Friday, November 15, 2013

हाँ ..हाँ ...हाँ मैं लवगुरु " अ धर्मात्मा " हूँ कोई शक ………( व्यंग्य ) ....... >>> संजय कुमार

अभी २  महीने पहले की ही बात है ! एक टीव्ही न्यूज चैनल  साउथ के किसी बाबा मतलब आज के आधुनिक संत की धोती फाड़ने में लगा हुआ था ! अब धोती तो फटनी ही थी क्योंकि उसमें आम जनता की मेहनत की कमाई का करोड़ों अरबों का माल जो छुपा रखा था और अब जो " बाबा " की धोती फटी तो अब रुकने का नाम ही नहीं ले रही है ! क्या करें ये तो इस देश का  दुर्भाग्य ही है जो इस  देश की जनता को हर किसी ने जी भरकर लूटा , चाहे फिर वो  सोनाधारी , भगवाधारी हो या कोई  सफेदपोश ,सब की यही कहानी ! आज देश के सभी साधू संतों को बड़ी ही घृणित द्रष्टि से देखा जा रहा है ! कुछ " बाबा " तो बहुत बुरी तरह डर गए हैं और कह रहे हैं ! आज जहाँ देखो , जिसे देखो हमारे  पीछे हाँथ धोकर नहीं बल्कि नहा -धोकर पीछे पड़ गए  है ! कहीं मेरे खिलाफ जुलुस निकाले जा रहे हैं तो कहीं मुर्दाबाद और हाय- हाय के नारे लगाये जा रहे हैं ! कोई मेरे खिलाफ " फाँसी "  की मांग कर रहा है तो कोई अन्य तरीकों से मुझे घेरने की हर तरफ से बदनाम करने की नाकाम कोशिश में लगा हुआ है ! आखिर कब तक हम जैसे " अ धर्मात्मा " लोगों को परेशान किया जाता रहेगा  ? आखिर हमारा कसूर क्या है ? आखिर हम भी इंसान है ( कामवासी  ) हमें भी खुली हवा में सांस लेने का अधिकार है ! आज पूरा देश हमें नफरत भरी निगाहों से देख रहा है क्यों ? इसलिए की हम सच को स्वीकार नहीं कर रहे हैं ! मैं आज इस देश की अवाम से एक बात खुलकर कहना चाहता हूँ कि , आप लोग हमें घ्रणा की द्रष्टि से ना देखें .... हम  अब रोज रोज की बातों और सबूतों को सुन-सुनकर तंग आ चुके हैं , इसलिए  मैं आज सब कुछ स्वीकार करने को तैयार हूँ ! हाँ ... मैं कोई साधू संत नहीं हूँ मैं तो वो हूँ जो धर्म के नाम पर आपको बेबकूफ बनाता रहा,  सच कहूं तो इस देश की जनता है ही बेबकूफ  और भोली जो सदा लुटने को तैयार रहती है , अगर मैंने लूट लिया तो क्या गलत किया ! आज  कलियुग  के  " राम " से तो यही " आशा " की जा सकती है ! आज कोई " नारायण " बनकर तो कोई " साईं " बनकर लूट रहा है ! आखिर इस देश के नेता भी तो अपने पूरे कुटुंब के साथ इस देश को लूट रहे हैं फिर मेरे ही पीछे ही क्यों सभी हाँथ धोकर पीछे पड़ गए ! मैं कोई पहला और आखरी तो नहीं हूँ जिसने ऐसा किया हो , पहले भी कई पकडे गए हैं और जो नहीं पकडे गए वो भी कभी ना कभी पकड़ में आ ही जायेंगे ! ये तो मेरे बुरे दिन थे जो इस उम्र में आकर ये सब देखना पड़ा  ! अब अगर पकड़ा भी गया तो क्या हुआ कम से कम मेरी उम्र का तो लिहाज करो , मेरे द्वारा दिए गये धर्म उपदेशों को तो याद करो ! अगर मेरे उपासक ऐसे ही मेरे खिलाफ झूँठे प्रमाण देते रहे तो मुझे मजबूरी बस सब कुछ स्वीकार करना होगा और ये बात स्वीकार करते हुए मेरे मन में किसी भी प्रकार की कोई आत्मग्लानि नहीं होगी और यही 100%  सत्य है जो आप सबके सामने आ रहा है ! आज मेरी मदद को कोई भी नहीं आ रहा है ! जो बड़ी - बड़ी हस्तियां कभी मेरे पैरों पड़ी रहती थीं वो भी सब मुझे भूल गए हैं ! अब समझ में आया कि , ये खादीधारी नेता किसी के नहीं होते , वर्ना किसी की मजाल थी जो मुझे कोई हाँथ भी लगा पाता ! सब कुछ चल रहा था ना अब तक !  
