Thursday, December 30, 2010

आज मैं कृतज्ञ हूँ आप सभी का ........ ( नवबर्ष की हार्दिक शुभ-कामनाएं ) .... >>>> संजय कुमार

सर्व-प्रथम सभी ब्लोगर परिवार को नवबर्ष की हार्दिक शुभ-कामनाएं ! आने बाला बर्ष आप सभी के जीवन में नयी उमंग और ढेर सारी खुशियाँ लेकर आये ! आप सब परिवार सहित स्वस्थ्य रहें एवं सफलता के सबसे ऊंचे पायदान पर पहुंचे !

आज मैं कृतज्ञ हूँ आप सबका , आज मैं शुक्र गुजार हूँ आपका , आप सभी ने जो प्रेम-स्नेह , मार्ग-दर्शन मुझे दिया वह मैं अपने जीवन में कभी नहीं भूलूंगा , जो स्नेह इस ब्लॉगजगत से मिला शायद ही कहीं और से मिला हो

आप सभी यह प्रेम-स्नेह एवं मार्ग-दर्शन मुझ पर बनाये रखें .................

नवबर्ष की शुभ-कामनाओं सहित

धन्यवाद
संजय कुमार चौरसिया
गार्गी चौरसिया ( पत्नि )
देव ( पुत्र )
कुनाल (पुत्र )

Sunday, December 26, 2010

प्रेम अव्यक्त है .... >>>> संजय कुमार

प्रेम अव्यक्त है
यूँ तो औरों के लिए
अनसुलझा तार है
पर जो इससे होकर गुजर गया
उसके लिए सरफून है
प्रेम का कोई रूप नहीं
इसे रिश्तों में नहीं बाँधा जा सकता
ना कसौटी पर , परखा जा सकता है
यह परमात्मा का प्रसाद है
यही सही मायनों में जीना सिखाता है
और यही बैराग जगाता है
इसकी कोई सीमा नहीं
इसका कोई नियम नहीं
प्रेम सुसुप्त अवस्था में ले जाता है
प्रेम अव्यक्त है ..........

( प्रिये पत्नि की कलम से )

धन्यवाद

Thursday, December 23, 2010

ये हैं कैसे करम, नहीं ख़ुशी - सिर्फ गम ..... >>> संजय कुमार

कहा जाता है , इंसान अगर अच्छे कर्म करता है तो हमेशा खुश रहता है और यदि बुरे कर्म करता है तो जीवन भर परेशान और दुखी रहता है ! यह बात कितनी सच है और कितनी गलत इस बात का अंदाजा आज कलियुग में इन्सान के हालातों को देखकर लगाया जा सकता है ! आज की मतलबी और स्वार्थी दुनिया में इन्सान कितने भी अच्छे और भलाई के काम करे फिर भी उसे उसके अच्छे कर्मों का उचित फल नहीं मिलता ! आज इन्सान के अच्छे कार्यों को भी हम लोग बुरी नजर से या शक भरी निगाह से देखते हैं , लगता है इस अच्छे काम के पीछे उसका कोई गलत मकसद जरूर होगा, आज कल यही हो रहा है ! कई बार देखा गया अच्छे फल की चाहत में इन्सान को बुरा फल ही मिलता है ! या यूँ कह सकते हैं " नेकी कर और जूते खा " या " नेकी कर दरिया में डाल " आज यही कहावत हर जगह चरितार्थ हो रही है ! आज इन्सान कितनी भी सच्चाई और ईमानदारी से काम करे उसे उसकी मेहनत का उचित फल नहीं मिलता ! क्योंकि ईमानदार अब बहुत कम संख्या में हैं , अगर हैं भी तो उनकी सुनने बाला कोई नहीं ! आज सबसे ज्यादा दुखी और परेशान ईमानदार ही है क्योंकि चारों तरफ भ्रष्टाचार , घूसखोरी , लूट-खसोट का वातावरण निर्मित हैं ! एक ईमानदार कब तक " तालाब में रहकर मगरमच्छ से बैर करेगा " इसलिए उसके ईमानदार होने पर भी वह खुश नहीं है ! क्योंकि ये जालिम ज़माना उसे ईमानदार बनकर ज्यादा दिन तक जीने नहीं देगा या तो वह बेईमान बनेगा नहीं तो कहीं का नहीं रहेगा ! ये हैं अच्छे करम, ना ख़ुशी सिर्फ गम !

जीवन भर एक गरीब विद्यार्थी पूरी लगन और मेहनत के साथ पढ़ाई करता है , किन्तु जब फल खाने की बात आती है तो उसकी मेहनत पर कोई और (पैसे बाला ) डांका डाल देता है या यूँ कहें , घूस देकर उस मेहनती विद्यार्थी का हक किसी और को मिल जाता है ! क्योंकि आज कोई भी नौकरी बिना रिश्वत दिए नहीं मिलती किसी को, जब तक रिश्वत नहीं तब तक नौकरी नहीं ! कई बार होनहार विद्यार्थी अपना हुनर किसी दुकान पर नौकरी या मजदूरी कर दिखाते हैं ! यहाँ मेहनत नहीं पैसे की जीत होती है !

गरीब किसान जीवन भर कड़ी मेहनत करता है और इन्सान के लिए अनाज का उत्पादन करता है , किन्तु उसे उसकी मेहनत का सम्पूर्ण फल कभी नहीं मिलता जो उसे मिलना चाहिए , अगर कुछ मिलता है तो एक कर्जदार की जिंदगी , खुदखुशी करने के लिए मजबूर , अपनी फसल के लिए उचित मूल्य पाने के लिए जीवन भर लड़ाई , ये है उसके अच्छे कर्मों का बुरा फल , अगर किसान हल चलाना छोड़ दे तो क्या होगा मानव सभ्यता का ? आज सबसे ज्यादा दयनीय हालात में अगर कोई है तो वो है आज का किसान !

हर माँ-बाप जीवन भर अपने बच्चों के बारे में ही सोचते हैं ,उनका अच्छा सोचते हैं , उनका ख्याल रखते हैं , उन्हें जीवन की सारी खुशियाँ, सुख- सुविधाएँ देते हैं ! उसके लिए वह अपनी खुशियाँ , सुख -सुविधाएँ तक सब कुछ न्योछावर कर देते हैं ! कहते हैं माँ -बाप के अच्छे कर्मों का फल उनकी संतान को मिलता है ! किन्तु आज माँ-बाप को उनके अच्छे कर्मों के फल के रूप में क्या मिल रहा है ? घर से बेदखल होना पड़ता है , दर दर की ठोकर खाने को मजबूर , परिवार में गैरों से भी वद्तर व्यवहार, क्या यही हैं इनके अच्छे कर्म ? आज ऐसे अनगिनत मामले हमने देखे-सुने और पढ़े हैं जहाँ माँ-बाप को उनकी संतान ने सिवाय दुःख के और कुछ नहीं दिया ! इस भागदौड़ भरी दुनिया में , इस मंहगाई की दुनिया में , इस कलयुगी दुनिया में साधारण इन्सान को सिर्फ दुःख और तकलीफ के अलावा और कुछ नहीं मिलता ! आज इन्सान की जरुरत सिर्फ पैसा है ! यदि पैसा है तो शायद इन्सान इतना दुखी ना हो जितना बिना पैसे के है ! ऐसे लाखों - करोड़ों लोग हैं जो हमेशा अपनों का भला चाहते हैं और भला करते भी हैं , किन्तु उन्हें अपनी भलाई के रूप में सिर्फ उपहास मिलता है !

इस दुनिया में अपने आप को सुखी और खुशहाल समझने बाले बहुत कम लोग हैं , ज्यादा संख्या में दुखी-मजबूर और लाचार मिलेंगे जो किसी ना किसी चीज से पीड़ित हैं !

ये हैं कैसे करम, नहीं ख़ुशी - सिर्फ गम

धन्यवाद

Monday, December 20, 2010

अब ना कहना , कि हम हैं अकेले .... >>> संजय कुमार

कौन कहता है, कि हम हैं अकेले

ये वहती नदियाँ, ये ठहरे पर्वत, हैं किसके ?

ये जमीं ये आसमान , ये चलती पवन, हैं किसके ?

ये वहता झरना, चिड़ियों की चहचहाहट ,

ये ऊंचे दरख़्त, गहरी खाइयाँ , है किसके ?

सूरज कि तपिश, शीतलता चन्द्रमा की,

ये टिमटिमाते तारे, ये सारा ब्रह्माण्ड, हैं किसके ?

ये मिट्टी की सौंधी खुशबु , ये बारिस की बूँदें , हैं किसके ?

ये माँ का आंचल ,पिता का प्यार,

भाई बहन का अपनापन , ये सारा संसार,

अपनों का साथ , दोस्ती और विश्वाश,

सुख-दुःख , खुशियाँ और गम , हैं किसके ?

ये अपना मजहब, जाति और धर्म

नफरत की दीवार, ये सरहदें , हैं किसके ?

ये ऊंचे शिवालय , गगनचुम्बी मस्जिदें , हैं किसके ?

ये पल-पल पर होता संघर्ष, ऊंची उठती आवाज , हैं किसके ?

ये सात सुरों की सरगम , इन्द्रधनुष के रंग सात, हैं किसके ?

अब ना कहना की हम हैं अकेले ............

जरा नजरें उठाकर अपने आस-पास देखें तो लगता सब कुछ है अपना, नहीं कोई यहाँ पराया ! आज के वातावरण में हर किसी को लगता है की , नहीं है कोई हमारा, हम इस चकाचौंध भरी दुनिया में हैं बिलकुल अकेले ! आप सिर्फ अपने दिल की सुने, और दिल कभी भी झूठ नहीं बोलता ............

धन्यबाद

Friday, December 17, 2010

" मर्द को भी दर्द होता है " (SMS) व्यंग्य .... >>> संजय कुमार

कल मुझे मेरे एक मित्र ने SMS भेजा , चूँकि वह एक व्यंग्य है जिसमें मर्दों को कई उपाधियाँ दी गयी हैं ! सोचा आपको भी उन उपाधियों से रूबरू करा दूं , वैसे तो मर्दों को कई उपाधियाँ मिली हैं जैसे पत्थरदिल , उठाईगीर नामर्द, गुंडा-मावली वगैरह -वगैरह , लीजिये प्रस्तुत हैं ( SMS ) व्यंग्य जो युवाओं और सभी मर्दों पर लागू होता है !

बेचारा लड़का अगर लड़की पर हाँथ उठाये
तो जालिम
बेचारा लड़का अगर लड़की से पिट जाए
तो नामर्द
बेचारा लड़का , लड़की को किसी और के साथ देखकर
तो जलन
बेचारा लड़का अगर चुप रहे
तो बेगैरत
बेचारा लड़का यदि घर से बाहर रहे
तो आवारा
बेचारा लड़का यदि घर में रहे
तो नाकारा
बेचारा बच्चों को मारे-पीटे तो बुजदिल
अगर ध्यान ना दे तो लापरवाह
अगर बीबी को नौकरी करने से रोके
तो शकी मिजाज
ना रोके तो , बीबी की कमाई खाने बाला

इसलिए कहते हैं भैय्या .............. " मर्द को भी दर्द होता है "

धन्यवाद

Tuesday, December 14, 2010

पत्ता ............... >>> संजय कुमार

डाल से छूटकर पत्ता
डगर डगर भटकता
छिना आधार उसका ,
खो वजूद अपना ,
हवा संग हो लिया ,
पवन के झोंकों को
खुद को समर्पित कर ,
परिणाम जिसका
राह-राह गिरता-पड़ता
फिर जिस डाल से छूटा था
याद करता उसको,
दूर हो उससे ,
किसी अजनबी डगर में ,
कचरे के ढेर में फंस
आंसू तो नहीं , पर
अन्दर ही अन्दर सिसकता ,
सोचता किसको दोष दूं
खुद को या नसीब को ?

( प्रिय पत्नी की कलम से )

धन्यवाद

Saturday, December 11, 2010

विक्षिप्त कौन ? ( हम या वो ) .... >>> संजय कुमार

जब एक विक्षिप्त , पागल और मंद-बुद्धि इंसान की बात चलती है तो हमारे मष्तिष्क में एक ऐसे इंसान की छवि आती है जिसके अन्दर एक सामान्य इंसान के कम बुद्धि एवं दिमाग होता है ! ऐसे इंसान को अपने अच्छे-बुरे , सही - गलत की कोई जानकारी नहीं होती ! ऐसा इंसान हमेशा अपने आप में गुम-सुम सा रहता है , दीन -दुनिया से बेखबर , ना दिन का पता और ना रात का , सर्दी-गर्मी और ना बरसात का ! घर -परिवार , समाज में घ्रणा का पात्र ! यह वास्तविकता है एक विक्षिप्त की ! और इससे भी ज्यादा कष्टमय जीवन होता है एक विक्षिप्त इंसान का ! ऐसे लोगों का ना तो घर होता है और ना परिवार , अगर होता भी है तो बहुत कम संख्या होती है ऐसे लोगों की जिन्हें अपनों का प्यार और साथ मिल पाता है ! बाकि लोग अपनी किश्मत के सहारे कष्टमय जीवन बिताते हैं !

ताजा घटना मेरे शहर शिवपुरी की है जो में आपको बताना चाहता हूँ , एक विक्षिप्त महिला जो कई दिनों से शहर में मारी-मारी फिर रही थी , उम्र होगी २५-३० साल , तन पर फटे-पुराने कपडे , अपने आप में खोई हुई , गुम-सुम , उसे देख लग रहा था जैसे उसने कई महीनों से नहाया तक नहीं , बेचारी बदनसीब दिमागदार इंसानों के बीच फंसी हुई , आज सुबह जब अखबार पढ़ा तो इंसानियत को शर्मसार करने बाला एक और अध्याय हम सब के सामने ! उस महिला का कुछ लोगों ने मिलकर बलात्कार कर डाला , सिर्फ यही नहीं लगातार कई दिनों तक उसका यौन शोषण करते रहे , और उसका यौन शोषण तब तक करते रहे जब तक की वो गर्भवती नहीं हो गयी ! ये थी सभ्य समाज के पुरुषों की काली करतूत , उस महिला को तो ये भी नहीं पता की उसके साथ क्या और क्यों हो रहा है ! इन्सान का एक और घिनौना रूप आज हम लोगों ने देख लिया ! ये बही समाज है जो अपने आपको सभ्य और पढ़ा-लिखा कहता है ! विक्षिप्त महिला ना तो विरोध कर पाती है और ना अपनी रक्षा ! उस विक्षिप्त महिला की बदनसीबी कहे , या उन दिमागदार लोगों की असलियत जो उन्होंने उस महिला के साथ इतना घिनौना और मानवता को शर्मसार करने बाला कार्य किया ! ऐसे कुंठित और दिमागदार इंसान को हम क्या कहते हैं ? सभ्य पुरुष या कुछ और , जिसके पास दिमाग नहीं उसे हम विक्षिप्त और पागल किन्तु जो दिमाग रखते हैं उन्हें हम क्या कहते हैं ?

यह घटना सिर्फ मेरे या आपके शहर की नहीं है, इस तरह इंसानियत और मानवता को शर्मसार करने बाली घटनाएं आज पूरे देश में हो रही हैं ! कभी पागलों के साथ जानवरों से भी वद्तर व्यवहार , मार-पीट और वह सब कुछ जिससे इन्सान के अन्दर की मानवता का दूर-दूर तक कोई लेना देना नहीं होता ! हमारा पढ़ा -लिखा और शिक्षित व्यक्ति ही आज ऐसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं ! अपनी कामवासना को मिटाने के लिए इंसान जब ऐसे लोगों तक को नहीं छोड़ता तो कितने महफूज हैं आप और हम, और हमारा परिवार , इस तरह की घटनाओं को बही लोग अंजाम देते हैं जिनके अन्दर मानवता नाम की कोई चीज नहीं होती , इंसानियत का दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं होता , ऐसे लोग होते हैं दिमाग से पूरी तरह विक्षिप्त प्राणी , असली विक्षिप्त और पागल ऐसे लोगों को कहना चाहिए ना की उनको जिनमें ना तो किसी बात की समझ हैं और ना दिमाग !

आप ही बताएं की विक्षिप्त कौन ?

