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Wednesday, August 1, 2012

छीन लो भगवान से उसकी सारी दौलत ....... और फिर .....? ......>>>> संजय कुमार

छीन लो  भगवान से उसकी सारी  दौलत .......... खाली करदो उसके भरे हुए खजाने ........भगवान को क्या जरुरत रूपए - पैसे की ,  माफ़ कीजिये .. ये बात मैं नहीं कह  रहा हूँ ... ये बात हमारे देश की एक बड़ी राजनैतिक पार्टी के मुखिया ने कही है ... ये मशविरा उन्होंने हमारे देश की सरकार को दिया है ! उन्होंने कहा है कि हमें हमारे देश के बड़े मंदिर ट्रस्टों , जिनके पास अरबों - खरबों की दौलत के भण्डार हैं , हमें उनसे उनकी दौलत छीनकर सरकारी खजाने में जमा करा लेनी चाहिए , जिससे इस देश की अर्थव्यवस्था को सुधारा जा सके , ये दौलत देश के विकास में सहायक का काम करेगी ! उनकी ये बात सुनकर मुझे तो बहुत गुस्सा आया  ( भगवान को भी बहुत गुस्सा आया होगा  ) ... मैंने  सोचा कि मंदिरों की इस दौलत से भले ही इस देश की अर्थव्यवस्था ना सुधरे , भले ही देश के विकास में ये दौलत काम ना आये ,  किन्तु इस दौलत से देश के भ्रष्ट नेताओं , मंत्रियों , बेईमान , रिश्वतखोर अफसरों की स्वयं की अर्थव्यवस्था जरुर सुधर जाएगी ! पहले ही इस देश को भ्रष्ट मंत्री इतना लूट चुके हैं , उन्हें ये मालूम है की अब आम जनता के पास तो कुछ बचा नहीं !   अब उनके पास  लूटने के लिए आखिर बचा क्या है  ?  " भगवान की दौलत " जिसे  देखकर भ्रष्टाचारियों के मुंह में पानी सा आ गया है , इतनी दौलत उन्होंने इकट्ठी जो ना कभी देखि , अब सभी भ्रष्टाचारियों की निगाहें उस बेशकीमती धरोहर पर हैं जो पिछले सेकड़ों सालों से मंदिरों के गर्भ में सुरक्षित हैं ! इस  दौलत पर सिर्फ आम जनता का हक है क्योंकि आज बहुत से मंदिरों पर जो करोड़ों का चढ़ावा आता है उसमें बहुत बड़ा योगदान आम जनता का है जो धर्म-आस्था के बशीभूत होकर अपनी मेहनत की कमाई इन  मंदिरों पर दान करते हैं चढ़ाते हैं ना की उन लोगों का जो बेईमानी से कमाई गयी दौलत को मंदिरों पर सिर्फ इसलिए दान करते हैं जिससे की उनके द्वारा किये पाप थोड़े से कम हो जाएँ ! वर्ना  भ्रष्टाचारियों का पेट तो इतना बड़ा है की जिसमें सारे जहाँ की दौलत भी डाल  दी जाए तब भी शायद उनका पेट ना भर सके ......  माननीय नेताजी के सुझाव का मैं समर्थन करता हूँ ....... मैं उनकी सभी बातों का समर्थन करता हूँ ........... किन्तु मैं देश की  सरकार ( यदि ईमानदार )  को एक सुझाव  देना चाहूँगा की मंदिरों की दौलत छीनने से पहले सरकार को उन सभी भ्रष्ट मंत्रियों - संत्रियों , भ्रष्ट आला अधिकारीयों , बाबुओं , डॉक्टरों , इंजीनियर , साधू- संत इत्यादि ..... उन सभी से उनकी दौलत को छीन लेना चाहिए जो खाली हाँथ लेकर आये थे और जिन्होंने घोटाले और भ्रष्टाचार के दम पर अपनी तिजोरियों को भर रखा है , यदि ऐसा होता है तो शायद भगवान् की दौलत को छीनने में किसी को कोई परेशानी नहीं होगी ! सबसे पहले उन्हें विदेशी बैंकों  ( स्विस बैंक ) में  जमा " कालाधन  " ( हराम की कमाई ) को बापस लाना होगा ! यदि ऐसा हो गया ( आने वाले 100 साल तक ऐसा नहीं होगा  ) तो सरकार को मंदिरों में रखी अकूत संपदा को छीनने की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी ! क्योंकि विदेशों में हमारा इतना पैसा जमा है जो 4-5 छोटे-मोटे देशों की अर्थव्यवस्था को ठीक कर सकता है ! लेकिन ऐसा होगा नहीं क्योंकि इस देश में ईमानदार बहुत कम और बेईमान भरे पड़े हैं ! इस देश की दौलत को दीमक की तरह खाने वालों की नज़र अब भगवान की दौलत पर है ! क्या ये दौलत इन लुटेरों से बच पायेगी ................???
मैं तो कहता हूँ कि भगवान् की दौलत छीनने से पहले हमें देश के सभी भ्रष्टाचारियों की दौलत उनसे छीन लेनी  चाहिए ........ और स्विस बैंक जैसा एक ऐसा बैंक बनाना चाहिए जिसमें दौलत जमा तो की जाए पर जिसे कोई कभी भी निकाल ना पाए !


