हमारे देश में महिला दिवस मनाया जाता है ! फर्क सिर्फ इतना है कि, महिलाओं का सम्मान हम सिर्फ प्रचलित " महिला दिवस " पर ही करते हैं ! अब तो प्रतिदिन हमें महिला दिवस मनाना चाहिए ! क्योंकि आज देश में जो स्थिति महिलाओं की है उसे देखते हुए यह बात अब निर्विरोध बिलकुल सच है !आज प्रतिदिन की चर्चा में सिर्फ " नारी " और सिर्फ नारी ही रह गयी है ! छेड़खानी , बलात्कार , सामूहिक बलात्कार की शिकार होती नारी , इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली घटनाओं से प्रतिदिन होता नारी का शोषण उसकी मर्यादाओं का हनन , पुलिस द्वारा सरे आम सड़कों पर जानवरों के जैसा पीटा जाना , घर की चाहर दिवारी में प्रतिदिन होती घरेलु हिंसा , पारिवारिक सदस्यों द्वारा यौन शोषण की शिकार होती नारी , स्कूल, कॉलेज , ऑफिस में अपने सहकर्मियों द्वारा शोषण का शिकार नारी , ग्रामीण क्षेत्रों में दबंगों का शिकार नारी , आधुनिक भारत में " डायन " के नाम से जिन्दा जलाई जाने वाली नारी , शहरी क्षेत्रों में " जिस्मफरोशी " के दलदल में फँसती नारी , चकाचौंध भरी दुनिया में बढ़ता नारी देह प्रदर्शन , .... टेलीविजन , विज्ञापन , फिल्मों में खुलकर नारी देह का प्रदर्शन , ( जब तक नारी देह नहीं दिखाएगी ना विज्ञापन चलेगा और ना फ़िल्में ) .. ... एक पूरे बर्ष में कोई एक दिन बताएं जिस दिन नारी चर्चा का बिषय ना रही हो ! चर्चाओं में आना अच्छी बात है पर इस तरह नहीं , क्योंकि ये नारी जाति का अपमान है ....... ये इंसानियत और मानव धर्म का अपमान है !
" महिला दिवस " पर हम निसंकोच महिलाओं के मान-सम्मान की बात करते हैं ! शायद इसी दिन हम उन्हें याद करते हैं मतलब उनके मान-सम्मान के लिए ! वर्ना कुछ महिलाओं का तो पूरा जीवन निकल जाता है , यह जानने के लिए की महिला - दिवस आखिर होता क्या है ? क्या होता है इस दिन ? क्या कोई अवार्ड दिया जाता है ? या बड़ी - बड़ी बातें कर यूँ ही दिन निकाल देते हैं ! सिर्फ इसी दिन हम महिलाओं के मान-सम्मान के बारे में क्यों सोचते हैं बाकी दिनों में क्यों नहीं ? लेकिन जो मान - सम्मान की असली हक़दार है उनका मान-सम्मान हम कब करेंगे क्या वो दिन आएगा ? अब उनका सम्मान आवश्यक हो गया है ! आज महिलायें पुरुषों से किसी भी मामले में कम नहीं हैं बल्कि शोषण में तो सर्वोपरि हैं ! फिर भी नारी तो महान है क्योंकि उसके जितने कष्ट सहने की क्षमता किसी में भी नहीं है ! आज महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर चल रही हैं ! आज महिलाएं प्रगतिशील है ! आज की नारी आज़ाद है अपनी बात सबके समक्ष रखने के लिए , अपने विचार व्यक्त करने के लिए ! आज महिलाएं चूल्हा - चौका छोड़ देश की तरक्की में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं ! आज महिलाओं ने देश को विश्व स्तर पर काफी ऊंचा उठाया है ! आज महिलाओं ने हर क्षेत्र में अपनी उपलब्धि दर्ज कराई है ! आज देश की राजनीति में महिलाओं का क्या रुतबा है , हम सब इस बात को भली-भांति जानते हैं ! खेल क्षेत्र हो , ज्ञान - विज्ञानं , टेलीविजन , मीडिया , शिक्षा, लेखन