कल ही " बाबाजी " के एक खास ने मुझे ये  सारी बातें और कई रहस्यों से पर्दा उठाया और ये राज की बातें सुनाते वक़्त वह बहुत ही उदास था और  उसकी उदासी और पीड़ा को देखते हुए मुझे ऐसा लगा कि , मुझे इस दुखी " बाबा " की बात आप तक अवश्य पहुंचानी चाहिए ! ये बात वो भी आप लोगों तक पंहुचा सकता था किन्तु उसने मुझसे कहा  " शायद मेरी इस बात को आप लोग राजनीति का कोई नया पैंतरा ना समझें " इसलिए उसने ये बात मेरे समक्ष रखी ! आजकल हमारे देश में चारों तरफ जहाँ देखो वहां सिर्फ भ्रष्टाचार और घोटाले ही छाये हुए हैं ! सुबह सुबह जब अखबार खोलकर देखो तो एक नया घोटाला , टेलीविजन पर न्यूज़ में हर वक्त घोटाला और भ्रष्टाचार इसके अलावा इस देश में अब कुछ नहीं चलता ! किन्तु अब भ्रष्टाचार की बात कोई नहीं कर रहा है ! क्योंकि हमाम में तो सब नंगे होते हैं ! आजकल तो चारों ओर " बाबा " राहुल बाबा " भगवान का रिटायरमेंट ( सचिन ) बस यही छाया हुआ है ! आजकल जितना कुछ " बाबाओं " को सहना और सुनना पड़ रहा है शायद ही किसी और को इतना सहना और सुनना पड़ रहा हो ! आज हर जगह उनको बुरी नज़र से देखा जा रहा है ! कोई भी कभी भी उनसे कुछ भी पूंछने लगता है , सवालों की बौछार कर दी जाती है ! जब देखो तब उनको बिना बात के परेशान किया जाता है ! बाबा  थक गए हैं जबाब देते देते ! आज बाबाओं  की हालत देखकर मेरा मन भी दुखी हो जाता है ! जब मैं उनकी दुःख तकलीफ को देखता हूँ तो मुझे बहुत बुरा लगता है मुझसे रहा नहीं जाता ! क्यों उनके साथ ऐसा बुरा व्यव्हार हो रहा है ? जब मैंने एक और बाबा से उसके धंधे मतलब  " बाबागिरी " के बारे में  पूंछा तो उसने मुझे बताया ...... " अगर मैंने कुछ  गुनाह कर भी दिया तो वो मेरी " मजबूरी " थी क्योंकि मैं इस कलियुग का लवगुरु  मतलब धर्मगुरु हूँ , सच्चे और असली धर्मगुरु तो पुराणों में हुआ करते थे !.और यदि मैंने कोई गलती कर भी दी  है तो उसे जाने भी  दो , ऐसा किसने कह दिया कि आप हमें इंसान ही ना समझें !
मैं देश के सभी " बाबाओं " से आग्रह करूंगा कि , आपको अब किसी से कुछ छुपाने की या डरने की कोई जरुरत नहीं है सच को स्वीकार कर लो ! कहावत तो सुनी होगी " इश्क़ और मुश्क " छुपाये नहीं छुपते एक दिन बाहर आ ही जाते हैं ! इसलिए धर्म की आड़ लेकर धर्म और सच्चे " गुरुओं "  को बदनाम ना करो , पाप का घड़ा जब भरता है तो फूटता ही है ! कहावत भले ही कितनी पुरानी  हो पर १००% सच्ची है !

धन्यवाद 

2 comments:

  1. संजय जी आपने बड़े अहम मुद्दे पर विमर्श छेड़ा है और बहुत ही सच बयां किया है, पर बेवकूफ बनाने से ज्यादा बनने वाले कि सोंचता हूँ..... बहुत दुःखद है !

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