अभी पिछले दो हफ्ते पहले की बात है , हमारे शहर ग्वालियर में एक नौंवी कक्षा की होनहार स्कूल छात्रा ने अपने ही पिता की बन्दूक से अपने आप को गोली मारकर आत्महत्या कर ली , इस दिल दहला देने वाली घटना को जिसने सुना दंग रह गया , आखिर क्यों उसने ऐसा किया ? जब कारण मालूम चला तो लोगों के होश उड़ गए .. कारण था उस छात्रा का परीक्षा में गणित का पेपर बिगड़ना .. क्या इतनी छोटी सी बात पर आत्महत्या कर लेना सही था ...? मैं तो कहता हूँ कि , किसी भी बात पर आत्महत्या कर लेना सबसे बड़ी बुजदिली की निशानी है ! आत्महत्या किसी भी समस्या का समाधान नहीं है अपितु इससे अनेकों प्रश्न हमारे सामने उत्पन्न होते हैं ! फिर भी इस तरह के मामले हम हर साल सुनते और देखते हैं ! इस तरह के अनेकों मामले हमारे सामने कई बार आये हैं ! जब किसी छात्र -छात्रा ने परीक्षा में फ़ैल होने पर अपने गले में फाँसी का फंदा डालकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली ? जरा जरा सी बात पर बच्चों का इतनी जल्दी आप खो देना अपनी जान लेने की कोशिश करना .? आखिर क्यों .? क्या गुजरती होगी ऐसे माता - पिता के दिल पर जब वो अपने ही बच्चों की लाश अपने कन्धों पर ढोते होंगे , जिन कन्धों पर बैठाकर उनको उज्जवल भविष्य के सपने दिखाए ? क्या इसी दिन के लिए माता-पिता अपना पेट काटकर अपने बच्चों के सुनहरे भविष्य का सपना देखते हैं ! अब इस तरह के मामलों में हम किसको दोष दें ? कौन है इसके लिए जिम्मेदार ? शायद हम सभी जिम्मेदार हैं इस तरह के हादसों के लिए ! एक कारण ... माता - पिता द्वारा बच्चों पर अधिक प्रेशर का डालना कि, हर हाल में , किसी भी कीमत पर अच्छे नंबरों से पास होना ही पड़ेगा, फिर चाहे इसके लिए तुम्हें २४ घंटे ही क्यों ना पढ़ना पड़े ? हमें तुमसे बहुत उम्मीदें हैं इत्यादि ! स्कूल का प्रेशर हमेशा होनहार बच्चों पर रहता है, क्योंकि स्कूल की रेपुटेशन का सवाल होता है जहाँ टीचर्स बच्चों पर कुछ ज्यादा ही दबाब बनाते हैं ! या फिर बच्चे स्वयं इसके लिए जिम्मेदार है जो जरा जरा सी बातों पर अपनी सुध-बुध खो देते हैं ! एक दुसरे से आगे निकलने की होड़ जिसके लिए कुछ भी कर गुजरें ! सच कहूँ तो जिम्मेदार हम सभी हैं और हम सभी को इसकी जिम्मेदारी लेनी भी होगी ! क्योंकि किसी की एक गलती हमसे हमारी खुशियाँ छीन सकती हैं ! फिर भी सच तो ये है कि बच्चे तो बच्चे होते हैं उनमें बचपना भी बहुत होता है और लम्बे समय तक ये उनके साथ भी रहता है ! बच्चों में ज्ञान की कमी होती है , उन्हें सही गलत का अनुमान नहीं होता , कौन सी बात उनके मन में कब घर कर जाये इसका अनुमान हम लोग नहीं लगा सकते ! फिर भी बच्चों की उम्र के इस पड़ाव में उन्हें माता-पिता के साथ की आवश्यकता हमेशा होती है ! इस उम्र में बच्चों की सोच उनके हाव-भाव , व्यवहार में तेजी से परिवर्तन होता है ! कुछ बच्चे वक़्त के साथ ढल जाते हैं और सही गलत का अनुमान लगा लेते हैं फिर भी सभी बच्चों को उचित मार्ग-दर्शन की आवश्यकता होती है ! जब से हमने अपने आप को जरूरत से ज्यादा व्यस्त कर लिया है तब से हम लोगों का ध्यान अपने बच्चों से और उनकी दिनचर्या , क्रिया-कलाप , व्यवहार से पूरी तरह हट गया है और आज अधिकांश परिवारों में यही स्थिति है ! बच्चों के लिए माता-पिता का प्यार , स्नेह , मार्ग-दर्शन , उनके लिए समय निकालना किसी संजीवनी बूटी से कम नहीं है ! अगर बच्चों के लिए माता-पिता के पास समय नहीं है तो इस तरह की स्थिति उनके साथ भी निर्मित हो सकती है ! खास तौर पर होनहार बच्चे इस तरह की वारदात को ज्यादा अंजाम देते हैं ! क्योंकि वो इस बात को बहुत गहराई से सोचते हैं और असफल होने पर उन्हें शर्मिंदगी महसूस होगी ! बस यहीं वो गलती कर जाते हैं ! माता-पिता जब बच्चों को ज्यादा होशियार समझने लगते हैं तो उनका भी ध्यान बच्चों से उनकी दिनचर्या से हट जाता है और वो बड़ी बेफिक्री महसूस करते हैं ! यदि आप ऐसा कर रहे हैं तो आप अलर्ट हो जाइये !
