Friday, April 2, 2010

मम्मी मैं बड़ा होकर क्या बनूँगा .......>>> संजय कुमार

मम्मी मैं बड़ा होकर क्या बनूँगा ? ये कहना है एक पांच साल के बच्चे का ! उस बच्चे को नहीं पता की उसे बड़े होकर क्या बनना है ! क्योंकि उस पर आज इतना प्रेशर है की उसे खुद समझ मैं नहीं आता की वो क्या -क्या बने ! उसकी माँ कहती हैं तुम्हे एक डॉक्टर बनना है ! पापा कहते हैं तुम्हें इंजीनीयर बनना है ! तो वहीँ दादाजी चाहते हैं कि वह वर्षों से चला आ रहा व्यवसाय को आगे बडाये ! ये सारी बातें बच्चे के मन पर क्या प्रभाव डालती हैं ! ये सारीं बातें हम जानते हैं ! पर जानकर भी अनजान बनते हैं ! उस छोटे से मन पर क्या क्या गुजरती हैं! यह सब का क्या परिणाम हमारे सामने आ सकता है ! कभी इस बारे मैं भी हमें सोचना होगा ! कहते हैं बच्चों का मन कुम्हार कि उस मिटटी के जैसा होता है , जिसे वह कोई भी रूप दे सकता है ! ठीक उसी प्रकार हमारे वातावरण का, हमारे दबाव के कारण ! हमारा बच्चाअपने मन को किस तरह निर्मित करता है , या निर्मित कर रहा है हमें इस और ध्यान देना आवश्यक है ! आज हर कोई चाहता है कि उनका बच्चा बड़ा होकर नाम कमायें ! उनके जीवन का सहारा बने ! जिस कारण से उन पर हमेशा से दबाव बना रहता है ! फिर चाहे बो माँ -बाप का हो या उसके स्कूल टीचर का ! वह हमेशा दबाव महसूस करता है ! और डिप्रेशन मैं चला जाता है ! और कर बैठता है ऐसी गलती ! जिस पर हम सिर्फ पछतावा कर सकते हैं और कुछ नहीं !
आज हमें इस और बहुत ध्यान देना होगा ! कम से कम बच्चों पर अपनी मर्जी ना थोपें ! और वो क्या चाहते हैं, हम उस ओर ध्यान दें ! अगर हम बच्चों के अनुसार चलें तो बच्चे को ज्यादा अच्छा लगेगा ! और वह अच्छेसे मन लगा कर पड़ेगा और आप सबकी उम्मीदों पर खरा उतरेगा ! आज हम सब ऐसे आधुनिक युग मैं जी रहे हैं जहाँ पल पल इन्सान कि सोच बदलती रहती है ! और उसका असर हम अपने बच्चों पर देख सकते हैं ! इसलिए बच्चों पर सिर्फ ध्यान रखें कि बो कोई गलती तो नहीं कर रहे हैं ! उनका होंसला बडाये और आगे बदने कि लिए प्रेरित करें ओर आप पाएंगे कि आपका बच्चा आपकी उम्मीदों कैसे खरा उतरता है ! और कभी भी आपका बच्चा आपसे नहीं पूंछेगा कि .................मम्मी मैं बड़ा होकर क्या बनूँगा ....................... बच्चों के मन को सवारें , बच्चे देश का भविष्य हैं , मन संवरेगा तो भविष्य भी ...................

धन्यवाद

4 comments:

  1. sanjay bhai aap bade ho gaye ho aur ek ache insaan ke sath-2 ache writer bhi ban gaye ho ..

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  2. sau baat ki ek baat hai... ki bachchon ko unki ruchi ke anusaar tay karne den ki wo banna kya chahte hain lekin hum log un par wo ummeeden thop dete hain jo hum khud poori nahin kar paaye.

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