Wednesday, May 26, 2010

आज हर जगह से ठुकराया हुआ हूँ मैं, कहीं बन्दूक ना उठा लूं ....>>>> संजय कुमार

अभिशाप एक ऐसा शब्द जो किसी इन्सान के साथ अगर जुड़ जाए तो उस इन्सान की क्या स्थिति होती है हम यह सब भली-भांति जानते हैं ! फिर अभिशाप कोई भी हो ! अभिशाप चाहे गरीबी का हो या भुखमरी का ! अभिशाप आतंकवाद का, या फिर अभिशाप हो बेरोजगारी का ! यह ऐसे अभिशाप हैं जो इन्सान को घुट-घुट कर जीने को मजबूर करते हैं ! जिसमे इन्सान की जिंदगी तवाह हो सकती है ! मैं यहाँ बात कर रहा हूँ बेरोजगारी की ! आज के इन्सान के लिए या किसी युवा के लिए बेरोजगारी एक बहुत बड़ा अभिशाप है ! और इस अभिशाप के आज हम सब बहुत बुरे परिणाम भुगत रहे हैं ! इस अभिशाप को कोई इन्सान अपने ऊपर नहीं लेना चाहता ! बस इससे हमेशा दूर रहना चाहता है !

मैं यहाँ बात कर रहा हूँ ! एक लाचार और हर जगह से हारे पिटे बेरोजगार के दिल की ! जिनकी संख्या आज इस देश मैं तेजी से बढ़ रही हैं ! यहाँ तक की आज का बेरोजगार युवा बन्दूक तक उठाने को मजबूर हो गया है ! एक छोटी सी नौकरी की आस अपने दिल मैं लिए, यूँ काम की तलाश मैं दर दर भटक रहा है ! आज हिंदुस्तान का एक बहुत बड़ा युवा वर्ग, पूरी तरह से बेरोजगार है ! और मजबूर है ऐसी जिंदगी जीने को ! जो कोई भी इन्सान जीना नहीं चाहता ! एक बदनुमा दाग हमारे समाज का ! समाज मैं हमेशा घ्रणा का शिकार होने बाला बेरोजगार जिसे समाज का कोई वर्ग अपनाना नहीं चाहता ! घर का एक ऐसा बोझ जो सह रहा है अपनों की नफरत ! और पल पल पर मिलती घ्रणा और जिसे हमेशा हेय की द्रष्टि से देखा जाता है ! सब कुछ सहता है बिना कुछ बोले गुनाहगारों की तरह ! ऐसी है जिंदगी आज के बेरोजगार की ! कोई भी पड़ा लिखा या अनपढ़ इस तरह की जिंदगी नहीं जीना चाहता ! जिस तरह हिंदुस्तान मैं गरीबी और भुखमरी एक अभिशाप है ! ठीक उसी तरह बेरोजगारी एक बहुत बड़ा अभिशाप है किसी भी इन्सान के लिए जो बेरोजगार है ! किसी घर मैं एक बेरोजगार की स्थिति , पल पल पर अपनों के ही ताने सुनता ! और ऐसा व्यव्हार पल पल पर सहता जो उसके साथ नहीं होना चाहिए ! और जब इस तरह के व्यव्हार को ज्यादा सहते सहते, उसके सब्र का पैमाना टूटता है तो हमारा युवा वर्ग पकड़ता है एक गलत राह ! जो किसी भी समाज के लिए हमारे देश के लिए अच्छा नहीं है !जो उसको सबका दुश्मन बना देती है ! हमने कई बार देखा है की हमारे कई होनहार युवा इस बेरोजगारी के चलते आज गलत राह पकड़कर अपना जीबन बर्वाद कर रहे हैं ! कारण उनके पास एक अच्छी नौकरी नहीं हैं ! ऐसा नहीं हैं की नौकरी पाने के लिए ये युवा महनत नहीं करते, या उनकी लगन सच्ची नहीं हैं ! बहुत कुछ हुनर होने के वावजूद आज के रिश्वतखोरी , बेईमानी, भ्रष्टाचार के माहौल मैं उनकी योग्यता भेंट चढ़ गई दूषित लोगों के बीच ! और वहीँ कुछ अयोग्य, घूस देकर आज शान से बैठे हैं ऐसे पदों पर जिनसे उन पदों की गरिमा को धब्बा लग रहा है !