मैं सभी होनहार बच्चों से गुजारिश करूंगा कि , हमारा जीवन बहुत ही अनमोल है और ये जीवन हमें एक बार ही मिलता है ! हमें कभी भी छोटी - छोटी असफलताओं से निराश नहीं होना चाहिए और छोटी - छोटी सफलता पर किसी भी तरह का घमंड नहीं करना चाहिए ! क्योंकि ये दोनों स्थिति हमारे लिए हितकर नहीं हैं ! क्योंकि जान है तो जहान है और हम जिन्दा रह कर ही इतिहास बना सकते हैं ! सभी माता - पिता से गुजारिश है , कृपया अपने बच्चों को अपना समय दीजिये और जीवन उपयोगी बातों से उन्हें अवगत करायें !
विशेष ......>> जिन घरों में नन्हें - मुन्हें बच्चें हैं उन घरों में कृपया अपनों की ही मौत का सामान ना रखें जिन्हें हम हथियार कहतें हैं क्योंकि जब गोली चलती है तो वो ये नहीं देखती की कौन अपना है कौन पराया वो सिर्फ खुशियाँ छीनती है ..... इसलिए कहता हूँ कि , ... ये सवाल आपकी अपनी खुशियों का है !
(एक छोटी से बात )
धन्यवाद
मैं सभी होनहार बच्चों से गुजारिश करूंगा कि , हमारा जीवन बहुत ही अनमोल है और ये जीवन हमें एक बार ही मिलता है ! हमें कभी भी छोटी - छोटी असफलताओं से निराश नहीं होना चाहिए और छोटी - छोटी सफलता पर किसी भी तरह का घमंड नहीं करना चाहिए ! क्योंकि ये दोनों स्थिति हमारे लिए हितकर नहीं हैं ! क्योंकि जान है तो जहान है और हम जिन्दा रह कर ही इतिहास बना सकते हैं ! सभी माता - पिता से गुजारिश है , कृपया अपने बच्चों को अपना समय दीजिये और जीवन उपयोगी बातों से उन्हें अवगत करायें !
विशेष ......>> जिन घरों में नन्हें - मुन्हें बच्चें हैं उन घरों में कृपया अपनों की ही मौत का सामान ना रखें जिन्हें हम हथियार कहतें हैं क्योंकि जब गोली चलती है तो वो ये नहीं देखती की कौन अपना है कौन पराया वो सिर्फ खुशियाँ छीनती है ..... इसलिए कहता हूँ कि , ... ये सवाल आपकी अपनी खुशियों का है !
(एक छोटी से बात )
धन्यवाद
जीवन अनमोल होता है छोटी मोटी असफलताओं से निराश नही होना चाहिए,,,
ReplyDeleteRecent post : होली की हुडदंग कमेंट्स के संग
जीवन तो अनमोल है,फिर भी जल्द ही होश खोकर जोश में गलत कदम उठा लेते है.बहुत ही प्रेरक आलेख.
ReplyDelete"सफल और बेहतर ज़िन्दगी ऊँचे अंक और बेहतर दर्जे की डिग्री का मोहताज नहीं, आपका आत्मविश्वास और ऊँची सोंच आपको हर कीमत पर सफलता तक ले जाएगी और आप एक बेहतर इंसान बन पायेंगे" हर माँ-बाप को अपने बच्चों को बस यही सिख देनी चाहिए ताकि बच्चा स्वछन्द फल-फूल सकेगा न की दवाब देकर अपनी उम्मीदों पर खरा उतारने की होड़ में छोड़ देना चाहिए!
ReplyDeleteबहुत बेहतर है आपका पोस्ट और निर्देश, शुभकामनाएं!
Sahamat...
Deleteआपने कहा था कि मेरी आखिरी पोस्ट है, दो दिन बाद ही पोस्ट आ गयी।
ReplyDeleteJI Adarniy,
ReplyDeleteAb Blog Se Door Bi To nahi Raha Jaata
आज की ब्लॉग बुलेटिन इंडिया बनाम भारत.. ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteबिल्कुल सही सलाह....आजकल ऐसा बहुत हो रहा है और यह सभी पेरेंटस का दिल दहला जाता है।
ReplyDeleteसामयिक सलाह..उन्हें बढ़ने दें उन्मुक्त..बिना किसी बाधा के।
ReplyDeleteसही कहा संजय ...
ReplyDeleteशुभकामनायें !
अच्छी पोस्ट है.....
ReplyDeleteबच्चों की परवरिश में कई बातों का ख़याल रखना होता है.
अनु
आत्महत्या किसी भी समस्या का समाधान नहीं है..... ये बच्चों को समझाना होगा.
ReplyDeleteआत्महत्या किसी भी समस्या का समाधान नहीं है ये बच्चों को समझाना होगा
ReplyDeleteसही सलाह...अच्छी पोस्ट
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