Friday, June 18, 2010

"अतिथि देवो भवः", लेकिन क्यों ?.....>>> संजय कुमार

हिंदुस्तान एक ऐसा देश है जिसमें एक नहीं अनेकों विशेषताएं हैं ! फिर चाहे वो अपनत्व की भावना हो , फिर चाहे वो रिश्तों का मान सम्मान हो , सब कुछ अपने आप में विशाल है ! इन सब के अलावा एक और परंपरा है हमारे देश में जो युगों युगों से चली आ रही है , और आज भी चल रही है ! और वो परम्परा है "अतिथि देवो भवः" की ! आज भी हमारे कई घरों में अतिथि को भगवान के रूप में देखा जाता हैं ! और ये बात सही भी है , क्योंकि हमारा अतिथि कई किलोमीटर की दूरी तय कर हमसे मिलने जो आता है ! कई अतिथियों से तो हमारा कई वर्षों में मिलना होता है ! तो हमारा भी फर्ज बनता है उनकी सेवा करना और उसका उचित ध्यान रखना ! अतिथि हमारा भगवान् होता है और हमें उनका आदर करना चाहिए ! हम तो वो हिन्दुस्तानी हैं जो दुश्मन को भी अपने गले लगा लेते हैं , फिर अतिथि तो हमारे अपने होते हैं ! और हम लोग तो हमेशा से ही हर किसी का आदर करते हैं ! यह हमारी परंपरा है और यही हमें सिखाया जाता है और हम इस परम्परा को कभी नहीं भूलेंगे ! मैं यहाँ बात कर रहा हूँ ऐसे विदेशी अतिथियों की जो अतिथि बनकर तो आते हैं किन्तु भूल जाते हैं अपने आने का सबब !

आज देश के सभी न्यूज़ पेपर, टेलीविजन और सरकार हम सभी को सिर्फ एक बात बार-बार रट्टू तोते की तरह याद करवा रही है कि, "अतिथि देवो भवः" देश में आने वाले सभी विदेशी महमानों का हमें ध्यान रखना चाहिए, उनसे हमारी रोजी रोटी चलती है , वह देश की अर्थव्यवस्था में बहुत सहयोग करते हैं ! और दुनिया भर की बातें जो हमें बताई जाती है ! हम सभी लोग इन सब बातों का विशेष ध्यान रखते हैं और ये बात है भी सही किन्तु देश में हमारे कुछ असमाजिक तत्व ऐसे भी हैं जो भूल जाते हैं इन सब बातों को और करते हैं देश को शर्मशार करने बाली हरकतें ! हम सभी को उनको एक अच्छा सबक सिखाना चाहिए जिससे वह इस तरह की हरकतें ना कर सकें , और देश का नाम ख़राब ना हो , तभी कहलायेगा सही "अतिथि देवो भवः "

किन्तु आज देश में आने वाले महमानों को भी अपनी मर्यादाओं में रहना चाहिए उनका उलंघन नहीं करना चाहिए ! हमारी अच्छाई को वो हमारी कमजोरी ना समझें ! इस देश में एक अच्छे मेहमान की तरह आयें और चले जाएँ ! किन्तु ऐसा नहीं हैं , कुछ दिनों पहले इन्ही अतिथियों ने जो उधम जो उत्पात मचाया वह भी देखने लायक था ! हमारे देश के एक ऐसे राष्ट्रिय पार्क , जहाँ पर इन्होने पावंदी होने बावजूद दो -तीन दिन तक जमकर शराब , नाच गाना और अश्लील हरकतें की जो हमारे लिए शर्मिंदगी वाली थी ! तो फिर क्या करना चाहिए ऐसे महमानों का , यह कोई एक अकेली घटना नहीं हैं जो इस देश में पहली बार हुई हो ! यह लोग इस देश में मेहमान बनकर आते हैं और अपने साथ लाते हैं नशे का बड़ा बाजार , जिसमें कई युवा इनके चक्कर में फंसकर नशे के आदि हो रहे हैं ! कुछ विदेशी अपने यहाँ की गन्दी संस्कृति को हमारे बीच में फैलाकर हमारे माहौल को गन्दा कर रहे हैं ! आज देश की युवा पीढ़ी ज्यादातर इन्ही लोगों का अनुशरण कर रही है ! देश बड़े बड़े होटलों में इन विदेशियों द्वारा जिस्मफरोशी के लिए लड़कियों की फरमाइश की जाती है ! ऐसे बहुत से गलत काम हैं जो इस देश आकर ये लोग करते हैं ! आते हैं मेहमान बनकर और फिर अपने पैसे की चमक धमक से भटके हुए लोगों को बरगलाकर , भ्रमित कर अपने यहाँ की गंदगी हमारे दिलो -दिमाग में भर कर हमारी संस्कृति के साथ खिलवाड़ कर चले जाते हैं !

