Wednesday, June 30, 2010

काश हम कुत्ते होते ....>>>> संजय कुमार

माफ़ कीजिये यह बात मैंने देश के किसी भी जनमानस के लिए नहीं कही है ! अगर किसी के दिल को इस बात से ठेस पहुँचती है तो मैं आप सभी से माफ़ी मांगता हूँ ! यह बात मैं इसलिए बोल रहा हूँ, क्योंकि यह बात मैं बोलने पर मजबूर हो गया ! आप पड़ेंगे तो शायद आप भी यह कहने पर मजबूर हो जाएँ ! हाय........ हमारी किस्मत उन कुत्तों के जैसे होती ! जिनकी खबर आज मैंने अखबार मैं पड़ी ! उनकी किश्मत देख आज मुझे अपने इन्सान होने का दुःख होने लगा ! खबर अमेरिका के बाशिग्टन की है जहाँ एक ६७ वर्षीय महिला ने अपनी ५२ करोड़ की संपत्ति अपने ३ कुत्तों के नाम कर, यह दुनिया छोड़ दी ! और अपनी सारी विरासत इनके नाम कर दी ! इनकी विरासत को अब यह ३ कुत्ते ही संभाल रहे हैं ! अब तो इन कुत्तों के ठाट-बाट देखते ही बनते हैं ! गले मैं लाखों की चैन हांथों मैं लाखों का ब्रासलेट और नर्म-मुलायम गद्दों पर आराम ! यह सब देख कोई भी इन्सान यह कहने पर मजबूर हो जाएगा कि हमसे तो अच्छी किश्मत इन कुत्तों की हैं, काश हम इनकी जगह होते !

यह कोई व्यंग नहीं यह एक सच है ! आप इसे व्यंग समझ कर पड़ सकते हैं ! इस तरह की ख़बरें हमने कई बार विदेशों से सुनी हैं ! की वहां इन बेजुबान जानवरों से इन्सान को कितना प्यार है ! जो इनके लिए सब कुछ कर सकते है ! और जानवर भी पूरी वफादारी निभाते हैं ! और हमारे यहाँ आज तक इस तरह की कोई घटना ना हुई है और ना होगी ! क्योंकि हमारे यहाँ तो आम इन्सान की हालत जहाँ जानवरों से बदतर है तो फिर यहाँ के कुत्ते तो, उनका क्या कहूँ उनके बारे मैं आप तो भलीभांति परिचित हैं ! आप लोगों ने कई बार अपने यार दोस्तों के बीच बैठकर इस तरह की चर्चा जरूर की होगी , जब आपने किसी कुत्ते को A C गाडी मैं बैठे देखा होगा और आप यूँ ही कहीं धुप मैं पैदल चल रहे होंगे ! तो जरूर आपको उस कुत्ते से जलन हुई होगी ! और इसकी चर्चा की होगी ! शायद ये उस कुत्ते की किश्मत है ! जो वह ऊपर से लिखा कर लाया है ! बैसे भी जानवरों मैं कुत्ते को ही वफादार कहा गया है ! और वह वफादारी भी निभाता है ! इसलिए उसके साथ ऐसा हुआ ! लेकिन आज का इन्सान इतना मतलबी और स्वार्थी हो गया है जो अपनों को ही धोखा दे रहा है , और पैसों की खातिर अपनों का ही गला काट रहा है ! अब नहीं रहा इन्सान को इन्सान पर भरोसा ! अब हम इन्सान को वफादार नहीं कह सकते ! किन्तु कुत्ते को तो आज भी हम वफादार कहते है ! यह मासूम जानवर सिर्फ भूंखे होते हैं इन्सान के प्यार के , और इन्सान, आज प्यार के अलावा हर चीज का भूँखा है ! कुत्ते तो अपनी भूंख शांत कर लेते हैं , लेकिन इन्सान की भूंख कभी खत्म नहीं होती ! आज इन कुत्तों के नाम इतना सब कुछ हुआ हैं इसका भी एक कारण रहा होगा अगर इन्सान के नाम इतनी सम्पति हो जाए तो इस बात की कोई ग्यारंटी नहीं है , की वह इन्सान इतनी दौलत मिलने के बाद अपनों को धोखा नहीं देगा ! किन्तु आज कुत्तों की ग्यारंटी हैं , उसके साथ अगर उसका मालिक कभी गलत व्यव्हार भी करता है, तब भी वह उसको धोखा नहीं देगा ! वफादारी जरूर निभाएगा ! आज इन्सान से ज्यादा कुत्ता वफादार है ....... इंसानों को इन जानवरों से बहुत कुछ सीख्नना चाहिए .........

यह अंतर हैं आज इन्सान और कुत्तों के बीच .............. इसलिए मजबूरीवश मुझे यह कहना पढ़ रहा है !
काश हम कुत्ते होते ...................................

धन्यवाद

11 comments:

  1. kya bat hai bahut achhi lagi rachna sadhuvad

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  2. सही कहा....विवश हो जाता है इंसान यह सोचने पर भी..

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  3. kaash wo mahila insaan ko pyar karna bhi seekh pati..

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  4. संजय जी ये रचना दिल से लिखी गई लगती है.. और ज़ाहिर है कि अखबार पढ़कर खबर निकाली तो दिमाग का भी इस्तेमाल किया गया है.. मुझे तो बहुत पसंद आये विचार.. समय मिले तो वर्तनी की अशुद्धियाँ सुधार लेवें.. और भी बेहतर रहेगा.. आभार..

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  5. sateek likha hai aapne ..
    (meri bua ji late manorama kapoor aapke hi shahar me thi..)

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  6. बहुत सही!
    दीपक "मशाल" जी से सहमत हूँ....कृपया ध्यान दें...

    शुभकामनाएं.....

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  7. बहुत सटीक लिखा है सोचने पर मजबूर करती पोस्ट.

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  8. aap sabhi ka dhnyvad
    galtiyan sudharne ki poori koshish
    kar raha hoon,

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