Friday, April 26, 2013

गरीबी का जहर और बाल श्रम .......>>> गार्गी की कलम से

मैंने अपने बेटे को देखा 
प्लेटफ़ॉर्म पर हाँथ फैलाते हुए 
ढावों पर चाय - पानी देते हुए 
गलियों में कचरा बीनते हुए 
खाने - पीने की चीजें चोरी करने पर 
पब्लिक से मार खाते हुए ........
यूँ तो मेरा  बेटा 
अच्छे स्कूल में पढ़ता  है 
अच्छा खाता है 
पहनता है 
खेलता है !
उसे वो सब मिलता है 
जो उसे मिलना चाहिए 
वो उसका हक है !
पर जब भी मैं , किसी 
बेबस , लाचार 
बच्चे को देखती हूँ 
तो उसमें मुझे 
अपने बेटे का 
चेहरा नज़र आता है !
" बाल श्रम " अपराध है 
ऐसा कह देने से,
कानून बन जाने से 
अपराध रुका नहीं 
क्योंकि समाज और देश का 
सिस्टम नहीं बदला 
जब तक सिस्टम नहीं बदलेगा 
गरीबी का जहर 
इस देश इस समाज  में 
फैला ही रहेगा , और 
बचपन 
दम तोड़ता ही रहेगा 

( प्रिये पत्नी गार्गी की कलम से )

धन्यवाद 

7 comments:

  1. सोचने को मजबूर करती है आपकी यह रचना .......गार्गी जी को बधाई।

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  2. इस देश इस समाज में
    फैला ही रहेगा , और
    बचपन

    ...........दम तोड़ता ही रहेगा

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  3. चिन्तनीय स्थितियाँ..

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  4. गरीबी देश के लिए अभिशाप है,विचारनीय प्रस्तुति !!!

    Recent post: तुम्हारा चेहरा ,

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  5. बहुत सुन्दर और सार्थक विचारनीय प्रस्तुति!

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