बच्चे भगवान् का रूप होते हैं ! बच्चे कुम्हार की उस मिटटी के समान होते हैं , जिन्हें कुम्हार कोई भी रूप दे सकता है ! बच्चों मैं ज्ञान नहीं होता वह तो अज्ञानी होते हैं ! और दुनिया भर की बातें होती हैं बच्चों को लेकर जो हम सब को करते देखा गया है ! हम सब भी यही सब मानते हैं ! और आगे भी यह मानते रहेंगे ! क्योंकि बच्चों को सही गलत का ध्यान नहीं होता ! वह जो करते हैं वही सही होता है ! फिर वह किसी चीज के लिए मचल जाएँ या जिद्द करने लगें , उन्हें नहीं होता मालूम ! लेकिन आज के बच्चों का एक रूप अब बहुत ही खतरनाक रूप लेता जा रहा है ! और वह रूप है ! उनका गलत जिद्द करना ! जी हाँ बच्चों का जिद्दी होना अब माँ-बाप केलिए खतरनाक हो गया है ! कुछ समय पहले ऐसा नहीं था ! जब से हम लोग असलियत से परे दिखावे को ज्यादा पसंद करने लगे तब से बहुत कुछ बदल गया इन्सान के जीवन मैं ! आज से १५-२० साल पहले के बच्चे शायद इतने जिद्दी नहीं होते थे ! जितने आज के दौर के बच्चे होते हैं ! कारण पहले जीवन मैं इन्सान के सारे काम एक नियमित रूप से होते थे ! और अपना ज्यादा से ज्यादा वक़्त अपने परिवार के साथ रहते थे ! और अपने बच्चों को पूरा समय देते थे ! जिनसे बच्चों के अन्दर एक अपनेपन की भावना का भाव सदा बना रहता था ! और बच्चों को जिद्द करने का मौका नहीं मिलता था ! पहले इन्सान सिर्फ अपने ऊपर निर्भर रहता था ! किन्तु आज सब कुछ निर्भर है आधुनिक साधनों पर ! जब इन्सान इन साधनों पर निर्भर होता है तो इन्सान वह सब नहीं कर पाता जो असलियत मैं उसे करना चाहिए ! सब कुछ नियंत्रण से बाहर !
जब से हमने अपने आप को जरूरत से ज्यादा व्यस्त कर लिया तब से हम लोगों का ध्यान अपने बच्चों से हट गया ! आज अधिकांश परिवारों मैं यह स्थिति है , की घर के बच्चे पहले की तुलना मैं आज कहीं ज्यादा जिद्दी हो गए हैं ! कारण सब कुछ अस्त-व्यस्त , कुछ भी नियमित नहीं ! ऐसे माहौल मैं बच्चों का जिद्दी होना स्वाभाविक है ! फिर वह जिद्द किसी वस्तुको खरीदने के लिए हो ! या फिर कुछ खाने पीने के लिए हो ! या फिर कहीं खेलने की जिद्द हो ! कई बार माता-पिता को लगता है ! की बच्चे को यह सब करने दो, जो मांगे देदो , तो वह हमारा पीछा छोड़ देगा ! और हम इत्मिनान से अपना काम कर लेंगे ! लेकिन अगर बच्चों की गलत बात को भी हम स्वीकार करेंगे तो आगे जाकर वह उस आदत के आदि हो जायेंगे जिसे हम साधारणतया बोलचाल की भाषा मैं जिद्द या किसी बच्चे का जिद्दी होना कहते हैं ! यह जिद्द तब तक ठीक हो सकती है जब तक आपका बच्चा अपने घर मैं रहता है ! जब बच्चे बच्चे नहीं रहते और युवा हो जाते हैं ! तब किसी भी माँ-बाप के लिए यह जिद्द खतरनाक साबित हो सकती है ! ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूँ , क्योंकि आज के बच्चों की जिद्द क्या होती है ! पहली आज के सभी बच्चों को सबसे पहले अपने हाँथ मैं मोबाइल चाहिए ! क्योंकि किसी बच्चे के हाथ मैं जो देख लिया ! अब तो आपको उसे दिलाना ही पड़ेगा नहीं तो आपका बच्चा आपसे रूठ जायेगा ! और शायद आपको यह बात स्वीकार नहीं होगी ! दूसरी जिद्द , जब बच्चा १०बी या बारह्बी मैं पड़ता है , तब उसकी मांग होती हैं , उसके लिए वाहन की , वह भी पेट्रोल चलित ना की साईकिल क्यों की साईकिल तो अब गुजरे जमाने की बात हो गयी , अब तो स्कूटी , हीरो-पुक और ना जाने कितनी ही नयी गाड़ियाँ आ गयी बच्चों को लुभाने को !
