Wednesday, September 15, 2010

मिलावट सी लगती, अब यह जिंदगी .... >>> संजय कुमार

आज हम किसी भी चीज की शुद्धता की गारन्टी नहीं ले सकते ! हम इंसानों ने अब हर चीज को अशुद्ध कर दिया है ! आज हम इन्सान हर चीज में मिलावट कर रहे है ! सिर्फ अपनी जेब भरने के लिए अपनों की मौत का सामान स्वयं मिलावट कर बेच रहे हैं , और दे रहे हैं मिलावट भरी जिंदगी या मौत ? हमारे बच्चे आज सिंथेटिक दूध पीकर बड़े हो रहे हैं ! यह हाल देश के हर छोटे - बड़े शहर , गाँव और कस्बों का है ! आज हर चीज में मिलावट हो रही है ! घी में मिलावट, पनीर में मिलावट , सब्जियां केमिकल से पकी हुई , गेंहू में मिलावट, दाल में मिलावट , चावल में मिलावट ! भगवान को चढ़ने बाला प्रसाद में मिलावट ! आज बाज़ार में मिलने बाली हर चीज में लगभग मिलावट होती है ! इस मिलावट से आज आम जनता का कितना अहित हो रहा है ! यह बात मिलावट करने बाला शायद जानता हैं ! फिर भी बह स्वतंत्र होकर मिलावट कर रहा है ! क्योंकि उसको सिर्फ पैसों कि भूख हैं और बह इस भूंख को किसी भी तरह पूरा करेगा ! फिर चाहे इंसानी जिंदगी जाती है, तो जाये, नहीं कोई परवाह ... कहीं ऐसा ना हो मिलावट खोरों कि यह मिलावट एक दिन उनके अपनों कि जान ले ले ! सोचना होगा इन मिलावट खोरों को ......... यह मिलावट इन्सान को शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से कमजोर कर रही है !

जब एक आम आदमी इस तरह कि ख़बरें रोज-रोज देखता और सुनता है तो उसका विश्वास भी अपने ऊपर से डगमगा जाता है ! बह किस पर विश्वास करे और किस पर नहीं उसे समझ नहीं आता ! क्या असली और क्या मिलावटी ? बाहर से अच्छी और चमकदार दिखने बाली चीज अन्दर से भी उतनी ही अच्छी है या नहीं ! अब उसे हर चीज में मिलावट नजर आती है ! उसका सोचना आज के वातावरण को देखते हुए बिलकुल सही भी है ! आज के दूषित वातावरण में हम इंसानों के व्यवहार, रिश्ते-नाते, मान-सम्मान, रीति-रिवाज, सच्चा प्रेम सब कुछ मिलावट भरे से लगते हैं ! आज हवा में मिलावट, पानी में मिलावट, ईमानदारी में बेईमानी की मिलावट, माँ की ममता में मिलावट, माता-पिता के प्रति बच्चों के प्रेम में मिलावट ! उफ्फ्फफ्फ्फ्फ़ ........इतनी मिलावट ! आज इन्सान के अन्दर वह बात नहीं है जो कभी गुजरे जमाने में, इन्सान में हुआ करती थी ! सच्ची दोस्ती, सच्चा मान-सामान, बिन मिलावट का प्रेम और व्यवहार , आज हम सब जिन रीति रिवाजों को मानते हैं उनमें भी मिलावट ! आज के वातावरण में सब चलता है यार ! आज हमारी सोच में भी पूरी मिलावट है ! अपने आस-पास जहाँ भी नजर उठा कर देखते हैं तो दिखाई देती है मिलावट और सिर्फ मिलावट ..................

आप अपने दिल पर हाँथ रख यह महसूस करें कि, जो जीवन आज हम जी रहे हैं या जो व्यवहार हम अपनों और अन्य के साथ कर रहे हैं उसमे कितना सच और कितनी मिलावट हैं ! ( एक छोटी सी बात )

धन्यवाद

8 comments:

  1. बात तो सही कही है ………………अगर एक बार इंसान ऐसा सोच ले तो फिर कभी गलत राह न पकडे।

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  2. aapne bilkul sahi farmaya hai sanjay ji ....likhte rahiye aur jagruk karte rahiye ...

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  3. I appreciate your lovely post, happy blogging!

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  4. मानवता आदान-प्रदान चाहती है, विशेष स्वार्थों के साथ ही। --प्रसाद जी ने कहा था!

    बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!

    अलाउद्दीन के शासनकाल में सस्‍ता भारत-१, राजभाषा हिन्दी पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें

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  5. आज के दूषित वातावरण में हम इंसानों के व्यवहार, रिश्ते-नाते, मान-सम्मान, रीति-रिवाज, सच्चा प्रेम सब कुछ मिलावट भरे से लगते हैं ! आज हवा में मिलावट, पानी में मिलावट, ईमानदारी में बेईमानी की मिलावट, माँ की ममता में मिलावट, माता-पिता के प्रति बच्चों के प्रेम में मिलावट.... !

    सही कहा ...आत्मीयता तो खत्म ही होती जा रही है .......!!

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  6. आज आपका ब्लॉग चर्चा मंच की शोभा बढ़ा रहा है.. आप भी देखना चाहेंगे ना? आइये यहाँ- http://charchamanch.blogspot.com/2010/09/blog-post_6216.html

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