धन्यवाद

Sunday, December 5, 2010

करो होंसले बुलंद ....>>> संजय कुमार

फूल बनने से पूर्व ही
बिखर जातीं हैं कलियाँ ,
मिल जाते हैं रावण
हर घर , हर गलियां
ना जाने कितनी लड़कियों को
पलकों से ढँक आँखें ,
रोते देख लो ,
झेंपती, उस मासूम को
माँ की गोद में लिपटी
सिसकती देख लो !
झूठी इज्जत की चादर से
घर को क्यों ढंकती हो ?
अन्यायी , निर्दयी समाज से
क्यों डरती हो ?
विश्वास और सुरक्षा ही
छीन ली गयी हो तब
क्या खोने से डरती हो ?
करो संचय अपने में
नयी शक्ति का ,
करो होंसले बुलंद , आवाज बुलंद
करो विरोध इसका !
राम नहीं आयेंगे ,
है इन्तजार बेकार
करना होगा तुम्हें ही
रावण का संहार !
तब ही बच पाएंगी
बगीचे की कलियाँ ,
बन पाएंगी सुगंध बिखेरती
फूल तारो ताजा

करो होंसले बुलंद .............. करो होंसले बुलंद

( प्रिये पत्नी की कलम से )

धन्यवाद

Wednesday, December 1, 2010

अब गद्दारों के हाँथ में है देश ........ इस देश में एक गद्दार ढूँढने निकलो , कई मिल जायेंगे ..... >>> संजय कुमार

गद्दार एक ऐसा व्यक्ति, एक ऐसा नाम जो किसी भी विकसित राष्ट्र को एक ही क्षण में तवाह करवा सकता है ! किसी भी राष्ट्र की नींव को अन्दर तक खोखला करने की क्षमता रखता है एक गद्दार , इतनी ताक़त होती है एक गद्दार और राष्ट्रद्रोही में ! यह हमारे साथ रहकर हमारी जड़ें खोखली करता रहता है और हमे तब पता चलता है जब इसके बुरे परिणाम हमारे सामने आते हैं ! यह कब हमें मौत के मुँह में पहुंचा दे , इस बात का हमें अहसास भी नहीं होने देता , यह हमारे लिए कब्र तैयार करता रहता है , और हम विश्वास में अपनी जान इसके हवाले तक कर देते हैं , और फिर यही आपका अपना आपकी पीठ में ऐसा खंजर घोंपता है , जहाँ इन्सान को मिलती है सिर्फ मौत ! आप सभी ने एक पौराणिक कहावत तो जरूर सुनी होगी ! " घर का भेदी लंका ढाये " जहाँ विभीषण ने अपने घर के सारे राज खोलकर अपनी पूरी राक्षस जाति का सर्वनाश करवा दिया था ! पर विभीषण ने धर्म के लिए ऐसा किया था इसलिए हम विभीषण को गलत नहीं मानते ! लेकिन जैसे जैसे समय बदला इन गद्दारों ने सत्ता के मोह में , पैसों के लालच में आकर, स्वयं को दुश्मनों को बेच दिया और खोल दिए, हमारे अपने सारे राज दुश्मनों पर ! और वहा दी अपनों के खून की नदियाँ !

अंग्रेजो ने जो हम पर इतने सालों तक राज किया उसमे देश के गद्दारों का बहुत बड़ा योगदान था ! इनकी गद्दारी ने इस देश को कितने गहरे जख्म दिए है जिनके निशान आज भी कहीं ना कहीं हमारे दिलों में हैं जिन्हें हम आज भी याद करते हैं ! फिर चाहे गद्दारी के कारण टीपू-सुल्तान, झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई , भगत सिंह , चंद्रशेखर आजाद, या तात्या टोपे इन सभी सूरमाओं को अपनों की गद्दारी की कीमत में अपनी जान से हाँथ धोना पड़ा ! वर्ना इन्हें कोई यूँ ही नहीं मार सकता था ! यह वो वीर थे जो इतिहास बदलने की क्षमता रखते थे ! काश , गद्दार ना होते तो ...........
देश में भ्रष्टाचार इतना बढ गया हैं कि, सत्ता की लालच में , पैसों के लिए बिकता इन्सान, आज देश से गद्दारी करने से भी नहीं चूकता , लोगों ने अपनी जरूरतें इतनी बड़ा ली हैं जिन्हें वह एक मामूली वेतन से पूरा नहीं कर पाता , इन्हीं में से कुछ लोग अपने ईमान का सौदा कर लेते हैं और देश से गद्दारी करने तक को तैयार हो जाते हैं ! आज देश में सर्वोच्य पदों पर बैठे कुछ लोग हमारे देश से ही गद्दारी कर रहे हैं ! और इन गद्दारों की करनी का फल आज हम लोगों को भुगतना पड़ रहा हैं ! हम हिन्दुस्तानी हमेशा से विश्वास करने बाले होते हैं और किसी पर सहसा विश्वास कर लेते हैं ! और हमारी इसी भावना को दुश्मन अपना हथियार बना लेते हैं ! और इसका उदहारण माधुरी गुप्ता, (पकिस्तान में भारत की आयुक्त ) , रवि इन्दर सिंह (IAS) जैसे लोग हैं , जो इस देश के सर्वोच्य पदों पर बैठ कर अपने ही देश से गद्दारी कर रहे हैं ! गद्दारों की गद्दारी का परिणाम इस देश की अवाम को भुगतना पड़ रह हैं ! फिर चाहे मुंबई धमाके हो या संसद पर हमला , फिर चाहे नक्सलियों को हथियार मुहैया कराने बाले कुछ जवान जिनके कारण कितने जवानों को इसकी कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी ! आज किसी छोटे मोटे चोर को पकड़ कर पुलिस का सजा देने का अंदाज तो हम सभी ने कई बार देखा है ! जब उनको बेरहमी से सजा दी जाती है या उनको इतना प्रताड़ित किया जाता है कि वो अपना दम तक तोड़ देते हैं ! ऐसे लोगों की तो मजबूरी हो सकती है , गरीबी , भूख, बेरोजगारी जिस कारण से ये लोग इस तरह के काम करते हैं ! इनको हम जीवन भर घ्रणा की द्रष्टि से देखते हैं ! पर देश के सर्वोच्य पदों पर बैठे इन लोगों की क्या मजबूरी है ? जो अपने ईमान के साथ साथ इस देश को भी बेच रहे हैं ! पर ऐसे लोगों के साथ हम या हमारी सरकार क्या कर रही है ? और क्या करेगी ? आज तक सरकार ने कितने गद्दारों को उनकी करनी की सजा दी है ! सरकार सिर्फ इन लोगों से अपने देश की जेलें भर सकती है और कुछ नहीं ! क्यों नहीं है देश में ऐसा कानून जहाँ गद्दारी की सजा सिर्फ मौत हो , जो पहले कभी हुआ करती थी ! यदि एक गद्दार को सजा मिलेगी तो दूसरा, देश के साथ गद्दारी करने से पहले कई बार सोचेगा ! पर ऐसा नहीं होगा ! क्योंकि आज एक बड़ा वर्ग इस देश में हैं जो राजनीती में हैं ! एक बड़ा वर्ग इस देश के आला अधिकारीयों का है , जो पूरी तरह से भ्रष्टाचार में लिप्त है ! तो फिर कैसे पता चलेगा की कौन देश के साथ उसके हित की सोच रहा है और कौन गद्दारी कर रहा है !

एक दिन आएगा जब यह देश दुश्मनों के हाँथ में होगा और हम सब उनके इशारों पर नाचने बाले ! कारण देश के गद्दार होंगे , जो पता नहीं कब इस देश को बेच दे ! आज इस देश में हम अगर एक गद्दार ढूँढने निकलेंगे तो हमें कई मिल जायेंगे ! अगर इस देश में गद्दार नहीं हैं तो क्यों बढ़ रहीं है इस देश में यह दिन प्रतिदिन होती घटनाएं ! ...................... ( अब गद्दारों के हाँथ में है देश )

धन्यवाद

Monday, November 29, 2010

आज नशे में है , बचपन और भविष्य ....>>> संजय कुमार

कहा जाता है की नशा, अगर किसी को किसी चीज का हो जाये तो नशा करने बाले की जिंदगी तबाह हो सकती है ! नशा करने के बाद नशा करने बाला कहीं का नहीं रहता ! नशा इन्सान को कहीं का नहीं छोड़ता ! तन से कमजोर , मन से कमजोर , समाज में घ्रणा का पात्र ! परिवार में कलह का कारण ! तबाही और बर्बादी का राश्ता , आज नशे की गिरफ्त में पूरा संसार हैb ! आज इस देश में हर किसी को कोई ना कोई नशा जरुर है , आज जिसे देखो नशे में है , किसी को दौलत का नशा, तो किसी को शोहरत का नशा , किसी को प्रेम की दीवानगी का नशा , तो किसी को सत्ता का नशा , किसी को झूंठे गुरुर का नशा , किसी पर आधुनिकता का नशा , किसी को पढ़ने-लिखने का नशा , किसी को शेयर बाजार का नशा ! हर किसी को किसी ना किसी चीज का नशा जरुर है ! क्योंकि आज इन्सान की जिंदगी इन्हीं सब चीजों के आस-पास घुमती है , या इन्हीं पर केन्द्रित है ! देश में नशा करने बालों की तादाद दिन -प्रतिदिन बढती जा रही है , आज देश में १० साल की उम्र से लेकर ८० साल तक की उम्र के बच्चे और बूढ़े मादक और नशीले पदार्थों का उपयोग कर रहे हैं ! छोटा-बड़ा , अमीर-गरीब , युवक-युवतियां , यहाँ तक की भीख मांगने बाले भिखारी तक आज नशे के आदि हो रहे हैं !

आज हम उस नशे की बात कर रहे हैं जो हमारे देश के युवाओं की नशों में खून बनकर दौड़ रहा है ! शराब , सिगरेट, ड्रग्स, बीडी -सिगरेट , तम्बाखू और सभी तरह के मादक पदार्थ ! आज कल के युवाओं को अब एक नए नशे की लत लगती जा रही है और वो नया नशा है जिश्म का , जो हमारे युवाओं में आज का फैशन बनता जा रहा है ! लड़का हो या लड़कियां इस नशे के जाल में दिन व दिन फसते जा रहे हैं ! आज नशे के बाजार की पकड़ अब इतनी मजबूत बन गयी है , या नशे का जाल इतना फ़ैल गया है जिससे बाहर आना आज के युवा का, मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है ! ताजा रिपोर्ट के अनुसार आज हमारे देश के चार बड़े महानगरों में स्थिती बहुत ही चिंतनीय है ! १५ से २० साल के बच्चों में या अभी-अभी जवानी की दहलीज पर कदम रखने बाले युवाओं में नशे की लत इतनी तेजी से अपने पैर फैला रही है , या उन्हें अपनी गिरफ्त में पूरी तरह से ले चुकी है ! किसी भी माँ-बाप के लिए बड़ा ही चिंतनीय एवं होश उड़ाने बाली बात है ! जब बच्चे घर से बाहर निकलते हैं उस वक़्त माँ-बाप बच्चों पर विश्वास कर उनको पूरी आजादी दे देते हैं ! और ये बच्चे उनके विश्वास के साथ विश्वासघात कर रहे हैं ! जन्म-दिन की पार्टी हो , कोई त्यौहार हो , या कोई गम भी हो तो भी इन्हें सिर्फ नशा चाहिए ! आधुनिकता की चकाचौंध में ये युवा इतने पागल से हो गए हैं की ये अपना अच्छा बुरा भी नहीं समझते ! नशे की दुनिया ही इनके लिए सब कुछ है ! इन युवाओं में एक होड़ सी लगी है अपने आप को आधुनिक बनाने की !" आज लड़कियां भी लड़कों से पीछे नहीं हैं " इस पद्धति को अपनाकर नशे के तालाब में तैर रहीं हैं ! कुछ अपने शौक को पूरा करने के लिए , कुछ एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए, नशे का इस्तेमाल करती हैं ! लेकिन नशा करने बाले ये युवा यह नहीं जानते की इनके नशा करने से ये किस दलदल में फंस रहे हैं ! जब इनका कोई फायदा उठाता है तो हमारे सामने ऐसे परिणाम आते हैं जो इन युवाओं के लिए और इनके परिवारों के लिए ऐसे जख्म या नासूर बन जाते हैं जिनकी पीड़ा जीवन भर नहीं मिटती ! यह स्थिती सिर्फ महानगरों की नहीं है , यह स्थिती और हालात अब पूरे देश में है , बड़े - बड़े शहरों से निकलकर यह नशा अब हमारे छोटे-छोटे शहरों , कस्बों और गांवों में तेजी से फ़ैल रहा है ! स्थिती ये है की शहरों में कूड़ा -करकट बीनने बाले १० से १५ साल के बच्चे तक, आज नशा कर रहे हैं ! बीडी -सिगरेट तो उनके लिए आम बात हैं , अब वह इससे भी बड़ा नशा करने लगे हैं , नशा करने के नए नए तरीके ढूँढने लगे हैं ! ऐसे बच्चों का तो मान सकते है की बह समझदार नहीं हैं या पढ़े-लिखे नहीं हैं , उनके सिर पर ना किसी का हाँथ है और ना छत ! किन्तु आज बड़ी-बड़ी डिग्रियां हांसिल करने बाले युवा सब कुछ जानते हुए भी नशे के इस दलदल में धस रहे हैं ! यह देख बड़ा आश्चर्य होता है , जिन माँ-बाप के बच्चे उनसे दूर महानगरों में पढ़-लिख रहे हैं ! उन माँ-बाप को अब इस ओर ध्यान देना होगा की कहीं उनके बच्चे उनके द्वारा दी गयी आजादी का गलत फायदा तो नहीं उठा रहे हैं !

अगर देश का हर युवा नशे में डूबा रहेगा तो क्या होगा उनके भविष्य का या इस देश के भविष्य का ?देश के युवाओं जरा सोचिये ............ जरूर सोचिये ................

धन्यवाद

Wednesday, November 24, 2010

देश की नयी महामारी ( हड़ताल और पुतले ) .... >>>> संजय कुमार

आजकल हमारे देश में एक चीज अब नियमित सी हो गयी है , और वो चीज है देश में हड़ताल और बात बात पर पुतलों का जलाना ! आज देश में जिसे देखो, जब देखो , मतलब और बिना मतलब के कभी भी कहीं भी हड़ताल कर देता है ! और ठप्प कर देता है , चलता फिरता सामान्य जनजीवन ! देश के किसी भी शहर के चौराहों पर रोज-रोज पुतलों का जलना अब आम बात हो गयी है ! भ्रष्टाचार के खिलाफ , मंहगाई के विरोध में , आतंकवाद का पुतला , कभी विरोधी पार्टी के नेताओं का , तो कभी धर्म को लेकर, आरक्षण का पुतला तो कभी RSS के " सुदर्शन " का ! अब देश में पुतलों का जलना और हड़ताल कोई नयी बात नहीं है ! देश में हड़ताल होना और पुतलों का जलाना अब एक नयी महामारी का रूप लेती जा रही है वह भी ऐसी की जिसको खत्म करने का कोई ओर- छोर दूर दूर तक नजर नहीं आता ! फिर चाहे इस रोज रोज की हड़ताल से देश की अर्थव्यवस्था रूकती हो तो रुक जाये, करोड़ों का नुकसान होता है तो हो जाये ! एक बीमार आदमी राश्ते में दम तोड़ता है तो तोड़ दे फर्क नहीं पड़ता, हड़तालियों का क्या जाता है ! छोटे छोटे मासूम बच्चे दूध की एक एक बूँद को तरस जाएँ तो क्या ! पर हड़ताल बालों पर ऐसा जूनून सवार होता है कि, उन्हें यह सब मंजूर है , उन्हें हर हाल में हड़ताल करना है , जैसे की ये हड़ताली, देश की काया ही पलट देंगे , सब कुछ ठीक कर देंगे एक ही दिन में , सब कुछ करेंगे किन्तु हड़ताल करना बंद नहीं करेंगे ! आज हड़ताल से लोगों का सिर्फ नुकसान हो रहा है और नुक्सान के अलावा कुछ नहीं ! क्या हम सब यह नहीं जानते कि , हड़ताल करने से आज तक कितनी समस्याए हल हुई हैं और कितनी समस्याएं पैदा हुई हैं ! क्या आज हर समस्या का हल सिर्फ हड़ताल है ? एक वक़्त था जब लोग अपनी मांगों को पूरा करवाने के लिए, अपनी बात सरकार के समक्ष रखने के लिए विरोध करते थे , पर उस समय विरोध होता था , किन्तु सही तरीके से और पूरी योजनाओं के साथ वह भी मान-मर्यादा और मानवता को ध्यान में रखते हुए , और तब होता था हड़ताल का सही असर जिससे सरकार की नींद उड़ जाया करती थी , पर अब नहीं , अब तो सरकार ही हड़ताल करवाती है , और पता नहीं क्या क्या ! आज देश में होने बाली हड़ताल है देश के नेताओं की एक सोची समझी चाल है जो अब आम जनता समझ चुकी है !
हड़तालियों ने जब चाहा हड़ताल कर दी , पर उसका असर किन किन लोगों पर पड़ेगा , और उसका परिणाम क्या होगा ? नहीं जानते या जानबूझकर अनजान बनते हैं , आज कल हर पार्टी अपना उल्लू सीधा करने के लिए जब चाहे देश में हड़ताल करबा देती है ! हड़ताल कराने बाले सिर्फ अपना फायदा सोचते हैं , और भूल जाते हैं उन लोगों की तकलीफ और दर्द जो इस आये दिन होने बाली हड़ताल से पीड़ित होते हैं ! इस रोज रोज की हड़ताल से सबसे ज्यादा तकलीफ उन गरीब , मजदूर , ठेला चलाने बाले , रिक्शा चलाने बाले और रोजनदारी पर लगे , लोगों को होती है जो प्रतिदिन कुआँ खोदकर पानी पीते हैं , अर्थात प्रतिदिन की आमदनी से अपना भरण-पोषण करते हैं ! यदि वह एक दिन काम ना करें तो उस दिन उनके घर में चूल्हा नहीं जलेगा और सोना पड़ेगा उनको, उनके परिवार को वह भी भूखा -प्यासा , इस हड़ताल का असर पड़ता हैं उन लोगों पर, जो दूर गाँव से शहरों में रोज आते हैं रोजी रोटी की तलाश में की उन्हें शहर में काम मिलेगा जिससे वह अपना गुजारा कैसे ना कैसे कर सकें , क्या गुजरती है उन पर यदि एक दिन हड़ताल हो जाये और उन्हें काम ना मिले ? क्या कभी सोचा है हड़तालियों ने ? कितना कोसते है इन हड़तालियों को, ऐसे पीड़ित लोग ! सिर्फ यह लोग नहीं हैं , और भी लम्बी फेहरिस्त है ऐसे लोगों की जो दुखी हैं , इस आये दिन होने बाली हड़ताल से , और उनके दिल से निकलती है सिर्फ एक ही बात !
सत्यानाश हो इन हड़ताल कराने बालों का ........................ आज रोज - रोज होने बाली हड़ताल ने रूप ले लिया है एक महामारी का , जो धीरे धीरे हमारे देश और समाज में फ़ैल रही है ! क्या इस महामारी का कोई इलाज है आपके पास ?

