हे सर्वशक्तिमान ! हे महानआत्मा , मेरे भगवान् तू बड़ा महान है ! तूने इस कलियुगी दुनिया के इंसानों को बहुत कुछ दिया ! तूने देने में कभी कोई कंजूसी नहीं की ! जिसने जो माँगा उसे दिया जिसने नहीं माँगा उसे भी तूने बहुत कुछ दिया ! तूने राजा को फ़कीर और फ़कीर को राजा बना दिया ! मनमोहन सिंह को बिन मांगे प्रधान-मंत्री बना दिया ! बिन मांगे पाकिस्तान को १०० करोड़ दे दिए ! अभिषेक को ऐश्वर्या दे दी , तू बड़ा महान है ! ममता ने रेल मांगी तूने दे दी , राहुल को डिम्पी दे दी , ओबामा को व्हाइट हॉउस , सचिन को २०० , और श्रीराम को "Indian Idol" दे दिया ! तू ऐसे लोगों को भी दे रहा है जिसके पास पहले से ही बहुत कुछ था ! शशि थरूर को दूसरी बीबी, राज कुंद्रा को शिल्पा ! शोएब को सानिया ! और भी हैं जो बिन मांगे और मांगे जीवन का भरपूर आनंद उठा रहे हैं ! आज मैं भी तुझसे कुछ मांग रहा हूँ ! क्योंकि में इस देश का एक बहुत बड़ा नेता और मंत्री हूँ ! तू हम जैसे देश रत्नों को बिना मांगे ही सब कुछ दे रहा है ! आज मैं जो तुझसे मांगने जा रहा हूँ , तू मुझे बह दे दे जिसे पाकर आज मेरा जीवन धन्य हो जाए और मेरी गिनती महान लोगों में होने लगे ! मैं तुझसे रूपए-पैसे, जमीन-जायदाद , गाड़ी-बंगला और ऐशो-आराम कुछ भी नहीं मांग रहा हूँ ! मेरे पास रूपए -पैसे की कोई कमी नहीं , मैंने लाखों-करोड़ों के घपले कर, बेईमानी कर करोड़ों की घूस लेकर अपने गोदामों को सोने-चांदी से भर लिया ! मैं तुझसे बाजार में मिलने बाली कौढ़ियों के दाम बिकने बाले जूते-चप्पल मांग रहा हूँ ! ऐसा नहीं कि मेरे पास जूते-चप्पल नहीं हैं !
जिस तरह तूने विश्व कि सबसे बड़ी शक्ति जार्ज बुश पर जूता फिंकवाया ! तूने पी चिदम्वरम को भी नहीं छोड़ा ! उमर अब्दुल्ला , और ना जाने कितनों पर तूने जूते-चप्पल फिकबाकर उनको महान बना दिया ! हे भगवान आज मैं भी तुझसे बही जूते-चप्पल मांग रहा हूँ ! तू मुझे निराश नहीं करेगा ! अब तू मुझ पर भी अपनी रहमत जूते-चप्पल के रूप में, बरसात करवा दे ! मेरी तुझसे सिर्फ यही मांग हैं कि तू आज कलियुग में जन्म लेकर मेरा उद्धार कर ! तू तो जानता है , मैंने इस देश में क्या-क्या नहीं किया ! हर तरफ लूट-खसोट , भ्रष्टाचार , घूसखोरी , सब कुछ मेरा ही दिया हुआ है ! मैंने ही इस देश में भाइयों को आपस में लड़वाया कभी धर्म के नाम पर तो कभी जात के नाम पर ! मेरे ही कारण आज देश अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है ! लेकिन इतना सब करने के बाद भी मेरा मन अशांत हैं ! एक अधूरापन सा लगता है ! अब मेरी अंतिम इच्छा यही है कि, जब तक तू एक आम इन्सान बनकर भीड़ में से मेरे ऊपर एक जूता नहीं फेंकता तब तक मुझे और मेरी अंतरात्मा को चैन नहीं मिलेगा ! तू कुछ भी कर ... कैसे भी, भीड़ के किसी कौने से मेरे ऊपर एक बार सिर्फ एक बार जूता या चप्पल फिकवा दे ! मैं मरते दम तक तेरे इस अहसान को कभी नहीं भूलूंगा !
क्या आप मेरी यह तमन्ना पूरी करेंगे ?
धन्यवाद
संजय कुमार चौरसिया,
ReplyDeleteजनाब ये नेताओ के लेबल का आइटम है, VIP ये आपको कैसा मिल सकता है .........
पढ़े और बताये कि कैसा लगा :-
http://thodamuskurakardekho.blogspot.com/2010/09/blog-post_22.html
ऊपर वाले के यहाँ देर है, अन्धेर नहीं....सब्र कीजिए, वो आपकी इच्छा भी जरूर पूरी करेंगें :)
ReplyDeleteaapne to keh di..ye chah na jane kitne dilon mein ho :)
ReplyDeleteiss parihas mey gahara vyangya bhi hai.
ReplyDeleteबड़ी ही खूबसूरती से भ्रष्ट और खाऊ नेताओं पर कटीला व्यंग्य रचा संजय जी... बहुत अच्छा लगा..
ReplyDeleteबढिया व्यंग.....
ReplyDeletevyang ki talvar ka prayog aur fir bhi ghandhi ji ke chle bahut khub
ReplyDeleteतीखा व्यंग्य। बहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
ReplyDeleteअलाउद्दीन के शासनकाल में सस्ता भारत-2, राजभाषा हिन्दी पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें
jai ho, bhaskar ji
ReplyDeleteawaaj to sahi uthai he,
lekin ka kare, chmadi itrni moti he gayi he in netao ki ki konau farq padta bhai,
sundar hasye/ vyang se bharpoor,
maja aaya
पुत्र तो भी एलिट क्लास का बनना चाहता है ऐसे ही भ्रष्टता का कर्म करता रह फल की चिंता मत कर आज तो एक जूता मांग रहा है तेरे कर्म ऐसे ही रहे तो तुझे पब्लिक हजार जूतों से नवाजेगी |
ReplyDeletewaah! nice way to talk about the situation in satirical way!
ReplyDeletenice post...hilarious one:)
बहुत बढ़िया व्यंग ...नेता बन जाओ ..माँगने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी .
ReplyDeleteबहुत जबरदस्त व्यंग....अच्छा लगा पढ़कर
ReplyDeletekash koi gareeb jise juta naseeb nahi ho paata hai use bhi kabhi aisa mauka koi dila dita to uske bhi lotri nikal padhti...
ReplyDelete....Bahut badiya vyang...
बढ़िया व्यंग।
ReplyDeleteअच्छा व्यंग |बधाई
ReplyDeleteआशा
जबरदस्त व्यंग है ....
ReplyDeleteपहले लोग इनकम टेक्स का छापा पड़वाते थे और अब आप जूता पड़वाने की चाहत रख रहे हैं। ऐसे ही देश सेवा में लगे रहिए, निश्चित मानिए कि वह दिन भी दूर नहीं है। आपका व्यंग्य वाकयी बहुत अच्छा है। आपको बधाई।
ReplyDeleteआप सभी ने इस व्यंग्य को पसंद किया , आप सभी लोग मेरे ब्लॉग पर आये
ReplyDeleteआप सभी का मैं तहेदिल से धन्यवाद करता हूँ !
सटीक तीखी डिमांड है भई... :)
ReplyDeleteबहुत खूब!
shandar bhai....maja aa gai. kaho naam kya hai neta ji ka. hum hi fek aayein juta...:P
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