धन्यवाद 

Friday, January 6, 2012

भगवान हो रहा अमीर पे अमीर .....>>> संजय कुमार

अभी दो दिन पहले ही खबर सुनी थी कि, १० दिनों में देश के अमीर मंदिर ट्रस्ट शिर्डी के साईं बाबा पर १४ करोड़ से ज्यादा का चढ़ावा , चढ़ावा गया ! हमारे देश में भले ही गरीबों की संख्या बड़ रही हो किन्तु भगवान हफ्ते दर हफ्ते अमीर और अमीर होता जा रहा है ! इससे पहले भी कर्नाटक की एक दंपत्ति ने शिर्डी के सांईबाबा मंदिर पर १०० किलो चांदी दान में दी थी ! क्योंकि उस दंपत्ति की आस्था साईंबाबा में थी ! क्या आस्था का भी कोई मोल होता है ? क्या यही है सच्ची आस्था ? इस बर्ष तिरुपति बालाजी भगवान पर भी अरबों रुपये दान स्वरुप चढ़ाए गए ! कोई ५ करोड़ का सोना तो कोई करोड़ों रूपए का चैक चढ़ा गया ! यहाँ तो मनुष्यों द्वारा तर्पण किये गए बालों की बिक्री भी करोड़ों में होती है ! आज कल आप जितना ज्यादा चढ़ावा चढ़ाएंगे आपकी आस्था उतनी बड़ी और सच्ची होगी ! हमारे देश के मंदिर दुनिया में सबसे अमीर मदिर ट्रस्ट के रूप में जाने जाते हैं ! हमारे देश के मंदिरों में साल भर में इतना चढ़ावा आता है जितना किसी छोटे मोटे उद्योग की आमदनी होती होगी ! पिछले दिनों तो एक मंदिर अपने तहखानों में मिली अपार संपत्ति के कारण सुर्ख़ियों में रहा ! उस मंदिर में जितना धन मिला है उतना तो आज " अबानी भाइयों " पर भी नहीं है ! भई बहुत खूब आज तो भगवान दिन-प्रतिदिन अमीर होता जा रहा है , और बेचारी जनता दिन-प्रतिदिन गरीब और भूंखी ! देश में और भी मंदिर हैं जहाँ लाखों करोड़ों का चढ़ावा आता है ! आज देश के मदिर ट्रस्ट दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रहे हैं ! देश में आस्था और भक्ति के नाम पर लाखों करोड़ों चढ़ाए जा रहे हैं और दूसरी ओर एक किसान कर्ज के बोझ तले आत्महत्या कर रहा है ! अरे भई करोड़ों का चढ़ावा चढ़ाने वाले आखिर क्यों ना चढ़ाएं , वो पैसा आम जनता की मेहनत और उसके हक का पैसा जो है ! हमारे देश के कई जाने माने मंत्री अपने दोनों हांथो से गरीब का हक धर्म और आस्था के नाम पर लुटाते हैं ! माफ़ कीजिये दान करते हैं ! दान करने में मत्री जी का नाम हो गया और भगवान का मान और महत्व पहले से कहीं ज्यादा बढ गया ! सिर्फ एक बात अच्छी है कि , इन लोगों द्वारा भ्रष्टाचार और घोटाले कर जो संपत्ति अर्जित की गई है उसका कुछ हिसा धर्म के नाम पर बाहर आ जाता है ! दान और चढ़ावे की खबर जब किसी भूखे और गरीब को मालूम चलती है तो इस तरह की खबर सुनकर वो क्या कहता है ! वाह रे भगवान क्या यही है हम लोगों के साथ तेरा न्याय ! " हम भूख और गरीबी से मर रहे हैं , और तेरे कोठर सोना-चांदी से भरे पड़े है " क्या तू भी इंसान हो गया है ? क्या तू भी भूखा है इस दौलत का ? जब तेरे मंदिर में कोई लाखो करोड़ों चढ़ाएगा क्या तभी वह सच्चा भक्त कहलायेगा ? अगर हम बड़ा दान नहीं करेंगे .... तो क्या तू हमारी फरियाद नहीं सुनेगा ?.....................
