Tuesday, May 4, 2010

मेरे पास नहीं है, साहित्यिक भाषा, फिर भी........ >>>>

यह मेरी ५० बीं पोस्ट हैं ! और इस पर मैं आप सभी ब्लॉग बंधुओं का धन्यवाद करता हूँ , की आप सभी ने मेरे विचार और सन्देश पड़े और उन पर अपनी प्रतिक्रिया दी ! आप सभी ने मेरे लेखन को सराहा इसके लिए मैं आप सभी का आभारी हूँ !
मैंने आज तक कोई साहित्यिक किताब नहीं पड़ी है , और ना ही कोई उपन्यास ! इस लिए मेरे लेखन मैं आप सभी को साहित्यिक शब्दों की कमी मिलेगी ! पर आप सभी ब्लोगर बंधुओं के प्रेम और विशिस्ट जनों के आशीर्वाद से मैं आज तक इतना लिख पाया ! और आगे भी लिख पाऊंगा ! मुझे बहुत ख़ुशी होती है , जब आप लोग मेरी पोस्ट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हैं ! उस प्रतिक्रिया से मैं और आगे लिखने के लिए प्रेरित होता हूँ ! मैं जो महसूस करता हूँ , जो भाषा मेरे मन को आती हैं वह मैं अपने लेखन मैं उपयोग करता हूँ ! आगे भी मैं लेखन करता रहूँगा क्योंकि अब यह मेरे जीवन का एक हिस्सा बन गया हैं !
मैं सभी का धन्यवाद करता हूँ जिसने एक बार भी मेरा ब्लॉग पड़ा है ! और उन सभी का जिनकी प्रतिक्रिया मिली और जिंनकी प्रतिक्रिया नहीं भी मिली ! एक बार फिर से आप सभी ब्लोगर बंधुओंका धन्यवाद करता हूँ !

धन्यवाद

11 comments:

  1. आपकी यही विनम्रता आपको एक दिन ऊँचे पायदान पर ले जायगी।

    शुभकामनाएं।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com

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  2. लेखन सुन्दर है आपका
    50वी पोस्ट की बधाई

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  3. abhar aapka...bas Hindi me likhte rahiye..mera bhi aap jaisa hi haal hai...jyaada padh nahi pata...jo padhta hun blogs pe hi padhta hun...

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  4. लेखन सुन्दर है आपका
    50वी पोस्ट की बधाई

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  5. आप बहुत सुंदर लिखते हैं

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  6. 50veen post par bahut-bahut badhai Sanjay ji.. ye aapke sundar lekhan kshamta ka pramaan hai ki dekhte hi dekhte 50 post poori ho gayeen.

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  7. deepak ji yah aap sabhi ke prem ka aur varishth jan kaa aashirvad hai

    main tahe dil se aap sabhi ka dhnyvad karta hoon

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  8. संजय जी आपका ब्लॉग पढ़ा ,एक बात कहना चाहती हूँ.कोई भी इन्सान चाहे वो कितनी ही किताबें क्यों ना पढ़ ले कितनी ही दीग्रियाँ क्यों ना ले ले,पर लेखन की कला एक ऐसी कला है जो सबको नहीं आती ,हमारे कबीर जी ,और तुलसीदास जी भी तो किसी साहित्य को नहीं पढ़ा था वो नीरे बुद्धू थे फिर भी रामचरितमानस की रचना और कबीर ने सीख भरे दोहे को रच डाला .........लेखन एक अंतर्मन के भाव हैं जो खुदा की करम से किसी किसी को ही मिलते हैं.........और इसमें हम और आपलोग जैसे लोग भाव से धनी हैं की अपने विचरों को विचारों को सब्दों का जम दे पाते हैं........यदि कुछ ज्यादा कहा हो तो क्षमा करेंगे.......
    अओका लेखन हमें काफी अच्छा laga

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  9. rajni ji aapne itani achhi baat kahi
    uske liye aapka dhnyvad

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  10. आपकी भाषा साहित्यिक हो चाहे बोलचाल की, आप अपने अनुभव लिखते जाएँ । और हाँ, प्रतिक्रिया का उत्तर देवनागरी हिन्दी में ही दें, रोमन हिन्दी में नहीं । कुछ-कुछ वर्तनी पर भी ध्यान दें, जैसे- जहाँ "पढ़" होना चाहिए, वहाँ आप "पड़" का प्रयोग करते हैं । कोई भी सन्देश अपलोड करने के पहले उसे एक बार जरूर पढ़कर त्रुटियों की जाँच कर लें ।
    शुभ कामनाएँ ।

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  11. संजय जी कला चाहे जैसी भी हो कला तो कला ही होती है ! ये इंसान के साथ पैदा होती है साहित्य या किताबों से नहीं जीवन का यथार्थ लिखते हैं आप बहुत सकूँ मिलता है मुझे ये सब पढ़कर धन्यवाद

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