धन्यवाद

Friday, November 19, 2010

अब गड्ढों में सड़क ढूँढनी पड़ती है ....>>>> संजय कुमार

आज इंसानों और जानवरों के बीच अंतर ढूँढना पड़ता है !
संसद भवन में बैठी भीड़ में , सच्चा राजनेता ढूँढना पड़ता है !
अपनों के बीच रहते हुए , अपनापन ढूँढना पड़ता है !
हजारों दोस्तों के होते हुए एक दोस्त ढूँढना पड़ता है !
रोज-रोज होते झगड़ों में प्यार ढूँढना पड़ता है !
पति-पत्नी को एक-दुसरे में विश्वाश ढूँढना पड़ता है !


आज लोग " राखी का इंसाफ " में इंसाफ ढूँढ रहे हैं,
यहाँ तो देश की सर्वोच्च अदालतों में इंसाफ ढूँढना पड़ता है !


अरबों की आवादी में इंसान ढूँढने पड़ते हैं !
कलियुग में माँ-बाप को "श्रवण कुमार " ढूँढने पड़ते हैं !
बढ़ गए पाप और बुराई कि, अच्छाई ढूँढनी पड़ती है !
बेईमानों के बीच ईमानदारी ढूँढनी पड़ती है !
खुदा की खुदाई ढूँढनी पड़ती है !
तो कहीं बच्चों को माँ की ममता ढूँढनी पड़ती है !
पश्चिमी सभ्यता में ढले लोगों में, अपनी सभ्यता ढूँढनी पड़ती है !
करोड़ों इंसानों में इंसानियत ढूँढनी पड़ती है !


अब गड्ढों में सड़क ढूँढनी पड़ती है !
अब गड्ढों में सड़क ढूँढनी पड़ती है !


धन्यवाद

Tuesday, November 16, 2010

एक अवार्ड -- एक शाम, भ्रष्टाचारियों के नाम (व्यंग्य ) ......>>> संजय कुमार

अवार्ड, नाम सुनकर ही ऐसे लगता है , जैसे हमने कोई बहुत बड़ी उपलब्धि हांसिल कर ली हो ! लगता है जैसे हमारी मेहनत सफल हो गयी हो , हमारे काम की हर तरफ सराहना , किसी भी इन्सान को अपने कर्म क्षेत्र में मिलने बाली सबसे बड़ी ख़ुशी , सफल व्यक्तित्व की पहचान , शायद इन्सान के जीवन की सबसे बड़ी ख़ुशी ! इन्सान की उम्र निकल जाती है एक ख़िताब हांसिल करने में ! कहा जाता है, किसी भी इन्सान को अवार्ड तब दिया जाता है , जब उसने कोई उपलब्धि हांसिल की हो , वह भी कड़ी मेहनत करके, अपने लिए देश हित के लिए , देश के मान - सम्मान के लिए , आम जनता की ख़ुशी के लिए , गरीबों की भलाई के लिए , और भी ऐसे कई क्षेत्र हैं जो अवार्ड के लायक हैं ! हम हमेशा से अच्छे लोगों को अवार्ड देते रहे और आगे भी देते रहेंगे , क्योंकि अवार्ड विजेता कड़ी महनत कर आज यह कीर्तिमान रच पाए ! हम सलाम करते हैं देश के समस्त छोटे-बड़े अवार्ड विजेताओं को ! आशा करते हैं और भी बड़े बड़े खिताब हासिल करें !
आजकल हमारे देश में एक चीज बहुत सुनने में आ रही है और वो है अवार्ड , तेंदुलकर को भारत रत्न मिलना चाहिए , आमिर खान को ऑस्कर, धोनी को ICC अवार्ड , अमिताभ को सदी के महानायक का अवार्ड, सोनिया गाँधी को " BEST LEADER OF INDIA " और भी हैं इस देश में जो अवार्ड के हक़दार हैं, जिन्हें आज तक अवार्ड नहीं मिला ! आज भी इस देश में बहुत से गुणी-अवगुणी , नायक - खलनायक , खिलाड़ी -अनाड़ी , चोर -पुलिस , मंत्री - संत्री , साधू -सन्यासी और आलाअधिकारी बचे हुए हैं , जो ना जाने कितने तरह के अवार्डों से आज तक वंचित है , आज हम सभी को मिलकर इनके द्वारा की गयी इनके द्वारा अपने अपने क्षेत्रों में हासिल की गयी महान उपलब्धियों के लिए नये - नये खिताबो से नवाजा जाना चाहिए ! फिर चाहे इन्होने देश की गरिमा को ताक पर रखकर , देश का सिर शर्म से झुकाकर , बड़े-बड़े घोटाले कर , आम जनता के साथ धोखा कर , गरीबों का खून चूसकर , भूखों का निवाला छीनकर , बच्चों का बचपन , युवा पीढ़ी का भविष्य गर्त में धकेलकर कर , मान-मर्यादाएं , सभ्यता-संस्कार , इंसानियत बेचकर और सारे बुरे काम करके अपने क्षेत्रों में महान उपलब्धियां ही क्यो ना हासिल की हों ! आज हमारा देश हर अच्छे छोटे-बड़े काम में सफलता हासिल कर रहा है ! आज तक हमने सिर्फ अच्छे लोगों को ही पुरुष्कृत किया है ! किन्तु अब समय अच्छे लोगों का नहीं है , अब वक़्त आ गया है उन लोगों को भी अवार्ड देने का जो आज देश का नाम विश्व पटल पर रोशन कर रहे हैं , फिर चाहे हम भ्रष्टाचार में और पायदान आगे बढ़ते चले जा रहे हों , बेईमानी, घूसखोरी , बेरोजगारी , हर तरह के छोटे-बड़े घोटाले कर देश का नाम रोशन कर रहे हों ! अब समय आ गया है एक शाम आयोजित कर इन बड़े बड़े भ्रष्टाचारियों को अवार्ड देने का ! अवार्ड देने की शुरुआत करेंगे देश के सबसे बड़े घोटाले भ्रष्टाचार " राष्ट्रमंडल खेल " के सबसे बड़े खिलाडी से , जिसने देश की इज्जत तो पहले ही डुबो दी , हम शुक्रिया अदा करते हैं देश के सच्चे खिलाडियों का जिन्होंने हमारी इज्जत (असली अवार्ड जीतकर ) बचा ली ! भ्रष्टाचार का सबसे अवार्ड इनको दिया जाना चाहिए ! भ्रष्टाचार का दूसरा अवार्ड कारगिल सैनिकों के परिवारों के लिए बनाये गए " आदर्श हाऊसिंग सोसायटी " में घपला करने बालों को , जो देश की रक्षा करने बाले सैनिकों का मान-सम्मान भी ना कर सके , तीसरा अवार्ड उन भ्रष्टाचारियों के नाम जो देश की "पवित्र गाय " या "HOLI-COW" अदालतों में बैठे हुए भ्रष्ट जज और वकीलों को जो वहां बैठकर आम जनता का भरोसा तोड़ रहे हैं, और भ्रष्टाचार फैला रहे हैं ताजा रिपोर्ट (सोमित्र सेन ), देश के उन तमाम मंत्रियों- संतरियों , पुलिस - डॉक्टर , इंजिनियर , साधू -सन्यासी और बहुत से ऐसे लोग जो झूठ-फरेब, बेईमानी-घूसखोरी , घोटाले आदि कर आज देश के कई सर्वोच्च पदों पर आसीन हैं ! और जनता की आँखों में धूल झोंक रहे हैं ! हम सब देशवासियों को मिलकर इन भ्रष्टाचारियों को पुरष्कृत करना चाहिए , क्योंकि एक सफल व्यक्ति को जितनी कड़ी महनत अपनी मंजिल पर पहुँचने के लिए करनी पड़ती है , उससे कहीं ज्यादा महनत इन भ्रष्टाचारियों को घोटाले करने में लगती है ! इन भ्रष्टाचारियों को भी बहुत कुछ सहना सुनना पड़ता हैं बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ता है तब कहीं जाकर सफल और पूर्णरूप से पक्के भ्रष्टाचारी बन पाते हैं ! अब हम सबको इनकी महनत के लिए इनका मान-सम्मान करना आज जरूरी हैं !

आप सब से "गुजारिश " है , अब हम सब मिलकर एक शाम आयोजित करते हैं , इन भ्रष्टाचारियों को अवार्ड देकर पुरुष्कृत और सम्मानित करने के लिए ! तब जाकर भ्रष्टाचारी होने की पक्की मुहर लगेगी और असली भ्रष्टाचारी कहलायेंगे !

आप कौन का अवार्ड लेना चाहते हैं ? यह आप सभी को सोचना है ......... तो सोचिये .....अवश्य सोचिये
धन्यवाद

Sunday, November 14, 2010

" बाल दिवस " सिर्फ एक दिन नहीं , पूरे बर्ष मनाना चाहिए ....>>> संजय कुमार

भारत के प्रथम प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरुजी के जन्मदिवस को हमारा देश " बाल दिवस " के रूप में मनाता है ! नेहरूजी (चाचाजी) को बच्चों से खासा लगाव था इसलिए उन्होंने अपने जन्मदिन को बच्चों के नाम कर दिया और तब से लेकर आज तक पूरा देश १४ नबंवर को नेहरूजी के साथ -साथ इस देश के भविष्य , देश के नौनिहाल बच्चों को याद कर लेता हैं ! शायद यही एक दिन होता है जब हम बच्चों के बारे में सोचते हैं , उनके वर्तमान और भविष्य की अच्छी कल्पना करते हैं ! आज इस देश में " बाल दिवस " का महत्त्व कितने लोग जानते हैं ! स्कूल में पड़ने बाले बच्चे , शिक्षा देने बाले अध्यापक , देश का पढ़ा-लिखा युवा वर्ग या मंत्री-संत्री , आला-अधिकारी और भी लम्बी सूची है जो शायद जानते हों या इनमें से भी ऐसे कई हैं जिन्हें आज के दिन की जानकारी नहीं है ! शायद ये सच बात है ! हम बच्चों के बारे में कितना सोचते हैं ? उनका भविष्य क्या है ? कितना उनके लिए करते हैं , यह हमारे सामने है ! क्योंकि आज देश में सबसे वद्तर हालत में अगर कोई हैं तो बो हैं इस देश के मासूम बच्चे , जो इस देश का भविष्य हैं ! आज उन्हें अपना वर्तमान तक नहीं मालूम की हम क्या हैं ? और आगे क्या होंगे ? आज कोई भी इन बच्चों के बारे में नहीं सोचता, इसका बड़ा कारण ये है कि , बच्चों से नेताओं का वोट बैंक नहीं बनता इसलिए नेता लोगों को बच्चों से कोई मतलब नहीं है ! आज कौन है बच्चों की दयनीय हालात का जिम्मेदार , कारण है देश की सरकार , जिम्मेदार हैं वह अधिकारी जो अपने फर्ज को ईमानदारी से नहीं निभाते , बच्चों के लिए बनाये गए कानून का सही इस्तेमाल नहीं करते , बल्कि छोड़ देते हैं बच्चों को उनके हाल पर सिर्फ मरने के लिए , आज देश में बच्चों की स्थिती क्या है ? यह बात किसी से छुपी नहीं है ! बच्चे किसी भी देश , समाज , परिवार की अहम् कड़ी होते हैं , एक धरोहर जो राष्ट्रनिर्माण के सबसे बड़े आधार स्तम्भ होते हैं ! किन्तु ये सब किताबी भाषाएँ हैं जिन्हें सिर्फ किताबों में ही पढ़ना अच्छा लगता है ! क्योंकि सच इतना कडवा है जितना की जहर नहीं , इस देश की विडम्बना कहें या दुर्भाग्य आज बहुत से अजन्मे मसूम तो माँ के गर्भ में आते ही जीवन-मृत्यु से लड़ते हैं , और जन्म लेने के बाद इस देश का एक बहुत बड़ा वर्ग बच्चों का चौराहों , रेलबे -स्टेशन , गली -मोहल्ले भीख मांगता मिल जाएगा , कुछ बच्चों का बचपन होटलों पर काम करते हुए , झूंठे बर्तन धोते हुए , काल कोठरियों में जीवन बिताते हुए कट जाता है ! यूँ भी कह सकते हैं जीवन आज अँधेरे में कट रहा है ! बाल मजदूरी तो इस देश के हर कौने में होती है ! इस देश में बच्चों के साथ जो हो रहा है उसकी कल्पना भी किसी ने नहीं की होगी , उनके खरीदने-बेचने का धंधा , उनसे भीख मंगाने का धंधा , उनके शरीर को अपंग बनाने का काम , खतरनाक आतिशबाजी निर्माण में बच्चों का उपयोग , दिन -प्रतिदिन उनके साथ होता अमानवीय व्यवहार , तंत्र -मंत्र के चक्कर में बलि चढ़ते मासूम बच्चे , दिन-प्रतिदिन होता उनका यौन शोषण (निठारी काण्ड ) यह सब देश के भविष्य के साथ हो रहा है , और " बाल दिवस " पर भी होगा बह भी सरकार की नाक के नीचे और सरकार अंधे बहरों की तरह कुछ नहीं कर पायेगी , क्योंकि जब सरकार को ही किसी वर्ग की फ़िक्र नहीं तो इन मासूमों की पीड़ा को कों सुनेगा ? दयनीय बच्चों की संख्या इस देश में लाखों -करोड़ों में है , इस देश में आपको लाखों बच्चे कुपोषण का शिकार मिलेंगे , लाखों बेघर , दर-दर की ठोकर खाते हुए , आधुनिकता की चकाचौंध से कोसों दूर , निरक्षर और शोषित ,जिन्हें तो यह भी नहीं मालूम की बचपन होता क्या है ? बचपन कहते किसे हैं ? बाल दिवस का क्या मतलब है ?
इस देश में " बाल दिवस " सिर्फ एक दिन नहीं बल्कि पूरे वर्ष मनाना चाहिए , अगर हम इसमें सफल हुए तो यकीन कीजिये इस देश का भाग्य और भविष्य दोनों बहुत ही बहुत उज्जवल और सुनहरे होंगे ! बच्चों सिर्फ याद कर या नए नए कानून बनाकर "बाल दिवस " मनाकर कुछ नहीं होगा , हम सबको मिलकर बच्चों पर होने बाले अत्याचार का पुरजोर विरोध करना होगा , तब जाकर हम एक सभ्य समाज का निर्माण कर पायेंगे ............

