Wednesday, June 2, 2010

यह देश है धीर और वीर.....गरीबों का... इन गरीबों का क्या कहना.....>>> संजय कुमार

आप सभी ने फिल्म नया दौर का यह गीत जरूर सुना होगा ! ये देश है वीर जवानों का, अलबेलों का मस्तानों का, इस देश का यारों क्या कहना, ये देश है दुनिया का गहना ! सच बात इस गीत मैं कही गयी ! वाकई मैं यह देश वीर जवानों का ही है ! वह जवान जो देश की रक्षा मैं अपना सब कुछ न्योछावर का देते हैं ! अपने देश के वीर जवानों की ताक़त दुश्मन देश कई बार देख चूका हैं ! वीर जवान इस देश की शान हैं और हमेशा रहेंगे ! लेकिन मैं यहाँ बात कर रहा हूँ हमारे देश के सबसे बड़े गहने का यानि देश के धीर और वीर, गरीबों का ! वह गरीब जो इस देश की शान हैं ! जिनके बिना इस देश मैं कुछ भी संभव नहीं है !आज हमारे देश का भगवान् हम इनको कहें तो यह अतिश्योक्ति नहीं होगी ! भगवान् है सिर्फ कागजों मैं ! जिन गरीबों के दम पर आज हिंदुस्तान टिका हुआ हैं ! हमारे देश मैं जिंतनी संख्या गरीबों की हैं ! उतनी जनसँख्या तो किसी छोटे मोटे राष्ट्र की हैं ! इस देश मैं सब कुछ इन गरीबों की बजह से ही तो हो रहा है ! देश के बड़े बड़े नेता आज इन गरीबों का खून चूसकर ही तो देश मैं राज कर रहे हैं ! देश मैं जो भ्रष्टाचार चारों तरफ फैला हुआ है ! वह सब इन गरीबों की बजह से ही तो है ! अरे नहीं भई , इन गरीबों ने कोई भ्रष्टाचार नहीं फैलाया बल्कि इन गरीबों को मिलने बाली आर्थिक सहायता को जब बड़े बड़े अधिकारी और मंत्री निगल गए तब से शुरू हो गया भ्रष्टाचार ! हमारे देश के गरीब वाकई मैं किसी वीर से कम नहीं ! जो हर हाल मैं जीते हैं ! चाहे कोई कितना भी जुल्म इन पर करे , फिर भी उफ़ तक नहीं करते और जीवन भर गरीब रहते हैं ! इन गरीबों का नाम लेकर आज देश मैं ना जाने कितनी संस्थाएं काम कर रहीं हैं ! वह सब इन गरीबों के लिए ही तो हैं ! फिर यह संस्थाएं भले ही गरीबों के लिए कुछ ना करें पर अपना उल्लू जरूर सीधा कर रहीं हैं ! आज देश मैं जितने भी नेता आज ऐश की जिंदगी जी रहे है , और शान से देश की कमान संभाल रहे है ! इन गरीबों की बदौलत ! आज तक देश मैं जितने भी घोटाले हुए हैं ! बो सब इन गरीबों का हक मारकर ही तो हुए हैं ! बेचारा गरीब तो अपनी गरीबी मैं ही पूरा जीवन गुजार देता है ! और उस गरीब के नाम से इस देश मैं अरबों-खरबों का लेनदेन बस यूँ ही हो जाता है !

अगर देश मैं गरीब और गरीबी ना हो तो ना जाने कितने लोगों को तो भूखों मरने तक की नौबत आ जाए ! आज देश, नेताओं की बजह से नहीं बेचारे गरीबों की बजह से चल रहा है! कितने ही घर परिवार आज इन गरीबों की बजह से चल रहे हैं ! वाकई यह देश है धीर और वीर .....गरीबों का .......................

धन्यवाद

5 comments:

  1. संस्थाएँ गरीबों के लिये शुरू होती है और खुद अमीर हो जाती हैं

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  2. बहुत करारा व्यंग्य!

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  3. हम मेहनतकश जगवालों से जब अपना हिस्सा मांगेंगे.. इक बाग़ नहीं, इक खेत नहीं हम सारी दुनिया मांगेंगे..

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  4. bahut hi achhe vichar rakhe hai..shukriya!!

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  5. देश मैं जो भ्रष्टाचार चारों तरफ फैला हुआ है ! वह सब इन गरीबों की बजह से ही तो है ! अरे नहीं भई , इन गरीबों ने कोई भ्रष्टाचार नहीं फैलाया बल्कि इन गरीबों को मिलने बाली आर्थिक सहायता को जब बड़े बड़े अधिकारी और मंत्री निगल गए तब से शुरू हो गया भ्रष्टाचार !

    100 % satyaa kha sanjay ji aapne.....

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