अक्सर यही सुना हैं कि , सोना-चांदी, रूपए पैसे की भूख और लालच , सिर्फ इंसान को होती है भगवान को नहीं ये बात भी १००% सही है ! इस धन-दौलत के लालच में इंसान अपनी इंसानियत तक भूल चुका है ! आज इंसान इस पैसे के लिए क्या -क्या नहीं कर रहा है ? वो सभी काम जिन्हें देखकर एक बार भगवान भी शर्मसार हो जाये पर आज का इंसान नहीं ! सच कहूँ तो कलियुग के भगवान के रूप में आज सिर्फ पैसा है ! आज भगवान भी इस बात से दुखी है कि , उसका महत्व आज पैसे से आँका जा रहा है ! " भगवान तो सिर्फ अपने भक्तों की सच्ची भक्ति और निश्छल प्रेम का भूखा है " तो फिर क्यों हम आज भगवान को पैसों में तौल रहे है ? क्यों हम भगवान की बोली लगा रहे है ? सच तो ये है भगवान कभी भी रूपए -पैसों का भूखा नहीं होता ! भगवान को एक सच्चा इंसान चाहिए .............. ना की दौलत में तौलने वाला ..........
आज जितना पैसा इन मंदिरों पर चढ़ाया जा रहा है अगर उस पैसे को किसी निर्धन की निर्धनता दूर करने में लगाया जाये तो शायद ईश्वर भी खुश होगा और यह बात भी सार्थक हो जाएगी की निर्धन का सिर्फ भगवान होता है ! अगर यह पैसा बेरोजगारों को रोजगार दिलाने में उपयोग किया जाए तो कितना अच्छा हो ! अगर यह पैसा उन बुजुर्गों की देखभाल पर उपयोग किया जाए जो अपने ही बच्चों द्वारा ठुकराए हुए हैं और आज दर दर की ठोकर खाने को मजबूर हैं ! इस पैसे का उपयोग उन विधवाओं के पुनर्वास पर होना चाहिए , जिनके पति देश की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए हैं ! क्योंकि सरकार तो इनके लिए कभी कुछ करेगी नहीं ! काश भगवान के द्वारा ही ऐसे लोगों का उत्थान हो जाये ! इस धनं का उपयोग उन छोटे छोटे मासूम बच्चों के लिए हो जिनके सिर पर ना माँ-बाप का साया हैं और ना ही उनके सिर पर कोई छत , अगर ऐसा होता है यह देश का भविष्य भटकने से बच जायेगा ! इस धन का उपयोग उन किसानो के लिए हो जो इस देश को बहुत कुछ दे रहे हैं किन्तु फिर भी ऐसी जिंदगी जीने को मजबूर हैं जो नरक से भी बदतर हैं , अगर इस धन का उपयोग इन सब के लिए हो तो भगवान पर चढ़ने वाले इस धन का महत्व और भी बड़ जायेगा ! भगवान भी शायद यही चाहता है कि, उस पर चढ़ने वाला धन किसी की तकलीफ दूर करने के लिए हो ! ......................