धन्यवाद

Thursday, November 11, 2010

मैं करोड़पति हूँ , और मुझे पता भी नहीं , और आपको ....>>> संजय कुमार

अरे नहीं भाई नहीं , मैं कोई करोड़पति नहीं हूँ , मैं तो सिर्फ पति हूँ अपनी पत्नि का ! और ना ही " कौन बनेगा करोड़पति " ने मुझे करोड़पति बनाया है , क्योंकि KBC के चक्कर में तो आजकल कई रोड़पति हो गए है ! और ना ही मैंने " BIG-BOSS " जीता है , क्योंकि " BIG-BOSS " में जीतते कैसे हैं आज तक पता नहीं चला , और यह भी मालूम नहीं चलता की वहां करना क्या होता है ? बस इंसानों को भेड़-बकरियों की तरह भर दिया जाता है , कांच के बंद कमरों में और छोड़ दिया जाता एक-दुसरे को, कुछ भी कहने -कुछ भी करने , एक-दूसरे को नीचा दिखाने के लिए , अब तो अश्लीलता भी दिखाने लगे हैं इस " BIG-BOSS " में , शायद सभ्य व्यक्तियों के लिए नहीं है ये " BIG-BOSS " ......... और ना ही मेरी कोई लौटरी लगी है , ना ही कहीं से गढ़ा हुआ धन मिला है ! मैं तो बस एक मामूली सा युवक हूँ जो सुबह से लेकर शाम तक महनत कर अपनी जीविका चला रहा हूँ ! अब आप ही बताएं क्या मैं करोड़पति हो सकता हूँ ? सच कहूँ तो मुझे करोडपति होने का अहसास आज मेरे मोबाइल ने कराया है ! आज प्रत्येक मोबाइल धारी करोडपति है , अमीर-गरीब, छोटा -बड़ा हर कोई , अगर आपको विश्वास नहीं होता तो आप अपने मोबाइल पर आने बाले मैसेज को ध्यान से पढ़े और समय -समय पर कम्पनियों द्वारा करने बाले फोन से आपको इस बात का अहसास जरूर होगा की , आप करोडपति हैं , और आपको पता भी नहीं ! आज हमें हमारा मोबाइल बताता है दुनिया भर के ऑफर , स्कीम , लॉन , लौटरी और भी बहुत कुछ , आपके लिए सिर्फ आपके मोबाइल पर दे रहा है , यह सब चीजें तो अमीरों के लिए होती हैं , और आज अमीर बही है जिसके पास करोड़ों रूपए होते हैं , लखपति तो इस देश में लाखों हैं लेकिन करोडपति तो करोडपति होता है ................. लेकिन मेरे साथ आज कल यही हो रहा है शायद आपके साथ भी हो रहा होगा , मुझे आजकल इस बात का अहसास कराया जा रहा है कि, मैं करोड़पति हूँ ! पिछले कई महीनों से मुझे मोबाईल पर फोन आ रहे हैं ! " आप ये खरीद सकते हैं आप बो खरीद सकते हैं " ! एक फोन आता है किसी मोटर कार कम्पनी से " मैं फलां -फलां कार कंपनी से बोल रही हूँ -बोल रहा हूँ " हमारी कंपनी ने अभी अभी एक कार बाजार में उतारी है , हमें यह पता चला है की आप एक कार खरीदना चाहते हैं ! हम चाहते हैं आप एक बार टेस्ट ड्राइव के लिए अवश्य पधारें और टेस्ट ड्राइव कर कार के बारे में हमें बताएं और हम चाहते हैं आप यह कार अवश्य बुक कराएँ , हम जानते हैं आप कार खरीद सकते हैं , आज बहुत आसान है कार खरीदना , हम आपको बहुत सी सुविधाएँ देंगे " और ना जाने कितनी बातें , मुझे एक बार इस बात का अहसास हुआ की , मैं क्या करोडपति हूँ ? जो में ये कार खरीद सकता हूँ ! मेरे पास एक फ़ोन और आता है , "हमारी कंपनी ने अभी-अभी नए फ़्लैट बनाये हैं जिनकी कीमत ३०-४० लाख रुपये से शुरू होती है , क्या आप बुक करना चाहते हैं , यहाँ आप पायेंगे महलों जैसा आराम , स्वर्ग जैसा अनुभव , हम आपको बैंक से लॉन ( ब्याज पर पैसा ) भी दिलवा सकते हैं " वगैरह -वगैरह , जब इस तरह के फ़ोन मुझे आते हैं तो मैं सोचता हूँ कि क्या मैं इतना रईस हूँ या मेरे पास इतने पैसे हैं जो यह लोग मुझे फोन कर यह ऑफर दे रहे हैं ! कभी कभी इस तरह के कॉल या मैसेज सुनकर या पढ़कर ऐसा लगता है जैसे हमारा मजाक उड़ाया जा रहा हो , या उन लोगों का जो सिर्फ अपनी जरुरत को पूरा करने के लिए बा-मुश्किल एक ५००-७०० रूपए का मोबाइल खरीद पाते हैं ! और अपना काम चलाते हैं ! आज कल मोबाइल एक ऐसी बस्तु है जिसकी जरुरत हर किसी को है जिनको जरुरत नहीं भी है उनके पास भी आपको ये मिल जाएगा , १०-से १५ साल के बच्चों के पास , सड़क पर झाड़ू लगाने बाला सफाई-कर्मचारी , सब्जी -भाजी बेचने बाला , भीख मांगने बाला भिखारी , ठेला चलाने बाला मजदूर , आज सभी अपने पास मोबाइल रखते हैं , बहुत अच्छी बात है , आज इस मोबाइल ने हम लोगों का स्तर बहुत ऊपर उठा दिया है ! इस बात से यह अहसास होता है की देश तेजी से प्रगति कर रहा है !
मुझे मेरे मोबाइल ने करोडपति होने का अहसास कराया है , क्या आपको भी ?

धन्यवाद

Saturday, November 6, 2010

शहरों की गंदगी अब गांवों में ..... गोरी चमड़ी के, गुलाम हम .... >>> संजय कुमार

भारत एक ग्राम प्रधान देश है ! भारत के गांवों में भारत की संस्कृति वास करती है ! अनेकों सभ्यताओं के लिए यह देश जाना जाता है और सेकड़ों सभ्यताएं हमें इन गांवों से धरोहर के रूप में मिली हैं ! शहरी सभ्यता से कोसों दूर , शहरों की भागमभाग से एकदम विपरीत शांत और शालीन होते हैं हमारे गाँव , मीलों लम्बी ख़ामोशी, शोर-सरावे से दूर , ऐसे हैं हमारे गाँव , जैसे गाँव बैसे ही यहाँ रहने बाले लोग, सीधेसाधे एवं सरल, निष्कपट और शहरी बुराइयों से कोसों दूर , गाँव के भोले -भाले -लोग , उनके अन्दर अपनापन का भाव , मिलावट का कोई नाम नहीं , मान सम्मान करने में सबसे आगे , शहर की चकाचौंध भरे माहौल से बिलकुल अलग , हमारे गाँव शहर की भागदौड़ से बिलकुल अलग हैं , सुगन्धित वातावरण , चारों ओर हरियाली अपने पैर फैलाये हुए , खेतों में लहलहाती फसलें, जीवन का राग सुनाते पेड़ -पौधे , पशु-पक्षी , कल-कल बहता पानी , अनेकों खूबियों भरे होते हैं ये सुन्दर हरे-भरे गाँव ! " अचानक किसी ने मुझे नींद से जगाया और मेरा सपना टूट गया , मैं सोचने लगा कि क्या मैं सपना देख रहा था या यह हमारे देश के गांवों का सच है ! ना तो मैं सपना देख रहा था और ना आज ये हमारे गांवों का सच है ! अब हम अपने गांवों के बारे में इस तरह की सिर्फ कल्पना ही कर सकते हैं ! क्योंकि आज देश में आदर्श गाँव शायद ही हों अगर हैं तो सिर्फ अपवाद हैं ! कारण हैं हम , आज के हमारे शहरी वातावरण का पूरा पूरा असर आप इन गांवों में देख सकते हैं ! मैं यहाँ बात करना चाहता हूँ हमारे गांवों में फैलती अश्लीलता की , शहरों की गंदगी अब इन गावों में धीरे-धीरे अपने पैर फैला रही है या पूरी तरह फैला चुकी है ! गाँव के चौपालों पर बिकती नारी देह , गोरी चमड़ी की नुमाइश करती देशी -विदेशी बालाएं , हमारी संस्कृति को धीरे धीरे अपने आगोश में ले रही हैं ! सिर्फ इतना ही नहीं बह सभी बुरी आदतें जो अमूमन शहरी लोगों में देखी जाती है , अब गाँव के भोले-भाले लोग इन आदतों के आदि हो गए हैं ! शराब-शबाब -कबाब अब इन गाँव बालों के शौक हो गए हैं ! कुछ इसे आधुनिकता का नाम देते हैं , तो कुछ आज के दौर की जरूरत की चीजें , कुछ शहरी लोगों के जैसा बनने के लिए बुरी आदतों को अपनाते हैं , और धीरे-धीरे आदि हो जाते हैं ! अब शहरों की गंदगी इन गांवों में घर कर चुकी है ! अब गाँव सिर्फ नाम के रह गए हैं ! जिस तरह से गाँव शहर में बदल रहे हैं , उसी तरह वहां रहने बाले !

आज़ादी के पूर्व हम सब अंग्रेजों के गुलाम थे ! इस गुलामी से आज़ादी पाने के लिए कितने इतिहास लिखे गए ये हम सब जानते हैं ! कितने ही वीरों ने अपने प्राणों की कुर्बानियां दी , कई आन्दोलन चलाये गए तब जाकर हम गुलामी की जंजीर से आजाद हुए ! हमें धन्यवाद देना चाहिए उन सभी इतिहास पुरुषों को जिनके कारण आज हम सब खुली हवा में साँस ले रहे हैं , और आज़ादी के साथ सब कुछ कर रहे हैं ! अंग्रेजों ने हमें गुलाम बनाने के लिए कई हथकंडे अपनाये थे कई चालें चली , चाहे हमें आपस में लड़ाने की रणनीति हो , धन दौलत का लालच या, अपने यहाँ ही गोरी चमड़ी बाली नर्तकियां हमारे सामने पेश की हों , ये सभी हथकंडे अपनाकर हमें लम्बे समय तक अपना गुलाम बनाये रखा ! आजादी के बाद भी गुलामी की मानसिकता हमारे अन्दर से नहीं गयी और हम लम्बे समय तक इन सब के मोह जाल में फंसे रहे , और आज भी कहीं ना कहीं इनके गुलाम हैं ! हमारी इस मानसिकता का पूरा फायदा इन अंग्रेजों ने उठाया और आज भी उठा रहे हैं , उदाहरण हैं इस देश के छोटे-छोटे गाँवों कस्बों से लेकर शहर, महानगर फिर से इस गोरी चमड़ी के मोहजाल में फंस रहे हैं ! और इनके गुलाम होते जा रहें हैं ! आज हम देख रहे हैं , आज की बड़ी बड़ी महफ़िलों में गोरी चमड़ी बाली बालाओं का बढता चलन , आज हर तरफ उनकी अच्छो खासी डिमांड है ! जहाँ देखो बस यही नजर आ रही हैं ! आज किसी नेता का जन्मदिन हो या कोई रंगारंग कार्यक्रम , सिर्फ गोरी चमड़ी, यही चाहिए हम सभी को ! अब हमारे गाँव के चौपालों पर आप इन्हें कभी भी देख सकते हैं ! गाँव के बह चौपाल जहाँ कभी रामायण-महाभारत के पाठ पढ़ाए जाते थे आज गोरी चमड़ी के कब्जे में हैं ! आज जिसे देखो वो इनके पीछे भाग रहा है ! आज हम क्रिकेट में इनका बढ़ता हुआ चलन देख रहे हैं ! जिन्हें हम सब Cheerleader के नाम से जानते हैं, जो मैदान में बैठे दर्शकों का मनोरंजन करती हैं, और रात होने पर हमारे खिलाडियों का ! आज हमारे यहाँ इनके चलन को कुछ लोग अच्छे रुतबे की निशानी कहते है , तो कोई अपने आपको पश्चिमी सभ्यता में ढालने के लिए इनका उपयोग करते हैं ! तो कोई इसे अपनी परम्परा कह रहा है ! परंपरा के नाम पर कहते हैं कि, हमारे पूर्वज मनोरंजन के लिए विदेशों से नर्तकियां बुलाते थे , इसलिए इस परम्परा को हम सिर्फ आगे बड़ा रहे हैं बर्षों से यह परम्परा चली आ रही है ! इस देश का यह दुर्भाग्य ही है , जहाँ हम लोग इस देश की बार बालाओं को अच्छी द्रष्टि से नहीं देखते , उन नाचने गाने बालों को बुरी नजर से देखते हैं जिनकी रोजी-रोटी नाच गाकर ही चलती है वह भी सभ्यता के साथ , वहीँ पर हम लोग इन गोरी चमड़ी बाली नर्तकियों पर करोड़ों रूपए लुटा रहे हैं ! क्या ये गुलामी की मानसिकता नहीं है ? क्या आज हमारे देश में अच्छी नर्तकियों की कमी है ? क्या उनके नृत्य अश्लील हैं ? नहीं ऐसा नहीं है आज हमारे देश में इनसे ज्यादा अच्छे नर्तक -नर्तकियां है , किन्तु ये सब आज गुमनामी की जिंदगी जी रहे हैं या आज दर दर की ठोकर खा रहे हैं क्योंकि आज उन्हें पूंछने बाला कोई नहीं है ! इस बात से आज हमें यह अहसास होता है कि, हम फिर से इन अंग्रेजों के गुलाम होते जा रहे हैं ! या पश्चिमी सभ्यता को अपनाने में अपनी सभ्यता को खोते जा रहे हैं !

( छोटी सी बात )
धन्यवाद

Thursday, November 4, 2010

दीपावली की बहुत बहुत शुभ-कामनाएं

आप सभी ब्लोगर बंधुओं एवं परिवार के समस्त सदस्यों को पावन पर्व दीपावली की बहुत बहुत शुभ-कामनाएं , यह पर्व आपके जीवन में ढेर सारी खुशियाँ लाये , आप सभी हर्ष-उल्लास के साथ यह पर्व मनाएं , यह पर्व आपके अंधकारमय जीवन में प्रकाश लाये , धन की देवी माँ लक्ष्मी आप पर सदा महरबान रहें ! देवी माँ सरस्वती की असीम कृपा आप पर बनी रहे !

दीपावली की बहुत बहुत शुभ-कामनाएं दीपावली की बहुत बहुत शुभ-कामनाएं

Thursday, October 28, 2010

ये राष्ट्रगीत क्या होता है ? क्या आप गा सकते हैं ? .... संजय कुमार

भारत देश का मान-सम्मान इस देश का राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान " जन-गण-मन " एवं " वन्दे-मातरम् -वन्दे-मातरम् " जो हर हिन्दुस्तानी को आना चाहिए ! जब भी कोई आपसे पूंछे की आपको राष्ट्रगीत एवं राष्ट्रगान आता है तो हर हिन्दुस्तानी को बड़े फक्र से यह बोलना चाहिए की यह तो हमारी रग-रग में बसा है ! एक हिन्दुस्तानी होने के नाते सर्व-प्रथम हम इसको याद करते हैं ! अगर हमें यह नहीं आता और इसके बारे में हम नहीं जानते तो हमारा हिन्दुस्तानी होना, ना होने के बराबर हैं ! आज देश की लगभग आधी आबादी ऐसी है जिसे ना तो राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान पूरा आता है या इसका महत्व को जानते हैं ! देश का आधुनिक युवा तो पाश्चात्य संगीत का ऐसा दीवाना है ! जिन्हें नहीं मालूम की इनका महत्व क्या है ? इनका अर्थ क्या है ? इन्हें कैसे गाते हैं ! सिर्फ इतना जानते है , की जन-गण-मन , या वन्दे-मातरम् , जैसे गीत हैं जो शायद १५ अगस्त , या २६ जनवरी को ही विशेष रूप से गाया जाता है ! शायद ही कोई इनके रचियता के बारे में जानता हो ! शायद नहीं ! क्योंकि इन गीतों को हम भी सिर्फ इन्हीं मौकों पर गाते हैं या याद करते हैं ! इस देश के मंत्री-संत्री , आला-अधिकारी , जिन्हें सिर्फ घूस लेना आता है , भ्रष्टाचार फैलाना जानते हैं , घोटाले करना और उनसे साफ-साफ बचना जानते हैं , उन्हें भी शायद ये गीत नहीं आता होगा ! हिंदुस्तान में ऐसे बहुत से परिवार हैं जिनमे एक-दो सदस्यों को छोड़ दें या किन्ही किन्ही परिवार के सभी सदस्यों को तक यह गीत नहीं आता होगा ! आज वातावरण इतनी तेजी से बदला है की हम अपनी पहचान अपनी धरोहर अपना मान-सम्मान अपने हाँथ से खो रहे हैं ! कारण हम ही हैं , इस देश में एक ट्रेंड चल पड़ा है या चल रहा है ! "जो दिखता है सो बिकता है " यूँ भी कह सकते हैं की "भेड़ चाल " में हम नंबर १ पर हैं ! इसका ताजा उदाहरण हम सब के सामने है ! फिल्म " दबंग " का यह गीत " मुन्नी बदनाम हुई , डार्लिंग तेरे लिए " आज देश में हर जगह सुना जा रहा है और पसंद किया जा रहा है, क्यों ? इस गाने में आखिर ऐसा क्या है ? इस गाने ने मुन्नी को बदनाम नहीं उसका अच्छा खासा नाम कर दिया है ! मुन्नी को इतना बदनाम या नाम कर दिया है की , वह अपना नाम तक भूल गयी ! शहर से लेकर गाँव-गाँव तक , गली-गली , हर नुक्कड़ , मोहल्ले हर चौराहों पर , उसकी बदनामी रेडियो, मोबाइल , टीव्ही पर सुनी जा सकती है ! आज हर कोई मुन्नी को बदनाम कर रहा है ! बच्चे , बूढ़े और जवान जिसे देखो मुन्नी के पीछे हाँथ धोकर पीछे पड़ गया है ! आलम यह है की अभी पिछले दिनों हमारे शहर में श्रीगनपति विसर्जन एवं शारदीय नवरात्र में , किसी के जन्म-दिन पर , किसी की शादी पर , रात-रात भर मुन्नी को बदनाम किया गया है ! जब हमारे दिल-दिमांग में मुन्नी होगी तो हमारी जुबान पर राम नाम कैसे होगा ! जब आज के बच्चे भद्दे गीतों को ही अपना पसंदीदा बना लेंगे तो " श्लोक " कैसे सीखेंगे ! यह बात सिर्फ इस गीत के लिए ही नहीं है वरन ऐसे कई गीत हैं जो अपनी छाप लम्बे समय तक छोड़ गए ! भले ही उन गीतों का ना तो कोई अर्थ था और न ही महत्व ! आज फूहड़ता पैसा कमाने का अच्छा साधन हैं ! क्या आप भी फूहड़ता पसंद करते हैं ?

