आज इंसानों और जानवरों के बीच अंतर ढूँढना पड़ता है !
संसद भवन में बैठी भीड़ में , सच्चा राजनेता ढूँढना पड़ता है !
अपनों के बीच रहते हुए , अपनापन ढूँढना पड़ता है !
हजारों दोस्तों के होते हुए एक दोस्त ढूँढना पड़ता है !
रोज-रोज होते झगड़ों में प्यार ढूँढना पड़ता है !
पति-पत्नी को एक-दुसरे में विश्वाश ढूँढना पड़ता है !
आज लोग " राखी का इंसाफ " में इंसाफ ढूँढ रहे हैं,
यहाँ तो देश की सर्वोच्च अदालतों में इंसाफ ढूँढना पड़ता है !
अरबों की आवादी में इंसान ढूँढने पड़ते हैं !
कलियुग में माँ-बाप को "श्रवण कुमार " ढूँढने पड़ते हैं !
बढ़ गए पाप और बुराई कि, अच्छाई ढूँढनी पड़ती है !
बेईमानों के बीच ईमानदारी ढूँढनी पड़ती है !
खुदा की खुदाई ढूँढनी पड़ती है !
तो कहीं बच्चों को माँ की ममता ढूँढनी पड़ती है !
पश्चिमी सभ्यता में ढले लोगों में, अपनी सभ्यता ढूँढनी पड़ती है !
करोड़ों इंसानों में इंसानियत ढूँढनी पड़ती है !
अब गड्ढों में सड़क ढूँढनी पड़ती है !
अब गड्ढों में सड़क ढूँढनी पड़ती है !
धन्यवाद
संजय चौरसिया जी
ReplyDeleteनमस्कार !
अपनों के बीच रहते हुए , अपनापन ढूँढना पड़ता है !
हजारों दोस्तों के होते हुए एक दोस्त ढूँढना पड़ता है !
...........बहुत सही बात कही
भाई आपने कहने के लिए कुछ छोडा ही नही। सब कुछ तो लिख दिया
आप स्वस्थ,सुखी हों,हार्दिक शुभकामनाएं हैं …
आपका मित्र,भाई
संजय भास्कर
bahut sahi kaha aapne
ReplyDeleteaaj kal sab kuch dhudhna hi padta hai
yesa koi nhi hai jisme sachhayi ho
khubsurat rachna
www.deepti09sharma.blogspot.com
... bahut badhiyaa ... behatreen !!!
ReplyDeletenice
ReplyDeleteShri Guru Nanak Dev ji de guru purab di lakh lakh vadhaian hoven ji