Wednesday, May 5, 2010

कहाँ है, बो संजीवनी बूटी ......>>> संजय कुमार

संजीवनी बूटी का नाम ध्यान मैं आते ही हमें रामायण की याद आती है ! और ध्यान मैं आता है की, किसतरह बजरंगबली ने युद्ध के दौरान मूर्छित लक्ष्मण के प्राण संजीवनी बूटी द्वारा बचाए थे ! और आज तक हम उस संजीवनी बूटी के महत्व को जानते हैं ! और जान गए आयुर्वेद के गुण ! जी हाँ मैं उस देशी नुस्खे की बात कर रहा हूँ जो हम सब भूल चुके हैं , और भूल चुके हैं उनकी तासीर !

आयुर्वेद औषधियां हमारे देश मैं पिछले कई युगों से चली आरहीं हैं ! हम सब आज भी इनकी महत्ता को जानते हैं , पर यह सब आज हमारे द्रश्य पटल से पूरी तरह ओझल हो गयी हैं ! जैसे जैसे समय गुजरता गया धीरे धीरे अंग्रेजी दवाओं ने अपना घर बना लिया ! और पूरी तरह हो गए इन पर निर्भर ! पूर्व मैं जो लोग देशी दवाओं और जड़ी बूटी का उपयोग अपनी बीमारी मैं करते थे वह जल्द ही निरोगी और पूरी तरह स्वस्थ्य हो जाते थे ! और बीमारी जड़ से तक खत्म हो जाती थी ! और इन्सान जीता था लम्बी आयु ! आज के दूषित वातावरण मैं इन्सान को शुद्ध ओक्सिजन तो मिलती नहीं , मिलती है तो दूषित और इन्सान को बीमार करने बाली वायु! और उस पर अंग्रेजी दवाओं का उपयोग ! इन्सान ने अपने आप को इन दवाओं का इतना आदि बना लिया है कि इन्सान कभी कभी बिना बात के भी दवा खाता रहता है ! इन्सान को लगता है कि वह निरोगी होरहा है ! पर वास्तविकता यह होती है , कि इन्सान कुछ क्षण को ठीक होता है पर पूरी तरह से नहीं ! और इन्सान आदि हो जाता है इन दवाओं का ! या इन्सान अपने आपको इतना मजबूर बना देता है यह दवा लेने के लिए ! थोड़ी सी सर्दी तो दवा , थोड़ी सी गर्मी तो दवा , थोडा सर दर्द , थोड़ी कमजोरी , थोडा बुखार , हर बात मैं अपने घर मैं रखा हुआ बीमारियों भरा दवा का डिब्बा उठाया और मिल गया आराम ! आज के भागदौड भरे जीवन मैं व्यक्ति कि शारीरिक रूप से लड़ने कि क्षमताएं इतनी कम हो गयी हैं ! कि उसे आराम करने तक को अंग्रेजी दवाओं का प्रयोग करना पड़ता है ! और अब तो स्थिति इतनी ख़राब हो गई है ! कि इन्सान जरूरत से ज्यादा थकने के बाबजूद आज नींद कि गोलियां खा रहा है ! और आदि हो रहा है इस जहर का जो इन्सान को अन्दर ही अंदर खोखला कर रहा है ! और अब इस जहर कि लत हमारी युवा पीड़ी को लग चुकी है ! शरीर को स्वस्थ्य रखने के सारे देशी नियम भूल गए हैं ! माफ़ करना देशी नियम कभी अपनाए ही नहीं तो ध्यान कहाँ रखेंगे !
अगर हम रोज रोज होने बाली छोटी मोटी बीमारियों मैं अंग्रेजी दवाओं का उपयोग बंद कर अगर अपने देशी नुस्खे और आयुर्वेद औषधियों का प्रयोग करें तो हम जल्द जल्द यों बीमार नहीं पड़ेंगे और हमारे अंदर वह ताक़त आएगी जो इन बीमारियों से लड़ने मैं हमारी मदद करेगी ! हिंदुस्तान मैं हजारों लाखों प्रकार कि जड़ी बूटियाँ हैं जिनमे ताक़त है हर बीमारी से लड़ने कि ! जिनके उपयोग से इन्सान लम्बी आयु तक निरोगी जीवन व्यतीत करता है !

आज अंग्रेजी दवाओं से इतना घिर गए हैं हम सब , कि छोटी मोटी बीमारियों को सही करने के लिए हम दुनिया भर मैं विचरण करते रहते हैं ! और उसका पक्का इलाज हमारे अपने पास होता है ! और बो है हमारा आयुर्वेद ! आज जिस आयुर्वेद को जानने और उसका पूरा लाभ लेने विदेशों से लोग आते हैं ! और हम भाग रहे हैं उन्ही से !
सच हैं आज आज अंग्रेजी दवाओं के बीच मैं हम बस यही सोचते हैं कि ...................कहाँ है बो संजीवनी बूटी ...........

धन्यवाद

7 comments:

  1. विचारणीय कथ्य संजय जी। आपके विचार अच्छे लगे।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com

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  2. आयुर्वेद औषधियों का प्रयोग करें तो हम जल्द जल्द यों बीमार नहीं पड़ेंगे और हमारे अंदर वह ताक़त आएगी जो इन बीमारियों से लड़ने मैं हमारी मदद करेगी !
    बहुत सही बात.

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  3. aayurved ka itna prasaar ho raha hai ki videshi companiyan bhaybheet hain...isiliye jab dekho tab aayurved davaon pe sawaal uthaye jaate hain...

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  4. सचमुच कहाँ है ?

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  5. http://charchamanch.blogspot.com/2010/05/blog-post_06.html
    yahan bhi dekhen..

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