Wednesday, May 12, 2010

अँधा प्यार.... और लुटती इज्जत...>>> संजय कुमार

कहते हैं प्यार तो अँधा होता है ! और यह बात जिसने भी लिखी १०० टका सही लिखी है ! क्योंकि आप तो जानते हैं ! प्यार मैं अँधा आदमी ना तो रिश्ते नाते देखता है ! और ना देखता ऊँच-नीच का का अंतर, प्यार ना समझे किसी भी प्रकार का जाति बंधन ! प्यार ना समझे हिन्दू-मुस्लिम, और ना समझे सिख -ईसाई ! अब तो प्यार करने बाले यह भी कहने लगे हैं , की प्यार मैं उम्र भी नहीं देखना चाहिए ! अब प्रेम पर नहीं रहा उम्र का बंधन ! आपने इस तरह के कई प्रेमी जोड़े देखे होंगे ! सभी धर्म, प्रेम करने बालों के लिए छोटे होते हैं ! तभी तो लैला-मंजनू , सोहनी-महिवाल, हीर-राँझा, रोमियो-जूलियट इन सभी ने सिर्फ प्रेम किया वह भी सच्चा ! इसीलिए तो आज जब भी सच्चे प्रेम की बात होती है तो सबसे पहले इन लोगों का नाम जुबान पर आता हैं ! और ना जाने ऐसे कितने प्रेमी हुए जो गुमनाम हुए ! प्रेम हमेशा अमर था और अमर ही रहेगा ! हम भी तो कहीं ना कहीं किसी ना किसी को प्रेम करते हैं ! जैसे जैसे समय ने अंगड़ाई ली ! वक़्त बदला और बदल गया प्रेम का रूप ! आज सच्चे प्रेम की कहानियां देखने को नहीं मिलती ! अगर मिलती हैं तो वह आज अपवाद है ! या तो प्रेम टूट जाता हैं ! नहीं तो उन प्रेमियों को मिलती है झूंठी परम्पराओं की मौत ! लेकिन आज प्रेम ने अपना एक रूप और बना लिया है ! और वह रूप है झूंठ, धोखा , फरेब , और सेक्स ! आज यह सब कुछ हो रहा है ! प्यार की आड़ मैं बर्वाद हो रहा आज का हमारा युवा ! इनमे सबसे ज्यादा संख्या है युवा लड़कियों की ! जो बिन सोचे समझे कर बैठती है ऐसी गलतियाँ जहाँ खोनी पड़ती हैं उनको अपनी इज्जत और अपना मान सम्मान ! पर फिर भी भाग रहीं हैं अंधे प्यार की तरफ ! सब कुछ दांव पर लगाकर !

इन्सान जैसे-जैसे आधुनिक होता गया इन्सान के सामने नित नए नए, लोगों को धोखा देने और उनको भ्रमित करने के तरीके मिल गए ! आज इन्सान के ऊपर ना तो परिवार की किसी समझाइश का कोई असर होता है और ना उनके अनुभवों को कबूल करते हैं ! अगर कुछ जानते हैं तो बस आज अपने को पूरा आधुनिक बनाना ! मैं यहाँ बात कर रहा हूँ युवा लड़कियों की जो सिर्फ आज दिखावा ही पसंद करतीं हैं ! और डूबना चाहती हैं अंधे प्रेम मैं ! और इनके इस दिखावे का कुछ लोग पूरी तरह फायदा उठाते हैं ! फिर चाहे ऐसी लड़कियां भीमानंद, और नित्यानंद जैसे ढोंगी महात्माओं के चक्कर मैं फंसकर अपनी इज्जत तक गवां देती है ! और बन जाती हैं हमारे समाज का वो बदनुमा धब्बा जो शायद इनके जीवन से कभी नहीं मिटेगा ! आज कल इस देश मैं हमारी युवा लड़कियों को प्यार के जाल मैं फांसकर उनको धकेला जा रहा है सेक्स के धंधे मैं ! इस तरह के अपराध आज आम हो रहे हैं !

