Friday, April 9, 2010
अब, हर इक घर है मेरी मुट्ठी मैं .........>>>> संजय कुमार
कहते हैं कि हिंदुस्तान वह जगह है , जहाँ हर इक घर मैं कुछ ना कुछ विशेषताएं होती हैं ! चाहे वह घर अपने मान-सम्मान के लिए , परंपरा , या संस्कारों के लिए जाना जाता हो ! हर घर कुछ कहता है ! यह बात हम जब सुनते हैं ! तो अपने आप मैं फक्र सा महसूस करते हैं ! अपने घर परिवार मैं माता-पिता का सम्मान हो या बड़े भाई बहनों का आदर या छोटों से प्यार या अपने पडोसी से अच्छे सम्वंध सब कुछ होता है तो मन प्रसन्न रहता है ! और हम सब अच्छे सुख समृधि कि कामना करते हैं ! ऐसा ऐक वक़्त था , जब यह सारी चीजें हम लोगों के पास थी ! पर अब यह सब कुछ अब हर घर मैं देखने को नहीं मिलता ! माता-पिता का सम्मान कहीं खो गया, भूल गए बड़ों का आदर करना , और छोटों से प्यार , आज के पड़ोसी तो किसी दुश्मन कि तरह लगते हैं ! सब कुछ बदल गया ! अब नहीं रहीं वो परंपरा ! मिटती जा रही धीरे धीरे ! ऐसा लगता है जैसे हम किसी कि मुट्ठी मैं बंद हो गए हों ! और हमारी सोच बदल दी हो ! जी हाँ यह सच है ! हम सब आधुनिकता के गुलाम हो गए हैं ! मैं यहाँ बात कर रहा हूँ ! हर घर मैं घर चुके टी व्ही कि और आज आने बाले डेली सोप प्रोग्राम और सीरियल कि ! जिन्होंने हमारे दिमाग के साथ साथ हमारे घरों पर किसी दुश्मन कि तरह कब्ज़ा कर लिया है ! आज हर घर मैं ! आने बाले सीरियल कि ही चर्चा रहती है ! चाहे घर मैं माँ हो या पिताजी , भाई या भाभी , बहन या हमारे बच्चे! सब पर इन सीरियल का दबदबा देखा जा सकता है ! आज इनको देखकर हमारे घरों कि दिनचर्या या उनके वयवहार मैं कितना परिवर्तन आ गया है ! यह हम सब देख रहे हैं ! हम आज तो पूरी तरह इन पर निर्भर से हो गए हैं ! यदि ऐक दिन अगर कहीं हम यह देखने से चूक जाएँ तो फिर आप देखिये स्थिति जो तड़प ऐक प्यासे कि पानी के लिए होती है उससे कहीं ज्यादा और ना बुझने बाली तड़प देख सकते हैं ! यह सब आज कि आधुनिकता का ही नतीजा है और दिन बा दिन बड़ते टी व्ही चैनलों कि बाढ़ !और कुछ नहीं ! जितने ज्यादा चैनल उतने ज्यादा प्रोग्राम ! हम तो अब इनके किरदारों मैं अपने लोगों तक को देखने लगे हैं अपनों कि तुलना अपने घर कि तुलना इनसे कर ने लगे हैं ! सब कुछ बदल गया है ! अब नहीं रहे अपने घर पहले जैसे ! हर घर अब है इनकी गिरफ्त मैं ! यह सब कुछ हुआ है पिछले पंद्रह सालों मैं ! जरा याद कीजिये उस वक़्त को जब हम सब अपने परिवार के साथ बैठकर रामायण और महाभारत जैसे संस्कार देने बाले सीरियल देखते थे तो सब कुछ अच्छा लगता था ! हम सब नियमित रूप से हर काम करते थे ! तब यह टी व्ही हमें अच्छा लगता था पर अब नहीं ! क्योंकि आज बहुत कुछ गलत दिखाया जा रहा है ! आज बहुत से घर परिवार इन सीरियल के कारण बर्बाद हो रहे हैं ! फिर चाहे रोज बढता सास बहु का झगडा , देवरानी जिठानी कि तू-तू मैं- मैं सब कुछ इसके कारण ही है !
यहाँ पर मैंने बहुत सारी बुराई लिख दी हैं ! पर हर बुरी चीज के साथ अच्छी चीज भी जुडी होती है ! यह आज के समय कि जरूरत है ! और हम सब इस पर पूरी तरह निर्भर हैं ! या यूँ कह सकते हैं ! हम हैं इनकी मुट्ठी मैं ! और
हमारे साथ साथ हर ऐक घर हैं इनकी मुट्ठी मैं !
जय हो "बुद्धू बक्से" कि ! ऐक छोटी सी बात ....... जरा गौर कीजिये .................
धन्यवाद
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ये देश ही विशेषताओं वाला है।
ReplyDeleteसीरियल्स के दुष्प्रभाव से तो सब वाकिफ हैं ही..फिर भी देखते जाते हैं.
ReplyDeleteIs par ek nayi film bhi aayi hai 'Idiot Box' jaroor dekhiyega. jisme anekta kapoor bhi hain aur lalaji telefilms bhi aur unke taur-tareeke bhi. :)
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