बचपन मैं हम जब स्कूल जाते थे ! तो स्कूल के बाहर एक बूढी औरत जो बेर और चने बेचा करती थी ! आज भी याद होगा आप सभी को बो औरत जिससे आपने कभी ना कभी बेर और चने खाए होंगे ! आपको याद होगा बो चना जोरगरम बाला जो अपने कंधों पर एक छोटी सी पेटी लटकाकर आपके मोहल्ले मैं आया करता था ! तब हम सभी अपने माता पिता से चवन्नी अठन्नी लेकर उससे चने खाया करते थे ! ठीक इसी तरह बचपन की बहुत सी चीजें ऐसी हैं जिन्हें हम कभी नहीं भूल सकते ! चाहे बो गली गली फेरी लगाकर कुल्फी बेचने बाला हो या , गुडिया के बाल बेचने बाला हो, या बर्फ बेचने बाला ! यह सब जुड़े थे हमारे बचपन से ! पहले हर चीज मैं स्वाद होता था ! और यह सारी चीजें होती थी हमारे स्वास्थ के लिए लाभदायक !
समय गुजरता गया ,और धीरे धीरे यह सब हमलोगों के जीवन से कहीं ओझल हो गए ! आज के बच्चे ना तो यह जानते हैं कि बेर और चने होते क्या हैं ! क्योंकि अब इनका अस्तित्व लगभग मिट गया है ! आज हमारे घरों मैं यह सब कहीं देखने को नहीं मिलेगा ! अगर मिलेगा तो uncle chips, kurkure और स्वास्थ्य को ख़राब करने बाले cold-drinks आज सिर्फ यही रह गया और कुछ नहीं ! जैसे जैसे आधुनिकता बड़तीजा रही है , नए नए उत्पाद बाजार मैं आ रहे हैं , बैसे बैसे हमारी पुरानी चीजें अपना अस्तित्व खोतीजा रहीं हैं ! अब इन्सान गर्मी मैं अपनी प्यास और अपना गला तर करने केलिए गन्ने का रस, और मटके कि ठंडी कुल्फी या दही कि ताजा लस्सी नहीं पीता, पीता है तो सिर्फ बाजार मैं बिकने बाले घटिया पेय पदार्थ , जो हानिकारक हैं हमारे स्वास्थ्य के लिए !
आज जब हम अपने बच्चों को अपने बचपन के बारे मैं बताते हैं, तो बच्चे हम से पूंछते हैं कि ये चना जोरगरम बाला क्या होता है ! आज हम लोग ही हैं इन सबके पीछे ! कहीं ऐसा ना हो जिस तरह हमारी पुरानी चीजों को हम और आज कि युवा पीडी भूलती जा रही हैं , और एक दिन वह ये भी भूल जाएँ कि ये माता पिता क्या होता है !
ना भूलें पुरानी चीजे , पुराने लोग, वह भी कभी हमारे जीवन का हिस्सा थे ! पर आज गुमनाम हो रही है यह सारी चीजे ! और हम सोचते रह जायेंगे कि, कहाँ गया बो चना जोरगरम बाला !
धन्यवाद
आजकल के बच्चे तो केवल चिप्स, बर्गर, पिज्जा और कोल्ड ड्रिंक्स के अलावा कुछ भी नही खाना चाहते हैं, तो बेचारा चना जोरगरम वाले को भी यही चीजें बेचनी पडती हैं।
ReplyDeleteप्रणाम
sach kaha sanjay ji kai asi yaadein hai jo peeche chhoot gayi aur ham waqt ki lehron sang aage badh gaye...aaj apne blog pe ek kavita daloonga isi se sambandhit zarur padhiyega, kyunki kuch yaadon ko sahejna zaruri hota hai....
ReplyDeleteaapne to dukhtee rag par hath rakh diya aaj.. vaise ber na sahi chana zorgaram bana kar to main yahan bhi kha leta hoon. :)
ReplyDeleteबचपन के दिनों को याद कराने के लिए धन्यवाद भाई.
ReplyDeleteबचपन के सारे ही खोमचे याद दिला दिए। सभी के बचपन में कुछ नया होता है, आज भी नया है। हमें ही उनको पुराने से परिचित कराना है।
ReplyDeleteआज के बच्चे ना तो यह जानते हैं कि बेर और चने होते क्या हैं !
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