Wednesday, September 29, 2010

अब फैसला होने को है ( ना मंदिर बने ना मस्जिद ) ..... >>> संजय कुमार

जैसा की आप लोग जानते हैं ! आज पूरा देश कोर्ट के फैंसले का इन्तजार कर रहा है ! वह फैंसला जो देश में बहुत कुछ उथल-पुथल कर सकता है ! मंदिर-मस्जिद को लेकर आज पूरा देश और देश के सारे मंदिर-मस्जिद, गली मोहल्ले सब कुछ पुलिस छावनी में बदल गया है ! डर है कहीं हिन्दू-मुस्लिम के बीच दंगा ना हो जाए ! ऐसा सोचना गलत भी नहीं हैं ! क्योंकि इस देश में आज ऐसे हजारों लोग भरे पड़े हैं , जो धर्म को मुद्दा बनाकर लोगों को आपस में लड्बाने का माद्दा रखते हैं ! और ऐसा हो भी सकता है ! क्योंकि इस देश में पैसों के लिए अपनों का खून बहाने बालों की कमी नहीं हैं ! धर्म का नाम लेकर अपने फायदे की रोटियां सेंकने बालों की कमी नहीं है ! हिन्दू कह रहा मंदिर बने, और मुस्लिम कह रहा मस्जिद ! अगर मंदिर बनता है तो शायद कुछ मुस्लिम नाराज हो जाएँ और मस्जिद बनी तो कुछ हिन्दू नाराज हो जाएँ ! और शायद कुछ को फर्क नहीं पड़ता कुछ भी बने ! एक आम आदमी जो सुबह से लेकर शाम तक रोज कुआँ खोदकर पानी पीता है , उसे नहीं मतलब कुछ भी बने या ना बने ! उसे तो अपना और अपने परिवार का पेट भरने के लिए दो वक़्त का खाना चाहिए ! किसी एक ना एक के पक्ष - विपक्ष में फैसला जरूर आएगा ! मंदिर- या मस्जिद बनने पर एक पक्ष जीवन भर अपने मन में एक विरोध की भावना रखेगा ! और अपने ही भाइयों को अपना दुश्मन समझेगा और यही भावना भविष्य में कभी भी एक बड़े बिस्फोट में बदल सकती है ! हम सभी को बहुत ही संयम से काम लेना होगा ! उन ताकतों से लड़ना होगा जो हमें उकसाकर अपने ही भाइयों का खून बहाने और आपस में लड़ाने के लिए मजबूर करती हैं !

पिछले कई वर्षों से हमारा देश हिन्दू -मुस्लिम को लेकर विवादों में रहा है ! देश में कुछ असमाजिक तत्वों ने हिन्दू और मुस्लिम को एक मुद्दा बना लिया हैं ! मंदिर या मस्जिद बनी तो कहीं ना कहीं इसका गलत फायदा उठाकर देश के दुश्मन देश में उपद्रव करवा सकते हैं ! बीच का कोई रास्ता नहीं निकल रहा ! में कहता हूँ ना मंदिर बने और ना मस्जिद, वहां पर सरकार को एक मधुशाला खोल देनी चाहिए ! अब यही एक रास्ता है ! क्योंकि दूर-दूर तक देखने पर यही एक जगह नजर आती है ! जहाँ ना तो कोई हिन्दू होता है और ना कोई मुसलमान, ना कोई छोटा और ना कोई बड़ा, ना कोई छोटी जात का और ना ही बड़ी जात का ! यहाँ पर जो भाईचारा है वह कहीं भी देखने को नहीं नहीं मिलता ! यहाँ तो दुश्मन भी गले मिल जाते हैं ! लोग यहाँ बैठकर आपस में कम से कम अपने सुख-दुःख तो बाँट लेते हैं ! ना मंदिर के लिए लड़ते हैं और ना मस्जिद के लिए ! यहाँ आने बाला हर इंसान सभी मजहबों से बढकर होता है ! यहाँ लोगों का ना तो मान होता है और ना ही स्वाभिमान ! मिलते हैं ऐसे गले जैसे वर्षों के बिछड़े हो ! जब यहाँ इतना भाईचारा है तो बाहर क्यों नहीं ?