भगवान भूखा नहीं है सोना-चांदी, रूपए पैसे का ............... भूखा तो इंसान है और ऐसा भूखा , जिसकी भूख कभी भी नहीं मिटेगी .................भगवान को चाहिए निश्छल प्रेम और सच्ची आस्था !

धन्यवाद

Monday, August 1, 2011

भगवान ने भगवान को पीछे छोड़ा ........>>> संजय कुमार

१ - ५ लाख करोड़ की संपत्ति के साथ भगवान " श्री पद्मनाभ स्वामी " आज पूरे विश्व में प्रथम पायदान पर हैं उन्होंने अपने समकक्ष " भगवान तिरुपति बालाजी " को अभी पिछले दिनों ही संपत्ति के मामले में बहुत पीछे छोड़ा है ! हो सकता है भविष्य में इनसे से भी कोई आगे निकल जाए , ये तो वक़्त ही बताएगा ! इस सूची में और भी अमीर मंदिर ट्रस्ट हैं जो इनके जितने नहीं पर अमीर मंदिर ट्रस्ट की श्रेणी में आते हैं ! " श्री साईं बाबा " वैष्णोदेवी " सिद्धि विनायक " इस तरह के और भी बड़े - बड़े मंदिर आज करोंड़ों की संपत्ति रखते हैं ! अब ऐसा लग रहा है जैसे कि , भगवानों में कोई प्रतिस्पर्धा सी चल रही हो एक दुसरे से आगे निकलने की ! पहले किसी मंदिर की संपत्ति का आंकलन किया जाता है जो करोड़ों-अरबों में होती है , तो कभी किसी मंदिर की दीवारें चांदी की ईंटें उगलने लगती हैं ! खैर अब जो भी पुराने मंदिर बचे हुए हैं उनमें देखते हैं कि , क्या वो भी अपना नाम विश्व स्तर पर रौशन करेंगे ? आज हमारे देश की स्थिती ये है कि , भगवान दिन - प्रतिदिन अमीर और आम जनता , गरीब दिन- प्रतिदिन गरीब होते जा रहे हैं ! आज इनकी सुनने वाला कोई भी नहीं है ना मंदिर में बैठा भगवान और ना मदिर के बाहर ये देश चलाने वाला भगवान ( राजनेता ) हम इंसानों ने तो आज भगवान् को इतना दे दिया है कि, वो आज विश्व स्तर पर अपना नाम कर रहे हैं ! इस देश में अपने आपको भगवान समझने वालों की भी कमी नहीं है ! पहले भगवान की पूजा करते हैं उनके भक्त बनते हैं बाद में स्वयं भगवान बनकर आम जनता को लूटते हैं या आम जनता अपने आप लुटती है इस बात का अनुमान लगाना बड़ा मुश्किल है ! आम जनता से पैसा लूटो और अपनी तिजोरियां भर लो , आज इस देश में यही सब चल रहा है ! जब भगवान के भक्त या आज के भगवान " पुत्तापर्थी श्री सत्य साईं " के शयनकक्ष जब करोड़ों की संपत्ति उगलते हैं तो पता नहीं चलता ये आम जनता का पैसा है या भगवान की माया या फिर भगवान के नाम पर कमाया गया आज के भगवान का पैसा है ! आज देश में " आलोम विलोम " कपाल भांति " कराने वाला ५-६ सालों में १००० करोड़ की संपत्ति का मालिक बन जाता है ! " बाबा " ने भी अपने समकक्ष कई लोगों को पीछे छोड़ दिया है ! आज लगता है भगवान के नाम पर धन्धा करने वालों का कारोबार कुछ ज्यादा ही अच्छा चल रहा है ! वैसे कहा जाय तो ये सब तो छोटे-मोटे भगवान हैं जो एक ही जगह बैठकर एक ही तरीके से पैसा कमा रहे हैं ! इस देश में आज सबसे बड़ा भगवान् तो नेता हैं जो सत्तर लाख करोड़ ७०००००००००००००००००० ( जितनी भी जीरो और लगे लगा लीजिये ) की संपत्ति के साथ आज देश में सर्वश्रेष्ठ और प्रथम स्थान पर हैं ! ( इस देश को किस हद तक लूटा गया है ) क्या वाकई में कोई इनसे भी बड़ा भगवान है ? ये तो आज सब कुछ चला रहे हैं ! समाज , राज्य , देश , संसद , सरकार , फ़ौज , खेल , यहाँ तक की भगवान के घर तक ये सभी यही लोग चला रहे हैं ! आज के ये भगवान आज हर क्षेत्र में अपनी अच्छी और मजबूत पकड़ रखते हैं ! आज इन्होने हर किसी को बहुत पीछे छोड़ दिया है ! क्या कोई भगवान है जो इनको पीछे छोड़ दे ?