इस देश का यह कडवा सच है , या यूँ भी कह सकते हैं इस देश का ऐसा दुर्भाग्य जिसे अब कोई बदल नहीं सकता ! जब फूहड़ गानों की बात आती है तो बच्चा - बच्चा उनका ऐसा दीवाना हो जाता जैसे पता नहीं किसी लेखक ने कोई राष्ट्रगीत लिख दिया हो ! जिसे गाने से हमारा मान-सम्मान बढता हो ! आज से ७०-८० वर्ष पूर्व भी गीत बनते थे और लोग उनको गुनगुनाया भी करते थे ! किन्तु उस वक़्त राष्ट्रगीत एक पहचान थी हम हिन्दुस्तानियों की ! बच्चा बच्चा वन्दे-मातरम् का महत्त्व जानता था ! किन्तु अब ऐसा नहीं है ! अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई में ये देशी गीत क्या मायने रखते हैं ? कोई POP-ROCK , PARTY गीत हो तो मजा आ जाए ! हम सब , हमारी वर्तमान पीढ़ी और भविष्य अब पूरी तरह खो चुके हैं चकाचौंध और आधुनिक दुनिया के आधुनिक गीतों में !

क्या आपको राष्ट्रगीत , राष्ट्रगान आता है ? यह आप अपने दिल पर हाँथ रख कर बोलें , यदि नहीं आता तो इसे पहले कंठस्थ कीजिये ! कहीं किसी दिन आपके बच्चे ने आपसे पूंछ लिया की ये राष्ट्रगीत, राष्ट्रगान क्या होता है ? और कैसे गाते हैं ? उस वक़्त कहीं आपको शर्मिंदा ना होना पड़े !

धन्यवाद

Monday, October 25, 2010

नशा ये प्यार का नशा है , नशे में है हमारा भविष्य .....>>> संजय कुमार

कहा जाता है की नशा, अगर किसी को किसी चीज का हो जाये तो नशा करने बाले की जिंदगी तबाह हो सकती है ! नशा करने के बाद नशा करने बाला कहीं का नहीं रहता ! नशा इन्सान को कहीं का नहीं छोड़ता ! तन से कमजोर , मन से कमजोर , समाज में घ्रणा का पात्र ! परिवार में कलह का कारण ! तबाही और बर्बादी का राश्ता , आज नशे की गिरफ्त में पूरा संसार है ! आज इस देश में हर कोई नशे में है , किसी को दौलत का नशा, तो किसी को शोहरत का नशा , किसी को प्रेम की दीवानगी का नशा , तो किसी को सत्ता का नशा , किसी को गुरुर का नशा , किसी पर आधुनिकता का नशा , किसी को पढ़ने-लिखने का नशा , किसी को शेयर बाजार का नशा ! हर किसी को किसी ना किसी चीज का नशा जरुर है ! क्योंकि आज इन्सान की जिंदगी इन्हीं सब चीजों के आस-पास घुमती है , या इन्हीं पर केन्द्रित है !

आज हम उस नशे की बात कर रहे हैं जो हमारे देश के युवाओं की नशों में खून बनकर दौड़ रहा है ! शराब , सिगरेट, ड्रग्स और नया नशा जिश्म का जो हमारे युवाओं में आज का फैशन बन गया है ! और जिसकी पकड़ अब इतनी मजबूत बन गयी है , या नशे का जाल इतना फ़ैल गया है जिससे बाहर आना आज के युवा का, मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है ! ताजा रिपोर्ट के अनुसार आज हमारे देश के चार बड़े महानगरों में स्थिती बहुत ही चिंतनीय है ! १५ से २० साल के बच्चों में या अभी-अभी जवानी की दहलीज पर कदम रखने बाले युवाओं में नशे की लत इतनी तेजी से अपने पैर फैला रही है , या उन्हें अपनी गिरफ्त में पूरी तरह से ले चुकी है ! किसी भी माँ-बाप के लिए बड़ा ही चिंतनीय एवं होश उड़ाने बाला सबाल है ! जब बच्चे घर से बाहर निकलते हैं उस वक़्त माँ-बाप बच्चों पर विश्वास कर उनको पूरी आजादी दे देते हैं ! और ये बच्चे उनके विश्वास के साथ विश्वासघात कर रहे हैं ! जन्म-दिन की पार्टी हो , कोई त्यौहार हो , या कोई गम भी हो तो भी इन्हें सिर्फ नशा चाहिए ! आधुनिकता की चकाचौंध में ये युवा इतने पागल से हो गए हैं की अपना अच्छा बुरा भी नहीं समझते ! एक होड़ सी लग जाती है अपने आप को आधुनिक बनाने की ! आज लड़कियां भी अपने आप को लड़कों से पीछे नहीं हैं , मानने बाली पद्धति को अपनाकर नशे के तालाब में तैर रहीं हैं ! कुछ अपने शौक को पूरा करने के लिए , कुछ एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए नशे का इस्तेमाल करती हैं ! लेकिन नशा करने बाले ये युवा यह नहीं जानते की इनके नशा करने से ये किस दलदल में फंस रहे हैं ! जब इनका कोई फायदा उठाता है तो हमारे सामने ऐसे परिणाम आते हैं जो इन युवाओं के लिए और इनके परिवारों के लिए ऐसे जख्म या नासूर बन जाते हैं जिनकी पीड़ा जीवन भर नहीं मिटती ! यह स्थिती सिर्फ महानगरों की नहीं है , यह स्थिती अब पूरे देश में , बड़े - बड़े शहरों से निकलकर यह नशा अब हमारे छोटे-छोटे शहरों , कस्बों और गांवों में तेजी से फ़ैल रहा है ! स्थिती ये है की शहरों में कूड़ा -करकट बीनने बाले १० से १५ साल के बच्चे तक, आज नशा कर रहे हैं ! बीडी -सिगरेट तो उनके लिए आम बात हैं , अब वह इससे भी बड़ा नशा करने लगे हैं ! या नशा करने के नए नए तरीके ढूँढने लगे हैं ! ऐसे बच्चों का तो मान सकते है की बह समझदार नहीं हैं या पढ़े-लिखे नहीं हैं , उनके सिर पर ना किसी का हाँथ है और ना छत ! किन्तु आज बड़ी-बड़ी डिग्रियां हांसिल करने बाले युवा सब कुछ जानते हुए भी नशे के इस दलदल में घुस रहे हैं ! यह देख बड़ा आश्चर्य होता है ! जिन माँ-बाप के बच्चे उनसे दूर महानगरों में पढ़-लिख रहे हैं ! उन माँ-बाप को अब इस ओर ध्यान देना होगा की कहीं उनके बच्चे उनके द्वारा दी गयी आजादी का गलत फायदा तो नहीं उठा रहे हैं या नशे के दलदल में तो नहीं फंस रहे हैं !

अगर देश का हर युवा नशे में डूबा रहेगा तो क्या होगा उनके भविष्य का या इस देश के भविष्य का ?
देश के युवाओं जरा सोचिये ............ जरूर सोचिये ................

धन्यवाद

Wednesday, October 20, 2010

मैं महाभारत का नहीं , कलियुग का " संजय " हूँ ( कलियुग का कडवा सच ) .....>>> संजय कुमार

महाभारत , शायद ही कोई भारतीय हो जो महाभारत और उसके किरदारों के बारे में ना जानता हो , यह तो पूरे विश्व में प्रसिद्द महापुराण या पौराणिक कथा है ! जब - जब महाभारत की बात चलती हैं तो उसके अनेक किरदार हमारे जहन में आते हैं ! महाभारत कई चीजों के लिए जानी जाती है ! भगवान् श्रीकृष्ण के लिए, उनके द्वारा दिए गए " गीता उपदेश " के लिए , अधर्म पर धर्म की जीत के लिए , पुत्र में मोह में अंधे पिता ध्रतराष्ट्र के लिए, स्त्री मान-अपमान के लिए , और भी हजारों किरदार हैं जो हमारे मष्तिष्क में दौड़ते हैं ! इन किरदारों में एक किरदार ऐसा भी हैं , जिसे हम भूल नहीं सकते और वह किरदार है " संजय " का ! जी हाँ वही " संजय " जो अंधे ध्रतराष्ट्र को युद्ध भूमि " कुरुक्षेत्र " का आँखों देखा हाल सुनाता था ! और युद्ध की एक-एक बात से ध्रतराष्ट्र को अवगत कराता था ! ठीक उसी प्रकार आज कलियुग में, मैं भी कई लोगों को आँखों देखा हाल बताता हूँ ! ( किसी युद्ध का नहीं ) क्योंकि आज मेरा जो कर्मक्षेत्र है वह ठीक महाभारत के " संजय " के समान है ! और मेरा कर्मक्षेत्र है " शेयर बाजार " का आँखों देखा हाल सुनाने का ! मैं कलियुग का "संजय " आपको आज कलियुग का हाल जो मेरी नजरें देख रही हैं , सुन रहीं हैं , सुना रहा हूँ ! शायद आपको पसंद आये ! तो लीजिये आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ , कलियुग का कडवा सच !

सबसे पहले बात करते हैं , विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर यानि हमारे " संविधान " "संसद भवन " की , वह मंदिर या वह स्थान जहाँ पर बैठकर आज के भगवान् ( मंत्रीगण ) हम बेचारी जनता पर राज कर रहे हैं ! और इस मंदिर में बैठे कई राजा-महाराजा , रानियाँ -महारानियाँ आपस में द्वन्द की भावना रखते हैं और मंदिर में ऐसा युद्ध करते हैं जहाँ ना तो कोई नियम हैं और ना ही कोई अनुशासन ! आज इनके द्वारा हमारा सिर शर्म से झुक रहा है , अपना महत्त्व खोता यह मंदिर ! बुत बने बैठे ये राजे-महाराजे एक-दूसरे पर जूते -चप्पल की बरसात तक करते हैं ! कभी -कभी नोटों की गड्डियाँ भी दिखाते हैं ! यहाँ बैठा राजा चुपचाप सिर्फ सुनता है, और बेचारा कुछ कर नहीं पाता , आज के इस राजा का उस मंदिर में कोई मूल्य नहीं हैं ! जिस तरह बेचारा ध्रतराष्ट्र .........

आज कलियुग में भी " समुद्र मंथन " हो रहा है ! आज इस समुद्र मंथन के पानी को मैं कीचड के रूप में देख रहा हूँ , जहाँ से संजीवनी बूटी नहीं मौत का सामान निकल रहा है , ( ड्रग्स नशीली बस्तुएं ) हीरे-मोती नहीं, मंथन से वो भ्रष्ट अधिकारी बाहर निकल रहे हैं जिनके घर आम जनता की गाढ़ी कमाई से खरीदे गए सोने-चांदी के भंडार मिल रहे हैं ! समुद्र मंथन से धर्म नहीं अधर्म और भ्रष्टाचार निकल रहा हैं ! समुद्र मंथन से " कामधेनु" गाय माता नहीं , इस देश की गरीबी , भुखमरी , और कुपोषण बहार निकल रहा है ! समुद्र मंथन से देवता नहीं कलियुग के दानव निकल रहे हैं जो इस देश को खा जाना चाहते हैं ! समुद्र मंथन के दौनों ओर भ्रष्टाचारी खड़े हुए हैं, एक ओर नेता तो दूसरी ओर आज के भ्रष्ट अधिकारी ! यही भ्रष्ट लोग आज कलियुग का समुद्र मंथन कर रहे हैं ! समुद्र मंथन से अमृत के रूप में "राष्ट्रमंडल खेल" निकल रहे हैं , जिसे पीने के लिए देश में मारामारी हो रही है ! क्योंकि इस तरह का अमृत कई सदियों में निकलता है ! और यह अमृत इस बार कलियुगी राक्षसों के हाँथ लग गया और अमृत का प्याला राक्षसों ने पी भी लिया और अमर हो गए ! आज कलियुग में ना तो कोई विष्णु है जो मोहिनी रूप धर कर इनसे यह प्याला छीन ले और बचाले इस देश को ! इसकी प्रतिष्ठा और मान-सम्मान ..............

आज कलियुग में , मैं देख रहा हूँ की, हमारे ५००० वर्षों के संस्कार अब पूरी तरह धूमिल हो रहे हैं ! ना माँ-बाप का सम्मान और ना ही उनके प्रति भक्ति ! इन्सान आज इतना गिर गया है, कि उसे इन्सान कहते हुए भी घिन आ जाती है ! कारण इन्सान स्वयं है , वह आज ऐसे ऐसे काम कर रहा है जिसके बारे में तो भगवान् भी नहीं सोच सकते ! इन्सान द्वारा इंसानों का व्यापार , धर्म का व्यापार, धर्म के बड़े ठेकेदारों द्वारा नारी व्यापार ( जिश्म्फरोशी ) , गुरु -शिष्य की छवि का कलंकित होना , संस्कारों का व्यापार , मान-सम्मान का व्यापार , शासन और साम्राज्य का व्यापार , झूंठ-फरेब -धोखा ! छीन रहे भूखों का निवाला , गरीबों का दमन ! कलियुग के आधुनिक साधन जिन पर इन्सान पूरी तरह निर्भर हैं , इन्सान के लिए उपयोगी कम अनुपयोगी ज्यादा साबित हो रहे हैं !

महाभारत में जहाँ भगवान् द्रोपदी की लाज बचाने आते हैं , वहीँ आज कई द्रोपदी रोज दुशाशन के हांथों कुचली जा रहीं हैं ! क्या इस कलियुग में भी कोई कृष्ण आएगा जो इस कलियुग के शत्रुओं और अधर्म का नाश करे ? क्या कोई भीम-अर्जुन आयेंगे जो नारी अपमान का बदला लेंगे ? ना जाने और क्या-क्या देखना पड़ेगा कलियुग के इस " संजय " को

( कुछ नया लिखने का एक छोटा सा प्रयास )

धन्यवाद

Sunday, October 17, 2010

जन्म-भूमि के सपूत बोलते चले , जय हे जय हे जय हे जय हे ! ........>>> संजय कुमार

विजयदशमी की बहुत बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभ कामनाएं
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जन्म-भूमि , हमारा अपना वतन , हमारा देश, जिस देश में हम पैदा हुए ! भारत देश , भारत माता हमारा , मान हमारा सम्मान ! आज कलियुग में हमारी भारत माता बेड़ियों में जकड़ी हुई है ! भारत माता के हाँथ में एक तिरंगा है जो अपनी पहचान खो रहा है , उसकी हालत अब पहले जैसी नहीं रही ! भूंखी , बेबस , और लाचार , हमारी भारत माता को आज आतंकवाद , नक्सलवाद , सम्प्रदायवाद , भ्रष्टाचार , घूसखोरी , बेरोजगारी , भुखमरी , कुपोषण जैसे राक्षसों और बुरी ताक़तों ने इस कदर घेर लिया है , जिससे हमारी भारत माता का दम घुट रहा है ! वह तड़प रही है , कि कोई तो आये, जो उसे इन सब बुरी आत्माओं से मुक्ति दिलाये ! कोई तो आये जो देश के इन दुश्मनों से उसकी रक्षा करे , उनका नामोनिशान मिटा दे ! उसकी करुण पुकार कोई तो सुन ले ! आज जन्म-भूमि अपने सपूतों से आव्हान कर रही है , उसे उसका असली रूप वापस दिलाने के लिए ! वह रूप जो किसी स्वर्ग से कम नहीं ! कह रही है , जन्म देने बाली माँ और जन्म-भूमि इस दुनिया में सर्व-प्रथम हैं ! इनका मान सम्मान सबसे बड़ा है !

जन्म-भूमि के सपूत बोलते चले
जय हे जय हे जय हे जय हे !
आज सारी बेड़ियों को खोलते चले
जय हे जय हे जय हे जय हे !


इस जमीं पे दुश्मनों के पैर हैं जमे
एक-एक पैर को उठाने चल दिए
पैर तो क्या पैरों के निशाँ भी न रहें
दुश्मनों का हर निशाँ मिटाने चल दिए
होंटों पे ये नारा लेके डोलते चले
जय हे जय हे जय हे जय हे !


एक-एक बात का हिसाब मांगने
चल पड़े सवालों के जबाब मांगने
राह आती मुश्किलों से खेलते चले
पर्वतों को भी परे धकेलते चले
शब्द शब्द बो जुबान खोलते चले
जय हे जय हे जय हे जय हे !


जन्म-भूमि स्वर्ग से कहीं हसीन हैं !
इसकी एक-एक बात बेहतरीन है !
खो गया है मान जो दिलाने चल दिए
इसकी वोही शान फिर बनाने चल दिए
साँस में बंधी हवा को खोलते चले
जय हे जय हे जय हे जय हे !