आदि अनेक क्षेत्रों में अपना दबदबा दिखाया है ! कई क्षेत्रों में दिए गए शानदार योगदान पर आज हम नारी का गुणगान करने से नहीं थकते ! नारी तो हमेशा पुरुषों का आधार रही है ! सब कुछ कहीं ना कहीं नारी पर आकर ही टिकता है या यूँ भी कह सकते हैं की नारी नहीं तो पुरुष भी नहीं ! कभी पुरुषों की सफलता के पीछे नारी ! संस्कारों की जननी नारी ! खानदान , वंश की परंपरा, रीति-रिवाजों को मरते दम तक संभाल कर रखती है नारी ! इसलिए हमारे देश में नारी को " देवी " का दर्जा प्राप्त है ! ये तो प्रक्रति का नियम है एक पहलु अच्छा तो एक बुरा ! हम कहते हैं कि , आज की नारी आजाद है अपने विचारों को प्रगट करने के लिए , आजाद पुरुषों के साथ -साथ चलने के लिए है ! शायद ऐसा कहने में हमें अच्छा लगता है ! क्या हम सब इस बात का दिखाबा करते हैं , या हम दिखाबा पसंद लोग हैं ? आज तक हम लोग उन्हीं पहुंची हुई हस्तियों को ही महिला दिवस पर याद करते हैं या हम उन्ही हस्तियों का गुणगान करते हैं , सम्मान में कसीदे पढ़े जाते हैं जिनके बारे में हम जानते हैं देखते हैं या हमें बताया जाता है ! इस चकाचौंध में हम कहीं ना कहीं अपनों को अनदेखा करते हैं ! हम कभी भी अपने घर की महिलाओं की तरफ ध्यान नहीं देते, कहावत तो आपने सुनी होगी " घर की मुर्गी दाल बराबर " शायद हम उन महिलाओं को भूल जाते हैं , जो वाकई में कहीं ना कहीं महिला दिवस की असली हकदार हैं ! भले ही उन्होंने जग में अपना नाम ना किया हो, फिर भी उनका जज्बा , हालातों से लड़ने की हिम्मत , सहनशीलता ऐसी हजारों खूबियों से भरी होती है " भारतीय सम्पूर्ण नारी " जो सम्मान के लायक है !जिसने मेहनत की पर मुकाम हासिल ना किया हो तो, तो क्या हम उसको भूल जायेंगे ? मेरा सोचना है हमें उन महिलाओं को भी याद करना चाहिए जो अपने आस-पास हैं और कहीं ना कहीं महिला दिवस पर सम्मान पाने की हक़दार हैं ! जन्म देने वाली " माँ " पत्नि , बेटी , बहन ये सभी हकदार हैं सम्मान की ! एक मजदूर औरत जो एक एक ईंट के साथ मेहनत करके सुंदर भवनों को बनाने में अपना योगदान देती है और तब जाकर कहीं हम अपने ऊंचे महलों में ऐशोआराम से रहते हैं शायद ही कभी किसी ने आज तक उसका सम्मान किया हो , शायद हम उसका सम्मान कभी कर भी ना सकेंगे ! जीवन भर कड़ी मेहनत कर हम लोगों के भोजन की व्यवस्था करने वाला किसान और उसकी कड़ी मेहनत में बड़ी भूमिका निभाने वाली उसकी पत्नि की लेकिन आज तक उसकी भूमिका सिर्फ भूमिका बनकर ही रह गयी है , ये भी हक़दार हैं सम्मान की ! बहुत सी महिलाएं ऐशी हैं जो आज भी बड़ी ईमानदारी के साथ अपना काम कर रही हैं किन्तु उनके मान-सम्मान की किसी को भी चिंता नहीं हैं ,जीवन में एक बार उन्हें उनका सम्मान मिलना चाहिए ! आज हमें उन सभी नारियों का सम्मान करना होगा जो लडती है अपने मान-सम्मान के लिए , अपने अधिकार के लिए ! सम्मान करना होगा उन सभी का जिन्होंने हर बुरी परिस्थिति में पुरुषों का साथ दिया और कंधे से कन्धा मिलाकर कठिन पथ पर साथ - साथ चलीं , सम्मान करना होगा हर उस नारी का जो हम सब से कहीं अधिक मेहनत करती है !
