Sunday, May 16, 2010

नहीं बनना हमें, दूल्हा-दुल्हन.....(अक्षय-तृतीया )>>>> संजय कुमार

आज है विष्णु के छठवें अवतार भगवान् परशुराम की जयंती! जयंती पर आप सभी को हार्दिक बधाई एवं
शुभ-कामनाएं
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आज है अक्षय-तृतीया , हिंदुस्तान मैं शादी-विवाह का एक सबसे बड़ा मुहूर्त बाला दिन ! कहते हैं आज के दिन होने बाली शादी को किसी भी मुहूर्त की जरूरत नहीं हैं ! कोई भी मुहूर्त आज के दिन से बड़ा नहीं होता ! आज पूरे हिन्दुस्तान मैं लाखों शादियाँ होंगी ! लाखों युवा आज परिणय सूत्र मैं बंधेंगे , और बंधेंगे ऐसे अबोध बच्चे -बच्चियां जिनकी उम्र महज दस से पंद्रह वर्ष के बीच होगी ! आज चढ़ जायेंगी इन सभी की, वेदी पर वलि और कुचल जायेंगे हजारों लाखों सपने और बचपन जो अभी तक इन्होने पूरी तरह से देखा भी नहीं ! और हम सब सिर्फ देखते रह जायेंगे ! जब सरकार कुछ नहीं कर पाती और सब कुछ होता है ! सरकार की नाँक के नीचे, फिर भला आम इन्सान की क्या चलती ! जब बच्चों के दुश्मन उनके अपने माँ-बाप ही हों ! तो कोई क्या कर सकता हैं

आज कितने ही अरमान, कितने सपने जो इन नन्ही आँखों ने देखे थे सब कुछ वलि चढ़ जाएगा ! झूंठी परम्पराओं के नाम पर ! कुछ चढ़ जाएगा गरीबी के नाम पर ! कुछ लालच के कारण और कुछ सरकार की अनदेखी के कारण ! आज हमारी सरकार कितने बड़े बड़े वादे करती है ! कहती है की हमारा देश आगे बड रहा है और हम इक्किसंवी सदी मैं जी रहे हैं ! हम कितने आधुनिक हो गए हैं ! आज हमारे देश ने कितनी तरक्की कर ली है ! आज हमारा देश विश्व पटल पर अपनी एक अच्छी छवि रखता है ! और इसके उदाहरण भी हम और हमारी सरकार देती रहती है ! और आज के दिन ही कितने बाल-विवाह इस देश मैं हो जाते हैं ! सरकार को यह सब कभी नहीं दिखाई देता !
सरकार को अब चेत जाना चाहिए इन बाल-विवाहों को रोकने के लिए ! और बर्वाद होते बचपन को !
आज बल-विवाह से उपजे ऐसे कई सवाल हैं, कई समस्याएं हमारे सामने हैं ! जिनका जबाव हमारी सरकार के पास नहीं हैं और ना कभी सरकार इन को रोक पायेगी ! जिस उम्र मैं बच्चे पड़ते-लिखते हैं ! उस उम्र मैं उन्हें धकेल दिया जाता हैं ! नरक सी जिंदगी जीने को ! पर ये मासूम क्या कर सकते हैं ! जब इनके माँ-बाप ही इनके दुश्मन हैं ! जो अपने कर्तव्यों और दायित्वों को सिर्फ बोझ समझतें है ! तो लो बोझ उतार दिया ! और चढ़ा दी वलि
अपने ही बच्चों की ! और समय से पहले ही ऐसे बच्चे घुट-घुट कर अपना जीवन समाप्त कर लेंगे !

आज ऐसे छोटे छोटे बच्चों के मुंह से सिर्फ एक ही बात निकलती हैं ! की माँ-बापू हमें नहीं बनना दूल्हा -दुल्हन हमें अभी अपना बचपन तो देख लेने दो.......... मैं आपकी बेटी हूँ .........कोई बोझ नहीं .................

धन्यवाद

4 comments:

  1. बहुत बढ़िया
    आपको भी भगवान परशुराम जयंती पर हार्दिक शुभकामनाये ...

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  2. तो लो बोझ उतार दिया ! और चढ़ा दी वलि
    सोचने को मजबूर करती रचना
    सुन्दर

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  3. बाल विवाह अपराध है.


    अक्षय तृतिया एवं परशुराम जयंति की बधाई.

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  4. अच्छी जानकारी मिली.. हालाँकि कुछ पहले से पता थी पर सुन्दर सुन्दर सुन्दर एक बार फिर से..

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