अब यह अक्सर देखने को मिल जाता है की हमारे युवा अच्छी नौकरी ना मिलने के कारण किस और अपने कदम बड़ा रहे हैं ! अपराध की दुनिया ! जी हाँ यह बिलकुल सहीं है यहाँ पर इन्हें किसी भी योग्यता की जरूरत नहीं है ! बहुत जल्दी पैसा कमाने के चक्कर मैं सब कुछ करने को तैयार हो जाते हैं ! आज कितने ही युवा अपराध मैं BA... MA.. कर चुके हैं ! कारण उनके पास नहीं था कोई काम ! हिंदुस्तान के ह्रदय कश्मीर को तो आप जानते ही होंगे ! कई बेरोजगारों के हाँथ मैं हमारे दुश्मनों ने बंदूकें थमा दी हैं ! और आज यही युवा अपने ही भाइयों का खून बहा रहे हैं ! काश सरकार ने इन बेरोजगारों को रोजगार मुहैया कराया होता तो आज ऐसा ना होता हमारा देश ! क्योंकि इन बेरोजगार युवाओं को रोजगार के लिए मिलने बाली राशि, कैसे पूरी तरह से बेईमानी के सागर मैं समां जाती है ! और बेरोजगार रह जाता है बेरोजगार ! अगर जल्द इन बेरोजगारों को रोजगार नहीं मिला तो वह दिन दूर नहीं जब यह युवा अपने हाँथ मैं कलम की जगह बन्दूक उठाये घूमेंगा .........................और हर जगह, पल पल पर मचेगा कत्लेआम ..................

धन्यवाद

11 comments:

  1. मानता हूँ कि समस्या जटिल है मगर यह भी तो समस्या का समाधान नहीं संजय जी ! एक युवा बन्दूक उठाएगा तो मारेगा किसे अपने ही लोकल में अपने किसी भाई को ! जबकि दुश्मन दिल्ली और प्रदेश की राजधानियों में आलिशान बंगलों में ब्लैक कैट की सुरक्षा में बैठे है ! तो किसी निर्दोष को मारना वह भी तो अन्याय ही हुआ या नहीं?

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  2. ऐसे युवाओं को काउंसिलिंग और नौकरी की अथवा लघु उद्योग लगाने के प्रशिक्षण की सख्त आवश्यकता है..

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  3. सुन्दर लेख संजय जी

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  4. आपकी बात से सहमत हूँ , गोदियालजी
    लेकिन आज का युवा भटका हुआ है ! और उसका साथ कोई नहीं दे रहा !इस स्थिति मैं युवा कुछ भी कर सकता है !
    जिस दिन युवा बेरोजगारी की असली वजह जान जाएगा , तब होगी क्रांति और ऐसी! जिसमे नष्ट होंगे देश के दुश्मन जो नहीं चाहते की युवा काम-धंधे पर लगे !

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  5. आपको क्या लगता है,यही समस्या का हल है,और समस्या बस बेरोजगारी है......?

    वो शिक्षा पद्धति जो ऐसे युवा पैदा कर रही जो स्वभावतः बेरोजगार ही होने है.....समस्या नहीं है...?पहले अनपढ़,गरीब ज्यादा थे बेरिजगार और भूखे लोग बहुत कम...क्यों?

    कुंवर जी,

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  6. ब्लॉग को पढने और सराह कर उत्साहवर्धन के लिए शुक्रिया.

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  7. sanjay ji sab thik hai..

    par jab koi berojgar hota hai...
    berojgari ke bimari ki tarah hai...
    jo bandook uthane aur na jaane kya-2 karne ko majboor kar deti...hai....

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  8. कुंवरजी,

    यह बात हर युवा पर लागू नहीं होती ! बात कर रहा हूँ उन युवाओं के बारे मैं जो भटके हुए हैं ! और पैसा कमाने के लिए यह भी कर सकते हैं कुछ भी कर सकते हैं ! अगर ऐसा नहीं तो फिर क्यों बहुत से युवा गलत रास्तों को चुन रहे हैं ! क्योंकि उनकी सुनने बाला कोई नहीं है !

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  9. majboori kya naa karade aaj ke berojgar se

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  10. आपकी बात से आंशिक रूप से सहमत हूँ ,,,,जो भी आपकी लेखनी में दम है

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