Wednesday, June 16, 2010

इस गरीबी ने कर दिया, सब कुछ तबाह ...>>> संजय कुमार

आज अखबार पड़ते वक़्त एक ऐसी घटना को पड़ा जिसे पढकर दिल सिहर गया ! दिल को धक्का सा लगा, इस तरह की ख़बरें सुनकर !ये क्या हो गया आज के इन्सान को ! आज का कलियुगी इन्सान, जो अपनों के खून से अपनी प्यास बुझा रहा है ! खबर यह थी कि एक पिता ने अपनी पांच मासूम बेटियों कि कुल्हाड़ी से काटकर निर्मम हत्या कर दी ! घटना मध्य-प्रदेश के सीहोर की है ! घटना का मुख्य कारण उसकी गरीबी, और गरीबी मैं उसका पागल हो जाना , दिमाग काम न करना बताया गया है ! क्या ऐसा भी कहीं हो सकता है , एक पिता एक साथ अपनी पांच-पांच मासूम बेटियों कि हत्या कर सकता है ! जिन्हें उसने जन्म दिया ! वही पिता एक दिन उनका कातिल बन जाएगा ! क्या आज गरीबी इतनी अभिशापित हो गयी जो इस तरह के हादसे अब आये दिन होने लगे हैं ! यह कोई अकेली घटना नहीं हैं ! इस तरह के, और, इससे भी ज्यादा दिल को दहला देने बाली घटनाएं अब रोज-रोज सुनने को मिल रहीं हैं ! आज गरीबी उस अजगर के समान हो गयी हैं , जो अपने शिकार को एक ही बार मैं , पूरा का पूरा निगल लेता है , और जब तक उसके शिकार के प्राण नहीं निकल जाते तब तक नहीं छोड़ता ! अब यह गरीबी पूरा का पूरा परिवार निगल रही हैं ! जब तक गरीब इस गरीबी से तंग आकर सब कुछ खत्म नहीं कर देता तब तक वह चैन से नहीं बैठता ! आज गरीबी सब कुछ तबाह कर रही है ! और ले रही है कई मासूम और निर्दोष इंसानों की जानें !

आज इन रोज-रोज होने बाली मौतों का कौन जिम्मेदार है ! गरीबी, सरकार , सहकारी संस्थाएं , नेता , या बड़े-बड़े अधिकारी ! क्या इनमे से कोई भी इसकी जिम्मेदारी अपने ऊपर लेगा ! इन सब के पीछे यही सब लोग जिम्मेदार हैं ! और जिम्मेदार ठहराते हैं गरीबी को ! इस गरीबी का असली कारण तो यही लोग हैं ! सरकार ने गरीबों के लिए हज़ार तरह कि लाभ योजनायें चला दी ! जिससे यह गरीबी दूर हो जाए ! लेकिन गरीबी दूर होना तो दूर कि बात गरीब को तो पता ही नहीं चलता कि सरकार ने हम गरीबों के लिए कोई योजना भी बनायी है ! हर कोई गरीब का हक खाने को बैठा है ! नेता नहीं चाहता कि इस देश से गरीबी दूर हो क्योंकि , उनकी उनकी कुर्सी बनाने मैं इन गरीबों का बहुत बड़ा योगदान जो होता है ! सरकारी संस्थाओं कि जो जिम्मेदारी होती है ! वह ठीक ढंग से अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह नहीं करते ! और गरीबों को उनके हक और अधिकारों के बारे मैं सही सही और पूर्ण जानकरी नहीं देते ! बड़े बड़े अधिकारियों के पास इन गरीबों कि समस्याएं सुनने को समय ही नहीं होता तो कहाँ से जान पायेगा गरीब अपने हक और अधिकार ! और इन सब से तंग आकर वह उठाता है इस तरह के दिल दहला देने बाले कदम !

आज इस गरीबी ने ना जाने कितने घरों को बर्बाद कर दिया है ! और ना जाने कितने घरों को आगे बर्बाद करेगी ! इस गरीबी से निबटने का कोई रास्ता अब समझ नहीं आता ! कब बंद होगा यूँ परिवारों का बिखरना !


धन्यवाद

6 comments:

  1. or sar garib ka hak khane ke liye or bahut si NGO bhi aa gaye hai.

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  2. गरीबो का हश्र कुछ इस तरह का ही होता है

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  3. गरीब को तो पता ही नहीं चलता कि सरकार ने हम गरीबों के लिए कोई योजना भी बनायी है ! हर कोई गरीब का हक खाने को बैठा है !
    इस बात से पूरी तरह सहमत हूँ इन्तजार है कब कोई फरिश्ता आये और इन नेताओं से निजात दिलाये। अच्छा आलेख है शुभकामनायें

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  4. आज इन रोज-रोज होने बाली मौतों का कौन जिम्मेदार है ! गरीबी, सरकार , सहकारी संस्थाएं , नेता , या बड़े-बड़े अधिकारी ! क्या इनमे से कोई भी इसकी जिम्मेदारी अपने ऊपर लेगा ! इन सब के पीछे यही सब लोग जिम्मेदार हैं !
    ये सब तो हैं ही पर कई और चीजें भी हैं जिम्मेवार..

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  5. प्रभावशाली लेखन।

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  6. ओह कितना मार्मिक !

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