अगर आप अपने बच्चों की इन जिद्दों को पूरा कर रहे हैं , तो आप सभी की नैतिक जिम्मेदारी बनती है , उनपर ध्यान देने की , क्योंकि आज बहुत से हादसे इन दोनों की बजह से हो रहे हैं ! कहीं, जिद्द की कारण आपके बच्चे आपसे दूर तो नहीं हो रहे है ! कहीं जिद्द मैं कोई गलत काम तो नहीं कर रहे हैं ....... इन सब पर ध्यान देना जरूरी है .............. कहीं ऐसा ना हो बच्चों की जिद्द......... माता-पिता के लिए खतरा न बन जाए ...............
(एक छोटी से बात )
धन्यवाद
बहुत ही उम्दा विषय पर विवेचना करती पोस्ट ,हमें अपने बच्चों में ना सुनने की आदत भी डालनी चाहिए और उसे स्वीकार करने का साहस भी पैदा करना चाहिए,आपके उम्दा सोच के लिए *****
ReplyDeleteविचारणीय पोस्ट के लिए बधाई
ReplyDeleteबदलते परिवेश में बच्चों के अन्दर परिवर्तन आना लाजिमी है पर इसे सकारात्मक बनाने की जुगत करनी होगी.
ReplyDeleteसही फरमाया आपने , मेरा बेटा "माधव" भी जिद्दी होता जा रहा है , माधव का ब्लॉग पर जाकर आप कुछ सुझाव दे सके तो आपकी कृपा होगी .
ReplyDeleteमाधव का ब्लॉग -http://madhavrai.blogspot.com/
thanx
well said, please suggest something to me as i was also becoming stuborn day by day
ReplyDeleteबहुत आवश्यक विषय पर सोचा आपने.. हम अगर बच्चों को बचपन में ही सही आर गलत मांग के बारे में प्यार या हल्की सी डांट से समझा दें तो बाद में ना उनके जिद्द बढ़े और ना ही तकलीफे..
ReplyDeleteमैं अभी अमेरिका में हूँ और अनुभव कर रही हूँ कि यहाँ पर भारतीयों के बच्चे अनुशासनहीनता की हद तक जिद्दी हैं। उसका कारण संस्कारों का अभाव लगता है। बच्चे दोहरी संस्कृति में जी रहे हैं, भारतीय संस्कृति में बड़ों को सम्मान देना प्रमुख बात है जब कि यहाँ छोटे और बड़े का भेद नहीं है। इसलिए किसी का कहना भी मानना है यह बच्चों ने सीखा ही नहीं है। यहाँ की भौतिकता देखकर माता-पिता भी बौराये से रहते हैं और वे ही उस दौड़ में अपने बच्चे का डालते हैं। धीरे-धीरे बच्चे को केवल अपनी मन की करने की ही आदत हो जाती है। भारत में भी जहाँ आधुनिकता पैर पसार रही है वहाँ यही हालात हैं। जब तक परिवार हैं बच्चे भी संस्कारित रहेंगे। आपने विषय उठाया इसके लिए आभार।
ReplyDeleteबाल मनोविज्ञान कहता है कि बच्चों को अच्चे बुरे की तमीज़ नही होती इसलिये उनकी हर ज़िद पूरी कारने की ज़रूरत नही है ।
ReplyDeleteजब से हमने अपने आप को जरूरत से ज्यादा व्यस्त कर लिया तब से हम लोगों का ध्यान अपने बच्चों से हट गया ! आज अधिकांश परिवारों मैं यह स्थिति है , की घर के बच्चे पहले की तुलना मैं आज कहीं ज्यादा जिद्दी हो गए हैं
ReplyDeleteye to shai kaha sanjay ji aapne.......