जननी जन्म-भूमिश्चय , स्वर्गादपि -गरीयसी
(यह पंक्तियाँ एक गीत से ली गयीं हैं )

धन्यवाद

Friday, October 15, 2010

भारत के असली दबंग ...>>> संजय कुमार

दबंग, नाम सुनते ही हमारे दिमाग में किसी हट्टे-कट्टे , चौड़ी छाती , रौबदार इन्सान का चेहरा आता है ! दबंग नाम सुनते ही किसी रसूखदार या किसी उच्च जाति के व्यक्ति का ध्यान आता है ! क्योंकि आज तक हमने ऐसे ही दबंगों के बारे में सुना है , जो किसी निम्न जाति को अपना रुतबा दिखाते हैं ! किसी अबला को बेइज्जत करते हैं ! किसी कमजोर पर अपनी ताक़त आजमाते हैं ! यह सब तो नाम के दबंग होते हैं ! दबंगियाई, किसी निर्धन की निर्धनता का मजाक उड़ाना नहीं होता और ना ही किसी निम्न जाति के इन्सान पर अपना बिना बात का रौब झाड़ना ! असली दबंग तो वो होता है जो अपने घर-परिवार , समाज और देश का नाम रौशन करता हैं ! आज मैं जिन दबंगों की बात कर रहा हूँ , ये बो दबंग हैं जिनकी दबंगियाई का लोहा आज पूरे देश ने माना है ! देश के ऐसे दबंग जो देश का नाम विश्व स्तर पर ऊंचा कर रहे हैं ! आज राष्ट्रमंडल खेलों में हुए भ्रष्टाचार के बावजूद देश के सभी खिलाडियों ने अपनी दबंगता खेलों में दिखाई , उन्होंने यह साबित कर दिया की हम अगर अपनी पर आ जाएँ तो हम से बड़ा कोई दबंग नहीं है ! खिलाडियों की दबंगता आज पूरे विश्व ने देख ली ! दुसरे स्थान पर पहुँच कर और अंग्रेजों को पीछे धकेलकर अपनी दबंगता का जलवा बिखेरा ! ये हैं इस देश के असली दबंग ! दबंगता आज भारत की क्रिकेट टीम ने दिखाई है , उन्होंने यह साबित कर दिया कि दबंगता किसे कहते हैं ! जिस ऑस्ट्रेलिया को अपने आप पर इतना गुरुर था आज वो हमारे खिलाडियों ने अपनी दबंगता से चकनाचूर कर दिया ! आज देश के असली दबंग , सचिन , लक्ष्मण और टीम इंडिया के सभी खिलाड़ी हैं ! आज इनकी दबंगता ने देश का नाम रौशन किया है ! ऐसे दबंगों को देश का सलाम ...................

ऐसा नहीं है कि सिर्फ खेल में ही हमारे देश ने, और देश के खिलाडियों ने अपना परचम लहराया है ! बल्कि और भी लम्बी सूची है , उन लोगों की जो आज देश में दबंग होने का माद्दा रखते हैं ! समस्त जवान जो देश की सुरक्षा में दुश्मनों के दांत खट्टे करते हैं ! समस्त ईमानदार पुलिस अधिकारी जो आज समाज को असामाजिक तत्वों और बुरी ताक़तों से हमें बचाते हैं और अपनी जान की परवाह नहीं करते ! देश के समस्त डॉक्टर , जो नयी नयी तकनीक से आम इन्सान की जान बचाते हैं फिर चाहे वह पाकिस्तानी हो या किसी अन्य देश का ! समस्त इंजिनियर जो देश का नाम रौशन कर रहे हैं जो देश की जनता को सेंकडों आधुनिक साधन उपलब्ध करवा रहे हैं ! सोनिया गाँधी , मनमोहन सिंह , अमिताभ बच्चन , लता मंगेशकर , रतन टाटा , अजीम प्रेमजी , अब्दुल कलाम आजाद , ये सभी अपने आप में असली दबंग हैं, जो इस उम्र में भी , जब इन्सान आराम करना चाहता हैं , ये लोग आज भी अपने अपने क्षेत्रों में सक्रीय है, और देश का नाम कहीं ना कहीं रौशन कर रहे हैं जिनका लोहा आज पूरा देश मानता है !

दबंगता का असली अर्थ दूसरों की मदद करना ! बेसहारा को सहारा देना ! राष्ट्रहित की बात करना , कर्म के प्रति ईमानदार होना ! अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना ना की अन्याय करना ! अपने आपको श्रेष्ठ नागरिक बनाना !

क्या आप असली दबंग हैं ? क्या आप भी दबंग बनना चाहते हैं ? तो सोचिये ........ तो कीजिये

धन्यवाद 

Tuesday, October 12, 2010

झूंठा है तेरा वादा , झूंठी है तेरी कसमें ....>>> संजय कुमार

आपने राजेश खन्ना पर फिल्माया यह गीत जरूर सुना होगा जो फिल्म " दुश्मन " का है ! " झूंठा है तेरा वादा , वादा तेरा वादा , वादे पे तेरे मारा गया बंदा मैं सीधा-साधा , " झूंठा है तेरा वादा " इस गीत में हीरो अपनी महबूबा को उसका वादा याद दिलाता है ! जो शायद वह भूल गयी हो , खैर जाने देते हैं , ये तो फ़िल्मी वादे हैं , इनका क्या ! यहाँ ना तो किसी ने मुझसे कोई वादा किया है , और ना ही तोड़ा है , और ना यहाँ कोई लैला-मंजनू , सोहनी-महिवाल , हीर-राँझा की बात हो रही है ! यह तो बो लोग हैं जिन्होंने एक-दूसरे को किये वादे को पूरा किया , चाहे फिर एक साथ अपनी जान देने का वादा ही क्यों ना हो ! वादा तो प्रभु श्रीराम ने किया था अपने पिता दशरथ से जो उन्होंने पूरा किया ! वादा तो राजा हरिशचंद्र ने भी किया था , जिसके लिए उन्होंने अपना सब कुछ ऋषि विश्वामित्र को सौंप दिया ! और वादे के लिए खुद को बेच दिया ! खैर ये सब तो हमारा इतिहास है ! जहाँ " प्राण जाय , पर वचन ना जाय " जैसे वादे किये जाते थे और पूरे भी होते थे ! यह तो कलियुग है और आज तो कोई कहावत ही नहीं है ! आज तो सिर्फ झूंठ, धोखा, फरेब, वादाखिलाफी जैसे शब्द सुनाई देते हैं !

हम बात करते हैं आज की , आज के इन्सान की , या यूँ कह सकते हैं , कलियुग के इन्सान की , हम सब अपने जीवन में एक-दो नहीं हजारों वादे करते हैं , देश से, देश की जनता से , अपनों से, अपने आप से , दूसरों से , अपने कर्म के प्रति ईमानदार होने का , अपने फर्ज को पूरा करने के लिए , वादा करते हैं हर हाल में कर्तव्य को पूरा करने का ! किन्तु वादा पूरा नहीं कर पाते ! आज तक हम अपने द्वारा किये हुए एक भी वादे पर कितना खरा उतरे हैं , हम सब यह बात जानते हैं ! जब हम वादा पूरा नहीं कर पाते तो हम उसे पूरा ना कर पाने का सिर्फ बहाना ही ढूँढ़ते हैं ! वादा पूरा करने की कोशिश भी नहीं करते ! आज इन्सान स्वयं के प्रति ईमानदार नहीं है , और जो अपने प्रति , कर्म के प्रति , धर्म के प्रति ईमानदार नहीं है , वह अपना वादा कभी पूरा नहीं कर सकता ! आज बच्चे अपने माँ-बाप से वादा तो करते हैं कि उन्हें भविष्य में उन्हें कभी अकेला नहीं छोड़ेंगे अपने कर्तव्य को पूरी तरह निभाएंगे ! आज कितने बच्चे माँ-बाप से किया वादा पूरा कर रहे हैं ? नेता भूल गया जनता से किया हुआ वादा , साधू-संत भूल गए वह वादा जो उन्होंने इश्वर के समक्ष इन्सान को सही मार्ग पर ले जाने के लिए किया था ! और स्वयं अपने पथ से भटक गए ! आज जिसे देखो अपना किया वादा अपने द्वारा ही तोड़ रहा है ! देश के सभी नेता , मंत्री-संत्री , अधिकारी , डॉक्टर , पुलिस सभी अपना वादा भूल गए ! जो वादा उन्होंने आम जनता के साथ आम जनता कि भलाई के लिए किया था ! ऐसी कसमें खायीं ऐसे ऐसे वादे किये कि , हर हाल में हम आम जनता का भला करेंगे ! अपने फर्ज के साथ कभी धोखा या बेईमानी नहीं करेंगे ! आज तक यह अपने वादे को कभी पूरा नहीं कर पाए ! गांधी जयंती पर हम सबने वादा किया , कि हम अहिंसा का मार्ग अपनाएंगे , सदा सत्य बोलेंगे , चोरी नहीं करेंगे , और भी बहुत कुछ , किन्तु यह सिर्फ वादा है , एक मामूली सी बात , कह दिया और बस खत्म ! और अगले ही दिन हम सब अपने वादे से ऐसे मुकर जाते हैं ! जैसे हमने कभी कोई वादा किया ही नहीं ! और लग जाते बही भ्रष्टाचार फ़ैलाने जो वर्षों से करते आये ! शिक्षक दिवस पर शिक्षक यह वादा करता है कि , वह अपने फर्ज को पूरी ईमानदारी के साथ निभाएगा , जैसे ही यह दिन निकलता है , शिक्षक भूल जाता है अपना किया हुआ वादा ! और उसका परिणाम हमारे सामने हैं ! देश में कितने ही बच्चे आज शिक्षा से महरूम हैं ! अगर शिक्षक अपना किया वादा पूरा करें तो इस देश का भविष्य सुधर सकता है ! इस देश का हर नागरिक बड़े बड़े वादे तो करता है ! किन्तु उन पर कभी भी अमल नहीं करता ! देश कि आन- बान -शान और राष्ट्र के प्रति ईमानदार और राष्ट्र के हित का वादा हम लोग करते तो हैं , लेकिन उसे शायद ही कोई पूरा करता हो ! जो इन्सान हमेशा अपने वादे पर खरा उतरता हैं उसे ही " देश का सर्वोच्य नागरिक " का खिताब देना चाहिए ! मुझे नहीं लगता कि आज देश में एक भी ऐसा इन्सान है जो अपने हर वादे पर खरा उतरा हो ! वैसे तो आज इन्सान , इन्सान ही नहीं रहा , इन्सान आज जितना मतलबी और स्वार्थी हो गया है , जिसे देखकर सुनकर यही लगता है !

" झूंठा है तेरा वादा " " वादा तेरा वादा "

धन्यवाद

Sunday, October 10, 2010

मंजनुओं का अड्डा , ( मंदिर और कॉलेज ) ...>>> संजय कुमार

मंजनू , नाम सुनते ही किसी सड़क छाप आशिक का नाम हमारे ध्यान में आता है ! वह युवा (लड़का ) जो आपको सड़कों पर आवारागर्दी करते नजर आयेंगे , इन्ही में से ज्यादा संख्या में सड़क छाप मंजनू होते हैं ! हिन्दुस्तान में हजारों किस्से कहानियां भरे पड़े हैं , इन मजनुओं और इनकी प्रेम कहानी से ! जैसे लैला-मंजनू , सोहनी-महिवाल , हीर-राँझा और भी बहुत हुए हैं , लेकिन हिंदुस्तान में तो यही Famous हैं , इन्ही को लेकर आज के कई युवाओं को ये मंजनू नाम दिया गया है यहाँ के प्रेमी-प्रेमिकाओं को ! ये मंजनू आपको हर देश में मिलेंगे , किन्तु भारत में इनकी संख्या लाखो-करोड़ों में है ! ये आपको कहीं भी देखने को मिल जायेंगे , स्कूल, कॉलेज , पिकनिक स्थल , शादी-पार्टी , मेले , पार्क, ट्यूशन के अन्दर कोचिंग के बाहर, लगभग सभी जगह ! कई जगह तो इन मंजनुओं के कारण ही देश में प्रसिद्ध हैं ! लेकिन एक जगह और है जहाँ आजकल इनकी संख्या आम जगह से कुछ ज्यादा ही देखने को मिल रही है , और वो जगह है " मंदिर " जी हाँ यह बात बिलकुल सही है , आज कल हमारे देश में " नवरात्री " का त्यौहार पूरे जोर-शोर से मनाया जा रहा है ! और इन्ही मंदिरों कि आड़ में आज इन मंजनुओं का प्रेम , परवान चढ़ रहा है ! क्योंकि यह तो वह जगह है , जहाँ किसी के भी आने-जाने पर कोई पावंदी और रोक-टोक नहीं होती ! यहाँ जो भी ( मंजनू- टाइप ) आता है , हमें लगता है , माता की भक्ति के लिए आया है , किन्तु आप अगर गौर से देखें तो आप महसूस करेंगे , की इनकी नजरें किसी ना किसी लैला की तलाश में होती हैं ! " काश यहाँ तो कोई हमें लाइन दे दे और हमारी भी फिल्मों के जैसे "लव-स्टोरी " बन जाये ! क्योंकि इन दिनों ऐसे ऐसे युवा इन मंदिरों पर आते -जाते हैं , जिनको ना तो ईश्वर भक्ति और मंदिरों से दूर दूर तक कोई लेना देना होता है ! कुछ ऐसे भी इन मंदिरों पर देखने को मिल जायेंगे जो शायद कहीं और मंजनू गिरी करने और अपनी प्रेमी-प्रेमिकाओं से मिलने से घबराते हैं , किन्तु यहाँ पर बड़ी आसानी से मिल लेते हैं ! वह भी बिना रोक-टोक और बिना किसी के शक किये हुए ! सभी मंजनुओं के लिए ये नौ दिन नवरात्र के बहुत मायने रखते हैं ! जितना इन्तजार इनको अपनी परीक्षाओं का नहीं रहता उससे कहीं ज्यादा इन्तजार इनको इन दिनों का रहता है ! ( विशेष शारदीय नवरात्र का )

कुछ भी हो कम से कम हमारा आज का युवा , किसी बहाने मंदिर तो जाता है , भगवान् के सामने शीश झुकाता है ! वर्ना आज का युवा तो अपनी मस्ती में ही मस्त है ! वह पूरी तरह अपने आस-पास के माहौल और समाज की गतिविधियों से दूर हैं ! आज के युवा एक ऐसे दुनिया में जीते है ! जहाँ ना तो प्रेम - स्नेह, संस्कार और अपनेपन का कोई महत्त्व है ! इन युवाओं ने ना तो अपने जीवन में कोई सिद्धांत बनाये हैं और ना ही कोई लक्ष्य ! बस चकाचौंध भरी दुनिया को ही अपना भविष्य समझ रहे हैं ! इस चकाचौंध भरी दुनिया में कई युवा अपना भविष्य बिगाड़ रहे हैं ! सिगरेट , शराब , शबाब इनके मुख्य शौक के रूप में हमारे सामने आ रहे हैं ! यह बात अब छोटे छोटे गाँव , कस्बों , शहरों और महानगर में किसी संक्रामक बीमारी के जैसे फ़ैल रही है , या फ़ैल चुकी है !

हमें आज ध्यान देना होगा अपने बच्चों पर की आज वह क्या कर रहे हैं ? किस हालात में जी रहे हैं ? उन्हें क्या चाहिए ? और उन्हें हम क्या दे रहे हैं ? या उन्हें क्या मिल रहा है ? आज हम ऐसे युग में जी रहे हैं जहाँ सच्चा प्रेम कम ही देखने को मिलता है ! यदि आपके बच्चे किसी से सच्चा प्रेम करते हैं और यदि आपको लगता है कि , आपके बच्चों का भविष्य सुरक्षित हांथों में है ! तो अंतिम निर्णय आपका होगा !

