Friday, May 7, 2010

मैं भी हूँ आपके काम का......समझें मेरा महत्त्व ....>>> संजय कुमार


मैं कहीं भी आ सकता हूँ , मैं कभी भी आ सकता हूँ , नहीं देखता सुबह, नहीं देखता शाम ! नहीं देखता ख़ुशी और ना ही गम ! ना दिन और ना रात ! ना मैं हिन्दू हूँ और ना ही मुस्लमान , ये जातिधर्म क्या होते हैं ! नहीं बाँध सकता मुझे कोई इन बन्धनों मैं ! अपनों के पास भी जाता हूँ और अपने दुश्मनों के पास भी ! मैं एक जगह से विश्व मैं कहीं भी जा सकता हूँ ! मैं हूँ आज सबके काम का ! आज मेरे बिना नहीं चल पाता कोई ! कोई मुझे पसंद करता है, तो कोई नापसंद ! प्रेमी प्रेमिकाओं मैं आज मेरी बहुत इज्जत है ! वो एक दुसरे से ज्यादा मुझे प्यार करते हैं ! तो हूँ ना मैं सबसे प्यारा ! अरे भई पहचाना या नहीं! कोई बात नहीं चलो मैं ही बता देता हूँ अपने बारे मैं ! मैं हूँ आपका प्यारा सन्देश वाहक आपके मोबाइल का एक छोटा सा सन्देश जिसे आप सब आधुनिक भाषा मैं Mobile Message के नाम से जानते हैं !अब बताओ , हूँ ना मैं आप सबके काम का !

आप लोग थोडा सा पीछे आइये या यूँ कहें अपने भूत काल मैं ! जब कोई मुझे कहीं भेजता था तो पहले बहुत समय लगता था ! मुझे भेजने के तरीके भी अलग थे जैसे घोड़ों पर बैठकर संदेशवाहक मुझे ले जाता था ! कहीं कहीं कबूतर का उपयोग किया जाता था ! जैसे जैसे समय बदला मेरी भी पहचान बदल गई ! पोस्टकार्ड , अंतर्देशीय और तुरंत सन्देश पहुँचाने के लिए " तार " का उपयोग ! पर इन सब मैं समय बहुत लगता था ! पता चला जिस बात के लिए मुझे भेजा जा रहा है ! बो बात तो मेरे पहुँचने से पहले ही हो गयी ! फिर मैं किस काम का ! पर अब मैं पूरी तरह से बदल गया हूँ ! जब से यह आधुनिक समय का छोटा सा पिटारा आया है ! मैं बहुत खुश हूँ ! अब मैं हर जगह समय पर पहुँच जाता हूँ और लोगों का काम आसान कर देता हूँ ! चाहे किसी को जन्मदिन की बधाई देनी हो या शादी की सालगिरह की ! काम की बातें हो या लैला मंजनूं की शायरी सब कुछ चंद सेकंडों मैं ! आज मैं हर इन्सान के लिए उपयोगी हूँ ! आज मैं बहुत खुश होता हूँ जब मेरा उपयोग करने से आम लोग खुश होते हैं !

जैसे जैसे मेरा उपयोग बड़ा मेरा महत्त्व बड़ा , तब से मेरा उपयोग करने से कुछ लोग दुखी हो गए हैं ! कारण हैं यह आज की ये कम्पनियां मुझे जब देखो जहाँ देखो बेवक्त भेज देती हैं ! जिससे आमजन अब त्रस्त हो गए हैं !और पड़ने लगती मैं मुझे बिन बात गालियाँ ! मैं क्या करूँ अब समझ मैं नहीं आता ! अब मेरा उपयोग सिर्फ लोगों को अपने जाल मैं फंसाने के लिए किया जाता हैं ! (कंपनी द्वारा बार बार बिन बात के जो मैसेज आते हैं ) मैं तो बार जाकर जब इतना थक जाता हूँ तो इन्सान का क्या हाल होता होगा जो दिन भर मुझे झेलता है ......................

धन्यवाद

4 comments:

  1. संदेश-प्रेषण की विकास यात्रा - खूब कही आपने।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com

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  2. क्या बात है
    क्या अन्दाज़ है
    सुमन जी से सहमत

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  3. Ha Ha Ha .. Kamaal hi kar diya sahab... :)

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