Wednesday, April 14, 2010

इंसानियत और मानवता के दुश्मनों, बंद करो अपने को आधुनिक कहना ......>>>> संजय कुमार

जहाँ हम लोग इक्कीसंवी सदीमैं जीने की बात कर रहे हैं , वहीँ हम लोग ऐसे घ्रणित और इंसानियत को शर्मशार कर देने बाले कार्य कर रहे हैं ! जो मानव जातिके लिए एक धब्बा हैं ! जो धकेल देते हैं हमें सेकड़ों साल पहले ! आज हमारे देश मैं ऐसी घटनाएँ घट रही हैं ! जिससे यह मालूम हुआ कि इंसानियत और मानवता इन्सान के अंदर बिलकुल भी नहीं वची ! और इन्सान रह गया बस रूडी वादी और खोखली परम्पराओं का पुतला ! आज इन्सान को इन्सान कहने मैं भी शर्म आती है ! जहाँ पंजाब के एक गाँव मैं एक प्रेमी प्रेमिका ने शादी कर ली ! और सजा के रूप मैं मिली उन्हें सिर्फ मौत ! गाँव बाले कहते हैं कि बो एक ही गोत्र के थे ! यही उनका अपराध था ! सो दे दी मौत कि सजा ! और सारा गाँव समर्थन कर रहा है उन हत्यारों का, जिन्होंने यह घ्रणित कार्य किया ! यहाँ इन्सान कि मानवता पूरी तरह ख़त्म हो जाती है! वहीँ छतरपुर के एक गाँव मैं कुछ दबंगों ने एक अकेली महिला के साथ मारपीट कर उसे सारे गाँव मैं निर्वस्त्र घुमाया ! आज का इन्सान किस हद तक गिर सकता है , इसका अंदाजा तो आज इश्वर भी नहीं लगा सकता !
जहाँ सरकार महिला आरक्षण और महिलाओं को समाज कि मुख्यधारासे जोड़ने कि बात कर रही है ! वहीँ इस तरह के घ्रणित कार्य हो रहे हैं ! और शर्मशार हो रही है मानवता ! हमने कई बार इस तरह कि घटनाएँ सुनी होंगी ! और शायद, आगे और सुनते रहेंगे इस आधुनिक दुनिया मैं ! जहाँ इन्सान अपने आपको आधुनिक कहता है !और कहता है अपने आपको आधुनिक दुनिया का हिस्सा ! क्या यही है हमारी आधुनिकता ?अच्छे कपडे, अच्छा घर अच्छा living standard या हाँथ मैं मोबाइल, या गाड़ी , या फिर फर्राटे से अंग्रेजी बोलना ! आज बहुत से लोग इन सब साधनों से अपने आपको आधुनिक कहते हैं , या करते हैं दिखाबा अपने को आधुनिक होने का ! पर विचार ,सोच और काम सारे के सारे पिछड़े हुए स्तर का !
जीवन मैं आगे बढ़ना है , अगर देश को आगे बढ़ाना है , अपने आप को सच्चा इन्सान बनाना है, तो बंद करो ऐसे घ्रणित कार्य ! इन सब कामों से हम खो रहे हैं, अपने को इन्सान कहने का दर्जा !
इन्सान आधुनिक नहीं उसके विचार आधुनिक होने चाहिए ! तभी जी सकते हैं हम इस आधुनिक दुनिया मैं

धन्यवाद

3 comments:

  1. koi sirf oopri aavran badlne se aadhunik nahin ho jata.. aadhunik hone ke liye andar se bhi bahut kuchh badalna hota hai.

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  2. सचमुच ये इंसानियत और मानवता के दुश्‍मन ही तो हैं !!

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  3. सचमुच ये इंसानियत और मानवता के दुश्‍मन ही तो हैं

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