दो दिन पहले खबर सुनी कि कर्नाटक की एक दंपत्ति ने शिर्डी के सांईबाबा मंदिर पर १०० किलो चांदी दान मैं दे दी ! क्योंकि उस दंपत्ति की आस्था साईंबाबा मैं थी ! क्या आस्था का भी कोई मोल होता है ! क्या यही है सच्ची आस्था ! तिरुपति बालाजी पर चढ़ गया ५ करोड़ का सोना और करोड़ों रूपए ! आज कल जो जितना ज्यादा चढ़ावा चढ़ाएंगे उनकी आस्था उतनी सच्ची होगी ! अब यह भगवान् और ट्रस्ट दिन बा दिन अमीर होते जा रहे हैं ! दुनिया मैं सबसे अमीर मदिर ट्रस्ट, भगवान तिरुपति बालाजी ! इस मंदिर मैं साल भर मैं इतना चढ़ावा आता है जितना किसी छोटे मोटे उद्योग की आमदनी ! भई बहुत खूब आज भगवान दिन बा दिन अमीर होता जा रहा है ! और बेचारी जनता दिन बा दिन गरीब और भूंखी ! इसी तरह और भी मंदिर हैं जहाँ लाखों करोड़ों का चढ़ावा आता है ! माँ-वैष्णों देवी जैसे और भी बहुत मंदिर हैं जो दिन दूनी रात चौगनी तरक्की कर रहे हैं ! जहाँ आस्था और भक्ति के नाम पर लाखों करोड़ों चढ़ाए जा रहे हैं ! अरे भई चढ़ाएं भी क्यों नहीं ! जनता की महनत की कमाई जो है ! हमारे कई जाने माने मंत्री अपने दोनों हांथो से जो लुटाते हैं ! माफ़ कीजिये दान करते हैं ! मत्री जी का नाम हो गया और भगवान का मान और महत्व पहले से ज्यादा बढ गया ! जो लोग नहीं जानते थे वह भी जान गए मंदिर के महत्व और उसकी शक्ति को ! जब एक भूँखा और गरीब इस तरह की खबर सुनता है !तो क्या कहता है , वाह रे भगवान क्या यही है हम लोगों के साथ तेरा न्याय ! हम भूख और गरीबी से मर रहे हैं , और तेरे कोठर सोना-चांदी से भरे पड़े है ! क्या तू भी इन्सान हो गया ! क्या तू भी भूँखा है इस दौलत का ! जब तेरे मंदिर मैं कोई लाखो करोड़ों चढ़ाएगा तभी वह और सच्चा भक्त कहलायेगा ! अगर हम बड़ा दान नहीं करेंगे .... तो क्या तू हमारी फरियाद नहीं सुनेगा .....................
कहते हैं सोना चांदी, रूपए पैसे की भूंख और लालच , सिर्फ इन्सान को होती है भगवान् को नहीं ! बात भी सही है! आज इंसान अपनी इंसानियत तक भूल चुका है इस धन-दौलत के लालच मैं ! आज इन्सान इस पैसे के लिए क्या नहीं कर रहा है ! वह सारे काम जिन्हें देखकर एक बार भगवान भी शर्मशार हो जाये पर यह इन्सान नहीं होता ! इतनी ताक़त है इस आज के या यूँ कहें कलियुग के भगवान मैं ! लेकिन आज सबसे ज्यादा भगवान इसी बात से दुखी है ! की मेरा महत्व आज पैसे से आँका जा रहा है ! मैं तो सिर्फ अपने भक्तों की भक्ति और निश्छल प्रेम का भूँखा हूँ ! तो फिर क्यों मुझे आज का इन्सान पैसों मैं तौल रहा है ! क्यों मेरी बोली लगा रहा है ! कौन सबसे बड़ा भक्त है मेरा ! कौन सबसे ज्यादा चढ़ावा चढ़ाता है ! बात भी सही है ! भगवान कभी भी पैसों का भूँखा नहीं होता ! होता हैं तो सिर्फ प्रेम का भूँखा ! भगवान् को एक सच्चा इन्सान चाहिए ..............ना की दौलत से तौलने बाला ..........
