Wednesday, April 21, 2010

ये बचपन क्या होता है , क्या आप जानते हैं ?.....>>> संजय कुमार

कहते हैं कि बच्चे भगवान का रूप होते हैं , यह बच्चे हमारे देश का आने बाला भविष्य होते हैं ! पर हिंदुस्तान के कितने बच्चे हैं , जो बनते हैं हमारे देश का भविष्य ! जब हम सब बड़े हो गए, तो हम अक्सर यह बात करते हैं, कि कितना अच्छा था हमारा बचपन , और मन ही मन सोचते हैं कि , काश वापस पहुँच जाएँ हम अपने बचपन मैं , और लौट कर आ जाएँ वह बचपन के दिन ! पर कहाँ हैं आज के बहुत से बच्चे ! आज सेंकडो बच्चे गुमनामी कि जिंदगी व्यतीत कर रहे हैं , ऐसे कई बच्चे हैं जिनके पैदा होते ही दीमक लग जाती है , उनके बचपन को ! कई केश इस तरह के सुनने मैं आये हैं , कि किसी महिला ने अपना पाप छुपाने के लिए अपने नवजात बच्चे को फेंक दिया , कहीं कचरे के ढेर मैं , यदि वह कुत्तों और सूअरों का भोजन नहीं बना तो , जीवन भर झेलेगा नरक सी जिंदगी ! इस नरक सी जिंदगी को हिंदुस्तान मैं बहुत से बच्चे जी रहे हैं ! हमारे देश का भविष्य और भगवान का रूप आज आपको देखने को मिल जायेगा ! किसी चाय कि दुकान पर लोगों के झूंठे गिलास धोते हुए ! कई बच्चों कि जिंदगी निकल जाती है , ढावों कि अँधेरी कोठरी मैं ! बहुत सी संख्या मैं ये भगवान हमें भिखारियों के रूप मैं मिल जायेंगे ! कुछ बच्चे तो यह सब मजबूरी बस करते हैं , और कुछ बच्चों से यह सब करवाया जाता है ! जहाँ सरकार यह कह रही है कि, देश के हर बच्चे को शिक्षा पाना उसका कानूनी अधिकार है , वहीँ बहुत से बच्चे उसी सरकार के बहुत से मंत्रियों और अधिकारियों के यहाँ दिन रात महनत करते हैं , और यह सब चलता रहता है , पीड़ी दर पीड़ी ! जब सरकार कि नाँक के नीचे यह सब होता है , तो फिर अन्य जगह क्यों नहीं ! आज कई बच्चे परिवार कि जिम्मेदारियों को अपने ऊपर ले लेते हैं , जिन्हें करनी पड़ती है बचपन से ही महनत ! और कब यह बच्चे बड़े हो जाते हैं , यह उन्हें भी नहीं होता मालूम ! कुछ बच्चे पड़ना चाहते हैं ,पर उनके माँ -बाप अपने शौक पूरा करने के लिए झोक देते हैं उन्हें मजदूरी कि भट्टी मैं ! आज स्थिति बहुत गंभीर हो गयी है , हिंदुस्तान मैं कई ऐसे गैंग हो गए गए हैं , जो इन मासूमों का इस्तेमाल गलत जगह कर रहे हैं , यह लोग बच्चों को अगवा कर , उनके अंग काटकर भिखारी तक बना देते हैं ! हिंदुस्तान मैं ऐसे लाखों करोड़ों बच्चे हैं, जिन्हें यह नहीं मालूम की बचपन क्या होता है ! और बचपन कहते किसे हैं ! ऐसे लाखों बच्चे हैं जिनके सर पर ना तो छत है और ना ही माँ-बाप का साया ! ऐसे बच्चे जिनके सर पर माँ-बाप का साया नहीं है , वो जीवन भर पिसते रहते हैं , यूँ ही किसी साईकिल कि दूकान पर ! या यूँ ही भटकते रहते हैं मारे मारे सड़कों पर ! सरकार आज इन बच्चों के लिए कुछ भी नहीं कर रही हैं ! कर रही है तो बस खानापूर्ति बाल श्रमिक अधिनियम के नाम पर !
जब मैंने एक ऐसे बच्चे से यह जानना चाहा जो सुबह ५ बजे अख़बार देने आता था ! कि तुम इतना जल्दी कैसे उठ जाते हो और इतनी सुबह सर्दी, गर्मी और बरसात मैं अखबार बांटते हो, तो वह बोला यह तो कुछ नहीं है "बाबूजी "
अख़बार बाँटने के बाद मैं एक राशन कि दूकान पर काम करने जाता हूँ , और शाम को एक चाय कि दुकान पर रात १० बजे तक काम करता हूँ , अगर एक दिन भी मैं यह सब ना करूँ तो पता नहीं मेरे घर चूल्हा जलेगा या नहीं इसका अंदाजा आप बड़े लोग नहीं लगा सकते ! हमारा तो जीवन ही इसलिए बना है कि हम बस काम करते रहें और कुछ नहीं ! जब यह बच्चे बड़े हो जाते हैं ! और कोई इनसे अगर यह पूँछ लेता है कि , आपका बचपन कैसा था ! तो यही बच्चे कहते हैं कि , ये बचपन क्या होता है , और किस चिड़िया का नाम हैं , हम तो सिर्फ काम करना जानते हैं और कुछ नहीं ! बचपन तो अमीरों का होता है , हम तो गरीब और बेसहारा पैदा हुए हैं और यूँ ही लावारिशों कि तरह एक दिन ख़त्म हो जायेंगे
हमारा यह दुर्भाग्य है कि हमारे देश का भविष्य यूँ दर दर , यूँ गली गली ठोकर खा रहा है ! और हम सब चुप हें

ये बचपन क्या होता है , क्या आप जानते हें ?


धन्यवाद

4 comments:

  1. YE BACHAPAN HI HE JO JINDGI BAR YAD RAHTA HE

    YAHA WO GIT BHI GANA HOGA MUJHE "WO KAGAJ KI KASTI WO BARISH KA PANI "

    SHEKHAR KUMAWAT

    ReplyDelete
  2. ये बचपन क्या होता है , क्या आप जानते हें ?

    ReplyDelete
  3. बिलकुल सही लिखा है आपने...हम सब अक्सर बच्चों को इस तरह काम करते देखते है!इनका आज ही सुरक्षित नहीं तो भविष्य क्या कहें?

    ReplyDelete
  4. is taraf na to sarkaar dhyaan dena chahti hai na hum log.. achchha lekh

    ReplyDelete