Monday, April 5, 2010

यहाँ नहीं कोई पराया, सब हैं अपने.....>>>> संजय कुमार


अरे तू तो हिन्दू है , अरे तू तो मुस्लमान है , अरे वो तो छोटी जात का है , अरे वो तो बड़े पैसे बाला है , इस तरह के शब्द हमने अपने जीवन मैं कई बार सुने होंगे ! और शायद आज भी सुनने को मिलते हैं ! बड़ा दर्द सा होता है मन मैं ! कि क्यों एक इन्सान को इतने नाम दे दिए गए हैं ! इस इन्सान को हमने पता नहीं कितने भागों मैं बाँट दिया है ! इस बात को लेकर हम सभी कभी ना कभी जरूर दुखी हुए होंगे ! यह सब तो हम लोगों का ही ईजाद किया हुआ है ! यह तो तब तक चलेगा जब तक इन्सान इस श्रृष्टि पर है ! यह सब देखकर मन मैं बस एक ख्याल आता है , कि क्या ऐसी भी कोई जगह है ! जहाँ पर इस तरह का माहौल देखने को नहीं मिलता !मेरे जहन मैं आयी ऐसी एक जगह, जहाँ पर ना तो कोई पूंछता है कि तुम कोन हो हिन्दू या मुस्लमान , अमीर या गरीब , छोटा या बड़ा , कुछ नहीं होता ! यहाँ तो सब अपने ही लगते हैं , नहीं लगता यहाँ कोई भी पराया ! यहाँ तो सब अपनी अपनी परेशानियों से बचने के लिए ! या अपने दुःख दर्द दूर करने ! या एक दूसरे कि ख़ुशी के लिए ! कहते हैं कि इन्सान अगर एक बार आजये तो फिर वो यहीं का होकर रह जाता है ! यहाँ आने बाले लोग भले ही साल मैं एक बार भी मंदिर कि दहलीज पर ना जाएँ ! पर मेरे पास तो वह नियमित, साप्ताहिक या माशिक आएगा ही ! कोई पैदा हो या जन्मदिन , शादी या उसकी वर्बादी पर आएगा जरूर ! अब तो आप सब कुछ समझ गए होंगे कि वो जगह कोन सी है ! अरे भई अपना शराबखाना या यों कहें मधुशाला या मयखाना ! यहाँ पर हर व्यक्ति किसी ना किसी समस्या पर आपस मैं बात करते हुए जरूर मिल जायेगा ! यहाँ पर जो भाईचारा देखने को मिलता है ! उस भाईचारे का क्या कहना ! क्या छोटा क्या बड़ा सब एक साथ बैठकर पीते हैं और भूल जाते हैं सब कुछ ! हर दिन एक मेला सा लगता है ! हिनुस्तान मैं तो यही एक जगह है ! जहाँ हर दिन मेला लगता है ! या यूँ कह सकते हैं !

सर्व धर्म , सर्व जातीय, एक अनूठा , इंसानों का मेला ..................

मयखाना, मयखाना , मयखाना , जरा यहाँ संभलकर आना ! दुनिया भर मैं पीकर बहको, पर यहाँ संभलकर आना

इसलिए कहता हूँ , ये है दुनिया कि निराली जगह , और कहाँ मिलेगा इस तरह का भाईचारा ! यहाँ नहीं कोई पराया

सधन्यवाद


6 comments:

  1. ये है दुनिया कि निराली जगह , और कहाँ मिलेगा इस तरह का भाईचारा ! यहाँ नहीं कोई पराया

    behtreen likha hai..

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  2. आपके लेखन ने इसे जानदार और शानदार बना दिया है....

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  3. क्या करें बेटा भारतीय नारियाँ अइसे तीर्थ पर नही जा सकती। क्या उनके लिये भी कोई अइसी जगह है? हा हा हा शुभकामनायें

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  4. शानदार है....!!!!!!!!!


    shekhar kumawat

    http://kavyawani.blogspot.com/

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  5. आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद

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  6. Vair karate mandir-masjid
    prem karati madhushala..
    ekdam sahi likkha ji

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