जैसा की आप लोगों को मालूम है , आजकल पार्ट फिल्मों का दौर चल रहा है ! एक फिल्म हिट होते ही उसका पार्ट २-३ बाजार में आ जाता है ! इसी तर्ज पर मैंने भी सोचा , क्यों ना मैं भी अपनी ही एक पोस्ट का पार्ट २ बनाऊं , तो लीजिये पहली बार पार्ट २ आपके सामने प्रस्तुत करने की कोशिश कर रहा हूँ ! शायद आप लोगों को पसंद आये ! भले ही मेरी पहली पोस्ट सुपर-डुपर हिट ना हो फिर भी मैं कोशिश तो कर ही सकता हूँ ! क्या करूँ बिषय एक ही है ! अब जिन लोगों ने मेरी पुरानी पोस्ट नहीं पढ़ी वह यह लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं !
http://sanjaykuamr.blogspot.com/2010/06/blog-post_30.html लीजिये प्रस्तुत है ...................... " काश हम कुत्ते होते " पार्ट २
जैसा की आप लोगों को मालूम होगा कि, हमारे मध्य-प्रदेश के मुरैना में अभी कुछ दिनों पहले एक कुत्ते को हम इंसानों ने " अछूत " की उपाधि से बिभुषित किया है ! इस बात पर देश के सभी कुत्ते इंसानों से नाराज हो गए ! और इंसानों को जी भर कर गलियां दे रहे हैं ! और कह रहे हैं कि , इन्सान आज कितना गिर गया है , हम कुत्तो को अछूत कहने बाले ही छुआछूत जैसी बीमारी इस देश में फैला रहे हैं ! हम तो किसी भी जात -पात को नहीं मानते , हम कुत्तों में जो सर्व धर्म कि भावना है , वह इन इंसानों में नहीं है ! हमारे लिए तो किसी भी इन्सान की कोई जाति नहीं होती ! हमारी नजर में सब एक हैं ! अब आप ही बताएं जब मैंने एक इन्सान के यहाँ रोटी खाई तो मुझे अछूत कहकर इतना बवाल क्यों मचाया जा रहा है ! क्या आप यह सब नहीं जानते ? आजकल हमारे देश में क्या हो रहा हैं ? देश में ऊंचे पदों पर बैठे देश के मंत्री और नेतागण इन अछूतों के बलबूते ही देश में राज कर रहे हैं ! जब यह लोग इन अछूतों के यहाँ खाना खाते और पानी पीते हैं , उनके यहाँ रात बिताते हैं , तब क्यों इतना बबाल नहीं मचता ! बल्कि ऐसा करने पर , आप इन्सान उनको "महान" की उपाधि दे देते हो ! उसको अछूत क्यों नहीं कहते ? मैंने एक रोटी क्या खा ली, मेरे साथ इतना बुरा सुलूक , अछूत ही कह दिया ! कांग्रेस की युवा ब्रिगेड कहलाने बाले " राहुल गाँधी " ने भी कई बार इन अछूतों के यहाँ रोटी खाई और पानी पिया , तो उस वक़्त सभी ने " राहुल गाँधी " को रातों रात स्टार बना दिया ! अब मैं आप लोगों से कह रहा हूँ की, मैं अछूत नहीं महान हूँ !
जब से कुत्ता संगठन ने इस बात का प्रचार-प्रसार पूरे देश में किया हैं , तब से लेकर अब तक , हर कोई उस अछूत या महान कुत्ते को ढूँढ रहा है ! जब से उस कुत्ते की जानकारी देश के नामी -गिरामी, बड़े-बड़े और पहुंचे हुए लोगों को मालूम चली है , तब से उस कुत्ते को पूरे देश में बड़े जोर-शोर से खोजा जा रहा है ! देश की बड़ी बड़ी कंपनिया उस कुत्ते को अपना ब्रांड- अम्बेसडर बनाना चाहती हैं ! देश के कई बड़े फिल्म प्रोडूसर , डायरेक्टर उसे अपनी फिल्मों में मुख्य हीरो के रूप में लॉंच करना चाह रहे हैं ! क्योंकि उसके पूर्वज पहले भी कई फिल्मो में यह भूमिका निभा चुके हैं ! और वह फिल्म अगर चली, तो इन्ही के दम पर ! कहना है आजकल ऐसी सेलिब्रिटी मिलती कहाँ है जिसे पूरा देश पहले से ही जानता है ! कई मंत्री- संत्री भी उस कुत्ते को खोज रहे हैं , उनका कहना है , कम से कम कुत्ते वफादार तो होते हैं , धोखा तो नहीं देंगे , वर्ना आजकल जिसे देखो पार्टी बदल लेता है ! उसके आने से पार्टी को कुछ तो सहारा मिलेगा ! जब उसे चुनावी आमसभा में देखने लाखों की भीड़ उमड़ेगी तो पार्टी का कुछ तो भला होगा ! बस एक बार मिल जाए !
जब से यह बात आम जनमानस को मालूम चली है ! तब से कुछ लोग , अब अछूतों को ढूँढ रहे हैं , और उनके घर जाकर खाना खा रहे हैं ! उनका कहना है , जब एक कुत्ता रातों रात स्टार बन सकता है , और पूरे देश में उसकी डिमांड है , तो फिर हम क्यों नहीं ! हर कोई उस कुत्ते की तरह प्रसिद्ध और महान बनना चाहता है ! " काश हम कुत्ते होते "
इस देश की बिडंवना देखिये , हम इंसानों ने आज जानवरों तक को नहीं छोड़ा हम सब ने पहले ही इन्सान को इतने भागों में बाँट दिया है , तो यह जानवर क्या चीज हैं ? अपना मतलब सिद्ध करने के लिए कोई उनके (अछूत ) घर खाना खाता है , कोई उनको अपने साथ रखता है ! आज देश की सरकार इनकी बजह से ही चल रही है ! इन लोगों को मुद्दा बनाकर कई मंत्री देश की बागडोर को संभाले हुए हैं ! और यही लोग इंसानों के बीच छुआछूत, और अछूत जैसे दकियानूसी शब्दों का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं ! आज भारत इक्कीसवी सदी की बात कर रहा है ! और देश में आज भी अछूत जैसी प्रथाएं चल रही है !
सोचना होगा हम इंसानों को , की आज हम क्या हैं ? कौन हैं ? हम से तो भले ये कुत्ते हैं जो अपनी वफादारी के लिए आज भी जाने जाते हैं , और इन्सान सिर्फ बदनाम ॥
यह सब देखकर सुनकर ,यही लगता है " काश हम कुत्ते होते " ( एक छोटी सी कोशिश )
धन्यवाद
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
ReplyDeleteप्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (4/10/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com
बेहतरीन कोशिश...........जारी रहे
ReplyDeleteगज़ब के लेखन का प्रदर्शन... एकबार फिर शानदार व्यंग्य. बधाई संजय जी..
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
ReplyDeleteआयी हो तुम कौन परी..., करण समस्तीपुरी की लेखनी से, “मनोज” पर, पढिए!
शानदार व्यंग्य. बधाई संजय जी..
ReplyDeleteबधाई बधाई बधाई ......... संजय जी..
ReplyDeleteसोचना होगा हम इंसानों को , की आज हम क्या हैं ? कौन हैं ? हम से तो भले ये कुत्ते हैं जो अपनी वफादारी के लिए आज भी जाने जाते हैं , और इन्सान सिर्फ बदनाम ॥
ReplyDeleteबहुत सार्थक और चुटीला व्यंग ....