फैंसला सरकार का जो भी हो देश में शांति हो , किसी अपने पराये की जान ना जाए ! हम सब फैसले का सम्मान करेंगे और देश में हिन्दू-मुस्लिम एकता को बरक़रार रखेंगे !
जय राम- जय-रहीम .................. जय राम- जय-रहीम .....................जय राम- जय-रहीम

धन्यवाद

Saturday, September 25, 2010

अब तो चले जाओ तुम ..... ( व्यंग्य ) ....>>> संजय कुमार

अब तो चले जाओ तुम, सुन लो मेरी करुण पुकार , मैं कब से कह रहा हूँ , लेकिन तुम हो की , अब तो जाने का नाम ही नहीं ले रहे हो ! माना हमने तुम्हें बुलाया , माना हमने तुम्हे बुलाने की लिए तुमसे लाख मिन्नतें की , यज्ञ- अनुष्ठान किये ! मेढंक-मेंढकी की शादी तक करवाई ! और पता नहीं क्या-क्या नहीं करना पड़ा, हम इंसानों को , तुम्हें बुलाने के लिए ! और इस बार तुम ऐसे आये की अब जाने का नाम ही नहीं ले रहे ! यह तो वही बात हो गयी " अतिथि तुम कब जाओगे " इस बार तो तुमने हद ही कर दी, इस बार इतना रौद्र रूप लेकर क्यों आये ? इस बार तुमने आकर सब कुछ तहस-नहस और तबाह कर दिया ! आज तुम्हारी बजह से देश को शर्मिंदा होना पड़ रहा है ! आज देश जैसे-तैसे अपनी इज्जत बचाने में लगा है ! लेकिन तुम हो कि , अपनी हठ नहीं छोड़ रहे हो ! " हे मानसून देवता " अब वश बहुत हो गया ! पूरा देश अब यही चाहता है कि , अब आप बापस चले जाओ ! इस बार आपने जो किया बह ठीक नहीं किया ! इस बार आपने पूरे देश के साथ - साथ देश कि राजधानी तक को नहीं छोड़ा ! जहाँ से तुम्हारे आने -जाने की सूचना पूरे देश को मिलती है ! इस बार तो तुमने उसे भी चकमा दे दिया ! तुने इस बार बहुत लोगों को बेसहारा कर दिया ! उनसे उनका सब कुछ छीन लिया ! " हे मानसून देवता " तेरे खेल भी बड़े अजीब हैं ! जिस जगह तेरी सबसे ज्यादा जरूरत होती हैं , वहां तू जाता नहीं और जहाँ नहीं जाना चाहिए वहां बिन बुलाये ही चला जाता है ! आज तेरे कारण कितने किसान आत्महत्या कर रहे हैं , क्या तुझे इसका जरा भी ध्यान नहीं ! हर बार तू अपने मन की करता है ! इस बार भी तुने अपने मन की , की है ! लेकिन इस बार कई लोग तुझसे नाराज हैं ! खासकर देश की सरकार ! अब तू उनकी नाराजगी को खत्म कर , इस बार चला जा , हम सब तुझे विश्वास दिलाते हैं , अगले साल हम फिर तुझे बुलाएँगे तेरे सामने शीश झुकायेंगे , बंधुआ मजदूरों की तरह हाँथ जोड़ खड़े रहेंगे ! जब तक तू आता नहीं ! लेकिन इस बार ........... चला जा तू ............. " हे मानसून देवता "

जैसे-तैसे मेरी करुण पुकार " मानसून देवता " ने तो सुन ली ! हम सब उनका धन्यवाद करते है ! किन्तु समस्या अभी खत्म नहीं हुई ! मानसून देवता के जाने के बाद एक सबसे बड़ी समस्या आज हमारे सामने खडी है ! जिस तरह मानसून देवता से गुहार की उसी तरह इनको भी मनाने की कोशिश कर रहे हैं ! शायद ये मान जाएँ ! पर लगता नहीं ! ये हैं " डेंगू महाराज " इनसे बचना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है ! फिर भी " हे डेंगू महाराज " आप से हाथ जोड़ विनती है, आप कुछ दिनों के लिए देश की राजधानी को छोड़कर कहीं और चले जाओ ! आज देश अपनी लाज बचाने के लिए तुमसे गुहार लगा रहा है ! आज देश और शर्मिंदा ना हो इसलिए तुम्हारे आगे हाँथ जोड़ रहे हैं ! तुम्हारे आतंक से आज विदेशी खिलाडी अपने देश में आना नहीं चाहते ! उस पर तुम भी देश को नीचा दिखाने पर तुले हुए हो ! आज तुम्हारा डर- आतंक , हमारी सरकार की चिंता का विषय बन गया है ! कुछ दिनों के लिए सही , तुम कहीं और जाकर अपना पेट भरो , तुम्हें राजधानी के अलावा भी कई सड़े हुए पानी के भरे गड्ढे मिल जायेंगे ! क्योंकि इस बार मानसून देवता ने देश में ऐसा कोई गड्ढा नहीं छोड़ा जो खाली हो ! जिस तरह देश के कई मंत्री -संत्री आला -अधिकारी सिर्फ " किराये " में ही सारे गड्ढे भर चुके हैं ! अब देश की इज्जत तेरे ही हांथो में हैं ! विनती हैं तुझसे ... तू देश की सोच, देश में होने बाले अंतराष्ट्रीय खेलों को आसानी से होने दे और हमें भरोसा दिला कि तू तब तक दिल्ली नहीं आएगा जब तक सारे देशी-विदेशी महमान अपने-अपने घर सुरक्षित नहीं लौट जाते !