मेरी इस बात से कई सड़क छाप मंजनू मुझे गलियां भी देना चाह रहे होंगे , किन्तु में खुश हूँ , कि कभी हम भी उनकी तरह मदिरों पर किसी लैला की तलाश में गए थे ! वहां लैला तो नहीं मिली , परन्तु ईश्वर का आशीर्वाद जरूर मिला !
जय माता दी ............ जय माता दी .............जय माता दी ..........जय माता दी

धन्यवाद

Tuesday, October 5, 2010

आप कौन से भारतीय है ? पहले , दुसरे या तीसरे

जब से एक सर्वे में यह रिपोर्ट हमारे सामने निकलकर आई है , कि भारत का हर तीसरा व्यक्ति भ्रष्ट है ! और भ्रष्ट देशों की सूची में भारत ८४ बे नम्बर पर है ! जब से हम भारतीयों को इस सर्वे की रिपोर्ट का मालूम हुआ ! हम भारतियों के पैरों तले से जमीन खिसक गयी ! दिलो-दिमाग में एक खलबली सी मच गयी है ! कोई भी भारतीय इस रिपोर्ट पर विश्वास नहीं कर पा रहा है ! हर कोई यह कह रहा है, कि यह रिपोर्ट पूरी तरह गलत है, सवा अरब की आबादी बाला देश जहाँ चारों ओर भुखमरी , गरीबी और बेरोजगारी है , लोगों के पास ना तन ढंकने को कपडा , ना सिर पर छत है , लाखों भारतीय तो यह भी नहीं जानते कि , भ्रष्टाचार होता क्या है ? उस देश का हर तीसरा आदमी कैसे भ्रष्ट हो सकता है ! कुछ लोगों ने तो यह तक कह दिया कि, जिसने यह रिपोर्ट बनायीं है, रिपोर्ट बनाने बाला ही हमें भ्रष्ट लग रहा है ! लगता है भारत को बदनाम करने के लिए पडोसी देश की कोई चाल है ! जब से यह रिपोर्ट आई है आम नागरिक अब एक-दुसरे को शक की द्रष्टि से देखने लगा है ! और मन ही मन यह अनुमान लगा रहा है की , कहीं यह तीसरा भारतीय तो नहीं है ! लेकिन अनुमान लगाना इतना आसान नहीं हैं , क्योंकि इस देश में रहने बाला कोई भी भारतीय अपने आप कभी नहीं कहेगा की मैं तीसरा भारतीय हूँ ! वह तो सिर्फ इतना कहेगा की मैं तो सिर्फ भारतीय हूँ ! ना पहला, दूसरा और ना तीसरा ! उसकी यह बात सुनकर अच्छा भी लगा , क्योंकि हमारे देश में कुछ लोग ऐसे हैं जो रहते यहाँ हैं , खाते- पीते यहाँ हैं , जीवन यापन इस देश में करते हैं और जब राष्ट्र भक्ति की बात आती है तो बजाते किसी और की ................ खैर जाने दें .... वर्ना कहीं देश के कुछ गद्दार भड़क ना जाएँ !

अब सवाल यह उठता है की, वह तीसरा आदमी कौन है ? जो इस सर्वे की रिपोर्ट में पकड़ में आया हैं ! क्योंकि आज तक हम लोग चंद मुट्ठी भर लोगों को ही इस देश में भ्रष्ट मानकर चले आ रहे हैं ! देश के नेता , मंत्री -संत्री , साधू-सन्यासी , आला-अफसर , पुलिस , डॉक्टर , वकील , गुंडे-मवाली , और देश की बागडोर चलाने बालों के चमचे , चेले-चपाटे और भी बहुत से लोग हैं जो देश में तीसरे भारतीय हैं ! किन्तु इनकी संख्या बहुत कम है ! हम अगर चारों ओर नजर उठाकर इस देश के भारतीयों पर डालें तो हम महसूस करेंगे की , इस देश में रहने बाले करोड़ों भारतीय तो धर्म -कर्म , पूजा -पाठ , पाप-पुन्य पर ही अपना सबसे ज्यादा समय बर्बाद करते हैं ! सुबह-सुबह मछलियों को आटे की गोली , कबूतरों को दाना , भिखारियों को खाना , देश के हजारों मंदिर श्रद्धालुओं से भरे पड़े रहते हैं , रोज रोज के व्रत और बहुत कुछ ! दुनिया भर के मानवता के काम सब कुछ इस देश में रहने बाला भारतीय ही करता है ! उस पर लाखों लोग जो यह भी नहीं जानते पैसा क्या है ? भ्रष्टाचार क्या और कैसे होता है ? बेईमानी क्या है ? अगर रिपोर्ट आई है तो कुछ ना कुछ तो सही होगा , लेकिन कैसे , अब तो हम सिर्फ अनुमान ही लगा सकते हैं ! की हम कौन से भारतीय है ? पहले , दुसरे या तीसरे , हम तो उस तीसरे भरतीय को खोज रहे हैं ! जो हमारे देश का नाम ख़राब कर रहा है ! अगर वह तीसरा भारतीय कहीं मिल जाए तो आप लोग जरूर बताइए !

मैं तो सिर्फ भारतीय हूँ ! आप कौन से भारतीय है ? पहले , दुसरे या तीसरे

धन्यवाद

Sunday, October 3, 2010

" काश हम कुत्ते होते " पार्ट २ ( अछूत नहीं महान हूँ ) ... >>> संजय कुमार

जैसा की आप लोगों को मालूम है , आजकल पार्ट फिल्मों का दौर चल रहा है ! एक फिल्म हिट होते ही उसका पार्ट २-३ बाजार में आ जाता है ! इसी तर्ज पर मैंने भी सोचा , क्यों ना मैं भी अपनी ही एक पोस्ट का पार्ट २ बनाऊं , तो लीजिये पहली बार पार्ट २ आपके सामने प्रस्तुत करने की कोशिश कर रहा हूँ ! शायद आप लोगों को पसंद आये ! भले ही मेरी पहली पोस्ट सुपर-डुपर हिट ना हो फिर भी मैं कोशिश तो कर ही सकता हूँ ! क्या करूँ बिषय एक ही है ! अब जिन लोगों ने मेरी पुरानी पोस्ट नहीं पढ़ी वह यह लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं !

http://sanjaykuamr.blogspot.com/2010/06/blog-post_30.html लीजिये प्रस्तुत है ...................... " काश हम कुत्ते होते " पार्ट २

जैसा की आप लोगों को मालूम होगा कि, हमारे मध्य-प्रदेश के मुरैना में अभी कुछ दिनों पहले एक कुत्ते को हम इंसानों ने " अछूत " की उपाधि से बिभुषित किया है ! इस बात पर देश के सभी कुत्ते इंसानों से नाराज हो गए ! और इंसानों को जी भर कर गलियां दे रहे हैं ! और कह रहे हैं कि , इन्सान आज कितना गिर गया है , हम कुत्तो को अछूत कहने बाले ही छुआछूत जैसी बीमारी इस देश में फैला रहे हैं ! हम तो किसी भी जात -पात को नहीं मानते , हम कुत्तों में जो सर्व धर्म कि भावना है , वह इन इंसानों में नहीं है ! हमारे लिए तो किसी भी इन्सान की कोई जाति नहीं होती ! हमारी नजर में सब एक हैं ! अब आप ही बताएं जब मैंने एक इन्सान के यहाँ रोटी खाई तो मुझे अछूत कहकर इतना बवाल क्यों मचाया जा रहा है ! क्या आप यह सब नहीं जानते ? आजकल हमारे देश में क्या हो रहा हैं ? देश में ऊंचे पदों पर बैठे देश के मंत्री और नेतागण इन अछूतों के बलबूते ही देश में राज कर रहे हैं ! जब यह लोग इन अछूतों के यहाँ खाना खाते और पानी पीते हैं , उनके यहाँ रात बिताते हैं , तब क्यों इतना बबाल नहीं मचता ! बल्कि ऐसा करने पर , आप इन्सान उनको "महान" की उपाधि दे देते हो ! उसको अछूत क्यों नहीं कहते ? मैंने एक रोटी क्या खा ली, मेरे साथ इतना बुरा सुलूक , अछूत ही कह दिया ! कांग्रेस की युवा ब्रिगेड कहलाने बाले " राहुल गाँधी " ने भी कई बार इन अछूतों के यहाँ रोटी खाई और पानी पिया , तो उस वक़्त सभी ने " राहुल गाँधी " को रातों रात स्टार बना दिया ! अब मैं आप लोगों से कह रहा हूँ की, मैं अछूत नहीं महान हूँ !

जब से कुत्ता संगठन ने इस बात का प्रचार-प्रसार पूरे देश में किया हैं , तब से लेकर अब तक , हर कोई उस अछूत या महान कुत्ते को ढूँढ रहा है ! जब से उस कुत्ते की जानकारी देश के नामी -गिरामी, बड़े-बड़े और पहुंचे हुए लोगों को मालूम चली है , तब से उस कुत्ते को पूरे देश में बड़े जोर-शोर से खोजा जा रहा है ! देश की बड़ी बड़ी कंपनिया उस कुत्ते को अपना ब्रांड- अम्बेसडर बनाना चाहती हैं ! देश के कई बड़े फिल्म प्रोडूसर , डायरेक्टर उसे अपनी फिल्मों में मुख्य हीरो के रूप में लॉंच करना चाह रहे हैं ! क्योंकि उसके पूर्वज पहले भी कई फिल्मो में यह भूमिका निभा चुके हैं ! और वह फिल्म अगर चली, तो इन्ही के दम पर ! कहना है आजकल ऐसी सेलिब्रिटी मिलती कहाँ है जिसे पूरा देश पहले से ही जानता है ! कई मंत्री- संत्री भी उस कुत्ते को खोज रहे हैं , उनका कहना है , कम से कम कुत्ते वफादार तो होते हैं , धोखा तो नहीं देंगे , वर्ना आजकल जिसे देखो पार्टी बदल लेता है ! उसके आने से पार्टी को कुछ तो सहारा मिलेगा ! जब उसे चुनावी आमसभा में देखने लाखों की भीड़ उमड़ेगी तो पार्टी का कुछ तो भला होगा ! बस एक बार मिल जाए !

जब से यह बात आम जनमानस को मालूम चली है ! तब से कुछ लोग , अब अछूतों को ढूँढ रहे हैं , और उनके घर जाकर खाना खा रहे हैं ! उनका कहना है , जब एक कुत्ता रातों रात स्टार बन सकता है , और पूरे देश में उसकी डिमांड है , तो फिर हम क्यों नहीं ! हर कोई उस कुत्ते की तरह प्रसिद्ध और महान बनना चाहता है ! " काश हम कुत्ते होते "

इस देश की बिडंवना देखिये , हम इंसानों ने आज जानवरों तक को नहीं छोड़ा हम सब ने पहले ही इन्सान को इतने भागों में बाँट दिया है , तो यह जानवर क्या चीज हैं ? अपना मतलब सिद्ध करने के लिए कोई उनके (अछूत ) घर खाना खाता है , कोई उनको अपने साथ रखता है ! आज देश की सरकार इनकी बजह से ही चल रही है ! इन लोगों को मुद्दा बनाकर कई मंत्री देश की बागडोर को संभाले हुए हैं ! और यही लोग इंसानों के बीच छुआछूत, और अछूत जैसे दकियानूसी शब्दों का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं ! आज भारत इक्कीसवी सदी की बात कर रहा है ! और देश में आज भी अछूत जैसी प्रथाएं चल रही है !

सोचना होगा हम इंसानों को , की आज हम क्या हैं ? कौन हैं ? हम से तो भले ये कुत्ते हैं जो अपनी वफादारी के लिए आज भी जाने जाते हैं , और इन्सान सिर्फ बदनाम ॥
यह सब देखकर सुनकर ,यही लगता है " काश हम कुत्ते होते " ( एक छोटी सी कोशिश )

धन्यवाद

Wednesday, September 29, 2010

अब फैसला होने को है ( ना मंदिर बने ना मस्जिद ) ..... >>> संजय कुमार

जैसा की आप लोग जानते हैं ! आज पूरा देश कोर्ट के फैंसले का इन्तजार कर रहा है ! वह फैंसला जो देश में बहुत कुछ उथल-पुथल कर सकता है ! मंदिर-मस्जिद को लेकर आज पूरा देश और देश के सारे मंदिर-मस्जिद, गली मोहल्ले सब कुछ पुलिस छावनी में बदल गया है ! डर है कहीं हिन्दू-मुस्लिम के बीच दंगा ना हो जाए ! ऐसा सोचना गलत भी नहीं हैं ! क्योंकि इस देश में आज ऐसे हजारों लोग भरे पड़े हैं , जो धर्म को मुद्दा बनाकर लोगों को आपस में लड्बाने का माद्दा रखते हैं ! और ऐसा हो भी सकता है ! क्योंकि इस देश में पैसों के लिए अपनों का खून बहाने बालों की कमी नहीं हैं ! धर्म का नाम लेकर अपने फायदे की रोटियां सेंकने बालों की कमी नहीं है ! हिन्दू कह रहा मंदिर बने, और मुस्लिम कह रहा मस्जिद ! अगर मंदिर बनता है तो शायद कुछ मुस्लिम नाराज हो जाएँ और मस्जिद बनी तो कुछ हिन्दू नाराज हो जाएँ ! और शायद कुछ को फर्क नहीं पड़ता कुछ भी बने ! एक आम आदमी जो सुबह से लेकर शाम तक रोज कुआँ खोदकर पानी पीता है , उसे नहीं मतलब कुछ भी बने या ना बने ! उसे तो अपना और अपने परिवार का पेट भरने के लिए दो वक़्त का खाना चाहिए ! किसी एक ना एक के पक्ष - विपक्ष में फैसला जरूर आएगा ! मंदिर- या मस्जिद बनने पर एक पक्ष जीवन भर अपने मन में एक विरोध की भावना रखेगा ! और अपने ही भाइयों को अपना दुश्मन समझेगा और यही भावना भविष्य में कभी भी एक बड़े बिस्फोट में बदल सकती है ! हम सभी को बहुत ही संयम से काम लेना होगा ! उन ताकतों से लड़ना होगा जो हमें उकसाकर अपने ही भाइयों का खून बहाने और आपस में लड़ाने के लिए मजबूर करती हैं !

पिछले कई वर्षों से हमारा देश हिन्दू -मुस्लिम को लेकर विवादों में रहा है ! देश में कुछ असमाजिक तत्वों ने हिन्दू और मुस्लिम को एक मुद्दा बना लिया हैं ! मंदिर या मस्जिद बनी तो कहीं ना कहीं इसका गलत फायदा उठाकर देश के दुश्मन देश में उपद्रव करवा सकते हैं ! बीच का कोई रास्ता नहीं निकल रहा ! में कहता हूँ ना मंदिर बने और ना मस्जिद, वहां पर सरकार को एक मधुशाला खोल देनी चाहिए ! अब यही एक रास्ता है ! क्योंकि दूर-दूर तक देखने पर यही एक जगह नजर आती है ! जहाँ ना तो कोई हिन्दू होता है और ना कोई मुसलमान, ना कोई छोटा और ना कोई बड़ा, ना कोई छोटी जात का और ना ही बड़ी जात का ! यहाँ पर जो भाईचारा है वह कहीं भी देखने को नहीं नहीं मिलता ! यहाँ तो दुश्मन भी गले मिल जाते हैं ! लोग यहाँ बैठकर आपस में कम से कम अपने सुख-दुःख तो बाँट लेते हैं ! ना मंदिर के लिए लड़ते हैं और ना मस्जिद के लिए ! यहाँ आने बाला हर इंसान सभी मजहबों से बढकर होता है ! यहाँ लोगों का ना तो मान होता है और ना ही स्वाभिमान ! मिलते हैं ऐसे गले जैसे वर्षों के बिछड़े हो ! जब यहाँ इतना भाईचारा है तो बाहर क्यों नहीं ?

