Saturday, May 8, 2010

मेरे लिए हो रहे हैं, आज ये कत्लेआम.....>>>>> संजय कुमार

चाहे त्रेतायुग हो या सतयुग , द्वापरयुग हो या कलियुग , हर युग मैं इन्सान ने इस पृथ्वी पर मेरे लिए दूसरों को कष्ट दिए हैं ! और जब तक मैं रहूंगी आम इन्सान कभी भी सुखी नहीं रह पायेगा ! मुझ पर बैठने बाला एक साधारण इन्सान भी कुछ समय बाद पूरी तरह बदल जाता है ! और भूल जाता है ,इन्सान होने का दर्जा ! एक बार कोई मुझे पाले तो वह भगवान् को तो भूल ही जाता है ! और बन जाता है कलियुग का भगवान् ! वह भगवान जो लोगों की मदद नहीं करता और ना ही लोगों के कष्ट हरता है ! वह भगवान् होता है जो देश मैं भुखमरी , बेरोजगारी , और ना जाने कितनी समस्याएं पैदा करता है ! जिसे सारा देश भुगतता है ! मेरी भूंख और मेरा लालच इन्सान को इतनी है कि इन्सान भूल जाता है इंसानियत ! और अपनी सारी मान-मर्यादाएं , सारे रिश्ते नाते , अपनों का प्यार, और करता है ऐसे ऐसे काम जिससे इस देश को उठानी पड़ती है कई बार शर्मिंदगी ! मेरे लिए तो लोगों ने अपनों तक को नहीं छोड़ा ! आज तक कितनों की बलि दी गयी है मेरे लिए ! पल पल पर होता भ्रष्ट ईमान सिर्फ मेरे लिए ! मेरी चाह मैं तो मेरे प्रभु श्रीराम को चौदह वर्ष का वनवास तक भोगना पड़ा ! सब कुछ मेरी लालसा और चाहत के लिए होता है ! अब आप मुझे पहचान गए होंगे ! अरे मैं हूँ आज के इन्सान के लिए कलियुग का भगवान् ! और ना जाने कितने रूपों मैं हूँ मैं ! किसी राजा का सिंघासन , किसी शाशक की राजगद्दी, और आज कलयुग के भगवान यानी आज के नेता की कुर्सी हूँ मैं ! आज हर इन्सान जानता है मेरी ताक़त !

पुरातन काल से लेकर आज तक मेरा ही बोलबाला रहा है ! पूरे विश्व मैं पूरे ब्रहमांड मैं ! आज जो विश्व मैं भ्रष्टाचार , बेईमानी , लूट-खसोट , हत्या और ना जाने कितने अपराध हो रहे हैं उन सबका जिम्मेदार मैं ही हूँ ! मेरे लिए लोगों ने इन्सान को इन्सान से बाँट दिया और उनके बीच मैं खींच दी जातिधर्म और उंच नीच की दीवारें ! मेरे लिए आज देश मैं हिन्दू -मुस्लिम को लेकर दंगे कराये जाते हैं ! और किया जाता है अपनों का कत्लेआम ! मेरे लिए इन्सान आज वह सब कुछ करने को तैयार हो जाता है ! जो एक इन्सान होने के नाते उसे नहीं करना चाहिए !

एक समय था जब इन्सान सिर्फ लोगों के साथ न्याय करने के लिए , और देश को एकजुटता में बाँधने केलिए , जातिवाद और इंसानों के बीच फैली नफरत की खाई को भरने के लिए , तब हिन्दू-मुस्लिम के नाम पर यों अपने ही भाइयों का खून नहीं बहाया जाता था ! और इन्सान, इन्सान की भलाई ले लिए ! मेरे लिए लड़ता था ! तब मेरे ऊपर बैठने बाले इन्सान को मैं भगवान् का दर्जा देता था ! क्योंकि वह एक धर्माधिकारी की भूमिका निभाता था ! और उस कुर्सी का सही मान रखा जाता था ! तब होते थे सच्चे राजनेता और कुर्सी का सही मतलब समझने बाले ! तब सभी लोग मेरा मान-सम्मान करते थे ! और मैं मन ही मन प्रसन्न रहता था !

आप सभी से निवेदन हैं ....... मेरा मान बनाये रखने के लिए आप अच्छे इंसानों को चुनकर मेरे पास भेजिए ! जो सिर्फ अपने देश के लिए काम करें ना की अपने लिए ! क्योंकि आप सब मैं वो ताक़त है जो कभी भी कुछ भी कर सकती है ! क्या ऐसा हो सकता है ...... मुझे नहीं लगता की ऐसा होगा .......... फिर भी मैं इन्तजार करूंगी की कोई ऐसा आये जो सिर्फ सच को जानता हो , और जानता हो मेरा मान .....................

धन्यवाद

6 comments:

  1. bahut badhiya....kamaal ka likha hai..

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  2. कुर्सी की महिमा भली है प्रायः गुणगान।
    पाने खातिर बेच दें लोग यहाँ ईमान।।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com

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  3. Kursi ki 'chah' me bhagwaan Ram ko 14 varsh ka vanvaas bhogna pada? ye vakya sahi arth nahin de pa raha.. wo chah me nahin tha unka kursi ke prati vimoh tha.. tyaag tha Sanjay ji

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  4. BAHUT HI GEHRAIYE SE LIHTE HO...SANJAY JI........

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  5. dipakji maata kekai ko bharat keliye kya chahiye tha ,raaj gaddi, isliye likha hai ki
    maata kaikai ki chah (kursi)main ! mere prabhu sriram ko 14 varsh ka vanvas bhogna pada

    yahan maine yah nahin likha ki ramji ko kursi ka moh tha

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  6. haan aapne sahi kaha.. main doosre angle se dekh gaya tha kshama karen... :)

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