" हे मानसून देवता " " हे डेंगू महाराज " अब तो चले जाओ .... तुम

धन्यवाद

Wednesday, September 22, 2010

जूते-चप्पल मांग रहा हूँ .....>>> संजय कुमार

हे सर्वशक्तिमान ! हे महानआत्मा , मेरे भगवान् तू बड़ा महान है ! तूने इस कलियुगी दुनिया के इंसानों को बहुत कुछ दिया ! तूने देने में कभी कोई कंजूसी नहीं की ! जिसने जो माँगा उसे दिया जिसने नहीं माँगा उसे भी तूने बहुत कुछ दिया ! तूने राजा को फ़कीर और फ़कीर को राजा बना दिया ! मनमोहन सिंह को बिन मांगे प्रधान-मंत्री बना दिया ! बिन मांगे पाकिस्तान को १०० करोड़ दे दिए ! अभिषेक को ऐश्वर्या दे दी , तू बड़ा महान है ! ममता ने रेल मांगी तूने दे दी , राहुल को डिम्पी दे दी , ओबामा को व्हाइट हॉउस , सचिन को २०० , और श्रीराम को "Indian Idol" दे दिया ! तू ऐसे लोगों को भी दे रहा है जिसके पास पहले से ही बहुत कुछ था ! शशि थरूर को दूसरी बीबी, राज कुंद्रा को शिल्पा ! शोएब को सानिया ! और भी हैं जो बिन मांगे और मांगे जीवन का भरपूर आनंद उठा रहे हैं ! आज मैं भी तुझसे कुछ मांग रहा हूँ ! क्योंकि में इस देश का एक बहुत बड़ा नेता और मंत्री हूँ ! तू हम जैसे देश रत्नों को बिना मांगे ही सब कुछ दे रहा है ! आज मैं जो तुझसे मांगने जा रहा हूँ , तू मुझे बह दे दे जिसे पाकर आज मेरा जीवन धन्य हो जाए और मेरी गिनती महान लोगों में होने लगे ! मैं तुझसे रूपए-पैसे, जमीन-जायदाद , गाड़ी-बंगला और ऐशो-आराम कुछ भी नहीं मांग रहा हूँ ! मेरे पास रूपए -पैसे की कोई कमी नहीं , मैंने लाखों-करोड़ों के घपले कर, बेईमानी कर करोड़ों की घूस लेकर अपने गोदामों को सोने-चांदी से भर लिया ! मैं तुझसे बाजार में मिलने बाली कौढ़ियों के दाम बिकने बाले जूते-चप्पल मांग रहा हूँ ! ऐसा नहीं कि मेरे पास जूते-चप्पल नहीं हैं !