अब हमें भी इन्तजार है उस भगवान का जो इन भगवानों को पीछे छोड़ दे ! ( एक छोटी सी बात )

धन्यवाद

Friday, April 8, 2011

मंदिर, मस्जिद में होते पाप और चुप्पी साधे भगवान ....>>> संजय कुमार


धर्म और आस्था का अंतिम और सबसे बड़ा केंद्र भगवान का घर जिसे हम मंदिर ,मस्जिद गुरुद्वारा और चर्च के नाम से जानते हैं ! यहाँ पर इंसान अपनी हजारों ख्वाहिशों की पूर्ती , मनोकामना और आस लेकर आता है और ईश्वर के समक्ष अपनी विनती और प्रार्थना करता है ! इंसान छोटा हो या बड़ा , अमीर हो या गरीब , उच्च जाति का हो या निम्न , भगवान की नजर में सब एक हैं ! हाँ हमने जरुर भगवान को श्रेणी में बदल दिया है ! अमीरों के भगवान् और गरीबों के भगवान् ! ( गरीब तो तभी भगवान के पास जाता है जब वो दुखी बीमार और परेशानियों से त्रस्त होता है , अमीर भी तब जाता है जब उसे भगवान की कभी याद आ जाती है ! खैर जाने देते हैं ! यहाँ जिस विषय पर मैं आपसे बात करना चाहता हूँ उस बात पर आते हैं ! इंसान अपने आप को सिर्फ एक जगह सुरक्षित मानता है और वो जगह है , ईश्वर का द्वार मंदिर और मस्जिद ! किन्तु इस कलियुग में इंसान आज कहीं भी सुरक्षित नहीं है ! ताजा घटना ( ग्वालियर ) की है जहाँ एक कामुक , दुराचारी और इंसानियत के नाम पर कलंक एक व्यक्ति ने एक सात बर्षीय मासूम बालिका के साथ बलात्कार जैसा घिनौना अपराध कर दिया और वो भी एक मस्जिद के अन्दर ले जाकर ! मासूम बच्ची रोती बिलखती रही किन्तु उस वहसी इंसान के हांथों से वह ना बच सकी ! उस मासूम पर उसे दया तक नहीं आई ! यह सब कुछ हुआ ईश्वर के सामने , उस ईश्वर के सामने जिस पर हम आज भी कहीं ना कहीं आस लगाये रहते है ! आज भी ईश्वर चुप्पी साधे बैठा रहा ! यह कोई एक अकेली घटना नहीं है ! इस तरह की घटनाएं अब आम हो गयी हैं फिर चाहे मंदिर हो या मस्जिद , यहाँ पर भी पाप,अत्याचार और दुराचार जैसे इंसानियत को शर्मसार करने वाले कार्य हों रहे हैं ! कुछ दिनों पहले की एक घटना है ! एक 8 बर्षीय बालक प्रतिदिन की तरह मंदिर गया और एक घटना उस बालक के साथ घट गयी , उस मंदिर के अधेड़ पुजारी ने प्रसाद देने के बहाने, मंदिर के समीप बने कमरे में बालक को ले गया और उसके साथ अप्राकृतिक दुष्कृत्य कर डाला ! कहा जाता है इंसान की हवस कुछ नहीं देखती उम्र , रिश्ते -नाते , सम्बन्ध , अपना-पराया , पाप-पुन्य , अच्छा-बुरा यहाँ तक की इंसानों ने जानवरों तक को नहीं छोड़ा ! आज देश में मासूमों की क्या स्थिती है ? यह हम सब जानते हैं देश , शहर , गाँव , क़स्बा , मोहल्ला यहाँ तक की अपने घरों में भी मासूम सुरक्षित नहीं है ! कभी पिता ,चाचा , मामा , काका, बाबा, भाई सबने मिलकर हवस में अंधे होकर इंसानी रिश्तों को तार-तार किया ! जब बच्चे - बच्चियां अपने घर और मंदिर तक में सुरक्षित नहीं है तो फिर कहाँ सुरक्षित है ? धर्म के नाम पर होने वाली अश्लीलता , मंदिर -मस्जिद, गुरुद्वारा - चर्च पर होने वाली लड़कियों और महिलाओं से छेड़छाड़ सब कुछ जघन्य अपराध की श्रेणी में आता है ! इस तरह का अपराध करने वाले को कड़ी से कड़ी सजा होनी चाहिए वो भी बीच चौराहे पर आम जनता के सामने !