"अतिथि देवो भाव:" .............. लेकिन ऐसे महमानों के लिए नहीं ..................

धन्यवाद

58 comments:

  1. बिल्कुल सही कहा आपने

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  2. ठीक बात है बिलकुल कि अतिथियों को भी अपनी मर्यादा का पालन करना चाहिए संजय जी.. मेहमान से मुझे 'नए मेहमान' कहानी याद आती है..

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  3. और तो और ...पिछले दिनों वे दो विदेशी ही थे जो किसी बड़े रेस्टोरेंट में बैठी महिलाओं का पर्श उड़ाते पकडे गए थे .....

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  4. iske acha essay meine nahi pada athiti par

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  5. very good !!! i am impressed , it was up to the mark!!!

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  6. amazing essay................ i must say its really impressive.........:)

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  7. maine pada nhi hai bas comment padhe hai.isse lag raha hai ki acha hi hoga .well done. aise hi likhte rahe hame homework main madad hoge or tumhare likhne ki ruchi aur bhi badegi

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    1. sahi kaha .... heplsin h.w....
      are yeh sabh hamare i toh likh te hai... hahaha..!!

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  8. you have said the the true words..its really amazing..keep writing like this..

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  9. yar really it look good one of our indian hav such grat talent just showit

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  10. its really awesomw yr....

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  11. Very nice essay excepting , minor spelling mistakes - it is में not मैं . pls correct it :)

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  12. excellent and marvelous concept

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    1. thanks........

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    2. Thankss sanjay sir.....
      Da first nd da foremost thing is dat .....i being in class 10icse...hav got a lot of projects......nd i was a bit nervous fr i had to do si much of work...nd i feel delighted dat i hav done wid it...dharti ka bhoj is out.....(lol).....
      I jz feel a sigh of relief.....
      Thank u so much sir.......:)
      Ur regards,fromclass10 iea school,shaikpet
      Hyderabad

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    3. wa kya baat kahi shaayar shayar shahb

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  13. dost topic wrong ai topic mein likha hai atithi devo bhaav parantu hona chahhiye atithi devo bhava

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  14. not good.......
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    very goodddddddddddddd!!!!!!!!!!

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  15. यह मेरे लिए बहुत उपयोगी है क्योंकि मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण निबंध है

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  16. बहुत ही सुंदर लेख है , अविस्मरणिय लेख , मैं यह केहना चाहूंगा कि लोग इसे अपने जीवन में उत्तीर्ण करे

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  17. badhiyaaaaaaaaa.........

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  18. vaise ye athithi koun hai

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  19. REALLY OSOM UR ESSAY HELPED ME
    ITS' VERY GOOD

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  20. AMAAAAAAAAAAAZZZZZIIIIIINGGG. ,<'3

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  21. bahut aacha hai. keep writing

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  22. hmmm..its really helpful..wen teachers give tough essays...

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  23. wow!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! it's much helpfull for me

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  24. very nice ................. its truth that tourists or guests should also behave properly ........... bytheway it helped me to complete my winter holidays homework 2015

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  25. help me to write a project on it plz : (

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  26. आज का चिन्तन
    प्रसन्नता कोई तुम्हें नहीं दे सकता, ना ही बाजार में किसी दुकान पर जाकर पैसे देकर आप खरीद सकते हैं। अगर पैसे से प्रसन्नता मिलती तो दुनिया के सारे अमीर खरीद लेते।
    प्रसन्नता जीवन जीने के ढंग से आती है। जिंदगी भले ही खूबसूरत हो लेकिन जीने का अंदाज खूबसूरत ना हो तो जिंदगी को बदसूरत होते देर नहीं लगती। झोंपड़ी में भी कोई आदमी आनन्द से लबालब मिल सकता है और कोठियों में भी दुखी, अशांत, परेशान आदमी मिल जायेगा।
    आज से ही सोचने का ढंग बदल लो जिंदगी उत्सव बन जायेगी। स्मरण रखना संसार जुड़ता है त्याग से और बिखरता है स्वार्थ से। त्याग के मार्ग पर चलोगे तो सबका अनुराग बिना माँगे ही मिलेगा और जीवन बाग़ बनता चला जायेगा। सुप्रभात जय श्री कृष्णा

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  27. त्याग दो सब ख्वाहिशें....
    कुछ अलग करने के लिए....
    राम ने खोया बहुत कुछ....
    श्री राम बनने के लिए....

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  28. gud point.Must be raised and issued as an advertisement

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  29. kya batt hai itna achha essay mai kabi nahi pada

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  30. excellent essay. it helped me a lot

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  31. very nice essay except a small reputation.

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  32. very nice haiiii bhaiii bhuteee wawawawa

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  33. This comment has been removed by a blog administrator.

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  34. awesome awesome!!!!

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  35. ver nice. it was really helful for a homework

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