आज जितना पैसा इन मंदिरों पर चढ़ाया जा रहा है ! अगर उस पैसे को किसी निर्धन की निर्धनता दूर करने मैं लगाया जाये तो ईश्वर भी खुश होगा ! और यह बात भी सार्थक हो जाएगी की निर्धन का भगवान् होता है ! अगर यह पैसा बेरोजगारों को रोजगार दिलाने मैं उपयोग किया जाए तो कितना अच्छा हो ! अगर यह पैसा उन बुजुर्गों की देखभाल पर उपयोग किया जाए जो अपने ही बच्चों द्वारा ठुकराए हुए हैं ! और आज दर दर की ठोकर खाने को मजबूर हैं ! इस पैसे का उपयोग उन विधवाओं के पुनर्वास पर होना चाहिए , जिनके पति देश की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए ! क्योंकि सरकार तो इनके लिए कुछ करेगी नहीं ! काश भगवान् के द्वारा ही इनका उत्थान हो जाये ! इस धनं का उपयोग उन छोटे छोटे मासूम बच्चों पर हो ! जिनके सर पर ना माँ-बाप का साया हैं और ना ही उनके सर पर कोई छत ! जिससे यह देश का भविष्य भटकने से बच जाए ! इस धन का उपयोग उन किसानो के लिए हो जो इस देश को बहुत कुछ दे रहे हैं ! फिर भी ऐसी जिंदगी जीने को मजबूर हैं जो नरक से भी बदतर हैं ! अगर इस धन का उपयोग इन सब के लिए हो तो भगवान् पर चढ़ने बाले इस धन का महत्व और बढ़ जायेगा ! और भगवान् भी यही चाहता है ! मुझ पर चढ़ने बाला धन किसी की तकलीफ दूर करने के लिए हो ! ......................लेकिन आज का इन्सान भगवान् की सुनता कहाँ हैं ............आज भगवान् की चलती किसके सामने .............भगवान् भी आज की यह स्थिति देखकर बहुत दुखी
भगवान् नहीं है भूँखा सोना-चांदी, और रूपए पैसे का ...............भूँखा है तो इन्सान और ऐसा भूँखा जिसकी भूंख कभी नहीं मिटेगी .................भगवान् को चाहिए निश्छल प्रेम और सच्ची आस्था ............
धन्यवाद
ऐसे लोग ऐसा दान भगवान को भी अपमानित करने का काम करता है / क्योकि ऐसे लोगों का धन पाप और किसी गरीब का खून चूसा हुआ ही होता है / साईं बाबा को धन की नहीं बल्कि श्रधा की जरूरत है / धन तो दिन दुखियों को दिया जाना चाहिए /
ReplyDeletenice
ReplyDeleteसच कहा संजय जी.. इतने पैसे से यदि किसी सच्चे जरूरतमंद की मदद की जाये तो नर की सेवा से नारायण भी खुश होंगे.. सार्थक लेखन के लिए फिर से बधाई के पात्र हैं आप.
ReplyDeleteसटीक लेख...जागरूक करने वाला....ईश्वर को पाना है तो स्वयं का मंथन करो...वो परम शक्ति स्वयं के अंदर है
ReplyDelete..........भगवान् को चाहिए निश्छल प्रेम और सच्ची आस्था ............
ReplyDelete....प्रभावशाली व प्रसंशनीय भाव !!!
भगवान् नहीं है भूँखा सोना-चांदी, और रूपए पैसे का .....
ReplyDeleteसंजय जी आपकी पोस्ट सामाजिक चेतना को झकझोरती हुई होती है. बहुत सार्थक लेखन
आज का सत्य तो ये ही है बहुत अच्छा लिखा है आपने पर कोई सोचे तब तो भगवान् को चढावा चढ़ा कर
ReplyDeleteदो गुने चार गुने मागंता है इंसान भगवान् क्या शेएर बाज़ार है जहां निवेश किया जाता है ? पर कोई जरूरतमंद की मदद कोई नहीं करता ये ही सत्य है आज का