क्या मंदिर-मस्जिद में बैठा भगवान उसके घर में होने वाले पाप से हमारी रक्षा करेगा या यूँ ही चुपचाप बैठे देखता रहेगा ?


धन्यवाद

Saturday, March 26, 2011

किसान , किसान नहीं हमारा भगवान् है ......>>> संजय कुमार

बर्षों से हम लोग यही कहते आ रहे हैं , यही सुनते आ रहे हैं, जीवन निकल गया किताबों में पढ़ते-पढ़ते कि, भारत एक कृषि प्रधान देश है ! यह देश किसानों का देश है ! इस देश के किसान भारत की जान हैं , शान हैं, और ना जाने कितनी तरह की बातें करते हैं और सुनते हैं ! किन्तु आज इस देश में जो स्थिति किसानों की है वह किसी से छुपी नहीं है ! गरीब , लाचार , दुखी -पीड़ित और हर तरफ से मजबूर ! आज हम लोग एक बर्ष में ना जाने कितने तरह के दिवस मनाते हैं , हमें खुद को पता नहीं होता ! विश्व भर के समाचार पत्र, टेलीविजन , अखबार भरे पड़े रहते हैं ऐसी ख़बरों से, कहीं इसका जन्मदिन कहीं उसकी पुण्यतिथि, ये घोटाला , वो भ्रष्टाचार , करोड़ों की शादी , अरबों का टैक्स , आरक्षण , मंहगाई , संसद , क्रिकेट , सास-बहु के सीरियल और ना जाने क्या क्या ! हर दिन बस ऐसी ही ख़बरों में दिन निकल जाता जाता है ! पर इस देश में पीड़ितों की सुनने वाला कोई नहीं हैं ! फिर चाहे गरीब , मजबूर और लाचार ही क्यों ना हों , हाँ पीड़ितों और गरीबों का हक खाने वालों की कोई कमी नहीं है हमारे देश में ! हम लोग हर स्थिति से वाकिफ हैं ! शायद हम बहुत कुछ देखना नहीं चाहते या हम सब कहीं ना कहीं सब कुछ जानकर भी अंजान हैं ! देश के लिए, देश के लोगों के लिए कड़ी मेहनत कर अन्न उत्पन्न करने वाला किसान आज अन्न के दाने - दाने तक को मोहताज है ! कुछ राज्यों के किसानों को छोड़ दिया जाए जिनकी स्थिति बहुत अच्छी है ! किन्तु देश में ऐसे किसानों की संख्या बहुत अधिक है जिनकी स्थति बहुत खराब एवं दयनीय है ! आज किसान हर तरफ से दुखी है ! आज का किसान कर्ज में पैदा होता है और कर्ज में ही मर जाता है ! आज कहीं सूखा पड़ने से किसान मर रहा है तो कहीं ज्यादा बारिस किसान को बर्बाद कर रही रही है ! कभी बाढ़ , कभी ओलावृष्टि किसानों को खुदखुशी करने पर मजबूर करती है ! कहीं अत्यधिक कर्ज किसानों की जान ले रहा है ! हम जो जीवन जीते हैं , हम जिस चकाचौंध भरे माहौल में रहते हैं , उस तरह का जीवन जीने की , किसान सिर्फ कल्पना ही कर सकता है ! हमारी सरकार किसानों के लिए कितना कर रही है ! सरकार की ढेर सारी योजनाओं का कितना फायदा किसानों को मिलता है ! ये बात हम सब से छुपी नहीं है ! जहाँ किसान एक -एक पैसे के लिए दर दर भटक रहा है, वहीँ इस देश में कुछ नेता अपनी प्रतिमा लगवाने में पैसे का दुरूपयोग कर रहे हैं ! गरीब किसानों के समक्ष करोड़ों की मालाएं मुख्यमंत्री को भेंट स्वरुप दी जाती हैं और दूसरी तरफ गरीबी से तंग आकर किसान आत्महत्या कर रहा है ! कहीं कोई नेता सिर्फ नाम के लिए अरबों रूपए शादी के नाम पर खर्च कर रहा है ! कहीं कोई भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रहा है तो कोई कालाधन बापस लाने के लिए सरकार पर दबाव डाल रहा है ! सिर्फ एक दुसरे की टांग खिचाई में ही लगे हुए हैं ! तो कहीं मंहगाई से आम आदमी का जीना दुशवार हो गया है ! एक तरफ देश के कई मंत्री मंहगाई भत्ता , और अपने फायदे केलिए कितने तरह के विधेयक संसद में पास करवा लेते हैं ! इसके बिपरीत किसान अपनी फसलों का उचित मूल्य भी नहीं प्राप्त कर पाते पाते, उन्हें अपनी फसलों के उचित मूल्य के लिए भी सरकार के सामने अपनी एडियाँ तक रगढ़नी पड़ती हैं ! वहीँ राजनेता मंहगाई बढ़ा - चढ़ा कर अपनी तिजोरियां भर रहे हैं और इसका जिम्मेदार किसान को ठहराते हैं ! इतनी दयनीय स्थिति होने के बावजूद हमारी सरकार कहती हैं कि, आज का किसान खुश है ! जब हम लोग अच्छा कार्य करने पर और लोगों को पुरुष्कृत करते हैं , तो फिर जो किसान हर दिन - रात , सर्दी - गर्मी , कड़ी धुप में मेहनत करके हम सभी की जरूरत को पूरा करते हैं तो हम उनको पुरुष्कृत क्यों नहीं करते ? हम उनके लिए क्या करते हैं ? सच तो ये है जब सरकार और सरकार के अन्य संगठन किसानों के लिए कुछ नहीं कर पा रहे है तो हम भी क्या कर सकते हैं ? हमें " शास्त्री जी " का यह नारा बदल देना चाहिए " जय जवान - जय किसान " आज हम जवानों की जय तो करते हैं किन्तु किसानों की जय नहीं , क्योंकि आज किसानों की जय नहीं पराजय हो रही है ! इस देश में आज सब कुछ चल रहा है किन्तु किसान नहीं .............

खुद भूखा रहकर हम लोगों की भूख मिटाने वाला किसान , किसान नहीं हमारा भगवान है ! किसानों को भी एक अच्छी जिंदगी जीने का हक है ! देश के समस्त किसानों को मेरा शत - शत नमन !

धन्यवाद