जिस तरह तूने विश्व कि सबसे बड़ी शक्ति जार्ज बुश पर जूता फिंकवाया ! तूने पी चिदम्वरम को भी नहीं छोड़ा ! उमर अब्दुल्ला , और ना जाने कितनों पर तूने जूते-चप्पल फिकबाकर उनको महान बना दिया ! हे भगवान आज मैं भी तुझसे बही जूते-चप्पल मांग रहा हूँ ! तू मुझे निराश नहीं करेगा ! अब तू मुझ पर भी अपनी रहमत जूते-चप्पल के रूप में, बरसात करवा दे ! मेरी तुझसे सिर्फ यही मांग हैं कि तू आज कलियुग में जन्म लेकर मेरा उद्धार कर ! तू तो जानता है , मैंने इस देश में क्या-क्या नहीं किया ! हर तरफ लूट-खसोट , भ्रष्टाचार , घूसखोरी , सब कुछ मेरा ही दिया हुआ है ! मैंने ही इस देश में भाइयों को आपस में लड़वाया कभी धर्म के नाम पर तो कभी जात के नाम पर ! मेरे ही कारण आज देश अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है ! लेकिन इतना सब करने के बाद भी मेरा मन अशांत हैं ! एक अधूरापन सा लगता है ! अब मेरी अंतिम इच्छा यही है कि, जब तक तू एक आम इन्सान बनकर भीड़ में से मेरे ऊपर एक जूता नहीं फेंकता तब तक मुझे और मेरी अंतरात्मा को चैन नहीं मिलेगा ! तू कुछ भी कर ... कैसे भी, भीड़ के किसी कौने से मेरे ऊपर एक बार सिर्फ एक बार जूता या चप्पल फिकवा दे ! मैं मरते दम तक तेरे इस अहसान को कभी नहीं भूलूंगा !

क्या आप मेरी यह तमन्ना पूरी करेंगे ?

धन्यवाद

Saturday, September 18, 2010

अमीर लोगों का गरीब देश ...>>> संजय कुमार

विश्व की सबसे अधिक आवादी बाला दूसरा देश जिसे हम अपना देश भारत, इंडिया , और हिंदुस्तान के नाम से जानते हैं ! एकता में अनेकता , अनेक तरह की भाषाएँ , हजारों बोलियाँ , अनेक कलाओं के लिए पूरे विश्व में अपनी विशालता के लिए जाना जाता है ! जब हिंदुस्तान का नाम विश्व पटल पर लिया जाता है तो हर एक सच्चा हिन्दुस्तानी अपने आपको गौरवान्वित महसूस करता है ! आज हम हिंदुस्तान को एक और विशेषता के लिए जानने लगे हैं ! और वह विशेषता है भारत का नाम विश्व स्तर के अमीरों की सूची में आने लगा है ! अब भारत अरबपतियों और अमीरों का देश बन गया है ! अब कौन कहता है ! कि भारत एक गरीब देश है ! यहाँ पर सिर्फ भूंख और गरीबी है ! लेकिन अब ऐसा नहीं हैं ! यह वह देश हैं, जहाँ के मंदिर ट्रस्ट इतने अमीर हैं, जो किसी छोटे-मोटे देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकते हैं ! ताजा समाचारों में तिरुपति बालाजी ट्रस्ट ५२००० करोड़ से ज्यादा की संपत्ति रखता है ! इसी तरह और भी हैं जो अरबों कि संपत्ति रखते हैं ! यह पैसा आम व्यक्तियों द्वारा दान में दिया गया है या भारत के अमीरों द्वारा ? भारत के कुछ उद्योगपति विश्व स्तर पर अमीरों की सूची में पहला दूसरा स्थान रखते हैं ! कौन कहता है भारत गरीब देश है ? भारत का क्रिकेट बोर्ड, विश्व में सबसे अमीर बोर्ड है ! भारत के नेताओं और मंत्रियों के पास करोड़ों अरबों की अकूत संपत्ति है ! इससे कहीं ज्यादा के तो उन पर घोटालों के आरोप हैं ! कई मंत्रियों की अरबों की संपत्ति इस देश के बाहर स्विस बैंकों में जमा है ! एक रिपोर्ट के अनुसार देश का २०० करोड़ रूपए प्रतिदिन देश से बाहर जाता है ! हमारे देश के कई छोटे - बड़े अधिकारी आज करोड़ों अरबों में खेल पर हैं ! अभी कुछ दिनों पहले एक मेडिकल ऑफिसर के बैंक लाकरों से टनों सोना निकला ! यही नहीं आज देश में ऊंचे पदों पर बैठे हर अधिकारी की यही स्थिती है ! यहाँ के साधू-संत भी अरबों-खरबों में खेल रहे हैं ! हमारे ही देश का एक शहर औरन्गावाद जहाँ पर एक बार एक साथ एक ही दिन में ११५ मर्सिडीज कारों की बुकिंग होती है ! बह कार जिसकी कीमत २५ लाख से शुरू होकर ९९ लाख तक जाती है ! क्या कोई कह सकेगा हमारे देश को एक गरीब देश ? अब आप सोचिये ? है ना हमारा देश अमीर लोगों का देश !
लेकिन इसका एक पहलू और भी है, जो हम सब जानतें हैं ! लेकिन उसकी चर्चा स्वयं कभी नहीं करना चाहते ! क्योंकि सच हमेशा कडवा होता है ! कुछ पश्चिमी देश भारत को आज भी एक अलग द्रष्टि से देखते हैं ! वह भारत को गरीब, नंगा और भूँखा देश के रूप में जानते हैं ! और उनका ऐसा मानना गलत भी नहीं है ! जिस देश के गरीबों की संख्या किसी देश की आबादी के बराबर हो ! ऐसे लाखों लोग जिनके पास अपना तन ढंकने को एक मीटर कपडा तक नसीब नहीं है ! ऐसे लाखों - करोड़ों लोग जिन्हें दो वक़्त का खाना तक नसीब नहीं है ! भारत में प्रतिवर्ष एक लाख लोग मरते हैं, सिर्फ दूषित पानी पीने से ! लाखों निरक्षर बच्चे ! यह सब कुछ हम जानते हैं , और जानती हैं हमारे देश की सरकार ! पर यह सारी बातें हमारी सरकार कभी कबूल नहीं करती ! और देती है अपने देश को विकसित और आधुनिक देश का दर्जा ! लेकिन यह सब सच है ! यह सारी बातें पश्चिमी देशों को मौका देती हैं, हमारे देश को नंगा , गरीब और भूँखा कहने का ! और शायद इन्ही सब का फायदा उठा कर उन्होंने कई वर्षों तक हम लोगों पर राज किया ! आज देश में कई लोग इस बात को बड़ी आसानी से स्वीकार कर लेते हैं, कि हमारा देश गरीब है ! और गरीबी ही दिखती है, हर जगह ! जहाँ पर ना तो बिजली है ना है पानी की व्यवस्था , ना है स्वास्थय सुबिधायें ! अगर है तो चारों और भुखमरी, गरीबी और सूखा ! जहाँ इन्सान लड़ रहा है अपने आप को जीवित रखने के लिए ! यह एक दुखद सत्य है, की देश में आज बहुत जगह भुखमरी है , लाखों बच्चे कुपोषण का शिकार हैं ! सरकार ने शिक्षा का नया संबिधान तो बना दिया ! " अब हर बच्चे का कानूनी हक है शिक्षा पाना " उसी सरकार की नाक के नीचे सेकड़ों बच्चे जो बेघर हैं और दर दर की ठोकर खा रहे हैं ! कई प्रदेशों में जहाँ किसान सूखा , भुखमरी, और गरीबी से तंग आकर खुदखुशी तक करने को मजबूर हैं ! अब आप लोग बताएं की क्या हैं हमारा देश ?
अमीरों का देश या अमीर लोगों का गरीब देश ..............................
धन्यवाद

Wednesday, September 15, 2010

मिलावट सी लगती, अब यह जिंदगी .... >>> संजय कुमार

आज हम किसी भी चीज की शुद्धता की गारन्टी नहीं ले सकते ! हम इंसानों ने अब हर चीज को अशुद्ध कर दिया है ! आज हम इन्सान हर चीज में मिलावट कर रहे है ! सिर्फ अपनी जेब भरने के लिए अपनों की मौत का सामान स्वयं मिलावट कर बेच रहे हैं , और दे रहे हैं मिलावट भरी जिंदगी या मौत ? हमारे बच्चे आज सिंथेटिक दूध पीकर बड़े हो रहे हैं ! यह हाल देश के हर छोटे - बड़े शहर , गाँव और कस्बों का है ! आज हर चीज में मिलावट हो रही है ! घी में मिलावट, पनीर में मिलावट , सब्जियां केमिकल से पकी हुई , गेंहू में मिलावट, दाल में मिलावट , चावल में मिलावट ! भगवान को चढ़ने बाला प्रसाद में मिलावट ! आज बाज़ार में मिलने बाली हर चीज में लगभग मिलावट होती है ! इस मिलावट से आज आम जनता का कितना अहित हो रहा है ! यह बात मिलावट करने बाला शायद जानता हैं ! फिर भी बह स्वतंत्र होकर मिलावट कर रहा है ! क्योंकि उसको सिर्फ पैसों कि भूख हैं और बह इस भूंख को किसी भी तरह पूरा करेगा ! फिर चाहे इंसानी जिंदगी जाती है, तो जाये, नहीं कोई परवाह ... कहीं ऐसा ना हो मिलावट खोरों कि यह मिलावट एक दिन उनके अपनों कि जान ले ले ! सोचना होगा इन मिलावट खोरों को ......... यह मिलावट इन्सान को शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से कमजोर कर रही है !