फैंसला सरकार का जो भी हो देश में शांति हो , किसी अपने पराये की जान ना जाए ! हम सब फैसले का सम्मान करेंगे और देश में हिन्दू-मुस्लिम एकता को बरक़रार रखेंगे !
जय राम- जय-रहीम .................. जय राम- जय-रहीम .....................जय राम- जय-रहीम

धन्यवाद

Saturday, September 25, 2010

अब तो चले जाओ तुम ..... ( व्यंग्य ) ....>>> संजय कुमार

अब तो चले जाओ तुम, सुन लो मेरी करुण पुकार , मैं कब से कह रहा हूँ , लेकिन तुम हो की , अब तो जाने का नाम ही नहीं ले रहे हो ! माना हमने तुम्हें बुलाया , माना हमने तुम्हे बुलाने की लिए तुमसे लाख मिन्नतें की , यज्ञ- अनुष्ठान किये ! मेढंक-मेंढकी की शादी तक करवाई ! और पता नहीं क्या-क्या नहीं करना पड़ा, हम इंसानों को , तुम्हें बुलाने के लिए ! और इस बार तुम ऐसे आये की अब जाने का नाम ही नहीं ले रहे ! यह तो वही बात हो गयी " अतिथि तुम कब जाओगे " इस बार तो तुमने हद ही कर दी, इस बार इतना रौद्र रूप लेकर क्यों आये ? इस बार तुमने आकर सब कुछ तहस-नहस और तबाह कर दिया ! आज तुम्हारी बजह से देश को शर्मिंदा होना पड़ रहा है ! आज देश जैसे-तैसे अपनी इज्जत बचाने में लगा है ! लेकिन तुम हो कि , अपनी हठ नहीं छोड़ रहे हो ! " हे मानसून देवता " अब वश बहुत हो गया ! पूरा देश अब यही चाहता है कि , अब आप बापस चले जाओ ! इस बार आपने जो किया बह ठीक नहीं किया ! इस बार आपने पूरे देश के साथ - साथ देश कि राजधानी तक को नहीं छोड़ा ! जहाँ से तुम्हारे आने -जाने की सूचना पूरे देश को मिलती है ! इस बार तो तुमने उसे भी चकमा दे दिया ! तुने इस बार बहुत लोगों को बेसहारा कर दिया ! उनसे उनका सब कुछ छीन लिया ! " हे मानसून देवता " तेरे खेल भी बड़े अजीब हैं ! जिस जगह तेरी सबसे ज्यादा जरूरत होती हैं , वहां तू जाता नहीं और जहाँ नहीं जाना चाहिए वहां बिन बुलाये ही चला जाता है ! आज तेरे कारण कितने किसान आत्महत्या कर रहे हैं , क्या तुझे इसका जरा भी ध्यान नहीं ! हर बार तू अपने मन की करता है ! इस बार भी तुने अपने मन की , की है ! लेकिन इस बार कई लोग तुझसे नाराज हैं ! खासकर देश की सरकार ! अब तू उनकी नाराजगी को खत्म कर , इस बार चला जा , हम सब तुझे विश्वास दिलाते हैं , अगले साल हम फिर तुझे बुलाएँगे तेरे सामने शीश झुकायेंगे , बंधुआ मजदूरों की तरह हाँथ जोड़ खड़े रहेंगे ! जब तक तू आता नहीं ! लेकिन इस बार ........... चला जा तू ............. " हे मानसून देवता "

जैसे-तैसे मेरी करुण पुकार " मानसून देवता " ने तो सुन ली ! हम सब उनका धन्यवाद करते है ! किन्तु समस्या अभी खत्म नहीं हुई ! मानसून देवता के जाने के बाद एक सबसे बड़ी समस्या आज हमारे सामने खडी है ! जिस तरह मानसून देवता से गुहार की उसी तरह इनको भी मनाने की कोशिश कर रहे हैं ! शायद ये मान जाएँ ! पर लगता नहीं ! ये हैं " डेंगू महाराज " इनसे बचना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है ! फिर भी " हे डेंगू महाराज " आप से हाथ जोड़ विनती है, आप कुछ दिनों के लिए देश की राजधानी को छोड़कर कहीं और चले जाओ ! आज देश अपनी लाज बचाने के लिए तुमसे गुहार लगा रहा है ! आज देश और शर्मिंदा ना हो इसलिए तुम्हारे आगे हाँथ जोड़ रहे हैं ! तुम्हारे आतंक से आज विदेशी खिलाडी अपने देश में आना नहीं चाहते ! उस पर तुम भी देश को नीचा दिखाने पर तुले हुए हो ! आज तुम्हारा डर- आतंक , हमारी सरकार की चिंता का विषय बन गया है ! कुछ दिनों के लिए सही , तुम कहीं और जाकर अपना पेट भरो , तुम्हें राजधानी के अलावा भी कई सड़े हुए पानी के भरे गड्ढे मिल जायेंगे ! क्योंकि इस बार मानसून देवता ने देश में ऐसा कोई गड्ढा नहीं छोड़ा जो खाली हो ! जिस तरह देश के कई मंत्री -संत्री आला -अधिकारी सिर्फ " किराये " में ही सारे गड्ढे भर चुके हैं ! अब देश की इज्जत तेरे ही हांथो में हैं ! विनती हैं तुझसे ... तू देश की सोच, देश में होने बाले अंतराष्ट्रीय खेलों को आसानी से होने दे और हमें भरोसा दिला कि तू तब तक दिल्ली नहीं आएगा जब तक सारे देशी-विदेशी महमान अपने-अपने घर सुरक्षित नहीं लौट जाते !

" हे मानसून देवता " " हे डेंगू महाराज " अब तो चले जाओ .... तुम

धन्यवाद

Wednesday, September 22, 2010

जूते-चप्पल मांग रहा हूँ .....>>> संजय कुमार

हे सर्वशक्तिमान ! हे महानआत्मा , मेरे भगवान् तू बड़ा महान है ! तूने इस कलियुगी दुनिया के इंसानों को बहुत कुछ दिया ! तूने देने में कभी कोई कंजूसी नहीं की ! जिसने जो माँगा उसे दिया जिसने नहीं माँगा उसे भी तूने बहुत कुछ दिया ! तूने राजा को फ़कीर और फ़कीर को राजा बना दिया ! मनमोहन सिंह को बिन मांगे प्रधान-मंत्री बना दिया ! बिन मांगे पाकिस्तान को १०० करोड़ दे दिए ! अभिषेक को ऐश्वर्या दे दी , तू बड़ा महान है ! ममता ने रेल मांगी तूने दे दी , राहुल को डिम्पी दे दी , ओबामा को व्हाइट हॉउस , सचिन को २०० , और श्रीराम को "Indian Idol" दे दिया ! तू ऐसे लोगों को भी दे रहा है जिसके पास पहले से ही बहुत कुछ था ! शशि थरूर को दूसरी बीबी, राज कुंद्रा को शिल्पा ! शोएब को सानिया ! और भी हैं जो बिन मांगे और मांगे जीवन का भरपूर आनंद उठा रहे हैं ! आज मैं भी तुझसे कुछ मांग रहा हूँ ! क्योंकि में इस देश का एक बहुत बड़ा नेता और मंत्री हूँ ! तू हम जैसे देश रत्नों को बिना मांगे ही सब कुछ दे रहा है ! आज मैं जो तुझसे मांगने जा रहा हूँ , तू मुझे बह दे दे जिसे पाकर आज मेरा जीवन धन्य हो जाए और मेरी गिनती महान लोगों में होने लगे ! मैं तुझसे रूपए-पैसे, जमीन-जायदाद , गाड़ी-बंगला और ऐशो-आराम कुछ भी नहीं मांग रहा हूँ ! मेरे पास रूपए -पैसे की कोई कमी नहीं , मैंने लाखों-करोड़ों के घपले कर, बेईमानी कर करोड़ों की घूस लेकर अपने गोदामों को सोने-चांदी से भर लिया ! मैं तुझसे बाजार में मिलने बाली कौढ़ियों के दाम बिकने बाले जूते-चप्पल मांग रहा हूँ ! ऐसा नहीं कि मेरे पास जूते-चप्पल नहीं हैं !

जिस तरह तूने विश्व कि सबसे बड़ी शक्ति जार्ज बुश पर जूता फिंकवाया ! तूने पी चिदम्वरम को भी नहीं छोड़ा ! उमर अब्दुल्ला , और ना जाने कितनों पर तूने जूते-चप्पल फिकबाकर उनको महान बना दिया ! हे भगवान आज मैं भी तुझसे बही जूते-चप्पल मांग रहा हूँ ! तू मुझे निराश नहीं करेगा ! अब तू मुझ पर भी अपनी रहमत जूते-चप्पल के रूप में, बरसात करवा दे ! मेरी तुझसे सिर्फ यही मांग हैं कि तू आज कलियुग में जन्म लेकर मेरा उद्धार कर ! तू तो जानता है , मैंने इस देश में क्या-क्या नहीं किया ! हर तरफ लूट-खसोट , भ्रष्टाचार , घूसखोरी , सब कुछ मेरा ही दिया हुआ है ! मैंने ही इस देश में भाइयों को आपस में लड़वाया कभी धर्म के नाम पर तो कभी जात के नाम पर ! मेरे ही कारण आज देश अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है ! लेकिन इतना सब करने के बाद भी मेरा मन अशांत हैं ! एक अधूरापन सा लगता है ! अब मेरी अंतिम इच्छा यही है कि, जब तक तू एक आम इन्सान बनकर भीड़ में से मेरे ऊपर एक जूता नहीं फेंकता तब तक मुझे और मेरी अंतरात्मा को चैन नहीं मिलेगा ! तू कुछ भी कर ... कैसे भी, भीड़ के किसी कौने से मेरे ऊपर एक बार सिर्फ एक बार जूता या चप्पल फिकवा दे ! मैं मरते दम तक तेरे इस अहसान को कभी नहीं भूलूंगा !

क्या आप मेरी यह तमन्ना पूरी करेंगे ?

धन्यवाद

Saturday, September 18, 2010

अमीर लोगों का गरीब देश ...>>> संजय कुमार

विश्व की सबसे अधिक आवादी बाला दूसरा देश जिसे हम अपना देश भारत, इंडिया , और हिंदुस्तान के नाम से जानते हैं ! एकता में अनेकता , अनेक तरह की भाषाएँ , हजारों बोलियाँ , अनेक कलाओं के लिए पूरे विश्व में अपनी विशालता के लिए जाना जाता है ! जब हिंदुस्तान का नाम विश्व पटल पर लिया जाता है तो हर एक सच्चा हिन्दुस्तानी अपने आपको गौरवान्वित महसूस करता है ! आज हम हिंदुस्तान को एक और विशेषता के लिए जानने लगे हैं ! और वह विशेषता है भारत का नाम विश्व स्तर के अमीरों की सूची में आने लगा है ! अब भारत अरबपतियों और अमीरों का देश बन गया है ! अब कौन कहता है ! कि भारत एक गरीब देश है ! यहाँ पर सिर्फ भूंख और गरीबी है ! लेकिन अब ऐसा नहीं हैं ! यह वह देश हैं, जहाँ के मंदिर ट्रस्ट इतने अमीर हैं, जो किसी छोटे-मोटे देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकते हैं ! ताजा समाचारों में तिरुपति बालाजी ट्रस्ट ५२००० करोड़ से ज्यादा की संपत्ति रखता है ! इसी तरह और भी हैं जो अरबों कि संपत्ति रखते हैं ! यह पैसा आम व्यक्तियों द्वारा दान में दिया गया है या भारत के अमीरों द्वारा ? भारत के कुछ उद्योगपति विश्व स्तर पर अमीरों की सूची में पहला दूसरा स्थान रखते हैं ! कौन कहता है भारत गरीब देश है ? भारत का क्रिकेट बोर्ड, विश्व में सबसे अमीर बोर्ड है ! भारत के नेताओं और मंत्रियों के पास करोड़ों अरबों की अकूत संपत्ति है ! इससे कहीं ज्यादा के तो उन पर घोटालों के आरोप हैं ! कई मंत्रियों की अरबों की संपत्ति इस देश के बाहर स्विस बैंकों में जमा है ! एक रिपोर्ट के अनुसार देश का २०० करोड़ रूपए प्रतिदिन देश से बाहर जाता है ! हमारे देश के कई छोटे - बड़े अधिकारी आज करोड़ों अरबों में खेल पर हैं ! अभी कुछ दिनों पहले एक मेडिकल ऑफिसर के बैंक लाकरों से टनों सोना निकला ! यही नहीं आज देश में ऊंचे पदों पर बैठे हर अधिकारी की यही स्थिती है ! यहाँ के साधू-संत भी अरबों-खरबों में खेल रहे हैं ! हमारे ही देश का एक शहर औरन्गावाद जहाँ पर एक बार एक साथ एक ही दिन में ११५ मर्सिडीज कारों की बुकिंग होती है ! बह कार जिसकी कीमत २५ लाख से शुरू होकर ९९ लाख तक जाती है ! क्या कोई कह सकेगा हमारे देश को एक गरीब देश ? अब आप सोचिये ? है ना हमारा देश अमीर लोगों का देश !
लेकिन इसका एक पहलू और भी है, जो हम सब जानतें हैं ! लेकिन उसकी चर्चा स्वयं कभी नहीं करना चाहते ! क्योंकि सच हमेशा कडवा होता है ! कुछ पश्चिमी देश भारत को आज भी एक अलग द्रष्टि से देखते हैं ! वह भारत को गरीब, नंगा और भूँखा देश के रूप में जानते हैं ! और उनका ऐसा मानना गलत भी नहीं है ! जिस देश के गरीबों की संख्या किसी देश की आबादी के बराबर हो ! ऐसे लाखों लोग जिनके पास अपना तन ढंकने को एक मीटर कपडा तक नसीब नहीं है ! ऐसे लाखों - करोड़ों लोग जिन्हें दो वक़्त का खाना तक नसीब नहीं है ! भारत में प्रतिवर्ष एक लाख लोग मरते हैं, सिर्फ दूषित पानी पीने से ! लाखों निरक्षर बच्चे ! यह सब कुछ हम जानते हैं , और जानती हैं हमारे देश की सरकार ! पर यह सारी बातें हमारी सरकार कभी कबूल नहीं करती ! और देती है अपने देश को विकसित और आधुनिक देश का दर्जा ! लेकिन यह सब सच है ! यह सारी बातें पश्चिमी देशों को मौका देती हैं, हमारे देश को नंगा , गरीब और भूँखा कहने का ! और शायद इन्ही सब का फायदा उठा कर उन्होंने कई वर्षों तक हम लोगों पर राज किया ! आज देश में कई लोग इस बात को बड़ी आसानी से स्वीकार कर लेते हैं, कि हमारा देश गरीब है ! और गरीबी ही दिखती है, हर जगह ! जहाँ पर ना तो बिजली है ना है पानी की व्यवस्था , ना है स्वास्थय सुबिधायें ! अगर है तो चारों और भुखमरी, गरीबी और सूखा ! जहाँ इन्सान लड़ रहा है अपने आप को जीवित रखने के लिए ! यह एक दुखद सत्य है, की देश में आज बहुत जगह भुखमरी है , लाखों बच्चे कुपोषण का शिकार हैं ! सरकार ने शिक्षा का नया संबिधान तो बना दिया ! " अब हर बच्चे का कानूनी हक है शिक्षा पाना " उसी सरकार की नाक के नीचे सेकड़ों बच्चे जो बेघर हैं और दर दर की ठोकर खा रहे हैं ! कई प्रदेशों में जहाँ किसान सूखा , भुखमरी, और गरीबी से तंग आकर खुदखुशी तक करने को मजबूर हैं ! अब आप लोग बताएं की क्या हैं हमारा देश ?
अमीरों का देश या अमीर लोगों का गरीब देश ..............................
धन्यवाद

Wednesday, September 15, 2010

मिलावट सी लगती, अब यह जिंदगी .... >>> संजय कुमार

आज हम किसी भी चीज की शुद्धता की गारन्टी नहीं ले सकते ! हम इंसानों ने अब हर चीज को अशुद्ध कर दिया है ! आज हम इन्सान हर चीज में मिलावट कर रहे है ! सिर्फ अपनी जेब भरने के लिए अपनों की मौत का सामान स्वयं मिलावट कर बेच रहे हैं , और दे रहे हैं मिलावट भरी जिंदगी या मौत ? हमारे बच्चे आज सिंथेटिक दूध पीकर बड़े हो रहे हैं ! यह हाल देश के हर छोटे - बड़े शहर , गाँव और कस्बों का है ! आज हर चीज में मिलावट हो रही है ! घी में मिलावट, पनीर में मिलावट , सब्जियां केमिकल से पकी हुई , गेंहू में मिलावट, दाल में मिलावट , चावल में मिलावट ! भगवान को चढ़ने बाला प्रसाद में मिलावट ! आज बाज़ार में मिलने बाली हर चीज में लगभग मिलावट होती है ! इस मिलावट से आज आम जनता का कितना अहित हो रहा है ! यह बात मिलावट करने बाला शायद जानता हैं ! फिर भी बह स्वतंत्र होकर मिलावट कर रहा है ! क्योंकि उसको सिर्फ पैसों कि भूख हैं और बह इस भूंख को किसी भी तरह पूरा करेगा ! फिर चाहे इंसानी जिंदगी जाती है, तो जाये, नहीं कोई परवाह ... कहीं ऐसा ना हो मिलावट खोरों कि यह मिलावट एक दिन उनके अपनों कि जान ले ले ! सोचना होगा इन मिलावट खोरों को ......... यह मिलावट इन्सान को शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से कमजोर कर रही है !

जब एक आम आदमी इस तरह कि ख़बरें रोज-रोज देखता और सुनता है तो उसका विश्वास भी अपने ऊपर से डगमगा जाता है ! बह किस पर विश्वास करे और किस पर नहीं उसे समझ नहीं आता ! क्या असली और क्या मिलावटी ? बाहर से अच्छी और चमकदार दिखने बाली चीज अन्दर से भी उतनी ही अच्छी है या नहीं ! अब उसे हर चीज में मिलावट नजर आती है ! उसका सोचना आज के वातावरण को देखते हुए बिलकुल सही भी है ! आज के दूषित वातावरण में हम इंसानों के व्यवहार, रिश्ते-नाते, मान-सम्मान, रीति-रिवाज, सच्चा प्रेम सब कुछ मिलावट भरे से लगते हैं ! आज हवा में मिलावट, पानी में मिलावट, ईमानदारी में बेईमानी की मिलावट, माँ की ममता में मिलावट, माता-पिता के प्रति बच्चों के प्रेम में मिलावट ! उफ्फ्फफ्फ्फ्फ़ ........इतनी मिलावट ! आज इन्सान के अन्दर वह बात नहीं है जो कभी गुजरे जमाने में, इन्सान में हुआ करती थी ! सच्ची दोस्ती, सच्चा मान-सामान, बिन मिलावट का प्रेम और व्यवहार , आज हम सब जिन रीति रिवाजों को मानते हैं उनमें भी मिलावट ! आज के वातावरण में सब चलता है यार ! आज हमारी सोच में भी पूरी मिलावट है ! अपने आस-पास जहाँ भी नजर उठा कर देखते हैं तो दिखाई देती है मिलावट और सिर्फ मिलावट ..................

आप अपने दिल पर हाँथ रख यह महसूस करें कि, जो जीवन आज हम जी रहे हैं या जो व्यवहार हम अपनों और अन्य के साथ कर रहे हैं उसमे कितना सच और कितनी मिलावट हैं ! ( एक छोटी सी बात )

धन्यवाद