Saturday, May 29, 2010

भूंख, कभी ना शांत होने बाली.....>>>>> संजय कुमार

भूंख ! यह जरूरी नहीं की इन्सान को भूंख, सिर्फ पेट की भूंख को पूरा भरने के लिए लगती हो ! रोटी की भूंख तो इन्सान कैसे न कैसे मिटा ही लेता है ! लेकिन एक भूंख ऐसी है ! जिससे इन्सान का पेट कभी भी नहीं भरता , और वह भूंख है सफलता की भूंख ! सफलता पाने की भूंख एक ऐसी भूंख है जो कभी खत्म नहीं होती ! मैं कहता हूँ यह भूंख कभी खत्म होनी भी नहीं चाहिए ! जब तक आप सफलता न हासिल कर लें ! भूंख अच्छी है, अगर उसका उद्देश्य किसी अच्छे लक्ष्य को पाने के लिए हो ! अगर भूंख ऐसी हो जिसका लक्ष्य सफलता पाना हो, लेकिन गलत तरीके से , तो भूंख बुरी है ! इस भूंख का कोई अंत नहीं है ! और ना कभी होगा ! जैसे जैसे समय बढता जा रहा है ! जैसे जैसे आधुनिकता का चोला हम सब को अपनी गिरफ्त मैं ले रहा है , बैसे बैसे सफलता पाने का लक्ष्य भी बदलता जा रहा है ! आज का इंसान सफलता पाने के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा देता है ! और उसके बाद भी उसकी भूंख शांत नहीं होती ! भूंख यदि ऐसी हो जिसमे आपका लक्ष्य अच्छी सफलता पाना हो तो आपके लिए अच्छा है ! आपका समाज आपके चाहने बाले , आपके अपने आपके साथ होंतो बहुत अच्छा लगता है किसी भी सफल इन्सान को ! तब जाकर हम कह सकते हैं की आप एक सफल इन्सान है ! और आपने आज असली सफलता पा ली है ! आप एक श्रेष्ठ नागरिक कहलाने का हक और अधिकार रखते हैं !

आज जिसे देखो अपनी भूंख शांत करने के लिए सारी हदें पार कर रहा है ! फिर चाहे देश का युवा हो जो अपने को सफल बनाने के लिए और सफलता पाने के लिए किसी भी हद से गुजर रहा है ! हमारे देश की अभिनेत्रियाँ जो सफलता पाने के लिए कुछ भी कर गुजरने के लिए तैयार रहतीं हैं ! फिर चाहे पैसों के लिए या फिर और ज्यादा सफलता के लिए छोड़ दें सारी शर्मो-हया ! आज की अभिनेत्रियाँ जिस हद से गुजर रहीं हैं ! हमें भविष्य दिख रहा है ! की हम आगे अपने परिवार के साथ बैठकर कभी कोई फिल्म या टी व्ही सीरियल देख पायें ! क्योंकि इनकी भूंख ऐसी है जो मरते दम तक खत्म नहीं होगी ! भूंख, हमारी भटकती युवा पीड़ी की जो जल्द से जल्द सफलता पाने के लिए कोई भी घ्रणित कार्य करने से नहीं चूकती ! हमारे देश के नेताओं की कुर्सी पाने की भूंख ! इनकी भूंख ऐसी है जो शायद कभी नहीं मिटेगी ! और इनकी भूंख मैं ना जाने कितने बेक़सूर लोगों की जिंदगी उनका साथ छोड़ देंगी ! भूंख हमारे आज के साधू-संतों की जो जल्द से जल्द अपने आपको भगवान् का दर्जा दिलवाना चाहते हैं ! और इस भूंख को शांत करने के लिए ! आज देश मैं कर रहे हैं धर्म को बदनाम ! और इंसानियत को शर्मशार !

भूंख होना चाहिए ! सचिन तेदुलकर के जैसी जो आज भी भूँखा है रनों का जो देश की विजय मैं काम आयें ! भूंख होना चाहिए ऐसी सफलता पाने के लिए जो छोटी सी उम्र मैं हिमालय की चोटी पर पहुंचा दे ! अगर भूंख अपने देश की मान-मर्यादाएं बचाने के लिए हों तो अच्छा है ! भूंख, देश मैं फैले भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए हो तो अच्छा है ! हिन्दू-मुस्लिम के बीच की खाई को पाटने के लिए हो तो अच्छा है !

भूंख अगर अच्छे के लिए है तो अच्छा ............अगर गलत के लिए हो तो, बहुत बुरी ............................

धन्यवाद

5 comments:

  1. सुन्दर आलेख
    अच्छे के लिये भूख बढ़ती जाये

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  2. ...प्रसंशनीय अभिव्यक्ति !!!

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  3. सुन्दर चिंतन.. बस भूंख को भूख और बैसे को वैसे कर लें संजय जी...

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  4. वैसे ये भी कहते हैं कि- 'गो धन, गज धन, बाज़ धन और रतन धन खान. जब आवे संतोष धन सब धन धूलि समान..'

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