" महिला दिवस " पर हम निसंकोच महिलाओं के मान-सम्मान की बात करते हैं ! शायद इसी दिन हम उन्हें याद करते हैं मतलब उनके मान-सम्मान के लिए ! वर्ना कुछ महिलाओं का तो पूरा जीवन निकल जाता है , यह जानने के लिए की महिला - दिवस आखिर होता क्या है ? क्या होता है इस दिन ? क्या कोई अवार्ड दिया जाता है ? या बड़ी - बड़ी बातें कर यूँ ही दिन निकाल देते हैं ! सिर्फ इसी दिन हम महिलाओं के मान-सम्मान के बारे में क्यों सोचते हैं बाकी दिनों में क्यों नहीं ? लेकिन जो मान - सम्मान की असली हक़दार है उनका मान-सम्मान हम कब करेंगे क्या वो दिन आएगा ? अब उनका सम्मान आवश्यक हो गया है ! आज महिलायें पुरुषों से किसी भी मामले में कम नहीं हैं बल्कि शोषण में तो सर्वोपरि हैं ! फिर भी नारी तो महान है क्योंकि उसके जितने कष्ट सहने की क्षमता किसी में भी नहीं है ! आज महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर चल रही हैं ! आज महिलाएं प्रगतिशील है ! आज की नारी आज़ाद है अपनी बात सबके समक्ष रखने के लिए , अपने विचार व्यक्त करने के लिए ! आज महिलाएं चूल्हा - चौका छोड़ देश की तरक्की में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं ! आज महिलाओं ने देश को विश्व स्तर पर काफी ऊंचा उठाया है ! आज महिलाओं ने हर क्षेत्र में अपनी उपलब्धि दर्ज कराई है ! आज देश की राजनीति में महिलाओं का क्या रुतबा है , हम सब इस बात को भली-भांति जानते हैं ! खेल क्षेत्र हो , ज्ञान - विज्ञानं , टेलीविजन , मीडिया , शिक्षा, लेखन आदि अनेक क्षेत्रों में अपना दबदबा दिखाया है ! कई क्षेत्रों में दिए गए शानदार योगदान पर आज हम नारी का गुणगान करने से नहीं थकते ! नारी तो हमेशा पुरुषों का आधार रही है ! सब कुछ कहीं ना कहीं नारी पर आकर ही टिकता है या यूँ भी कह सकते हैं की नारी नहीं तो पुरुष भी नहीं ! कभी पुरुषों की सफलता के पीछे नारी ! संस्कारों की जननी नारी ! खानदान , वंश की परंपरा, रीति-रिवाजों को मरते दम तक संभाल कर रखती है नारी ! इसलिए हमारे देश में नारी को " देवी " का दर्जा प्राप्त है ! ये तो प्रक्रति का नियम है एक पहलु अच्छा तो एक बुरा ! हम कहते हैं कि , आज की नारी आजाद है अपने विचारों को प्रगट करने के लिए , आजाद पुरुषों के साथ -साथ चलने के लिए है ! शायद ऐसा कहने में हमें अच्छा लगता है ! क्या हम सब इस बात का दिखाबा करते हैं , या हम दिखाबा पसंद लोग हैं ? आज तक हम लोग उन्हीं पहुंची हुई हस्तियों को ही महिला दिवस पर याद करते हैं या हम उन्ही हस्तियों का गुणगान करते हैं , सम्मान में कसीदे पढ़े जाते हैं जिनके बारे में हम जानते हैं देखते हैं या हमें बताया जाता है ! इस चकाचौंध में हम कहीं ना कहीं अपनों को अनदेखा करते हैं ! हम कभी भी अपने घर की महिलाओं की तरफ ध्यान नहीं देते, कहावत तो आपने सुनी होगी " घर की मुर्गी दाल बराबर " शायद हम उन महिलाओं को भूल जाते हैं , जो वाकई में कहीं ना कहीं महिला दिवस की असली हकदार हैं ! भले ही उन्होंने जग में अपना नाम ना किया हो, फिर भी उनका जज्बा , हालातों से लड़ने की हिम्मत , सहनशीलता ऐसी हजारों खूबियों से भरी होती है " भारतीय सम्पूर्ण नारी " जो सम्मान के लायक है !