आज की युवा लड़कियां प्यार मैं इस कदर अंधी हो गई हैं ! की ऐसे झूंठे प्यार के लिए अपना सब कुछ बिना किसी हिचक के बिना किसी डर के सौंप रही हैं ! कुछ दिनों पहले इस तरह का एक मामला सामने आया एक लड़की अपने परिवार से वगावत कर अपना सब कुछ छोड़कर ! छोड़कर अपने परिवार का और अपना मान सम्मान ! पहुँच गयी अपने प्रेमी के पास ! फिर क्या हुआ इसका आप अंदाजा नहीं लगा सकते ! उस प्रेमी ने पहले उसे अपनी हवस का शिकार बनाया और बाद मैं बेच दिया उस लड़की को ५०००० रुपये मैं ! और होता रहा उस मासूम का बलात्कार कई दिनों तक ! जैसे तैसे अपनी जान बचाकर भागी उस युवती ने आपबीती जब पुलिस और परिवार को बताया तो एक बहुत बड़ा धक्का लगा उस परिवार को ! सिर्फ बेटी के अंधे प्यार की बजह से ! और आज यह युवती लड़ रही है अपने आप से अपने समाज की नज़रों से ! यह कोई एक अकेला मामला नहीं है ! इस तरह के मामले रोज हो रहे हैं इस देश मैं ! फिर भी हमारी युवा लड़कियां भटक रही हैं अपने अंधे प्रेम के साथ !

मैं नहीं कहता की प्रेम नहीं करना चाहिए ! प्रेम इन्सान की जरूरत हैं ! पर प्रेम सच्चा हो ! मन का सम्बन्ध होता है प्रेम से ना की शरीर से ! पर आज बहुत कम लोग ऐसे हैं जो मन से प्रेम करते हैं ! प्रेम करने के साथ साथ इन्सान को सब कुछ ध्यान रखना चाहिए ! बस अंधों की तरह प्रेम ना करे ! अपनी आँखे खोलें और सब कुछ परख लीजिये ! आज की युवा पीड़ी तो पड़ी लिखी है ! फिर क्यों हम अंधी दौड़ मैं भाग रहे हैं ...................
कहीं ऐसा ना हो आप करें अँधा प्यार ....... और गंवानी पढ़ जाये आपको ............... आपकी इज्जत ...........

धन्यवाद

9 comments:

  1. उम्दा विचारणीय प्रस्तुती और ब्लॉग की सार्थकता /

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  2. सटीक विचारणीय पोस्ट उम्दा प्रस्तुती...धन्यवाद

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  3. बहुत सही लिखा है आपने , बच के रहना भईया कहीं नारी वादी महिलाएं टूट ना पड़े आपके ऊपर ।

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  4. सच को बताती एक विचारणीय पोस्ट....

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  5. सामयिक और सार्थक पोस्ट । आभार ।

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  6. विचारणीय पोस्ट ........

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  7. प्रिय मिथिलेश इस पोस्ट में ऐसा तो कुछ नहीं लगता की नारी ब्लॉग नाराज़ हो जाएगा.. जो सच है वो सच है इसमें नारी और पुरुष कहाँ से आ गए भाई? उत्तम लेख संजय जी. मेरी नज़र में दुनिया को नारी और पुरुष अलग-अलग समुदाय में बांटने वाले पढ़े-लिखे गंवार के अलावा और कुछ नहीं. समझ नहीं आता समाजसेवी लोग दुनिया के शोषित और शोषक के झगडे को क्यों नहीं मुखर करते? बाकी की हज़ार बहस करेंगे और मुद्दे की बात से हटकर अन्य रंग में रंगते रहेंगे. क्यों भाई?

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  8. dipakji aap sahi kah rahe hain
    is post main sirf un logon ko aagah kiya gaya hai jo pyar main andhe hokar kuchh bhi karne ko taiyaar ho jaate hain,
    isme kisi mahila ka apmaan nahin hai

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