Saturday, May 1, 2010

क्या होता है मजदूर दिवस.......>>>> संजय कुमार


आज है मजदूर दिवस, महारास्ट्र डे या मई दिवस , जिसे आज हिंदुस्तान मैं मनाया जा रहा है ! पर कौन है जो मजदूर दिवस मना रहा है ! क्या मजदूर , जी नहीं, यह दिवस तो मना रहे हैं हमारे देश के महान खादीधारी नेता ! वह भी वातानुकूलित कमरों मैं बैठकर ! और मजदूर लगा हुआ है , दो जून की रोटी कमाने मैं ! जिससे उसका परिवार दो वक़्त का खाना खा सके !भीषण गर्मी हो या सर्दी या बरसात निरंतर परिश्रम करने बाला यह इन्सान जिसे हम मजदूर के नाम से जानते हैं ! यह बात आप सभी जानते हैं कि इन दिवस पर क्या होता है , क्या होरहा है और आगे भी क्या होगा ! नेताजी सुबह सुबह एक भाषण देंगे कि आज का मजदूर जिन्दावाद , हम हमेशा से अपने मजदूर भाइयों के साथ हूँ ! बगैरह बगैरह ................ और भोला भाला मजदूर खुश कि जिस नेता कि जयजयकार हम जिंदगी भर करते हैं , आज हमारी कर रहा जयजयकार ........................
आज हिंदुस्तान के ९०% से ज्यादा मजदूरों को तो यह तक नहीं मालूम, कि ये मजदूर दिवस होता क्या है ! और इस दिन होता क्या है ! मजदूर ये कहता है कि, आज तो हम होली, दिवाली और ईद भी ठीक ढंग से नहीं मना पाते तो ये मजदूर दिवस कैसे मनाते हैं! हमारा जन्म तो गरीवी मैं हुआ है , और एक दिन मजदूरी करते करते दम तोड़ देंगे !
जैसा कि हम सबको यह मालूम हैं , कि कठोर परिश्रम के लिए जैसे हम जानवरों मैं बैल को जानते हैं ! ठीक बैसे ही इंसानों मैं सच्चे कठोर परिश्रम के लिए इन मजदूरों को जानते और मानते हैं ! लेकिन आज का मजदूर जीवन भर कठोर परिश्रम करके अपने परिवार को सिर्फ रोटी के अलावा और कुछ नहीं दे पाता !अगर आज हिंदुस्तान मैं किसी मजदूर का बेटा या बेटी कलेक्टर या कोई बड़ा अधिकारी है तो वह आज एक अपवाद हैं ! आज हमारे देश मैं मजदूरों कि स्थिति किसी से छुपी नहीं हैं , मजदूर किस तरह अपने को बेचकर किसी कारखाने मैं अपनी पूरी जिंदगी निकाल देता है ! किस वदहाली मैं आज का मजदूर जी रहा है ! यह सब जानते हुए भी हम कुछ नहीं कर सकते ! सरकार ने तो आज तक सिर्फ मजदूरों के नाम पर सेकड़ों योजनायें चलायी हैं ! जो सिर्फ कागजों पर सिमट कर रह गयीं हैं ! सारी योजनायें सिर्फ अधिकारीयों की जेबें भरने के लिए बनायीं जाती हैं ! क्या हैं मजदूरी के नियम कायदे, क्या हैं उनका हक, क्या हैं उनके अधिकार , जब एक आम पड़े लिखे इन्सान को अपने हक और अधिकारों कि जानकारी नहीं है तो फिर अनपढ़ और भोले भले मजदूरों को कहाँ मालूम उसके अधिकार ! वह सिर्फ बैलों कि तरह काम करना जानता है ! आज जिसे देखो इन मजदूरों का ही दोहन कर रहा है ! मजदूर कि शिक्षा, घर, दवा, और ना जाने कितनी योजनाओं का पैसा मजदूर को मिलना चाहिए लेकिन वह पैसा उन योजनाओं मैं शामिल अधिकारी नेता और ठेकेदार अपने घर, अपने बच्चों कि अच्छी शिक्षा और अपने ऐशोआराम पर खर्च कर रहे हैं ! और मजदूर रह जाता है जन्म से लेकर म्रत्यु तक सिर्फ मजदूर ! पूरे जीवन मैं मजदूर ना तो अपना कभी मनोरंजन कर पाता है ना अपने बच्चों के सपने पूरे ! क्योंकि उनको आज तक उनकी महनत का कभी पूरा पैसा मिलता ही नहीं ! जहाँ एक एक ईंट के साथ महनत करके ऊंचे ऊंचे महल बनाता है , वहीँ अपनी पूरी जिंदगी निकाल देता है , टूटे फूटे झोंपड़ों मैं ! जहाँ पल पल पर उसके योगदान कि जरूरत पड़ती हैं ! वहीँ पल पल पर तिल तिल मरते वह अपनी जिंदगी निकाल देता हैं ! बिना दवा और बिना किसी की मदद के ! क्या कभी कोई ऐसा दिन इन मजदूरों की जिंदगी मैं आएगा जब यह अपने आपको एक खुशहाल मजदूर कहेंगे और फक्र महसूस करेंगे ! इंतजार है ऐसे सच्चे मजदूर दिवस का जो सिर्फ और मजदूर के लिए हो !

कठोर परिश्रम करने बाले मजदूर की हम लोगों को जयजयकार करनी चाहिए ना की उनका हक खाने बाले खादीधारी नेताओं की ........... दीजिये उनको मजदूर दिवस पर उनका मान सम्मान , तभी कहलायेगा सच्चा मजदूर दिवस !

धन्यवाद

3 comments:

  1. bahut bahut bahut hi uttam lekh laga aaj ka..
    sach kaha majdooron ki sunne wala hai hi kaun?

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  2. bahut hi sateek baat aapne likhi hai... such padhkar aisa laga jaise ye mere man sada rahti hai..... Kash majdoron ko majboor banane wale samjh paate yah sab baaten to aaj hamare desh mein majdoron ke nirantar bigadti dasha mein kuch sudhar hota aur ham garv mahsus kar paate...
    Saarthak chintan aur lekhan ke liye bahut shubhkamnayne..

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  3. दीजिये उनको मजदूर दिवस पर उनका मान सम्मान , तभी कहलायेगा सच्चा मजदूर दिवस !

    -बिल्कुल सही कहा!!

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