जिसने मेहनत की पर मुकाम हासिल ना किया हो तो, तो क्या हम उसको भूल जायेंगे ? मेरा सोचना है हमें उन महिलाओं को भी याद करना चाहिए जो अपने आस-पास हैं और कहीं ना कहीं महिला दिवस पर सम्मान पाने की हक़दार हैं ! जन्म देने वाली " माँ " पत्नि , बेटी , बहन ये सभी हकदार हैं सम्मान की ! एक मजदूर औरत जो एक एक ईंट के साथ मेहनत करके सुंदर भवनों को बनाने में अपना योगदान देती है और तब जाकर कहीं हम अपने ऊंचे महलों में ऐशोआराम से रहते हैं शायद ही कभी किसी ने आज तक उसका सम्मान किया हो , शायद हम उसका सम्मान कभी कर भी ना सकेंगे ! जीवन भर कड़ी मेहनत कर हम लोगों के भोजन की व्यवस्था करने वाला किसान और उसकी कड़ी मेहनत में बड़ी भूमिका निभाने वाली उसकी पत्नि की लेकिन आज तक उसकी भूमिका सिर्फ भूमिका बनकर ही रह गयी है , ये भी हक़दार हैं सम्मान की ! बहुत सी महिलाएं ऐशी हैं जो आज भी बड़ी ईमानदारी के साथ अपना काम कर रही हैं किन्तु उनके मान-सम्मान की किसी को भी चिंता नहीं हैं ,जीवन में एक बार उन्हें उनका सम्मान मिलना चाहिए ! आज हमें उन सभी नारियों का सम्मान करना होगा जो लडती है अपने मान-सम्मान के लिए , अपने अधिकार के लिए ! सम्मान करना होगा उन सभी का जिन्होंने हर बुरी परिस्थिति में पुरुषों का साथ दिया और कंधे से कन्धा मिलाकर कठिन पथ पर साथ - साथ चलीं , सम्मान करना होगा हर उस नारी का जो हम सब से कहीं अधिक मेहनत करती है !
मेरी तरफ से विश्व की सभी महिलाओं को इस महिला दिवस पर नमन ! जो मेरी याद में हैं और जो गुमनाम हैं ...... में नमन करता हूँ समस्त नारी ब्लोगर्स को ..... नमन करता हूँ उन सभी को जो देश का नाम रौशन कर रही है !
धन्यवाद
नारि-सशक्तिकरण में, जगह जगह खुरपेंच |
ReplyDeleteराम गए मृग छाल हित, लक्ष्मण रेखा खेंच |
लक्ष्मण रेखा खेंच, नीच रावण है ताके |
साम दाम भय भेद, प्रताणित करे बुलाके |
अक्षम है कानून, पुलिस अपनों से हारी |
नारि नहीं महफूज, लूटते रहे *अनारी ||
AABHAR
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन बात कही है संजय जी, नारी सम्मान की शुरुआत पहले अपने घर से ही होनी चाहिए, और वो हैं सच्ची हकदार! संजय जी खुबसूरत बयां और विचार आपका!
ReplyDeleteबिल्कुल सही कहा आपने .बेह्तरीन अभिव्यक्ति.शुभकामनायें.
ReplyDeleteआपसे सहमत हैं और मनाने भी लगे हैं।
ReplyDeleteसहमत,
ReplyDeleteवैसे तो हम रोज ही महिला दिवस मनाते हैं.
बहुत सुन्दर आलेख!
ReplyDeleteमहिला दिवस की शुभकामनाएँ!
सार्थक अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार (9-3-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
सूचनार्थ!
बहुत सटीक लाजबाब आलेख बद्ध अभिव्यक्ति ,,,महिला दिवस की शुभकामनाएँ,,,,,
ReplyDeleteRecent post: रंग गुलाल है यारो,
Gud one
ReplyDeleteबहुत सहीकहा आपने ........
ReplyDeleteनारी के श्रम का महत्व समझा जाने लगे तो बहुत सी बातें अपने आप सुलझ जायें !
ReplyDeletebilkul sahi kaha aapne..
ReplyDeleteबिल्कुल सही बात कही है आपने...-अपने आस-पास की नारियों का सम्मान करना चाहिए जिनकी ओर हमारा ध्यान भी नहीं जाता......! अच्छा लगा आपके विचार जानकार!
ReplyDelete~सादर!!!
पूरी तरह सहमत..बहुत सार्थक प्रस्तुति...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteमहाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ !
सादर
आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
अर्ज सुनिये
बेह्तरीन अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteमहाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ.
सही कहा आपने ..इन मजदूर महिलाओं को देखती हूँ तो नमन करने को मन करता है इन्हें ....!!
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबहुत उत्तम मनन और चरितार्थ करने योग्य विचार
ReplyDeleteआर्य समाज के संस्थापक महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती जिन्होंने सर्वप्रथम नारी उद्धार के लिए उल्लेखनीय कार्य किये