जब एक आम आदमी इस तरह कि ख़बरें रोज-रोज देखता और सुनता है तो उसका विश्वास भी अपने ऊपर से डगमगा जाता है ! बह किस पर विश्वास करे और किस पर नहीं उसे समझ नहीं आता ! क्या असली और क्या मिलावटी ? बाहर से अच्छी और चमकदार दिखने बाली चीज अन्दर से भी उतनी ही अच्छी है या नहीं ! अब उसे हर चीज में मिलावट नजर आती है ! उसका सोचना आज के वातावरण को देखते हुए बिलकुल सही भी है ! आज के दूषित वातावरण में हम इंसानों के व्यवहार, रिश्ते-नाते, मान-सम्मान, रीति-रिवाज, सच्चा प्रेम सब कुछ मिलावट भरे से लगते हैं ! आज हवा में मिलावट, पानी में मिलावट, ईमानदारी में बेईमानी की मिलावट, माँ की ममता में मिलावट, माता-पिता के प्रति बच्चों के प्रेम में मिलावट ! उफ्फ्फफ्फ्फ्फ़ ........इतनी मिलावट ! आज इन्सान के अन्दर वह बात नहीं है जो कभी गुजरे जमाने में, इन्सान में हुआ करती थी ! सच्ची दोस्ती, सच्चा मान-सामान, बिन मिलावट का प्रेम और व्यवहार , आज हम सब जिन रीति रिवाजों को मानते हैं उनमें भी मिलावट ! आज के वातावरण में सब चलता है यार ! आज हमारी सोच में भी पूरी मिलावट है ! अपने आस-पास जहाँ भी नजर उठा कर देखते हैं तो दिखाई देती है मिलावट और सिर्फ मिलावट ..................

आप अपने दिल पर हाँथ रख यह महसूस करें कि, जो जीवन आज हम जी रहे हैं या जो व्यवहार हम अपनों और अन्य के साथ कर रहे हैं उसमे कितना सच और कितनी मिलावट हैं ! ( एक छोटी सी बात )

धन्यवाद

Sunday, September 5, 2010

अब रंग भी हुए बदनाम ....( १००बी पोस्ट ) >>. संजय कुमार

कहा जाता है हर रंग की अपनी एक पहचान होती है उनका अपना एक महत्व होता है ! जैसे सफ़ेद रंग शांति का प्रतीक, हरा रंग बिखेरता हरियाली, पीला रंग खुशहाली, लाल रंग देता उमंग, गुलाबी बिखेरे गुलाबी छटा और नीला बिखेरे आसमानी घटा ! यह सभी रंग इन्सान के जीवन से जुड़े होते हैं ! इन्सान की जिंदगी में रंग बहुत मायने रखते हैं ! बात करते हैं ऐसे रंग की जो इन सभी रंगों से जुदा है ! यह रंग अगर किसी रंग में मिल जाए तो वह रंग अपनी पहचान खो देता है, किन्तु उस पर कोई और रंग अपना असर नहीं छोड़ पाता ! यह रंग है काला रंग ! काले रंग को हम सब विरोध का रंग, के रूप में जानते हैं ! जब भी कोई इन्सान किसी चीज का विरोध करता है तो इसी रंग के साए में ! इन्सान ने ना जाने कितनी बड़ी बड़ी समस्यायों में इसी रंग का प्रयोग कर इन समस्याओं का समाधान किया ! इसलिए इस रंग का अपना एक विशेष महत्व है ! किन्तु इन्सान ने इन रंगों को भी नहीं छोड़ा ! इन रंगों को भी बदनाम कर दिया ! काले रंग को मनहूस रंग की उपाधि भी दे डाली ! इसे बुराई का रंग, नाम दे डाला ! आज इस रंग के साए में लोग बुरे काम करने से भी नहीं चूकते ! अभी कुछ दिनों पहले की बात है ! एक ५० वर्षीया बुजुर्ग ने एक राह चलती लड़की का अपहरण कर अपनी गाड़ी में उसका बलात्कार कर डाला ! इस घटना को कोई इसलिए नहीं रोक पाया क्योंकि जिस गाड़ी में यह सब हुआ उस गाड़ी पर काले रंग के शीशे चढ़े हुए थे ! यहाँ भी काले रंग को बदनाम कर दिया ! अगर किसी गरीब के घर आज कोई लड़की जन्म लेती है तो आज बह उसके लिए एक अभिशाप है ! उस पर यदि उस लड़की का रंग काला हो तो " कोढ़ में खाज " बाली कहावत चरितार्थ होती है ! उस लड़की के साथ उसके काले रंग को जीवन भर कोसा जाता है ! यह बिडम्बना है इस काले रंग की ! शायद काले रंग को बदनाम करने के पीछे हम इन्सान ही हैं ! एक बार राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी को भी एक अंग्रेज ने " Black-Indian " कहकर संबोधित किया था ! और ट्रेन से बाहर कर दिया था ! दक्षिण अफ्रीका में काले गोरे की रंगभेद नीति को खत्म करने के लिए " नेल्सन मंडेला " को वर्षो संघर्ष करना पड़ा और वर्षों अपना जीवन जेल की चारदीवारी में गुजारना पड़ा ! और कड़े संघर्ष के बाद उन्होंने सफलता हांसिल की और एक दिन दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति के पद तक पहुंचे ! अगर काले रंग को इतनी बुरी नजर से ना देखा जाता तो !

जिस तरह किसी सिक्के के दो पहलू होते हैं उसी तरह इस रंग के भी दो पहलु हैं ! जहाँ इस रंग में इतनी बुराई हैं वहीँ कुछ अच्छाई भी है ! आसमान में काले रंग के बादल देख किसानों के चेहरे खिलना, यह काले रंग के बादल किसानों के लिए सुख समृधि लाते हैं ! हिन्दू धर्म में काले रंग को बुरी नजर से बचाने बाला रंग भी माना जाता है ! जहाँ लोग अपने घरों पर काले रंग की चप्पल और ना जाने कितनी तरह की चीजें टांगते हैं वहीँ महिलाएं अपने बच्चों को बुरी नजर से बचाने ले लिए काले रंग का टीका लगाती हैं ! काला रंग कभी फक्र महसूस करता है तो कभी शर्मिंदगी ! सभी रंगों को हम इंसानों ने ही परिभाषित किया है ! उनकी अच्छे बुरे की पहचान हमने ही दी है ! उन्हें नाम और बदनाम हमने ही किया है !

क्या मायने रखता है काला रंग आपके लिए ?

धन्यवाद

Wednesday, September 1, 2010

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व की हार्दिक बधाई एवं शुभ-कामनाएं ...>> संजय कुमार


भगवान श्रीकृष्ण को प्रेम का अवतार माना जाता है ! उन्होंने इस दुनिया को प्रेम का सच्चा पाठ पढ़ाया ! जब-जब भी असुरों के अत्याचार बढ़े हैं और धर्म का पतन हुआ है तब-तब भगवान ने पृथ्वी पर अवतार लेकर सत्य और धर्म की स्थापना की है। इसी कड़ी में भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि को अत्याचारी कंस का विनाश करने के लिए मथुरा में भगवान कृष्ण ने अवतार लिया। चूँकि भगवान स्वयं इस दिन पृथ्वी पर अवतरित हुए थे अतः इस दिन को कृष्ण जन्माष्टमी अथवा जन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं। इस दिन स्त्री-पुरुष रात्रि बारह बजे तक व्रत रखते हैं। इस दिन मंदिरों में झाँकियाँ सजाई जाती हैं और भगवान कृष्ण को झूला झुलाया जाता है। प्रेम के प्रतीक भगवान् के जन्मदिन को सच्ची लगन एवं प्रेम भावना के साथ अपने पूरे परिवार के साथ मनाएं !
जय श्रीकृष्ण ........ जय श्रीकृष्ण.........जय श्रीकृष्ण........जय श्रीकृष्ण

मुश्कान चुराकर जिसने खाया
बंशी बजाकर जिसने नचाया
खुशियाँ मनाओ उस कान्हा के जन्मदिन की
जिसने इस विश्व को "प्रेम का पाठ पढ़ाया"


श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर आप सभी ब्लोगर बंधुओं को एवं परिवार के सभी सदस्यों को
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पावन पर्व की हार्दिक बधाई एवं शुभ-कामनाएं

धन्यवाद